Main Teri Heer – 80
Main Teri Heer – 80

विक्रम के हाथ में सिल्वर ब्रेसलेट देखकर कबीर उलझन में पड़ गया। वह विक्रम के कमरे से निकलकर अपने कमरे में आया और अपने फोन में उस फोटो को देखा जो नीलिमा ने उसे भेजा था। कबीर ने उसे बहुत ध्यान से देखा तो वही ब्रासलेट नजर आया। कबीर ने फोन साइड में रखा और खुद में बड़बड़ाया,”इसका मतलब उस रात डेड वहा आये थे और उन्होंने मेरे जूस में कुछ मिलाया था लेकिन डेड ऐसा क्यों करेंगे ? अगर वो ऐसा करते तो वो हॉस्पिटल क्यों आते ?
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है आखिर ये हो क्या रहा है ? उर्वशी के साथ मिलकर डेड ने माँ को धोखा दिया है वो मेरे साथ भी गलत कर सकते है,,,,,,,,,,,,मुझे नीलिमा से मिलना होगा,,,,,,,,,,,,मैंने उसके साथ बहुत गलत किया , मुझे उस पर भरोसा करना चाहिए था।”
कबीर को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने फोन उठाया और नीलिमा का नंबर डॉयल किया पर नीलिमा ने कबीर का फोन नहीं उठाया। नीलिमा के फोन ना उठाने से कबीर और ज्यादा परेशान हो गया और कहा,”नीलिमा भी मेरा फोन नहीं उठा रही है। अब सिर्फ एक ही आदमी है जो मेरे सवालो का जवाब दे सकता है,,,,,,,,,,,,!!”
कबीर ने विराज चौहान का नंबर डॉयल किया एक दो रिंग जाने के बाद ही विराज ने फोन उठा लिया और कहा,”हैलो ! हाँ कबीर , कैसे फोन किया ?”
“मुझे आपसे मिलना है,,,,,,,,,,!!”,कबीर ने गंभीरता से कहा
“इस वक्त मैं एक जरुरी मीटिंग में हूँ , मैं तुम से कल सुबह मिलता हूँ”,चौहान साहब ने कहा
“मेरा आपसे मिलना आपकी मीटिंग से भी ज्यादा जरुरी है,,,,,,,,,,,,,मैं आपके काम के बारे में सच जान चुका हूँ,,,,,,,,,,,!!”,कबीर ने थोड़ा गुस्से से कहा
चौहान साहब ने सुना तो थोड़ी देर खामोश रहे और फिर कहा,”ठीक है एक घंटे बाद मुझसे बाहर मिलो , एड्रेस में भेज दूंगा”
कबीर आगे कुछ कहता इस से पहले ही उन्होंने फोन काट दिया और कबीर बैठकर चौहान साहब के मैसेज का इंतजार करने लगा।
कुछ देर बाद ही कबीर का फोन बजा , स्क्रीन पर नीलिमा का नंबर देखकर कबीर ने जल्दी से फोन उठाया और कहा,”हेलो ! नीलिमा , नीलिमा मुझे तुमसे मिलना है , मुझे तुम्हे कुछ बताना है नीलिमा,,,,,,,,,,,वो सिल्वर ब्रासलेट वाला इंसान कोई और नहीं बल्कि मेरे डेड है नीलिमा,,,,,,,,,,,,हाँ नीलिमा उस रात उन्होंने मेरी ड्रिंक में ड्रग्स मिलाया था लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा ? नीलिमा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है। मैं तुम से मिलना चाहता हूँ नीलिमा,,,,,,,,,,,,,,प्लीज”
कबीर ने इतना सब कहा लेकिन दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं आयी और फोन कट गया। नीलिमा उस से बहुत ज्यादा नाराज है सोचकर कबीर ने मायूस होकर अपना फोन साइड में रख दिया। कुछ देर बाद फोन पर एक मैसेज आया। कबीर ने मैसेज देखा वह नीलिमा का ही था जिसमे लिखा था
“JD मॉल के पार्किंग में आकर मुझसे मिलो”
कबीर उठा उसने अपना पर्स और फोन जेब में रखा और बाइक की चाबी लेकर निकल गया।
मोहसिन उर्वशी और नीलिमा को अपने साथ लेकर घर चला आया। मोहसिन ने उन दोनों को वहा आराम से रहने को कहा और जैसे ही जाने लगा नीलिमा ने परेशानी भरे स्वर में कहा,”सर ! मेरा फोन नहीं मिल रहा , लगता है वो कबीर के घर पर ही रह गया है”
“मैं फोन करके देखता हूँ,,,,,,,,,,,,अपना नंबर बताना !!”,कहकर मोहसिन ने जेब से फोन निकाला और नीलिमा का नंबर डॉयल किया। रिंग जा रही थी लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया।
“कोई उठा नहीं रहा , मैं उधर ही जा रहा हूँ आते हुए ले आऊंगा,,,,,,,,,,,,!!”,मोहसिन ने कहा और वहा से चला गया।
नीलिमा ने दरवाजा बंद किया और उर्वशी के पास चली आयी। जो कुछ हो रहा वह देखकर उर्वशी रोने लगी। नीलिमा ने देखा तो वह उसके सामने आकर बैठी और कहा,”माँ माँ चुप हो जाईये , सब ठीक हो जाएगा,,,,,,,,,,,,!!”
“कुछ ठीक नहीं होगा नीलिमा , कुछ ठीक नहीं होगा वो लोग हम सबको मार डालेंगे,,,,,,,,,,,,,मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी नीलिमा , मैंने विक्रम पर विश्वास किया और उसका साथ दिया,,,,,,,,,,,!!!”,उर्वशी ने रोते हुए कहा
“इसमें आपकी कोई गलती नहीं है माँ,,,,,,,,,,,,,,उन लोगो ने आपके साथ गलत किया है , आप चिंता मत कीजिये शक्ति सर हमारे साथ है माँ , वो हमे कुछ नहीं होने देंगे,,,,,,,,,,,,!!”,नीलिमा ने कहा
“मुझे बहुत डर लग रहा है नीलिमा , मुझे यहाँ से ले चलो , हम , हम लोग ये शहर छोड़कर चले जायेंगे,,,,,,,,,,,,,बहुत दूर चले जायेंगे,,,,,,,,,,,!!”,उर्वशी ने बदहवास हालत में कहा
“हाँ माँ हम चले जायेंगे , आप परेशान मत होईये हम कल सुबह ही यहाँ से चले जायेंगे,,,,,,,,,,,,,!!”,नीलिमा ने उर्वशी को अपने सीने से लगाकर कहा
गौरी मुन्ना का हाथ थामे उसे डेम किनारे ले आयी और उसे पानी में चलने का इशारा किया।
“गौरी वहा पानी गहरा हो सकता है,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने गौरी को रोकते हुए कहा
“मान आओ ना देखो यहाँ बहुत थोड़ा पानी है , ये जगह बहुत अच्छी है प्लीज आओ ना यहाँ बैठते है,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने इतने प्यार से कहा कि मुन्ना उसे मना नहीं कर पाया और उसके साथ पानी में चला आया।
गौरी और मुन्ना ने अपने जूते चप्पल बाहर ही निकाल दिए थे। गौरी मुन्ना के सामने पत्थर पर बैठी थी और पानी से खेल रही थी।
मुन्ना उसके ठीक सामने पत्थर पर बैठा था और अपने पैरो को पानी में डाल रखा था। मुन्ना को यहाँ बहुत अच्छा लग रहा था वह कुछ पल के लिए डेम की खूबसूरती में खो सा गया। गौरी ने मुन्ना को खोये हुए देखा तो थोड़ा सा पानी लेकर मुन्ना पर उछाल दिया। अचानक पानी गिरने से मुन्ना की तंद्रा टूटी और उसने उठकर गौरी की तरफ बढ़ते हुए कहा,”गौरी की बच्ची तुम्हे तो हम,,,,,,,,!!”
गौरी उठी और जैसे ही भागने को हुई मुन्ना ने पीछे से आकर उसे अपनी बांहो में भर लिया और कसकर पकड़ते हुए कहा,”हम से बचकर कहा भागोगी ?”
“छोडो मुझे मैं गिर जाउंगी,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा लेकिन मुन्ना उसे उठाकर दूसरी तरफ ले आया और छोड़कर पत्थर पर आ बैठा और अपने शर्ट पर गिरे पानी को झटकने लगा। गौरी प्यार से मुन्ना को देखने लगी सूरज ढलने लगा था और सूरज की नारंगी रौशनी में मुन्ना का सांवला रंग और भी आकर्षक लग रहा था। मुन्ना ने गौरी को अपनी ओर देखते पाया तो अपनी भँवे उचकाई , गौरी ने मुस्कुराते हुए ना में गर्दन गर्दन हिला दी।
उसने अपने पैरो को समेटा और जिस पत्थर पर बैठी थी उस पर रख लिया। उसने अपने हाथो को समेटकर घुटनो पर रखा और अपना गाल हाथो पर टीकाकार मुन्ना को देखने लगी।
डूबता सूरज की रौशनी में गौरी का चेहरा चमक रहा था। मुन्ना ने देखा तो अपना फोन निकाला और एक बहुत ही प्यारी सी तस्वीर अपने फोन में क्लिक की। मुन्ना ने देखा गौरी के हाथो में , गले में , कानो में , कुछ न कुछ पहना था लेकिन उसके पैर सूने थे। गौरी के सूने पैरो को देखकर मुन्ना को याद आया। वह बनारस से गौरी के लिए एक तोहफा लेकर आया था जो उसने उसे अभी तक नहीं दिया था। मुन्ना ने अपनी जेब से उसे निकाला और उठकर गौरी के बगल में पड़े पत्थर पर आ बैठा और उसे पैर आगे करने को कहा।
गौरी समझ नहीं पायी मुन्ना करना क्या चाहता है ? उसने अपना पैर मुन्ना की तरफ बढ़ा दिया। मुन्ना ने गुलाबी रंग की पन्नी में लिपटी चाँदी की पायलों को निकाला और अपने हाथो से गौरी के पैरो में पहनाने लगा। ये करते हुए मुन्ना बहुत ही मासूम नजर आ रहा था।
गौरी ने उसकी बलाये ली और अपनी उंगलियों को होंठो से छूकर मुन्ना की तरफ उछाल दिया। एक लड़की के लिए प्यार में इस से खूबसूरत तोहफा भला क्या हो सकता है ? मुन्ना ने गौरी के दोनों पैरों में पायल पहनाई और कहा,”ये हम तुम्हारे लिए बनारस से लेकर आये थे,,,,,,,,,,,,!!”
“ये बहुत सुंदर है , मैं हमेशा इन्हे अपने पैरों में पहनूंगी,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने खुश होकर कहा
मुन्ना उस पत्थर से उठा और गौरी के बगल में उस से सटकर बैठते हुए कहा,”तुम्हे याद है गौरी जब तुम पहली बार बनारस आयी थी और तुमने लॉकल पायल खरीदी थी , हमने तब ही सोच लिया था कि एक दिन हम अपने हाथो से तुम्हारे पैरो में चाँदी की पायल पहनाएंगे,,,,,,,,,,,,,!!”
“और तुम्हे इतना यकीन था कि ये दिन आएगा ?”,गौरी ने मुन्ना की तरफ देखकर पूछा
“सब प्रेम कहानिया ईश्वर के घर में नहीं लिखी जाती गौरी , कुछ यहाँ जमी पर लिखी जाती है हम इंसानो के द्वारा,,,,,,,,हमारी तुम्हारी कहानी भी जमी पर लिखी गयी है हमारे हाथो,,,,,,,,,,,,,,,और इसका साक्षी है हमारा बनारस जिसकी हर गली , हर घाट और हवा तक हमे इस रिश्ते का अहसास करवाती है”,मुन्ना ने गौरी की आँखों में देखते हुए धीमे स्वर में कहा , गौरी तो बस जैसे मुन्ना की आँखों में खोकर रह गयी
सूरज आधे से ज्यादा ढल चुका था। पानी के पास बैठने की वजह से गौरी को हल्की हल्की ठण्ड का अहसास हुआ। उसने गले से अपना दुपट्टा निकाला और उसे अपने चारों और लपेट लिया मुन्ना ने उसके हाथो से दुपट्टा लिया और उसे सर पर रखते हुए कहा,”अहम्म्म्म्म कुछ कमी लग रही है”
“क्या ?”,गौरी ने कहा
“एक मिनिट,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा और अपने कान में पहनी सोने की बाली को निकाला और उसे गौरी के नाक में पहना दिया। नाक की बाली और सर पर दुपट्टे के साथ गौरी और भी प्यारी लग रही थी और इस बार मुन्ना ने गौरी की बलाये ली ये देखकर गौरी शरमाकर दूसरी तरफ देखने लगी। मुन्ना मुस्कुराया तो गौरी ने कहा,”अब भी कोई कमी है क्या मिश्रा जी ?”
मुन्ना को गौरी के मुंह से मिश्रा जी सुनना बहुत अच्छा लगता था उसने हाथ से गौरी को रुकने का इशारा किया और फिर अपने बांये हाथ की हथेली गौरी के सामने खोलकर दूसरे हाथ की उंगलियों से कुछ उठाने का इशारा किया और गौरी की मांग से छू दिया। गौरी का दिल धड़क उठा। अगले ही पल मुन्ना ने दोनों हाथो से कुछ पकड़ने का इशारा किया और गौरी की गर्दन से लगाकर उसे बांधने लगा और फिर गौरी से दूर होकर खुद ही मुस्कुरा उठा।
दरअसल मुन्ना गौरी को उसके नाम का मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र की कमी के बारे में बता रहा था।
गौरी को जब ये समझ आया तो शरमा कर उसने अपना सर मुन्ना के कंधे पर टिका दिया। मुन्ना ने गौरी के हाथ को अपने हाथ में थाम लिया और दोनों ढलते सूरज को देखने लगे।
कबीर नीलिमा से मिलने JD मॉल की पार्किंग में चला आया जो कि नीचे अंडरग्राउंड में थी। पिछले कुछ महीनो से ये मॉल बंद पड़ा था। नीलिमा ने मिलने के लिए ऐसी जगह क्यों बुलाया है कबीर ये समझ नहीं पाया लेकिन उसका नीलिमा से मिलना बहुत जरुरी था। कबीर नीलिमा को ढूंढते हुए अंडरग्राउंड पार्किंग में आया और इधर उधर देखा। धूल से भरी गाड़ियों के अलावा वहा कुछ नहीं था। कबीर ने इधर उधर जाकर नीलिमा को देखा लेकिन नीलिमा वहा नहीं थी।
“नीलिमा , नीलिमा , क्या तुम यहाँ हो ?”,कबीर ने कहा
नीलिमा ने कोई जवाब नहीं दिया तो कबीर को थोड़ा अजीब लगा , उसे महसूस हुआ जैसे वह किसी बड़ी मुसीबत में फंसने वाला है। कबीर ने वहा से निकलना बेहतर समझा और जैसे ही आगे बढ़ा एक जोर का धक्का आकर उसे लगा। कबीर पीछे जा गिरा उसने देखा एक आदमी ने पार्किंग से बाहर जाने वाले रास्ते का शटर गिरा दिया है और दुसरा आदमी हाथ में लकड़ी का मोटा डंडा लिए कबीर की तरफ बढ़ रहा है।
“कौन हो तुम लोग ? और क्या चाहते हो ?”,कबीर ने उठते हुए कहा
दोनों चुपचाप आकर कबीर के सामने खड़े हो गए लेकिन कहा कुछ नहीं तभी कबीर के पीछे खड़े आदमी की आवाज आयी,”तुम्हारा ज़िंदा रहना अब मेरे लिए मुसीबत बन चुका है”
कबीर ने ये आवाज सुनी तो हैरानी से पलटकर पीछे देखा उसका शक सही था ये आवाज उसके अपने पिता विक्रम अरोड़ा की थी जो सिगरेट मुंह में रखे उसके कश ले रहा था
“डेड आप ! आप मुझे मारना चाहते है , मैं आपका बेटा हूँ डेड आप ऐसा कैसे कर सकते है ?”,कबीर ने हैरानी से कहा
“कौनसा तू मेरा सगा बेटा है , तू मेरी सौतेली ओलाद है मैंने तुमसे इन सब से दूर रहने को कहा था लेकिन तुमने मेरी बात नहीं सुनी,,,,,,,,,,,और अब यहाँ अपनी जान गवाने चले आये”,विक्रम ने गुस्से से कहा
“आपको अपना पिता कहते हुए भी मुझे शर्म आ रही है ,, अगर मुझे मारना ही चाहते थे तो फिर उस रात एक्सीडेंट के बाद मुझे बचाया क्यों ? मर जाने देते,,,,,,,,,,,कम से कम आपका ये घिनोना सच मेरे सामने नहीं आता”,कबीर ने नफरत भरे स्वर में कहा
“मैंने नहीं बल्कि उस DCP ने तुम्हे बचाया था वरना मेरे रास्ते का कांटा तो उसी रात निकल जाता,,,,,,,,,,,,,,,जिस धंधे में मैं हूँ उसके दो ही रूल है या तो उसमे शामिल हो जाओ या फिर सच जानने के बाद जिंदगी को अलविदा कह दो,,,,,,,,,,,अगर मैंने तुम्हे छोड़ दिया तो वो लोग मुझे मार देंगे,,,,,,,,,,,,,,खत्म कर दो इसे”,कहते हुए विक्रम वहा से जाने लगा तो कबीर ने चिल्लाकर तेज आवाज में कहा
“मेरे खत्म होने से आपका ये खेल खत्म नहीं हो जाएगा डेड,,,,,,,,,,आप बस इंतजार करना अपनी बारी का,,,,,,,,,!!”
विक्रम ने सिगरेट फेंककर उसे पैर से कुचला और वहा से चला गया।
दोनों आदमी कबीर को बुरी तरह से मारने लगे। कबीर ने सामना किया लेकिन अकेला लड़का कब तक उन लोगो से बचता घायल होकर वह नीचे गिर पड़ा और दर्द से कराहने लगा। उनमे से एक ने जैसे ही डंडा हवा में उठाया और कबीर के सर पर मारने को हुआ अंडरग्राउंड का शटर खुलने की आवाज से उसका हाथ रुक गया और उन दोनों ने शटर की तरफ देखा जहा एक आदमी खड़ा था लेकिन अंधेर की वजह से उन दोनों को उसका चेहरा नहीं दिख पाया। कबीर ने उस तरफ देखा और अगले ही पल बेहोशी की वजह से उसकी आँखे बंद हो गयी
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संजना किरोड़ीवाल


OHH Di aaj jb munna ne gauri ko apni bali pehnai ye pdhkr achank se AKSHAT MEERA ki yaad aa gyi jb AKSHAT ne bhi MEERA ko apni kali wali bali pehnai thi ase hi MEERA ke sar par duppata rkh kr …
Yani kabir ne sahi andaza lagaya…inn sabke k peeche uska baap hai…aur wo bhi soutelya… Vikram Arora…yeh aadmi apne fayde k liye kisi bhi had tak ja sakta hai…jisne apni biwi ko nhi choda dhoka date waqt, wo kisi ka kya saga hoga…khar pta nhi kisne shatar khola hai aur kabir ko bachne aaya hai… umeed hai ki uski jaan bach jaye… waise aaj Munna ka kafi romana andaaz dekhne ko mila…mazza aa gaya Munna-Guri ko padh kar…
Superb ❤️❤️😘❤️🧡❤️
Part ❤️🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡
Kya shakti aa hai ya fir koi aur kon hai waha ❤️❤️❤️❤️
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