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कितनी मोहब्बत है – 29

Kitni mohabbat hai – 29

“कितनी मोहब्बत है”

By Sanjana Kirodiwal

Kitni mohabbat hai – 29

अक्षत बाहर गाड़ी के पास आया तो शुभ ने कहा,”भाभी कहा है ? कही नजर नहीं आ रही !”
“सो रही है !”,अक्षत ने रुड होकर कहा और गाड़ी का दरवाजा खोला !
“थोड़ा वैट कर लेते है , ऐसे बिना मिले चले जाओगे !”,शुभ ने कहा 
“उसे मिलना होता तो वो ऐसे सो नहीं रही होती , अब चल !”,अक्षत ने थोड़ा गुस्से से कहा ! 
“रुक जाते है , उसे बुरा लगेगा अगर तू ऐसे गया !”,शुभ ने कोशिश की 
“तू चल रहा है या मैं जाऊ !”,अक्षत ने उसे घूरते हुए कहा तो शुभ चुपचाप आकर ड्राइवर सीट पर बैठ गया ! अक्षत भी अंदर आ बैठा और दोनों घर से निकल गए ! घर से स्टेशन आधे घंटे की दूरी पर ही था ! अक्षत को अपसेट देखकर शुभ ने कहा,”अच्छा दिल्ली में कहा रुकेगा तू ?”
– क्यों पूछ रहा है ?
“अरे कभी तुझसे मिलने का मन हुआ तो आऊंगा ना उधर 
– अच्छा तू मिलने आएगा , जिसको आना चाहिए वो तो सो रही है आराम से 
“क्यों सड़ रहा है इतना ? जब उसे पता चलेगा ना तो उसे भी उतना ही बुरा लगेगा जितना तुझे लग रहा है 
– तुझे क्या पता ? मैंने बोला था उसे की सुबह चला जाऊंगा मैं फिर भी नहीं आयी वो , नखरे देखे उसके ( थोड़ा गुस्सा हो जाता है )
“अच्छा चिल कर , ये सब भूलकर अपनी इंटर्नशिप पर ध्यान दे ,, मीरा कही नहीं जाएगी !
– वो कही जा भी नहीं सकती , ना मैं उसे जाने दूंगा हां ठीक है वो गुस्सा दिलाती है मुझे लेकिन समझती भी है ! 
“ये हुई ना बात , अच्छा तूने उसे बताया की नहीं के तू उसे पसंद करता है 
– नहीं 
“हम्म्म्म कोई ना , दिल्ली में रहकर तुझे अहसास होगा वो तेरे लिए क्या है ? उसके बाद वापस आते ही सबसे पहले उसे अपने दिल की बात कह देना 
– बोल दूंगा ! पहले उसके लायक तो बन जाऊ 
“बन जाएगा , मुझे पक्का यकीन है ! 
– अच्छा शुभ सुन 
“हां बोल 
– जब तक मैं वापस नहीं आता घर में किसी को पता नहीं चलना चाहिए की मैं मीरा को चाहता हु , भाई को पता है लेकिन उन्होंने कहा है वो किसी को नहीं बातएंगे ! और मोना उसे तो किसी भी हाल में ये पता नहीं चलना चाहिए , वापस आने के बाद मैं उस से इस बारे में बात कर लुगा !
“तू चिंता मत कर मैं सब सम्हाल लूंगा बस तू अपने ड्रीम पर फोकस कर ! 
– थेंक्स 
“भाई होकर थेंक्स बोलेगा साले !
– अच्छा सुन ना 
“हां बोल !
– बहुत याद आ रही है यार उसकी 
“यु टर्न लू क्या ? (शरारत से मुस्कुराते हुए)
– नहीं रहने दे यार , वापस गया तो घरवाले परेशान होंगे !  स्टेशन चल (कहते हुए सर पीछे सीट से लगा लेता है !)
“वो भी तुझे इतना ही मिस करने वाली है देखना ! 
– हां बिल्कुल करेगी , घर में सबसे परेशान उसे मैं ही करता था पर वो इतनी अच्छी है की कभी शिकायत नहीं करती , मेरा गुस्सा , मेरी डांट , मेरी जिद सब ख़ामोशी से बर्दास्त कर लेती है वो ! 
“यही तो प्यार है ! 
– शायद हां , पर मैं उस जैसा नहीं हु यार मैं अपने आपको बदल नहीं सकता 
“तुझे खुद को बदलने की जरूरत भी नहीं है भाई , जबसे वो तेरी जिंदगी में आई है मुस्कुराने लगा है तू ,, आज जो इतनी बाते कर रहा है वो सब उसकी वजह से ही वरना हमेशा खामोश ही देखा है मैंने तुझे !! मीरा तेरी लाइफ का टर्निंग पॉइंट है और बेस्ट पॉइंट है ये जान ले तू !!
– मैं खुद नहीं जानता ऐसा क्यों हुआ ? बस उसकी बात मानने का दिल करता है !
“यार तू जल्दी से दिल्ली वाला टूर ख़त्म करके आ मुझे तुम दोनों की लव स्टोरी देखनी है (बच्चो की तरह मचल उठता है)
– क्या तू भी ? 
“अरे सच में यार देखना है बस की  तेरी लव स्टोरी कैसी होती है ? तू हॉट मीरा स्वीट रेयर कॉम्बिनेशन है भाई !
– मैं हॉट ? (उसे देखकर पूछता है)
“बिल्कुल साले , कॉलेज की लड़किया ऐसे ही थोड़े फ़िदा है तुझपे , ये सांवला रंग , ये नशीली आँखे , ये बाल और ये तेरे जॉ लाइन्स ,,भाई जहर है जहर 
– भक्क कमीने , लड़कियों से ज्यादा तो तू लाइन मार रहा है (उसे चपत लगा देता है)
“भाई लाइन नहीं मार रहा सच्चाई बता रहा हु , तूने कभी गौर से खुद को देखा नहीं शायद ,, एक बार लड़की देख ले ना तो फ्लेट है !
– बस बस बहुत हो गया , ऐसा है तो मीरा क्यों नहीं हुई ?
“भाई भाभी की बात अलग है ना , अब वो भी सब लड़कियों की तरह पहली नजर में फ्लेट हो जाये तो उसमे और बाकि लड़कियों में क्या फर्क है ?
– हम्म्म पॉइंट है 
“तो जस्ट चिल बेबी तुम्हारे टक्कर की लड़की तुम्हारी जिंदगी में आ चुकी है ! 
– अच्छा बेटा ! पर मैं तुझे भी बहुत मिस करने वाला हु 
“इतना झूठ कबसे बोलने लगा बे तू 
– अरे सच में , तू ही तो है जिसके सामने मैं खुलकर अपने दिल की हर बात कह सकता हु ! (कहते हुए शुभ को हग कर लेता है )
“अबे तू मीरा समझ के तो नहीं चिपक रहा ना मुझसे ? (हसने लगता है )
– चल साले कुछ भी !
तभी गाड़ी का टायर पंचर हो गया और उसे ठीक करते करते आधा घंटा लग गया ! गाड़ी सही हुई उसके बाद दोनों बाते करते हुए स्टेशन पहुंचे ! जैसे ही गाड़ी स्टेशन पर आकर रुकी अक्षत फिर से उदास हो गया शुभ ने देखा तो कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”अबे टेंशन मत ले मैं हु ना यहाँ !
“हम्म्म !”,अक्षत ने कहा और दोनों अंदर आकर टिकट कन्फर्म करने लगे ! टिकट लेकर जैसे ही अक्षत ट्रेन के पास आया हैरानी से उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी ! सामने मीरा खड़ी थी अक्षत को देखते ही वह उसके पास आयी अक्षत का दिल तो बाहर निकलकर नाचने का कर रहा था बड़ी मुश्किल से उसने खुद को सम्हाला और कहा,”तुम यहाँ ?”
“हां वो आप अपना ये जैकेट घर ही भूल आये थे ! हमे लगा रास्ते में जरूरत पड़ेगी इसलिए आपको देने चले आये !”,मीरा ने जैकेट अक्षत की और बढाकर किया ! अक्षत का दिल तो कर रहा था आगे बढकर मीरा को गले लगा ले लेकिन खुद को रोक लिया और कहा,”तुम परेशान हुई , दिल्ली जाकर मैं और खरीद लेता !”
“निधि ने बताया ये आपका फेवरेट जैकेट है , और फेवरेट चीजों के बिना रहना बहुत बोरिंग होता है ! वैसे भी आप ऐसे जाते तो ठंड लगती , ठण्ड लगती तो जुखाम होता , आप बीमार हो जाते , बीमार होते तो आप पढाई में ध्यान नहीं लगा पाते इसलिए आना पड़ा !”,मीरा मासूमियत से बोलती चली गयी ! उसे देखकर अक्षत मुस्कुराने लगा और आगे बढ़कर उसे गले लगाते हुए कहा,”इतनी परवाह भी मत करो मेरी , मैं जा नहीं पाऊंगा !”
जैसे ही अक्षत ने मीरा को गले लगाया उसका दिल तेजी से धड़क रहा था ! उसने देखा स्टेशन पर खड़े लोग उसे और अक्षत को ही देख रहे है ! उसने धीरे से कहा,”सब देख रहे है !”
अक्षत दूर हुआ और कहा,”सॉरी वो मैं , मुझे अच्छा लगा तुम यहाँ आयी !”
“आना पड़ा , सुबह आपसे मिल नहीं पाए थे लगा आप गुस्सा होंगे , इसलिए चले आये !”,मीरा ने पलके झुकाकर कहा अक्षत के छूने का अहसास वो अभी भी महसूस कर रही थी ! अक्षत सामने खड़ा बस प्यार से उसे देखता रहा तभी शुभ आया और कहा,”भाई , 4TH डिब्बे में 2nd नंबर की सीट है !”
तभी उसकी नजर सामने खड़ी मीरा पर गयी तो उसने हैरानी से कहा,”अरे भा    मेरा मतलब आप कब आयी ?”
बोलना तो वह भाभी चाहता था लेकिन अपनी जबान सम्हाल ली मीरा कहती इस से पहले ही अक्षत बोल उठा,”जैकेट देने आयी थी !”    
“क्या बात है ? चलो जानकर ख़ुशी हुई की हमारे अक्षत भाईसाहब की परवाह करने वाला भी कोई है !”,शुभ ने छेड़ते हुए कहा तो मीरा झेंपकर दूसरी और देखने लगी ! अक्षत ने अपना पांव शुभ के पांव पर मारा और वहा से जाने का इशारा किया तभी शुभ ने कहा,”अच्छा ट्रेन अभी 10 मिनिट लेट है मैं सबके लिए चाय ले आता हु !”
शुभ वहा से चला गया ! अक्षत और मीरा फिर से अकेले थे लेकिन बोले क्या दोनों को ही नहीं पता था बस खमोशी से नजरे बचाते हुए एक दूसरे को देख लेते ! कुछ देर बाद अक्षत ने कहा,”मीरा ! 
– जी 
“किसी चीज की जरूरत हो या कोई भी काम हो तो शुभ से कह देना वो कर देगा !”
– हम्म्म्म 
“और एग्जाम्स में ज्यादा टेंशन मत लेना 
– हम्म्म्म 
“अर्जुन भैया से कहना वो नोट्स दे देंगे 
– हम्म्म्म 
“तुम भी कुछ बोलो ना 
– चाय ! 
“क्या ? (हैरानी से !)
– वो चाय ले आये है !
अक्षत ने अपने साइड में देखा तो शुभ चाय के ग्लास हाथ में लिए मुस्कुरा रहा था ! 
अक्षत मन ही मन शुभ को कोसने लगा ! शुभ ने दोनों को चाय दी तीनो वहा खड़े चाय पिने लगे ! ट्रेन ने हार्न दिया तो शुभ ने उसके गले लगते हुए कहा,”चल भाई , ख्याल रखना अपना ! और हां फोन कर देना पहुँच कर”
“हां , तू भी अपना ख्याल रखना !”,अक्षत ने कहा और मीरा की और पलटकर कहा,”जाऊ !”
“हम्म्म्म !”,मीरा ने धीरे से उदास होकर कहा ! 
अक्षत ट्रेन की और बढ़ गया , डिब्बे में जाकर उसने अपना सामान रखा और दरवाजे पर आकर मीरा और शुभ को देखने लगा ! उसके चेहरे पर उदासी घिर आयी आज से पहले उसे ऐसा कभी ना लगा था ! प्यार दोनों तरफ था बस इजहार नहीं था ! ट्रेन चल पड़ी मीरा ने अपना हाथ उठाकर अक्षत को अलविदा कहा वो तब तक अपना हाथ हिलाती रही जब तक अक्षत उसकी आँखों से ओझल नहीं हो गया ! अक्षत की आँखों में नमी उतर आयी जिसे छुपाने के लिए वह दरवाजे से हट गया ! अंदर आकर उसने आँखों के किनारे साफ किये और अपनी सीट पर बैठ गया ! खिड़की के पास बैठा वह बाहर छूटते अपने शहर को देख रहा था ! उसने जेब से फोन निकाला , कानो में ईयर फोन लगाए और गाना ऑन करके आँखे मूंद कर सर पीछे लगा लिया ! गाने के शब्दों में अक्षत मीरा का चेहरा ढूंढने लगा और ट्रेन अपनी रफ़्तार से चलती रही ! 
“पल एक पल में ही थम सा गया
तू हाथ में हाथ जो दे गया
चलूँ मैं जहां जाए तू
दाएं मैं तेरे, बाएं तू
हूँ रुत मैं, हवाएं तू साथिया
हंसू मैं जब गाए तू
रोऊँ मैं मुरझाए तू
भीगूँ मैं बरसाए तू साथिया !!
एक मांगे अगर सौ ख़ाब दूं
तू रहे खुश, मैं आबाद हूँ
तू सबसे जुदा-जुदा सा है
तू अपनी तरह-तरह सा है
मुझे लगता नहीं है तू दूसरा
पल एक पल में ही थम सा गया
तू हाथ में हाथ जो दे गया
चलूँ मैं जहां जाए तू
दाएं मैं तेरे, बाएं तू
हूँ रुत मैं, हवाएं तू साथिया !! 

अक्षत के जाते ही मीरा का चेहरा उदासी से घिर गया ! शुभ उसके पास आया और कहा,”देखना दो दिन भी नहीं रुकेगा वो दिल्ली में , सबकी याद आएगी ना तो बैग उठा के चला आएगा !”
शुभ की इस बात से मीरा मुस्कुरा दी तो शुभ ने कहा,”चलो आपको घर छोड़ देता हु !”
“हम्म्म्म !”,मीरा ने कहा और शुभ के साथ स्टेशन से बाहर आ गयी ! शुभ ने उसके लिए दरवाजा खोला और खुद आकर ड्राइवर सीट पर बैठ गया ! शुभ ने गाड़ी स्टार्ट की और घर के लिए निकल गए ! मीरा को चुप देखकर शुभ ने कहा,”आपसे एक बात पूछे ?”
– जी 
“आप उस दिन इतना गुस्से में क्यों थी ?”
– कब ?
“जब पहली बार मैं आपसे मिला था , अक्षत के घर 
– अच्छा वो , वो हम जल्दी में थे और आप सामने से टकरा गए तो थोड़ा गुस्सा आ गया 
“मैं तो डर ही गया था , बाप रे इतना गुस्सा !”
– हमे कभी गुस्सा नहीं आता वो तो अक्षत जी ही बार बार परेशान करके गुस्सा दिलाते रहते है 
“वो ऐसा नहीं है मीरा जी , हम दोनों बचपन से साथ है उसे मैंने कभी ज्यादा बोलते नहीं सूना , बहुत कम बोलता है उसे समझ पाना हर किसी के बस की बात नहीं , उसके दिमाग में किस वक्त क्या चल रहा होता है कोई जान नहीं सकता !
– हां थोड़े अलग है जरूर है पर समझना इतना भी मुश्किल नहीं है उन्हें 
“अच्छा क्या करती हो आप ?”
– बी.ए. फाइनल में है , एग्जाम्स है उसके बाद आगे की पढाई करेंगे 
“ग्रेट , मैं तो कल से पापा का ऑफिस ज्वाइन करने वाला हु ! मुझसे नहीं होती ये पढाई वढाई 
– हम्म , सबकी अलग अलग सोच होती है ! 
“जैसे हमारे अक्षत की , उसके पास सब है लेकिन उसे तो एडवोकेट बनना है !
– वो अपनी जगह सही है , हर इंसान की अपनी एक अलग पहचान होनी जरुरी है ,, माँ बाप के नाम से तो हमे सब जानते है पर कितना अच्छा लगता है जब हमारे नाम के आगे हमारी पहचान जुड़ती है 
“जैसे की”
– जैसे की एडवोकेट , डॉक्टर , इंजीनियर , साइंटिस्ट , और भी बहुत ओहदे है 
“अरे वाह ये तो कमाल की बात कही तुमने 
– अक्षत जी ने अच्छा फैसला किया है , अपने सपनो के बिच उन्होंने अंकल की दी अच्छी जिंदगी को आने नहीं दिया , वो मेहनत करना चाहते है , नाम कमाना चाहते है देखियेगा उनकी मेहनत एक दिन जरूर रंग लाएगी !
“यार आप बड़ी अच्छी बाते करते हो (खुश होकर)
– ऐसे ही है हम , जिसके साथ सहज होते है ऐसी बाते कर लेते है (मुस्कुरा उठती है)
“फिर तो मुझे आपसे रोज मिलना पडेगा , मुझे ऐसे मोटिवेशन की बहुत जरूरत है 
– अरे हम मोटिवेट नहीं कर रहे है 
“डरो मत यार तुम चाहो तो मुझे अपना छोटा भाई मानकर ये सब बाते कह सकती हो , मैं माइंड नहीं करूंगा 
– आप बहुत अच्छे है शुभ , आपके साथ बात करके लग नहीं रहा की हम पहली बार मिले है 
“हां इस से पहले मिल चुके है बहुत बार , गुस्से में 
– उसके लिए हम माफ़ी चाहते है (धीरे से)
“अरे बाबा मजाक कर रहा हु ! (हसने लगता है)
– फिर ठीक है ! आपके घर में कौन कौन है ?
“चलो मिलवा देता हु , पास में ही है मेरा घर 
– इतनी सुबह सुबह 
“हां , बहने इतनी सुबह सुबह घर आ सकती है !
– हम फिर कभी आएंगे , अभी घर चलते है 
“हां , जब आपका मन हो आप आ सकती है ! अपना घर समझ कर !!

शुभ रास्ते भर मीरा को कुछ ना कुछ बताता रहा वह ऐसा जानबूझकर कर रहा था ताकि मीरा अक्षत के बारे में सोचकर फिर से उदास ना हो जाये ! मीरा भी खुश थी की उसे शुभ जैसा भाई मिला जो उसकी इतनी इज्जत करता है ! मीरा को घर छोड़कर शुभ अपने घर चला गया ! मीरा अंदर आयी तो उसका मन फिर उदासी से घिर गया घर में सब थे बस नहीं था तो अक्षत !! उसकी आँखे घर के हर कोने में उसकी मौजूदगी महसूस कर रही थी ! मीरा ने महसूस किया की ये एक महीना बहुत मुश्किल से निकलने वाला है ! वह चुपचाप अपने कमरे में चली आयी निधि बाहर थी इसलिए मीरा ने दरवाजा अंदर से बंद किया और शीशे के सामने आकर खड़ी हो गयी जब शीशे में खुद को देखा तो पाया उसकी आँखों में अक्षत के लिए असीम प्यार समाया हुआ था और फिर वह उसकी आँखों से आंसू बनकर बह गया ! उसे लगा जैसे अक्षत के साथ साथ उसकी सांसे भी चली गयी !!  
ट्रैन अगले स्टेशन पर आकर रुकी जिससे अक्षत की तन्द्रा टूटी l वह उठा और फोन जेब में रखकर दरवाजे पर आया ट्रैन से नीचे उतरा और दुकानवाले से पानी की बोतल लेकर पानी पिया l उसे मीरा की बहुत याद आ रही थी लेकिन उसके पास तो उसका फोन नम्बर तक नही था l अक्षत ने चाय ऑर्डर की चाय पी तो महसूस किया कि मीरा के हाथ की बनी चाय के आगे ये सब फीका था , उसने आधी पीकर ही कप डस्टबिन में डाल दिया मन बैचैन होने लगा तो उसने सिगरेट जला ली और पीने लगा l बस एक यही थी जिसे अक्षत छोड़ नही पा रहा था ट्रैन ने हार्न दिया जैसे ही चलने को हुई अक्षत ट्रैन में चढ़ गया l दरवाजे पर ही खड़ा वह पीछे छूटता स्टेशन देखता रहा कुछ देर बाद जैसे ही जाने के लिए मुड़ा उसने देखा एक 23-24 साल की लड़की स्टेशन पर ट्रैन के साथ साथ दौड़ रही थी , अक्षत रुक गया लड़की भागते हुए उसके गेट के सामने आयी और अपना हाथ देकर अक्षत से मदद मांगी l ट्रेन की स्पीड धीरे थी लेकिन लड़की को भागना पड़ रहा था अक्षत ने उसकी मदद करने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा दिया लड़की ने अक्षत का हाथ थामा और ट्रेन में चढ़ गई l ट्रैन ने स्पीड पकड़ ली , भागने की वजह से लड़की हांफ रही थी उसने अपनी सांसो को सामान्य करते हुए कहा,”थैंक्यू यार तुमने मेरी ट्रेन छूटने से बचा ली , मेरा ये ट्रैन पकड़ना बहुत जरुरी था l 
“इट्स ओके !’,कहकर अक्षत अंदर जाने लगा तो लड़की ने अपना हाथ अक्षत की और बढाकर कहा,”हाय आई ऍम इशिका सोनी एंड यू “
अक्षत ने अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा,”नमस्ते मेरा नाम अक्षत व्यास है” 
“व्हाट अ एटीट्यूड यार”,लड़की ने मन ही मन कहा और अपना हाथ वापस खिंच लिया अक्षत जाने को हुआ तो लड़की ने कहा,”क्या मैं तुम्हारी एक तस्वीर ले सकती हूं” 
“व्हाई ?”,अक्षत ने हैरानी से कहा 
“वो क्या है ना मदद करने वालो को मैं हमेशा याद रखती हूं”,कहते हुए लड़की ने बिना अक्षत की परमिशन के उसकी तस्वीर ले ली l अक्षत वहा से चला गया और वापस आकर अपनी सीट पर बैठ गया l उसके दिमाग में सिर्फ और सिर्फ मीरा का ख्याल चल रहा था l तभी उसके फोन पर एक नोटिफिकेशन आया अक्षत ने ओपन किया तो मुस्कुरा उठा मेसेज अर्जुन का था उसने अक्षत को रात वाली फोटो भेजी जिसमे अक्षत और मीरा साथ साथ थे और नीचे लिखा था 
‘i know miss कर रहा होगा तू इसे !’
जवाब में अक्षत ने लिखकर भेज दिया – हा बहुत ज्यादा एंड लव यू फॉर देट पिक” 
“मिस यू टू , जल्दी आना पापा से तुम दोनों के रिश्ते की बात भी करनी है”,अर्जुन ने मेसेज भेजा और ऑफलाइन हो गया l अक्षत तस्वीर को देखकर अपना मन बहलाने लगा पर ट्रैन के उस डिब्बे में कोई और भी थी जो उसे देखकर अपना मन बहला रही थी !!!

मीरा उदास सी अपने कमरे में बैठी थी दोपहर में वह जब खाना खाने नीचे नही आयी तो राधा ऊपर उसके कमरे में आयी ! मीरा बिस्तर पर बैठी थी उसका मुंह बालकनी की और था राधा आकार उसके बगल में बैठ गयी और कहा,”क्या हुआ ? अक्षत की याद आ रही है ?” 
राधा के मुंह से अक्षत का नाम सुनकर मीरा घबरा गई और हैरानी से राधा की और देखने लगी तो राधा ने मुस्कुराते हुए कहा,”तुम दोनों को क्या लगता है मुझे कुछ पता नही है , सब दीखता है बस मैं कुछ कहती नही l” 
“क्या पता है आंटी ?”,मीरा ने डरते डरते कहा 
“यही की तुम और अक्षत दोनों बहुत अच्छे दोस्त हो और आज जब वो यहाँ नहीं है तो तुम उसे मिस कर रही हो”,राधा ने कहां 
मीरा ने सुना तो उसे थोड़ी तसल्ली मिली उसने धीरे से कहा,”ऐसी बात नही है आंटी ” 
“ह्म्म्म ऐसा ही है वो पहले अपनी आदत डाल देता है और फिर अचानक से दूर चला जाता है , पर वो जल्दी आयेगा”,राधा ने प्यार से मीरा के गाल को छूकर कहा 
“ह्म्म्म !”,मीरा ने कहा 
“नीचे चलकर खाना खा लो , फिर हम घूमने बाहर चलेंगे”,राधा ने उठते हुए कहा तो मीरा उनके साथ नीचे चली आयी l डायनिंग की जिस कुर्सी पर अक्षत बैठता था वो आज खाली थी जिसे देखकर मीरा एक बार फिर उदासी से घिर गई राधा ने उसे बैठने को कहा और उसके लिए खाना लगा दिया l मुश्किल से खाना मीरा के गले से नीचे उतरा l खाना खाकर वह राधा के साथ पास ही के बगीचे में चली गयी वहा जाकर कुछ वक्त के लिए वह सब भूल गयी और बच्चों के साथ वक्त गुजारा l

देर रात ट्रेन स्टेशन पर रुकी अक्षत का सब्र अब जवाब दे चुका था वह उठा गाड़ी से उतरा l देखा स्टेशन पर इक्का दुक्का लोग है वो भी ठण्ड में सिकुड़े हुए यहाँ वहा बैठे है ट्रैन किसी वजह से आधा घंटे वही रुकने वाली थी अक्षत पास पड़ी एक खाली बेंच पर आ बैठा l उसने जेब से फोन निकाला और घर का नम्बर लगाया दो रिंग के बाद राधा ने फोन उठाया तो अक्षत ने उनसे कुछ देर बात की तभी विजय आ गए उन्होंने बात की l फोन रख दिया अक्षत जिस आवाज को सुनना चाहता था वह तो वह सुन ही नही पाया था l उसने कुछ देर बाद फिर से फोन लगाया इस बार फोन दादाजी ने उठाया लेकिन उनकी आवाज सुनकर अक्षत ने फोन रख दिया l कुछ देर बाद कांपती उंगलियों से फिर से फोन लगाया इस बार फोन मीरा ने उठाया था दरअसल मीरा किसी काम से नीचे आयी थी और फोन के पास से गुजर रही थी तो उसने उठाकर कहा,”हैल्लो !! 
अक्षत का दिल वही थम गया वह कुछ बोल ही नही पाया पुरे 16 घंटे बाद वह मीरा की आवाज सुन रहा था l वह आवाज जिसकी उसे आदत हो चुकी थी l 
“हैल्लो , कौन बात कर रहा है ?”,मीरा ने बहुत नम्रता से कहा 
अक्षत का दिल भर आया वह बोलना चाहता था लेकिन बोल नहीं पाया उसकी आँखों में आंसू भर आये जिन्हें रोकने के लिए उसने एक ठंडी साँस ली ! दूसरी तरफ से आवाज आई ,”अक्षत जी !! 
अक्षत ने मीरा के मुंह से अपना नाम सुना तो दर्द में भी मुस्कुरा उठा मीरा उसकी आवाज से उसका हाल ना जान ले सोचकर उसने फोन काट दिया और अपना हाथ अपने होंठो पर लगा लिया अक्षत ने मीरा की तस्वीर देखते हुए कहा,”जो मेरी सांसो से मुझे पहचान सकती है वो लड़की कितना समझती होगी मुझे”

क्रमशः – kitni-mohabbat-hai-30

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संजना किरोड़ीवाल

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