Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 3

Main Teri Heer – 3

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Main Teri Heer – 3

“किशोर दत्त” बनारस थाने के नए दरोगा जिन्हे मुरारी और शिवम् से मिलकर ज्यादा ख़ुशी नहीं हुई थी। मुन्ना अपने कॉलेज के लिए बाइक लेकर निकल गया और शिवम् के घर के सामने आकर हॉर्न मारा। वंश उस वक्त नाश्ता करने बैठा ही था लेकिन मुन्ना को देखते ही उठा और अपना बैग पीठ से लगाकर पराठे का रोल बनाकर हाथ में लेते हुए कहा,”माँ मैं जाता हूँ मुन्ना आ गया है , बाय बाय बाय”
“वंश नाश्ता तो करते जाओ,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,सारिका उसे आवाज देते ही रह गयी लेकिन वंश वहा से जा चुका था। आई ने देखा तो सारिका के पास आयी और कहा,”बचपन में शिवम् भी ऐसे ही करता था , ना वक्त पर खाता था ना घर में टिकता था बस दिनभर घाट पर रहता”
“लेकिन वंश अपने पापा पर बिल्कुल नहीं गया है माँ , उसे तो बनारस बिल्कुल अच्छा नहीं लगता जब देखो तब बस यहाँ से भागने की लगी रहती है। कितना सुकून है इस शहर में पता नहीं वंश को ये बात कब समझ आएगी”,सारिका ने प्लेट उठाते हुए कहा और चली गयी
वंश रोल खाते हुए बाहर आया और मुन्ना के पीछे बैठते हुए कहा,”आज फिर लेट हो गए , चल जल्दी”
“अच्छा देर तुमने की या हमने ?”,मुन्ना ने सवाल किया
“मैंने अब चलो यार”,वंश ने कहा तो मुन्ना ने बाइक आगे बढ़ा दी। दोनों कॉलेज पहुंचे वंश क्लास में ना जाकर अपने दोस्तों की तरफ चला गया। मुन्ना को आज कॉलेज के पीछे वाले हिस्से पर अवैध कब्जा था उसे हटवाना था इसलिए वह सीधा अपने ग्रुप के पास आया। उसने अपने ग्रुप इस बारे में बात की तो सभी मुन्ना के साथ चल पड़े। मुन्ना उन सबके साथ कॉलेज के पीछे वाले हिस्से में आया उसने देखा वहा काफी ज्यादा गंदगी थी और चारो और दुर्गन्ध फैली हुई थी। मुन्ना वहा मौजूद लोगो के लीडर के पास आया और कहा,”देखिये ये जगह कॉलेज वालो की है। यहाँ फैली गंदगी और बदबू की वजह से कॉलेज का माहौल काफी खराब हो चुका है। स्टूडेंट्स अपनी क्लास में ना बैठ पा रहे है ना ठीक से पढ़ पा रहे है। आप लोग ये जगह खाली कर दो”
“क्यों पुलिस वाला है तू ? या कोई नेता है ? जा जाकर इन दोनों में से किसी का नोटिस लेकर आ फिर सोचेंगे”,वहा बैठे एक हट्टे कट्टे आदमी ने कहा
मुन्ना चाहता तो मुरारी की मदद से ये जगह दो मिनिट में खाली करवा सकता था लेकिन उसे अपने पापा की विधायकी से कोई मदद नहीं चाहिए थी उसने बड़े ही सहज भाव से कहा,”सर प्लीज हम आपसे रिक्वेस्ट करते है ये जगह खाली कर दीजिये। स्टूडेंट्स की पढाई बर्बाद हो रही है”,मुन्ना ने कहा तो आदमी गुस्से में उठा और उसकी तरफ आते हुए कहा,”तेरे को एक बार बोला ना जाकर इन दोनों में से किसी एक का नोटिस लेकर आ , चल जा”
“सर प्लीज”,मुन्ना ने जैसे ही कहा आदमी ने उसका कॉलर पकड़ लिया ये देखकर मुन्ना के साथ के लोग गुस्से से आगे बढ़ने को हुए लेकिन मुन्ना ने हाथ के इशारे से उन्हें रोक दिया और आदमी से कहा,”हमारे एक इशारे पर ये लोग आपको उठाकर बाहर फेंक देंगे लेकिन हम ऐसा नहीं करना चाहते क्योकि हम स्टूडेंट्स है। आपसे रिक्वेस्ट कर रहे है क्योकि हम किसी भी तरह का झगड़ा नहीं चाहते”
“तेरी इतनी औकात तू मुझे धमकायेगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,आदमी ने मुन्ना की कॉलर पकडे इतना ही कहा था की एक घुसा आकर उस आदमी के मुंह पर लगा और वह दूर कीचड़ में जा गिरा। मुन्ना ने देखा उसकी बांयी ओर वंश च्विंगम चबाते हुए खड़ा था। वंश ने अपने ललाट पर आये बालो को पीछे किया और मुन्ना से कहा,”कब तक इनसे रिक्वेस्ट करोगे , गुंडे है और गुंडों को ना गुंडों की भाषा में ही समझाया जाता है”
मुन्ना वंश को रोकता इस से पहले ही वंश ने उस आदमी को पटक पटक के मारना शुरू किया। आदमी उठा और खुद को सम्हलाते हुए जेब से फोन निकाला और किसी को फोन लगाकर कहा,”एक लड़का यहाँ लफड़ा कर रहा है अपने आदमियों को भेजो”
वंश ने सूना तो एक बड़ा सा लकड़ी का टुकड़ा उठाया और आदमी के पैर पर दो चार मारी। आदमी घुटनो के बल नीचे जा गिरा वंश वही पास पड़े पत्थर पर बैठा और लकड़ी के टुकड़े को जमीन में गाड़ते हुए कहा,”बुला अपने आदमियों को मैं इधर ही हूँ”
मुन्ना ने अपने ग्रुप के लोगो को इशारा किया सब काम में लग गए और वहा फैली गंदगी को साफ करने लगे। कॉलेज की दिवार और छत से बाकी स्टूडेंट्स उन्हें देख रहे थे। बीती रात जो लड़की मुन्ना से बार में मिली थी उसने देखा तो वह भी अपने दोस्तों के साथ वहा चली आयी और आकर मुन्ना से कहा,”सर हम सब भी आपकी मदद करे ?”
“अगर आप लोगो को कोई परेशानी ना हो तो बिल्कुल कीजिये”,कहकर मुन्ना आगे बढ़ गया। लड़की तो बस इतने में ही खुश हो गयी और अपनी दोस्तों के साथ काम पर लग गयी। उसका ध्यान काम पर कम और मुन्ना पर ज्यादा था लेकिन मुन्ना को वहा मौजूद लड़कियों से कोई मतलब नहीं था। वही आधी से ज्यादा लड़कियों की नजर वंश पर थी। वंश भी काफी चौड़ में बैठा था और पास बैठा आदमी दर्द से कराह रहा था। आधे घंटे में ही वो जगह आधी से ज्यादा साफ हो चुकी थी। कुछ देर बाद एक बड़ी बुलेरो आकर वहा रुकी उसमे से 5-7 लोग नीचे उतरे।
कॉलेज का माहौल काफी गरमा चुका था। स्टूडेंट्स क्लास छोड़कर वहा मौजूद थे , कुछ इस खुश थे की अब उन्हें कॉलेज में एक शानदार फाईट देखने को मिलेगी और कुछ परेशान थे क्योकि इस बार वंश ने शायद गलत पंगा ले लिया था। मुन्ना जी की हमेशा अहिंसा में विश्वास रखता था वह अपने काम में लगा था और वंश जिसे छोटी छोटी बातो पर जल्दी गुस्सा आ जाता था। उन आदमियों को देखकर वंश उठा और अकेला ही उनसे भीड़ गया। दो तो मार खाकर गिर पड़े। बचे 5 तो वंश उनसे लड़ता रहा उसे लगा मुन्ना उसकी मदद करने आएगा लेकिन मुन्ना ने ध्यान भी नहीं दिया। वंश ने मुन्ना की तरफ देखा इतने में एक ने उसके मुंह पर घुसा दे मारा। वंश वह पड़ी टेबल पर जा गिरा ,, इतने में दो ने भागकर वंश के दोनों हाथ पकड़ लिए और एक लकड़ी का टुकड़ा हाथ में उठाये वंश के पास आया और कहा,”खुद को बहुत बड़ा हीरो समझता है रुक अभी निकालता हूँ तेरी हीरोगिरी”
वंश ने उनसे छूटने की कोशिश की लेकिन मुश्किल था दोनों ने उसके हाथ के साथ साथ उसके पैरो को भी ब्लॉक कर रखा था। आदमी ने जैसे ही वंश को मारने के लिए लकड़ी उठायी वंश ने अपनी आँखे मीच ली लेकिन लकड़ी ने उसे छुआ तक नहीं। वंश ने अपनी आँखे खोली देखा एक हाथ ने उस लकड़ी के टुकड़े को अपने हाथ से पकड़कर रोक रखा था। वंश ने हाथ वाले शख्स की तरफ नजर घुमाई कोई और नहीं बल्कि मुन्ना ही था। वंश का चेहरा ख़ुशी से खिल उठा। मुन्ना ने उन तीनो को साइड किया और वंश की तरफ हाथ बढाकर उसे उठाया। बस फिर क्या था दोनों ने मिलकर उन सबकी जो धुलाई की देखकर मजा आ गया। प्रिंसिपल सर को पता चला तो उन्होंने थाने में फोन कर दिया कुछ ही देर बाद वहा पुलिस की जीप आकर रुकी जिसमे “किशोर दत्त” भी था उसने कॉन्स्टेबल को सबको गाड़ी में डालने को कहा। जब नजर वंश पर पड़ी तो उसने वंश की कॉलर पकड़कर कहा,”स्टूडेंट होकर गुंडागर्दी करते हो”
“आई ऍम स्टूडेंट , क्रिमिनल को पकड़िए सर”,वंश ने किशोर की आँखों में देखते हुए कहा
“पुलिस का काम पुलिस को मत सिखाओ तुम”,किशोर ने भी घूरते हुए कहा
“पुलिस अगर अपना काम ढंग से करती तो हम स्टूडेंट्स को ये सब करना ही नहीं पड़ता”,वंश ने कहा
“ए,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,इंस्पेक्टर ने ऊँची आवाज में कहा पास ही खामोश खड़े मुन्ना ने कहा,”ए क्या ?,,,,,,,,,,,,आप पुलिस वाले है आपको कंप्लेंट करने के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया। इन लोगो की वजह से कितने स्टूडेंट्स की पढाई बर्बाद हो रही है जानते है आप। हमने उनसे रिक्वेस्ट की ये जगह खाली करने की लेकिन वो हाथपाई पर उतर आये”
“और हमने कोई चूड़िया तो पहनी नहीं है सर,,,,,,,,,,,,!!!”,वंश ने कहा तो किशोर उसे घूरने लगा। शहर में आये उसे अभी 2 दिन ही हुए थे और इन दो दिनों में वैसे 4 लोगो से मिल चुका था जो उस से आँखे मिलाकर बात कर रहे थे।
“जाने दीजिये सर इनमे से एक विधायक जी का लड़का है”,कॉन्स्टेबल ने किशोर से कहा इतने में प्रिंसिपल सर आये और किशोर से कहा,”थैंक्यू सर आप यहाँ आये ,, पिछले कुछ दिनों ने उन लोगो ने काफी माहौल खराब कर रखा था”
“डोंट वरी सर उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाएगी , टेक केयर एंड अपने स्टूडेंट्स से कहिये कानून हाथ में ना ले”,किशोर ने कहा और मुन्ना वंश को घूरते हुए वहा से चला गया। प्रिंसिपल सर ने सबको अपनी अपनी क्लासो में जाने को कहा और मुन्ना से कहा,”थैंक्यू मानवेन्द्र”
“इसमें थैंक्यू की क्या बात है सर हम सब आपके स्टूडेंट्स है हमारी जिम्मेदारी बनती है”,मुन्ना ने कहा तो प्रिंसिपल उसका कंधा थपथपा कर वहा से चले गए

वंश वहा से जाकर एक बेंच पर बैठ गया। मुन्ना ने देखा तो पानी की बोतल लेकर उसके पास आया और देखा वंश अपने होंठ पर लगी चोट को छूकर देख रहा था। मुन्ना ने बोतल वंश की ओर बढाकर कहा,”तुम बीच में क्यों आये मैं बात कर रहा था ना ?”
“मुन्ना लातो के भूत बातो से नहीं मानते है , लेकिन तुमने उनको जो मारा मजा आ गया”,वंश ने हँसते हुए कहा। मुन्ना उसकी बगल में बैठा , अपने जेब से रुमाल निकाली और उसके होंठ से बहते खून को साफ करते हुए कहने लगा,”हम किसी पर हाथ उठाना पसंद नहीं करते है ये हमारा नियम है वंश लेकिन जिनसे हम प्यार करते है उन पर कोई मुसीबत आये तो हमे अपने नियम तोड़ने में कोई ऐतराज नहीं है।”
“देखो यार मुन्ना मैं सीधी बात जानता हूँ पहली बार में समझाओ दूसरी बार में दे कंटाप , मामला फिक्स”,वंश ने कहा तो मुन्ना मुस्कुराने लगा
उसे मुस्कुराते देखकर वंश ने कहा,”क्या हुआ मुस्कुरा क्यों रहे हो ?”
“कभी कभी ना हमे लगता है तुम्हे हमारे घर में पैदा होना चाहिए तुम में सारे गुण पापा वाले है”,मुन्ना ने कहा
“हां और तुम्हे मेरे घर में , वैसे भी माँ पापा तो तुम्हे बहुत पसंद करते है उनके संस्कारी बेटे जो हो तुम”,वंश ने कहा
“वो तो हम हमेशा रहेंगे अब उठो और अपनी क्लास में जाओ ,, कुछ पढ़ लो वैसे भी अगले हफ्ते से दिवाली की छुट्टिया पड़ने वाली है और हां गुस्सा थोड़ा कम किया करो”,कहते हुए मुन्ना उठा और वहा से चला गया
“गुस्सा तो मरने के बाद ही कम होगा मुन्ना”,कहते हुए वंश एक बार फिर अपने होंठ को छूकर देखने लगा तभी दूसरे सेक्शन की लड़की रिया आयी और कहा,”ज्यादा लगी क्या ?”
“हम्म्म देखो ना बहुत दर्द हो रहा है”,वंश जिसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी खूबसूरत लड़कियों से फ्लर्ट करना उसने रिया के करीब आकर कहा
“ओह्ह बेबी दिखाओ मुझे फूऊऊऊ अब ठीक है ?”,रिया ने फूंक मारते हुए कहा
“हम्म्म्”,वंश ने रिया की आँखों में देखते हुए कहा

नाश्ता करने के बाद शिवम् अपने सीमेंट गोदाम चला गया। सारिका भी तैयार आयी और बाबा से कहा,”चले बाबा ?”
“हां बेटा चलते है”,बाबा ने कहा और सारिका के साथ आकर गाड़ी में उसकी बगल वाली सीट पर बैठ गए। सारिका ने गाड़ी स्टार्ट की और “ओल्डएज होम” की तरफ बढ़ा दी। रोज सुबह सारिका बाबा के साथ ओल्डएज होम जाया करती थी। घर में आयी को बोरियत ना हो इसलिए उन्होंने अपना अचार का बिजनेस खोल लिया। तरह तरह के अचार और चटनियाँ वह अपने घर में ही बनाया करती थी। साथ ही घर के दोनों नौकरो को भी परेशान रखा करती थी। शिवम् दिनभर अपने गोदाम और बाकि बनारस के सामाजिक कामो में नजर आता था। मुरारी अपना काम बखूबी सम्हाल ही रहा था बची अपनी अनु वह कभी अपने घर तो कभी आई के पास। मुरारी के चाचा चाची तो विदेश में बस चुके थे साल में एक बार सबसे मिलने आते थे बस।
सारिका और बाबा ओल्डएज होम पहुंचे। सारिका ने गाड़ी साइड लगाईं और दोनों नीचे उतरे। अंदर आकर बाबा ऑफिस की तरफ चल गए और सारिका बाकि सब से मिलने तभी वहा काम करने वाले उनके मैनेजर गुलशन ने कहा,”मैडम बाहर एक औरत आपसे मिलने के लिए खड़ी है”
“उन्हें आप अंदर ले आईये”,सारिका ने कहा और बरामदे में चली आयी। कुछ देर बाद गुलशन एक औरत और छोटे बच्चे के साथ सारिका के सामने चला आया।
“नमस्ते मैडम”,औरत ने अपने दोनों हाथ जोड़कर कहा
“नमस्ते”,सारिका ने कहा तो औरत के साथ खड़े बच्चे ने भी अपने दोनों हाथ जोड़ दिए। सारिका ने देखा तो मुस्कुरा कर बच्चे के गाल को छूआ और औरत से कहा,”कहिये हम आपकी क्या मदद कर सकते है ?”
औरत में अपनी साड़ी के पल्लू से एक कार्ड निकालकर सारिका की और बढ़ा दिया और कहा,”ये कल रात एक बऊआ ने हमे दिया था कहा की आपसे आकर मिळू , का नाम बताया था उन्होंने अपना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!! औरत को नाम याद नहीं था शायद
“मुन्ना”,सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा तो औरत ने हामी में गर्दन हिला दी।
“आप यहाँ रह सकती है , गुलशन पहले इन्हे कुछ खिला दो। आप इनके साथ चली जाईये”,सारिका ने कहा
“बहुत बहुत शुक्रिया मैडम , आपका जे अहसान हम कभी नहीं भूलेंगे”,औरत ने कहा
“हमने आप पर कोई अहसान नहीं किया है जैसे सब यहाँ रहकर कुछ ना कुछ काम करके अपना जीवन जी रहे है आप भी रहिये बाकि महादेव तो है हम सबके साथ”,सारिका ने कहा तो औरत अपने बच्चे को लेकर गुलशन के साथ चली गयी।
उनके जाने के बाद सारिका ने अपना फोन निकाला और मुन्ना को फोन लगाया। मुन्ना उस वक्त प्रिंसिपल सर के रूम में था। सारिका का फोन देखकर उसने कहा,”एक मिनिट सर”
मुन्ना ने फोन उठाकर कान से लगाया और कहा,”नमस्ते बड़ी माँ”
“नमस्ते मुन्ना , हमारे नक़्शे कदम पर बाखूब चल रहे हो”,सारिका ने बड़े प्यार से कहा
“बड़ी माँ आपने ही कहा था , अपने लिए तो हर कोई जीता है किसी दूसरे के जीने को ही असली जिंदगी कहते है। कल रात जब हमने उसके बच्चे को देखा तो लगा
इन सब में उस नन्ही जान की क्या गलती है। हम जानते है वो एक ओल्डएज होम है लेकिन उसे वहा रख लीजिये”,मुन्ना ने कहा
“तुम्हे कहने की जरूरत नहीं है मुन्ना वो यहाँ रह सकती है”,सारिका ने कहा
“थैंक्यू बड़ी माँ”,मुन्ना ने कहा
“अच्छा घर कब आ रहे हो ?”,सारिका ने पूछा
“आज शाम में वंश के साथ ही आ रहा हूँ , पापा कह रहे थे की बड़े पापा को मिलना है हमसे”,मुन्ना ने कहा
“ठीक है शाम में मिलते है”,कहकर सारिका ने फोन काट दिया और वहा से चली गयी

मुन्ना खुश था। वह वापस प्रिंसिपल के ऑफिस आया तो प्रिंसिपल सर ने कहा,”मानवेन्द्र आज तुमने कॉलेज के लिए जो किया उसके बाद से मुझे नहीं लगता किसी को कॉलेज प्रेजिडेंट इलेक्शन में तुम्हारे खिलाफ खड़ा होना चाहिए। हर बार की तरह इस बार भी तुम ही इस कॉलेज के प्रेजिडेंट बनने वाले हो वैसे भी इस कॉलेज में तुम्हारा ये आखरी साल है”
“एक मिनिट सर,,,,,,,,,,,,,,,बिना वोटिंग के ही आपने ये फैसला कैसे ले लिया की मुन्ना कॉलेज प्रेजिडेंट बनेगा”,कमरे में आते हुए एक हट्टे कट्टे लड़के ने कहा , उसने काले रंग का कुरता और लाइट जींस पहन रखी थी , गले में नारंगी रंग का गमछा डाल रखा था और आँखों पर धुप वाला काले रंग का चश्मा लगा रखा था। उसके पीछे उसके 5-6 लड़के भी थे। लड़के ने अपना चश्मा उतारा और उसे अपने कुर्ते की जेब में टाँग लिया।
“लेकिन पिछले 4 सालो से मुन्ना ही इस कॉलेज का प्रेजिडेंट बनता आ रहा है। ये अचानक से तुम्हे वोटिंग का ख्याल क्यों आया है राजन ?”,प्रिंसिपल सर ने हैरानी से कहा।
“हमेशा बनता रहा है लेकिन इस साल भी मुन्ना ही बने जरूरी तो नहीं है न सर”,राजन ने कहा
“सर कॉलेज इलेक्शन में अभी वक्त है , अगर इसे वोटिंग करवानी है करवाने दीजिये”,मुन्ना ने सहजता से कहा
“ठीक है दिवाली की छुट्टियों के बाद कॉलेज इलेक्शन के लिए फॉर्म भरे जायेंगे तब तुम भी अपना नाम दे देना राजन”,प्रिंसिपल सर ने कहा तो मुन्ना और राजन दोनों वहा से बाहर चले गए। मुन्ना जाने लगा तो राजन ने कहा,”क्यों मुन्ना मैंने नाम देने की बात की तो डर गए क्या ?”
“डर हमे इस बात का है की कही हारने के बाद तुम कॉलेज ना छोड़ दो”,कहकर मुन्ना वहा से चला गया।
“तेरी ये अकड़ तो मैं जरूर निकलूंगा मुन्ना , चलो बे”,कहकर राजन भी अपने लड़को को लेकर वहा से चला गया।
“राजन सिंह” बनारस के रहने वाले “प्रताप सिंह” का बेटा इसी कॉलेज में पढता है ,, प्रताप की मुरारी और शिवम् से पुरानी दुश्मनी थी और राजन ने इस दुश्मनी को कायम रखा। आगे चलकर ये दुश्मनी क्या रंग लाने वाली थी ये तो महादेव ही जाने ?

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क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 4

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संजना किरोड़ीवाल

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