Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर”- 21

Main Teri Heer – 21

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Main Teri Heer – 21

मार्किट में अफरा तफरी का माहौल था। शक्ति ने काशी के सामने आकर बैल को तो रोक लिया लेकिन बैल बौखलाया हुआ था। गुस्से में वह शक्ति को पीछे धकेलने लगा। इतने ताकतवर बैल को देखकर किसी की आगे आने की हिम्मत नहीं हुई। काशी ने तो डर के मारे खुद को अनु की बांहो में छुपा लिया था। शक्ति पूरी ताकत के साथ उस बैल का सामना कर रहा था जब उसने देखा बैल काबू से बाहर हो चुका है तो शक्ति उसकी आँखों में देखने लगा। बैल अपनी बड़ी बड़ी आँखों से शक्ति को और शक्ति अपनी तेज तरार आँखों से बैल को देख रहा था। बैल के दोनों सींग उसके हाथो में थे और वह लगातार बैल को घूरे जा रहा था। बैल की आँखों में लगातार देखने की वजह से बैल का ध्यान शक्ति से हट गया वह थोड़ा सा लड़खड़ाया इतने में ही शक्ति ने पूरी ताकत के साथ उसे नीचे जमींन पर पटक दिया।
“ये बैल पागल हो चुका है इसे अभी के अभी आवारा पशु पकड़ने वाली गाड़ी के हवाले कर दो”,भीड़ में से एक आदमी चिल्लाया
“ए,,,,,,,,,,तुम इंसान ही हो ना , दिखाई नहीं देता इसकी गर्दन पर घाव है और उस वजह से ये बौखलाया हुआ है। इसका इलाज कराने के बदले इसे आवारा पशु वाली गाड़ी के हवाले करने की बात कर रहे हो ,, तुम लोगो में थोड़ी भी दया भावना है या नहीं , वे लोग या तो इसे जंगल में छोड़ देंगे या फिर मार देंगे”,शक्ति गुस्से से चिल्लाया तो सभी सहम कर पीछे हट गए।
नीचे जमीन पर पड़ा बैल दर्द से बिलबिला रहा था। शक्ति ने वही खड़े एक आदमी के कंधे से गमछा लिया और बैल के पास आया। उसने प्यार से बैल का सर और पीठ सहलाई उसके बाद उस गमछे को उसकी गर्दन से लपेट दिया। बैल ने अपना सर जमीन पर टिका दिया उसकी आँखों से आंसू रिसने लगे।
“शक्ति भैया हम अभी डाक्टर के आते है”,एक आदमी ने शक्ति की तरफ आकर कहा
शक्ति ने हाँ में गदर्न हिलाई और सबको जाने का इशारा किया। भीड़ तीतर बितर होने लगी। शक्ति को याद आया की जिस लड़की को उसने बचाया वह घाट वाली लड़की ही थी उसने भीड़ में इधर उधर देखा लेकिन अनु काशी और अंजलि को लेकर कबका वहा से जा चुकी थी। एक बार फिर काशी और शक्ति मिलकर भी नहीं मिल पाए।
बैल का इलाज करवाने के बाद शक्ति वहा से चला गया।
काशी , अनु और अंजलि घर चले आये। काशी की आँखों के आगे अभी भी वह बैल वाला सीन आ रहा था लेकिन उसे बचाने वाला लड़का कौन था काशी नहीं देख पाई। मुन्ना घर पर ही था अनु को देखते ही कहा,”माँ कितनी देर लगा दी ना आप लोगो ने और बेचारी काशी एक हफ्ते के लिए घर आयी है लेकिन कोई इसे चैन से बैठने भी नहीं दे रहा , दिनभर घर से बाहर”
“मुन्ना तुम सब बैठो मैं अभी आयी”,कहकर अनु अपने कमरे की तरफ चली गयी। अंजलि और काशी मुन्ना की तरफ आयी काशी का उदास चेहरा देखकर मुन्ना ने कहा,”क्या हुआ काशी सब ठीक है ना ? तुम बहुत परेशान दिख रही हो”
काशी ने सूना तो फफक कर रो पड़ी ये देखकर मुन्ना उसके पास आया और उसे प्यार से चुप कराते हुए कहा,”क्या हुआ काशी बताओ हमें ?”
काशी ने कुछ नहीं कहा बस मुन्ना के सीने से लगकर सिसकने लगी वह इतना डर गयी की उस से कुछ बोला ही नहीं गया। मुन्ना ने अंजलि की ओर देखा और कहा,”अंजलि तुम बताओ क्या हुआ ? काशी रो क्यों रही है किसी ने कुछ कहा क्या इसे ?”
अंजलि ने मुन्ना को सारी बात बता दी तो मुन्ना के चेहरे पर भी थोड़े से परेशानी के भाव उभर आये और उसने काशी का सर सहलाते हुए कहा,”चुप हो जाओ काशी देखो कुछ नहीं हुआ है तुम बिल्कुल ठीक हो”
मुन्ना ने उसे चुप कराया और कहा,”जाओ मुंह धोकर आओ फिर सब साथ बैठकर खाना खाते है”
काशी मुंह धोने चली गयी तो मुन्ना ने अंजलि से कहा,”वो डर गयी है शायद इसलिए भूल से भी उसके सामने उस घटना का जिक्र मत करना”
“ठीक है भैया”,अंजलि ने कहा
मुन्ना काशी और अंजलि डायनिंग के पास आ बैठे , मुन्ना जो की कम बोलता था आज काशी को हँसाने के लिए ना जाने कितनी ही बातें किये जा रहा था। आख़िरकार काशी हंस पड़ी और उस घटना को भी भूल गयी। खाना खाने के बाद काशी कुछ देर रुकी और फिर मुन्ना उन्हें घर छोड़ने चला गया।

शिवम् का घर बहुत ही सुंदर लग रहा था , शाम होते ही घर की लाइट्स जगमगाने लगी। काशी ने देखा तो शिवम् के पास आयी और कहा,”वाह पापा आपने तो कमाल ही कर दिया , घर कितना सुंदर लग रहा है ना”
“हां आपको पसंद आया ?”,शिवम् ने प्यार से काशी के कंधे पर अपना हाथ रखते हुए कहा
“हां बहुत , लेकिन आप इन कपड़ो में क्या कर रहे है ? आज धनतेरस है और आज दीपक जलाएंगे इसलिए जाईये नए कपडे पहनकर आईये”,काशी ने कहा तो शिवम् मुस्कुराने लगा उसे अपनी बेटी में आई की झलक दिखाई दे रही थी। काशी घूमते हुए अपने घर को देखने लगी मार्किट वाली बात को वह पूरी तरह भूल चुकी थी। वंश नए कपडे पहनकर आया और काशी के सामने आकर कहा,”काशी ये ड्रेस कैसी है ?”
काशी ने देखा वंश कुछ ज्यादा ही तैयार होकर आया है तो उसने वंश को ऊपर से नीचे तक देखा और कहा,”वंश भैया आप तो ऐसे तैयार हुए है जैसे आपको लड़की देखने जाना हो”
“वंश गुप्ता लड़कियों को नहीं देखता लड़किया वंश गुप्ता को देखती है जब वो बनारस की गलियों में निकलता है”,वंश ने पास बैठी अंजलि के सर पर चपत लगाते हुए कहा जो की अपने फोन में घुसी हुई थी। अंजलि ने खा जाने वाली नजरो से वंश को देखा और कहा,”फिर तो बनारस की सारी लड़कियों को अपनी आँखों का इलाज करवाना चाहिए”
“अच्छा वो क्यों ?”,वंश ने असमझ की स्तिथि में कहा
“आप जैसे लंगूर को जो देखती है”,अंजलि ने कहा तो वंश ने उसका कान पकड़ा और कहा,”अच्छा बेटा बहुत जबान चलने लगी है तुम्हारी”
“वंश भैया मेरा कान छोड़िये वरना हम मामा जी को बता देंगे थोड़ी देर पहले कैसे आप विडिओ कॉल पर एक लड़की को फ्लाईंग किस दे रहे थे”,अंजलि ने कहा तो वंश ने तुरंत उसका कान छोड़ दिया और वहा से जाने लगा लेकिन तब तक काशी उसके सामने आयी और कहा,”कौन लड़की ?”
“कौ कौन लड़की कोई भी तो नहीं ?”,वंश ने काशी से नजरे चुराते हुए कहा
“अच्छा तो फिर हम से नजरे क्यों नहीं मिला रहे आप ? आप तो बड़े शातिर निकले वंश भैया उस दिन इंदौर में हमारे दोस्त को पीट दिया और यहाँ खुद अपनी दाल पकाने में लगे है ,, रुकिये अभी पापा से बात करते है,,,,,,,,,,,,,,,,पापा पा,,,,,,,!!”,काशी ने इतना ही कहा की वंश ने उसका मुंह बंद करते हुए कहा,”अरे काशी क्या कर रही हो ? पापा ने सुन लिया ना तो पंगा हो जाएगा”
“तो फिर बताओ कौन है वो ?”,काशी ने वंश का हाथ अपने मुंह से हटाते हुए कहा
“दोस्त है हमारे कॉलेज में पढ़ती है बस”,वंश ने अपनी जान छुड़ाने के लिए कहा
“सिर्फ दोस्त या गर्लफ्रेंड ?”,काशी ने अपने दोनों हाथो को बांधकर कहा
“अरे बाबा सिर्फ दोस्त तुम्हारी कसम”,वंश ने अपना हाथ काशी के सर पर रखते हुए कहा
“अच्छा ठीक है , हम अंदर जा रहे है माँ की हेल्प करने”,काशी ने जाते हुए कहा
“काशी रुको हम भी आते है”,अंजलि ने भी काशी के पीछे आते जाते हुए कहा ताकि वंश से बच सके। वंश को चिढ़ाते हुए वह आगे बढ़ गयी तो वंश ने मन ही मन कहा,”तुझे तो हम देख लेंगे छिपकली”

अगले दिन “रूप चौदस” थी आज के दिन महिलाये अपना रूप निखारने के लिए तरह तरह के लेप उबटन लगाती है जिस से उनका रूप निखर कर आये। सारिका सुबह जल्दी उठ गयी। सारिका कभी मेकअप नहीं करती थी वह हमेशा नेचुरल चीजे ही इस्तेमाल करती थी। उसने अपने लिए हल्दी का उबटन बनाया। सारिका नहाकर आयी और तैयार होकर शीशे के सामने आयी , उसने शीशे में खुद को देखा आज उसका चेहरा रोजाना से ज्यादा खिला खिला लग रहा था। सारिका ने अपनी मांग में सिंदूर लगाया और जाने के लिए जैसे ही मुड़ी पीछे खड़े शिवम् से टकरा गयी। शिवम् सोकर उठा ही था सारिका के सर में लगा सिंदूर शिवम् के पहने सफ़ेद कुर्ते पर जा लगा सारिका ने देखा तो कहा,”अरे आपका कुर्ता खराब हो गया”
शिवम् ने सारिका को अपनी बांहो में भरते हुए कहा,”सरु इसे खराब नहीं कहते ये तो अच्छा शगुन हैं , हमारे कुर्ते पर लगा सिंदूर इस बात की गवाही है की आप हमेशा हमारे दिल में रहेंगी”
“शिवम् जी क्या कर रहे है आप कोई आ जाएगा ?”,सारिका ने शिवम् की बांहो से छूटने की कोशिश करते हुए कहा
“तो आने दीजिये , आप हमारी पत्नी है हम आपके पति है इसमें डरना कैसा ? का कहता है मुरारी,,,,,,,,,,,,,हां प्राइवेट पत्नी है आप हमारी”,शिवम् ने मुस्कुराते हुए कहा
“मुरारी भैया तो कुछ भी कहते रहते है , आप छोड़िये हमे बच्चे है घर में,,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने कहा तो शिवम् ने उसे और कसकर पकड़ लिया
“माँ वो हमारी नयी वाली जींस,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए वंश जैसे ही कमरे में आया शिवम् और सारिका को साथ देखकर वापस पलट गया। शिवम् ने वंश को देखा तो तुरंत उसे छोड़ दिया।
“हां वंश क्या हुआ अंदर आओ ?”,सारिका ने कहा
“माँ वो हमारी नयी जींस कहा रखी है ? हमे कल पहननी है”,वंश ने कहा
“वो तुम्हारे कमरे में ही रखी है चलो हम देते है”,कहते हुए सारिका वंश के साथ कमरे से बाहर चली गयी। कमरे की खिड़की के सामने से गुजरते हुए उसने अंदर खड़े शिवम् को देखा और मुस्कुरा उठी।

मुरारी शीशे के सामने खड़ा अपने बाल बना रहा था , अनु कमरे में आयी तो उसे नेकलेस के बिल वाली बात याद आयी अनु ने अपने पर्स से बिल निकाला देखा ढाई लाख का था , एक बार के लिए अनु की सांसे भी ऊपर चढ़ गयी लेकिन उसने खुद को नार्मल रखा और मुरारी की तरफ चली आयी। अनु मुरारी के सामने आयी और उसके कुर्ते के बटन को बंद करते हुए कहने लगी,”मुरारी मैं सोच रही थी क्यों ना आज नाश्ता तुम्हारी पसंद का बनाऊ , बताओ क्या खाना चाहोगे”
“अरे अरे का बात है मिश्राइन आज तुम्हारे मुंह से चाशनी की धार बरस रही है”,मुरारी ने खुश होकर कहा
अनु ने अपनी उंगलियों को मुरारी के सीने पर घुमाते हुए कहा,”मुरारी तुम भी न , तुम तो जानते ही मैं तुमसे कितना प्यार करती हूँ। अब तुम्हारे लिए ये सब नहीं करुँगी तो किस के लिए करुँगी ? हम्म्म बोलो”
अनु की बातो से मुरारी को झुरझुरी सी होने लगी उसने ख़ुशी से चहकते हुए कहा,”अरे बिल्कुल हमारे लिए ही करोगी , वैसे आज का बात है तुम इतनी लल्लनटॉप बनके किधर,,,,,,,,,,,,,,,,,हमे मारने का इरादा है का ?”
“मरे तुम्हारे दुश्मन,,,,,,,,,,,,अच्छा मुरारी वो कल धनतेरस थी ना तो मैंने एक छोटा सा,,,,,,,,,,,,,,,बिल्कुल छोटा सा नेकलेस ले लिया अपने लिए , उसका बिल तुम भर दोगे ना ?”,कहते हुए अनु ने अपनी गोरी गोरी बाँहे मुरारी के गले में डाल दी। बेचारा मुरारी कभी कभी तो अनु उस पर मेहरबान होती थी वरना तो दोनों हमेशा लड़ते झगड़ते रहते थे। अनु की प्यार भरी बातें सुनकर मुरारी पिघल सा गया और कहा,”अरे एक नेकलेस का अनु तुम्हारे लिए बनारस में पूरा शोरूम खरीद देंगे ,, लेकिन उस से पहले कुछ मीठा हो जाये”
कहते हुए मुरारी ने जैसे ही अपने होंठो को अनु की तरफ बढ़ाया अनु ने अपनी ऊँगली उसके होंठो पर रख दी और पीछे करते हुए कहा,”पहले बिल उसके बाद,,,,,,,,!!”
कहते हुए अनु ने हाथ में पकड़ा बिल मुरारी के कुर्ते की ऊपरी जेब में डाल दिया। सोने पर सुहागा ये की मुरारी ने खोलकर भी नहीं देखा बिल कितने का है वह तो अनु की बातो में उलझा रहा। मन ही मन अनु महादेव से प्रार्थना भी कर रही थी क्योकि कुछ दिन पहले ही उसने मुरारी के बहुत पैसे खर्च किये थे।

मुन्ना अपने कमरे में सो रहा था। उसकी नींद खुली बिस्तर से उठा और खिड़की के पास चला आया उसने जैसे ही खिड़की खोली सूरज की किरणो ने आकर उसे छुआ। अपने बैचैन मन को शांत करने के लिए मुन्ना कुछ देर वही खड़ा रहा और फिर निचे चला आया। आज अनु बहुत सुंदर लग रही थी। मुन्ना एकटक अनु को देखने लगा अनु ने देखा तो कहा,”क्या हुआ मुन्ना ऐसे क्यों देख रहे हो ?”
“आप बहुत सुंदर लग रही है माँ”,मुन्ना ने प्यार से अनु की बलाये लेते हुए कहा तो अनु हंस पड़ी
आज अनु की वजह से मुरारी का मूड बहुत अच्छा था वह तैयार होकर आया और अनु से कहा,”हम ज़रा शिवम् भैया के यहाँ हो आते है , जाते हुए बिल भी भर देंगे”
अनु ने सूना तो मुरारी की ओर देखा और कहा,”ऑल द बेस्ट”
“अरे हम कोई एग्जाम देने थोड़े जा रहे है जो ऑल द बेस्ट बोल रही हो , पगली कही की”,कहते हुए मुरारी वहा से निकल गया
“जो बिल तुम भरने गए हो ना मुरारी उसे भरने के लिए तुम्हे इसकी बहुत जरूरत पड़ने वाली है”,अनु मन ही मन बड़बड़ाई।

शिवम् के घर जाने से पहले मुरारी नेकलेस का बिल भरने शोरूम आया। बनारस का विधायक होकर भी मुरारी एक आम आदमी की तरह घूमता था कोई सिक्योरिटी नहीं , कोई ताम झाम नहीं और उसकी यही बाते उसे सबसे अलग बनाती थी। मुरारी अंदर आया और बिल लड़के की तरफ बढाकर कहा,”जे बिल जमा करना ज़रा”
“जी विधायक जी”,लड़के ने बिल लेकर कहा
“सर ढाई लाख कैसे देना चाहेंगे चेक या केश ?”,लड़के ने बिल देखते हुए कहां
मुरारी ने सूना तो अपनी छाती पकड़ ली और पास पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए कहा,”का कहे ढाई लाख ?”
मुरारी को देखकर शोरूम का मालिक चला आया , स्टाफ भी आ गया वही पास में एक थुलथुले पेट वाला आदमी खड़ा था उसने मुरारी के पास आकर कहा,”अरे अरे बिधायक जी सम्हालिए अपने आपको , हौंसला रखिये”
एक तो ढाई लाख सुनकर मुरारी के आधे प्राण तो ऐसे ही निकल गए थे ऊपर से वह आदमी मुरारी को और गुस्सा दिला रहा था मुरारी ने उसे पकड़ कर अपनी ओर खींचते हुए कहा,”सादी हुई है तुम्हारी ?”
“नहीं अभी तो नहीं हुई है”,आदमी ने खींसे निपोरते हुए कहा
“तो फिर हमारा दर्द तुम नहीं समझोगे ,,,,!”,मुरारी ने उसे छोड़ते हुए कहा तो आदमी नीचे जा गिरा।

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क्या मुरारी ढाई लाख का बिल भरेगा ? क्या अनु मुरारी के गुस्से से बच पायेगी ? क्या वंश अंजलि से अपना बदला लेगा ? जानने के लिए पढ़ते रहे मैं तेरी हीर

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