Love You जिंदगी – 33
Love You Zindagi – 33
गोआ की ट्रिप पूरी हो चुकी थी और शाम में सभी वापस अपने अपने घर जाने वाले थे लेकिन जाने से पहले नैना चाहती थी कि सबके बीच की ग़लतफ़हमी दूर हो जाये और सब ख़ुशी ख़ुशी अपने घर जाए इसलिए उसने सुबह सुबह ही बाहर घूमने का प्लान बना लिया। नैना और अवि की वजह से मोंटी और रुचिका की ग़लतफ़हमी दूर हो चुकी थी साथ ही नैना अवि ने भी बिगड़ने से पहले अपने रिश्ते को सम्हाल लिया। शीतल और सार्थक के बीच अभी भी मामला गड़बड़ था लेकिन हमारी नैना को पूरा यकीन था कि जाने से पहले उन दोनों में भी सुलह हो ही जाएगी। नैना सबको साथ लेकर गोआ के सबसे सुंदर बीच पहुंची जहा कई सारे बोटस थे और नजारा भी काफी सुंदर था। नैना ने वहा एक बोट वाले से बात करके कुछ घंटो के लिए बोट बुक करवाया और साथ ही सुबह के नाश्ते का अरेजमेंट भी उसी में करवा दिया।
रुचिका और मोंटी एक दूसरे का हाथ पकडे बोट की तरफ बढ़ गए। अवि सार्थक के पास आया और कहा,”तुम्हारी शक्ल क्यों उतरी हुई है ? चलो चलकर सब के साथ बोटिंग का मजा लेते है”
“आप मुझसे नाराज नहीं हो अवि भाई ?”,सार्थक ने अवि की तरफ देखकर पूछा
“सार्थक रात गयी बात गयी,,,,,,,,,,,,वैसे भी हम सब बस कुछ घंटो के लिए साथ है उसके बाद यहाँ से चले जायेंगे और जाने से पहले मैं कुछ अच्छी यादें अपने साथ लेकर जाना चाहता हूँ,,,,,,,,,,,,,,चलो अब ज्यादा सोचो मत”,कहते हुए अवि ने सार्थक के कंधे पर हाथ रखा और उसे लेकर बोट की तरफ बढ़ गया। अवि के साथ जाते हुए सार्थक ने पलटकर शीतल को देखा , बीती रात शीतल के साथ किये गए व्यवहार के बारे में सोचकर सार्थक को बुरा लग रहा था।
“मुझे अच्छा लगा तुम यहाँ आयी”,नैना ने शीतल के पास आकर कहा
“तुम कहो और मैं ना आउ ऐसा कभी हो सकता है क्या नैना ? एक तुम ही तो हो जो मुझ पर इतना भरोसा करती है”,शीतल ने नैना की ओर देखते हुए कहा
नैना ने शीतल के दोनों हाथो को थामा और कहा,”सिर्फ मैं ही नहीं बल्कि वो सब भी तुम पर भरोसा करते है , बस तुम बाकी सब से थोड़ी अलग हो लेकिन गलत नहीं इसलिए अब ज्यादा मत सोचो और चलो,,,,,,,,,,,,,,मुझे यकींन है गोआ का ये आखरी दिन हम सबके लिए यादगार रहेगा”
नैना को खुश देखकर शीतल भी मुस्कुरा उठी और उसके साथ बोट में चली आयी। तीनो कपल्स बोट में चले आये और बोट पानी में चल पड़ी। सबको बहुत मजा आ रहा था। सबके चेहरे पर मुस्कराहट थी और सब बहुत खुश थे
सबने साथ में कुछ तस्वीरें ली और उसके बाद सब नाश्ते के लिए चले आये। नैना-अवि और रुचिका-मोंटी के बीच सब ठीक था इसलिए चारो पास पास बैठे थे लेकिन सार्थक और शीतल के बीच अभी भी ख़ामोशी पसरी हुई थी। सबकी प्लेटो में नाश्ता परोसा गया जिसमे ब्रेड ऑमलेट के साथ साथ सैलेड और पास्ता भी मौजूद था। मोंटी हमेशा की तरह रुचिका को अपने हाथो से खिलाने लगा और रुचिका भी बीच बीच में उसे खिलाने लगी। अवि ने चाकू और कांटा उठाया और बड़े सलीके से ऑमलेट को काटते हुए जैसे ही खाने को हुआ उसकी नजर नैना पर चली गयी जो की कांटे और चाकू को लेकर ऑमलेट के साथ जद्दोजहद कर रही थी। अवि ने देखा तो अपना निवाला छोड़ा और नैना के हाथ से कांटा चाकू लेकर उसे सीखाते हुए कहा,”ये ऐसे होगा”
“हम्म्म ठीक है”,कहकर नैना ने एक बार फिर कोशिश की लेकिन नाकाम रही। नैना जो की छोटी छोटी बातो पर झुंझला जाती थी उसने चाकू और काँटे को साइड में रखा और ऑमलेट को इक्क्ठा कर सॉस से टच किया और हाथ में उठाकर एक बड़ा सा बाईट लिया।
अवि बस आँखे फाडे देखता रहा और फिर एक गहरी साँस लेकर धीरे से कहा,”आह इसका कुछ नहीं हो सकता”
“पडोसी तुम भी ट्राय करो ना ऐसे ज्यादा मजा आ रहा है”,नैना ने अपने हाथ में पकडे ऑमलेट को अवि की तरफ बढ़ाते हुए कहा। अवि जिसे साफ सुथरा रहना पसंद था उसने नैना के हाथ को साइड में करके कहा,”नो थेंक्यू इसे तुम ही खाओ तो बेहतर है”
“हुंह खड़ूस कही का”,नैना ने कहा और फिर अपना नाश्ता करने लगी। समंदर के बीचो बीच खुले आसमान के नीचे बैठे सभी नाश्ता कर रहे थे और आज मौसम भी काफी सुहावना था। शीतल ख़ामोशी से अपना नाश्ता कर रही थी और उसके बगल में बैठा सार्थक उसे देख रहा था।
खाते खाते नैना की नजर जब उन दोनों पर तो उसने आँखों ही आँखों में सार्थकको इशारा किया कि वह शीतल को अपने हाथ से खिलाये। नैना की बात मानते हुए सार्थक ने एक निवाला लिया और शीतल की तरफ बढ़ा दिया। शीतल सार्थक की तरफ देखने लगी। उसे बीती रात कही गयी बातें याद आ गयी और सहसा ही उसकी आँखों में आँसू भर आये जिन्हे देखकर सार्थक का चेहरा उदासी से भर गया। शीतल ने मुश्किल से अपने आँसुओ को रोका और वहा से उठाकर चली गयी। वह बोट के किनारे चली आयी और सामने समंदर को देखने लगी।
सार्थक ने बेचारगी से नैना की तरफ देखा तो नैना मुस्कुरा उठी। सार्थक उसके मुस्कुराने की वजह नहीं समझ पाया नैना ने चम्मच उठाया और टेबल बजाने लगी। नैना उस गाने की धुन बजा रही थी जो उसने शीतल और रुचिका ने कभी साथ गाया था। रुचिका ने सूना तो ख़ुशी और हैरानी से नैना की तरफ देखने लगी। अवि ने भी नैना के इस गाने की धुन सुनी थी लेकिन उदास वाली पर आज नैना ख़ुशी में गुनगुना रही थी। उसने ग्लास उठाया और चम्मच से बजाते हुए शीतल के पास चली आयी।
नैना बोट की रेलिंग से अपनी पीठ लगाकर खड़े हो गयी और ग्लास बजाते हुए गाने लगी
“कभी थोड़ा रो ले , कभी थोड़ा हंस ले,,,,,,,,,,,,,,,बेकार की उलझनों को कह दो टाटा बाय।
कभी मुस्कुराना है , कभी खिलखिलाना है , खुशियों को कर लो वेलकम इनसाइड
शीतल ने सूना तो उसे अपने पुराने दिन याद आ गए वह मुस्कुराते हुए नैना को देखने लगी। रुचिका ने सूना तो वह भी मुस्कुराते हुए उन दोनों के पास चली आयी। रुचिका को वहा देखकर नैना ने ग्लास और चम्मच को साइड रखा और आगे गाते हुए कहा
“जिंदगी ये तेरी मेरी जिंदगी , आ जी ले जरा उड़के लाइक बटरफ्लाई”
रुचिका नैना और शीतल के बीच आयी और दोनों के कंधो पर हाथ रखकर आगे की लाइन गाते हुए कहा
“यारियां ये तेरी मेरी यारिया , कहती है नहीं जरूरत तेरी भाई-वाइ”
नैना रुचिका शीतल तीनो साथ साथ मुस्कुरा उठी और नैना ने आगे गाते हुए कहा,”एक बार भुला के तुम सब कह दो खुद से भी कभी”
“लव यू जिंदगी , एक बार ज़रा कह दो तुम भी”,रुचिका ने अपने दोनों हाथो से दिल बनाकर आसमान में हाथ उठाते हुए कहा और पलट गयी
“लव यू जिंदगी , तुम से कोई अच्छा नहीं”,शीतल ने भी पलटकर हाथो से आसमान में दिल बनाते हुए कहा
“लव यू जिंदगी , दुनिया है बुरी और हम भी है सभी”,कहते हुए सबसे आखिर में नैना पलटी
“लव यू जिंदगी,,,,,,,,,,,,,,!!”,इस बार तीनो ने एक साथ कहा। आसमान में उठे उन तीनो के हाथ से बने वो दिल बड़े खूबसूरत लग रहे थे। अवि के पास इस वक्त उसका कैमेरा नहीं था लेकिन फिर भी उसने वो तस्वीर अपने फोन में ले ली और मुस्कुराते हुए मोंटी सार्थक से कहा,”देखा जाये तो असली ट्रिप इनका है,,,,,,,,,,,,,,,ये तीनो साथ में कितनी प्रीटी लग रही है।”
“यार अवि हम लोग उनसे कम है क्या ? लेटस ज्वाइन आवर गर्ल्स”,मोंटी ने टिशू से अपने हाथ पोछते हुए कहा और अवि की बांह थामकर जाने लगा देखा सार्थक अभी भी अपनी जगह बैठा है तो मोंटी ने अवि से कुछ इशारा किया और दोनों उसे उठाकर लड़कियों की तरफ चले आये।
मोंटी ने आकर रुचिका को पीछे से पकड़ा और उसे उठाकर घुमाने लगा। रुचिका खिलखिला रही थी , हंस रही थी। कुछ देर बाद मोंटी रुका और रुचिका के कंधो पर अपना हाथ रख गाते हुए कहा,”हम जो मिले है , फूल जो खिले है , मौसमो में भी आयी बहार”
मोंटी रुचिका को साथ देखकर अवि का दिल भी खुश हो गया तो वह नैना के बगल में आया और अपने हाथो को बांधकर अपना कंधा नैना के कंधे से टकरा कर गाते हुए कहा,”तुम मेरा दिल हो , तुम मेरी जा हो , शायद हो गया है मुझको तुम से प्यार,,,,,,,,,!”
नैना ने अवि को गाते सूना तो मुस्कुरा उठी और अपनी कोहनी अवि के कंधे पर रखकर गाते हुए कहा
“जिंदगी ये तेरी मेरी जिंदगी , इसमें है मजा नहीं है कोई सेक्रिफाइज”
अवि ने शरारत से अपना कंधा नीचे किया तो नैना की कोहनी फिसली लेकिन मोंटी ने अपना कंधा आगे करके नैना को सम्हाल लिया तो नैना ने आगे गाते हुए कहा
“यारियां ये तेरी मेरी यारियां , टूटेगी नहीं ये ऐसे ही रहेगी भाई”
नैना ने मोंटी की तरफ देखकर कहा तो मोंटी मुस्कुरा उठा क्योकि नैना उसे माफ़ जो कर चुकी थी अवि और रुचिका भी उन दोनों के साथ चले आये और चारो साथ साथ गाने लगे। सार्थक और शीतल वही बोट के रेलिंग से पीठ लगाकर खड़े थे लेकिन एक दूसरे से दूर। सार्थक ने एक नजर शीतल को देखा और गाते हुए उसकी तरफ बढ़ा
“है ये अहसास मुझको , दिल तेरा दुखा है
हाँ नहीं है बुरे हम , बस ये वक्त बुरा है
वादा है मेरा अब ना होगी खता
मंजूर मुझको तेरी दी हर सजा,,,,,,,,,,,,,,दी हर सजा
बस इतना कर ले यकीन , तेरे बिन मैं कुछ भी नही,,,,,,,,,,कुछ भी नहीं”
गाते हुए सार्थक शीतल के सामने आ खड़ा हुआ। शीतल सार्थक को देखने लगी
सार्थक के चेहरे से साफ झलक रहा था कि वह अपने किये पर शर्मिन्दा है। उसके शब्द सुनकर शीतल का मन बैचैन होने लगा और आँखों में नमी तैर गयी। सार्थक का गाना सुनकर बाकि सब शांत हो गए और उन दोनों को देखने लगे। शीतल को खामोश देखकर सार्थक की आँखों में आँसू भर आये वह जाने के लिए जैसे ही मुड़ा शीतल ने उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया। सार्थक पलटा तो शीतल उसके गले आ लगी और अपनी आँखे बंद कर ली। आँखों में भरे आँसू गालों पर बह गए। सार्थक नम आँखों के साथ मुस्कुरा उठा उसकी शीतल ने उसे माफ़ जो कर दिया था। उसने शीतल को कसकर गले लगा लिया। दोनों को साथ देखकर बाकी चारो के चेहरे खिल उठे और होंठो पर मुस्कान तैर गयी। चारो ने गाते हुए उन दोनों को घेर लिया। जैसा की नैना ने कहा था आज का दिन गोआ में उन सबके लिए यादगार बन चुका था।
सभी साथ साथ बोटिंग का मजा लेने लगे। अवि मोंटी साथ साथ इंजॉय कर रहे थे दोनों में से एक नैना का बेस्ट फ्रेंड तरह दूसरा उसका पति लेकिन अब दोनों के मन में एक दूसरे को लेकर कोई बात नहीं थी बस दोनों साथ साथ खुश थे। वही रुचिका नैना के साथ सेल्फी ले रही थी ताकि बाद में अपने सोशल मिडिया अकाउंट्स पर शेयर कर सके। सार्थक और शीतल के बीच अभी अभी सुलह हुई थी इसलिए दोनों बोट के किनारे बैठकर बातें कर रहे थे। बीच बीच में नैना उन्हें देख रही थी और उन्हें हॅसते मुस्कुराते देखकर उसे तसल्ली हुई के अब सब ठीक है।
बोटिंग करने के बाद सभी एक बार फिर मार्किट घूमने निकल गए और इस बार तीनो कपल अलग अलग थे। सार्थक-शीतल ने अपने मम्मी पापा के लिए कुछ सामान खरीदा। मोंटी रुचिका ने भी अपने बीकानेर वाले दोस्तों और घरवालों के लिए कुछ सामान खरीदा। नैना ने निबी , सौंदर्या जी और चौधरी साहब के साथ साथ अपने मॉम डेड के लिए भी कुछ गिफ्ट्स लिए साथ में भोला भैया के लिए भी एक फूलो वाला हाफ स्लीव्स शर्ट खरीद लिया। अवि नैना को दो मिनिट रुकने का कहकर दूसरे दुकान पर चला गया और नैना अपनी शॉपिंग में बिजी हो गयी। कुछ देर बाद अवि आया तो उसके हाथ में एक बढ़िया स्कॉच की बोतल थी जिसे देखकर नैना ने हैरानी से कहा,”ये किस के लिए है ? जहा तक मुझे पता है तुम ये नहीं पीते”
“ये मेरे लिए नहीं है एक दोस्त के लिए है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अगर तुम्हारी शॉपिंग हो गयी है तो हम चले रिसोर्ट जाकर बैग भी पैक करने है”,अवि ने नैना के हाथ से आधे बैग्स लेकर कहा और आगे बढ़ गया।
“हाँ लेकिन तुमने मुझे बताया नहीं ऐसा कौन दोस्त है तुम्हारा जिसके लिए तुम ये लेकर जा रहे हो , क्या वो कोई खास है ?”,नैना ने अवि के साथ चलते हुए कहा
“अहम्म्म्म हाँ खास तो है , खास नहीं बहुत खास है,,,,,,,,,,,,अब चलो”,अवि ने नैना का हाथ थामकर कहा और वहा से चला गया
रिसोर्ट आकर सब अपने अपने बैग्स पैक करने लगे। नैना कमरे बिस्तर पर बैठी उस स्कॉच की बोतल को हाथ में लिए बस घूरे जा रही थी और अवि उसका और अपना बैग पैक कर रहा था। बोतल को देखते हुए नैना के जहन में एकदम से उस रात वाली बात कौंधी जब उसने निबेदिता की आवाज सुनी थी। उसने बोतल साइड में रखा और आकर अवि के सामने खड़ी हो गयी। अवि ने नैना पर ध्यान नहीं दिया उसका पूरा ध्यान पैकिंग पर था। नैना बार बार उसके इर्द गिर्द चक्कर काट रही थी लेकिन अवि ने उसे इग्नोर कर दिया। अवि का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए नैना बिस्तर पर चढ़ी और सूटकेस बंद करते हुए कहा,”पडोसी क्या हम आज रात यहाँ नहीं रुक सकते ?”
“नो ! टिकट्स बुक हो चुके है और फिर दो दिन बाद मेरी नयी एग्जीबिशन है”,अवि ने नैना को साइड करके सूटकेस वापस खोलते हुए कहा
“अगर हम आज और रुकते तो मैं पता लगा लेती”,नैना नाख़ून चबाते हुए बड़बड़ाई और उसकी इस हरकत ने अवि का ध्यान अपनी ओर खींचा। अवि लगभग सभी सामान अंदर रख चुका था इसलिए सूटकेस बंद करते हुए कहा,”क्या पता लगा लेती ?”
“यही की हमारे बीच सब ठीक है या नहीं ?”,नैना ने जल्दबाजी ने कुछ उटपटांग बोल दिया। अवि नैना के सामने आया और उसके कंधो को थामकर कहा,”नैना हमारे बीच सब सही है और अगर नहीं हुआ तो मैं कर दूंगा। अब अपना बैग उठाओ और चलो 2 घंटे बाद हमारी फ्लाइट है”
“पडोसी,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने बेचारगी से कहा क्योकि वह जानती थी अवि समय और जिम्मेदारियों का पक्का है वो नैना की ऐसी किसी भी बात के लिए सहमति नहीं देगा।
अवि ने टेबल पर रखी स्कॉच की बोतल उठायी और बैग में रखते हुए कहा,”अब जो कहना है चंडीगढ़ जाकर कहना”
नैना समझ गयी अवि से बहस करना बेकार है। उसने अपना बैग उठाया और अवि के साथ कमरे से बाहर चली आयी। बाहर आकर नैना ने देखा सार्थक , शीतल , रुचिका और मोंटी सभी अपने अपने सामान के साथ तैयार खड़े है। रिसोर्ट का ड्राइवर गाड़ी लिए बाहर खड़ा सब का इंतजार कर रहा था। सभी बाहर चले आये और एयरपोर्ट के लिए निकल गए।
“अवि भाई आप सारा खर्चा डिवाइड करके बता देना मैं और मोंटी ट्रांसफर कर देंगे”,सार्थक ने कहा
“उसकी जरूरत नहीं है गाइज ये रिसोर्ट मेरे दोस्त के पापा का ही है इसलिए ज्यादा खर्चा नहीं हुआ , तुम दोनों अभी अपनी जॉब को लेकर परेशान हो इसलिए अपने पैसे सेव रखो काम आएंगे,,,,,,,,,,,,,!!”,अवि ने सहजता से कहा
सार्थक ने सूना तो मोंटी और वह एक दूसरे को देखने लगे और फिर मोंटी ने कहा,”लेकिन ऐसे अच्छा नहीं लगेगा , हम डिवाइड कर लेते है न”
“इट्स ओके मोंटी , अगली ट्रिप तुम और सार्थक प्लान कर लेना”,अवि ने कहा तो मोंटी और सार्थक ने कुछ देर ना नुकुर की और फिर मान गए
सभी एयरपोर्ट पहुंचे। अवि ने सबके टिकट्स अलग रखे। सार्थक शीतल का दिल्ली के लिए , मोंटी रुचिका का बीकानेर के लिए और अपना नैना का डायरेक्ट चंडीगढ़ के लिए जिस से सबको लंबा सफर ना करना पड़े। मोंटी और सार्थक की फ्लाइट तो 1 घंटे बाद ही थी इसलिये चारो अवि और नैना से मिले और वहा से चले गए। उनके जाने के बाद नैना थोड़ा उदास हो गयी तो अवि ने उसे साइड हग करते हुए कहा,”तुम जल्दी ही उन सब से फिर मिलोगी”
अवि के इतना कहते ही नैना की आँखों से आँसू गिरने लगे। अवि ने नैना को इमोशनल होते देखा तो उसके आँसू पोछे और कहा,”ओह्हो तो हमारी लेडी डॉन इमोशनल भी होती है , अच्छा सुनो तुम जब चाहो अपने दोस्तों से मिल सकती हो मैं तुम्हे कभी नहीं रोकूंगा ,, अब जाओ मुंह धोकर आओ,,,,,,,,,,,,,,,!!”
नैना उठी और वाशरूम चली गयी। वाशरूम की तरफ जाते हुए नैना की नजर एक लड़की पर पड़ी जो की बिल्कुल निबेदिता जैसी ही थी। नैना के दिमाग में फिर खलबली होने लगी और नैना उसके पीछे चली आयी। वो लड़की बाथरूम के अंदर चली गयी और नैना भी उसके पीछे चली आयी। नैना छुपकर खड़े हो गयी ताकि सच का पता लगा सके। वह लड़की बाथरूम से बाहर आयी और जब वाशबेसिन के सामने हाथ धोने लगी तो नैना ने आकर कहा,”निबेदिता ?”
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क्रमश – Love You Zindagi – 34
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संजना किरोड़ीवाल
Ab dekhte hain nibi konsa jhoot bolti hai,naina ne apne frndz ki lyf mein sb thik kr diya, superb
Finally Naina ne Goa ke trip ke akri din ko bi yaad gar bana diya nice part
Very beautiful
ओ भाईसाहब… क्या नैना ने सच में निबोदिता को देखा और पकड़ लिया है…या ये नैना की आंखों का धोखा…कल पढ़ते है कि क्या धमाका होगा
Aapka story ka poster AJ describe Kiya h Aapne bhut hi pyaara part tha finally nibi dikha hi gyi Naina ko dekhte h kya jhoot bolti h woh
Superb
Akhir hamari Naina n sabki such karwa di
Nice story
Superb part… when naina is here no fear…naina ne apne dosto ki life ki tension khatam kr di…or aaj ka din bahut accha gya…naina ko jasusi ka kida laga h..nibi pr usko doubt h to pata laga hi legi… bas wo Raj na ho uske sath