मनमर्जियाँ – S16
Manmarjiyan – S16
मनमर्जियाँ – S16
शगुन ने गुड्डू के नाश्ते से अपना नाश्ता बदल लिया और खाने लगी। गुड्डू के ये पल जाने पहचाने लगे। वह कुछ देर शगुन को देखता रहा और फिर पराठे खाने लगा। शगुन ने गुड्डू के लिए नाश्ता खाया , गुड्डू ने भी दोनों पराठे खा लिए। खाली प्लेट देखकर शगुन ने पूछा,”और चाहिए ?”
“नहीं इतना बहुत है”,गुड्डू ने कहा और प्लेट शगुन की और बढ़ा दी। शगुन खाली प्लेट लेकर जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”सुनिए”
गुड्डू का “सुनिए” कहना शगुन के दिल को छू जाता था वह पलटी और कहा,”जी कहिये”
“ओह हमहु कह रहे थे की थैंक्यू और अम्मा को जे बात नहीं बताना”,गुड्डू ने कहा
“उन्हें बताना होता तो मैं आपको खाने के लिए नहीं देती , जानती हूँ इतने दिन से फीका खाना खा खाकर बोर हो गए है आप इसलिए खाने को दिया”,शगुन ने कहा और चली गयी
शगुन को जाता देखकर गुड्डू ने मन ही मन कहा,”जे लड़की हमायी हर बात का इतना लंबा चौड़ा जवाब काहे देती है”
गुड्डू सोफे पर बैठा सोच में डूबा हुआ था की मिश्राइन आयी और कहा,”नाश्ता हो गवा गुड्डू ?”
“हां अम्मा खा लिए”,गुड्डू ने कहा
“ठीक है फिर जे दवा ले लो”,मिश्राइन ने दवा निकालकर गुड्डू को खिलाते हुए कहा। दवा कड़वी थी जिस से गुड्डू का मुंह बन गया। दवा खिलाकर मिश्राइन वहा से चली गयी और गुड्डू वही सोफे पर बैठा ऊँघने लगा। उसने देखा उसका फोन कई दिनों से उसके पास नहीं है उसने मिश्राइन को आवाज लगाई और बुलाकर कहा,”अम्मा हमाओ फोन कहा है ?”
“तुम्हाये फोन का हमे का पता गुड्डू , शाम में गोलू आये तो उस से पूछ लेना का पता उसके पास हो”,मिश्राइन ने कहा और चली गयी। मिश्राइन अपने काम में लगी हुई थी और गोलू अकेले बैठे बैठे बोर हो रहा था। उसने टीवी चलाना चाहा लेकिन वो सोफे पर था पर टीवी दूर था। उसने वही घूमती शगुन को देखा और मन ही मन कहा,”इनको कहु या कहु,,,,,,,,,,,,,,,,एक काम करता हूँ कह ही देता हूँ”
“शशशशश शशशश”,गुड्डू ने इस बार सुनिए नहीं कहा
शगुन ने सूना तो गुड्डू की और देखकर इशारो में पूछा,”कौन मैं ?”
गुड्डू ने हाँ में गर्दन हिला दी तो शगुन उसकी और चली आयी और कहा,”कहिये”
“टीवी चला दोगी हमाये लिए ?”,गुड्डू ने कहा
शगुन ने जाकर टीवी ऑन कर दिया और जाने लगी तो गुड्डू ने फिर कहा,”शशशशश शशशशश”
शगुन को इस बार गुस्सा आया की गुड्डू उसे इस तरह इशारे करके क्यों बुला रहा है ? उसने अपने गुस्से को मन में ही रखा और गुड्डू के पास आकर कहा,”अब क्या है ?”
“रिमोट चाहिए , चैनल चेंज करना है”,गुड्डू ने कहा तो शगुन ने गुड्डू को देखा और फिर उसके सामने टेबल पर रिमोट को देखा , जिस तक गुड्डू का हाथ आसानी से पहुंच सकता था लेकिन शगुन को परेशान करने के लिए उसने जान बुझकर कहा। शगुन ने रिमोट उठाया और गुड्डू को दे कर जाने लगी तो गुड्डू ने फिर कहा,”शशशशशश शशशश”
“अब क्या है ?”,शगुन ने गुड्डू के इस श्श्श श्शश से परेशान होकर कहा
“थैंक्यू,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने शगुन को देखकर कहा और फिर सामने देखते हुए चैनल चेंज करने लगा। शगुन कुछ देर वही खड़ी गुड्डू को देखती रही फिर वहा से चली गयी। गुड्डू मस्त बैठकर टीवी देखने लगा।
बनारस , उत्तर-प्रदेश
प्रीति घर का काम निपटाकर अपना टिफिन लेकर ऑफिस के लिए निकली। घर के गेट से बाहर आयी तो रोहन अपनी बाइक के पास खड़ा मिल गया वह शायद प्रीति का ही इंतजार कर रहा था। प्रीति ने उसकी और देखा तो पाया की रोहन आसभरी नजरो से उसे ही देख रहा है शायद रोहन चाहता था की प्रीति उसके साथ बाइक पर बैठे लेकिन उसकी कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी। प्रीति रोहन को देखकर आगे बढ़ गयी तो रोहन ने हिम्मत करके कहा,”प्रीति,,,,,,!!”
“हां,,,,,,,,!!”,प्रीति ने पलटकर कहा
“ऑफिस जा रही हो ?”,रोहन ने पूछा
“हाँ,,,,,!!”,प्रीति ने कहा
“मैं भी उसी तरफ जा रहा हूँ,,,,,,,,,,,,,,,!!”,रोहन ने आधी ही बात कही थी की प्रीति चलकर उसके पास आयी और कहा,”और तुम चाहते हो मैं तुम्हारे साथ तुम्हारी बाइक पर चलू”
“नहीं,,,,,,,,,,,,,,,मेरा मतलब हां”,रोहन ने घबराकर कहा
“रोहन मैं तुम्हारे साथ बाइक पर नहीं बैठ सकती , ये मेरा मोहल्ला है और किसी ने मुझे तुम्हारे साथ देखा तो गलत समझेंगे , मैं रिक्शा से चली जाउंगी तुम जाओ”,कहकर प्रीति आगे बढ़ गयी। बेचारा रोहन जितना आसान समझ रहा था सब उतना आसान नहीं था। प्रीति चली गयी रोड पर आकर उसने सामने से आता रिक्शा रुकवाया और उसमे बैठ गयी , जैसे ही प्रीति ने रिक्शा वाले को चलने को कहा रोहन ने आकर रिक्शा रोक दिया और बैठते हुए कहा,”अब चलिए”
प्रीति ने हैरानी से अपने बगल में बैठे रोहन को देखा तो उसने कहा,”तुम मेरे साथ बाइक पर बैठ सकती पर मैं तुम्हारे साथ रिक्शा में बैठ सकता हूँ और इस से तुम्हारे मोहल्ले वाले तुम्हे गलत भी नहीं समझेंगे , ठीक है”
रोहन की इस बात पर प्रीति मुस्कुरा उठी और रिक्शा वाले से कहा,”चलिए भैया”
रोहन और प्रीति एक ही ऑफिस में काम करते थे लेकिन दोनों का अलग अलग काम था। प्रीति जहा ऑफिस में एंट्री ऑपरेटर थी वही रोहन ऑफिस के बाहर के काम ज्यादा देखता था। दोनों में बहुत कम बाते होती थी लेकिन एक रिश्ता बन चुका था दोनों के बीच जिस से दोनों अनजान नहीं थे। ऑटो ने बैठी प्रीति ख़ामोशी से आस पास से गुजरते लोगो को और बाइक , रिक्शा को देख रही थी। बनारस की सड़को पर घूमना भी अपने आप में एक अलग ही अहसास था लेकिन प्रीति को हमेशा से भी भीड़ भाड़ वाली जगह पसंद नहीं थी। रोहन प्रीति को देख रहा था उसका पतला , गोरा चेहरा जिस पर खुले बालो की लटे झूल रही थी। रोहन की नजरे प्रीति के चेहरे पर जम सी गयी और वह खोया हुआ सा उसके चेहरे को देखता रहा। जिस प्रीति से पहली मुलाकात में और उसके बाद की कुछ मुलाकातों में सिर्फ बहस हुई थी वही प्रीति आज रोहन को अच्छी लगने लगी थी। प्रेम का अंकुर उसके भी मन में फुट चुका था।
कानपूर , उत्तर-प्रदेश
गोलू की बातो का शर्मा जी पर कुछ यु असर हुआ की उन्होंने शुक्ला जी को पिंकी और उनके बेटे के लिए मना कर दिया। जब शुक्ला जी और उनका लड़का पिंकी को देखने उनके घर आये तब शर्मा जी ने बड़े ही सहज भाव से कहा की वे अभी पिंकी का रिश्ता करना नहीं चाहते है। शुक्ला जी अपने बेटे के साथ वहा से चले गए जब पिंकी ने देखा उसके पापा ने खुद रिश्ता कैंसल कर दिया है तो वह ख़ुशी से झूम उठी। उसे देखकर शर्मा जी ने कहा,”ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है , सिर्फ रिश्ता केंसिल किया है गोलू से तुम्हारी शादी होगी ये मत सोचना”
कहकर शर्मा जी चले गए , पिंकी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा वह तो बस खुश थी की गोलू के लिए अपने पापा को मना लेगी। पिंकी किचन में आयी और अपने लिए मेग्गी बनाने लगी , उसके पीछे पीछे उसकी मम्मी आयी और कहा,”तो का सोचा है तुमने ?”
“किस बारे में ?”,पिंकी ने पतीले में पानी डालते हुए कहा
“गोलू के बारे में ?”,पिंकी की मम्मी ने कहा
गोलू का नाम सुनकर पिंकी उनकी और पलटी तो उन्होंने कहा,”देखो पिंकी हमे तो गोलू बहुत पसंद है , कल जो उसने किया उसके बाद तो हमारा फेवरेट बन चुका है वो लड़का अब तुम बताओ तुम का चाहती हो ?”
“मम्मी गोलू हमारी कास्ट का नहीं है और उसके लिए पापा कभी नहीं मानेंगे , पापा नहीं माने तो गोलू कभी हमसे शादी करने को तैयार नहीं होगा”,पिंकी ने उदास होकर कहा तो उसकी मम्मी उसके पास आयी और कहने लगी,”जे जात पात का चक्कर ना हमारे जमाने की बाते है पिंकी , अगर तुम और गोलू एक दूसरे को पसंद हो तो सादी कर लेनी चाहिए , शर्मा जी का है एक दिन वो भी मान जायेंगे”
“ये आप क्या कर रही है मम्मी ?”,पिंकी ने हैरानी से कहा
“अगर हमने थोड़ी हिम्मत की होती ना पिंकी तो आज तुम पिंकी शर्मा नहीं पिंकी यादव होती , लेकिन हमारे माँ बाप ने हमारी नहीं सुनी और कास्ट के नाम पर ब्याह दिया तुम्हारे पिताजी के साथ लेकिन तुम्हारे साथ हम ये नहीं होने देंगे , तुम्हारी शादी गोलू से ही होगी ये हमारा वादा है”,पिंकी के मम्मी ने कहा तो पिंकी उनके गले आ लगी और कहा,”ओह्ह मम्मी थैंक्यू सो मच , आप दुनिया की सबसे अच्छी मम्मी है”
पिंकी की मम्मी मुस्कुरा उठी तो पिंकी ने उनसे दूर होकर शरारत से कहा,”वैसे आपके वो यादव जी पापा से भी ज्यादा स्मार्ट थे क्या ?”
“माँ से बकैती करती है रुक अभी बताती हूँ तुझे”,कहते हुए पिंकी की मम्मी उसके पीछे भागने लगी और पिंकी आगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
उसी शाम वेदी किसी काम से वंदना आंटी के घर आयी। वंदना को ढूंढते ढूंढते वह सीधा गेस्ट रूम में चली आयी जहा दीपक अपना बैग पैक कर रहा था। उसे देखकर वेदी ने कहा,”तुम कही जा रहे हो ?”
“हाँ अपने घर जौनपुर”,दीपक ने बिना वेदी की और देखे कहा वेदी को सुनकर अच्छा नहीं लगा तो उसने कहा,”लेकिन इतनी जल्दी , थोड़े दिन और रुक जाते,,,,,,,,,,,,,हमारा मतलब अभी तो तुम्हारी क्लासेज चल रही होगी ना”
दीपक ने बैग छोड़ा और उठते हुए कहा,”पापा की तबियत खराब है तो अर्जेंट में बुलाया है , वंदना भुआ भी साथ जा रही है”
“क्या हुआ तुम्हारे पापा को ?”,वेदी ने परेशान होते हुए पूछा
“उन्हें दिल का दौरा पड़ा है , अस्पताल में भर्ती है”,दीपक ने मायूस होकर कहा
“ये तो बहुत बुरा हुआ , तुम चिंता मत करो वो ठीक हो जायेंगे”,वेदी ने मासूमियत कहा तो दीपक उसके चेहरे की और देखने लगा। वेदी की आँखों में उसे अपने लिए परवाह नजर आ रही थी। वह वेदी से बात कर पाता इस से पहले ही वंदना वहा आयी और कहा,”अरे वेदी अच्छा हुआ तुम आ गयी , वो मैंने खाने का सामान निकाला है वो तुम अपने घर में ले जाना ,, मैं दीपक के साथ जौनपुर जा रही हूँ आने में एक दो दिन लग जायेंगे , बच्चे भी साथ जा रहे है”
“ठीक है आंटी हम ले जायेंगे”,वेदी ने कहा
वंदना ने जल्दी से दीपक को अपना बैग पैक करने को कहा और फिर वेदी को भी सामान देकर भेज दिया। वेदी को दीपक का यु जाना अच्छा नहीं लग रहा था। उदास मन से वह घर चली आयी। वंदना के पति गाड़ी लेकर आ चुके थे। वंदना दीपक और बच्चे आकर गाड़ी में बैठ गए। गाड़ी मिश्रा जी के घर के सामने से गुजरी। दीपक ने देखा वेदी दरवाजे पर ही खड़ी थी , दीपक ने उदास नजरो से उसे देखा , गाड़ी आगे बढ़ गयी और दीपक वेदी की आँखों से ओझल हो गया। वेदी अंदर चली आयी और ऊपर चली गयी।
रात के खाने के समय गुड्डू ने दलिया खाने से मना कर दिया और कहा,”हमहू नहीं खाएंगे जे”
“कहो तो शाही पनीर मंगवा दे तुम्हाये लिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,खाने में 100 नखरे है इनके डाक्टर ने कहा जब तक टांके नहीं खुलेंगे जे ही खाना है , ज्यादा तीखा नहीं खाना है समझे”,पास बैठे मिश्रा जी ने कहा जिनकी थाली में अच्छा खाना परोसा हुआ था
गुड्डू ने मुंह बना लिया तो शगुन ने पास आकर धीरे से कहा,”चुपचाप खा लीजिए वरना मैं इन्हे बता दूंगी की आपने सुबह भी पराठे खाये है , उसके बाद आपका क्या हाल होगा आप खुद सोच लेना ?”
गुड्डू को शगुन से ये उम्मीद नहीं थी उसने खा जाने वाली नजरो से शगुन की तरफ देखा तो शगुन ने खाने का इशारा किया। बेचारा गुड्डू बेमन से खाने लगा। खाना खाने के बाद गुड्डू वेदी के सहारे कमरे में चला आया मन ही मन वह शगुन के लिए प्लान बना रहा था। जब सब घरवाले सो गए तो उसने देखा शगुन आंगन में घूम रही है। दरअसल शगुन नीचे वेदी के लिए पानी लेने आयी थी। गुड्डू ने जैसे ही देखा टेबल पर रखा पानी का ग्लास उठाया और उसे फर्श पर डालते हुए कहा,”अब आएगा मजा बहुते शौक है आपको टाँग अड़ाने का हमहू टाँग ही तोड़ देंगे”
गुड्डू ने देखा शगुन किचन से निकल कर जा रही थी तो वह जानबुझकर चिल्लाया,”आये अम्मा बहुत दर्द हो रहा है हमको,,,,,,,,,,,,आये कोई तो आओ”
शगुन ने गुड्डू की आवाज सुनी तो पानी का जग टेबल पर रखा और दौड़कर गुड्डू के कमरे में आयी। शगुन को देखकर गुड्डू ने जानबूझकर अपने पैर पर हाथ
रखा और कहने लगा,”हाय अम्मा मर गए”
शगुन ने नहीं देखा नीचे पानी गिरा हुआ है वह जैसे ही गुड्डू की और आयी उसका पैर फिसला लेकिन इसे शगुन की अच्छी किस्मत कहे या गुड्डू की बुरी किस्मत , फिसलकर शगुन गुड्डू के सीने पर आ गिरी , गुड्डू का वो हाथ जिस पर प्लास्टर बंधा था साइड में था वरना उसकी तो आज खैर नहीं थी। जैसे ही शगुन और गुड्डू की नजर मिली दोनों एक दूसरे की आँखों में देखने लगे
बैकग्राउंड म्यूजिक -:
आती है बहारे फूल खिलते है
इश्क़ में जब दो दिल मिलते है
ख़्वाब आँखों में कई पलते है
इश्क़ में जब दो दिल मिलते है
बेचैनिया , बेताबियाँ , है इश्क़ में गुस्ताखियाँ
दिल अब किसी की सुने ना
मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ ,,,, कैसी ये मर्जियाँ ?
मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ ,,,, कैसी ये मर्जियाँ ?
क्रमश – मनमर्जियाँ – S17
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संजना किरोड़ीवाल
मैम ये गुड्डू जितनी उल्टी सीधी हरकतें करेगा शगुन के साथ…और करीब आयेगा उसके पास…और ये पढ़ने में और मजा आयेगा हम सबको😊 superb part👌👌👌👌👌
nice part..
😂😂😂😂😂 guddu to shetan ho gyaa
Nice part….🙏🙏🙏🙏
Guddu ki nadaani ne dono ko kareeb la rhi h… Bahot badhiya guddu mishra
Nice
Very beautiful
Guddu to bada badmash nikla shagun ki hi tang(leg) todna chahta hai ek to vo vaise hi pareshan h guddu k help kar rahi hai or y mahashay h ki use hi pareshan kar rahe h
Bhut hi pyaara part tha
Loving it ❤️❤️🥰❤️❤️🥰❤️❤️🥰🥰
He guddu to pahle wale guddu s bhi Jada saitan h superb part 💗