Love You जिंदगी – 5
Love You Zindagi – 5
एक मीटिंग के कारण मोंटी को आज ऑफिस में देर तक रुकना पड़ा। वह जल्दी घर जाना भी नहीं चाहता था क्योकि बीती शाम ही उसकी रुचिका से खाने को लेकर हलकी सी झड़प हुई थी और तब से रुचिका और उसमे कोई बात नहीं हुई। सुबह का नाश्ता भी उसने बाहर ही किया था और लंच ऑफिस में। मीटिंग रूम में बैठा मोंटी बार बार फोन को देखता और रख देता उसे ऐसा करते देखकर गौतम ने कहा,”क्या हुआ भाई फोन से कोई बाहर आने वाला है क्या ?”
“हाँ,,,,,,,,,,,,,नहीं कुछ नहीं वो आज लेट हो गया ना बस इसलिए”,मोंटी ने बुझे स्वर में कहा
“बस एक प्रेजेंटेशन बाकि है उसके बाद साथ ही चलते है”,गौतम ने कहा।
आधे घंटे बाद ही मोंटी और गौतम अपना अपना बैग उठाये ऑफिस से बाहर निकल गए। दोनों लिफ्ट में चले आये। गौतम ने देखा मोंटी आज कुछ उदास नजर आ रहा था तो उसने कहा,”क्या हुआ मानव तू आज बड़ा अपसेट दिख रहा है , सब ठीक है ना”
“हम्म्म , बस थकान के कारण”,मोंटी ने असल बात छुपाते हुए कहा
“हम्म्म हो जाता है आजकल बॉस तुझे कुछ ज्यादा ही काम देते है,,,,,,,,,,,,,,सो कैसी चल रही है तुम्हारी मैरिड लाइफ ?”,गौतम ने मोंटी के साथ लिफ्ट से बाहर निकलते हुए पूछा
“ठीक चल रही है”,मोंटी ने बुझा सा जवाब दिया
“ठीक चल रही है , मुझे लगा तू कहेगा ऑसम या फिर अमेजिंग बट सिर्फ ठीक है ?”,गौतम ने कॉरिडोर में चलते हुए कहा
मोंटी ने सूना तो चलते चलते रुका और गौतम की तरफ पलटकर कहने लगा,”इस से बेटर आंसर नहीं है मेरे पास , वैसे भी मेरी मैरिड लाइफ में कुछ ऑसम और अमेजिंग नहीं है। हम दोनों के पास एक दूसरे से बात करने के टाइम तक नहीं है। मैं अपने जॉब फिल्ड में बिजी हूँ वो अपने जॉब में,,,,,,,,,,,शादी के बाद कुछ वक्त तक सब ठीक था अच्छा था लेकिन अब,,,,,,,,,,,,,,,छोड़ ना यार तू नहीं समझेगा”
मोंटी की बात सुनकर गौतम को समझ आ गया की मोंटी क्यों परेशान है ? उसने मोंटी की तरफ देखा और कहने लगा,”भाई सुन कुछ नहीं हुआ है तेरी लाइफ बस थोड़ी सी बिजी हो गयी है। जब से तेरा प्रमोशन हुआ है तेरा काम बढ़ गया है और उसी काम की फ्रस्ट्रेशन तू घर लेकर जाता है जिसकी वजह से तेरे और भाभी के बीच की बॉन्डिंग थोड़ी बिगड़ गयी है। अगर ऑफिस के बाद का टाइम तू भाभी के साथ बिताये तो हो सकता है चीजे थोड़ी सुधरे। तू एक काम क्यों नहीं करता इस वीकेंड उसे लेकर कही घूमने चला जा , जगह बदलेगी तो हो सकता है तुम दोनों के बीच की बॉन्डिंग फिर से बन जाए”
“हम्म्म तू सही कह रहा है यार मैं आजकल कुछ ज्यादा ही बिजी हो गया हूँ , थैंक्स यार तुझे अपनी प्रॉब्लम बताकर थोड़ा लाइट फील कर रहा हूँ”,मोंटी ने कहा तो गौतम मुस्कुरा उठा और कहा,”देख भाई लव मैरिज हो या अरेंज दोनों की सफलता का एक ही राज है बीवी को हर हाल में खुश रखना वो खुश तो हम खुश और हमारी शादीशुदा जिंदगी भी खुश , चल बाय मैं चलता हूँ”
गौतम मोंटी को उसकी परेशानी का हल बताकर वहा से चला गया
मोंटी को रुचिका का ख्याल आया घडी में टाइम देखा और फिर पार्किंग की तरफ चला आया। उसने अपनी गाड़ी निकाली और घर के लिए निकल गया। रास्ते में उसने रुचिका का फेवरेट पेस्ट्री लिया और घर चला आया। दरवाजे पर आकर उसने डोरबेल बजायी दरवाजा रुचिका ने ही खोला वो काफी थकी हुई लग रही थी और मोंटी से नाराज भी थी इसलिए दरवाजा खोलकर वापस चली गई। मोंटी अंदर आया , जूते साइड में उतारे और अपना बैग टेबल पर रख दिया। उसने हाथ में पकड़ा पेस्ट्री का डिब्बा लाकर डायनिंग टेबल पर रख दिया। रुचिका हाथ में खाने के बर्तन लेकर आयी और डायनिंग पर रखते हुए कहा,”खाना तैयार है तुम फ्रेश हो जाओ तब तक मैं खाना लगाती हु”
“रूचि वो मैं,,,,,,,,,,,,,!!”,मोंटी ने कहना चाहा लेकिन तब तक रुचिका वापस किचन की तरफ चली गयी। मोंटी फ्रेश होने चला गया और फ्रेश होकर वापस आया तब तक रुचिका खाना लगा चुकी थी और डायनिंग के पास बैठी मोंटी का इंतजार कर रही थी। मोंटी ने कुर्सी खिसकाई और चुपचाप आकर बैठ गया। रुचिका ने उसकी प्लेट में चावल रखे , सब्जी रखी , एक कटोरी में दाल रखी और एक चपाती रख दी जो की थोड़ी टेढ़ी मेढ़ी थी। मोंटी प्लेट में रखे खाने को देखने लगा वो बाहर से तो बिल्कुल नहीं आया था। रुचिका ने देखा तो अपनी प्लेट में खाना परोसते हुए कहने लगी,”चावल थोड़े कच्चे हो सकते है , सब्जी भी थोड़ी जल गयी और दाल में थोड़ा पानी ज्यादा हो गया,,,,,,,,,,,,,,,मैंने रोटी गोल बनाने की कोशिश की लेकिन वो थोड़ी सी टेढ़ी मेढ़ी,,,,,,,,,,!!”
मोंटी ने जब सूना तो उसका दिल भर आया वह उठा और रुचिका को गले लगाकर कहा,”आई ऍम सॉरी रूचि,,,,,,,,,,,,,मुझे कल तुम इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थी। मुझे माफ़ कर दो”
रुचिका ने सूना तो मुस्कुरा उठी उसका गुस्सा पलभर में गायब हो गया और उसने कहा,”ए मोंटी तुम इमोशनल बिल्कुल अच्छे नहीं लगते , चलो अब खाना खाओ वरना ठंडा हो जाएगा”
मोंटी की आँखे नम थी रुचिका ने उसके लिए पहली बार खाना बनाया था। उसने अपनी आँखों के किनारे साफ किये और कुर्सी पर आ बैठा। मोंटी ने एक निवाला तोड़ा और रुचिका को खिलाते हुए कहा,”तुमने इतनी मेहनत की इसलिए पहला बाईट तुम खाओ”
रुचिका ने निवाला खाया और कहा,”अहममम नॉट बेड ये इतना बुरा भी नहीं बना है”
मोंटी ने सूना तो एक निवाला तोड़कर खाया खाना ज्यादा टेस्टी नहीं था लेकिन वो रुचिका ने बनाया है मोंटी तो ये जानकर ही खुश था। उसने खाते हुए कहा,”वैसे एक दिन में तुमने ये सब सीखा कैसे ?”
“टनटना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,रुचिका ने अपना फोन मोंटी के सामने करके कहा। मोंटी ने देखा वीडियो कॉल पर उसकी मम्मी थी
“चरणस्पर्श माँ,,,,,,,,,,कैसी है आप ?”,मोंटी ने खुश होकर कहा
“नालायक,,,,,,,,,,,,,,,आज मेरी बहू ने फोन किया तो चरणस्पर्श ऐसे तो तू कभी माँ को याद तक नहीं करता”,मोंटी की मम्मी ने उसे डांट लगाते हुए कहा।
“माँ थोड़ा डांट लगाइये इसे ये बहुत केयरलेस हो गया है”,रुचिका ने अपनी सास की साइड लेते हुए कहा
“अरे माँ ! मैं बस आपको फोन करने ही वाला था , आपको कुछ बताना था अगले हफ्ते मेरी ऑफिस से 3 दिन की छुट्टी है तो मैं और रूचि घर आ रहे है।”,मोंटी ने कहा तो उसकी मम्मी के चेहरे पर ख़ुशी के भाव झिलमिलाने लगी और उन्होंने कहा,”तू सच कह रहा है ना ? कितने दिन हो गए तुम दोनों से मिले मैं तो अपनी बहू को ठीक से प्यार भी नहीं कर पायी और तू इसे ले गया”
“अरे माँ इस बार कर लेना और थोड़ा ज्यादा ही करना देखो कितना दुबला गयी है आपकी बहू”,मोंटी ने रुचिका के गाल खींचते हुए कहा
“ए छेड़ मत उसे”,मोंटी की मम्मी ने कहा तो रुचिका ने मोंटी के हाथ से फोन लिया और कहा,”माँ ये हमेशा ऐसे ही करता है , मैं तो आपसे मिलने के लिए बहुत एक्साइटेड हूँ”
“जल्दी आना मैं इंतजार करुँगी”,मोंटी की मम्मी ने कहा
“थैंक्यू माँ,,,,,,,!”,रूचि ने कहा
“थैंक्यू किसलिए बेटा ?”,मोंटी की मम्मी ने कहा
“आज आपने खाना बनाने में इतनी हेल्प जो की”,रुचिका ने खुश होकर कहा
“इसमें थैंक्यू कैसा ? मैं जानती हूँ मेरी बहू बहुत होशियार है जल्दी सीख जाएगी , इस बार लखनऊ आओगी तो तुम्हे और अच्छी रेसिपी सीखा दूंगी”,मोंटी की मम्मी ने कहा
“थैंक्यू माँ,,,,,,,,,,,,,,लव यू,,,,,,,,,,,मैं फोन रखती हूँ”,कहकर रुचिका ने फोन काट दिया
“मुझसे तो तुमने कभी नहीं कहा लव यू”,मोंटी ने कहा
“तुमसे कहा है तभी तो आज हम दोनों यहाँ साथ साथ है”,रुचिका ने हल्का सा पंच मोंटी की बाँह पर मारते हुए कहा और फिर दोनों बातें करते हुए खाना खाने लगे। खाना खाने के बाद रुचिका जैसे ही उठने को हुई मोंटी ने उसका हाथ पकड़कर उसे वापस बैठाते हुए कहा,”बैठो मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है”
“क्या ?”,रुचिका ने हैरानी से मोंटी की तरफ देखकर कहा
मोंटी ने साइड में पड़ा बॉक्स रुचिका के सामने किया और उसमे रखी पेस्ट्री निकालकर प्लेट में रखते हुए कहा,”तुम्हारी फेवरेट चोको चिप पेस्ट्री”
रुचिका ने देखा तो उसकी आँखे चमक उठी लेकिन अगले ही पल उसे याद आया कि उसके बढ़ते वजन की वजह से उसे बाहर का खाना मना है वह लाचारी के भाव से मोंटी को देखने लगी तो मोंटी ने कहा,”5-10 किलो वजन ज्यादा हो भी जाए तो कोई फर्क नहीं पडेगा रूचि , मेरा प्यार तुम्हारे लिए कभी कम नहीं होगा ,, लो अब खाओ एक मिनिट मैं तुम्हे अपने हाथ से खिलाता हूँ,,,,,,,,,,,,,!!”
मोंटी रुचिका को अपने हाथ से खिलाने लगा। मोंटी में अचानक से आया बदलाव देखकर रुचिका भी काफी खुश थी। पेस्ट्री खाने के बाद रुचिका ने खाने के बर्तन उठाये और उन्हें सिंक में रख दिया। मोंटी ने हाथ धोये और तौलिये से पोछते हुए किचन एरिया में रुचिका की तरफ आते हुए कहा,”थैंक्यू माय लव , आई लव यू”
रुचिका मुस्कुराई और मोंटी को बर्तन धोने के सिंक के सामने लाकर खड़ा कर दिया और उसने हाथ से तौलिया लेते हुए कहा,”आई लव यू टू”
“ये क्या है ?”,मोंटी ने हैरानी से कहा
“बेबी रिलेशनशिप में आई लव यू कहने से काम चल जाता है लेकिन शादी में “बर्तन” भी धोने पड़ते है ,, चलो लग जाओ काम पर”,रुचिका ने शरारत से कहा और फिर किचन प्लेटफॉर्म को साफ करने लगी
मोंटी ने डिशवाश उठाया और प्लेट पर मलते हुए कहा,”अब समझ आया लोग शादी करने से बचते क्यों है”
रुचिका ने सूना तो मुस्कुराने लगी।
शाम में सार्थक आपर्टमेंट आया उसने बाइक पार्किंग में लगाई और अपना बैग लेकर जाने लगा तो कोरिडोर में खड़ी मिसेज आहूजा और मिसेज गुप्ता की नजर उस पर पड़ी और मिसेज आहूजा ने दबी आवाज में कहा,”मिसेज गुप्ता जरा देखिये मिसेज शर्मा के लड़के को , उसे देखकर ही लग रहा है जैसे किसी से झगड़ा करके आया हो”
“हाँ मिसेज आहूजा मुझे भी यही लगता है। मिसेज शर्मा तो बड़ी बड़ी ढींगे हाँकती है अपने बेटे बहू के बारे में लेकिन इनका सच तो इन्हे देखकर ही पता चल रहा है कि कौन कितना पानी में है ?”,मिसेज गुप्ता ने कहा
“अरे उनकी बहू तो पहले भी घमंडी थी अब भी वैसी ही है , ना अपार्टमेंट की मीटिंग में आती है ना ही किसी से हसना बोलना,,,,,,,,,,,,,दिनभर अपने घर में ही रहती है। मैंने तो ये तक सूना है की मिसेज शर्मा का उस पर खास कंट्रोल है,,,,,,,,,,,,,,,!!”मिसेज आहूजा ने कहा
“वो कैसे ?”,मिसेज गुप्ता ने पूछा
“अरे आपको याद नहीं वो लड़का,,,,,,,,,,,,,,,,अरे मिसेज शर्मा की बहू का आशिक़ , दुर्गा पूजा के समय जिसने यहाँ आकर हंगामा किया था। वैसे मुझे तो गलती इनकी बहू की ही लगती है , वरना किसी लड़के की इतनी हिम्मत की ऐसे सबके सामने हाथ पकड़ ले”,मिसेज आहूजा ने दबी आवाज में कहा
“खैर छोड़िये हमे क्या ? आईये चलते है”,कहते हुए मिसेज गुप्ता , मिसेज आहूजा के साथ अपने फ्लेट की तरफ बढ़ गयी।
सार्थक लिफ्ट से ऊपर आया और अपने फ्लेट के सामने आकर बेल बजा दी। दरवाजा शीतल ने खोला , सार्थक को ऐसी हालत में देखकर शीतल ने घबराते हुए कहा,”सार्थक ये क्या हुआ तुम ठीक तो हो ना ? ये कैसे हुआ ?”
सार्थक चुपचाप अंदर आया और अपना बैग शीतल को देते हुए कहा,”मैं फ्रेश होने जा रहा हूँ मेरे लिए एक कप चाय बना दोगी प्लीज ?”
“हम्म्म”,शीतल ने परेशानी भरे स्वर में कहा
सार्थक अपने कमरे में चला गया। मिस्टर शर्मा अभी घर आये नहीं थे और मिसेज शर्मा अपने कमरे में थी उन्होंने सार्थक को इस हाल में नहीं देखा था। शीतल सार्थक की ख़ामोशी के बारे में सोचते हुए उसके लिए चाय बनाने लगी। सार्थक अपने कमरे में आया और बाथरूम में चला आया। उसने शर्ट निकाला और शावर चला दिया। पानी की फुंहारे उस पर गिरने लगी उसने अपनी आँखे मूँद ली उसकी आँखों के सामने एक बार फिर राज का चेहरा आने लगा। उसके कानो में राज की कही बाते गूंजने लगी। सार्थक चाहकर भी वो सब नहीं भूल पा रहा था
“सार्थक , सार्थक तुम्हारी चाय , तुम ठीक हो ना ?”,शीतल की आवाज सार्थक के कानों में पड़ी तो उसकी तंद्रा टूटी और वह अपने ख्यालों से बाहर आया। उसने शावर बंद किया और टीशर्ट ट्राउजर पहनकर बाहर चला आया। सार्थक अपने बाल पोछते हुए शीतल की तरफ आया तो शीतल की नजर उसके हाथ पर लगी चोट पर चली गयी। उसके चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये। वह सार्थक के पास आयी और उसका हाथ देखते हुए कहा,”ये चोट कैसे लगी तुम्हे ? सार्थक बोलो ना क्या हुआ ?”
“वो घर आते वक्त बाइक स्लिप हो गयी थी उसी से ये थोड़ी सी खरोच लग गयी”,सार्थक ने कहा
“तुम यहाँ बैठो मैं दवा लगा देती हूँ”,कहते हुए शीतल ने सार्थक को चाय दी और फिर बाहर से दवाई का डिब्बा ले आयी। सार्थक बिस्तर पर आ बैठा और चाय पीने लगा दिमाग में अब भी राज चल रहा था उसके बारे में शीतल को बताये या नहीं वह बस यही सोच रहा था। शीतल कमरे में आयी और सार्थक के बगल में बैठकर डिब्बे से दवा निकालने लगी। उसने सार्थक का हाथ अपने हाथो में लिया और आहिस्ता आहिस्ता उस पर दवा लगाने लगी। चोट पर दवा लगने से सार्थक को थोड़ी जलन महसूस हो रही थी लेकिन शीतल को अपनी परवाह करते देखकर अच्छा भी लग रहा था
शीतल बड़े ध्यान से सार्थक के हाथ की मरहम पट्टी कर रही थी कि सार्थक ने एकदम से कहा,”आज मैं राज मिला था”
सार्थक के मुंह से राज का नाम सुनते ही शीतल के हाथ एक बारगी रुक गए लेकिन अगले ही पल फिर सार्थक की पट्टी करने लगे। सार्थक ने देखा तो कहा,”तुम जानना नहीं चाहोगी उसने मुझसे क्या कहा ?
शीतल ने सूना तो सार्थक की तरफ देखा और कहा,”मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की उसने तुमसे क्या कहा ? पर हाँ इस बात से जरूर फर्क पड़ता है कि तुमने उसकी किस बात पर यकीन किया।”
शीतल की बात सुनकर सार्थक ख़ामोशी से एकटक उसे देखने लगा। शीतल ने सार्थक के हाथ को अपने दोनों हाथो में लिया और उसकी आँखों में देखते हुए कहने लगी,”राज मेरा कल था सार्थक और तुम मेरा आज हो और अपने आज में मैं किसी राज को नहीं जानती”
सार्थक ने सूना तो उसे तसल्ली मिली , राज का ख्याल एकदम से उसके दिमाग से चला गया। उसने आगे बढ़कर शीतल को गले लगाया और कहा,”मैं तुम पर खुद से ज्यादा भरोसा करता हूँ शीतल , राज जैसे लोग उस भरोसे की नींव नहीं डिगा सकते”
शीतल ने सूना तो मुस्कुरा उठी और सार्थक के गले लगे हुए उसकी मौजूदगी को महसूस करने लगी। सार्थक की मम्मी जब उस तरफ से गुजरी तो शीतल और सार्थक को साथ देखकर मुस्कुरा उठी और आगे बढ़ गयी।
शीतल बड़े ध्यान से सार्थक के हाथ की मरहम पट्टी कर रही थी कि सार्थक ने एकदम से कहा,”आज मैं राज मिला था”
सार्थक के मुंह से राज का नाम सुनते ही शीतल के हाथ एक बारगी रुक गए लेकिन अगले ही पल फिर सार्थक की पट्टी करने लगे। सार्थक ने देखा तो कहा,”तुम जानना नहीं चाहोगी उसने मुझसे क्या कहा ?
शीतल ने सूना तो सार्थक की तरफ देखा और कहा,”मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की उसने तुमसे क्या कहा ? पर हाँ इस बात से जरूर फर्क पड़ता है कि तुमने उसकी किस बात पर यकीन किया।”
शीतल की बात सुनकर सार्थक ख़ामोशी से एकटक उसे देखने लगा। शीतल ने सार्थक के हाथ को अपने दोनों हाथो में लिया और उसकी आँखों में देखते हुए कहने लगी,”राज मेरा कल था सार्थक और तुम मेरा आज हो और अपने आज में मैं किसी राज को नहीं जानती”
सार्थक ने सूना तो उसे तसल्ली मिली , राज का ख्याल एकदम से उसके दिमाग से चला गया। उसने आगे बढ़कर शीतल को गले लगाया और कहा,”मैं तुम पर खुद से ज्यादा भरोसा करता हूँ शीतल , राज जैसे लोग उस भरोसे की नींव नहीं डिगा सकते”
शीतल ने सूना तो मुस्कुरा उठी और सार्थक के गले लगे हुए उसकी मौजूदगी को महसूस करने लगी। सार्थक की मम्मी जब उस तरफ से गुजरी तो शीतल और सार्थक को साथ देखकर मुस्कुरा उठी और आगे बढ़ गयी।
नैना सौंदर्या जी के साथ घर पहुंची। घर पहुँचते पहुँचते अन्धेरा हो चुका था। नैना ने गाड़ी पार्किंग में लगायी और फिर सौंदर्या जी के साथ अंदर चली आयी। अवि घर आ चुका था। चौधरी साहब अभी घर नहीं आये थे। अवि अपने कमरे में था भोला किचन में रसोईये से रात का खाना बनवा रहा था। नैना ने सेंडल निकाले और स्लीपर पहनकर अपने बालों को समेटते हुए किचन की तरफ जाने लगी। सौंदर्या ने देखा तो कहा,”अरे नैना चेंज तो कर लो”
“इट्स ओके मॉम , चेंज करके आउंगी तब तक चाय पीने का मूड चला जाएगा,,,,,,,,,,,,आप पियेंगी ?”,नैना ने पलटकर कहा
“नहीं मैं एक शावर के बाद अपनी ग्रीन टी लुंगी”,कहते हुए सौंदर्या जी अपने कमरे की तरफ चली गयी।
“माँ बेटा एक जैसे है,,,,,,,,,,,,,,,,,ग्रीन टी यक्क्क्क,,,,,,,,,,,,कॉफी की मौसेरी बहन लगती है ये ग्रीन टी”,बड़बड़ाते हुए नैना किचन में चली आयी
नैना को किचन में देखकर भोला ने कहा,”अरे मैडम आपको कुछ चाहिए था आपने मुझसे कहा होता मैं ले आता”
“भोला भैया मेरे साथ ये फॉर्मेलिटी मत किया कीजिये , वैसे भी आपकी जान के लिए पडोसी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने इतना ही कहा कि तभी हॉल से अवि की आवाज आयी,”भोला भैया मेरे लिए एक कप कॉफी लाना,,,,,,,,,,,,,!!”
“देखा,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने अपनी आँखे मिचकाते हुए कहा तो भोला भैया हसने लगे और अवि के लिए कॉफी बनाने लगे। नैना भी उनके बगल में खड़े होकर चाय बनाने लगी और भोला से बाते करने लगी। इस घर में ऐसा कोई नहीं था जिसे नैना पसंद ना हो। चौधरी साहब से लेकर घर में काम करने वाले लोग तक नैना को पसंद करते थे और उसकी बात कभी बुरा नहीं मानते थे।
अवि की कॉफी बनकर तैयार हो चुकी थी और नैना भी अपनी चाय कप में छान चुकी थी। भोला अवि के लिए कॉफी लेकर जाने लगा तो नैना ने कहा,”भोला भैया मैं लेकर जाती हूँ”
भोला ने कप नैना को दे दिया और नैना वहा से चली गयी
Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5Love You Zindagi – 5
क्रमश – Love You Zindagi – 6
Read More – Love You जिंदगी – 4
Follow Me On – instagram | facebook | youtube
संजना किरोड़ीवाल
मुझे तो लगा था कि मोंटी गुस्सा करेगा रूचिका पर…थैंक्स गोड की मोंटी के आफिस सही ज्ञान देने वाले गौतम जैसे दोस्त है…वरना आजकल लोग अपना दिमाग कहां ही इस्तेमाल करते है…अच्छा हुआ जो दोनों में सुलह हो गई…और उधर शीतल की बात सुनकर सार्थक को भी चैन मिला और राज उसके दिमाग से निकला…वैसे संजना तीनों दोस्तों (नैना, शीतल और रूचिका) की अपनी सास के साथ काफी अच्छी बान्डिग है…ये सही है…
Finally Monti aur ruchika ke bich sab thik ho gya aur Sarthak aur Sheetal ke bich vishwas ki dori majboot h
Bhut hi interesting part tha ma’am
Very beautiful
After marriage ye to or bhi romantic ho gaye hai
Maza aa raha hai
Behtrarin part… Monti ko samjh aa gya or usne Ruchi se patchup kr liya… finally Ruchi ne khana bnanae ki koshish ki … sarthak k man m ji duvidha thi sheetal ne use dur kr diya…