“मैं तेरी हीर” – 18
Main Teri Heer – 18
Main Teri Heer – 18
काशी अंजलि के साथ नीचे चली आयी। चलते हुए उसने दो बार पलटकर देखा लेकिन उस से टकराने वाला लड़का उसे दोबारा दिखाई नहीं दिया। काशी का मन बेचैन हो उठा। उसने दोने में दीपक रखा , फूलो से उसे सजाया और दीपक जलाकर घाट के पानी में बहा दिया। महादेव की आरती शुरू हो गयी , काशी और अंजलि ने अपने हाथ जोड़े और आँखे मूंद ली। आँखे मूंदे हाथ जोड़े काशी अभी भी उस अनजान शख्स के बारे में सोच रही थी , आखिर कौन था वो जिसे देखते ही काशी का मन बैचैन हो उठा ? उस से पहली बार मिलने के बाद भी काशी को ऐसा क्यों लग रहा था जैसे कोई अनजाना रिश्ता था उस से ? काशी अपने ही सवालो में उलझने लगी तो उसने एक गहरी साँस ली और फिर अपना ध्यान महादेव में लगा लिया। मन ही मन काशी महादेव से कहने लगी,”हमारी किस्मत में आपने क्या लिखा है ये तो हम नहीं जानते महादेव बस हम आपसे यही प्रार्थना करेंगे की हमारे माँ पापा को हमेशा खुश रखना , उन्हें सबका प्यार और साथ मिले बस यही चाहते है हम”
“अरे कितनी शिकायते करोगी अपने महादेव से ?”,अंजलि ने आँखे खोलकर काशी को कोहनी मारते हुए कहा
“तुमसे किस ने कहा की हम महादेव से शिकायत कर रहे है ?”,काशी ने अंजलि को थोड़ा सा घूरते हुए कहा
“तुम्हारे चेहरे की बेचैनी बता रही है कुछ तो पक रहा है तुम्हारे दिमाग में , कही तुम उस चौक वाले लड़के के बारे में तो नहीं सोच रही ,, अरे उसकी टेंशन मत लो तुम घर जाते ही हम वंश भैया को कहेंगे देखना दो मिनिट में अकल ठिकाने लगा देंगे उस लड़के की”,अंजलि ने काशी के साथ चलते हुए कहा
“नहीं अंजलि घर में किसी से इस बारे में मत कहना”,काशी ने थोड़ा घबराकर कहा
“क्यों तुम डर रही हो क्या कही बड़े मामाजी को इस बारे में पता चला तो वो हमे बाहर आने से मना कर देंगे”,अंजलि ने कहा
“जी नहीं हम इस बात से डर रहे है की कही वंश भैया और मुन्ना भैया को पता चला तो उस लड़के की क्या हालत करेंगे वो दोनों ,, इसलिए कह रहे है की घर में किसी से कुछ मत कहना”,काशी ने मुस्कुराते हुए कहा
“हम्म्म समझ गए , अब ?”,अंजलि ने कहा
“ऊपर महादेव के मंदिर में चलकर दर्शन करते है उसके बाद घर चलेंगे”,काशी ने सीढिया चढ़ते हुए कहा
दोनों ऊपर मंदिर में चली आयी। महादेव के दर्शन किये और घाट से बाहर चली आयी बाहर आकर उन्होंने एक रिक्शा रुकवाया और दोनों उस में आ बैठी।
“कहा जाओगी बिटिया ?”,रिक्शा वाले ने रिक्शा आगे बढ़ाते हुए पूछा
“गुप्ता मिष्ठान भंडार चलेंगे चाचा”,काशी ने कहा
“तुमहू शिवम् की बिटिया हो ना ?”,रिक्शा वाले ने रिक्शा रोककर पलटते हुए कहा
“जी चाचा , हमारा नाम काशी है”,काशी ने मुस्कुरा कर कहा वह बहुत खुश हुई की बनारस के लोग उसे उसके पापा शिवम् के नाम से जानते है।
“अरे बिटिया शिवम् बाबू इतने बड़े आदमी है , उनकी बिटिया होकर जे रिक्शा में काहे जा रही हो तुम ?”,रिक्शा वाले ने कहा
“क्यों चाचा क्यों नहीं जा सकते ? बनारस हम सबका शहर है और यहाँ के लोग भी हमारे अपने है तो फिर छोटा बड़ा , ऊंच नीच क्या ? आप चलिए हम तो आपके रिक्शा में ही जायेंगे”,काशी ने कहा तो रिक्शावाला मुस्कुरा उठा और कहा,”बिल्कुल अपने पापा पर गयी हो बिटिया , महादेव तुम्हे खुश रखे”
रिक्शा आगे बढ़ गया। अंजलि से बात करते हुए काशी राजन और उस अनजान शख्स से हुई मुलाकात को भूल गयी और उसके साथ हसने मुस्कुराने लगी।
अंजलि भी काशी के आने से बहुत खुश थी इस बार उसकी दिवाली बहुत अच्छी जो होने वाली थी।
घाट से बाहर निकलकर वह लड़का बाहर आया जो काशी से टकराया था उसने सरसरी नजरो से देखा तो उसे कुछ ही दूर गली में जाते हुए वह आदमी दिखाई दिया जिसका वह पीछा कर रहा था। लड़का तेज कदमो से चलते हुए उस गली की तरफ मुड़ गया। उसे देखकर आदमी जैसे ही भागने को हुआ लड़के ने भागकर उसे पकड़ लिया और दो तीन घुसे मारे। आदमी नीचे जमीन पर जा गिरा। उसके नाक से खून बहने लगा। लड़के ने अपनी पीठ दिवार से लगाई और जेब से सिगरेट निकालकर मुंह में रखकर जलाने लगा। तीली की रौशनी में उसका चेहरा नीचे गिरे आदमी को साफ दिखाई दे रहा था। आदमी ने मरी हुई आवाज में कहा,”ए “शक्ति” माफ़ कर दे मुझे , मुझसे गलती हो गयी माफ़ कर दे मुझे”
“कागज कहा है ?”,शक्ति ने सिगरेट के कश लगाते हुए हाथ आदमी की तरफ बढाकर कहा
आदमी ने अपनी शर्ट में छुपाये कुछ मुड़े तुड़े कागज निकालकर शक्ति की ओर बढ़ा दिए। शक्ति ने कागज अपने शर्ट के अंदर डाले और सिगरेट फेककर वहा से निकल गया। गली से बाहर निकलकर उसने किसी को फोन किया और कुछ देर बाद ही एक गाड़ी आकर वहा रुकी , शक्ति ने वो कागज निकालकर गाड़ी में बैठे शख्स को थमा दिए और वहा से वापस घाट की तरफ बढ़ गया। घाट पर भीड़ अब छटने लगी थी शक्ति खाली सी जगह देखकर आगे बढ़ गया। वह घाट की सीढ़ियों पर आया ,
आस पास कोई नहीं था। शक्ति आकर वही लेट गया , अपने हाथो को सर के नीचे लगा लिया। उसकी आँखों में एक खालीपन पसरा हुआ था वह आसमान में चमकते उन सितारों को एकटक देखता रहा। ठंडी हवाएं चल रही थी लेकिन शक्ति को ठंड का अहसास तक नहीं हुआ। आसमान को देखते हुए उसे अचानक उस लड़की का ख्याल आया जो उस से घाट पर टकराई थी। दियों सी जगमगाती उसकी आँखे , गुलाब से नाजुक होंठ , चेहरे पर झूलती बालों की लटे , ललाट पर लगी काली बिंदी , आँखों में लगा काजल , पतली गर्दन।
शक्ति एकदम से उठकर बैठ गया और खुद से कहने लगा,”कौन थी उह लड़की और हम उसके बारे में इतना काहे सोच रहे है ?”
“का बात है शक्ति अकेले में किस से बातें कर रहे हो ?”,मंदिर के पुजारी ने वहा से गुजरते हुए कहा
“हर हर महादेव पंडित जी”,शक्ति ने कहा
“हर हर महादेव शक्ति , दुनिया इधर की उधर हो जाये पर तुम घाट आना नहीं छोड़ते”,पुजारी ने कहा
“दिनभर जो पाप करते है उनका प्रायश्चित करने चले आते है पंडितजी”,शक्ति ने घाट के पानी को देखते हुए कहा
“महादेव तुम्हारा भला करे”,कहते हुए पुजारी वहा से चला जाता है।
शक्ति एक बार फिर अपने हाथ को सर से लगाकर सीढ़ियों पर लेट जाता है लेकिन काशी का ख्याल बार बार उसे परेशान करता है। पिछले कई सालो से शक्ति बनारस में है लेकिन आज से पहले ऐसा उसके साथ कभी नहीं हुआ। वह अपनी सोच में डूबा हुआ था की तभी एक लड़के ने आकर कहा,”शक्ति ! मालिक ने तुम्हे बुलाया है”
“तुम चलो हम आते है”,शक्ति ने कहा और फिर कुछ देर बाद वापस चला गया। सीढिया चढ़ते हुए उसका मन किया की एक बार पलटकर देखे क्या पता वो लड़की फिर दिख जाये। शक्ति ने पलटकर देखा लेकिन दूर दूर तक सिवाय पानी के वहा कुछ भी नहीं था। उसे लेने जो लड़का आया था वह कब से बाइक स्टार्ट कर खड़ा था। शक्ति आकर उसके पीछे बैठ गया और दोनों वहा से निकल गए।
सारिका बाहर बरामदे में ही काशी और अंजलि का इंतजार करते हुए चक्कर लगा रही थी। वही सीढ़ियों पर बैठे वंश अपना फोन चलाते हुए सारिका से कहा,”क्या हुआ माँ आप इतना परेशान क्यों हो रही है ? आ जाएगी काशी”
काशी और अंजलि दोनों घर पहुंची। उन्हें देखकर सारिका की जान में जान आयी। काशी और अंजलि सारिका के पास आये और काशी ने कहा,”क्या बात है माँ आप इतनी परेशान क्यों है ?”
“माँ को फ़िक्र हो रही थी तुम्हारी काशी जैसे तुम कोई छोटी बच्ची हो”,वंश ने कहा
“वंश भैया आप चुप कीजिये , बताईये ना माँ क्या हुआ ?”,काशी ने सारिका की चिंता जताते हुए कहा
“कुछ नहीं बेटा वो तुम दोनों ने आने में इतनी देर लगा दी ना इसलिए , आओ अंदर आओ”,कहते हुए सारिका काशी और अंजलि के साथ अंदर चली आयी
“तुम दोनों हाथ मुंह धो लो फिर हम खाना लगा देते है”,सारिका ने कहा
“पापा आ गए ?”,काशी ने वाशबेसिन में हाथ धोते हुए कहा
“वे देर से आएंगे”,सारिका ने कहा
”पर हमे भूख नहीं है माँ हमने अंजलि के साथ कुछ ज्यादा ही गोलगप्पे खा लिए”,काशी ने मासूम सी शक्ल बनाकर कहा
“तो का हुआ काशी अरे तुम्हारी उम्र में हम 50 गोलगप्पे खाकर भी 4-4 रोटी खा जाते थे”,पास बैठी आई ने कहा
“तभी इतनी भरी भरी लगती हो आप , है ना आई ?”,वंश ने आकर आई के सामने बैठते हुए कहा
“बिटवा सुधर जाओ अपनी दादी को इह उम्र मा छेड़ते हो शर्म नहीं आती”,आई ने कहा
“अरे मैं कहा छेड़ रहा हूँ मैं तो बाबा के मन की बात कह रहा हूँ है ना बाबा”,कहते हुए वंश ने शरारत से आई को देखा
आई और बाबा दोनों हसने लगे और फिर बाबा ने कहा,”हमारी घरवाली को कोई कुछ नहीं कहेगा”
सारिका ने उन सबकी बाते सुनी तो मुस्कुराने लगी और फिर सबको आकर खाना खाने को कहा। काशी और अंजलि ने मुश्किल से एक एक रोटी खाई होगी। वंश ने खाना खाया और सीधा अपने कमरे में चला आया। कमरे में आकर उसने अपना फोन बेड पर फेंका और जैसे ही अंगड़ाई ली उसकी नजर सामने पड़े अपने लेपटॉप पर चली गयी उसे याद आया उसने गौरी को फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी। वह बिस्तर पर आया और पेट के बल लेटकर लेपटॉप ऑन किया उसने फेसबुक ओपन किया और देखा तो थोड़ी हैरानी हुई , गौरी ने अभी तक उसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट नहीं किया था। वंश का कॉन्फिडेंस नीचे गिर गया। उसे लगता था कोई भी लड़की उसे ना नहीं कह सकती , हालाँकि इसमें कोई शक भी नहीं था लेकिन गौरी ने उसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट तक एक्सेप्ट नहीं की। वंश ने जैसे ही लेपटॉप बंद करने के लिए हाथ बढ़ाया उसने देखा गौरी ऑनलाइन थी। वंश ने एक बार फिर उसे फ़्रेंस रिक्वेस्ट भेज दी लेकिन अगले ही पल गौरी ने केंसल कर दी। अब तो वंश का ईगो हर्ट हो गया। कॉलेज में गौरी उस से इतने अच्छे से मिली थी और यहाँ उसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट तक एक्सेप्ट नहीं की।
“इतना ऐटिटूड,,,,,,,,,,,,,,,मिस गौरी तुम शायद जानती नहीं ऐटिटूड के मामले में वंश गुप्ता तुमसे दो कदम आगे है”,कहते हुए वंश ने गौरी को सामने से ब्लॉक कर दिया और फिर लेपटॉप बंद करके साइड टेबल पर रख दिया। वंश बिस्तर पर आ लेटा ,
खाना खाने के बाद काशी आई बाबा के कमरे में चली आयी और उसने बातें करने लगी। बाबा के लिए काशी कोई आध्यात्मिक किताब लेकर आयी थी और आई के लिए एक बहुत ही सुन्दर साड़ी। आई ने देखा तो खुश हो गयी। देर रात शिवम् घर आया। सारिका ने देखा तो शिवम् के पास आयी और उसके हाथ से बैग लेते हुए कहा,”आज आने में बड़ी देर कर दी आपने ?”
“हाँ सरु वो किसी जरुरी काम में उलझ गए थे , काशी सो गयी ?”,शिवम् ने अंदर आते हुए पूछा
“नहीं आपकी राह देख रही है , कह रही थी की उसे आपसे बात करनी है”,सारिका ने जग से ग्लास में पानी डालते हुए कहा और फिर ग्लास शिवम् की तरफ बढ़ा दिया। शिवम् ने पानी पीया और कहा,”अच्छा कहा है वो ?”
“आई बाबा के कमरे में है , हम बुला देते है”,सारिका ने कहा
“आप परेशान मत होईये हम वही जाकर मिल लेते है”,शिवम् ने कहा और आई बाबा के कमरे में चला आया। दरवाजे पर खड़े शिवम् ने काशी को देखा जो की आई बाबा के साथ बैठकर किसी बात पर खिलखिला रही थी। शिवम अंदर आया और कहा,”अभी तक सोइ नहीं आप ?”
“पापा हम आपसे नाराज है”,काशी ने शिवम् से मुंह फेरते हुए कहा
“क्यों हमसे क्या गलती हुई ?”,शिवम् ने काशी के सामने बैठते हुए कहा
“देखिये ना बाबा जब देखो तब पापा बस काम में बिजी रहते है , फॅमिली के लिए भी तो थोड़ा टाइम निकालना चाहिए ना”,काशी ने शिकायती लहजे में कहा
“बिटिया तीन दिन बाद दिवाली है , गोदाम पर काम करने वालो का भी ध्यान रखना पड़ता है ना। उन्हें उनकी तनख्वाह और तोहफे देने में थोड़ी सी देर हो गयी लेकिन कल से तीन दिन के लिए हम आपके साथ रहेंगे , फॅमिली को टाइम देंगे”,शिवम् ने कहा
“पक्का ?”,काशी ने कहा
“हां पक्का बस आप हमसे नाराज मत होईये”,शिवम् ने कहा तो काशी ने मुस्कुराते हुए कहा,”पर हम तो आपसे नाराज है ही नहीं”
शिवम् ने प्यार से उसके सर पर हाथ रखा ,, वहा बैठे आई बाबा और अंजलि सब मुस्कुराते हुए शिवम् को देख रहे थे।
शक्ति और काशी की पहली मुलाकात क्या रंग लाएगी ? आखिर गौरी ने क्यों नहीं एक्सेप्ट की वंश की फ्रेंड रिक्वेस्ट ? क्या वंश गौरी को भूल पायेगा ? आखिर कौन है शक्ति का मालिक ? जानने के लिए सुनते रहे मैं तेरी हीर
Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18
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क्रमश – Main Teri Heer – 19
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संजना किरोड़ीवाल
As always superb superb superb superb superb superb superb superb part of the day 👌👌👌👌👌 eagrly waiting for the next 👌👌👌👌👌 behtreen story 👌👌👌👌👌
Superb.।। Shakti ka malik pratap to nhi h
Bechara Vansh, ego hurt ho gayi uski, wese kashi bhut hi pyari h.
Awesome part asa lg rha h shakti ka maalik pratap h phir to bda hi panga hone wala h
nice part mam dil khush ho jata jata h apki story pdke sukun milta h dil ko ek thank u mam
Very beautiful
Nice story
तो काशी की जोड़ी बनेगी शक्ति के साथ, जोकि एक गैंगस्टर है..और बनारस का रहने वाला है…पहली मुलाकात में ही दोनों एक-दूसरे के बारें में सोच रहे है…पर अभी है दूर..।संजना जी इस वंश गुप्ता की गौरी से जरा अच्छे से क्लास लगवाई आप…बहुत बनता है वंश गुप्ता😏😏😏😂
Nice part ab shuru hogi ek aur love story kashi aur shakti ki interesting ❤️
Lovely part
Alee alee vansh babu ka ego hurt ho gyaa😐😐😐😐😐 ye Shakti kon h kam se gunda lg ra hh or kashi ki pairing shakti k sath hogii… Pr kese🙄🙄🙄🙄
really mtlb shivam or sarika ki parchai h kashii …. Sudhar degii shakti ko🤣🤣🤣
Very nice