Sanjana Kirodiwal

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Main Teri Heer – 44

Main Teri Heer – 44

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

शक्ति के घर से निकलकर काशी गौरी की स्कूटी लेकर घर के लिये निकल गयी। काशी घर पहुंची तो पाया अधिराज जी घर के बाहर लॉन में ही घूम रहे थे। काशी को देखते ही उन्होंने कहा,”अच्छा हुआ काशी तुम आ गयी , तुम्हारी नानी माँ तुम्हे याद कर रही थी।”
“डोंट वरी नानू हम आ गए है ना अब हम सब सम्हाल लेंगे,,,,,,,,,,!!”,काशी ने अंदर जाते हुए कहा


आज अधिराज जी बहुत खुश थे और हो भी क्यों नहीं आज सारिका और अनु घर जो आने वाली थी उनके साथ शिवम् और मुरारी भी,,,,,,,,,,,,,,,सारिका अनु की शादी के बाद वे लोग कितना कम इंदौर आ पाती थी। अधिराज जी ने अपने घर में पहले ही सबके रुकने का इंतजाम करवा दिया था।

काशी अंदर आकर अम्बिका जी से मिली और दोनों ने मिलकर सभी काम खत्म किये। सब करते करते काशी ने देखा उसके मम्मी पापा आने वाले है तो वह जल्दी से नहाने चली गई। अम्बिका जी भी तैयार होने चली गयी। घर के नौकरो से कहकर उन्होंने सबके लिये नाश्ते की तैयारी करने को पहले ही कह दिया।
काशी ने कबर्ड से सूट निकाला और उसे बिस्तर पर रखकर जैसे ही बाथरूम की तरफ बढ़ी उसका फोन बजा।

काशी ने फ़ोन उठाकर कान से लगाया तो दूसरी तरफ से गौरी की आवाज आयी,”काशी कहा हो तुम ? शक्ति को छोडो और मेरे पास आओ , मुझे बहुत सारे काम है,,,,,,,,,,!!”
“हाँ हाँ गौरी हमे याद है हम नहाने ही जा रहे थे , हमे थोड़ा वक्त दो , एक बार मम्मी पापा आ जाये उसके बाद हम आते है”,काशी ने कहा
“ठीक है जल्दी आना”,गौरी ने कहा और फ़ोन रख दिया

काशी हड़बड़ाते हुए नहाने चली गयी।

कैब आकर अधिराज जी के घर के बाहर आकर रुकी। नवीन मेघना और निशि गाड़ी से नीचे उतरे। वंश अधिराज जी को नवीन के आने के बारे में पहले ही बता चुका था और अधिराज जी नवीन को पहले से ही जानते थे इसलिये मुस्कुराते हुए नवीन की तरफ चले आये और कहा,”तुम्हे यहाँ देखकर अच्छा लगा नवीन , अपनी सारिका मैडम की बात आज भी नहीं टालते तुम,,,,,,,,,,,,आओ अंदर आओ”


अधिराज जी की बात सुनकर नवीन मुस्कुराया और आगे बढ़कर उनके पैर छूकर कहा,”कैसे है आप ?”
“हम बढ़िया है , तुम बताओ तुम कैसे हो ? भई मुंबई जाकर तो तुम हम सबको जैसे भूल ही गए,,,,,,,,,,,,ये शायद तुम्हारी बिटिया है”,अधिराज जी ने निशि की ओर देखकर कहा जो कि मुस्कुराते हुए अधिराज जी को ही देख रही थी।


नवीन ने निशि की तरफ देखा और अधिराज जी के पैर छूने का इशारा किया तो निशि ने आगे बढ़कर अधिराज जी के पैर जैसे ही छूने चाहे उन्होंने उसे बीच में ही रोक दिया और कहा,”अरे नहीं नहीं बेटा , हमारे यहाँ बिटिया पैर नहीं छूती है,,,,,,,,,,,तुम तो लक्ष्मी का रूप हो,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए अधिराज जी ने निशि का सर सहला दिया। पहली ही मुलाकात में अधिराज जी निशि को बहुत पसंद आये वह मुस्कुरा उठीं


“नमस्ते अंकल,,,,,,,,,,!”,मेघना ने कहा
“नमस्ते बेटा , सफर लंबा था तुम सब थक गए होंगे,,,,,,,,,,,,,आओ अंदर आओ,,,,,,,,,,!!”,अधिराज जी ने कहा और सबके साथ अंदर चले आये

अंदर आकर निशि ने देखा ये घर बहुत ही सुंदर था और हर एक चीज करीने से सजी हुयी थी। घर में कई पुराने ज़माने की सजावट का सामान भी था। निशि एक एक करके उन्हें देखने लगी। अधिराज जी घर के नौकर को सबके लिये चाय लाने को कहा और खुद बैठकर नवीन से बातें करने लगे। कुछ देर बाद अम्बिका भी वहा चली आयी और मेघना नवीन से मिली। नौकर चाय ले आया सभी चाय पीने लगे निशि ने अपना चाय का कप उठाया और अम्बिका से कहा,”क्या मैं आपका घर देख सकती हूँ ?”


“बिल्कुल बेटा इसमें पूछने की क्या बात है ?  इसे अपना ही घर समझो”,अम्बिका ने प्यार से निशि के गाल को छूकर कहा
निशि मुस्कुराई और अपनी चाय लेकर वहा से चली गयी। उसे ये घर बहुत ही प्यारा लग रहा था। घूमते घूमते निशि हॉल के पीछे बने बरामदे में चली आयी जहा बहुत सारे पौधे लगे थे और कुछ पोधो पर बहुत ही सुन्दर फूल भी आये हुए थे।


निशि बरामदे में लगे झूले पर आ बैठी और अपनी चाय पीने लगी। चाय पीते हुए निशि की नजर दिवार पर पड़ी जहा कुछ तस्वीरें लगी हुई थी। निशि झूले से उठकर दिवार के पास आयी और तस्वीरों को देखने लगी। ये बचपन की तस्वीरें थी जिन्हे निशि के लिये समझना मुश्किल था हाँ अधिराज जी और अम्बिका जी की तस्वीर को वह देखते ही पहचान गयी। सारिका की तस्वीर पहचानने में भी उसे ज्यादा वक्त नहीं लगा। एक तस्वीर थी जिसमे कोई लड़की जींस टीशर्ट और ब्लेजर पहने बाइक पर लेटी थी जिसकी आँखों पर चश्मा था।

निशि ने बहुत सोचा और फिर एकदम से खुश होकर कहा,”ये तो अनु आंटी है , वाओ अपनी यंग ऐज में वो कितनी कूल थी,,,,,,,,,,,,अहम्म्म्म ये शायद मुन्ना भैया हो सकते है और ये काशी,,,,,,,,,,,,,,,आहा देखा मैंने पहचान लिया पर ये कौन है ? हाह देखकर ही लग रहा है कि इसमें कितना ऐटिटूड होगा,,,,,,,,,,,,,शॉर्ट्स पहनकर बॉडी दिखा रहा है लेकिन बॉडी के नाम पर इसके पास कुछ है ही नहीं,,,,,,,,,,,,,!!”


“ये वंश की तस्वीर है , स्कूल की छुट्टियों में जब सारिका के साथ इंदौर आया था तब अपने नानाजी के साथ कसरत किया करता था , और रोज मुझसे आकर पूछता था नानी माँ मैं हीरो लगता हूँ,,,,,,,,,,,,,पगला”,निशि की बगल में खड़ी अम्बिका जी ने कहा  

निशि ने सुना तो उसने अम्बिका जी की तरफ देखा और फिर वंश के बचपन की तस्वीर को निशि उसे घूरते रही और फिर घबराकर एकदम से पीछे हटी , उसे लगा जैसे फोटो में अपनी बॉडी दिखाते वंश ने उसे घुसा मारा हो। अम्बिका जी निशि को दिवार पर लगी तस्वीरों के बारे में बताने लगी। अधिराज जी के साथ साथ अम्बिका जी भी निशि को बहुत पसंद आयी।
“हाहाहाहाहा ये वंश है,,,,,,,,,,,,!!”,अम्बिका जी ने एक तस्वीर की तरफ इशारा कर हँसते हुए कहा


निशि ने देखा एक तस्वीर में वंश लड़कियों वहा फ्रॉक पहने , शरमाते हुए खड़ा था ,, उसके बाल थोड़े लम्बे थे और उनमे एक फूलों वाला क्लिप भी लगा हुआ था। निशि ने देखा तो उसकी आँखे चमक उठी उसने अम्बिका की तरफ देखा और कहा,”ये कितना फनी लग रहा है”
“हाँ जब काशी को फ्रॉक पहनाया था तो ये भी जिद करने लगा कि इसे फ्रॉक पहनना है,,,,,,,,,,,,,पूरा नौटंकी है ये लड़का”,अम्बिका जी ने कहा


निशि मुस्कुरा उठी , वह बार बार वंश की उस तस्वीर को देख रही थी , निशि उसे फनी कह तो दिया लेकिन उस तस्वीर में छोटा वंश बड़ा प्यारा लग रहा था।
“अच्छा बेटा मैं तुम्हे ये कहने आयी थी कि चलकर नहा लो और फ़्रेश हो जाओ , कुछ देर बाद बाकि सब लोग भी आ जायेंगे और वो सब यही रुकने वाले है।”,अम्बिका जी ने कहा
“जी नानी माँ , आप चलिए मैं आती हूँ”,निशि ने कहा


“तुम्हारे मुंह से नानी माँ सुनकर अच्छा लगा , जल्दी आना”,अम्बिका जी ने निशि का गाल छूकर प्यार से कहा और वहा से चली गयी
अम्बिका जी के जाने के बाद निशि ने अपना फोन निकाला और वंश की उस तस्वीर को फ़ोन के कैमरे में कैद करके कहा,”अब बताउंगी मैं तुम्हे मिस्टर वंश गुप्ता कि आखिर निशि शर्मा कौन है ?”
निशि वहा से चली गयी।  

वंश गौरी के घर के सामने पहुंचा। उसने बाइक वाले को पैसे दिए और अपना बैग उठाये घर के अंदर जाने लगा अगले ही पल उसे याद आया और उसने अपना फोन जेब से निकालकर मुन्ना का नंबर डॉयल किया। एक दो रिंग के बाद मुन्ना ने फोन उठाया और कहा,”हाँ वंश कहा पहुंचें ?”
“तुम्हारी होने वाली दुल्हन के घर के ठीक सामने,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा


“तुम वहा क्या कर रहे हो ?”,मुन्ना ने हैरानी से पूछा
“क्या कर रहे हो मतलब ? अरे मैं अपनी होने वाली भाभी से मिलने आया हूँ,,,,,,,,,,,,सोचा तुम्हारे आने से पहले ही मैं उनसे मिलकर उन्हें सरप्राइज दे दू,,,,,,,कैसा रहेगा ?”,वंश ने मुन्ना को चिढ़ाते हुए कहा
“बहुत ही बेकार आइडिआ है , हम से पहले तुम गौरी से कैसे मिल सकते हो ?”,मुन्ना ने धीरे स्वर में मचलते हुए कहा


“हम्म्म हम्म्म क्या बात है तुम्हे जलन हो रही है क्या ? ए मुन्ना वो मेरी भाभी बनने वाली है उस से मिलने के लिये मुझे तुम्हारी परमिशन की जरूरत नहीं हैं , मैं तो जाकर सीधा हग करने वाला हूँ”,वंश ने जान बुझकर मुन्ना को फिर से चिढ़ाने के लिये कहा
“तुम गौरी के करीब नहीं जाओगे,,,,,,,,,,,और अगर तुमने ऐसा किया तो,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा और कहते कहते रुक गया


“तो तो क्या ? तुम तो गौरी को लेकर कुछ ज्यादा ही पजेसिव हो रहे हो मुन्ना,,,,,,,,ओह्ह्ह गॉड गौरी कितनी लकी हैं”,वंश ने कहा
“ये सब बकवास बंद करो और ये बताओ तुम कब पहुंचे और क्या निशि भी तुम्हारे साथ आयी है ?”,मुन्ना ने पूछा
निशि का नाम सुनते ही वंश के चेहरे से ख़ुशी गायब हो गयी और उसने चिढ़ते हुए कहा,”उस छिपकली का मेरे सामने नाम मत लेना मुन्ना,,,,,,,,,,तुम्हे पता है उसने क्या किया ? नहीं तुम्हे कैसे पता होगा ?

तुम्हारी आँखों पर तो उसने अपनी मासूमियत की पट्टी जो बांध रखी है,,,,,,,,,,,उसके मुन्ना भैया को उसमे ऐब नजर कैसे आ सकते है भला ? पर असल में वो चालाक लोमड़ी कितनी चंट है ये मुझसे पूछो,,,,,,,,,,,,,!!”
मुन्ना ने सुना तो अपना सर पीट लिया वह समझ गया कि मुंबई में वंश और निशि की ग़लतफ़हमी मिटाने की जो मेहनत उसने की थी उन सब पर पानी फिर चुका है उसने धीमे स्वर में वंश को डांटते हुए कहा,”वंश ! ये क्या तरिका है किसी लड़की के बारे में बात करने का ? तुम्हे निशि के बारे में ये सब नहीं बोलना चाहिए”


“ओके फाइन,,,,,,,,,,,,मैं जा रहा हूँ गौरी से मिलने वैसे भी उस निशि के बारे में सोचकर मुझे अपना मूड खराब नहीं करना,,,,,,,,,,,बाय”,वंश ने कहा और फोन काट दिया , उसने मुन्ना की बात भी नहीं सुनी और फोन जेब में डालकर गौरी के घर के अंदर चला आया।

बस में आखरी सीट पर बैठा मुन्ना खिड़की से बाहर देखते हुए मन ही मन खुद से कह रहा था,”तुम्हारा ये गुस्सा तुम्हे किसी दिन किसी बड़ी परेशानी में ना डाल दे वंश,,,,,,,,,,,,,,,लोग इतने बुरे भी नहीं होते जितना तुम समझ लेते हो।

सिटी हॉस्पिटल , इंदौर
कबीर की तबियत में अब काफी सुधार था , डॉक्टर अगले दिन डिस्चार्ज का बोलकर वहा से चले गए। कबीर की माँ ने सुना तो उन्होंने राहत की साँस ली। उन्होंने कमरे में आते अपने पति विक्रम से कहा,”डॉक्टर ने कहा है कल वो कबीर को डिस्चार्ज कर देंगे , उसके बाद हम उसे घर ले जा सकते है।”
“ये तो अच्छी बात है , लेकिन कबीर के घर जाने से पहले किसी का अंदर जाना बहुत जरुरी है”,विक्रम ने धीमे स्वर में कहा


“क्या ?”,कबीर की माँ ने असमझ की स्तिथि में कहा
“अह्ह्ह कुछ नहीं मैं बस ये पूछ रहा था कि कबीर ने कुछ खाया ?”,विक्रम ने तुरंत अपनी बात बदलते हुए कहा
“हाँ कुछ देर पहले ही इसने नाश्ता कर दवा ली है , अभी सो रहा है।”,कबीर की माँ ने कहा
“ठीक है तुम यहाँ रुको मुझे किसी जरुरी काम से बाहर जाना है , किसी भी तरह की जरूरत हो तो मैंने अपने मैनेजर को बाहर छोड़ा है तुम उस से कह देना,,,,,,,अभी मैं निकलता हूँ”,विक्रम ने कहा और वहा से चला गया


“लेकिन आप,,,,,,,,,,!!”,कबीर की माँ ने कहा लेकिन विक्रम ने उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया वे बहुत जल्दी से में वहा से निकल गए।
अगले ही पल नीलिमा हाथ में कुछ सामान लिये वहा चली आयी। नीलिमा कबीर की गर्लफ्रेंड थी इसलिये वह रोज कबीर से मिलने हॉस्पिटल आ रही थी पर


विक्रम और उनकी पत्नी इस बारे में कुछ नहीं जानते थे। नीलिमा ने आकर कबीर की माँ के कंधे पर हाथ रखा और कहा,”आंटी क्या हुआ ? आप कुछ परेशान परेशान दिख रही है , कबीर की तबियत तो ठीक है ना ?”
“हाँ वो अब ठीक है कल उसे डिस्चार्ज कर देंगे,,,,,,,,,तुम आयी अच्छा लगा”,कबीर की माँ ने नीलिमा के हाथो को थामकर कहा
नीलिमा मुस्कुरा दी और वहा पड़ी कुर्सी पर आ बैठी।

पुलिस स्टेशन , इंदौर
“तुम्हे आसिफ को अरेस्ट करने के ऑर्डर्स किसने दिये ? तुम्हारा प्रमोशन हो चूका है इसका मतलब ये नहीं है शक्ति कि तुम मनमानी करो,,,,,,,,,,,,,,,और आसिफ को पकड़कर भी क्या हासिल कर लिया तुमने ? वो तुम्हारी कैद से भाग गया,,,,,,,,,,,,,,उसे पकड़ने के बजाय उस पर निगरानी रखकर हम असली ड्रग डीलर तक पहुँच सकते थे लेकिन तुमने सब बर्बाद कर दिया,,,,,,,,,,,,,,,,अब डिपार्टमेंट को इसका जवाब कौन देगा कि आसिफ कहा है ? चुप क्यों हो जवाब दो ?”,DIG सर ने शक्ति पर भड़कते हुए कहा


“हम उसे ढूंढ लेंगे सर हमे बस थोड़ा वक्त दीजिये,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने कहा
“पता है बाहर डिपार्टमेंट में तुम्हारे बारे में क्या बात हो रही है ? ये कि तुमने आसिफ की गेंग से हाथ मिलाकर उसे छोड़ दिया और लोगो के सामने खुद को जख्मी दिखाकर सिम्पथी ले ली”,DIG सर ने कठोरता से कहा
“लोग हमारे बारे में क्या कहते है इस से हमे फर्क नहीं पड़ता है सर , हमने किसी गेंग से हाथ नहीं मिलाया है और हम वादा करते है हम आसिफ़ को फिर से पकड़ लेंगे,,,,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने विश्वास से भरकर कहा


“नहीं शक्ति , तुम्हारी इस लापरवाही और अपनी मनमर्जी के चलते डिपार्टमेंट ने तुम्हे एक हफ्ते के लिये सस्पेंड किया है और तुम्हे इस केस भी हटा दिया गया है , अब ये केस इन्स्पेक्टर पंकज काबरा देखेंगे , तुम्हे चोट लगी है और तुम्हे आराम की जरूरत है।”,DIG सर ने कहा
शक्ति ने जैसे ही सुना उसके चेहरे के भाव मायूसी में बदल गए

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