मैं तेरी हीर – 45
Main Teri Heer – 45
Main Teri Heer – 45
काशी शक्ति के सीने से लगी रही और शक्ति उसका सर सहलाते रहा। कुछ देर बाद काशी शक्ति से दूर हटी और कहा,”शक्ति हम तुम्हे,,,,,,,,,,,,!!”
काशी अपनी बात पूरी करती इस से पहले शक्ति ने उसके होंठो पर अपनी उंगलिया रखी और कहा,”श्श्श्श ! जो कुछ हुआ है उसे एक बुरा सपना समझ कर भूल जाओ काशी हमे तुम से कोई शिकायत नहीं है। अगले हफ्ते मुन्ना की सगाई है तुम्हे उसके लिये तैयारियां करनी चाहिए।”
“अरे हाँ हम तो ये बात भूल ही गए थे। शक्ति क्या तुम हमे घर तक छोड़ दोगे।”,काशी ने अपनी आँखों के किनारे साफ करते हुए कहा
“हाँ बिल्कुल तुम बाहर चलकर गाड़ी में बैठो हम थोड़ी देर में आते है।”,शक्ति ने काशी के चेहरे को अपने हाथो में लेकर कहा और फिर उसका सर चूम लिया। काशी को बाहर छोड़कर शक्ति अंदर चला गया। कुछ जरुरी काम करने के बाद शक्ति वापस बाहर आया और काशी को लेकर घर की ओर निकल गया।
बनारस , मुरारी का घर
शिवम् के समझाने पर मुरारी को अपनी गलती का अहसास हुआ उसने अपने दिल को मजबूत करके अनु के लिये वो डायमंड नेकलेस खरीद लिया। सुबह से मुरारी घर के गेट पर यहाँ वहा चक्कर काट रहा था। गार्ड ने देखा तो कहा,”मुरारी भैया ! काहे इत्ता परेशान हो रहे है ? कोनो आने वाला है का ?”
“है ? नहीं नहीं कौन आने वाला है कोई नहीं हम तो बस ऐसे ही टहल रहे थे का है कि घर पर बैठे बैठे ससुरा पेट निकल आया है।”,मुरारी ने कहा
मुरारी की बात सुनकर गार्ड मुस्कुराने लगा। मुरारी ने घडी में देखा सुबह के 7 बज रहे थे लेकिन जिसका उसे इंतजार था वह अभी तक नहीं आया था। थक कर मुरारी खुद ही पैदल घर से निकल गया।
अभी कुछ ही दूर चला होगा कि सामने से शोरूम का मालिक आता दिखाई दिया। मुरारी को आते देखकर उसने अपना स्कूटर रोका और कहा,”अरे विधायक जी आपने काहे तकलीफ की हम बस आ ही रहे थे।”
“यह सब छोडो , जे बताओ हमरा सामान लाये ?”,मुरारी ने कहा
“हाँ ! जे लीजिये,,,,,,,,,,,,,पेमेंट तो अपने कल शाम में कर ही दिया था।”,आदमी ने बैग निकालकर मुरारी की तरफ बढ़ाते हुए कहा
मुरारी ने बैग लिया और वापस घर की ओर चला आया।
घर आकर मुरारी सीधा अपने कमरे में आया देखा अनु वहा नहीं है। बाथरूम का दरवाजा बंद देखकर मुरारी समझ गया अनु अंदर है और नहा रही है।
मुरारी बैग लेकर ड्रेसिंग टेबल के पास आया और ड्रॉवर से डायरी निकालकर उसमे कुछ लिखने लगा। मुरारी ने एक कागज पर कुछ लिखा और फिर उसे सेट वाले डिब्बे में रख डिब्बे को ड्रेसिंग के पास रख दिया और कमरे से बाहर आते हुए कहा,”बस महादेव इस बार सम्हाल लो अगली बार से जे रंगबाजी के चक्कर में ना पड़ेंगे हम।”
कमरे से बाहर निकलकर मुरारी हॉल में आया और किशना को आवाज लगाते हुए कहा,”किशना ! अरे एक कप चाय पीला दो यार,,,,,,,,,,!!”
“हाँ भैया लाते है,,,,,,,!!”,किचन में काम करते किशना ने कहा
मुरारी ने देखा मुन्ना कही दिखाई नहीं दे रहा था। किशना मुरारी के लिये चाय लेकर आया तो मुरारी ने कहा,”जे मुन्ना कही दिखाई नहीं दे रहा , कही गया है क्या ?”
“मुन्ना बाबा तो सुबह जल्दी ही निकल गए। आप और भाभी सो रहे थे इसलिए उन्होंने हम से कहा आपको बता दे। उन्होंने कहा है वो किसी जरुरी काम से बाहर जा रहे है एक दो दिन में लौट आएंगे।”,किशना ने कहा
“ऐसा कौनसा जरुरी काम आ गवा उसको जो इति जल्दी में गया है , उसको इतनी भी समझ नहीं अगले हफ्ते उसकी सगाई है , घर में इतने सारे काम है और जे महाराज को बाहर जाने की पड़ी है।”,मुरारी बड़बड़ाया और अपनी चाय पीने लगा
अनु नहाकर बाहर आयी। साड़ी पहनने के बाद अनु ड्रेसिंग के पास आयी और अपने बालों को खोलकर सुलझाने लगी। बालों को सुलझाते हुए अनु की नजर वहा रखे डिब्बे पर गयी। अनु ने कंघी को साइड में रखा और डिब्बे को उठाकर उसे खोलकर देखा। डिब्बे में रखा डायमंड सेट देखकर अनु की आँखे चमक उठी। वह एकटक उसे देखते रही और फिर उसमे रखे कागज को उठाकर पढ़ने लगे।
“प्रिय मेग्गी !
हम जानते है तुम हम से बहुते नाराज हो , पर का करे हमको तुम्हरी नाराजगी में भी प्यार नजर आता है। तुम जानती हो हम बस रंगबाजी करते है पर कभी अपनी हद पार नहीं किये है और करेंगे भी काहे हमरे पास तुम्हरे जैसी अप्सरा जो है और जे डायमंड का हार भी हमरी अप्सरा के लिये का है कि बाकी सब तो तुम्हरे सामने फीकी है।
अब हम चाहते है तुम हमका माफ़ी देइ दयो वरना हम गंगा मैया में कूद के अपनी जान दे देंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,का है कि हम तुमसे बहुते प्यार करते है और हम से ना जे नाराजगी अब बर्दास्त नहीं होती है।
तुम्हरी माफ़ी के इंतजार में तुम्हरे मुरारी मिश्रा”
अनु ने कागज को पढ़ा और उसे मोड़कर ड्रॉवर में डाल दिया। मुरारी की माफ़ी का अनु पर असर पड़ा उसने डिब्बे में रखा हार निकाला और अपने गले में पहनने लगी लेकिन हार का हुक उस से लग नहीं रहा था। घूमते घामते मुरारी वहा आ पहुंचा और कहा,”लाओ हम कर देते है।”
अनु ने अपने हाथ नीचे कर लिये और मुरारी उस हार की कड़ी लगाने लगा। अनु के गले में वो हार बहुत ही प्यारा लग रहा था
अनु को शांत देखकर मुरारी समझ गया कि अनु ने उसे माफ़ कर दिया है। हार पहनाने के बाद मुरारी के हाथ ऑटोमेटिक अनु की कमर से जा लगे और मुरारी ने धीरे से कहा,”कतई जहर लग रही हो मिश्राइन,,,,,,,,,,,,,!!!!”
अनु एकदम से मुरारी की तरफ पलटी और कहा,”तुमको क्या लगता है मुरारी ये नेकलेस देखकर मैं पिघल जाउंगी और वो सब भूल जाउंगी,,,,,,,,,,,,,मैं सब भूल सकती हूँ लेकिन उस उर्वशी को नहीं,,,,,,,,,,,!!”
“उर्वशी ? कौन उर्वशी ? हम किसी उर्वशी को नहीं जानते,,,,,,,,,,,हमको बस तुम से मतलब है , अब गुस्सा थूक दयो यार और कितना सताओगी हमको ?”,मुरारी ने अनु को मनाते हुए कहा।
“कहा थूके ?”,अनु ने मुरारी को देखकर कहा
“हमारे मुंह पर थूक दो बस गुस्सा थूक दो देवी , अरे जे उम्र मा भी इतना गुस्सा सही थोड़े ना है यार मैग्गी,,,,,,,,,,,!”,मुरारी ने कहा
अनु मुरारी के थोड़ा पास आयी और अपने होंठो से उसके गाल को छूकर कहा,”इस बार माफ़ कर रहे है मिश्रा जी , अगली बार ऐसा कुछ हुआ तो तुम गंगा में कूदो या ना कूदो मैं जरूर कूद जाउंगी।”
“ए जे का बोल रही हो ? हम कूदने ना देंगे तुमको,,,,,,,,,,अच्छा जे बताओ जे हार कैसा लगा तुमको ?”,मुरारी ने अनु को अपनी बाँहो में भरते हुए कहा
“बहुत अच्छा है , लेकिन मुझे ये सब नहीं चाहिए मुझे बस मेरा मुरारी चाहिए।”,अनु ने मुरारी के कुर्ते के बटन सही करते हुए कहा
“तो फिर जे हार उर्वशी को दे दे,,,,,,,,,!”,मुरारी ने कहा तो अनु हैरानी से मुरारी को देखने लगी और उसके सीने पर दो तीन मुक्के जड़ दिए
मुरारी हंस पड़ा और कहा,”अरे अरे मजाक कर रहे है यार,,,,,,,,,,!!”
मुरारी की बात सुनकर अनु उसके सीने से आ लगी और कहा,”मजाक में भी मैं तुम्हे किसी और के साथ नहीं देख सकती मुरारी,,,,,,,,,,,,,,उम्र के साथ प्यार बढ़ता है सूना था लेकिन उम्र के साथ हमारा प्यार मजबूत हुआ है जो किसी उर्वशी के आने से तो बिल्कुल नहीं टूटेगा।”
वही अनु को सीने से लगाए मुरारी ने मन ही मन कहा,”महादेव ने बचा लिया आज”
प्रताप से परमिशन मिलने के बाद राजन घर से बाहर निकल गया। आज उसे घर से बाइक भी मिल गयी। बाइक लेकर राजन बनारस की कई गलिया नाप आया। राजन को सब नया लग रहा था और सब बहुत अच्छा भी लग रहा था। घूमते घामते राजन घाट चला आया। उसने बाइक साइड में लगाई और सीढ़ियों से उतरकर नीचे चला आया।
आज मौसम काफी अच्छा था। आसमान में बादल छाए हुए थे और धुप बिल्कुल नहीं थी बारिश होने की संभावना थी और ठंडी हवाएं मन को सुकून पहुंचा रही थी। राजन वही घाट पर घूमने लगा।
उसी घाट की टपरी पर भूषण अपने कुछ आदमियों के साथ बैठा चाय पी रहा था तभी उसके एक लड़के ने कहा,”अरे भूषण भैया हम सच कह रहे है। हमने राजन भैया को उस शाम मुन्ना भैया के साथ देखा था। दोनों बहुत हंसकर बाते कर रहे थे।”
“देख रमेस्वा ! मुन्ना है हमारा दुश्मन उह राजन भैया के साथ काहे घूमेगा ?”,भूषण ने चाय का घूंठ भरते हुए कहा
“अरे भैया जे बात हमको पता है राजन भैया को थोड़े न पता है , कही वंश मुन्ना ने फिर से उनको नुकसान पहुँचाने की कोशिस की तो,,,,,,,,,,,,,,हम कह रहे है भैया हमको अभी सतर्क रहने की जरूरत है बाद में ना जाने का हो ?”,रमेश ने कहा
रमेश की बात सुनकर भूषण सोच में पड़ गया। राजन का मुन्ना से मिलना ही अपने आप में बड़ी समस्या थी ऐसे में उसके साथ घूमना मतलब जरूर कोई कांड होना तय था।
भूषण को सोच में डूबा देखकर दूसरे लड़के ने कहा,”भैया वंश्वा का गुस्सा तेज है पर मुन्ना ऐसा नहीं हैं। बेवजह तो उह किसी जानवर को भी नुकसान नहीं पहुंचाता है हमको नहीं लगता मुन्ना ऐसा कुछ सोचता होगा।”
“का बात है बे ? जे मुन्ना की बड़ी चापलूसी कर रहे हो , का दाना पानी का आजकल उधर लेने लगे हो ?”,रमेश ने कहा तो लड़का झेंप गया और कहा,”नहीं भैया हम तो बस,,,,,,,,,,,,,!!”
“रमेश्वा छोडो जे सब अगर तुम्हरी बात सच है तो फिर मुन्ना को काहे हमको राजन भैया को समझाने की जरूरत है।”,भूषण ने कहा
“अरे भैया हम तो कहते है देर काहे करनी उह रहे राजन भैया जाकर समझा दीजिये।”,रमेश ने दूर घाट की सीढ़ियों पर बैठे राजन की ओर इशारा करके कहा
भूषण ने देखा राजन अकेले ही घाट की सीढ़ियों पर बैठा है तो उसने चाय से भरा आधा कप साइड में रखा और दिवार से उतरकर राजन की तरफ बढ़ गया।
भूषण राजन के पास आया और कहा,”राजन भैया !”
राजन ने भूषण को वहा देखा तो मुस्कुराया और उसके सामने आ खड़ा हुआ। राजन को पहले जैसा हँसते मुस्कुराते देखकर भूषण को अच्छा लगा। उसने कहा,”कैसे है आप ? बहुत दिनों बाद आप यहाँ मिले ?”
“हम ठीक है तुम बताओ उस रात हमे घाट पर अकेला छोड़कर कहा चले गए ? वो तो अच्छा है हमे वो लड़का मिल गया और हमे सही सलामत घर पहुंचा दिया वरना हम तो यही रह जाते।”,राजन ने थोड़ा नाराज होते हुए कहा
“अरे भैया वो हम किसी जरुरी काम से,,,,,,,,,,,,,,,,,अच्छा हम माफ़ी चाहते है , माफ़ कर दो हमे।”,भूषण ने कहा
“अरे कोई बात नहीं वैसे वो लड़का,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह का नाम है उसका ? हाँ मुन्ना , मुन्ना उसने हमारी बहुत मदद की थी , बहुते अच्छा लड़का है यहाँ भी हम उसी से मिलने आये थे पर उह कही दिखाई नहीं दे रहा है।”,राजन ने इधर उधर देखते हुए कहा
“आप मुन्ना से ना मिलो भैया !”,भूषण ने गंभीरता से कहा
“काहे ? काहे ना मिले ?”,राजन ने हैरानी से पूछा
“क्योकि हम कह रहे है। मुन्ना अच्छा नहीं है भैया उह बस आपका फायदा उठा रहा है। आप , आप उस से दूर रहो , वैसे भी मुन्ना हमारा दुश्मन है जिस दिन मौका मिला सेल को निपटा देंगे,,,,,,,,,,!!”,भूषण ने गुस्से से कहा
भूषण का इतना कहना था कि राजन ने आगे बढ़कर उसकी कॉलर पकड़ ली और कहा,”जे का अंट शंट बक रहे हो बे ? मुन्ना हमारा दोस्त है उसके बारे में एक भी गलत लफ्ज कहा तो साले जबान खींच लेंगे
तुम्हारी,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुन्ना को मारोगे इतनी हिम्मत तुम्हारी,,,,,,,,,,,उसको हाथ भी लगाया ना तो साला हाथ तोड़ देंगे तुम्हारा।”
भूषण ने सूना तो उसकी आँखे फ़टी की फ़टी रह गयी। भूषण के लड़को ने राजन और भूषण को उलझते देखा तो दौड़कर उनके पास आये और दोनों को अलग किया। राजन ने भूषण को मुन्ना से दूर रहने को कहा और वहा से चला गया। भूषण और उसकी आदमी ये उलटी गंगा बहते देखकर हैरान और परेशान दोनों थे।
मुंबई , वंश का फ्लैट
हॉल में सोफे पर वंश सोया हुआ था और सामने सिंगल सोफे पर बैठी निशि भी सो रही थी। वंश रात भर निशि को अपने और मुन्ना के किस्से सुनाता रहा और वही बातें करते करते दोनों सो गए। दोनों बेफिक्र सो रहे थे तभी डोरबेल बजी। वंश तो गहरी नींद में था लेकिन निशि की आँख खुल गयी उसने खुद वंश के फ्लेट पर पाया तो पहले थोड़ा हैरान हुयी और फिर उसे याद आया कि वह कल शाम से ही वंश के साथ थी।
निशि ने अपने बालो को समेटा और दरवाजे की तरफ चली आयी। निशि ने दरवाजा खोला और सामने खड़े शख्स को देखा तो उसके मुंह से कोई आवाज ही नहीं निकली। वह हक्की बक्की सी सामने खड़े मुन्ना को देखते रही। मुन्ना ने निशि को सुबह सुबह वंश के फ्लेट पर देखा तो उसे थोड़ी हैरानी हुई। दोनों दरवाजे पर खड़े बस एक दूसरे को देखते रहे। मुन्ना ने देखा निशि ना खुद दरवाजे से हट रही है न उसे अंदर आने दे रही है।
आख़िरकार मुन्ना ने ही कहा,”क्या हम अंदर आ जाये ?”
मुन्ना की आवाज से निशि की तंद्रा टूटी उसने जल्दी से साइड होते हुए कहा,”हाँ हाँ प्लीज कम”
“शुक्रिया !”,मुन्ना ने कहा और अंदर चला आया। हॉल में आकर मुन्ना ने देखा वंश सोफे पर सो रहा है और निशि शरमाई सकुचाई सी एक तरफ खड़ी कभी मुन्ना को देखती तो कभी मन ही मन खुद को कोसती कि वह यहाँ रुकी ही क्यों ?
मुन्ना खामोश खड़ा वंश को देखता रहा निशि ने देखा तो वह वंश के पास आयी और उसे उठाते हुए कहा,”वंश , वंश , उठो , वंश उठो , देखो मुन्ना भैया आये है। वंश,,,,,,,,,,,,,उठो”
“अह्ह्ह एक गिलास पानी मिलेगा ? इसे हम उठा देते है।”,मुन्ना ने कहा
“हाँ , मैं अभी लेकर आती हूँ।”,निशि ने कहा और किचन की तरफ चली गयी।
मुन्ना सोफे के पास आया उसने अपनी पीठ से बैग उतारकर साइड में रखा और वंश के पास बैठकर कहा,”वंश , बेटा उठ जाओ देखो तुम से मिलने हम आये है।”
निशि के उठाने से वंश नहीं उठा लेकिन जैसे ही मुन्ना की आवाज उसके कानो में पड़ी उसने अपनी आँखे खोली और जब मुन्ना को अपने सामने देखा तो उठाकर मुन्ना के गले लग गया।
मुन्ना को वहा देखकर वंश को इतनी ख़ुशी हुई कि वह कुछ बोल ही नहीं पाया बस उसकी ख़ुशी उसकी आँखों में साफ़ दिखाई दे रही थी। मुन्ना ने वंश की पीठ सहलाते हुए कहा,”क्या तुम ठीक हो ?”
वंश मुन्ना से दूर हटा और उसके हाथो को अपने हाथो में लेकर कहा,”मुन्ना मुन्ना मुन्ना मैं बता नहीं सकता तुम्हे यहाँ देखकर मैं कितना खुश हूँ।
यू नो व्हाट मुन्ना मैं कल से तुम्हे बहुत ज्यादा मिस कर रहा था और चाह रहा था तुम मेरे पास होते लेकिन मैं तुम्हे किस मुंह से कहता और बात करता,,,,,,,,,,,,,मैंने बेवजह तुम पर गुस्सा किया और नाराज हो गया और फिर ये फोन , ये भी बंद हो गया इसलिए मेरी किसी से बात नहीं हो पायी पर अब तुम्हे यहाँ देखकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है एकदम घर जैसी फीलिंग आ रही है। थैंक्यू मुन्ना,,,,,,,,,,,,,,!!”
“हमने तुम्हे माफ़ किया,,,,,,,,,!”,मुन्ना ने मुस्कुरा कर कहा
“पानी !”,निशि ने पानी का गिलास मुन्ना की तरफ बढ़ाते हुए कहा
“शुक्रिया !”,मुन्ना ने गिलास लिया और पानी पीकर साइड में रख दिया।
वंश ने निशि को देखा और खुश होकर सोफे से उठते हुए कहा,”निशि देखो मुन्ना आया है। कल शाम हम मुन्ना के बारे में बात कर रहे थे उसे मिस कर रहे थे और देखो आज वो आ गया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”
वंश की बात सुनकर निशि ने देखा मुन्ना उन दोनों की तरफ ही देख रहा है। निशि तो बस यही सोच रही थी कि उसे और वंश को फ्लेट मे साथ देखकर मुन्ना क्या सोच रहा होगा ?
“बड़ी माँ ने बताया तुम्हारी तबियत खराब है , क्या हुआ है तुम्हे ?”,मुन्ना ने पूछा
वंश एक बार फिर सोफे पर आ बैठा और मुन्ना को बताने लगा कैसे मुंबई आने के बाद उसने क्या क्या झेला ? बस उसने निशि से हुए झगड़ो के बारे में कुछ नहीं बताया।
मुन्ना और वंश को बाते करते देखकर निशि ने कहा,”मुन्ना भैया आप कुछ लेंगे चाय या कॉफी ?”
“हम एक कप चाय लेंगे”,मुन्ना ने निशि की तरफ देखकर कहा और फिर वंश से बात करने लगा
निशि किचन में चली गयी निशि के जाते ही मुन्ना ने वंश के करीब जाकर धीमे स्वर में कहा,”निशि सुबह सुबह यहाँ क्या कर रही है ?”
“सुबह ? ये तो कल शाम से यही है,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
“कल शाम से ? मतलब रातभर ये तुम्हारे साथ थी,,,,,,,,,,,,,,,इसका मतलब समझते हो ना तुम,,,!!”,मुन्ना ने वंश की तरफ देखकर कहा तो वंश हैरानी से उसे देखने लगा और एकदम से कहा,”मुन्ना ये कह रहा है तू ? तू जैसा सोच रहा है वैसा कुछ नहीं है,,,,,,,,,,,,,, मेरी तबियत बहुत ज्यादा खराब थी निशि बस मेरा ख्याल रखने के लिये यहाँ रुक गयी।”
“हाँ आजकल कुछ ज्यादा ही ख्याल रखा जा रहा है।”,मुन्ना ने अपनी भंवे चढ़ाकर कहा
“कसम से मुन्ना ऐसा कुछ भी नहीं है , तुझे पता है ना मैं कितना शरीफ लड़का हूँ।”,वंश ने अपनी टीशर्ट की कॉलर सही करते हुए कहा
मुन्ना ने कुछ नहीं कहा बस खामोश बैठा हॉल में पड़े सामान को देखने लगा। निशि दोनों के लिये चाय ले आयी। मुन्ना ने देखा तो कहा,”तुमने अपने लिये क्यों नहीं बनाई ?”
“मुझे आई थिंक अब घर जाना चाहिए , मॉम डेड इंतजार कर रहे होंगे,,,,,,,,,,,,ठीक है वंश मैं चलती हूँ।”,निशि ने कहा और जैसे ही जाने लगी मुन्ना ने कहा,”ठहरो !”
निशि रुकी और भगवान को याद वापस पलट गयी। मुन्ना ने निशि को बैठने का इशारा किया तो निशि चुपचाप आकर वहा बैठ गयी। मुन्ना ने एक नजर निशि को देखा और फिर वंश को देखकर कहा,”तुम दोनों के बीच जो ग़लतफ़हमी थी वो दूर हुई ?”
“हाँ हाँ मुन्ना वो तो कब का शार्ट आउट हो चुका , अब तो हम दोनों अच्छे दोस्त भी बन चुके है,,,,,,,,,,,,,,है ना निशि ?”,वंश ने एकदम से निशि की तरफ देखकर कहा। निशि को नहीं पता था वंश क्या बोलने वाला है इसलिये पहले उसने ना में गर्दन हिलाई और फिर हाँ में और जब मुन्ना को अपनी ओर देखते पाया तो गर्दन झुका ली।
मुन्ना ने अपनी चाय खत्म की और कप रखकर उठते हुए कहा,”चाय अच्छी थी , अब हम चलते हैं।”
वंश ने सुना तो उठा और चौंकते हुए कहा,”हे मुन्ना ! तुम क्या यहाँ सिर्फ चाय पीने आये थे ?”
“नहीं हम तुम से मिलने आये थे। तुम से मिल लिये तुम्हे देख लिया तुम ठीक हो अब हम वापस जा रहे है।”,मुन्ना ने सहजता से कहा
“ये क्या ? मुझे लगा तुम कुछ दिन मेरे साथ यही रहोगे मुंबई में , पर तुम तो इतनी जल्दी जा रहे हो,,,,,,,,,!!”,वंश ने उदास होकर कहा
“माफ़ करना वंश लेकिन हमे जाना पडेगा। अगले हफ्ते सब इंदौर जा रहे है सगाई के लिये , सब तैयारियां बाकि है और हमने घर पर भी किसी को नहीं बताया हम यहाँ है।”,मुन्ना ने कहा
“व्हाट ? एक हफ्ते बाद सगाई है और तुम यहाँ चले आये , इतनी दूर वो भी सिर्फ मुझसे मिलने,,,,,,,,,,,,,तुम सच में पागल हो मुन्ना , इस वक्त गौरी तुम्हारे लिये ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है मुझसे मिलने के बजाय तुम उस से मिलते तो उसे ज्यादा अच्छा लगता।”,कहते हुए वंश निशि की तरफ चला गया
कुछ दूर खड़े मुन्ना ने वंश को देखा और उसके पास आकर कहा,”हमारी जिंदगी में सबसे ज्यादा अहमियत तुम्हारी है वंश,,,,,,,,,,,,,गौरी का क्या है उसके साथ तो हमे जिंदगीभर रहना है।”
वंश ने देखा मुन्ना आज भी उस से उतना ही प्यार करता है तो वह खुद को रोक नहीं पाया और मुन्ना के गले लगते हुए कहा,”बस कर अब रुलाएगा क्या ?”
मुन्ना ने भी वंश को गले लगा लिया। दोनों भाईयो को गले लगे देखकर निशि जैसे ही जाने लगी वंश ने उसकी कलाई थामकर उसे जाने से रोक लिया। निशि ने पलटकर देखा वंश का मुँह अभी भी दूसरी तरफ था लेकिन जो अहसास उसके दिल में निशि के लिये थे उन्हें निशि बिना कहे भी महसूस कर रही थी।
To Be Continued
क्या काशी और शक्ति के बीच रहेगी पहले सी मोहब्बत या दोनों हो जायेंगे गलतफहमी का शिकार ?
क्या मुरारी से फिर टकराएगी उर्वशी या मुरारी छोड़ देगा अपनी रंगबाजी ?
क्या रंग लाएगी मुन्ना और राजन की दोस्ती या बदल देगी दुश्मनी का इतिहास ?
क्या निशि को होने लगा है वंश से प्यार ?
वंश से मिलना है मुन्ना के मुंबई आने की वजह या फिर होने वाला है कोई नया कांड ?
क्या वंश बनेगा हीरो या रह जाएगा उसका ये सपना अधूरा ?
इन सब सवालो के जवाब आपको मिलेंगे मैं तेरी हीर सीजन 4 में। ये पढ़कर थोड़ा अजीब लगा होगा क्योकि आज से पहले मेरी किसी भी कहानी में ये शब्द पढ़ने को नहीं मिले होंगे। “मैं तेरी हीर” सीजन 3 को मुझे यही ख़त्म करना पडेगा जिसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण है जिस से मैं चाहकर भी कहानी को कंटिन्यू नहीं रख सकती।
जैसे ही वक्त मिलेगा इसे फिर कन्टीन्यू करेंगे तब तक के लिये मैं आपसे विदा लेना चाहूंगी।
मैं समझ सकती हूँ मेरा अचानक ये फैसला आप में काफी लोगो को नापसंद आएगा लेकिन मेरे लिये मेरा परिवार सबसे पहले है,,,,,,,,,,,,,,,,तो मिलते है जल्द ही मैं तेरी हीर सीजन 4 के साथ तब तक के लिये अपना प्यार और साथ यू ही बनाये रखे।
“हर हर महादेव”
Sanjana Kirodiwal
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Season 4 laiye me teri heer ka
Family jyaada zroori h hm next season ka wait krenge
Yeh khtm bhi ho gya 🥺🥺 par koi baat nhi family jayada important hai , aap jaldi se wapas aa jaiye 🥰 bs , wonderful part
First important family h hum session 4 ka intzar karenge
Iski itni jaldi kalpana nhi ki thi…ki Main Teri Heer ka season 3 itni jaldi khatam hoga ..but aapne kuch achcha hee socha hoga…hum sab next season k sath baki storys ka bhi besabri se intezar karenge