Main Teri Heer – 74
Main Teri Heer – 74

DIG सर से बात करने के बाद शक्ति इतना तो जान चूका था कि इन सब में कही न कही DIG सर , इंस्पेक्टर पंकज और विक्रम अरोड़ा भी शामिल है लेकिन इन सबको चलाने वाला कोई एक है जिस तक शक्ति का पहुंचना बहुत जरुरी था। शक्ति ने DIG सर को 48 घंटो का टाइम तो दे दिया लेकिन इन 48 घंटो में वह इन सब का पर्दा फाश कैसे करेगा ? शक्ति पुलिस स्टेशन से बाहर आकर अपनी गाड़ी में बैठा और वहा से निकल गया।
आशिफ मारा जा चुका था , जॉर्डन का कुछ पता नहीं चल रहा था , उर्वशी भी गायब थी , कबीर को अरेस्ट करने के लिए शक्ति के पास कोई ठोस सबूत नहीं था और जो सबूत शक्ति को मुन्ना से मिले थे वो भी उसके हाथ से जा चुके थे। शक्ति गाड़ी चलाते हुए इसी उलझन में था कि अचानक से शक्ति को ब्रेक लगाना पड़ा। गाडी के सामने गाय का छोटा बच्चा आ गया। शक्ति उसके वहा से निकलने का इंतजार करने लगा तभी उसके कानों में मंदिर की घंटियों की आवाज पड़ी और उसने अपने बगल देखा तो पाया वहा महादेव का बड़ा सा मंदिर था। शक्ति ने गाड़ी को साइड में लगाया और मंदिर के अंदर चला आया।
महादेव की मूर्ति के सामने आकर शक्ति ने अपने हाथ जोड़े और मन ही मन कहने लगा,”महादेव ! आप तो जानते है कि आपका ये भक्त एक बड़ी उलझन में फंस चुका हैं। मंजिल आँखो के सामने है लेकिन कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा , समझ नहीं आ रहा कि हम कहा गलती कर रहे है। हमे रास्ता दिखाईये महादेव , इन बुरे लोगो की असलियत सामने लाने में हमारी मदद कीजिये महादेव,,,,,,,,,,,,बस एक संकेत , एक संकेत दीजिये हम वादा करते है हम आपका
विश्वास डगमगाने नहीं देंगे,,,,,,,,,,,,,,!!”
शक्ति ने जैसे ही अपनी बात खत्म की मंदिर की घंटी फिर बजी और शक्ति उसे महादेव का आशीर्वाद मानकर जैसे ही जाने लगा पंडित जी ने कहा,”अरे बेटा ! प्रशाद तो लेकर जाओ”
शक्ति वापस आया तो पंडित जी ने उसके माथे पर तिलक किया और उसे प्रशाद देकर कहा,”महादेव तुम्हारे मन की उलझन दूर करे बेटा”
शक्ति ने सूना तो मुस्कुरा उठा और वहा से चला गया। शक्ति आकर गाड़ी में बैठा और जैसे ही गाड़ी स्टार्ट की उसका फोन बजा। शक्ति ने देखा फोन मोहसिन का है तो उसने फोन कान से लगाया और कहा,”हाँ मोहसिन बोलो,,,,,,,,,,,!!”
मोहसिन ने शक्ति को एक एड्रेस बताया और जल्दी से वहा आने को कहा। शक्ति ने फ़ोन रखा और मोहसिन की बताई जगह के लिए निकल गया।
“मेघना ये लोग अभी तक आये क्यों नहीं ? आज शाम 5 बजे हमारी ट्रेन है और हमे स्टेशन थोड़ा जल्दी जाना होगा,,,,,,,,,,उफ़ ये निशि भी ना इसे उन लोगो के साथ जाने के लिए किसने कहा ?”,नवीन ने कमरे में यहाँ वहा चक्कर लगाते हुए कहा
“ओह्ह फ़ो नवीन तुम भी ना , हम सब बाहर चले गए थे तो निशि यहाँ अकेले क्या करती और वैसे भी सारिका जी उसे अपने परिवार का हिस्सा ही समझती है,,,,,,,,,,,,!!”,मेघना ने कहा
नवीन मेघना के पास आया और कहा,”परिवार का हिस्सा नहीं बेटी , बेटी जैसी,,,,,,,,,,,,!!”
मेघना कुछ कहती इस से पहले ही उन दोनों के कानो में सबके आने की आवाज पड़ी तो मेघना ने कहा,”लगता है वे लोग आ गए,,,,,,,,,,,!!”
मेघना और नवीन कमरे से बाहर चले आये उन्होंने देखा सब बहुत खुश थे। निशि आकर मेघना से मिली और उन्हें तोहफे के बारे में बताया। मेघना निशि को अपने साथ लेकर वहा से चली गयी। दोनों कमरे में आयी और मेघना ने उसे अपने सामने करके कहा,”निशि ! क्या तुम वंश को पसंद करती हो ?”
अपनी मम्मी के मुंह से एकदम से ये बात सुनकर निशि को समझ नहीं आया कि वह क्या जवाब दे इसलिए कहा,”मम्मा आप ये क्या बोल रही है ? मैं वंश को पसंद ? आप ऐसा क्यों पूछ रही हो ?”
“निशि मैंने जो पूछा उसका जवाब दो , क्या तुम्हे वंश पंसद है ?”,मेघना ने निशि की बांहो को थामकर उसकी आँखों में देखते हुए पूछा।
निशि का दिल धड़कने लगा उसे समझ नहीं आया वह मेघना से क्या कहे ? अगर वह झूठ कहती है तो खुद से नजरे नहीं मिला पायेगी और सच कहा तो कही मेघना उसके बारे में गलत न सोचने लगे और वंश किसी मुसीबत में ना फंस जाये सोचकर निशि ने कहा,”अह्ह्ह नहीं मम्मा , वो अच्छा लड़का है बट हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं हम बस अच्छे दोस्त है”
मेघना ने सुना तो उदास हो गयी , उसे लगा निशि हाँ कहेगी लेकिन निशि ने ना बोलकर मेघना के अरमानो पर पानी फेर दिया। उसने एक ठंडी आह भरी और कहा,”हम्म्म ठीक है , अपना बैग पैक कर लो हम आज शाम मुंबई वापस जा रहे है।”
“क्या ? लेकिन इतनी जल्दी,,,,,,,,,,,,,,क्या वंश भी हमारे साथ वापस जा रहा है ?”,निशि ने एकदम से पूछा
“नहीं वो बाद में आएगा सिर्फ तुम मैं और तुम्हारे डेड जा रहे है , तुम अपना सामान पैक करो फिर कुछ देर बाद हमे निकलना है,,,,,,,,,!!”,कहकर मेघना वहा से चली गयी।
मुंबई वापस जाने की बात सुनकर निशि का मन उदास हो गया पर ये उदासी मुंबई जाने की नहीं बल्कि वंश के साथ ना जाने पर थी,,,,,,,,,,,निशि मायूस सी आकर बिस्तर पर बैठ गयी और खुद में ही बड़बड़ाई,”क्या मुझे वंश को बताना चाहिए कि मैं मुंबई वापस जा रही हूँ,,,,,,,,,,,,,,और वो हम लोगो के साथ क्यों नहीं जा रहा ? कल सुबह तो वैसे भी सब बनारस चले जायेंगे तो वो यहाँ अकेला रहकर क्या करेगा ? उफ़ मेरे इन सवालो का जवाब तो वही दे सकता है,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए निशि ने कमरे में फैले अपने सामान को देखा और उसे समेटने लगी। वापस जाने के नाम से उसका मन भारी हो चुका था।
नवीन शिवम् और बाकि सब से मिला और आज शाम उन्हें अपने वापस जाने के बारे में बताया लेकिन वंश वहा नहीं था वह पहले ही काशी के कमरे में जा चुका था। सुबह से वंश इतना थक चुका था कि उसने अपना फोन चार्जिंग पर लगाया और काशी के कमरे में ही सो गया। नवीन के काम को देखते हुए सारिका और शिवम् ने उसे जाने से नहीं रोका लेकिन मुन्ना की शादी में पुरे परिवार के साथ एक हफ्ते पहले आने को कहा और नवीन ने ख़ुशी ख़ुशी उसकी इस बात को मान लिया।
सभी हॉल में आ बैठे। चाय आयी और सभी चाय पीते हुए बाते करने लगे। मुन्ना को बड़ो के बीच मे बैठना सही नहीं लगा तो उसने अपनी चाय उठाई और पीछे बरामदे में चला आया। बरामदे में तख्ते के साथ ही एक झूला लगा था। मुन्ना आकर उस पर बैठा और चाय पीने लगा। आज मुन्ना बहुत खुश था और उसका मन भी बहुत शांत था। जिस लड़की को उसने पसंद किया उस से उसकी शादी होने जा रही थी , उसने मुरारी को एक बड़े केस में फसने से बचा लिया , शादी के बाद उसे बनारस छोड़कर जाने की जरूरत नहीं थी और अब सब ठीक था।
मुन्ना चाय पीते हुए गौरी के बारे में सोचने लगा , आज शाम उसे गौरी से मिलना था और उसे अपने मन का हाल बताना था। चाय खत्म कर मुन्ना झूले से उठा और तख्ते पर आकर लेट गया। मुस्कुराते हुए मुन्ना अपने आने वाले कल के बारे में सोचने लगा और ऐसा करते हुए वही उसकी आँख लग गयी।
अंजलि काशी के साथ मिलकर फोन में सगाई की तस्वीरें देखने लगी। फोटो देखते हुए जैसे ही शक्ति का फोटो स्क्रीन पर आया अंजलि ने कहा,”काशी दी ! मैं तो इनसे ठीक से मिली भी नहीं और मुन्ना भैया की सगाई के बाद तो ये जैसे गायब ही हो गए,,,,,,,,,,,काशी दी , क्या आपका जीजू से मिलने का दिल नहीं करता ? जैसे शादी से पहले लड़किया चोरी चोरी मिलती है,,,,,,,,,,,!!”
अंजलि की बात सुनकर काशी मुस्कुराई और कहा,”हमे शक्ति से चोरी चोरी मिलने की जरूरत नहीं है अंजलि , हम उस से डायरेक्ट जाकर भी मिल सकते है”
“डायरेक्ट जाकर से आपका मतलब है पुलिस स्टेशन,,,,,,,,,,,,जीजू पुलिसवाले है ना”,अंजलि ने कहा तो काशी हसने लगी और कहा,”नहीं बाबा ! हम शक्ति से उसके घर जाकर भी मिल सकते है , हमे परमिशन है”
“तो फिर मुझे भी उनके घर लेकर चलिए ना , मुझे भी उनसे मिलना है आखिर वो मेरे इकलौते जीजू है,,,,,,,,,,,,!!”,अंजलि ने मचलते हुए कहा
“चलेंगे चलेंगे”,काशी ने कहा
“कब ? कल सुबह तो हम सब वापस बनारस चले जायेंगे,,,,,,,,,,,!!”,अंजलि ने मासूमियत से कहा
काशी सोच में पड़ गयी। शक्ति इन दिनों कुछ ज्यादा ही बिजी था , वह काशी के कहने पर उस से मिलेगा या नहीं यही बात काशी के दिमाग में चल रही थी कि तभी उसके फोन पर मैसेज आया।
काशी ने मैसेज देखा तो उसकी हैरानी का कोई ठिकाना नहीं था। शक्ति आज शाम काशी से मिलना चाहता था और उसे अपने घर आने को कह रहा था।
काशी ने ओके लिखकर भेजा और ख़ुशी से उछलते हुए मैसेज अंजलि को दिखाया तो अंजलि भी ख़ुशी से कूदने लगी।
कुछ ही दूर हॉल में बैठे शिवम् की नजर उन दोनों पर पड़ी तो शिवम् ने कहा,”क्या हुआ तुम दोनों को ?”
काशी ने अंजलि और खुद को नार्मल किया और कहा,” क क कुछ नहीं पापा , अहह कुछ नहीं,,,,,,,!!”
काशी अंजलि को अपने साथ लेकर वहा से चली गयी और अम्बिका जी के कमरे में बैठकर दोनों शाम में घर से क्या बहाना बनाकर जाये इस बारे में बात करने लगी।
निशि अपना सब सामान पैक किया और अपना फ़ोन लेकर बिस्तर पर आ बैठी। निशि ने वंश को मैसेज करने के लिए व्हाट्सप्प ऑन किया तो वंश की भेजी कुछ तस्वीरें उसे मिली जो सगाई में उसने क्लिक की थी। निशि एक एक करके सब तस्वीरें देखने लगी। जैसे ही अगली तस्वीर देखी निशि के होंठो पर प्यारी सी मुस्कान तैर गयी। उस तस्वीर में निशि के साथ वंश भी था और दोनों साथ में बहुत ही प्यारे लग रहे थे।
ना जाने क्यों पर निशि का दिल किया उस तस्वीर को अपने होंठो से छू ले और जैसे ही निशि फोन की स्क्रीन को अपने होंठो के पास लेकर गयी नवीन कमरे में आया। बेचारी निशि के हाथ से फोन गिरते गिरते बचा और वह हड़बड़ाकर उठ खड़ी हुई।
“निशि तुम्हारा सामान पैक हो गया बेटा ?”,नवीन ने पूछा
“हाँ हा डेड हो गया,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा
“ठीक है तुम तैयार हो जाओ आधे घंटे में हमे स्टेशन के लिए निकलना है , मैं मेघना को भेजता हूँ,,,,,,,,,,,,,!!”,नवीन ने कहा और वहा से चला गया
निशि ने राहत की साँस ली और अपना फोन उठाया। उसने वंश को मैसेज किया
“ए चिरकुट”
“तुम कहा हो ? घर में दिखाई क्यों नहीं दे रहे ?”
“हेलो मैं तुम से बात कर रही हूँ , जवाब दो”
“अह्ह्ह्ह लगता है तुम फिर भाव खा रहे हो”
“लिस्टन”
“मैं मॉम डेड के साथ मुंबई वापस जा रही हु”
“तुम साथ क्यों नहीं आ रहे ?”
“क्या तुम अब तक मुझसे गुस्सा हो ?”
“अच्छा बाबा सॉरी , तुम्हारी पसंद अच्छी है ,,, लाईक बहुत अच्छी है”
” आधे घंटे बाद मैं यहाँ से चली जाउंगी”
“क्या तुम हमे स्टेशन छोड़ने भी नहीं आ रहे ?”
“क्या हुआ तुम्हे जवाब तो दो ?”
“अह्ह्ह्ह तुम इतने अजीब क्यों हो ?”
“भाड़ में जाओ तुम,,,,,,,,,,,!!”
“बाय,,,,,,,,,,,!!”
निशि ने एक साथ इतने मैसेज भेजे लेकिन वंश ने एक का भी जवाब नहीं दिया और बेचारा देता भी कैसे ? सोया हुआ आदमी भी भला कभी रिप्लाई करता है क्या ? लेकिन निशि को ये नहीं पता था और वह फिर वंश से नाराज हो गयी। उसने फोन बिस्तर पर फेंका और तैयार होने लगी।
उर्वशी ने नीलिमा को सच बताया और उस से कहा कि वह जल्द से जल्द किसी ऐसे इंसान से शादी कर ले जो उसे विराज चौहान से बचा सके। नीलिमा बस ऐसे एक ही इंसान को जानती थी। वह उठी और उर्वशी से कहा,”चलिए”
“कहा नीलिमा ?”,उर्वशी ने कहा
“इस शहर में सिर्फ वही है जो मुझे इन लोगो से बचा सकता है,,,,,,,,,,,आप आईये मेरे साथ”,कहते हुए नीलिमा ने अपने बैग में कुछ जरुरी सामान रखा और उर्वशी को साथ लेकर वहा से बाहर चली आयी।
उर्वशी ने वार्डन से बात करके नीलिमा को कुछ दिन अपने साथ घर ले जाने की बात कही और दोनों वहा से निकल गयी। नीलिमा ने सामने से गुजरते ऑटो को रुकवाया और उर्वशी के साथ उसमे आ बैठी और वहा से निकल गयी। वही कुछ ही दूर खड़ी बाइक पर बैठे आदमी ने हेलमेट लगाया और ऑटो के पीछे चल पड़ा। उर्वशी और नीलिमा को इसकी खबर तक नहीं थी कि कोई उनका पीछा कर रहा है।
कुछ देर बाद ऑटो विक्रम अरोड़ा के घर के सामने आकर रुका। नीलिमा और उर्वशी नीचे उतरी और ऑटोवाले को पैसे देकर घर के अंदर चली गयी। गार्ड नीलिमा को पहचानता था इसलिए उसे अंदर जाने से नहीं रोका। उर्वशी बस ख़ामोशी से नीलिमा के साथ चली जा रही थी उसे खबर तक नहीं थी कि जिन लोगो से वह नीलिमा को बचाना चाहती है उनमे से एक शख्स विक्रम अरोड़ा का घर यही है।
बाइक वाले ने जब उन दोनों को घर के अंदर जाते देखा तो अपना फोन निकाला और किसी को फोन करके कहा,”सर उर्वशी तो आपके घर के अंदर जा रही है ,,,,,,,,,,,उसके साथ एक लड़की भी है सर”
“ठीक है तुम वहा से निकलो मैं आता हूँ,,,,,,,,,!!”,दूसरी तरफ से आवाज आयी और फोन कट गया। बाइक वाले ने हेलमेट वापस लगाया और वहा से चला गया।
शक्ति की गाड़ी आकर सनशाइन होटल के बाहर आकर रुकी। शक्ति ने गाड़ी साइड में लगाई और अंदर चला आया। होटल सील किया हुआ था और हर तरफ नो एंट्री बेरिगेट्स लगाए हुए थे। शक्ति कुछ समझ पाता इस से पहले मोहसिन उसके पास आया और कहा,”सर मेरे साथ आईये,,,,,,,,,,,!!”
शक्ति मोहसिन के साथ चला गया। मोहसिन शक्ति को लेकर ऊपर आया और दोनों एक कमरे में आये जहा कुछ पुलिसवाले पहले से मौजूद थे। कमरे में आते ही शक्ति ने अपनी नाक को रुमाल से ढक लिया।
बदबू का एक तेज भभका शक्ति को महसूस हुआ। फर्श पर खून से लथपथ एक लाश पड़ी थी और उसके आस पास कुछ शीशे के टुकड़े और खून के निशान थे। शक्ति लाश के पास आया और जैसे ही उसे देखा उसकी आँखे फ़टी की फ़टी रह गयी। फर्श पर खून से लथपथ लाश किसी और की नहीं बल्कि जॉर्डन की थी।
एक के बाद एक सबकी मौत हो रही थी जो इस केस से जुड़ा था। शक्ति मोहसिन की तरफ पलटा और कहा,”ये सब कैसे हुआ कोई जानकारी ?”
“सर फ़िलहाल तो बस एक जानकारी मिली है और वो ये कि ये रूम किसी “उर्वशी” नाम की महिला ने बुक किया था”,मोहसिन ने कहा
शक्ति ने जैसे ही उर्वशी का नाम सुना हैरानी से मोहसिन को देखा , यही तो वह कड़ी थी जिसे शक्ति ढूंढ रहा था,,,,,,,,,,,,,!!”
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संजना किरोड़ीवाल


Yani Mahadev ne Shakti ko jo sanket diya hai…wo koi aur nhi balki Urvashi hai.. lakin kya Urvashi Shakti ki madat karengi…but uske pass koi choice bhi nhi hai… Shakti aur Urvashi dono ko ek dusre ki madat krni hogi…tabi sach samne aa payega…lakin yaha ek baar fir se pichlee wali kahani repeat ho rhi hai…last time bhi Vansh sota rha gaya tha aur Nishi ja chuki thi Mumbai…aur iss baar bhi yahi ho rha hai… Nishi ne ja rhi hai aur Vansh so rha…lakin iss baar dono m ek dusre k liye feeling hai…but bola kisi ne nhi hai… let’s see aage kya hota hai