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Main Teri Heer – 69

Main Teri Heer – 69

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

मोहसिन ने शक्ति को जिस बार का पता बताया था वहा शक्ति की मुलाकात कबीर से हुई। कबीर को वहा देखकर शक्ति को थोड़ा अजीब लगा और साथ ही कबीर को लेकर उसका शक और मजबूत होने लगा। कबीर के जाने के बाद शक्ति मैनेजर के केबिन में आया तो मैनेजर शक्ति को देखते ही उठ खड़ा हुआ और अपनी जेब से एक पेन ड्राइव निकालकर शक्ति की और बढाकर कहा,”मोहसिन भाई ने बताया था कि आप आने वाले है , मैंने पहले ही फुटेज इसमें कॉपी कर लिए है,,,,,,,,,,,,!!”


“हम्म्म्म थैंक्यू,,,,,,!!”,शक्ति ने पेन ड्राइव लेकर उसे देखते हुए कहा
“सर ऐसा क्या है इस फुटेज में अभी थोड़ी देर पहले एक लड़का भी उस रात के फुटेज मांग रहा था,,,,,,,,!!”,मैनेजर ने कहा
“लड़का ?”,शक्ति ने हैरानी से पूछा
“हाँ अभी अभी यहाँ से निकला है,,,,,,,इस फुटेज के बदले में उसने मुझे पैसे भी ऑफर किये थे,,,,,,!!”,मैनेजर ने कहा  


शक्ति को याद आया अभी अभी कबीर यहाँ से निकला था , और वह बहुत जल्दी में भी था। कबीर का ख्याल आते ही शक्ति बड़बड़ाया,”कबीर यहाँ क्यों आया था और उसे उस रात का फुटेज क्यों चाहिए था ? क्या वो उर्वशी को जानता है ?”
“सर आप कुछ लेंगे ? चाय कॉफी,,,,,,,,,!!”,मैनेजर की आवाज से शक्ति की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”अह्ह्ह नहीं थैंक्यू ! हमे अब निकलना होगा,,,,,,,!!”
“ठीक है सर,,,,,,,,,,!!”,मैनेजर ने कहा और अपने काम में लग गया।

“तुमने उस गाड़ी का टॉयर पंचर क्यों किया ?”,नीलिमा ने कबीर के साथ चलते हुए कहा जो अभी अभी एक गाड़ी का टॉयर पंचर करके आ रहा था। ये गाड़ी किसी और की नहीं बल्कि शक्ति की थी। कबीर चलते चलते रुका और नीलिमा की तरफ पलटकर कहा,”ताकि वो DCP हमारा पीछा ना कर पाए”
“वो हमारा पीछा क्यों करेगा ?”,नीलिमा ने हैरानी से कहा


“क्योकि उस रात एक्सीडेंट के बाद मुझे हॉस्पिटल पहुँचाने वाला वही है , उसे लगता है मैं एक क्रिमिनल हूँ ,, मेरे रिपोर्ट्स में सामने आया है कि मैंने उस रात बहुत ज्यादा ड्रग्स लिया था और साथ ही मैं ड्रग्स की स्मगलिंग भी करता हूँ”,कबीर ने गंभीरता से कहा
नीलिमा ने सुना तो उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ उसने कहा,”क्या ? पर तुम ड्रग्स कैसे ले सकते हो तुम तो कभी नशा नहीं करते कबीर,,,,,,,,,,,!!”


“यही तो मैं नहीं समझ पा रहा हूँ पर हो ना हो ये सब उसी आदमी की चाल है वो मुझे फ़साना चाहता है,,,,,,,,,,,!!”,कबीर ने कुछ सोचते हुए कहा
“तुम किस आदमी की बात कर रहे हो ?”,नीलिमा ने पूछा
“मिस्टर चौहान,,,,,,,,,,,,मेरी माँ मेरी के मुंह बोले भाई,,,,,,,,,,,,,,मैं उनसे नफरत करता हूँ”,कबीर ने गुस्से से भरे स्वर में कहा


नीलिमा ने मिस्टर चौहान का नाम सुना तो सोच में पड़ गयी और कहा,”मैंने ये नाम पहले भी सुना है,,,,,,,,,,,शायद माँ के मुंह से,,,,,,,,,,,!!”
कबीर ने सुना तो उसे अजीब लगा क्योकि उसने आज पहली बार नीलिमा के सामने मिस्टर चौहान का नाम लिया था। कबीर नीलिमा से कुछ कहता इस से पहले उन दोनों के कानो में एक आवाज पड़ी। दोनों ने सामने देखा तो पाया शक्ति अपनी गाड़ी के पंचर टायर को देखकर उसपर लात मार रहा था।
“चलो यहाँ से चलते है,,,,,,,,,!!”,कबीर ने कहा


“तुम जाओ कबीर मुझे हॉस्टल वापस जाना होगा , माँ का फोन आया था वो आ रही है,,,,,,,,,मैं तुम से बाद में मिलती हूँ”,नीलिमा ने कहा
“ठीक है ध्यान से जाना और अपना ख्याल रखना,,,,,,,,,,!!”,कबीर ने नीलिमा को साइड हग करके कहा और वहा से चला गया
नीलिमा भी सड़क किनारे चली आयी और ऑटो रुकवाकर वहा से चली गयी

शक्ति को सबूत देकर मुन्ना गौरी के घर पहुंचा। वह भूल गया कि घर से निकलते वक्त उसने मुरारी और घरवालों के सामने मिठाई लेकर आने का बहाना बनाया था। मुन्ना जैसे ही अंदर आया उसे देखते ही मेघना ने कहा,”लीजिये मानवेन्द्र जी भी आ गए”
“इतना वक्त कहा लगा दिए मुन्ना ? तुम खाली हाथ आये हो तुमने तो कहा था तुम लड्डू,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने जान बूझकर मुन्ना को याद दिलाते हुए कहा तो मुन्ना मन ही मन उलझन में पड़ गया।

वह कुछ कहता तभी उसके कानो में पीछे से आते वंश की आवाज पड़ी,”लड्डू यहाँ है मुरारी चाचा , अब छोटे भाई के होते मुन्ना ससुराल में डिब्बे उठाएगा तो अच्छा नहीं लगेगा ना”
मुन्ना ने वंश को वहा लड्डू के डिब्बों के साथ देखा तो उसकी जान में जान आयी उसने जैसे ही गौरी को देखा तो पाया गौरी उसे ही घूर रही है।
“मुन्ना वहा क्यों खड़े हो ? यहाँ आओ पंडित जी ने तुम्हारी और गौरी की शादी के लिए कुछ तारीखे बताई है ज़रा आकर देखो,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने कहा तो मुन्ना आकर उसके बगल में बैठ गया।


मुन्ना ने देखा पंडित जी ने शादी के लिए 3 शुभ मुहूर्त बताये थे जिनमे से 2 अगले साल थे और एक बहुत ही शुभ मुहूर्त दीपावली के 11 दिन बाद का था। मुन्ना ने शिवम् की तरफ देखा और कहा,”हम क्या बताये ? आप गौरी से पूछ लीजिये,,,,,,,,,,!!”
“मेरा बस चले तो मैं कल ही आप लोगो के साथ बनारस चलू,,,,,,,,,!!”,गौरी ने मुरारी की तरफ झुककर धीमे स्वर में कहा


“दीपावली के बाद वाली तारीख फिक्स कर दे फिर ?”,मुरारी ने भी धीमे स्वर में पूछा
“हाये ! 100 साल जियेंगे आप,,,,,,,,,आपने तो मेरे मुंह की बात छीन ली पापा लेकिन आपके मुन्ना को कौन मनाएगा ?”,गौरी ने एक्साइटेड होकर कहा जो मुन्ना को भी साफ दिखाई दे रही थी
“अरे उसकी कौन सुनेगा,,,,,,,,,हमहू जो एक बार कह दिए उह कह दिए बनारस में कोनो की हिम्मत ना है हमारी बात टाल दे,,,,,,,,,,तुम बस देखती जाओ”,मुरारी ने अपनी मुछो को ताव देते हुए कहा


गौरी खुश हो गई अब उसे मुन्ना से दूर नहीं रहना पडेगा सोचकर ही गौरी के पेट में तितलियाँ सी उड़ने लगी। वह मुस्कुराते हुए मुन्ना को देखने लगी , लेकिन उसकी मुस्कराहट में मुन्ना को प्यार नहीं बल्कि गड़बड़ नजर आ रही थी।
“अगर ऐतराज ना हो तो हम कुछो कहे,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने अपना गला साफ करते हुए कहा
“बिल्कुल मुरारी , तुम मुन्ना के पिता हो तुम्हे बोलने  पूरा हक़ है,,,,,,,,!!”,शिवम् ने कहा


“हम जे कह रहे थे कि हमरे घर की बिटिया “काशी” की सगाई हो चुकी है और अब मुन्ना की सगाई भी हो चुकी है तो,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने इतना ही कहा था कि वंश उछलकर बीच में बोल पड़ा,”तो आप चाहते है काशी और मुन्ना के साथ मेरी भी सगाई हो जाये ताकि आप तीनो की शादी एक ही मंडप में करवा दे,,,,,,,,,,,,,,मैं कोई शादी वादी नहीं करने वाला,,,,,,!!”


वंश की बात सुनकर सब वंश की तरफ देखने लगे तो वंश झेंप गया और अपनी आवाज को थोड़ा सामान्य करके कहा,”मैं सच कह रहा हूँ मुझे अभी कोई शादी नहीं करनी है”
“पर हमको तो लगता है सबसे ज्यादा जल्दी तुम्ही को है शादी की,,,,,,,,,,,खैर छोडो तुम्हरी इजाजत हो तो हमहू अपनी बात पूरी करे ?”,मुरारी ने वंश को झिड़कते हुए कहा
“हाँ हाँ , वो मैंने कुछ सामान आर्डर किया था लड़का आया नहीं मैं बाहर देखकर आता हूँ,,,,,,,!!”,वंश ने वहा से जाते हुए कहा  

“हाँ तो मुरारी तुम कुछ कह रहे थे ?”,मुरारी ने कहा
“हम जे कह रहे थे कि दीपावली के 11 दिन बाद एकादशी के शुभ मुहूर्त पर क्यों ना “काशी-शक्ति” और “मुन्ना-गौरी” का विवाह कर दिया जाये। काशी की सगाई को भी काफी वक्त हो चुका है और फिर काशी बिटिया शादी के बाद भी तो अपनी पढाई जारी रख सकती है। आप सब लोगो की मंजूरी हो तो जे सही रहेगा”,मुरारी ने कहा
मुरारी की बात सुनकर काशी शरमा गयी और कहा,”हम आते है”


गौरी ने तो पहले ही मुरारी को अपनी मंजूरी दे दी थी , मुन्ना ने सुना तो उसने सामने बैठी गौरी को देखा , जैसे ही उसकी नजरे गौरी से मिली उसका दिल धड़क उठा। मुन्ना दूसरी तरफ देखने लगा
“मुझे कोई ऐतराज नहीं है,,,,,,,,,,,क्यों दी ये सही रहेगा ना हमारे मुन्ना और काशी की शादी एक ही दिन अलग अलग मंडप में होगी”,अनु ने खुश होकर कहा


सारिका ने सुना तो शिवम् की तरफ देखने लगी , शिवम् के मन का हाल सारिका बखूबी जानती थी , काशी के दूर जाने के ख्याल से ही शिवम् का मन भारी होने लगा लेकिन जैसे ही उसे शक्ति का ख्याल आया तो उसे महसूस हुआ कि शक्ति के रूप में काशी को बहुत ही प्यारा हमसफर मिला है जो उसका हमेशा ख्याल रखेगा। शिवम् ने मुरारी की तरफ देखा और मुस्कुरा कर कहा,”हमे कोई ऐतराज नहीं है मुरारी बस एक बार आई बाबा और सारिका जी के मम्मी पापा से बात कर ले,,,,,,,,,,,,,!!”


“अरे आई बाबा की तरफ से तो पक्का हाँ है और बचे सासु माँ ससुर जी तो उनके पैर हम पकड़ लेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,जैसे आपके लिए पकडे थे”,मुरारी ने कहा
शिवम् ने सुना तो उसे सारिका की सगाई का वो दिन याद आ गया जब मुरारी ने अधिराज जी के सामने शिवम् को अपनाने के लिए हाथ जोड़े थे।


“नंदिता जी आप बताईये दीपावली के बाद का मुहूर्त सही रहेगा ?”,शिवम् ने गौरी की मम्मी से कहा आखिर उनकी मंजूरी भी जरुरी थी
“मुझे तो कोई ऐतराज नहीं है भाईसाहब लेकिन इतनी जल्दी सब,,,,,,,,,,,,,,,!!”,नंदिता ने कहा
“अरे उसकी चिंता आप मत कीजिये , शादी बनारस में होगी तो हम सब मिलकर सब करेंगे,,,,,,,,,!!”,अनु ने कहा तो नंदिता ने ख़ुशी से हामी भर दी

शिवम् ने पंडित जी से कुछ बाते की और फिर मुन्ना-गौरी की शादी की सभी रस्मो के लिए शुभ मुहूर्त देखने लगे।
“दीपावली के बाद आने वाली एकादशी को “मानवेन्द्र मिश्रा का विवाह शुभ लग्न में गौरी शर्मा” के साथ तय हुआ है।  यजमान सबका मुंह मीठा करवाईये”,पंडित जी ने खुश होकर कहा


नंदिता ने सुना तो मिठाई लेने किचन की तरफ जाने लगी। सारिका उठी और उनकी मदद करने उनके साथ चली गयी। मुरारी ने जेब से 2100 रूपये निकालकर दक्षिणा के रूप में पंडित जी की ओर बढ़ा दिए। मिठाई आयी और सबने मुंह मीठा किया लेकिन मुरारी को लड्डू गौरी ने अपने हाथ से खिलाया मुन्ना ने देखा तो उसे अच्छा लगा , उसने पाया धीरे धीरे गौरी उसके पापा के साथ घुल मिल रही थी।  

राइजिंग होटल , इंदौर
एक हट्टा कट्टा आदमी उर्वशी के बालों को पकडे खींचते हुए उसे लेकर कमरे में दाखिल हुआ और सोफे पर बैठे चौहान साहब के पैरो में धकिया दिया।  बिखरे बालों के साथ उर्वशी ने अपना सर उठाया और सामने बैठे चौहान साहब को देखा। उर्वशी के चेहरे पर चोट के कुछ निशान थे और होंठो के किनारो से खून बह रहा था जिस से ये साफ जाहिर हो रहा था कि यहाँ लाने से पहले उसे मारा-पीटा गया है।

चौहान साहब ने उर्वशी के जबड़े को अपने हाथ में पकड़कर उसे नफरत भरी नजरो से देखा और गुस्से से कहा,”जिस साम्राज्य को मैंने इतनी मेहनत से खड़ा किया है , जिसका मालिक बनने के लिए मैंने लाशो को अपनी सीढ़ी बनाया , तुझे क्या लगा मैं तुझे ये सब ऐसे ही बर्बाद करने दूंगा,,,,,,,,,,,,,,,तुम शायद मुझे जानती नहीं तुमने सोच भी कैसे लिया मेरी नजरे तुम पर नहीं है ? जॉर्डन के साथ मिलकर तुम मुझे सबके सामने लाना चाहती थी ना , वो रहा जॉर्डन जो अपनी जिंदगी की आखरी सांसे ले रहा है,,,,,,,,,,,,!!”


कहते हुए चौहान साहब ने उर्वशी का मुंह झटक दिया , उर्वशी ने देखा कुछ ही दूर खून से लथपथ जॉर्डन जमीन पर पड़ा बहुत मुश्किल से साँस ले पा रहा था। उसकी गर्दन में टूटी हुई बोतल का टुकड़ा धंसा हुआ था।  उर्वशी ने देखा तो वह लड़खड़ाते हुए जॉर्डन की तरफ जाने लगी लेकिन वह उस तक पहुँच पाती इस से पहले ही चौहान साहब ने जॉर्डन के गले में धंसे शीशे पर अपना पैर रखा और नफरत भरे स्वर में कहा,”मुझे धोखा देने वाले का एक ही हश्र होना चाहिए और वो है मौत,,,,,,,,,,,,,,दर्दनाक मौत”


कहते हुए चौहान साहब ने अपने पैर से उस टुकड़े को जॉर्डन गले में अंदर तक धंसा दिया और जॉर्डन की वही मौके पर मौत हो गयी। उर्वशी आँखों में आँसू भरे फटी आँखों से जॉर्डन के पार्थिव शरीर को देखते रही। उसके मुंह से कोई बोल नहीं फूटा वह स्तब्ध हो चुकी थी।

चौहान साहब ने कमरे में मौजूद अपने आदमियों को इशारा किया और दो आदमी जॉर्डन की लाश को वहा से ले गए। चौहान साहब उर्वशी की तरफ आये और कहा,”इस से भी बदत्तर हाल मैं तुम्हारा कर सकता हूँ उर्वशी इसलिए मेरे साथ खेलने की गलती दोबारा मत करना वरना तुम्हे मैं जिस जगह से लाया हूँ वहा तुम्हारी बेटी को भी पहुंचा सकता हूँ,,,,,,,,,,,!!”


“विराज,,,,,,,,,,!!”,उर्वशी के मुंह से दर्दभरा बोल फूटा , जैसे ही विराज चौहान ने उर्वशी की बेटी का जिक्र किया उर्वशी के चेहरे पर दर्द और डर के भाव दिखाई देने लगे उसने आगे कहा,”मैं मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ मेरी बेटी को कुछ मत करना,,,,,,,,,,,,,,,,उसका पीछा छोड़ दो तुम , तुम तुम जो कहोगे वो मैं  करुँगी , मैं तुम्हारी हर बात मानने के लिए तैयार हूँ बस मेरी बेटी से दूर रहो , वो ये सब के बारे में कुछ नहीं जानती है।”


उर्वशी को गिड़गिड़ाते देखकर चौहान साहब के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी। उन्होंने अपना शराब से भरा गिलास उठाया और उर्वशी को बिस्तर की तरफ आने का इशारा किया,,,,,,,,,,,,,,,उर्वशी उठी और बिस्तर की तरफ बढ़ गयी जैसे वह पहले से जानती हो कि उसे क्या करना है ?

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