“मैं तेरी हीर” – 4
Main Teri Heer – 4
Main Teri Heer – 4
कॉलेज से निकलकर मुन्ना बाहर आया हमेशा की तरह वंश उसका बाइक लेकर इंतजार कर रहा था। मुन्ना आकर उसके पीछे बैठा तो वंश ने कहा,”क्या हुआ सब ठीक है ?”
“राजन के इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे हमे , इस साल कॉलेज के इलेक्शन में वह भी अपना नाम दे रहा है”,मुन्ना ने कहा
“तो देने दो उसने अगर तुमसे हारने का मन बना ही लिया है तो फिर कोई क्या कर सकता है”,वंश ने बाइक स्टार्ट कर आगे बढ़ाते हुए कहा तभी राजन अचानक से उनके सामने से अपनी जीप लेकर निकला। वंश को अचानक ब्रेक लगाने पड़े तो राजन के साथ बैठे लड़के हसने आगे और राजन ने कहा,”ध्यान से मिश्रा जी कही फॉर्म भरने के लिए हाथ ही ना बचे”
“इसकी तो मैं,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने जैसे ही बाइक से उतरने की कोशिश की मुन्ना ने उसके कंधे पर हाथ रख उसे रोक लिया और कहा,”जाने दो वंश”
राजन अपनी जीप लेकर वहा से निकल गया तो वंश ने कहा,”क्या यार मुन्ना क्यों रोका मुझे ? उसकी तो मैं ऐसी हालत करता ना याद रखता वो जिंदगीभर”
“हर समस्या का हल लड़ाई झगड़ा नहीं है वंश , अब चलो बड़े पापा ने आज घर पर बुलाया है हमे”,मुन्ना ने कहा तो वंश ने बाइक स्टार्ट की और घर जाने वाले रास्ते की तरफ बढ़ा दी। वंश मन ही मन थोड़ा परेशान था कही पार्टी वाली बात के बारे में उसके पापा को पता तो नहीं चल गया। दोनों घर पहुंचे तब तक शिवम् , सारिका और बाबा भी आ चुके थे। मुन्ना अंदर आया सारिका के पैर छुए और कहा,”बड़े पापा कहा है माँ ?”
“वे चेंज करने गए है तुम दोनों बैठो हम चाय बनवा देते है”,सारिका ने कहा और घर में काम करने वाले दीना से चाय बनाने को कहा
वंश और मुन्ना दोनों डायनिंग के पास आ बैठे। बाबा भी चले आये और कहा,”अरे आज तुम दोनों को फुर्सत कैसे मिल गयी ? लगता है फिर से कोई कांड किया है और अब शिवम् से डांट सुनने वाले हो”
“क्या बाबा आपको लगता है हमने कुछ किया है ? मैं तो चींटी को भी मारने से डरता हूँ”,वंश ने नौटंकी करते हुए कहा तो मुन्ना की गर्दन हैरानी से उसकी तरफ पलट गयी और उसने धीरे से कहा,”तुम्हे यहाँ नहीं किसी फिल्म में होना चाहिए था”
“यहाँ रहना भी कौन चाहता है ?”,वंश ने कहा इतने में सारिका आ गयी और तीनो के सामने चाय रखते हुए कहा,”अच्छा मुन्ना आज सुबह तुमने जिसे भेजा था उसे वहा खाना पकाने का काम दिलवा दिया है।”
“जैसा आपको ठीक लगे बड़ी माँ”,मुन्ना ने कहा
कुछ देर बाद शिवम् आया तो उसे देखकर सब शांत हो गए। आई भी चली आयी और सारिका ने उन्हें भी चाय दी। मुन्ना ने शिवम को देखा और कहा,”बड़े पापा आपने बुलाया था”
“हां मुन्ना तुमसे कुछ जरुरी बात करनी थी , अगले हफ्ते दिवाली है और “काशी” के कॉलेज की भी छुट्टिया पड़ जाएगी तो हम चाहते है तुम जाकर उसे घर ले आओ ,, इंदौर में तुम्हारे नाना-नानी भी है उनसे भी मिलते हुए आना”,शिवम् ने कहा
इंदौर का नाम सुनते ही वंश की आँखों में चमक आ गयी , कुछ वक्त के लिए ही सही उसे बनारस से बाहर जाने का मौका मिलेगा उसने मुन्ना के कहने से पहले ही कह दिया,”हां हां पापा मैं और मुन्ना चले जायेंगे”
“तुम क्यों जाओगे ?”,शिवम् ने थोड़ा सख्त स्वर में कहा
“वो मैं,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे भी तो नाना नानी से मिलना है न और फिर इतना लंबा सफर है मुन्ना अकेले बोर हो जाएगा , है ना मुन्ना ?”,वंश ने मुन्ना को घूरते हुए कहा तो मुन्ना ने कहा,”वंश को भी हमारे साथ जाने दीजिये ना , ये भी नाना नानी से मिल लेगा”
“ठीक है तुम दोनों चले जाना। हम टिकट करवा देंगे”,शिवम् ने चाय पीते हुए कहा
“टिकट क्यों करवाओगे बेटा इतनी गाड़िया खड़ी है घर में उन्ही में से कोई एक लेकर चले जायेंगे दोनों ,, बस ट्रेन में कहा धक्के खाते फिरेंगे”,इस बार बाबा ने कहा वंश ने प्यारभरी नजरो से बाबा को देखा और मन ही मन कहा,”हाय कितनी सही बात बोली है आपने बाबा”
“मुन्ना गाड़ी चला लोगे ?”,शिवम् ने पूछा
“चला लेंगे”,मुन्ना ने कहा
“ठीक है फिर गाड़ी लेकर चले जाना , काशी भी परेशान नहीं होगी”,शिवम् ने कहा वंश तो मन ही मन डांस कर रहा था।
मुन्ना उठा और कहा,”तो फिर हम चलते है”
“हां”,शिवम् ने कहा मुन्ना जैसे ही जाने को हुआ शिवम् ने कहा,”अच्छा मुन्ना”
“जी बड़े पापा”,मुना ने पलटकर कहा
“जाने से पहले ये दाढ़ी कटवा लेना , भाई हो काशी के जरा सलीके से जाओ”,शिवम् ने कहा तो सारिका , वंश , आई और बाबा चारो एक साथ मुन्ना को देखने लगे। क्योकि जबसे उसे दाढ़ी आनी शुरू हुई थी मुन्ना ने कभी क्लीन शेव नहीं किया ना ही दाढ़ी को कटवाया बस कभी कभी ट्रिम कर लिया करता था। चारो मुन्ना के जवाब का ही इंतजार कर रहे थे वंश तो बाबा से शर्त भी लगा चुका था की मुन्ना दाढ़ी नहीं कटवाएगा। कुछ देर खामोश रहने के बाद मुन्ना ने कहा “हम्म्म” कहा और वहा से चला गया।
अब बस देखना ये था की मुन्ना शिवम् की बात मानता है या नहीं ?
शिवम् के घर से निकलकर मुन्ना अपनी बाइक लेकर घर की और चल पड़ा। बाइक सीधे चल रही थी की मुन्ना ने उसे अस्सी घाट जाने वाले रास्ते की ओर मोड़ दिया। बाइक आकर अस्सी घाट के सामने रुकी।
मुन्ना सीढिया उतरते हुए नीचे घाट पर चला आया। शाम हो चुकी थी और सूरज डूबने वाला था अपनी लालिमा से उसने अस्सी घाट की उस शाम को और खूबसूरत बना दिया था। मुन्ना आकर सीढ़ियों पर बैठ गया , उसने देखा दिनभर चलने वाली सभी नौका किनारे आ रुकी है। कुछ नौका चालक अपनी मण्डली बनाकर बैठे है और पान-बीड़ी का स्वाद लेते हुए दिनभर जो घटा उस बारे में बात कर रहे है। कुछ अपनी दिनभर की पूंजी लगा रहे है। सामने ही गंगा का पानी अपनी लय में बहता जा रहा था शांत और मन को सुकून पहुंचाते हुए। मुन्ना की जिंदगी में कुछ खास चीजे थे जिनमे से एक थी बनारस की शामे ,, वह अक्सर यहाँ आकर बैठ जाया करता था। सूरज धीरे धीरे वैसे डूबने लगा जैसे कोई दुल्हन आहिस्ता आहिस्ता अपना चेहरे अपने घूंघट में छुपाती है। घाट के आस पास की लाईटे जल उठी , हल्का अन्धेरा हो चुका था और मुन्ना खामोश बैठा उस डूबता सूरज को देख रहा था। कुछ ही दूर दो सीढिया छोड़कर बैठा नाविक गुनगुनाने लगा और मुन्ना का ध्यान उस तरफ चला गया
“मन बावरा , देखे तेरी राह रे,,,,,,,,,,,,,,,,,मन बावरा , देखे तेरी राह रे
मुझको ना आस कोई,,,,,,,,,,,,,,,बस तेरी चाह रे,,,,,,,,,,,,मन बावरा , देखे तेरी राह रे
नैनन बसे तोरी नैया सी अखियाँ,,,,,,,,,,,,,,,,,अब तू ही,,,,,,,,,,,,,,,,लगा पार रे
मन बावरा , देखे तेरी राह रे,,,,,,,,,,,,,,,,,मन बावरा , देखे तेरी राह रे”
नाविक ने जो लाइन्स गुनगुनायी वो मुन्ना को बहुत अच्छी लगी वह ध्यान लगाकर उन्हें सुनने लगा। नाविक भी अपनी ही मस्ती में गुनगुनाता जा रहा था जब उसने मुन्ना की तरफ देखा तो झेंप गया और चुप हो गया।
“क्या हुआ चाचा गाईये ना बहुत अच्छा गा रहे है आप”,मुन्ना ने कहा
“अरे नहीं बबुआ हम तो बस ऐसे ही गुनगुना रहे थे”,नाविक ने कहा
मुन्ना और नाविक की बातें सुनकर कुछ ही दूर बैठे बाकि के नाविक भी चले आये और उनमे से एक ने कहा,”अरे मुन्ना भैया बहुत ही बढिये गाता है ये लगता है आपके सामने शरमा रहा है , ए महादेव सुनाओ ना यार,,,,,,,,,,,,,हमायी भी थोड़ी थकान दूर हो और मन को शांति मिले”
“सुनाईये ना”,मुन्ना ने कहा तो महादेव सामने बहते पानी को देखने लगा और आगे गाने लगा लेकिन इस बार उसका सुर और आवाज तेज थी और उतनी ही मधुर भी
“तोरी पायल की छन छन पे , मन अपना हार गए
तोरे नैनो के काजल पे , अपना सब कुछ वार गए
तू जो थामे मेरी डोर , चले मन ये तेरी ओर
तोरे रस्ते पे मेरे पाँव रे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
मन बावरा , देखे तेरी राह रे,,,,,,,,,,,,,,,,,मन बावरा , देखे तेरी राह रे”
महादेव का गाना सुनकर सब उसमे खो से गए। जब महादेव रुका तो मुन्ना ने कहा,”आप तो बहुत अच्छा गाते है कहा से सीखा ?”
“बचपन में हमारी माताजी गया करती थी तबसे ही हम इसे गुनगुनाते है ,, शाम के समय थक-हारकर जब यहाँ बैठे इसे गुनगुनाते है तो सारी थकान पल में दूर हो जाती है बबुआ”,महादेव ने कहा तो मुन्ना मुस्कुराने लगा
कुछ देर बाद सभी नाविक अपना अपना सामान लेकर वहा से चले गए। मुन्ना वही बैठा रहा , आरती के स्वर उसके कानो में पड़ रहे थे लेकिन उन सब स्वरों को परे रख महादेव के गाये गीत की एक लाइन बार बार उसके कानो में गूंज रही थी “मुझको ना आस कोई,,,,,,,,,,,,बस तेरी चाह रे,,,,,,,,,,,मन बावरा देखे तेरी राह रे”
मुन्ना ने अपने दोनों हाथो को सर के पीछे लगाया और वही सीढ़ियों पर लेट कर आसमान में टिमटिमाते तारो को देखने लगा। मुन्ना 23-24 साल का खूबसूरत जवान लड़का था पर अब तक उसकी कोई प्रेम कहानी नहीं थी। कॉलेज में कई लड़किया उसे पसंद करती थी , कॉलेज के बाहर भी अक्सर लड़किया उस से बात करने उसके करीब आने की कोशिश करती थी पर मुन्ना ना जाने किस मिटटी का बना था। वह हमेशा लड़कियों से दूर रहता था ना ही उसकी जिंदगी में अभी तक ऐसी कोई लड़की आयी थी जिसे देखकर उसका दिल धड़क उठे। आसमान में तारे देखते हुए उसने धीरे से अपनी आँखे मूँद ली और अस्सी घाट पर गूंज रही आरती के संवादों को महसूस करने लगा। मुन्ना को नजर आ रही थी सफ़ेद चूड़ीदार सूट पहने एक लड़की , जो अपना सफ़ेद दुप्पटा उसी घाट की सीढ़ियों पर लहराते हुए गोल गोल घूम रही होती है ,, कभी उस लड़की के सुन्दर पैर जिनमे चाँदी की पायल चमक रही है , कभी उसके कानो पर झूलते झुमके , तो कभी हाथो में खनकती चूड़िया नजर आ रही थी। मुन्ना एक अजीब सी कश्मकश में था की आखिर ये सब क्या है ? अगले ही पल उसे अहसास हुआ जैसे वह सफ़ेद दुपट्टा उसे छूकर गुजरा है। उसने अपनी आँखे खोली और उठकर बैठ गया। अपने आस पास देखा दूर दूर तक कोई लड़की नही थी ना ही कोई सफ़ेद दुपट्टा था बस इक्का दुक्का लोग वहा घूम रहे थे।
हवाएं चल रही थी जिस से मुन्ना के बाल उड़ने लगे और कुछ उसके माथे चूमने लगे। मुन्ना अपनी बुझी आँखों से घाट के पानी को देखने लगा वह अभी भी शांत था
उसी शाम उस घाट पर मुरारी अनु को लेकर आया हुआ था। अनु ने मुरारी के साथ घूमते हुए कहा,”मुझे समझ नहीं आता मुरारी ये घूमाने के नाम पर तुम हमेशा मुझे यहाँ क्यों ले आते हो ? क्या है इस घाट पर सिर्फ पानी है कुछ सीढिया है और कुछ लोग जिन्हे पिछले 25 साल से देखते आ रही हूँ मैं”
“अरे मैग्गी तुम्हे इसी घाट पर तुम हमसे मिलने आयी थी और यही तुमने हमसे अपने प्यार का इजहार किया था। घूमने के लिए तो पूरा बनारस पड़ा है यहाँ इसलिए आते है का है की सुकून बहुत है हिया , रही बात ये की यहाँ का है तो उह देखने की क्षमता तुम मा है ही नहीं ,, बनारस अपने आप में लाजवाब है यार”,मुरारी ने कहा तो अनु ने अपने हाथ जोड़े और कहा,”ओह्ह विधायक जी तुम्हारे ये भाषण ना तुम अपनी जनता के सामने दिया करो हमारे साथ हमारे मुरारी बनकर ही रहा करो”
“अरे जे बात पहले बोलनी चाहिए थी , मीठा खाओगी ?”,मुरारी ने पूछा
“क्या मीठा वो भी यहाँ”,अनु ने हैरानी से कहा
“तुम ना यार मैग्गी प्रेम नहीं समझती हो हम मीठे की बात कर रहे है,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए मुरारी जैसे ही अनु के करीब आया उसकी नजर कुछ ही दूर बैठे मुन्ना पर चली गयी और उसने अनु से दूर होकर कहा,”एक मिनिट जे मुन्ना हिया का कर रहा है ?”
बेचारी अनु जो की अच्छे मूड में थी एकदम से उसका मूड खराब हो गया,”ये जब देखो तब तुम हमारे बेटे के पीछे क्यों पड़े रहते हो ?”
“अरे पीछे कहा पड़े है ? उह देखो उधर”,मुरारी ने अनु को मुन्ना की तरफ पलटते हुए कहा तो अनु ने देखा वह मुन्ना ही था उसके मुंह से निकला,”मुन्ना यहाँ क्या कर रहा है ?”
“पूछकर आते है”,मुरारी जैसे ही जाने लगा अनु ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”ऐसे किसी की प्रायवेसी में दखल देना सही नहीं है जब वो घर आये तब पूछ लेना , अभी यहाँ से चलते है”
“कहा मैगी अभी अभी तो आये है”,मुरारी ने कहा
“बिल्कुल लेकिन मैं बाप बेटे को एक साथ यहाँ नहीं देख सकती अब चलो”अनु मुरारी का हाथ पकड़कर उसे वहा से ले गयी जाते जाते मुरारी पलटा और कहा,”हमारी विधायकी एक तरफ और इनकी ठकराई एक तरफ,,,,,,,,,,,,,,,,,महादेव बचाये”
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क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 5
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संजना किरोड़ीवाल
Di….Munna to kasi ka bda bhai hai na…Kashi choti hai munna or vansh s
O to mahadev nhi bacha sakte Murari bhaiya 😁😂😂
Kahani apki hai to achi to hona pakka hai .
Very beautiful
Superb 👌
Kashi or munna ki prem khani to ho hi nhi sktii… Kyuki sarika or annu bhne hh🤔🤔
Chlo ab Kashi ki entry hogii story me😍😍😍 kon hogi munna ki kismat me jo uska dil dhadkayegii….or kon hogi jo vansh ko sudhar degii😂😂😂😂
Kab in dono ki mtlb hamare munna aur vansh ki dil dhadkane vali ladki ayegi hume to bas undodnonka intazar hai kaisi hogi kaisi lag rahi hogi munna aur vansh kab unse milenge extremely eagerly waiting 😀 😄 😆 👍
Thx for giving second season of ranjhna,bhut romantic lg rhi hai story,baki stories ki trah
Vansh or Munna kahi exchange to nhi ho gye the hospital me, hahahah jo bhi ho bhut hi interesting h kahaani.
Interesting
finally ab kashi aayegi.mujhe to.munn aki premika ka intzar h 😊😊😊
Superb…awesome part…😊😊❤️❤️Haye…kab shuru hogi inki love story…🥰🥰
Bht achi hai story bas thodi alag hai ka hai ki phle shaitan murari tha ab ho gya hai uska ulta ab shivam ka beta vansh ho gya shitan aur gussel aur Munna nikla ek dum shant jhill ki trh vaise kahani itni achi hai ki ka hi bataye bht hi badhiya 😍😍 bas aise hi aage bdte rho didi love u ❤️
Awesome part hai ❤️❤️
Bhut hi pyaara part tha munna to bilkul shivam jsa h uski life m bhi koi jldi hi aa jaayegi
Well mujhe to mujhe to Munna se zyada Murari ke phele wali aadte pasand hai PTA nhi woh purane wali Murari kab dekhne milega
Nice story
bht khoob such h munna bilkul shivam ki trh h acha lgta h dubara vahi pal jike love you mam
Ossam part tha💓💓🌹🌹
इंतजार है जब फिर कोई सारिका और अनु जैसी आएंगी वंश और मून्ना के लिए भी … बनारस तो जान है❤️
Lovely part ❤️
Thanks thanks mam itni achhi aur behtreen story dene k liye as always superb superb part
Lovely part😍😍
Yeh bechara munna…
Lgta h Vnash ki kahani Murari jaishi hogi, aur Munna ki Shivam jaisji….Aag hai Vansh