Telegram Group Join Now

Love You जिंदगी – 45

Love You Zindagi – 45

Love You Zindagi
Love You Zindagi by Sanjana Kirodiwal

अपने सामने अनुराग को देखकर नैना हैरान हो गयी ! उसका सर चकराने लगा था जबसे वो लखनऊ आयी थी तबसे ही उसे अवि के ख्याल और अब अनुराग नैना इरिटेट होने लगी ! वह खड़ी खड़ी अनुराग को देख रही थी ! अनुराग ने दुपट्टा अपने हाथो में लिया और नैना के सामने आकर अपना हाथ उसके चेहरे के सामने हिलाकर कहा,”क्या हुआ ? कोई भूत देख लिया क्या ?”


“आप सच में मेरे सामने खड़े हो ?”,नैना को अब भी अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था !
“हां लेकिन लगता है तुम जरूर नींद में हो ! बाय द वे तुम यहाँ कैसे ?”,अनुराग ने नैना से सवाल किया
“फॅमिली के साथ लेकिन आप यहाँ ?”,नैना ने कहा
“एक्चुअली किसी मीटिंग के सिलसिले में लखनऊ आया था , मेरे मामू का घर यही है इसलिए रुक गया कजिन्स के साथ घूमने निकला था ! पानी की बोतल लेने आया था की अचानक तुम मिल गयी !”,अनुराग ने कहा


“ओह्ह ! नाइस !”,नैना ने कहा
“सो ऑफिस कब आ रही हो ?”,अनुराग ने पूछा
“बस मंडे से , कल शाम निकलूंगी दिल्ली के लिए रुचिका और शीतल के साथ !”,नैना ने कहा
“वैसे मैं भी कल ही निकल रहा हूँ , तुम लोग चाहो तो मेरे साथ चल सकती हो !”,अनुराग ने कहा
“नहीं इट्स ओके , हम लोगो का अभी कन्फर्म नहीं हैं सो आप परेशान मत होईये !”,नैना ने पीछा छुड़ाने के लिए कहा !


नैना और अनुराग बात कर ही रहे थे की विपिन जी अनुराधा के साथ वहा आ पहुंचे अनुराग को देखते ही उनके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी और उन्होंने कहा,”अरे अनुराग बेटा तुम यहाँ ?
“नमस्ते अंकल , नमस्ते आंटी !”,अनुराग ने विपिन और अनुराधा के पैर छूकर कहा


“नमस्ते बेटा ! मित्तल साहब कैसे है ?’,विपिन जी ने कहा नैना थोड़ी हैरान थी की उसके डेड अनुराग सर को कैसे जानते है ? वह चुपचाप खड़ी सब समझने को कोशिश कर रही थी इतने में मोंटी , रुचिका और शीतल भी वहा पहुंचे ! नैना की तरह शीतल और रूचि भी अनुराग को वहा देखकर हैरान थी !
“पापा बिल्कुल ठीक है अंकल , आप और आंटी यहां,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,डिनर के लिए आये होंगे”,अनुराग ने खुद से ही राय बनाते हुए कहा


“हां बेटी आयी है ना तो बस उसी के साथ !”,विपिन जी कहा
“बेटी ?”,अनुराग ने कहा
“अरे ! ये है ना नैना , मेरी बेटी ,, इन दिनों दिल्ली में रहकर जॉब कर रही है !”,विपिन जी ने कहा
“अंकल नैना तो पापा की कम्पनी में ही जॉब करती है , आई मीन मेरे साथ ही !”,अनुराग ने कहा तो विपिन जी ने खुश होकर कहा,”अरे वाह !! ये तो अच्छी बात है देखा आराधना तुम खामखा नैना की चिंता कर रही थी !”
“पापा आप अनुराग सर को जानते हो ?’,नैना ने अपनी चुप्पी तोड़ी !


“हां ! कुछ साल पहले ही मिला था , अरे वो मेरा दोस्त नहीं है राजेंद्र उसका भांजा ही तो है ये ! अनुराग बेटा कभी घर आओ”,विपिन जी ने कहा
“जी अंकल अभी मुझे निकलना है , बाहर गाड़ी में सब मेरा वेट कर रहे है ! मैं फिर मिलता हूँ आपसे !”,अनुराग ने कहा
“ठीक है बेटा !”,विपिन जी ने कहा
“बाय नैना !”,कहकर अनुराग वहा से चला गया !


बेचारी नैना उसे समझ नहीं आ रहा था की हँसे या रोये ! “ये अनुराग सर तो तेरे पापा का नोन निकला नैना”,रुचिका ने फुसफुसाते हुए कहा
“हां यार पता नहीं आगे क्या होगा ??” ,नैना ने कहा
“अरे नैना ! तुमने बताया नहीं अनुराग तुम्हारे साथ काम करता है।”,विपिन जी ने कहा


“डेड वो हमारे मैनेजर है ! चलिए ना घर चलते है !”,नैना ने कहा उसका दिमाग ऑफ हो चुका था एक तो अवि के ख्याल ऊपर से अनुराग का आना नैना को डरा रहा था कही उसने उसके डेड को ऑफिस की सारी बातें बता दी तो नैना की तो बैंड बज जाएगी ! विपिन जी सबको लेकर गाड़ी में आ बैठे ! नैना के दिमाग में सेंकडो ख्याल आ जा रहे थे ! सभी शांत थे ! रात 11 बजे गाड़ी आकर घर में रुकी ! सभी निचे उतरे और अंदर चले आये ! नैना ने रुचिका और शीतल से ऊपर जाकर सोने को कहा और खुद आराधना के पास सोने चली गयी !

कल उसे वापस दिल्ली जा ना था और ऐसे में वो थोड़ा वक्त अपने माँ पापा के साथ बिताना चाहती थी ! रुचिका और शीतल को कोई आपत्ति नहीं हुई दोनों ख़ुशी ख़ुशी ऊपर चली आयी ! राज का फोन आने से शीतल फोन से चिपक गयी और रुचिका बिस्तर पर लेटे करवटे बदल रही थी ! जब नींद नहीं आयी तो रुचिका उठकर ऊपर छत पर चली आयी ! जैसे ही ऊपर आयी उसकी नजर सामने दिवार पर बैठे मोंटी पर गयी ! रुचिका उसके पास चली आयी और कहा,”तुम सोये नहीं ?”


“दोस्तों से बाते कर रहा था !”,मोंटी ने कहा
“दोस्त या गर्लफ्रेंड ?’,रुचिका ने कहा
“कॉलेज के दोस्त , गर्लफ्रेडं कॉलेज में थी उसके बाद उसकी शादी हो गयी !”,मोंटी ने कहा
“सॉरी !”,रुचिका ने कहा
“अरे इट्स ओके , आओ बैठो !”,मोंटी ने कहा


“ना बाबा ना , गिर जाना है मैंने !”,रुचिका ने कहा हालाँकि दिवार काफी चौड़ी थी ! मोंटी ने सूना तो अपना हाथ रुचिका की और बढाकर कहा,”कुछ नहीं होगा अपना हाथ दो !” मोंटी का हाथ थामकर रुचिका दिवार पर उसकी बगल में बैठ गयी ! रात का वक्त था और ठंडी हवा चल रही थी दोनों खामोश बैठे सामने खाली पड़े आसमान को देखते रहे और फिर मोंटी ने कहा,”वैसे तुम क्यों नहीं सोई अब तक ? दिनभर इतना घूमे है सब थकान नहीं हो रही


“नैना आज आंटी के कमरे में सोने चली गयी , शीतल फ़ोन पर लगी है तो ऐसे में मुझे नींद कहा से आएगी ? इसलिए मैं ऊपर चली आयी !”,रुचिका ने कहा
“ओह्ह्ह शीतल इतनी रात में किस से बात कर रही है ?”,मोंटी ने यु ही पूछ लिया
“उसका बॉयफ्रेंड है , 5 साल से रिलेशनशिप में है दोनों !”,रुचिका ने कहा
“और तुम्हारा ?”,मोंटी ने पूछा तो रुचिका कुछ पल खामोश रही और फिर कहा,”सिंगल !”


“इतनी क्यूट होकर सिंगल कैसे हो सकती है ये लड़की ?”, मोंटी ने मन ही मन कहा !
“कुछ कहा तुमने ?”रुचिका ने कहा
“नहीं , कुछ भी नहीं ! सो कैसा लगा आज का दिन ?”,मोंटी ने बात बदलते हुए कहा
“बहुत अच्छा था इन्फेक्ट मेरी लाइफ के सबसे अच्छे दिनों में एक दिन आज का दिन भी था ! थैंक्यू !”,रुचिका ने खुश होकर कहा


“मुझे थैंक्यू किसलिए ?”,मोंटी ने कहा
“तुमसे आज मैंने दो चीजे सीखी !”,रुचिका ने कहा
“वो कोनसी ?’,मोंटी ने कहा
“पहली तो ये की अगर इंसान में पॉजिटिव थिंक हो तो वह अपनी जिंदगी छोटी छोटी खुशियों में भी खुश रह सकता है ! दूसरी ये की बॉडी फैट इज जस्ट अ मिथ असली खूबसूरती तो देखने वाले की आँखों में है !”,रुचिका ने कहा


“वॉव तुम ऐसी बातें भी करती हो ! एक्चुअली आई लिखे योर सिम्प्लेसिटी ! तुम जैसी बाहर से हो ना वैसी ही अंदर से हो और शायद इसलिए तुम लोगो पर बहुत जल्दी भरोसा कर लेती हो !”,मोंटी ने कहा
“नैना भी यही कहती है !”,रुचिका ने मुस्कुरा कर कहा
“अरे वो तो जीनियस है , उसे इंसानो का चेहरा पढ़ना आता है ,,!”,मोंटी ने कहा
“पर आज शाम वो अपसेट हो गयी पता नहीं क्यों ?”,रुचिका ने कहा


“हां मैंने भी देखा ! शायद अंकल आंटी को देखकर इमोशनल हो गयी हो !”,मोंटी ने कहा
“तुम नैना को बहुत करीब से जानते हो ना ?”,रुचिका ने कहा
“हां पर नैना वो समंदर है जिसमें जितना डूबोगे उतना ही नया जानने को मिलेगा ! वैसे नैना को एक बीमारी है”,मोंटी ने कहा
“क्या ? कोनसी बीमारी ?”,रुचिका का दिल धड़क उठा !


“अरे डरो नहीं ! नैना को ना चीजे याद नहीं रहती है ! वो सिर्फ उन्ही चीजों को याद रख पाती है जो उसके लिए इम्पोर्टेन्ट हो बाकि सब भूल जाती है और इसी वजह से उसका मूड स्विंग होता रहता है ! जिस लड़के की उस से शादी होगी उसे बहुत सब्र से काम लेना पडेगा !”,मोंटी ने कहां


“हां ये तो मैंने भी देखा हैं , कई बार हम लोग साथ होते थे और जब उस से दो दिन बाद कुछ पूछते तो वह कहती थी याद नहीं !पागल लड़की पर सच कहु तो मुझे नैना बहुत अच्छी लगती है , उसका खुला मिजाज , उसकी बेबाकी और दोस्तों के लिए उसका प्यार ! मैं तो हर जिंदगी में उसकी जैसी दोस्त पाना चाहूंगी !”,रुचिका ने कहा
“मैं भी ! वैसे अंकल आंटी इतने रोमांटिक है लेकिन नैना को रोमांस का आर भी पसंद नहीं पता नहीं क्या होगा इस लड़की का ?’,मोंटी ने कहा


“हां अंकल आंटी बहुत लकी है एक दूसरे को पाकर , उम्र के इस पड़ाव में इतना अंडरस्टैंडिंग और इतना प्यार होना अपने आप में ही एक खूबसूरत बात है !”,रुचिका ने कहा तो मोंटी उसके चेहरे की और देखने लगा रुचिका ने देखा तो नजरे घुमा ली और कहा,”रिश्ते कभी परफेक्ट नहीं होते है , उन्हें परफेक्ट बनाना पड़ता है कभी खूबियों को एक्सेपट करके तो कभी कमियों को रिजेक्ट करके ! और फिर वो रिश्ता ही क्या जिसमे नोक-झोक ना हो !”


रुचिका को मोंटी काफी सुलझा हुआ लड़का लगा वह खामोश बैठी मोंटी की बातें सुनती रही कब 2 बज गए दोनों को ही पता नहीं चला मोंटी सामने देखते हुए रुचिका को अपने किसी दोस्त के बारे में बता रहा था की तभी रुचिका का सर उसके कंधे से आ लगा रुचिका को नींद आ गयी थी ! अपने कंधे पर उसका सर देखकर मोंटी को एक अनजानी ख़ुशी का अहसास हो रहा था वह मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था ! हवा से उड़कर बाल रुचिका के गालों को सहलाने लगे तो मोंटी ने उन्हें अपनी उंगलियों से साइड कर दिया !

चाँद की चांदनी में रुचिका का चेहरा चाँद सा चमक रहा था ! कुछ देर बाद मोंटी को अहसास हुआ की ये सब सही नहीं है तो उसने धीरे से रुचिका को उठाया ! रुचिका नींद से जाग गयी खुद को मोंटी को के करीब देखकर उसने दूर होते हुए कहा,”आई ऍम सॉरी वो मेरी आँख लग गयी थी !”
“इट्स ओके आई थिंक तुम्हे निचे जाना चाहिए !”,मोंटी ने कहा


निचे उतरी और जाने लगी जाते जाते पलटी और कहा,”मोंटी !”
“हाँ !”,मोंटी ने कहा
“तुम मुझे रूचि कहकर बुला सकते हो !”,रुचिका ने मुस्कुरा कर कहा तो मोंटी भी मुस्कुरा दिया और कहा,”गुड़ नाईट !”
रुचिका उसे गुड़ नाईट बोलकर निचे चली गयी !! मोंटी कुछ देर वही बैठा रहा और फिर खुद भी सोने के लिए निचे चला आया !

सुबह नैना रुचिका मोंटी और शीतल सभी देर से उठे नाश्ता करने के बाद रुचिका और शीतल अपनी पेकिंग करने लगी आज शाम उन्हें वापस भी तो जाना था ! नैना ने भी अपना बैग पैक कर लिया ! तीनो दोस्त कमरे में ही थी तभी आराधना और विपिन जी कमरे में आये उनके हाथो में दो बैग्स थे ! आराधना ने एक बैग रूचि को थमा दिया और दूसरा शीतल को !
“अंकल आंटी इन सब क्या जरूरत है ?’,शीतल ने कहा


“तोहफे जरूरत देखकर नहीं दिए जाते है बेटा , रखो तुम दोनों यहाँ आयी हमे बहुत अच्छा लगा अब जब कभी भी मन करे तो बेझिझक यहाँ चली आना !”,विपिन जी ने कहा तो शीतल की आँखों में नमी तैर गयी और उसने आराधना और विपिन जी के गले लगते हुए कहा,”आप दोनों बहुत अच्छे है !”
रुचिका भी उन दोनों के गले लगी और कहा,”अंकल आंटी तो इस बार आप दोनों का जयपुर आना डन !”
“हां बेटा जी बिल्कुल !”,विपिन ने मुस्कुराते हुए उसके गालो को छूकर कहा


“और मेरे लिए ? मुझे ऐसे ही छोड़ दिया !”,नैना ने कहा तो विपिन जी मुस्कुराये और कहा,”अरे बेटा तुम्हारे लिए तो सरप्राइज है !”
“कैसा सरप्राइज ?”,नैना ने कहा
“निचे चलकर खुद ही देख लो !”,आराधना ने मुस्कुरा कर कहा
“ओके !”,नैना ने ख़ुशी ख़ुशी अपना बैग उठाया और उनके साथ चल पड़ी ! पीछे पीछे रुचिका और शीतल भी अपना बैग लिए चली आयी !

सभी निचे आये तो नैना ने देखा हॉल में एक एक्स्ट्रा सुटकेस और रखा हुआ था ! नैना ने विपिन जी से कहा,”डेड और कोई भी हमारे साथ जा रहा है ?”
विपिन जी आराधना को देखकर मुस्कुराये और नैना से कहा,”हां मैंने फैसला किया है मैं और आराधना इस बार तुम सबको दिल्ली तक छोड़ने जायेंगे और इसी बहाने तुम्हारी मम्मी अपनी बहन सुमि से भी मिल लेगी ! कैसा लगा सरप्राइज ?”


नैना ने सूना तो उसके पैरो के निचे से जमीन खिसक गयी ! शीतल और रुचिका भी हैरान रह गयी ! नैना जानती थी की दिल्ली में रहने की इस वक्त कोई व्यवस्था नहीं है और ऐसे में विपिन जी वह गए तो उन्हें सब सच पता चल जाएगी नैना सोच में डूबी अपने नाख़ून चबाने लगी तो विपिन जी ने कहा,”बताओ नैना कैसा लगा सरप्राइज ?”
“बहुत जोर से लगा है डेड.,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, आई मीन काफी अच्छा है ! लेकिन आप और मॉम खामखा परेशान हो रहे है हम लोग चले जायेंगे ना !”,नैना ने उन्हें रोकने की एक कोशिश करते हुए कहा !


“फिर कब जायेंगे बेटा , अभी तुम्हारी मम्मी का भी मन है और सुमि सुबह से आराधना को फोन करके आने को बोल रही है !”,विपिन जी ने कहा
“हम्म्म !”,नैना ने कहा ! विपिन जी ने मोंटी से कहकर सबका सामान गाड़ी में रखवाया सभी बाहर चले आये विपिन जी ड्राइवर सीट पर और आराधना उनकी बगल में बैठ गयी ! मोंटी ने नैना को गले लगाया और कहा,”अपना ख्याल रखना और ज्यादा गुस्सा मत करना !”


शीतल से हाथ मिलाकर मोंटी ने अलविदा कहा और रुचिका के सामने आकर कहा,”कभी खुद को किसी से कम मत समझना तुम जैसी भी हो बेस्ट हो , सो बी इन योर ऐटिटूड !”
“अपना हाथ आगे करो !”,”रुचिका ने कहा
मोंटी ने अपना हाथ आगे कर दिया तो रुचिका ने उसके हाथ पर फ्रेंडशिप बेंड बांधते हुए कहा,”तुम्हारा मिलना कोई इत्तेफाक तो नहीं है मोंटी , तुमने जो कहा है वो मैं हमेशा याद रखूंगी !”


मोंटी मुस्कुरा दिया और रुचिका को साइड हग करके अलविदा कहा !! मोंटी विपिन जी की बाइक लेकर चित्रकूट के लिए निकल गया ! नैना अब भी गाड़ी के गेट के पास खड़ी इस नयी मुसीबत के बारे में सोच रही थी की रुचिका और शीतल उसे साइड लेकर आयी और कहा,”नैना अंकल आंटी दिल्ली आये तो उन्हें सब पता चल जाएगा रहेंगे कहा ?”


“अब क्या होगा नैना ?”,शीतल ने कहा
नैना ने एक गहरी साँस ली और कहा,”और क्या होगा “L” लगेंगे अब तो !”

Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45

Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45Love You Zindagi – 45

संजना किरोड़ीवाल

Love You Zindagi
Love You Zindagi by Sanjana Kirodiwal
Love You Zindagi
Love You Zindagi by Sanjana Kirodiwal

शीतल से हाथ मिलाकर मोंटी ने अलविदा कहा और रुचिका के सामने आकर कहा,”कभी खुद को किसी से कम मत समझना तुम जैसी भी हो बेस्ट हो , सो बी इन योर ऐटिटूड !”
“अपना हाथ आगे करो !”,”रुचिका ने कहा
मोंटी ने अपना हाथ आगे कर दिया तो रुचिका ने उसके हाथ पर फ्रेंडशिप बेंड बांधते हुए कहा,”तुम्हारा मिलना कोई इत्तेफाक तो नहीं है मोंटी , तुमने जो कहा है वो मैं हमेशा याद रखूंगी !”

शीतल से हाथ मिलाकर मोंटी ने अलविदा कहा और रुचिका के सामने आकर कहा,”कभी खुद को किसी से कम मत समझना तुम जैसी भी हो बेस्ट हो , सो बी इन योर ऐटिटूड !”
“अपना हाथ आगे करो !”,”रुचिका ने कहा
मोंटी ने अपना हाथ आगे कर दिया तो रुचिका ने उसके हाथ पर फ्रेंडशिप बेंड बांधते हुए कहा,”तुम्हारा मिलना कोई इत्तेफाक तो नहीं है मोंटी , तुमने जो कहा है वो मैं हमेशा याद रखूंगी !

24 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!