मनमर्जियाँ – S20
Manmarjiyan – S20
मनमर्जियाँ – S20
शगुन और गुड्डू के बीच एक प्यारभरी नोक झोंक शुरू हो चुकी थी। गुड्डू शगुन को परेशान करता रहता था लेकिन शगुन उसकी इस बात का बुरा नहीं मानती थी किसी बहाने से ही सही गुड्डू कम से कम उस से बात तो करता था। गुड्डू को नीचे बुरा सा मुंह बनाते देख शगुन मुस्कुराने लगी और ऊपर अपने कमरे में चली आयी। दिन गुजरने लगे शगुन हमेशा गुड्डू की एक आवाज पर उसके लिए हाजिर रहती थी और गुड्डू उसे परेशान करने का एक मौका नहीं छोड़ता था। नोख झोंक वाला ही सही दोनों के बीच एक रिश्ता बन चुका था। मिश्रा जी ने भी फिर से अपना शोरूम सम्हाल लिया। लाजो अपने गाँव गयी तो वापस ही नहीं लौटी , ना उसकी कोई खबर आयी। दीपक के जाने से वेदी उदास रहने लगी थी। वह दीपक को चाहने लगी है इस बात का अहसास उसे हो चुका था। गोलू बेचारा अपने नए आर्डर के कामो में उलझा हुआ था। पिंकी से उसकी बात , मिलना जुलना सब बंद था वह नहीं चाहता था की उसकी वजह से शर्मा जी पिंकी ;को गलत समझे। वही पिंकी दिनभर अपने घर में ही रहती उसकी मम्मी को तो गोलू वैसे ही बहुत पसंद था और दोनों बस शर्मा जी को मनाने में लगी हुई थी।
बनारस में पारस के लिए रिश्ता देखा जा रहा था , घरवाले उसे सोनिया से मिलाने लेकर गए लेकिन पारस के मन में अभी भी कही ना कही शगुन बसी हुई थी और वह शगुन को इस हालत ने देखना नहीं चाहता था। उसने सोनिया को मना कर दिया , पारस के फैसले की इज्जत करते हुए सोनिया ने भी इस शादी से इंकार कर दिया
वही हाल ही में शुरू हुए नए रिश्ते प्रीति और रोहन के बीच एक छोटी सी गलतफहमी हो गयी। रोहन के दोस्तों ने प्रीति और रोहन को लेकर मजाक में जो कहा वह प्रीति को बुरा लग गया , लगना जायज भी था रोहन भले प्रीति को पसंद करता था लेकिन प्रीति के मन में रोहन को लेकर अभी भावनाये नहीं थी। वह थोड़ी चंचल स्वाभाव की ,थी इसलिए रोहन से हंस बोल लिया करती थी।
खैर सभी कहानिया अपनी अपनी रफ़्तार से चल रही थी। एक हफ्ता गुजर गया लेकिन किसी की कहानी आगे नहीं बढ़ी। ना वेदी दीपक से मिल पाई , ना रोहन प्रीति के बीच का झगड़ा खत्म हुआ , ना गोलू पिंकी में बात हुई और ना ही पारस शगुन को दिल से निकाल पाया ,, पारस के मन में शगुन को लेकर कोई गलत भावना नहीं थी लेकिन उसकी जगह वह किसी और को दे भी नहीं पा रहा था।
कानपूर , उत्तर-प्रदेश
गुड्डू को हॉस्पिटल से आये 10 दिन हो चुके थे , उसके पैर का प्लास्टर और सर के टाँके खुलवाने आज मिश्रा जी उसे हॉस्पिटल लेकर जाने वाले थे। सुबह मिश्रा जी पूजा पाठ करने के बाद हॉल में आये और कहा,”हां भई गुड्डू कैसी तबियत है अब तुम्हारी ?”
“हमहू ठीक है पिताजी”,गुड्डू ने कहा
“तो फिर जल्दी से नाश्ता कर ल्यो डॉक्टर के यहा जाना है , तुम्हाये टाँके खुलेंगे और जे पैर का प्लास्टर भी”,मिश्रा जी ने कहा
“हम्म्म्म”,गुड्डू ने कहा जबकि मन ही मन उसे घबराहट हो रही थी की फिर से उसे इंजेक्शन लगेंगे दर्द होगा। गुड्डू ने देखा शगुन वहा डायनिंग टेबल के पास काम कर रही है तो उसने धीरे से कहा,”श्श्श्श , शशशश”
शगुन को सुनाई दे गया लेकिन इस बार वह जान बुझकर नहीं पलटी और अपना काम करती रही। गुड्डू ने देखा शगुन जान बूझकर अनसुना कर रही है तो उसने कहा,”शगुन , शगुन”
कितने दिनों बाद गुड्डू के मुंह से अपना नाम सुनकर शगुन को बहुत ख़ुशी हुई वह गुड्डू के पास आयी और कहा,”फिर से कहिये”
“शगुन”,गुड्डू ने हैरानी से कहा
“एक बार और”,शगुन ने आँखों में चमक भरते हुए कहा
“शगुन”,गुड्डू ने इस बार थोड़ो नरमी से कहा
“प्लीज एक बार और”,शगुन ने बच्चो की तरह रिक्वेस्ट करते हुए कहा
“अरे का पगला गयी हो ? मतलब तुमहाओ ही नाम है शगुन , हमाये मुंह से बार बार काहे सुनना चाह रही हो ? अच्छा सुनो हमे तुम्हायी एक ठो मदद चाहिए”,गुड्डू ने कहा
“कैसी मदद ?”,शगुन ने पूछा
“पहले हमाये हाथ पर हाथ रखकर वादा करो की तुमहू ना नहीं कहोगी”,गुड्डू ने अपना हाथ शगुन के सामने करके कहा
शगुन सोच में पड़ गयी तो गुड्डू ने कहा,”अरे टेंशनियाओ नहीं हमहू कुछो गलत करने को नहीं कहेंगे”
“ठीक है वादा”,शगुन ने गुड्डू के हाथ पर हाथ रखते हुए कहा। शगुन ने जैसे ही गुड्डू के हाथ पर अपना हाथ रखा गुड्डू के मन के तार झनझना उठे , वह शगुन की आँखों में देखने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे ये छुअन पहले वह बहुत बार महसूस कर चुका हो। गुड्डू को खामोश देखकर शगुन ने कहा,”कहिये क्या करना है मुझे ?”
शगुन की बात से गुड्डू की तंद्रा टूटी और उसने अपना हाथ हटाते हुए कहा,”उह ना एक ठो लड़की है हमाये मोहल्ले के बाहर की हमे ना उस से मिलना है , हमहू गोलू से कहे थे लेकिन गोलू तो ना जाने का अंट शंट बक रहा था , पर हमारा दिल नहीं माना ,, तुमहू उन तक हमारा सन्देश पहुंचा दोगी ,, का है की हमहू तो ऐसी कंडीशन में बाहर नहीं ना जा सकते तो वही हमसे मिलने आ जाए”
गुड्डू की बात सुनकर शगुन का दिल एकदम से टूट गया , उसे शगुन याद नही ये दर्द शगुन ने अपने मन में दबा लिया लेकिन गुड्डू के मन में पिंकी को लेकर भावनाये अब भी थी , गुड्डू पिंकी से मिलना चाहता है जानकर शगुन का मन उदासी से भर गया लेकिन उस उदासी को उसने अपने चेहरे पर नहीं आने दिया। शगुन को चुप देखकर गुड्डू ने कहा,”हमहू जानते है जे सब थोड़ा अजीब है पर का है ना हमहू बहुते चाहते है उनको , उस दिन उह हमसे मिलने भी आयी थी लेकिन हम ही उनसे बात नहीं कर पाए। पिताजी हमे हॉस्पिटल लेकर जा रहे है अगर तुमहू वही उनसे मिलने को बोलो तो वो आ जाएगी , करोगी ना हमाये लिए ?”
“लेकिन मैं उन्हें नहीं जानती”,शगुन ने कहा
“हम्म्म जे भी समस्या है , हमारा फोन भी नहीं मिल रहा है वरना हमहू नंबर दे देते,,,,,,हमहू करते है कुछो जुगाड़ , अभी तुम जाओ लेकिन किसी को बताना मत”,गुड्डू ने कहा तो शगुन उठकर चली गयी। गुड्डू की बातें सुनकर उसका मन उदास हो गया। वह आकर वेदी , मिश्राइन और अम्मा को नाश्ता परोसने लगी। मिश्रा जी नाश्ता कर चुके थे और शोरूम फ़ोन कर रहे थे।
घूमते घामते गोलू वहा आ पहुंचा। शगुन किसी काम से किचन की तरफ चली गयी गोलू आया और गुड्डू से कहा,”और गुड्डू भैया कैसे ?”
“बस बढ़िया गोलू , आज फिर से नाश्ता करने आये हो ?”,गुड्डू ने कहा
“अरे नहीं भैया हमहू तो भा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, हमारा मतलब भाई हम तुम्हाये पिताजी से मिलने आये है किसी काम से , इजाजत हो तो मिल ले ?”,गोलू ने कहा तो गुड्डू ने हँसते हुए कहा,”अरे यार गोलू तुमहू भी ना , जाओ मिल लो”
गोलु डायनिंग के पास आया और मिश्राइन से कहा,”शगुन भाभी कहा है ?”
“रसोईघर में है गोलू , बइठो नाश्ता कर ल्यो”,मिश्राइन ने कहा
“अरे नहीं चाची हमे न अभी बहुते जरुरी काम है”,कहते हुए गोलू किचन की और चला आया। शगुन काम में लगी थी गोलू उसके पास आया और कहा,”भाभी”
“जी गोलू जी”,शगुन ने पलटकर उदास स्वर में कहा
शगुन का चेहरा देखकर गोलू भांप गया और कहा,”का हुआ भाभी आज आपके चाँद जैसा चेहरा बुझा बुझा सा काहे है ?”
“गुड्डू जी पिंकी से मिलना चाहते है”,शगुन ने कहा
“इनकी ऐसी की तै,,,,,,,,,,,,,,माफ़ करना भाभी , जे साला गुड्डू भैया का मैटर ना समझ नहीं आता हमको , काहे उस तितली के पीछे पड़े है जे ? पिंकी से मिलना मतलब हम सबकी लंका लगना”,गोलू ने कहा
“वही तो गोलू जी कही पिंकी से मिलकर इनके मन में फिर से उसके लिए भावनाये जाग गयी तो , इन्हे कभी याद नहीं आएगा शगुन कौन है ?”,शगुन ने उदासीभरे लहजे में कहा
“अरे भाभी ऐसा ना कहो , हम है ना हम करते है कुछो इंतजाम , आप ना बस मुस्कुराते रहो का है की ऐसे बुझे बुझे अच्छे नहीं लगते , चलिए मुस्कुराईये , मुस्कुराईये , अरे मुस्कुराईये ना”,कहते हुए गोलू ने प्रेम भाव से शगुन के हाथो को थाम लिया। गोलू के जिद करने पर शगुन मुस्कुरा उठी। गोलू जाने लगा तो शगुन ने कहा,”अरे गोलू जी आप क्यों आये थे अपने बताया नहीं ?”
“अमा यार वही तो हमहू जे कहने आये थे की जे डेस्टिनेशन वाला हमें तो कुछो समझ नहीं आ रहा , कुछ लोकेशन देखे पर बजट से बाहर अब आप ही बताओ का करे ?”,गोलू ने कहा
शगुन ने सूना तो सोचने लगी एकदम से उसे कुछ याद आया और फिर उसने कहा,”डेस्टिनेशन आप मेरे ऊपर छोड़ दीजिये आप ये बताईये कब चलना है ?”
“कल सुबह निकलना होगा भाभी ? का है शादी 4 दिन बाद है लेकिन इंतजार भी करने होंगे ना , हालाँकि शादी में सिर्फ 50 लोग शामिल होंगे लेकिन उनके भी रहने , खाने पीने का इंतजाम करना होगा ना”,गोलू ने कहा
“ठीक है आप बाकी सब तैयारी कर लीजिये , माजी और पापाजी से बात करके कल सुबह निकल जायेंगे”,शगुन ने कहा तो गोलू ने हाँ में गर्दन हिला दी और किचन से बाहर चला आया। गोलू सीधा गुड्डू के पास आया और उसके सामने पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए धीमी आवाज में कहा,”गुड्डू भैया हमहू सोच रहे थे की तुमको न एक ठो बार पिंकी से मिलवा देते है।”
“हैं ? सच में ! गोलू तुमहू मजाक तो नहीं ना कर रहे हो न ?”,गुड्डू को जैसे गोलू की बात पर यकीन न हुआ हो उसने एकदम से कहा
“अरे हाँ हमहू काहे मजाक करेंगे तुमसे , तुमहू बताओ कब मिलवाये ?”,गोलू ने कहा
“हमहू आज जा रहे है पिताजी के साथ हॉस्पिटल वही मिलवाय दयो , का है की घर तो उह आने से रही और हमहू बाहर जा नहीं सकते”,गुड्डू ने कहा
“ठीक है हम करते है इंतजाम , तुम निकलो मिश्रा जी के साथ हमहू आते है तुम्हायी बारात लेकर,,,,,,,,,,,,,, हमारा मतलब पिंकी को लेकर आते है”,गोलू ने उठते हुए कहा। गुड्डू तो पिंकी से मिलने के नाम पर ही खुश हो गया। कुछ देर बाद मिश्रा जी आये और गुड्डू से कहा,”गुड्डू चले ?”
“हां पिताजी”,गुड्डू ने कहा
गुड्डू ने मिश्रा जी के सहारे उठते हुए कहा। मिश्रा जी गुड्डू के साथ बाहर चले आये , गाड़ी बाहर खड़ी थी शोरूम से लड़का आया था। गुड्डू पीछे आ बैठा मिश्रा जी आगे बैठ गए। गुड्डू ने देखा शगुन सीढ़ियों पर खड़े उसे ही देख रही थी। ना जाने गुड्डू को क्या हुआ उसने मिश्रा जी से कहा,”पिताजी शगुन को भी साथ ले चले ?”
मिश्रा जी ने सूना तो मन ही मन खुश हुए और कहा,”हाँ बुला लो”
गुड्डू ने खिड़की का शीशा नीचे किया और हाथ से शगुन को इशारा करके पास बुलाया। शगुन आयी और कहा,”हां कहिये ?”
“तुमहू भी चलो हमाये साथ”,गुड्डू ने कहा
“मैं क्या करुँगी ?”,शगुन ने कहा तो मिश्रा जी बोल पड़े,”अरे बिटिया चलो , तुमहू कह रही थी ना की तुमको भी अपना बल्ड ग्रुप चैक करवाना है
शगुन बेचारी उलझन में पड़ गयी। उसे सोच में देखकर गुड्डू ने कहा,”इतना का सोच रही हो बइठो”
“हम्म्म हां”,कहते हुए शगुन ने दरवाजा खोला और गुड्डू के बगल में आकर बैठ गयी। मिश्रा जी ने गाडी हॉस्पिटल लेकर चलने को कहा। गुड्डू बहुत खुश था और उसकी ख़ुशी की वजह थी पिंकी , शगुन समझ नहीं पा रही थी की एक हॉस्पिटल जाने के नाम से गुड्डू इतना खुश क्यों है ? वह कभी गुड्डू को देखती तो कभी खिड़की के बाहर।
गोलू ने गुड्डू से वादा तो कर दिया पिंकी से मिलवाने का लेकिन पिंकी से तो उसकी बात बंद कैसे बुलाये ? उसने अपनी स्कूटी उठायी और निकल पड़ा पिंकी के घर की तरफ , अभी नुक्कड़ पर पहुंचा ही था की गोलू ने देखा सामने से पिंकी दूध की केतली लिए चली आ रही थी। गोलू ने स्कूटी लेजाकर उसके सामने रोकी और कहा,”तुमसे एक बहुते जरुरी काम है , बइठो”
पिंकी ने गोलू को देखा और आगे बढ़ गयी , हालाँकि वह गोलू से नाराज थी लेकिन दिल ही दिल में उस से प्यार भी बहुत करती थी। पिंकी को जाते देखकर गोलू ने स्कूटी उसके पीछे लगा दी और कहा,”यार पिंकिया हमहू मानते है नाराज हो हमसे पर जे नाराजगी बाद में दिखा लेना , अबही चलो यार हमाये साथ”
“हम दूध लेकर जा रहे है पापा को चाय पीनी है”,पिंकी ने कहा
“अरे एक दिन शर्मा जी चाय नहीं पिएंगे तो का भूकंप आ जाएगा , यार तुम चलो ना हमाये साथ”,गोलू ने पिंकी का हाथ पकड़ उसे अपनी और करके कहा तो पिंकी ने अपना हाथ झटका और कहा,”और उस दिन जब हम खुद आये थे तुम्हाये साथ रहने के लिए तब क्यों वापस भेज दिया हमे घर ?”
“अरे यार जे बात पे तुम बाद में लड़ लेना अभी हमाये साथ चलो यार हमायी बत्ती लगी पड़ी है , गुड्डू भैया हॉस्पिटल में है यार समझो बात को”,गोलू ने रोआँसा होकर कहा
पिंकी ने सूना तो कहा,”क्या हुआ गुड्डू को ? फिर से कुछो हुआ है का ?”
“सच बताया तो जे बिल्कुल ना जाएगी , झूठ से ही काम चलाना पडेगा ,, माफ़ कर देना महादेव”,मन ही मन सोचते हुए गोलू ने पिंकी से कहा,”हाँ पिंकिया तुम बस चलो हमाये साथ रिक्वेस्ट करते है”
पिंकी गोलू की बातो में आ गयी , उसने दूध की केतली वहा से गुजर रहे लड़के को थमा दी और घर में दे देने को कहा। पिंकी गोलू के पीछे आकर बैठ गयी। गोलू ने भी यू टर्न लिया और स्कूटी हॉस्पिटल जाने वाले रस्ते की और मोड़ दी। रास्तेभर गोलू और पिंकी में कोई बात नहीं हुई। गोलू की अलग टेंशन और पिंकी का अलग गुस्सा बात की शुरुआत करे भी तो कौन करे ?
डॉक्टर ने गुड्डू का चेकअप किया। सर के जख्म भर चुके थे इसलिए सारे टाँके निकाल दिए। पैर की चोट ज्यादा नहीं थी इसलिए प्लास्टर खोल दिया। हाथ का प्लास्टर खोलकर पक्का प्लास्टर करवा दिया। इन सब कामो में 1 घंटा निकल गया , गुड्डू बार बार डॉक्टर के चेंबर के बाहर देख रहा था। पिंकी अभी तक नहीं आयी थी। डॉक्टर ने एक इंजेक्शन लिखा और मिश्रा जी ने कहा,”ये एक इंजेक्शन लगवा लीजिये जिस से सर की चोट में किसी तरह का इंफेक्शन ना हो।”
मिश्रा जी गुड्डू को लेकर बाहर चले आये। बाहर शगुन बेंच पर बैठी हुई थी मिश्रा जी और गुड्डू को देखकर वह भी उनके पीछे पीछे चली आयी। मिश्रा जी ने इंजेक्शन खरीदा और लेकर इमरजेंसी की और बढ़ गए , गुड्डू आने को तो आ गया लेकिन अब उसे लग रहा था डर। जैसे ही नर्स ने इंजेक्शन लगाने के लिए हाथ पकड़ा उसने कहा,”एक मिनिट”
शगुन और मिश्रा जी हैरानी से एक दूसरे को देखने लगे तो गुड्डू ने कहा,”पिताजी आप बाहर चले जाईये ना”
“ठीक है”,कहते हुए मिश्रा जी जाने लगे , उनके पीछे शगुन भी जाने लगी तो गुड्डू ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा,”तुमहू यही रुको”
शगुन रुक गयी नर्स ने इंजेक्शन लगाना चाहा लेकिन गुड्डू डर रहा था। शगुन ने देखा तो कहा,”एक काम कीजिये मेरा हाथ पकड़िए और मेरी तरफ देखिये”
गुड्डू के एक हाथ में प्लास्टर था उसने दूसरे हाथ से शगुन का हाथ पकड़ लिया। जैसे ही इंजेक्शन लगा दर्द होने की वजह से उसने शगुन का हाथ और कसकर पकड़ लिया , जिसे शगुन महसूस कर पा रही थी !
गुड्डू ने कसकर शगुन का हाथ थाम रखा था। नर्स ने उसकी बांह में इंजेक्शन लगाया। गुड्डू की शक्ल देखकर शगुन को हंसी आने लगे। अब कोई हमारे गुड्डू भैया पर हँसे और गुड्डू भैया बुरा ना माने ऐसा भला हो सकता है जैसे ही शगुन उस पर हंसी गुड्डू अपना दर्द भूलकर उसे घूरने लगा। शगुन ने अपनी हंसी रोकी और दूसरी और देखने लगी। गुड्डू बेड से उठा उसने अभी भी शगुन का हाथ थाम रखा था। शगुन जैसे ही जाने लगी गुड्डू ने कहा,”अरे सुनो ! पिताजी कह रहे थे ना तुम्हे टेस्ट करवाने है , बइठो तुमहू भी अपना सेम्पल देइ दयो”
शगुन ने जैसे ही सूना मन ही मन घबरा उठी , इंजेक्शन को देखकर ही उसके पैर फूलने लगे उसने कहा,”नहीं नहीं मुझे कोई टेस्ट नहीं करवाना वो तो अंकल ने बस ऐसे ही”
“हमे इंजेक्शन लग रहा था तब बहुत हंस रही थी न अभी मजा चखाते है”,मन ही मन सोचते हुए गुड्डू शगुन के पास आया और उसे कंधो से पकड़ कर बेड पर बैठाते हुए कहा,”काहे नहीं करवाना ? चलो बइठो,,,,,,,,,,,,,,,,,,नर्स दीदी इनका भी ना बल्ड सेम्पल लेइ लयौ”
“अरे नहीं नहीं गुड्डू जी मुझे नहीं देना सेम्पल मुझे इंजेक्शन से डर लगता है”,शगुन ने उठने की कोशिश करते हुए कहा तो गुड्डू ने उसे वापस बैठा दिया और कहने लगा,”टेस्ट करवाना तो बहुते जरुरी है नई , इस से पता भी चल जाएगा की तुमहू स्वस्थ हो के नहीं”
कहते हुए गुड्डू ने शगुन का हाथ थाम लिया और कहा,”चिंतियाओ नाही हमहू है ना तुम्हाये साथ”
शगुन गुड्डू की आँखों में देखने लगी जिनमे शगुन को अपने लिए सिर्फ प्यार नजर आ रहा था। वह गुड्डू का हाथ थामे उस की आँखों में देखते रही , नर्स ने कब सेम्पल लिया उसे पता ही नहीं चला। नर्स वहा से चली गयी तो गुड्डू ने कहा,”अरे वाह मतलब तुम तो यार सच में बहादुर निकली”
शगुन जवाब में मुस्कुरा दी तो गुड्डू ने कहा,”चले ?”
“हम्म्म”,कहते हुए शगुन गुड्डू के साथ चल पड़ी। मिश्रा जी डॉक्टर के केबिन में उनसे गुड्डू के बारे में कुछ बात चित कर रहे थे। अपना हाथ सहलाते हुए शगुन आकर बेंच पर बैठ गयी। देखा वही बरामदे में गुड्डू धीरे धीरे चल रहा है और बच्चो की तरह खुश हो रहा है। शगुन वहा बैठी प्यार से उसे देखते रही।
गोलू पिंकी को झूठ बोलकर हॉस्पिटल ले आया। हॉस्पिटल आकर उसने पिंकी से कहा,”तुम्हे कुछ बताने वाले है सुनकर चिल्लाना मत , चाहे तो बाद में चार थप्पड़ मार लेना”
“का ?”,पिंकी ने कहा जिसे पहले से दाल में कुछ काला लग रहा था।
गोलू ने उसे सारी सच्चाई बता दी तो पिंकी ने गुस्से से कहा,”तुम्हारा दिमाग तो ठीक है गोलू हमे गुड्डू के सामने लेकर काहे आये हो ? उसने हमे देखा तो उसके दिमाग पर फिर से हमारा भूत सवार हो जाएगा , हम इसलिए तो गुड्डू के सामने नहीं आ रहे और तुम कह रहे हो की हम उसके सामने जाये”
“पिंकिया हम जानते है हम सही नहीं कर रहे पर एक बार कोशिश करके देखो यार मतलब हमाये लिए ना सही भाभी और गुड्डू भैया के लिए”,गोलू ने उम्मीद भरे स्वर में कहा
“तुम्हे लगता है गोलू तुम्हारा प्लान काम करेगा ?”,पिंकी ने कहा
“पूरा श्योर तो नहीं है पर महादेव पर भरोसा है , प्लीज पिंकी चाहें बाद में तुमहू जो सजा दो मंजूर बस जे कर दो हमाये लिए”,गोलू ने कहा तो पिंकी खामोश हो गयी। कुछ देर बाद उनसे हाँ में गर्दन हिलायी और गुड्डू की और बढ़ गयी।
क्रमश – मनमर्जियाँ – S21
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संजना किरोड़ीवाल
ab je golu koi kand na kare waise sare logon ki zindagi main lanka lagi hui hai..bas jo bhi plan golu banaya hai vo safal ho jaye or guddu pinki ko bhul jaye
Bus sb thik ho golu koi kand n kr de qki krne achha jata h or kr kuchh or hi ata h uska har kam ulta hi ho jata h.
Nice
मैम गोलू का क्या प्लान हैं…इसके लिऐ तो अगले भाग का इंतजार करना पड़ेगा… लेकिन गुड्डू भाई तो लगता हैं शगुन भाभी के प्यार में डूब रहें हैं धीरे धीरे…अब अहसास तो दूरी ही करवायेगी…जब शगुन गुड्डू की नजरों से कुछ दिन दूर हो जायेगी😊 shandaar part👌👌👌👌👌
Ab golu kaun sa naya kaand krne wala h bs kuch gafbad na ho
Nice
nice part
ab yeh golu phir se kyakaan karne wala hai
Very beautiful
Beautiful story
Aab ye golu ki kya planning h kuch gadbad na ho bas wese hi itni uljhan h guddu bhi phle wale form me agya h, waiting for next part
Ab golu ne kya plan bna diya hh… Karam km or kand jada krta hh😑😑😑 bgwan jaane ib ka hoga🤣🤣
Fan of your writing…very gud going…
Mughe toh lg ra golu pinki Ka hath chuega lkin use Kuch achaa feel nhi hoga bki pta nhi by the way awsm golu Bhai toh ab kfi smghdar njr aare h episode Dr episode
Yaar bas jaldi se guddu Apni form me ajaye aur sagun ushe yaad ajaye Lekin usse Pehle guddu ka jealousy part hona chahiye jisse ushe paras ya Phir kisi aur se jalan ho agar aisha hua to maza aayega bataye rahe hai😍
Are koi sa bhi kand kare jaldi aage likho ytr didi 😂😂😂😂
Very nice part
Sooooooo beautiful part
mam todays part
Very nice part