मैं तेरी हीर – 16
Main Teri Heer – 16
Main Teri Heer – 16
इंदौर , लिव एंड लाइफ रेस्टोरेंट
शक्ति काशी को लेकर इंदौर के एक फेमस रेस्टोरेंट में डिनर के लिये आया। दोनों आकर टेबल के इर्द गिर्द एक दूसरे के सामने बैठ गए। वेटर वेलकम ड्रिंक रखकर चला गया। काशी और शक्ति ने अपना अपना गिलास उठाया और जूस पीने लगे। काशी आज इतनी प्यारी लग रही थी कि शक्ति की तो नजरे बस उस पर जम कर ही रह गयी।
शक्ति को अपनी ओर देखते पाकर काशी ने कहा,”क्या हुआ तुम हमे ऐसे क्यों देख रहे हो ?”
“हमे लगता है तुम्हे हमारी ही नजर लग जाएगी,,,,,,,,,,,,,तुम बहुत सुन्दर लग रही हो।”,शक्ति ने प्यार भरी नजरो से काशी को देखते हुए कहा
“थैंक्यू वैसे आज तुम भी कुछ अलग लग रहे हो।”,काशी ने शक्ति की परेशानी भांपते हुए कहा जिसे शक्ति काफी देर से छुपाने की कोशिश कर रहा था।
“कैसे ? क्या हम अच्छे नहीं लग रहे ?”,शक्ति ने एक घूंठ भरते हुए कहा
“चलो अब बताओ परेशान क्यों हो ? क्या तुम हमे लेकर परेशान हो ?”,काशी ने पूछा
शक्ति ने सूना तो वह समझ गया कि वह काशी से ज्यादा देर तक झूठ नहीं बोल पायेगा इसलिये कहा,”हाँ सुबह जो हादसा हुआ हम उसी के बारे में सोच रहे है। आज अगर तुम्हे कुछ हो जाता तो हम खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाते,,,,,,,,,,,,,,!!”
“क्या तुम्हे पता चला वो गोली किसने चलाई थी ?”,काशी ने अपनी आँखों को बड़ा कर धीरे से पूछा
“नहीं , लेकिन हम जल्दी ही उसका पता लगा लेंगे वो ज्यादा दिन हमारी नजरो से छुप नहीं सकता काशी , वैसे तुम्हे अब डर नहीं लग रहा ?”,शक्ति ने पूछा।
“हम एक पुलिस वाले की होने वाली वाइफ है , तुम्हारे होते क्या हमे डरने की जरूरत है ?”,काशी ने शक्ति की आँखों में झांकते हुए शरारत से कहा
शक्ति मुस्कुराया और कहा,”हम्म्म बिल्कुल नहीं , अच्छा काशी तुम से एक बात पूछे ?”
“हम्म्म पूछो।”,काशी ने कहा
“हम से मिलने से पहले क्या तुम्हारा कोई दोस्त रहा है कॉलेज या बाहर ?”,शक्ति ने पूछा
काशी ने सूना तो उसे अजीब लगा क्योकि उसने शक्ति को अपने बारे में पहले ही सब बता दिया था।
कॉलेज में गौरी , ऋतू , प्रिया अलावा उसका कोई दोस्त नहीं था। एक लड़का था जिसे भी मुन्ना और वंश ने भगा दिया था। काशी को चुप देखकर शक्ति ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखा और धीरे से कहा,”हम तुम पर शक नहीं कर रहे है काशी बस ऐसे ही पूछ लिया तुम सहज नहीं हो तो तुम्हे जवाब देने की जरूरत नहीं है।”
“शक्ति तुम हमारी जिंदगी में आने वाले पहले और आखरी लड़के हो , हमने कभी किसी और के बारे में नहीं सोचा पढाई से ही फुर्सत नहीं मिली और फिर पापा और भाईयो का गुस्सा जानते हो तुम ,
उनके सामने कभी किसी लड़के से दोस्ती करने की हिम्मत ही नहीं हुई , कोई हमारे आस पास आता भी तो वंश भैया और मुन्ना भैया उसे भगा देते।”,काशी ने कहा
“हम्म्म , अच्छा वंश मुंबई गया है और मुन्ना , मुन्ना क्या कर रहा है इन दिनों ?”,शक्ति ने पूछा
“अरे वाह ! वंश भैया और मुन्ना भैया तुम्हारे भी कुछ लगते होंगे तुम खुद उनसे पूछो,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा
“हाँ हम पूछ सकते है , मुन्ना से तो हम आसानी से बात कर लेते है लेकिन वंश थोड़ा सा,,,,,,,,,,,उस से बात करने में थोड़ी हिचकिचाहट लगती है हमे,,,,,,,,वो शायद हमे पसंद नहीं करता।”,शक्ति ने कहा
“ऐसा कुछ नहीं है , वंश भैया बहुत अच्छे है वो तो अभी तुम दोनों के बीच ठीक से बात नहीं हुई ना इसलिए तुम्हे ऐसा लगता है और फिर वंश भैया हम से बहुत प्यार भी करते है , तुम हमारे लिए सही लड़के हो या नहीं ये सोचकर वो अपसेट हो सकते है शायद,,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा
“तो क्या हम तुम्हारे लिए सही लड़के नहीं है ?”,शक्ति ने काशी की तरफ देखकर पूछा
“हम सोच रहे है एक बार फिर सोच ले,,,,,,,,!!”,काशी ने शक्ति को छेड़ने के लिये कहा
शक्ति ने सूना तो उसे बुरा लगा वह उठा और वहा से चल पड़ा। काशी ने देखा तो वह उठी और शक्ति के पीछे आते हुए कहा,”शक्ति , शक्ति सुनो , अरे हम बस मजाक कर रहे थे। शक्ति सुनो ना बाबा,,,,,,,,,,,,,,!!!”
चलते चलते शक्ति रुका और पलटकर काशी का हाथ अपने धड़कते दिल पर रखकर कहा,”तुम हमे जान देने के लिए कहोगी हम हँसते हँसते दे देंगे लेकिन ऐसा मजाक हमारे साथ मत करना काशी , तुम्हारे दूर जाने के ख्याल से ही हम बैचैन हो जाते है।
हमारे पास रहकर , साथ रहकर तुम हमे जितना मर्जी उतना सताओ हम उफ़ तक नहीं करेंगे लेकिन ये जाने वाली बाते फिर मत करना,,,,,,,,,,,,,!!”
काशी ने शक्ति की आँखों में देखा जिनमे उसे अपने लिए बेइंतहा मोहब्बत नजर आ रही थी। शक्ति उस से इतना प्यार करता है जानकर काशी मुस्कुरा उठी और उसके सीने से आ लगी। वहा मौजूद लोग उन्हें देखकर मुस्कुराने लगे
बनारस , मुरारी का घर
खाना खाने के बाद मुन्ना कुछ देर हॉल में ही बैठा रहा। उसने गौरी को मैसेज किया लेकिन गौरी ने ना मैसेज देखा ना ही कोई जवाब दिया। मुन्ना ने फोन साइड में रख दिया और टीवी ऑन कर लिया। रात के 10 बज रहे थे मुरारी अभी तक घर नहीं आया था। अनु अपने कमरे में थी और किशना भी अपना काम खत्म करके खाना खाने बैठ गया था। घर में अकेले मुन्ना का मन नहीं लग रहा था इसलिए वह उठा। बाइक की चाबी ली और घर से निकल गया। बाइक लेकर मुन्ना अस्सी घाट चला आया। घाट पर ज्यादा भीड़ नहीं थी।
कुछ लोग थे जो यहाँ वहा घूम रहे थे। मुन्ना एक खाली सी सीढ़ी देखकर उस पर आ बैठा। खामोश बैठा मुन्ना सामने बहते गंगा के पानी को निहार रहा था। चमकते चाँद को रौशनी में वो पानी बहुत ही सुंदर लग रहा था। मुन्ना एकटक उस पानी को देखता रहा। मुन्ना बीते पलों को याद करने लगा। जब भी मुन्ना घर से बाहर आता था वंश उसके साथ होता था लेकिन आज वंश की कमी उसे खल रही थी। वंश अपने सपनो के लिये मुंबई चला गया इसकी सबसे ज्यादा ख़ुशी मुन्ना को थी लेकिन साथ ही वंश से दूर जाने का दुःख भी था।
मुन्ना अभी ये सब सोच ही रहा था कि तभी एक प्यारा सा कपल शुगर कॉटन केन्डी खाते उसके सामने कुछ दूर पड़े तख्ते पर आ बैठा। मुन्ना उन दोनों को देखने लगा। दोनों साथ में कितने मासूम लग रहे थे और हँसते खिलखिलाते बाते कर रहे थे। कॉटन केन्डी खाते हुए लड़की के गाल पर भी लग गया और लड़के ने बड़े ही प्यार से उसे अपने होंठो से हटा दिया
ये देखकर मुन्ना ने नजरे घुमा ली और बड़बड़ाया,”ये बनारस के लोगो को हो क्या गया है , इतना फ्रेंक कब से होने लगे ये सब ?”
“मुन्ना भैया ! नाव की सवारी करी हो ?”,तभी सीढ़ियों से नीचे उतरते लड़के ने मुन्ना से कहा जिसकी नाव गंगा किनारे खड़ी थी और वह नाव लेकर जाने वाला था
घाट पर अकेले बैठने से मुन्ना को नाव की सवारी करना ज्यादा ठीक लगा उसने उठते हुए कहा,”हाँ चलो आज मन भी है,,,,,,,,,!!”
“अरे भैया जब मन है तो उसको मारना काहे चलो आओ।”,कहते हुए लड़का आगे बढ़ गया और मुन्ना उसके पीछे पीछे चला आया।
नाव पर दो चार लोग और थे लेकिन मुन्ना को उनसे क्या मतलब वह तो जाकर नाव के एक छोर की तरफ बैठ गया अकेले,,,,,,,,,,बाकि सब नाव के बीच बनी बेंच और दूसरे किनारे पर बैठे थे। नाव वाले लड़के ने नाव चालू कर दी लेकिन अभी भी वही खड़ा था शायद एक दो सवारी और देख रहा था जिस से उसकी आज की दिहाड़ी पूरी हो जाए। मुन्ना नाव के छोर पर बैठा पानी को देख रहा था दूर एक लाइन में बने घाटों के मंदिरो और दीवारों पर लाइट्स जगमगा रही थी जिन्हे देखते हुए मुन्ना कही खो सा गया
“आईये मैडम ! जरा ध्यान से ,, अपना हाथ दे दीजिये”,लड़के की आवाज से मुन्ना की तंद्रा टूटी। मुन्ना ने पलटकर देखा चमचमाती साड़ी में लिपटी एक महिला नाव में आ रही थी और नाव में सवार हर कोई बस उसे ही देखे जा रहा था। महिला अंदर आयी मुन्ना ने देखा वो कोई और नहीं बल्कि उर्वशी ही थी और उसके साथ उसका बैग उठाये एक लड़का था जो सबको उस से दूर हटने को कह रहा था। उर्वशी को वहा देखकर मुन्ना को ना जाने क्यों अच्छा नहीं लगा उसने नजरे घुमा ली लेकिन उर्वशी ने मुन्ना को वहा देख लिया था।
वह आकर बिल्कुल मुन्ना के सामने नाव के दूसरे छोर पर आ बैठी। नाव आगे बढ़ गयी इसलिए मुन्ना वापस भी नहीं जा सकता था। उर्वशी बस एक टक मुन्ना को देखे जा रही थी। मुन्ना की नजर भी ना चाहते हुए सामने चली जाती और जैसे ही उर्वशी से मिलती वह असहज हो जाता। नाव वाला लड़का मुन्ना के पास आ बैठा और कहा,”का बात है मुन्ना भैया थोड़े परेशान दिख रहे हो ?”
“नही ऐसा कुछ नहीं है , आज की दिहाड़ी कैसी रही ?”,मुन्ना ने बात बदलते हुए कहा
“अरे कहा भैया ? बनारस में अब कौन इन छोटी नावों पर घूमता है , मुश्किल से इतनी सवारी मिल जाती है कि गुजारा हो सके बस,,,,,,,,,,!!”,लड़के ने कहा
“ऐसा नहीं है कुछ लोग होते है हमारे जैसे जिन्हे अब भी जे नाव ही पसंद आती है जानते हो क्यों ?”,मुन्ना ने कहा
“काहे ?”,लड़के ने पूछा
“क्योकि यहाँ बैठकर बनारस की खूबसूरती को आँखों में भरा जा सकता है ,
इन घाटों की रौनक को करीब से महसूस किया जा सकता है और इस हवा को खुद में उतारा जा सकता है जिसका मुकाबला ये बड़े बड़े क्रूज नहीं कर सकते , क्या समझे ?”,मुन्ना ने कहा
“समझ गए भैया , बनारस के लिये तुमरा प्यार आज भी ना बदला है,,,,,,,,,,,,!!”,लड़के ने खुश होकर कहा तो मुन्ना मुस्कुरा उठा
लड़के के साथ साथ उर्वशी भी थी जो मुन्ना की बातें बड़े ध्यान से सुन रही थी। बनारस की तारीफ सुनकर वह नाव के साइड में बने बेंच पर आ बैठी और थोड़ा झुककर अपना हाथ गंगा के पानी में डुबो लिया। ठन्डा पानी उसे सुकून पहुंचा रहा था और साथ ही अब वह मुन्ना को थोड़ा करीब से देख सकती थी।
“मुन्ना भैया कुछो सूना दीजिये,,,,,,,,,,,,!!”,लड़के ने कहा
“हम,,,,,,,,,,,अरे नहीं नहीं हम क्या सुनाएंगे,,,,,,,,!”,मुन्ना ने कहा
“अरे का भैया घाट पर सबको पता है , आप बहुते अच्छा गाते है ,, अब सूना दीजिये ना।”,लड़के ने कहा
“अरे नहीं यार हम तो बस ऐसे ही कभी कभी गुनगुना लिया करते है,,,,,,,,,,,,,,,,अभी का सुनाये तुमको।”,मुन्ना ने कहा
“अरे भैया पिलीज सुना दीजिये , वैसे भी आज की जे रात काटने को दौड़ रही है तुमरे गाने से कुछो अच्छा
लगेगा,,,,,,,,,,,,,,,,,सुनाओ भैया।”,नाव पर मौजूद दूसरे लड़के ने कहा
मुन्ना गाने के बारे में सोचता इस से पहले ही वहा बैठी उर्वशी ने गाना शुरू कर दिया
“शीतली बियरिया शीतल दूजी पनिया
कब देब देवता तू आके दार्शनिया
वहा मौजूद सभी लोगो ने उर्वशी की आवाज सुनी तो सब उसके दीवाने हो गए , इतनी मधुर और चीनी सी मीठी आवाज किसी ने आज तक नहीं सुनी थी। गाने ने मुन्ना का ध्यान भी अपनी और खींचा वह खुद को आगे गाने से रोक नहीं पाया और गाने लगा
जोड़े जोड़े सुपवा आदित देव घटवा पे तिवली चढावेल हो
जल बिच खड़ा होइ दर्शन ला आसरा लगावल हो
वहा मौजूद लोग उस गाने को सुनकर खुश हो गए क्योकि ये एक छट गीत था जिसे सब अपने बचपन से सुनते आ रहे थे और बनारस में छत पूजा भी बहुत धूम धाम से मनाई जाती है। मुन्ना तो बनारस से था उसने तो बचपन से ये गीत सूना था लेकिन उर्वशी ना तो पहले कभी बनारस आयी थी ना ही बनारस से थी फिर भी उसे ये गीत याद था और वो भी इतने अच्छे से। सब उर्वशी की तारीफ करने लगे लेकिन मुन्ना अपनी जगह बैठा रहा।
नाव मणिकर्णिका घाट से घूमकर वापस अस्सी घाट चली आयी। सभी एक एक करके नीचे उतरने लगे सबसे आखिर में मुन्ना उतरा और लड़के को पैसे देने लगा तो लड़के ने कहा,”अरे का मुन्ना भैया आपसे पैसे लेंगे का ?”
“रखो !”,कहते हुए मुन्ना ने रूपये लड़के के शर्ट की उपरी जेब में डाल दिए और चला गया। कुछ ही दूर चला की सामने उर्वशी मिल गयी मुन्ना को रुकना पड़ा।
“सबने मेरी तारीफ की तुमने कुछ नहीं कहा , क्या तुम्हे मेरा गाना पसंद नहीं आया ?”,उर्वशी ने मुन्ना को देखते हुए कहा
“अच्छा था,,,,,,,!”,मुन्ना ने कहा हालाँकि वह उर्वशी की किसी भी बात का जवाब देने में बिल्कुल सहज नहीं था
“इतना भी खास नहीं था पर तुमने अच्छा गया , क्या तुम मुझे भी सिखाओगे ?”,उर्वशी ने कहा
“आपको किसी अच्छे म्यूजिक टीचर से सीखना चाहिए , ज़रा साइड होंगी प्लीज,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा और उर्वशी को साइड करके वहा से चला गया
“उर्वशी मैडम , ये लड़का आपको घास नहीं डालने वाला , इसकी तो बातो में ही ऐटिटूड है।”,उर्वशी का बैग थामे खड़े लड़के ने कहा
“तुम बस देखते जाओ मोहन , ये मुझे घास भी डालेगा और अपने हाथो से वो घास खिलायेगा भी,,,,,,,,,,,,,,,,उर्वशी नाम है मेरा , मेरे सामने कोई कब तक टिकेगा ?”,कहकर उर्वशी खिलखिलाकर हंस पड़ी।
मुंबई , नवीन का घर
नवीन और मेघना के आने के बाद निशि और वंश का झगड़ा कुछ देर के लिए रुक गया। वंश तो बेचारा ये सोचकर आया था कि निशि उसे देखते ही खुश हो जाएगी लेकिन यहाँ तो उलटा निशि उसे काटने को दौड़ रही थी और वंश को इसकी वजह भी नहीं पता थी। रात के खाने के बाद वंश ने मेघना और नवीन को तोहफे दिए जो वह उनके लिये लेकर आया था। वंश निशि के लिए भी तोहफा लेकर आया था लेकिन इस वक्त उसने निशि को वह देना ठीक नहीं समझा।
निशि ने देखा वंश सबके लिये कुछ ना कुछ लेकर आया है लेकिन उसके लिए कुछ नहीं तो वह सबके बीच से उठकर अपने कमरे में चली गयी।
“इसे क्या हुआ है ?”,नवीन ने कहा
“पता नहीं जब से बनारस से वापस आयी है ऐसे ही अजीब बिहेव कर रही है। आपकी बेटी है आप ही पूछिए,,,,,,,,,,,!!”,मेघना ने कहा
“कैसी बातें कर रही हो मेघना ? निशि हम दोनों की बेटी है लेकिन वो ऐसे अचानक यहाँ से क्यों चली गयी ?”,नवीन ने कहा
“मैं बताता हूँ अंकल,,,,,,,,,!!”,वंश ने उदास सी शक्ल बनाकर कहा तो नवीन और मेघना उसे देखने लगे। वंश ने उन दोनों को देखा और पहले से ज्यादा उदास होकर कहने लगा,”निशि मेरी वजह से ऐसे बिहेव कर रही है , उसे शायद मेरा यहाँ आपके घर में रहना पसंद नहीं है। बनारस से भी वो मुझे बिना बताये चली आयी , मैं वहा माँ से कह रहा था कि मैं निशि को सही सलामत मुंबई ले जाऊंगा लेकिन वो पहले ही चली आयी।
आई नो वो मुझे पसंद नहीं करती और उसे ये भी पसंद नहीं कि मैं यहाँ रहु तो मैं कल सुबह होते ही यहाँ से चला जाऊंगा। मैं अभी भी यहाँ से चला जाता लेकिन इतनी रात में जाऊंगा तो शायद आप लोगो को अच्छा नहीं लगेगा,,,,,,,,,,,,,,आई सॉरी अगर मेरी वजह से आप लोगो को परेशानी हुई हो।”
“वंश ये क्या कह रहे हो बेटा ? मैं अभी जाकर निशि से बात करता हूँ।”,नवीन ने कहा
“नहीं अंकल आप निशि से कुछ मत कहना प्लीज , मैं नहीं चाहता आप लोगो का रिलेशन खराब हो ,, प्रॉब्लम मैं हूँ तो मैं ही चला जाता हूँ।”,वंश ने कहा
“देखा इस बेचारे को अब भी उस लड़की परवाह हो रही है और आपने अपनी बेटी को सर पर चढ़ा रखा है।”,मेघना ने वंश की साइड लेते हुए कहा
“नो आंटी ये बस माँ के दिए संस्कार है , बस मैं इतना चाहता हूँ कल मैं जाऊ तो आप मुझे रोके नहीं,,,,,,,,,!!”,वंश ने सर झुकाकर कहा
वंश की बातो से नवीन और मेघना भी उदास हो गए लेकिन सर झुकाये वंश के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। उसने मुस्कुराते हुए खुद से कहा,”अब आएगा मजा , जब कल सुबह उस छिपकली को सुनने पड़ेंगे लेक्चर और उसी के घर में उसकी बेंड बजेगी,,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह कितना मजा आएगा मैं तो अभी से ये सब इमेजिन कर रहा हूँ।”
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संजना किरोड़ीवाल
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Hey bhagwan yeh Vansh kitna badmash hai… mujhe laga ki wo sach m Nishi k ese behavior se preshan hai…lakin yeh to uska Guru Nikal 😁😁😁 yr yeh Urvashi khatarnak hai aur uski baato se lag rha hai ki wo Munna ko ptta lengi….bad feel for Gauri
Yeh Urvashi baap – bete bono pe lattu ho gayi hai
Aur aai to woh yaha kisi maksad se hi hai , ab wo maksad kya hai ye toh Mahadev hi jaane
Aakhir ye Urvashi chahati kya h vansh ko Nishi ko pareshan krne me bda mja aa rha h nice part
Vansh ek mauka nahi chodta Nishi ko pareshan karne ka..Pata nahi kal subah Meghana usse kya kya sunayegi..Yeah Urvasi akhir Banaras kiss irade se ayi hai..Kashi ko pata chal gaya ki Shakti ne yeah sab usse relax feel karvane ke liye plan kiya aur voh yeah bi samaj rahi hai Shakti usse lekar hi pareshan hai…nice part Maam♥♥♥♥
Vansh nishi ko pareshan karne ka ek moka nhi chodta h
Yh urvashi kuch theek nhi lg rhi