Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – S14

Manmarjiyan – S14

Manmarjiyan S2 - 14

Manmarjiyan – S14

शगुन को अपने घर में देखकर गुड्डू को थोड़ा अजीब लगा , उसे शक हुआ तो उसने वेदी और गोलू से शगुन का नाम पूछा पर उन दोनों बेवकुफो ने गुड्डू को झूठ बोला वो भी अलग अलग जिस से गुड्डू का शक यकीन में बदल गया। दोनों गलत जवाब देकर गायब हो गए। गुड्डू बैठा बैठा याद करने की कोशिश भी कर रहा था लेकिन उसे कुछ याद नहीं आया।
“पानी,,,,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने गुड्डू के सामने ग्लास करते हुए कहा
गुड्डू ने देखा सामने शगुन खड़ी है तो उस से पानी लिया और पीकर ग्लास रखते हुए कहा,”तुम्हारा नाम का है ?”
“शगुन , शगुन गुप्ता”,शगुन ने बिना किसी लाग लपेट के कहा
गुड्डू सोचने लगा इस नाम की किसी भी लड़की को वो नहीं नहीं जानता था , गुड्डू ने दिमाग पर थोड़ा जोर लगाया तो उसे अचानक से दर्द होने लगा और उसने अपना हाथ सर से लगा लिया। दर्द उसके चेहरे से साफ झलक रहा था। शगुन जैसे ही उसे सम्हालने उसकी और बढ़ी गुड्डू ने हाथ आगे कर उसे रोकते हुए कहा,”हम हम ठीक है”
शगुन ने जब देखा की गुड्डू ने उसे छूने से भी रोक दिया है तो उसे बहुत दुःख हुआ , लेकिन इस वक्त गुड्डू की मज़बूरी वह समझ सकती थी। शगुन वहा से चली गयी। कुछ देर बाद मिश्राइन गुड्डू के लिए नमकीन खिचड़ी ले आयी और उसके पास बैठकर अपने हाथो से खिलाने लगी। गुड्डू ने थोड़ा सा खाया दवा ली और फिर कहा,”हमे सोना है अम्मा , हमे ना हमाये कमरे में जाना है”
“जब तक पैर में प्लास्टर है तुमहू नीचे वाले कमरे में ही रहोगे , वैसे भी तुम्हारा कमरा हमने हमाये मेहमान को दे रखा है”,मिश्रा जी ने गुड्डू की और आते हुए कहा। गुड्डू ने सूना तो पहले मिश्रा जी को देखा और फिर शगुन को , बेचारे का कमरा जो छीन लिया था उसने पर अपने पिताजी के सामने कुछ कहने की हिम्मत गुड्डू में आज भी नहीं थी। मिश्रा जी आकर गुड्डू के सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गए और मिश्राइन से कहने लगे,”हमहू सोच रहे थे की शोरूम जाकर काम देख ले , इतने दिन से गए नहीं है आर्डर भी सारे पेंडिंग में पड़े है”
“हां आप नहा लीजिये हमहू खाना बनवा देते है”,मिश्राइन ने उठते हुए कहा।
“मिश्राइन हमहू नाश्ता ही करेंगे खाना शोरूम भिजवा दीजियेगा”,मिश्रा जी ने भी उठते हुए कहा और अपने कमरे की और चले गए। गोलू और वेदी गुड्डू से बचकर किचन की और चले आये तब तक शगुन भी वहा आ गयी तो वेदी ने कहा,”का गोलू भैया हमाये से अलग नाम बताने की का जरूरत थी गुड्डू भैया को , पकडे जाते तो ?”
“अरे हमे का पता तुमहू कुछो और कहोगी और हम कुछो और ,, जे गुड्डू भैया के सामने ना सोच समझ के बात करनी होगी अब हम लोगो को”,गोलू ने कहा
“आप दोनों ही पागल है क्या जरूरत थी उनके सामने मेरा गलत नाम बताने की ? ऐसे ऊटपटांग झूठ बोलोगे तो उनको शक होगा ही न”,शगुन ने दोनों को डांट लगाते हुए कहा
“अरे भाभी हमायी गलती नहीं है जे है न वेदी इसने गड़बड़ कर दी”,गोलू ने वेदी के सर पर चपत लगाते हुए कहा
“अच्छा अच्छा ठीक आप दोनों झगड़ा मत करो , बस ध्यान रखना गुड्डू जी के सामने ऐसी कोई बात नहीं करनी है जिस से उन्हें शक हो। पहले वो पूरी तरह ठीक हो जाये उसके बाद कोशिश करेंगे उन्हें सब याद दिलाने की”,शगुन ने कहा तो गुड्डू और वेदी दोनों ने हामी भर दी। गोलू कुछ देर रुका और फिर वहा से चला गया। मिश्रा जी का सहारा लेकर गुड्डू वेदी के कमरे में चला आया , आज से ये कमरा उसका था। वेदी को भी कोई ऐतराज नहीं था उलटा वह तो खुश थी की उसे शगुन के साथ रहने का मौका मिलेगा। वेदी गुड्डू के पास चली आयी और बैठकर बाते करने लगी। शगुन ने मिश्रा जी के लिये दो पराठे और रायता बना दिया। नहाकर नाश्ता करने के बाद मिश्रा जी अपने शोरूम के लिए निकल गए। गुड्डू भी थक चुका था इसलिए वह वेदी से बात करते करते ही सो गया।मिश्रा जी के घर में शगुन हमेशा साड़ी पहनती थी लेकिन अब गुड्डू से सच छुपाने के लिए उसे एक कंवारी लड़की की तरह पेश आना पड़ रहा था। अपनी मांग का सिंदूर और गले का मंगलसूत्रा भी उसने छुपा रखा था। गुड्डू सो रहा था शगन जब वेदी के कमरे के सामने से गुजरी तो उसकी नजर सोये हुए गुड्डू पर चली गयी। शगुन के कदम खुद ब खुद गुड्डू की और बढ़ गए वह कमरे में आयी और बड़े प्यार से गुड्डू को देखने लगी। शगुन इतने में ही खुश थी की कम से से कम गुड्डू उसकी आँखों के सामने तो है। बेपरवाह सा गुड्डू सो रहा था , गर्मी की वजह से उसके माथे पर पसीने की बुँदे उभर आयी थी जबकि पंखा चल रहा था। शगुन ने देखा कमरे की खिड़किया खुली हुई थी जिस वजह से बाहर की गर्म हवाएं कमरे में आ रही थी और कमरा गर्म हो चुका था। शगुन ने खिड़किया बंद करके परदे लगा दिए , पंखे की स्पीड थोड़ी तेज कर दी और एडजस्ट फेंन चला दिया। गुड्डू के माथे पर आयी पसीने की बूंदो को शगुन ने अपने दुपट्टे से पोछा तो उसे वो पल याद आ गया जब शादी के बाद रौशनी की शादी के वक्त उसने ऐसा किया था , अपनी नयी साड़ी के बारे में ना सोचकर शगुन ने उस से गुड्डू के माथे पर आये पसीने को पोछा। गुड्डू के सर के पास बैठी शगुन प्यार से गुड्डू के चेहरे को देखने लगी
बैकग्राउंड म्यूजिक
नजर उलझी सी है , सांसो का कैसा शोर है
हम है तुमसे जुदा , दिल पर ये तेरी और है
मेंरी आँखों में अब तो दिखते है ख्वाब तेरे
धीरे धीरे से हो रहे है आप मेरे
आये ना इक पल अब सब्र हमे
हो चुका है शायद इश्क़ हमे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, इश्क़ हमे !!
साथिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे संग जीना है मेरा
साथिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे संग मरना है मेरा
शगुन के कानो में एक शांत मीठा सा संगीत गूंजता रहा , गुड्डू के साथ बिताये पल आँखों के सामने आने लगे। होश तब आया जब सामने बैठी लाजो ने कहा
“हाय शगुन भाभी किते प्यार से देख रही तुमहू गुड्डू भैया को”
शगुन ने सूना तो उसकी तंद्रा टूटी और उसने उठते हुए कहा,”अरे लाजो तुम कब आयी ?”
“जब आप गुड्डू भैया के ख्यालो में खोयी थी”,लाजो ने कहा
“श्श्श्श धीरे वो उठ जायेंगे”,शगुन ने कहा तो लाजो ने इशारो में चुप रहने का इशारा किया और फिर फुसफुसाते हुए कहा,”आपको अम्मा बुलाय रही है”
“हम्म्म चलो”,शगुन ने कहा और फिर लाजो के साथ बाहर चली आयी। लाजो मिश्राइन की और चली गयी और शगुन अम्मा के कमरे में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!!

गुड्डू के घर से निकलकर गोलू अपने घर आया उसने किसी से कोई बात नहीं की और सीधा नहाने चला गया। नहाकर आया तो उसकी अम्मा ने कहा,”गोलू आजा नाश्ता लगा दिया है तुम्हायी पसंद की सब्जी बनी रही आज”
“हमे भूख नहीं है”,कहते हुए गोलू ने स्कूटी की चाबी उठायी और वहा से निकल गया , गुप्ताइन उसके चेहरे की उदासी से अनजान नहीं थी। गोलू घर से निकल कर दुकान की और चल पड़ा पिछले कई दिनों से काम सब बंद पड़ा था। गोलू जैसे ही दुकान पहुंचा नवीन (लखनऊ वाला जिसकी बहन की शादी का टेंडर मिला था गोलू और गुड्डू को) मिल गया उसने गोलू के पास आकर कहा,”भाई गोलू तुम्हारा और गुड्डू का कुछ अता पता नहीं है , शादी के बाद तुम दोनों ने तो मतलब शक्ल ही नहीं दिखाई”
“अरे भैया का बताये मतलब इन दिनों जो बवाल मचा है जिंदगी में पूछो मत”,गोलू ने कहा
“क्या हुआ सब ठीक है न ? और गुड्डू कहा है ? ना उसका फोन लगता है ना मेसेज के जवाब दे रहा वो”,नवीन ने पूछा
“आओ अंदर आओ बताते है”,गोलू ने कहा तो नवीन उसके साथ दुकान के अंदर चला आया और सोफे पर आकर बैठ गया। गोलू ने दरवाजे से गर्दन निकालकर बगल वाले को चाय भेजने को कहा। कुछ देर बाद ही लड़का चाय देकर चला गया। गोलू ने नवीन को चाय दी और फिर पीते हुए उसे सब बताने लगा। सारी बातें सुनने के बाद नवीन ने कहा,”ये तो बहुत बुरा हुआ गुड्डू के साथ , अभी कैसा है वो ?”
“अभी ठीक है , घर आ चुके है”,गोलू ने कहा
“ठीक जाते हुए मैं उस से मिलता जाऊंगा”,नवीन ने कहा
“जे ना करना भैया , गुड्डू भैया से अभी मिलना सही नहीं है उनको कुछो याद नहीं है , ना अपना ये काम ना आपकी बहन की शादी”,गोलू ने कहा
”पर हम तो कानपूर इसीलिए आये थे की तुम लोगो को पेमेंट करना था , वैसे भी तुम और गुड्डू साथ ही तो हो तो मैं तुम्हे दे देता हूँ”,कहते हुए नवीन ने अपनी जेब से चैक निकाला और गोलू की और बढ़ा दिया। गोलू ने देखा चेक में 5 लाख का अमाउंट भरा हुआ था।
“नवीन भैया 5 का काहे दिए हो 4.75 ही बाकि था जे 25 एक्स्ट्रा काहे ?”,गोलू ने पूछा
“गोलू सबको तुम्हारा और गुड्डू का काम बहुत पसंद आया , शादी एकदम अच्छे से हुई कोई कमी नहीं , कोई गड़बड़ नहीं इसलिए पापा ने ये 25 अपनी ख़ुशी से दिए है”,नवीन ने कहा। गोलू ने सूना तो उसे बहुत अच्छा लगा लेकिन गुड्डू नहीं था इसलिए मन थोड़ा उदास भी हो गया। नवीन कुछ देर वहा रुका और उसके बाद वहा से चला गया। गोलू ने चेक ड्रॉवर में रख दिया।

बनारस , उत्तर-प्रदेश
प्रीति को रोहन के ऑफिस में ही जॉब मिल चुकी थी। सुबह अपना और अपने पापा का खाना बनाकर , घर के सब काम निपटाकर वह ऑफिस के लिए निकली। तभी गुप्ता जी ने कहा,”प्रीति बेटा”
“हां पापा”,प्रीति ने कहा
गुप्ता जी उसके पास आये और उसे कुछ फूल एक छोटी टोकरी में देकर कहा,”आज तुम्हारी जॉब का पहला दिन है बेटा जाने से पहले पास वाले शिव मंदिर में इन्हे चढ़ाते हुए चली जाना , महादेव सदा तुम्हारे साथ रहेंगे”
“ठीक है पापा , आप अपना ख्याल रखना और मैं टाइम से आ जाजाउंगी”,प्रीति ने कहा और गुप्ता जी को बाय बोलकर चली गयी। गुप्ता जी भी अपने कमरे की और चले गए। घर से निकलते ही प्रीति को याद आया की वह अपना टिफिन तो घर में ही भूल आयी है। वह वापस आयी और किचन के प्लेटफॉर्म पर रखा अपना टिफिन उठाकर बैग में रखा और जल्दी जल्दी में चली आयी। प्रीति जल्दी जल्दी में फूलो की टोकरी सम्हाले चली जा रही थी तभी सामने से आते रोहन से टकरा गयी। हाथ में पकडे फूल ऊपर हवा में उछल गए , प्रीति जैसे ही गिरने को हुई रोहन ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे थाम लिया और गिरने से बचा लिया। हवा में उछले फूल उन दोनों पर आकर गिरने लगे। प्रीति और रोहन एकटक एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे। माहौल में इश्क़ की खुशबु तैर रही थी !

कानपूर , उत्तर प्रदेश
गोलू का दिल टूट चुका था , पिंकी को उसने खो दिया था और ये बात बार बार उसे चुभन का अहसास करवा रही थी। सबके सामने गोलू अभी भी वही पुराना हँसता मुस्कुराता गोलू था लेकिन अंदर ही अंदर वह बहुत दुःख से गुजर रहा था। गोलू अपने काम में लगा था तभी किसी ने उसके सामने काउंटर पर टिफिन लाकर रखा। गोलू ने हैरानी से सामने देखा तो पाया पिंकी खड़ी थी। गोलू को उम्मीद नहीं थी इतना सब होने के बाद पिंकी उस से मिलने आएगी। गोलू को चुप देखकर पिंकी ने कहा,”तुम्हारी अम्मा बता रही थी की खाना खाकर नहीं आये हो तुम , हमारा गुस्सा खाने पर निकालने की जरूरत नहीं है गोलू”
“हमे भूख नहीं थी इसलिए नहीं खाया”,गोलू ने पिंकी से नजरे चुराते हुए कहा
पिंकी ने गोलू को घुरा और कहा,”भूख ना हो तब भी खा लो , वैसे भी अपना प्यार निभा रहे हो और हम अपना , चलते है”
कहकर पिंकी वहा से चली गयी और गोलु उसे जाते हुए देखता रहा !

क्रमश – Manmarjiyan – S15

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संजना किरोड़ीवाल

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