मनमर्जियाँ – S2
Manmarjiyan – S2
बनारस , उत्तर-प्रदेश
गुप्ता जी और प्रीति घर आ चुके थे। पिछले दो-तीन दिन से वे लोग हॉस्पिटल में थे। गुप्ता जी के इन बुरे हालातो में उनकी मदद पारस ने की। उसी ने शगुन और उसके परिवार को हॉस्पिटल आकर सम्हाला , गुप्ता जी के घर के पेपर चाचा से वापस लिए जिस से चाचा उस घर को बेच ना सके। जो पैसे गुप्ता जी ने अपने भाई से लिए थे पारस ने चुपचाप बिना किसी को बताये विनोद को वो पैसे लौटा दिए। खामोश रहकर उसने सब सही कर दिया और इन सबके पीछे वजह थी “शगुन”
शगुन और पारस कई साल से अच्छे दोस्त थे और गुप्ता जी को भी पारस के घर आने जाने से कोई ऐतराज नहीं था , पर पारस के मन में दोस्ती के अलावा भी बहुत कुछ था जो वह शगुन से कभी कह नहीं पाया और फिर शगुन की शादी हो गयी लेकिन आज शगुन को इस हालत में देखकर पारस बहुत उदास था। वह पिछले तीन दिन से घर नहीं गया था और शगुन के साथ ही था। ICU से शगुन को रूम में शिफ्ट कर दिया। पारस उसकी बगल में बैठा था की उसका फोन वाइब्रेशन हुआ और वह बाहर चला आया। बाहर आकर उसने देखा फोन घर से था उसने फोन उठाया और कहा,”हेलो”
“पारस कहा है बेटा तू तीन दिन से घर नहीं आया है , कॉलेज की तरफ से किसी ट्रिप पर गया था तू अभी तक नहीं लौटा , ना ही फोन किया तू ठीक तो है ना बेटा ?”,दूसरी और से पारस की माँ ने पूछा
“हां माँ मैं ठीक हूँ , बस एक दो दिन में आ जाऊंगा”,पारस ने झूठ कहा जबकि वह बनारस में ही था लेकिन अपनी माँ को शगुन के बारे में बताकर उन्हें परेशान करना नहीं चाहता था।
“ठीक है बेटा जल्दी आना और अपना ख्याल रखना”,पारस की माँ ने कहा और फ़ोन काट दिया। पारस ने फ़ोन जेब में डाल लिया। उसे अपनी माँ से झूठ बोलते हुए बहुत बुरा लग रहा था लेकिन इस वक्त वह और परेशानिया नहीं चाहता था। भूख लगी तो पारस केंटीन की और चला आया और अपने लिए कुछ खाने को आर्डर कर दिया।
घर आने के बाद प्रीति ने अपने पापा को उनके रूम में सुलाया और खुद नहाने चली गयी। रोने से उसकी आँखे लाल हो चुकी थी और चेहरा भी मुरझा चुका था। रोहन आज ऑफिस नहीं गया वह गुप्ता जी के पास ही रुक गया। उसे भी अब इस परिवार से हमदर्दी होने लगी थी। प्रीति नीचे आयी और किचन में आकर गुप्ता जी के लिए चाय नाश्ता बनाया ताकि उन्हें थोड़ा खिला सके और दवा दे सके। नाश्ता लेकर प्रीति अपने पापा के कमरे में आयी तो देखा रोहन भी वही बैठा है प्रीति ने उसे भी चाय दी पर नाश्ते की प्लेट अपने पापा की और बढ़ाकर कहा,”पापा थोड़ा सा कुछ खा लीजिये”
“मुझे भूख नहीं है बेटा”,गुप्ता जी ने उदासी भरे स्वर में कहा
“भूख ना भी हो तब भी थोड़ा सा खा लीजिये”,प्रीति ने पास बैठते हुए कहा।
“मिश्रा जी का कोई फोन आया बेटा ? दामाद जी कैसे है उनका फोन आया ? अचानक से ये सब हुआ की कुछ समझ ही नहीं आया”,गुप्ता जी ने सवाल किया
“नहीं पापा उनका कोई फोन नहीं आया , आप नाश्ता कर लीजिये फिर मैं मिश्रा अंकल को फोन करती हूँ”,प्रीति ने कहा
“नहीं पहले मुझे मिश्रा जी से बात करनी है दामाद जी के बारे में पूछना है , तुम मेरा फोन दो मैं उन्हें फोन करता हूँ”,गुप्ता जी ने बैचैन होते हुए कहा
“मैं उन्हें फोन लगाती हूँ कहकर प्रीति ने मिश्रा जी को फोन लगाया और फोन अपने पापा की और बढ़ा दिया। फोन की रिंग के साथ ही गुप्ता जी की धड़कने भी ऊपर नीचे होते जा रही थी। कुछ देर बाद दूसरी और से मिश्रा जी ने फोन उठाया और कहा,”हेलो समधी जी”
गुप्ता जी – नमस्ते , दामाद जी कैसे है ?
मिश्रा जी भरी आवाज में कहा,”डॉक्टर ने कहा है की गुड्डू अब खतरे से बाहर है लेकिन बहुत गंभीर हालत में है”
गुप्ता जी ने सूना तो उनका दिल बैठने लगा और वे कहने लगे,”माफ़ कीजियेगा समधी जी दोनों बच्चो को ना जाने किसकी नजर लग गयी है , इस गहमा गहमी में मैं उस दिन दामाद जी से मिल भी नहीं पाया था”
“बनारस में गुड्डू का इलाज संभव नहीं था गुप्ता जी इसलिए उसे हमे कानपूर लाना पड़ा और वक्त दोनों बच्चो के पास एक साथ रहना मुमकिन नहीं था। हमे तो कुछो समझ नहीं आ रहा है जे सब कैसे हुआ ?”,मिश्रा जी ने नम आँखों के साथ कहा
“चिंता मत कीजिये बच्चे खतरे से बाहर है , उन्हें कुछ नहीं होगा”,कहते हुए गुप्ता जी की आँखे भी नम हो जाती है।
“शगुन कैसी है ?”,मिश्रा जी ने सवाल किया
“उसे आज ही होश आया है , होश में आते ही वह गुड्डू से मिलने की जिद कर रही थी , उसे ऐसी हालत में कानपूर भेजना सही नहीं होगा”,गुप्ता जी ने अपनी नम आँखे पोछते हुए कहा। रोहन वहा से उठकर बाहर चला गया
“समधी जी हम अपनी बहू को अपने घर लाना चाहते है , शगुन एक बार ठीक हो जाये उसके बाद आप हमसे कहिये हम गाड़ी भिजवा देंगे”,मिश्रा जी ने कहा
“जी , शगुन के साथ मैं भी आना चाहूंगा ताकि गुड्डू जी से मिल सकू”,गुप्ता जी ने कहा
“हां बिल्कुल ! और इस बात का बिल्कुल बुरा मत मानियेगा की हम लोग शगुन बिटिया के लिए वहा नहीं रुके , गुड्डू के साथ भी किसी का होना जरुरी था और फिर उनकी अम्मा को सम्हालना भी मुश्किल हो रहा था ऐसे हालातो में”,मिश्रा जी ने कहा
“कैसी बात कर रहे है मिश्रा जी , दोनों बच्चो में से किसी एक को भी कुछ हुआ तो तकलीफ हम दोनों को होगी”,गुप्ता जी ने कहा
“हम्म आप शगुन का ख्याल रखिये हम एक दो दिन में गाड़ी भेजते है”,मिश्रा जी ने कहा
“ठीक है”,गुप्ता जी ने कहा और फोन काट दिया।
मिश्रा जी से बात करके उन्हें थोड़ा अच्छा लगा उन्होंने फोन साइड में रखा और टेबल पर पड़ी प्लेट उठायी और नाश्ता करने लगी। प्रीति सब सुन रही थी इसलिए उसने कोई सवाल नहीं किया और कमरे से बाहर चली आयी
बाहर रोहन सीढ़ियो पर बैठा था प्रीति उसके पास आयी और कहा,”उस दिन तुम्हारा दोस्त अगर सही वक्त पर आता तो आज ये सब नहीं होता , दी और जीजू साथ होते और खुश होते”
“आई ऍम सॉरी मुझे नहीं पता था ये सब हो जाएगा , तुम्हारे चाचा-चाची ने जो किया वो सही नहीं किया लेकिन पारस भैया ने उन्हें अच्छा सबक सिखाया। बस मुझे ये नहीं समझ आ रहा की शगुन दी और तुम्हारे जीजू को अलग क्यों कर दिया ? मेरा मतलब वो कानपूर में है शगुन दी यहाँ ऐसा क्यों ?”,रोहन ने कहा
प्रीति ने एक गहरी साँस ली और कहने लगी,”उस दिन जब दी और जीजू का एक्सीडेंट हुआ था तब जीजू बुरी तरह घायल थे एम्बुलेंस उन्हें लेकर चली गयी। शगुन दी कुछ दूर जा गिरी थी किसी का उन पर ध्यान ही नहीं गया। जीजू की तबियत बहुत ज्यादा खराब थी इसलिए उनका ट्रीटमेंट करके उन्हें कानपूर शिफ्ट कर दिया। दी को जब हॉस्पिटल पहुंचाया गया तब तक गुड्डू जीजू वहा से लेकर जा चुके थे। जीजू दी से बहुत प्यार करते है और यही बात बताने वो बनारस आये थे लेकिन शायद किस्मत को ये मंजूर नहीं था और ये सब हो गया”
कहते हुए प्रीति की आँखों में नमी तैर गयी रोहन ने देखा तो उसे अच्छा नहीं लगा और उसने कहा,”सब ठीक हो जाएगा , दी इतनी अच्छी है उनके साथ महादेव गलत नहीं करेंगे , हां प्यार में थोड़ी बहुत परीक्षा तो सबको देनी पड़ती है बस शगुन दी के लिए ये परीक्षा जैसा ही है”
“काश ऐसी परीक्षा किसी को ना देनी पड़े”,प्रीति ने अपनी आँखो के किनारे साफ करते हुए कहा और जाने लगी
“अच्छा प्रीति सुनो”,रोहन ने कहा
“हां”,प्रीति ने पलटकर सहजता से कहा इन दिनों वह चीखना-चिल्लाना , गुस्सा करना सब भूल चुकी थी।
“शगुन दी कल घर आने वाली है ना ?”,रोहन ने पूछा
“हां”,प्रीति ने कहा
“तो तुम्हे नहीं लगता उनके स्वागत के लिए कुछ अच्छा करना चाहिए”,रोहन ने कहा
“मतलब ?”,प्रीति ने असमझ की स्तिथि में कहा
“मतलब ये की घर देखो , इसकी हालत देखो क्यों ना इसे साफ किया जाये”,रोहन ने कहा तो प्रीति ने घर में नजर दौड़ाई सब अस्त व्यस्त था , उसे भी रोहन की बात सही लगी और वह काम में अलग गयी।
कानपूर , उत्तर-प्रदेश
शाम के समय सोनू भैया घर चले गए गोलू अकेले ही हॉस्पिटल में ICU के बाहर बैठा था। तीन दिन से गोलू घर नहीं गया था , जिस दिन गुड्डू का एक्सीडेंट हुआ उस दिन गोलू नवीन की बहन की शादी के अरेजमेंट में था। उसे किसी ने गुड्डू के बारे में बताया तक नहीं
शादी के अगले दिन जब गोलू ने गुड्डू का फोन मिलाया तो बंद आया , शगुन को फोन किया तो किसी ने उठाया नहीं उसके कुछ देर बाद गोलू को मिश्रा जी का फोन आया और उसे गुड्डू के बारे में पता चला। बाहर बेंच पर बैठा गोलू इन्ही सब बातो के बारे में सोच रहा था की अंदर से नर्स आयी और गोलू को अंदर बुलाया। गोलू अंदर आया तो नर्स ने उसे एक हॉस्पिटल का गाउन देकर कहा,”आज मेल स्टाफ छुट्टी पर है भैया , आप इनके कपडे चेंज कर देंगे ?”
“हम्म्म हां कर देंगे”,गोलू ने खोये हुए स्वर में कहा।
नर्स गुड्डू के बेड के सामने पर्दा लगाकर दूसरी और चली गयी। गोलू गुड्डू के पास आया गुड्डू बेहोश था , गुड्डू का चेहरा देखते हुए गोलू को गुड्डू का डाटना , प्यार से उसे छिड़कना , उसके कंधो पर हाथ रखना , बाइक पर उसकी कमर पकड़ कर बैठना सब याद आ रहा था। गोलू ने गुड्डू के कपडे बहुत ही सावधानी से
बदले और जब जाने लगा तो गुड्डू ने उसका हाथ पकड़ लिया और मुश्किल से कहा,”गोलू”
गोलू ने जल्दी से पलटकर गुड्डू की और देखा , गुड्डू को होश आ गया था लेकिन बोलने में अभी भी तकलीफ हो रही थी। गोलू गुड्डू के पास आया और उसके हाथ को अपने दोनों हाथो में थामकर कहने लगा,”गुड्डू भैया तुमहू ठीक हो , कुछो नहीं हुआ है तुमको,,,,,,,,,,,,,,,,,हम बहुते खुश है की तुमहू होश में आ गए”
“गोलू,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने मुश्किल से कहा
“हां भैया बोलो हम यही है तुम्हाये पास”,गोलू ने गुड्डू के हाथ को और मजबूती से पकड़ लिया।
“घर जाना है,,,,,,,,,,,!!”,बोलते हुए गुड्डू को तकलीफ हो रही थी जैसे जैसे वह होश में आ रहा था उसे दर्द का अहसास हो रहा था।
“घर,,,,,,,,,,घर चलेंगे ना भैया बस तुमहू अच्छे से ठीक हो जाओ उसके बाद चलेंगे”,गोलू ने कहा इतने में नर्स वहा आयी और गोलू के हाथ से गुड्डू का हाथ छुड़ाते हुए कहा,”ये क्या कर रहे है आप ? इनके हाथ में ड्रिप लगी है और इन्हे अभी अभी होश आया है इनका ज्यादा बात करना ठीक नहीं है , आप उठिये बाहर चलिए”
गोलू उठा तो गुड्डू बड़बड़ाया,”हमे घर जाना है गोलू,,,,,,,,,,,,,,,,,हमे घर” कहते हुए वह वापस बेहोश हो गया और उसकी आँखे मूंद गयी। गोलू ICU से बाहर चला आया लेकिन खुश था गुड्डू धीरे धीरे होश में आ रहा था। गोलू ने मिश्रा जी को फोन लगाया और गुड्डू के बारे में बताया तो उन्होंने ख़ुशी से कहा,”गुड्डू ने तुमसे बात की गोलू इह तो बहुते अच्छी बात है , हमहू अभी आते है”
“चचा सुनो”,गोलू ने कहा
“हां गोलू कहो का कहना है”,मिश्रा जी ने कहा
“हमाये लिए थोड़ा खाने को ले आईयेगा घर से हॉस्पिटल का खाना खा खाकर हम बीमार जैसा महसूस करने लगे है”,गोलू ने डरते डरते कहा
“अरे हां गोलू हम ले आएंगे”,कहते हुए मिश्रा जी ने फोन काट दिया।
बेंच पर बैठे बैठे गोलू थक गया इसलिए वही गैलरी में टहलने लगा। तीन दिन पहले उसका जो फोन बंद हुआ था अब तक बंद ही था बेचारी पिंकी उस शाम अपने मां के घर लखनऊ आयी थी उसने कितने ही फोन किये लेकिन गोलू का फोन बंद। पिंकी को ना गुड्डू शगुन के एक्सीडेंट के बारे में पता था ना गोलू की खबर , उदास सी वह लखनऊ में दिनभर अपनी कजिन सुमन के कमरे में बैठी रहती। शर्मा जी ने पिंकी को लखनऊ इसलिए भेजा था ताकि उनका साला (पिंकी का मामा) उसके लिए लड़का देखे और उसे पिंकी से मिलवा दे क्योकि कानपूर में कुछ लोगो के जरिये शर्मा जी के कानो तक ये बात पहुँच चुकी थी की पिंकी गोलू की संगत में है और गोलू को शर्मा जी जरा भी पसंद नहीं करते थे। मिश्रा जी रात में गोलू के लिए खाना लेकर पहुंचे , गोलू ने खाना खाया डॉक्टर के राउंड के बाद मिश्रा जी को गुड्डू से मिलने दिया लेकिन उस वक्त भी गुड्डू सो रहा था , मिश्रा जी उसे देखकर बाहर चले आये। सोनू भैया ने वहा के स्टाफ से बात करके ICU के बगल वाला कमरा ले लिया और मिश्रा जी गोलू को उसमे सोने की जगह मिल गयी। देर रात मिश्रा जी जाग रहे थे लेकिन गोलू सो गया। मिश्रा जी की नजर गोलू पर पड़ी वह प्यार से उसे देखने लगे और सोचने लगे। गुड्डू के कई दोस्त थे लेकिन सिर्फ अकेला गोलू था जो दिन रात यहाँ था। मिश्रा जी ने हमेशा गोलू को नकारा निकम्मा एक रिश्ते में गोलू परफेक्ट निकला वो थी उसकी और गुड्डू की दोस्ती। मिश्रा जी उठकर गोलू के पास आये और नीचे पड़ी चददर उठायी और गोलू को ओढ़ाकर उसके सर पर प्यार से हाथ फेरकर बाहर चले आये। सुबह के 4 बज रहे थे और मिश्रा जी ICU के बाहर वाली बेंच पर बैठे थे उन्होंने अपने दोनों हाथो की उंगलियों को आपस में फंसाकर मुट्ठी को अपने मुंह पर लगाया हुआ था और सोच में डूबे हुए थे।
गोलू नींद से जगा देखा मिश्रा जी कमरे में नहीं है तो आँखे मसलता हुआ दरवाजे पर आया और मिश्रा जी को देखा। मिश्रा जी से भले गोलू कितना भी चिढ़ता हो , मिश्रा जी उसे कितना भी डांटे , मारे पीटे , ताने दे लेकिन इस वक्त गोलू को मिश्रा जी बहुत ही मजबूर दिखाई दे रहे थे। उनकी आँखों में गुड्डू के लिए प्यार और परवाह दोनों नजर आ रहे थे
उनके उतरे हुए चेहरे की और देखकर गोलू ने मन ही मन कहा,”गुड्डू भैया को आपसे ज्यादा प्यार कोई नहीं कर सकता है चचा , तुमहू हो उसके बेस्ट फादर”
क्रमश – मनमर्जियाँ – S3
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संजना किरोड़ीवाल
superb part….lovely feelings n care for each other
Itna chota part kyun
Pata nahi par aisa lag raha hai ki guddu ki yadadht chali gai hai..usse sirf shaadi ke phle wala hi yaad hai..isliye usne golu ka hi naam liya ..he bhagwan…pls sanjana ji vo shagun ko na bhule
मैम आज तो सब दोस्तों की परवाह दिख रहीं थीं…पारस हो या रोहन प्रीति या फिर गोलू…और मिश्रा जी की गोलू के प्रति सोच और परवाह देखकर तो मन थोड़ा इमोशनल हो गया था…वैसे मैम यहां आपने बताया बनारस में अच्छा इलाज नहीं होता…लेकिन यूपी में कोई क्रिटिकल केस होने पर डाक्टर पीजीआई लखनऊ या बीएचयू बनारस ही रेफर करते हैं.😊 superb part👌👌👌👌👌
Very beautiful
सुकून मिला जान कर की दोनों अलग नही हुए है जल्दी ही साथ होंगे
nice part..
Nice
संजना जी जल्दी सब किसी को थोड़ा सा ठीक कर दो…जितना दुख शगुन के लिए है…उससे कही ज्यादा दुख गुड्डू के लिए हो रही है…हम मिस कर रहे है गोलू-गुड्डू और शगुन को संजना जी😭😭😭
Apne rulane ka kam bhut ache se sikha hh😒😒😒 sch ye dil k rishte hi hote hh jo mushkil waqt me sath de k unse bhar nikal laate hh… They are blessings in our life🥰🥰🥰🥰
तो अब कुछ मामला समझ में आया, बड़ा मुश्किल वक़्त है , अरे संजना जी , हंसी के शगुफे छोड़ती थी आप, कहां रुला रहीं हैं।
बहुत ही शानदार।
Guddu ne hosh m ane par shagun k bare m nahi pucha shayad kuch memory loss hua hai next part ka intezar rahega mam,
Nice part mem…. Bt esa kyu lg rha h ki guddu ki memory loss ho gyi h usne golu se 1 baar bhi Shagun ke liye nhi pucha
Shayad guddu ki memory loss hui hai….guddu shagun ko bhul gaya…..
Sab kuch jaldi thik ho jaye feeling very sad
Rone ka Mann kr ra hai 😢😢😢😢😢😭😭😭
Ye part padhkar thoda acha feel hua h jldi hi mahadev sab thik kr denge
Aj ka part dosti k naam
Nice
Very sad part. Shagun or guddu k sath bahut bura hua. Jaldi jaldi likho mam. Wait nhi hota.
So super yrr or ab meri nnd bhi ud gayi hain…
Nice
Nice part but dono ko milna chayie