Telegram Group Join Now

Main Teri Heer – 70

Main Teri Heer – 70

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

वंश गौरी के घर से बाहर जाने लगा तो सामने से आती निशि से टकरा गया , उसने निशि को वहा देखा तो हैरानी से कहा,”तुम यहाँ क्या कर रही हो ?”
“तुम मुझे वहा अकेला क्यों छोड़ आये ?”,निशि ने लगभग वंश पर चढ़ते हुए कहा
“वो मुझे लगा तुम मुझसे नाराज हो तो मैं,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने धीरे से कहा
“नाराज हूँ तो क्या तुम मुझे मना नहीं सकते ?”,निशि ने चिढ़ते हुए कहा


“सुनो ! मुझे ना लड़कियों को मनाना नहीं आता,,,,,,,,,,वैसे तुम्हे यहाँ लेकर कौन आया ?”,वंश ने उलझन भरे स्वर में कहा
“उस से तुम्हे क्या ?”,कहते हुए निशि ने वंश को साइड किया और अंदर चली गयी वंश उसे रोकता इस से पहले उसकी नजर सामने खड़े गौरी के भाई जय पर पड़ी और उसने कहा,”वो निशि को मैं लेकर आया था काशी दीदी के कहने पर”
“हम्म्म ठीक है,,,,,,!!”,वंश ने कहा


“अच्छा वंश भैया मैं और निशि साथ में कैसे लगते है ? अच्छे लगते है या बहुत अच्छे लगते है”,वंश को सोच में डूबा देखकर जय ने कहा
वंश ने जय की बात सुनकर उसे ऊपर से लेकर नीचे तक देखा और उसे घूरते हुए कहा,”बेटा अभी तुम्हारी इतनी उम्र नहीं हुई है कि तुम लड़किया घुमाओ,,,,,,,,,,,पढाई में ध्यान दो”
“ऐसी बात नहीं है मैं अब बड़ा हो चुका हूँ और मेरा लायसेंस भी बन चुका है”,जय ने वंश के सामने तनते हुए कहा


“लायसेंस गाड़ी चलाने का मिला है लड़की घुमाने का नहीं और जिस लड़की की तुम बात कर रहे हो वो तुम्हारे लिए नहीं बनी है”,इस बार मुन्ना की आवाज वंश और जय दोनों के कानों में पड़ी।
दोनों ने एक साथ पलटकर देखा तो पाया मुन्ना वहा खड़ा है। अपने होने वाले जीजा को वहा देखकर जय थोड़ा सा घबरा गया और कहा,”अरे मान जीजू आप , मैं तो बस ऐसे ही वंश भैया से मजाक कर रहा था,,,,,,,,,,,,,गौरी दीदी शायद मुझे बुला रही है मैं आता हूँ।”


जय मुन्ना से बचकर वहा से भाग गया तो वंश मुन्ना की पलटा और कहा,”तो वो लड़की किसके लिए बनी है मिस्टर मानवेन्द्र मिश्रा ?”
“जिनके लिए बनी है उन्हें कदर नहीं है,,,,,,,,,,,छोडो तुम नहीं समझोगे”,मुन्ना ने अपने हाथो को बांधकर कहा
 “मैं नहीं समझता ना तो अभी गौरी के हाथो जूते खा रहे होते तुम,,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने इतरा कर कहा

मुन्ना को याद आया कि कुछ देर पहले ही वंश ने उसकी मदद की थी। उसने अपने हाथो को नीचे किया और कहा,”तुम्हे कैसे पता हम लड्डू लाना भूल गए है ?”
वंश कुछ कहता इस से पहले गौरी वहा आयी और मुन्ना को दिवार की तरफ धकियाकर कहा,”वो छोडो और ये बताओ , तुम्हे किसने कहा मुझे मोतीचूर के लड्डू पसंद है ?”


“तो क्या तुम्हे लड्डू पसंद नहीं है ?”,वंश ने हैरानी से गौरी से पूछा और मुन्ना को अजीब नजरो से देखा जैसे ये पूछकर वह मुन्ना को जान बुझकर फंसाना चाहता हो। गौरी मुन्ना के करीब खड़ी थी उसने वंश की तरफ देखा और कहा,”नहीं,,,,,,,,,,,,और हैरानी की बात ये है कि मिस्टर मान को ये तक नहीं पता मुझे मीठे में क्या पसंद है ?”
गौरी को गुस्से में देखकर मुन्ना ने धीरे से कहा,”हमे पता है तुम्हे गुलाब जामुन पसंद है”
“हाह तो फिर लड्डू क्यों लेकर आये ?”,गौरी ने हैरानी से कहा


“गाइज मैं जा रहा हूँ तुम्हारे ये लड्डू गुलाब जामुन के चक्कर में मुझे नहीं पड़ना यू , यू गाईज केरी ऑन,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा और वहा से चला गया। वंश के जाने के बाद गौरी मुन्ना को गुस्से से देखने लगी तो मुन्ना मुस्कुरा उठा।
“हंसो मत मेरी बात का जवाब दो,,,,,,,,!!”, गौरी ने छोटे बच्चे की तरह तुनकते हुए कहा


मुन्ना ने गौरी की कमर में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींचा और उसकी आँखों में देखकर कहा,”क्योकि हमे पसंद है,,,,,,,,,,,,,और जो हमे पसंद है वो तुम्हे भी पसंद आएगा जब तुम पूरी तरह हमारे रंग में रंग जाओगी,,,,,,,,,,,,,!!”
मुन्ना की बात सुनकर गौरी का दिल धड़कने लगा उस पर मुन्ना का का उसके इतना करीब होना। शब्द गौरी के हलक में अटक गए वह कुछ बोल ही नहीं पायी।


वह अपनी बड़ी बड़ी आँखों से बस एकटक मुन्ना को देखते रही , मुन्ना की नजरे गौरी के सुर्ख गुलाबी होंठो पर ठहर गयी। गौरी ने अपनी पलकें झपकाई तो मुन्ना का ध्यान गौरी के होंठो से हटा और उसने धीरे से कहा,”कल सुबह हम सब वापस बनारस के लिए निकल जायेंगे,,,,,,,,,,,,,हमे तुम्हारा थोड़ा सा वक्त चाहिए गौरी ताकि हम अपने मन का हाल तुम्हारे साथ सांझा कर सके,,,,,,,,,,,,,तो क्या आज शाम तुम हमसे मिलने आओगी ?”


मुन्ना की बात सुनकर गौरी का दिल फिर धड़कने लगा , हालाँकि गौरी और मुन्ना की सगाई हो चुकी थी और अब जल्दी ही शादी भी होने वाली थी लेकिन आज से पहले मुन्ना ने गौरी को इस तरह अकेले मिलने के लिए नहीं कहा  
गौरी को समझ नहीं आया इस वक्त वह मुन्ना से क्या कहे इसलिए वह पीछे हटी और वहा से जाने लगी। मुन्ना ने गौरी की कलाई पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”तुमने हमारी बात का जवाब नहीं दिया गौरी ?”
गौरी पलटी और कहा,”मैं जरूर आउंगी,,,,,,,,!!”


मुन्ना ने मुस्कुरा कर गौरी का हाथ छोड़ दिया और गौरी वहा से चली गयी 

प्रताप का घर , बनारस  
घर के आँगन में बैठा प्रताप दातुन से अपने दांतों को घिस रहा था कि उसकी नजर सामने से आते भूषण पर पड़ी। राजन की सगाई वाली बात के बाद भूषण आज घर आया था। प्रताप ने देखा तो उठा और कहा,”का रे भूषणवा आज अपने घर का रास्ता भूल गए का ?”
“अरे पाय लागू चचा , हम तो बस राजन भैया से मिलने आये थे , कहा है भैया दिखाई नहीं दे रहे ?”,भूषण ने प्रताप की तरफ आते हुए कहा


इह सब छोडो और हमको एक ठो बात बताओ भूषण,,,,,,,,कालेज में रजनवा का कोनो से चक्कर वक्कर था का ?”
भूषण ने सुना तो हैरानी से प्रताप को देखा और कहा,”अरे नहीं नहीं चचा ऐसा काहे पूछ रहे हो ? राजन भैया के पास जे सब कामो के लिए वक्त ही कहा था,,,,,,,,,,,,का हुआ राजन भैया ने कुछ कहा का आपसे ?”
“अरे कहा का ? हमहू खुद देखे है अपनी आँखों से एक ठो लड़की की तस्वीर से बातें करते रजनवा को और फिर उह दिन तुम्हरे सामने भी तो कहा था उसने कि उह किसी राजदुलारी को पसंद करता है।”,प्रताप ने कहा


“ए चचा तुमहू फिर हमायी अम्मा का नाम ले रहे हो,,,,,,,,,,,!!”,भूषण ने तुनकते हुए कहा
“हाँ तो पुरे बनारस में का एक ठो तुम्हायी अम्मा का नाम ही राजदुलारी है ? भूषणवा सुनो हमारी बात रजनवा की बुद्धि न दिन ब दिन घास चरने जा रही है। उह पूरी तरह से अपनी बुद्धि खोये इह से पहिले तुमहू राजदुलारी को ढूंढकर लाओ”,प्रताप ने कहा


“अरे हम कहा से लाये ? ना हमने उसको कभी देखा ना कभी पहिले मिले उस से , उह कोई दुकान पर मिलने वाला पान है जो गए और ले आये,,,,,,,,,!!”,भूषण ने प्रताप की बात सुन परेशान होकर कहा।

प्रताप ने सुना तो वह भूषण के पास आया और उसके कंधो पर हाथ रखकर कहा,”भूषणवा ! तुमहू हमरी इकलौती उम्मीद हो बबुआ , राजन को जे फितूर से बाहर तुम्ही निकाल सकते हो,,,,,,,,,,!!”
“मतलब ?”,भूषण ने असमझ की स्तिथि में कहा
“मतलब जे कि जिस भरम में राजन है उसको तुम सच कर दो , राजदुलारी राजन का पुराना प्रेम है अब उह कैसी दिखती है जे रजनवा को भी कहा पता होगा ?”,प्रताप ने कहा


“आपका मतलब नकली राजदुलारी,,,,,,,,,,,!!”,भूषण ने कहा
प्रताप ने मुस्कुराकर सहमति में अपना सर हिलाया तो भूषण एकदम से उस से दूर हटा और कहा,”पगला गए हो का ? राजन भैया को पता ना तो हड्डी पसली एक कर देंगे हमारी,,,,,,,,,,,, हम जे ना करी है जाकर किसी और को पकड़ो”
“ए भूषणवा सुनो तो , देखो बात ऐसी है कि तुमहू हो रजनवा के खास दोस्त , तुम्हरे झूठ पर भी उह आँख बंद करके भरोसा कर लेगा,,,,,,,,,,,बदले में तुम जो कहोगे हम तुम्हे देंगे,,,,,,,!!”,प्रताप ने कहा


भूषण ने सुना तो सोच में पड़ गया और कुछ देर बाद कहा,”आप सच कह रहे है ?”
“हाँ भूषणवा जो तुम मांगों बस एक बार जे ससुरी राजदुलारी का किस्सा खत्म कर दयो राजन की जिंदगी से फिर तुम जो कहो हमे मंजूर है,,,,,,,,,,,!!”,प्रताप ने कहा तो भूषण की आँखे चमक उठी और उसने कहा,”तो फिर दिवाली के बाद होने वाले युवा नेता इलेक्शन में हमका टिकट दिलवाय दयो”


प्रताप ने सुना और कहा,”इह बार के इलेक्शन में तुम्हरा युवा नेता बनना तय समझो भूषणवा , मुरारी तो पार्टी में रहा नहीं और विपक्ष की पार्टी हमरे बड़े भाई के हाथ में है , समझ लो युवा नेता बन गए तुम,,,,,,,,,,,,!!”
“अरे थैंक्यू चचा , बस अब देखो कैसे राजन भैया के सर से राज दुलारी का भूत उतरता है,,,,,,,,,,,!!”,भूषण ने कहा तो प्रताप मुस्कुरा उठा और वहा से चला गया  

शक्ति का घर , इंदौर
अपने घर के ऑफिस रूम में लेपटॉप के सामने बैठा शक्ति कुछ जरुरी काम कर रहा था। मुन्ना ने शक्ति को जो लिफाफा दिया था उसमे एक पेन ड्राइव थी और उसमे कुछ सबूत थे जिन्हे शक्ति बहुत ध्यान से देख रहा था। शक्ति जिस केस को देख रहा था वह एक बहुत बड़ा गैर क़ानूनी कामो का जुड़ा केस था जिसमे शहर के बड़े बड़े लोग भी शामिल थे। शक्ति ने जैसे ही DIG सर को स्क्रीन पर किसी से हाथ मिलाते देखा , हैरानी से उसकी आँखे सिकुड़ गयी। शक्ति को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ इन सब में DIG सर भी शामिल है लेकिन शक्ति इतनी जल्दी कोई फैसला लेना नहीं चाहता था।

उसने आगे चेक किया तो पाया जिस से DIG सर जिस से हाथ मिला रहे है उस आदमी का चेहरा नहीं बल्कि हाथ ही दिखाई दे रहा था। शक्ति को इन तस्वीरों में और कोई सबूत नहीं मिला थककर उसने जैसे ही लेपटॉप बंद करना चाहा उसकी नजर तस्वीर में दिखते आदमी के उस हाथ पर पड़ी जिसमे एक सिल्वर ब्रासलेट था जिसके बीच में एक काले रंग का स्टोन था। शक्ति ने उस तस्वीर को बहुत ध्यान से देखा लेकिन उसे समझ नहीं आया। उसने लेपटॉप बंद किया और किसी को फोन लगाकर उस से बात करने लगा।

बात करते हुए शक्ति अपने कमरे में आया और घूमते हुए बात करने लगा , फोन कान से लगाए शक्ति जैसे ही कमरे से बाहर जाने लगा उसकी नजर अपने कमरे में बने दरवाजे पर गयी जो की उस कमरे में एक सीक्रेट कमरा था। दरवाजा शक्ति को कुछ खुला लगा। शक्ति ने फोन काटा और दरवाजे की तरफ आया। शक्ति ने दरवाजा खोला तो देखा सुबह जो आदमी यहाँ बंधा था वहा अब खाली कुर्सी और रस्सिया थी।

शक्ति के चेहरे पर परेशानी के भाव तैर गए वह अंदर आया  तभी किसी ने पीछे से रस्सी को उसके गले में डाला और उसका गला दबा लिया। शक्ति ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की लेकिन
रस्सी की पकड़ इतनी मजबूत थी कि शक्ति कुछ नहीं कर पाया , अँधेरे में वह उस आदमी का चेहरा भी नहीं देख पाया। उन दो मजबूत हाथो ने रस्सी के सिरों को कसकर पकड़ रखा था और उसके दाहिने हाथ मे सिल्वर ब्रासलेट झूल रहा था जिसके बीचोबीच लगा ब्लेक स्टोन चमक रहा था

Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70

Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70

शक्ति को अहसास हुआ कि वह किसी बड़ी मुसीबत में फंस चुका है।

Continue With Main Teri Heer – 71

Read Previous Part Main Teri Heer – 69

Follow Me On instagram

संजना किरोड़ीवाल

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4
A Woman
A Woman by Sanjana Kirodiwal

2 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!