Sanjana Kirodiwal

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कितनी मोहब्बत है – 4

Kitni Mohabbat hai – 4

( अब तक आपने पढ़ा मीरा और अक्षत की मुलाकात बहुत ही अलग ढंग से हुई जैसा मीरा ने कभी सोचा भी नहीं था ! अक्षत को उसने पहली मुलाकात में ही चोर समझ लिया था ! हालाँकि मीरा को इस बात का अफ़सोस भी था ! उधर जबसे मीरा घर आयी थी तबसे अर्जुन में एक अलग ही बदलाव देखने को मिल रहा था ! अपनी शादी की बात सुनकर अर्जुन शरमाँ कर चला गया ! मीरा और अक्षत की तकरार कहानी में कोनसा मोड़ लाएगी जानने की लिए पढ़ते है आगे -: )

ऊपर खड़ा अक्षत अंगड़ाई ले रहा था ! जैसे ही उसकी नजर मीरा पर पड़ी उसने पाया की मीरा उसे ही देख रही है ! दोनों की नजरे मिली तो मीरा ने मन ही मन कहा,”यहाँ रहना है तो इनसे दूरी बनाकर रखनी पड़ेगी !” वही ऊपर खड़ा अक्षत मीरा को देखते हुए सोच रहा था,”तुम इस घर में ज्यादा दिन की मेहमान नहीं हो मिस जेम्स बांड !!”
मीरा मुस्कुराई तो अक्षत उसे इग्नोर करके वहा से चला गया !
“सडु कही का”,मीरा ने कहा और अपना दुपट्टा बदलने सीढ़ियों की तरफ बढ़ गयी ! दूसरा दुपट्टा लेकर मीरा निचे आयी उसने देखा राधा अकेले ही किचन में थी और मीरा भी उनकी मदद करने किचन में चली आयी ! मीरा की रूचि देखते हुए राधा ने भी उसे काम करने दिया और मीरा से सबके लिए चाय बनाने को कहा ! सच ही कहा था मीरा ने की उसे सिर्फ चाय बनानी आती है ! उसकी बनाई चाय की खुशबु से सारा किचन महक उठा था ! राधा को कुछ बनाते देखकर मीरा उनके पास आयी और कहा,”आप क्या बना रही है ?”
“उत्पम , खाया है कभी ?”,राधा ने बनाते हुए कहा
“नहीं खाया , पर इसकी खुशबु अच्छी है ! इसे कैसे बनाया आपने ?”,मीरा ने सुगंध लेते हुए कहा
“इसे सूजी और चावल के घोल से बनाते है , पहले गैस पर पेन में थोड़ा सा तेल डालकर फैलाओ फिर सूजी का घोल ऐसे धीरे धीरे फैलाना है ( बनाते हुए) उसके बाद इसके ऊपर बारीक़ कटी सब्जिया जैसे की प्याज , शिमला मिर्च , टमाटर , पत्ता गोभी डालकर इस पर फैलाना है ! इसके बाद नमक और मसाला स्वादनुसार डालकर इसे दूसरी और पलटना है ! जब दोनों तरफ से अच्छे सिक जाये तो पैन से निकाल लो !”,राधा ने कहा
“ये तो बहुत ईजी है आंटी , हमे भी सीखना है !”,मीरा ने कहा !
“पहले लोगो को तो पहचानना सिख लो”,एक जानी पहचानी आवाज मीरा के कानो में पड़ी ! उसने जैसे ही गर्दन घुमाई किचन के दरवाजे पर अक्षत खड़ा था ! अक्षत की आवाज सुनकर राधा पलटी और कहा,”उठ गया तू ! और घर कब आया ? तुझे पता है ना आसु तेरे पापा को तेरा घर देर से आना बिल्कुल पसंद नहीं है पर तू नहीं सुनता !”
“सॉरी माँ , अबसे नहीं होगा ऐसा !”,अक्षत ने अंदर आकर राधा को साइड से गले लगाते हुए कहा !
“ये मीरा है निधि की सहेली !”,राधा ने अक्षत से कहा !
“हां कल रात मिल चुका हु मैं इनसे ! काफी स्ट्रांग है !”,अक्षत ने मीरा को घूरते हुए कहा !
“अच्छा है ! चलो सबके साथ बैठकर नाश्ता कर लो ! और मीरा तुम चाय लेकर बाहर आ जाना , ठीक है !”,कहते हुए राधा ने नाश्ते की प्लेट उठाई और बाहर निकल गयी ! किचन में बस मीरा और अक्षत थे ! मीरा चाय छानने लगी अक्षत कुछ ही दूरी पर खड़ा अपने कप में दूध डालकर उसमे कॉफी मिक्स कर रहा था ! मीरा ने एक बार उसकी और देखा और फिर वापस अपने काम में लग गयी ! चाय छानकर वह कप ढूंढने लगी उसने इधर उधर देखा कप अक्षत की साइड में रॉ मे लगे थे ! मीरा उसकी और आई तो अक्षत ने आँखों के भोंहे मटकाकर इशारा किया तो मीरा ने मरी हुई सी आवाज में कहा,”वो कप चाहिए !”
“ह्म्म्मम्म !”,कहकर अक्षत थोड़ा सा साइड हो गया मीरा ने कप उठाये और जैसे ही साइड हुई अक्षत को देखकर उसके हाथ से कप छूट गए लेकिन कप निचे गिरते इस से पहले ही अक्षत ने उन्हें अपने दोनों हाथो में कैच कर लिया ! मीरा की जान में जान आयी तो उसने कहां,”थैंक्यू !” अक्षत ने अगले ही पल दोनों कप निचे गिरा दिए ! मीरा डर गयी उसे समझ नहीं आया क्या करे ? गिरने की आवाज सुनकर राधा अंदर आयी और कहा,”क्या हुआ ? कुछ गिरने की आवाज आयी !”
“माँ वो इनके हाथो से कप छूट गए और टूट भी गए !”,अक्षत ने मासूम बनते हुए कहा जबकि सच तो कुछ और था ! मीरा क्या कहती ? अगर कहती भी तो कौन भरोसा करता ? उसकी रोनी सूरत देखकर राधा ने बड़े प्यार से कहा,”कोई बात नहीं कप और आ जायेंगे , तुम नाश्ते के लिए चलो चाय मैं ले आती हु !”
“सूना तुमने माँ ने कहा है कप और आ जायेंगे !”,अक्षत ने मीरा से कहा
“हम्म्म्म !”,मीरा ने राधा से कहा और जैसे ही जाने लगी अक्षत ने अपना कप उठाया और उसके पास से गुजरते हुए कहा,” i just hate thankyou”
अक्षत वहा से निकल गया और मीरा मन ही मन उसे कोसते हुए बाहर चली आयी ! बाहर डायनिंग टेबल पर सभी मौजूद थे ! मीरा भी आकर चुपचाप निधि के बगल में बैठ गयी !
“नींद ठीक से आ गयी थी ना मीरा ?”,दादी माँ ने पूछा
“जी !”,मीरा ने नजरे झुकाये हुए कहा क्योकि मीरा के बिल्कुल सामने दादी की बगल में अक्षत बैठा था ! वह फिर से किसी मुसीबत में बिल्कुल नहीं फसना चाहती थी ! तभी दादू ने कहा,”और छोटे जनाब आज तुम नाश्ते की टेबल पर क्या कर रहे हो ? आज से पहले तो कभी नहीं देखा तुम्हे यहाँ !”
अक्षत दादाजी का ताना समझ चुका था क्योकि आज से पहले ना तो वो कभी इतनी जल्दी उठा था ना ही नाश्ते के लिए निचे आया था ! रघु अक्सर उसका नाश्ता ऊपर ही लेकर जाता था ! “ओह्ह कम ऑन दादू , आज जल्दी उठा तो सोचा सबके साथ नाश्ता कर लू !”
“अरे बेटा आज क्यों रोज आया करो , परिवार के साथ बैठकर खाने का अपना ही मजा है”,विजय ने कहा !
राधा सबके लिए चाय ले आयी ! उसने अक्षत को छोड़कर सबको चाय दी ! और सबकी प्लेट में नाश्ता परोसकर खुद भी चाय लेकर बैठ गयी ! दादू ने जैसे ही एक घूंठ भरा कहा,”वाह आज की चाय बाद स्वादिष्ट है बहु ! सच में पीते ही मन खुश हो गया !”
“पापा आज चाय मैंने नहीं बल्कि मीरा ने बनाई है ! ये इसके हाथो का जादू है !”,राधा ने मुस्कुराते हुए कहा !
जैसे ही सबने सूना चाय आज मीरा ने बनाई है तो सब चाय पीते हुए मीरा की तरफ करने लगे ! अर्जुन ने तो फटाफट अपनी चाय ख़त्म भी कर दी और कहा,”माँ मुझे एक कप चाय और चाहिए !” राधा ने सूना तो हैरानी से अर्जुन की और देखा और फिर उसे एक कप चाय और दे दी ! अक्षत बैठा बैठा अर्जुन को घूर रहा था तभी दादी ने कहा,”अक्षत तुम भी चाय पीकर देखो , बहुत अच्छी बनी है !”
“मैंने अभी नशा करना शुरू नहीं किया है !”,अक्षत ने कॉफी पीते हुए कहा !
“चाय में नशा होता है , किसने कहा ? और मीरा ने तो वैसे भी अच्छी चाय बनाई है”,अर्जुन ने कहा
“हां तो आप लोग पीओ , मुझे नहीं पसंद !!”,कहते हुए अक्षत उत्पम खाने लगा ! सभी चुपचाप नाश्ता करने लगे ! मीरा और निधि नाश्ता करने के बाद उठकर कमरे से अपनी बुक्स और बैग्स ले आयी ! अर्जुन ने देखा तो कहा,”निधि मैं उधर ही जा रहा हु , चलो तुम दोनों को भी छोड़ देता हु !”
“आपकी तबियत ठीक है ना भैया !”,निधि ने अर्जुन के माथे को हाथ लगाकर कहा !
“हां क्यों ?”,अर्जुन ने कहा
“आज से पहले तो आपने कभी नहीं कहा निधि कॉलेज छोड़ देता हु ! फिर आज अचानक”,निधि ने दाल में काला देखते हुए कहा !
निधि की बात सुनकर अर्जुन झेंप गया ! अब बेचारा कैसे कहता की वो कॉलेज मीरा की वजह से जाना चाहता था उसने निधि से कहा,”मुझे सच में उस साइड काम है , तुम्हे जाना है जाओ !” कहते हुए अर्जुन जाने लगा तो निधि ने रोकते हुए कहा,” अरे अरे भैया मैं तो मजाक कर रही थी , अब चलो जल्दी देर हो जाएगी !”
“बस दो मिनिट मैं अपना बैग और फोन लेकर आता हु !”,कहते हुए अर्जुन चला गया ! निधि बाहर जा चुकी थी मीरा वही खड़ी अर्जुन के आने का इंतजार कर रही थी ! अर्जुन वापस आया तो उसके हाथ में बैग , फोन , और ढेर सारी फाईले भी थी ! “ये हमे दे दीजिये !”,मीरा ने सहजता से कहा तो अर्जुन ने फोन और बैग छोड़कर फाइल्स मीरा को थमा दी ! दोनों साथ साथ चलने लगे तो अर्जुन ने कहा,”चाय अच्छी बनी थी !”
“थैंक्यू !”,मीरा ने कहा !
अब इस से आगे अर्जुन के पास बोलने को कुछ नहीं था ! निधि बाहर आकर पहले ही गाड़ी में पिछली सीट पर बैठ चुकी थी ! अर्जुन मुस्कुराया और आगे बढकर मीरा के लिए दरवाजा खोला लेकिन मीरा बैठती उस से पहले ही अक्षत आकर बैठ गया ! “तुम कहा ?”,अर्जुन ने अपने सपनो के पुल को टूटते देखकर कहा ! “वो आगे मुझे यूनिवर्सिटी छोड़ देना”,अक्षत ने कहा !
“तू बाइक से चला जा !”,अर्जुन ने कहा
“नहीं वहा मेरे दोस्त इंतजार कर रहे है ! वहा से मुझे बाहर जाना है उनके पास गाड़ी है , बाइक कहा खड़ी करूंगा !”,अक्षत ने कहा
अर्जुन ने मीरा के लिए पीछे का दरवाजा खोला और बैठने का इशारा किया ! खुद आकर ड्राइवर सीट पर बैठा और सीट बेल्ट लगाते हुए कहा,”पापा को बताया अपने बाहर जाने के बारे में !”
“चिल ब्रो ! पापा के आने से पहले घर आजाऊंगा मैं ! अब चलो मुझे लेट होना बिल्कुल पसंद नहीं है !”,अक्षत ने कहा !
अर्जुन ने गाड़ी स्टार्ट करके आगे बढ़ा दी ! मीरा को आगे ना बैठा पाने का उसे मलाल था इसलिए उसने गाड़ी के अंदर का शीशा सेट कर लिया जिस से मीरा उसे नजर आ सके ! मीरा का ध्यान खिड़की के बाहर था वह बड़े गौर से सब देख रही थी ! निधि अपने फोन में बीजी थी और अक्षत वो सर सीट से लगाकर कभी अर्जुन को देखता तो कभी सामने ! मीरा ने खिड़की का शीशा हल्का सा खोल दिया हालाँकि ठण्ड थी पर मीरा को अच्छा लग रहा था ! बाल उड़कर चेहरे पर आ रहे थे ! मीरा ने सर ग्लास से लगा लिया और बड़े प्यार से बाहरी दुनिया को देख रही थी ! अक्षत ने जैसे ही साइड मिरर में देखा तो कुछ पल के लिए नजरे वही जम गयी ! वो बालो की लटो का बार बार मीरा के चेहरे को चूमना कितना खूबसूरत बना रहा था ! अक्षत काफी देर तक देखता रहा और फिर गर्दन घुमाकर अर्जुन की और देखने लगा ! कुछ देर बाद गाड़ी कॉलेज के गेट के सामने आकर रुकी ! निधि और मीरा अपनी अपनी बुक्स लेकर निचे उतर गयी ! अर्जुन गाड़ी लेकर वापस निकल गया और अक्षत को उसकी यूनिवर्सिटी के सामने छोड़कर खुद ऑफिस चला गया ! मीरा और निधि जैसे ही कॉलेज आयी विनीत उनके पास आया ! निधि मीरा और विनीत को अकेला छोड़कर चली गयी ! मीरा को खामोश देखकर विनीत ने कहा,”निधि ने तुम्हारी माँ के बारे में बताया , जानकर दुःख हुआ !”
“हम्म्म्म !”,मीरा ने कहा !
“तुम निधि के साथ रहती हो !”,विनीत ने फिर कहा
“हां !”,मीरा ने कहा
“मीरा कोई भी हेल्प चाहिए तो प्लीज मुझसे कहना , मुझे अच्छा लगेगा !”,विनीत ने अपनेपन से कहा
हेल्प के नाम से मीरा को विनीत की भेजी नोटबुक याद आयी उसने नोटबुक निकाली और विनीत की और बढ़ाकर कहा,”हमे इसकी जरूरत नहीं है विनीत ! प्लीज़ हमरे लिए ये सब मत करो हमे अच्छा नहीं लगता !”
“मीरा ये मैंने सिर्फ इसलिए भेजी थी क्योकि एक महीने तुम कॉलेज नहीं आ पाई थी ! सोचा तुम्हे कोर्स कम्प्लीट करने में आसानी होगी ! एक महीने बाद एग्जाम्स है”,विनीत ने कहा !
“हम कर लेंगे , पर रखो !”,कहते हुए मीरा वहा से निकल गयी और विनीत वह रुक गया ! तभी विनीत के दोस्त ने आकर कहा,”भाई पिछले दो साल से तू ट्राय कर रहा है पर बंदी तुझे घास तक नहीं डालती ! फिर भी तू उसके पीछे पड़ा है !”
“क्या करू यार उसके अलावा ओर जचती नहीं !”, विनीत ने कहा
“पर मुझे नहीं लगता वो मानेगी , डिसेंट सी बंदी है यार पढ़ने आयी है ! अब तो कोई है भी नहीं उसका एक माँ थी वो भी जा चुकी है !”,दोस्त ने कहा
“मैं हु ना , मैं सम्हाल लूंगा उसे बस एक बार वो मेरा प्रपोजल एक्सेप्ट कर ले !”,विनीत ने कहा !
“चल बेस्ट ऑफ़ लक , मान जाये तो पार्टी देना मत भूलना !”,दोस्त ने कहा और वहा से चला गया ! विनीत अपनी क्लास की और बढ़ गया ! विनीत कोई बुरा लड़का नहीं था ! जब मीरा पहले साल कॉलेज आयी थी तब बाकि लड़को के साथ साथ विनीत भी उसे देखता रह गया था ! इतनी खूबसूरत लड़की पुरे कॉलेज में नहीं थी ! कई लड़को ने मीरा को दोस्ती , प्यार के लिए प्रपोज किया पर मीरा ने अपनी पढाई के अलावा किसी और चीज को वक्त ही नहीं दिया ! धीरे धीरे सब बदल गया
लेकिन विनीत नहीं बदला और हमेशा मीरा से अपने दिल की बात कहने की कोशिश करता रहा ! क्लास में आकर मीरा अपनी पढाई में लग गयी ! उसे एक महीने के रिवीजन के साथ साथ उसे आने वाले फाइनल ईयर के एग्जाम की भी तैयारी करनी थी ! कॉलेज ख़त्म होने के बाद निधि और मीरा घर के लिए निकल गयी ! इंदौर आने के बाद पहली बार मीरा इन सड़को पर घूम रही थी उसे तो जैसे ये सब सपनो जैसा लग रहा था ! भूख लगी तो निधि मीरा को लेकर रेस्टोरेंट में चली आयी ! भीड़ कम थी निधि ने दोनों के लिए सेंडविच और जूस आर्डर किया ! वेटर आर्डर लेकर चला गया ! मीरा को खोया हुआ देखकर निधि ने कहा,”हे क्या हुआ ? क्या सोच रही हो ?”
मीरा – विनीत के बारे में सोच रहे है , समझ नहीं आता उसे कैसे कहे की हमे ये सब नहीं पसंद !
निधि – वो तुम्हे लिखे करता है मीरा
मीरा – पर हमारे मन में उसके लिए कोई फीलिंग्स नहीं है निधि , हम नहीं चाहते कोई हमारे लिए एक तरफ़ा फीलिंग्स रखे ! हम किसी को ठेस पहुंचाना नहीं चाहते है !
निधि – तुम उसके बारे में सोचकर तो देखो , हो सकता है तुम्हारे दिल में उसके लिए जगह हो !
मीरा – नहीं निधि ऐसा नहीं है , होता तो हम तुझसे जरूर कहते ! विनीत अच्छा लड़का है लेकिन हम उसके लिए कुछ महसूस नहीं करते है !
निधि – ओके तुम परेशान मत हो , ज्यादा सोचोगी तो ज्यादा उलझ जाओगी ! ! अच्छा ये बताओ इस संडे मूवी देखने चलोगी
मीरा – और पढाई ?
निधि – पढाई पढाई पढाई , इसके अलावा भी एक दुनिया है मीरा
मीरा – पर हमने तो वो दुनिया देखी ही नहीं ना
निधि – तो चल ना मैं दिखाती हु , सच्ची बहुत मजा आएगा तुम , मैं , कीर्ति और ऋतू सभी चल रहे है प्लीज़ चलो ना !
मीरा – नहीं चल सकती !
निधि – अच्छा तुमसे एक बात पुछु
मीरा – हम्म्म्म
निधि – तुम हॉस्टल में 2 साल से हो फिर भी तुमने ये शहर नहीं देखा , मतलब तुम हॉस्टल से बाहर कभी नहीं निकली ऐसा क्यों ?
मीरा – माँ ने कसम दी थी !
निधि – कसम ? पर क्यों ? और ऐसी कसम कौन देता है ?
मीरा – हम नहीं जानते पर उन्होंने यहाँ आने के लिए ये शर्त रखी थी हमारे सामने , हमे पढ़ना था इसलिए हमने उनकी बात मान ली ! आज वो हमारे साथ नहीं है लेकिन इस तरह जाकर उनकी कसम नहीं तोड़ सकते !
निधि – अब मैं क्या कहु ? आंटी ने ऐसा क्यों कहा होगा ? तुमने कभी उनसे पूछने की कोशिश नहीं की
मीरा – इसके अलावा ऐसे बहुत से सवाल है निधि जो हम माँ से जानना चाहते थे लेकिन वो सवाल बस सवाल बनकर रह गए ! उनका जवाब हमारे पास नहीं है !
निधि – कोई बात नहीं , तुम नहीं जाना चाहती तो हम तुम्हे फाॅर्स नहीं करेंगे !
मीरा – थैंक्स

दोनों बाते कर ही रही थी की वेटर आर्डर लेकर आ गया ! दोनों ने सेंडविच खायी और जूस पीया ! उसके बाद दोनों घर के लिए निकल गयी ! घर आकर मीरा ने कपडे बदले और कुछ देर के लिए लेट गयी ! निधि के सवाल उसके मन में चलने लगे ! “आखिर क्यों माँ ने उसे शहर घूमने से मना किया ? आखिर क्या रिश्ता रहा होगा उनका इस शहर से ? कुछ सवाल सिर्फ सवाल बनकर रह जाते उनके जवाब क्यों नहीं होते ?”
मीरा उठकर बैठ गयी मुश्किल से वह माँ का ख्याल अपने जहन से निकाल पायी क्योकि वह कमजोर पढ़ना नहीं चाहती थी ! मीरा एक बार फिर लेट गयी आँख लगी तो सारी बाते सारे ख्याल अपने आप जहन से बाहर होते गए !!
शाम को निधि ने कमरे में आकर उसे उठाते हुए कहा,”कितना सोओगी शाम हो चुकी है ! मम्मा को तो टेंशन हो रही थी कही तुम बीमार विमार तो नहीं हो गयी ! चलो निचे चलकर दर्शन दो उन्हें !”
“हम्म्म , वो जरा आँख लग गई थी !”,मीरा ने उबासी लेते हुए कहा
“कोई बात नहीं ! तुम मुंह धो लो मैं तब तक कमरा ठीक कर देती हु !”,निधि ने कहा
“हम्म्म ! आते है”,कहते हुए मीरा उठी और बाथरूम की और बढ़ गयी ! निधि ने कमरा साफ किया और फिर दोनों निचे आ गयी ! मीरा ने सफ़ेद रंग का
बंद कोलर वाला कुरता पहना था और निचे पिले रंग का पटियाला लेकिन इन कपड़ो में भी वह बहुत प्यारी लग रही थी ! जैसे ही निचे आयी राधा ने कहा,”क्या हुआ बेटा तुम दोपहर का खाना खाने निचे नहीं आयी ! तबियत तो ठीक है ना ?”
“वो कॉलेज से आते हुए निधि ने बाहर कुछ खिला दिया था इसलिए भूख नहीं थी , सॉरी आपको बताया नहीं !”,मीरा ने पास बैठते हुए कहा
“कोई बात नहीं ! रात के खाने में क्या खाओगी ?”,राधा ने प्यार से उसका गाल छूकर कहा !
“जो भी आप प्यार से खिला दे !”,मीरा ने मुस्कुरा कर कहा !
इधर उधर की बातो के बाद रात में भी सभी खाने की टेबल पर जमा थे बस अपने अक्षत बाबू ही नरारद थे ! विजय ने देखा तो राधा से कहा,”अक्षत कहा है ?”
“आज तो भाई गया !”,निधि ने अर्जुन के कान में फुसफुसाते हुए कहा !
“पापा के गुस्सा होने से पहले ही वो आ जाएगा”,अर्जुन ने बिना निधि की और देखे कहा
“लगी बेट ?”,निधि ने फिर कहा
“ठीक है लग गयी 500 500 की”,अर्जुन ने कहा !
राधा से कोई जवाब नहीं पाकर विजय ने एक बार फिर कहा,”राधा मैं कुछ पूछ रहा हु !”
“वो , वो आसु वो मैं , बात हुई थी उस से वो बाहर वो मतलब”,राधा ने अटकते हुए कहा
” आज फिर वो बाहर गया है !”,विजय ने घूरते हुए कहा
“नहीं वो !”,राधा कहते कहते रुक गयी !!
“माँ जल्दी से खाना लगाओ बहुत भूख लगी है !”,अक्षत ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा ! अक्षत को वहा देखकर सभी हैरान थे शिवाय अर्जुन के !
“कहा थे तुम ?”,विजय ने कहा !
“माँ ने आपको बताया नहीं , ऊपर था सो रहा था !”,अक्षत ने बिना विजय की और देखे कहा !
“हां यही तो कह रही थी , सो रहा था ऊपर ! आप सब लोग खाना शुरू कीजिये ठंडा हो रहा है !”,कहते हुए राधा भी बैठ गयी ! सभी खाने लगे लेकिन मीरा को शक हो रहा था ! अक्षत ने जल्दी से खाना खाया और उठने लगा तो दादी ने बैठाते हुए कहा,”ये क्या सिर्फ एक रोटी , देख कितना दुबला हो गया चल बैठ और ये दो पराठे और खा ! अक्षत ने जैसे ही ना करने के लिए मुंह खोला विजय ने कहा,”खाओ चुपचाप !” मरता क्या ना करता खाने लगा ! मीरा को कुछ तो गड़बड़ लग रही थी लेकिन वो चुपचाप खाना खाती रही ! अक्षत खाने में इतने नखरे क्यों कर रहा था ? आखिर क्या वजह थी ? ये तो आगे ही पता चलेगा !

क्रमश -: कितनी मोहब्बत है – 5

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