Sanjana Kirodiwal

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हाँ ये मोहब्बत है – 18

Haan Ye Mohabbat Hai – 18

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

अखिलेश मीरा को लेकर हॉस्पिटल आया। अक्षत के लिये अखिलेश की नफरत और गुस्सा साफ देखा जा सकता था। अखिलेश इमरजेंसी गेट के सामने पड़ी बेंच पर आकर बैठ गया और मीरा के बारे में सोचने लगा। आज से नहीं बल्कि जब से अखिलेश ने मीरा को पहली बार देखा था तभी से वह उसका दीवाना हो चूका था। अखिलेश हर हाल में मीरा को अपना बनाना चाहता था इसलिए उसके चाइल्ड होम को ज्वाइन किया और वहा का मैनेजर बन मीरा का विश्वास जीत लिया। चाइल्ड होम में मीरा सबसे ज्यादा भरोसा भी अखिलेश पर करती थी।

मीरा शादीशुदा है ये जानते हुए भी अखिलेश की भावनाओ में कभी कोई फर्क नहीं आया बल्कि दिन ब दिन मीरा के लिये उसकी मोहब्बत बढ़ती रही। अखिलेश मीरा के आस पास किसी को देखना नहीं चाहता था और यही वजह थी कि वह अक्षत को भी पसंद नहीं करता था। अखिलेश का मानना था अक्षत मीरा की परवाह नहीं करता है और वह खुद मीरा का ख्याल अक्षत से ज्यादा अच्छे से रख सकता है।

अखिलेश अपने ख्यालों में कही खोया हुआ था कि तभी नर्स की आवाज उसके कानो में पड़ी,”सुनिए ! क्या आप मीरा के साथ है ?”
“जी जी हां”,अखिलेश ने जल्दी से उठते हुए कहा
“ये कुछ दवाईया है , मेडिकल से ये ले आईये”,कहकर नर्स ने अखिलेश की दवा की पर्ची पकड़ाई और वापस अंदर चली गयी। अखिलेश ने पर्ची ली और दवा लेने चला गया। अखिलेश दवा लेकर जैसे ही इमरजेंसी की तरफ जाने लगा उसकी नजर दरवाजे से अंदर आती सौंदर्या पर पड़ी जिनके साथ एक आदमी भी था।

अखिलेश वही रुक गया सौंदर्या उसके पास चली आयी और घबराहट भरे स्वर मे कहा,”मीरा कहा है ? कहा है मीरा ? क्या हुआ है उसे ? उसे हॉस्पिटल क्यों लाया गया है ? मुझे अपनी बेटी से मिलना है मुझे बताओ वो कहा है ?”
कहते हुए उन्होंने अखिलेश की कोलर पकड़ ली और ऐसे दिखाने लगी जैसे मीरा को यहाँ देखकर उन्हें बहुत तकलीफ हो रही हो।

सौंदर्या के साथ विवान सिंह भी वहा मौजूद थे उन्होंने सौंदर्या को सम्हाला और अखिलेश से कहा,”घर पर हॉस्पिटल से फोन गया था कि मीरा हॉस्पिटल में है , वो ठीक है ना , क्या हुआ है उसे ?”
“मीरा मैडम मुझे चौराहे वाली रोड पर मिली उन को अचानक से चक्कर आ गया था और वो गिर पड़ी , मैं उन्हें हॉस्पिटल ले आया। आपको किसने बताया कि मीरा मैडम यहाँ है ?”,अखिलेश ने थोड़ा हैरानी से पूछा
“मैंने,,,,,,,,,,,!!”,एक दमदार आवाज सबके कानो में पड़ी तो सबने पलटकर देखा।

सफ़ेद कोट पहने , गले में स्टेथोस्कोप डाले डॉक्टर खड़ा था। सौंदर्या ने सूना
तो वह डॉक्टर के पास आयी और घबराये हुए स्वर में कहा,”डॉक्टर मीरा कहा है ? वो ठीक तो है ना ? मुझे उस से मिलना है , एक बार उसे देख लू तो मुझे तसल्ली हो जाएगी वो ठीक है।”
सौंदर्या की घबराहट और जल्दबाजी देखकर डॉक्टर ने कहा,”रिलेक्स ! मीरा अभी खतरे से बाहर है। बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेने की वजह से उसे चक्कर आ गया था और उसका ब्लड प्रेशर भी काफी लो हो गया था,,,,,,,,,!!”


डॉक्टर इतना ही कह पाया कि तभी नर्स की आवाज उन सबके कानों में पड़ी जो की अखिलेश से कह रही थी,”तुम से मैंने दवा लेकर आने को कहा था और तुम वहा खड़े हो। दवा कहा है ?”
“ये ये रही लीजिये,,,,,,!!”,अखिलेश भागकर नर्स के पास गया और उसे दवा देते हुए कहा। नर्स दवा लेकर चली गयी और अखिलेश एक बार फिर डॉक्टर की तरफ आया। अखिलेश अभी भी सोच रहा था कि डॉक्टर ने मीरा के बारे में उसके घरवालों को कैसे बताया क्या वह मीरा को पहले से जानता था ?

उस से जब रहा नहीं गया तो उसने पूछ ही लिया,”आप मीरा मैडम को कैसे जानते है ?”
“व्हाट ? अरे भई मैं व्यास हॉउस में फॅमिली डॉक्टर हूँ , महीने में एक बार मीरा जी अपने दादाजी को लेकर यहाँ आती रहती है , हाँ ! जब से उनकी बेटी के साथ हादसा हुआ है तब से वो यहाँ नहीं आयी है पर आज जब उन्हें यहाँ देखा तो पाया वो अकेली है इसलिए मैंने अक्षत व्यास को फोन लगाया लेकिन उनका फोन नहीं लगा। उ

सके बाद मैंने अमर जी के यहाँ फोन किया और इन्हे मीरा के बारे में जानकारी दी,,,,,,,,,,,,,,!!”,डॉक्टर ने पूरी कहानी एक साँस में कह सुनाई
“हम्म्म,,,,,,,!!”,अखिलेश ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा और फिर मन ही मन डॉक्टर को गालिया देने लगा और बड़बड़ाया,”मनहूस डॉक्टर , आज मैं मीरा मैडम की नजर में हीरो बन जाता लेकिन इस भुआ को बुलाकर तुमने मेरे पुरे प्लान पर पानी फेर दिया।”


“चिंता मत कीजिये मीरा अभी ठीक है , बस कुछ ड्रिप्स लगी है वो खत्म हो जाये उसके 2-3 घंटे बाद आप उसे घर ले जा सकती है।”,कहकर डॉक्टर वहा से चला गया
“जी डॉक्टर ! थैंक्यू !”,विवान सिंह ने कहा
“ए ! तुम वो मीरा के चाइल्ड होम वाले मैनेजर हो ना ?”,डॉक्टर के जाने के बाद सौंदर्या ने अखिलेश से पूछा लेकिन अखिलेश कही खोया हुआ था


“ए ! मैं तुम से बात कर रही हूँ। ध्यान कहा है तुम्हारा ?”,सौंदर्या ने उसकी बाँह हिलाकर कहा तो अखिलेश अपने ख्यालों से बाहर आया और कहा,”जी , जी हाँ”
“ठीक है अभी हम लोग आ गए है , मीरा के पास मैं हूँ तुम चाइल्ड होम चले जाओ”,सौंदर्या ने बेरुखी से कहा
“लेकिन मीरा मैडम,,,,,,,,,,,,,,,!!”,


अखिलेश ने कहा लेकिन सौंदर्या ने उसकी बात पूरी ही नहीं होने दी और कहा,”तुमने सूना नहीं डॉक्टर ने क्या कहा था , मीरा अब ठीक है और उसका ख्याल रखने के लिये उसकी माँ यहाँ है। तुम्हारी यहाँ कोई जरूरत नहीं है इसलिए तुम चाइल्ड होम जाओ,,,,,,,,,,,,,,!!”
“एक बार उन से मिल लेता तो,,,,,,,!!”,अखिलेश ने मिमियाते हुए कहा और इस बार भी वह अपनी बात पूरी नहीं कर पाया कि सौंदर्या ने कहा,”अभी मीरा इस हाल में नहीं है कि तुम उस से मिलो , अब जाओ यहाँ से,,,,आईये भाईसाहब ,,,,,,,,,,!!”


कहकर सौंदर्या वहा से बेंच की तरफ बढ़ गयी और विवान सिंह भी उसके साथ चल पड़े। निराश होकर अखिलेश को भी वहा से जाना पड़ा। वह चाइल्ड होम से क्या सोचकर आया था और क्या ही हो गया ? मीरा के बारे में सोचते हुए अखिलेश गेट की तरफ जा ही रहा था कि तभी सौंदर्या की आवाज उसके कानो में पड़ी
अखिलेश पलटा तो सौंदर्या उसके पास आयी और कहा,”सुनो ! मीरा की तबियत ज्यादा अच्छी नहीं है वो काफी परेशान है इसलिए ये चाइल्ड होम के छोटे मोटे कामो को लेकर उससे मिलना बंद करो।

आज से चाइल्ड होम के लिये मीरा से मिलने की जरूरत नहीं है , उन्हें तुम खुद भी हैंडल कर सकते हो,,,,,,,,,,,,,तुम समझ रहे हो न मैं क्या कह रही हूँ ?”
“जी मैडम मैं ख्याल रखूंगा”,कहकर अखिलेश मुंह लटकाकर वहा से चला गया
सौंदर्या भी वापस विवान सिंह की तरफ चली आयी। सौंदर्या उनके बगल में आकर बैठी तो विवान सिंह ने पूछा,”ये लड़का कौन था सौंदर्या ?”


“मीरा के चाइल्ड होम में मैनेजर है , जब देखो तब मीरा के आस पास मंडराता रहता है। मीरा को तो आदत है सड़क की धूल को भी चंदन समझ सर से लगा लेती है।”,सौंदर्या ने मुंह बनाते हुए कहा
विवान सिंह कुछ देर खामोश रहे और फिर कहा,”ये लड़का हमारे काम आ सकता है।”
सौंदर्या ने सूना तो हैरानी से विवान सिंह की तरफ देखा और कहा,”क्या मतलब ?”


विवान सिंह ने सौंदर्या की आँखों में देखते हुए कहा,”मुझे पूरा यकीन है सौंदर्या अक्षत मीरा को दूर करने में ये लड़का एक बड़ी भूमिका निभाने वाला है।”
“नहीं भाईसाहब ! ये मीरा का सबसे वफादार है ये मीरा को कभी चोट नहीं पहुंचाएगा”,सौंदर्या ने हताश होकर कहा
विवान सिंह हल्का सा मुस्कुराया और सामने देखते देखते हुए कहा,”तुम भूल रही हो सौंदर्या ये कलयुग है , जो जितना वफादार होता है उतनी ही बड़ी चोट करता है।”


सौंदर्या ने कुछ नहीं कहा और एमर्जेन्सी गेट की तरफ देखने लगी। कुछ देर बाद नर्स ने आकर उन्हें मीरा से मिलने को कहा और दोनों उठकर अंदर चले गए।
अर्चना के घर आने की वजह से सिंघानिया जी काफी परेशान थे साथ ही उन्हें विक्की की भी चिंता हो रही थी। कोर्ट ने विक्की को 6 महीने की सजा सुनाई थी और अभी तो उसकी सजा शुरू हुई थी। आने वाले 6 महीने कैसे गुजरने वाले थे ये सिंघानिया जी भी नहीं जानते थे।

उनकी कम्पनी का दिवाला निकल चुका था और वह कम्पनी लगभग बंद होने के कगार पर थी लेकिन सिंघानिया जी ने विक्की के लिये इतना कमाकर छोड़ दिया था कि उनके बाद उनके बेटे को किसी तरह की दिक्कत ना हो। शाम के समय में सिंघानिया जी अपने घर के शराबखाने में बैठकर शराब पी रहे थे कि तभी घर की बेल बजी। इस वक्त कौन हो सकता है सोचकर सिंघानिया जी ने हाथ में पकड़ा शराब का गिलास टेबल पर रख दिया और घर के नौकर से पूछा,”विभु कौन आया है ?”


“विक्की बाबा के दोस्त आये है मालिक”,दरवाजे पर खड़े नौकर ने हाथ बांधकर कहा
“नमस्ते अंकल,,,,,!!”,विक्की के दोस्त कुमार ने अंदर आते हुए कहा
“कुमार तुम ? तुम यहाँ क्यों आये हो ?”,सिंघानिया जी ने कुमार को देख अपना शराब से भरा गिलास वापस उठाते हुए कहा
विभु वहा से चला गया। कुमार अंदर आया और सिंघानिया जी के हाथ से गिलास लेकर रखते हुए कहा,”ये आप क्या कर रहे है अंकल ,, इतनी शराब पिएंगे तो बीमार पड़ जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,!!”


“मेरे पास और करने को है ही क्या कुमार ? मेरी कम्पनी बंद हो गयी , मेरा बेटा,,,,,,,,,विक्की , जेल में है एक मेरा वफादार था रॉबिन उसे भी मैंने,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए सिंघानिया जी फफक कर रो पड़े।
कुमार ने उन्हें रोने दिया , क्योकि सिंघानिया जी का हाल वह समझ सकता था। विक्की के जेल जाने का दुःख उसे भी था। विक्की उसका सबसे अच्छा दोस्त था और आज वह जेल में था लेकिन कुमार चाहकर भी उसके लिये कुछ नहीं कर पाया। ये बात कुमार को अंदर ही अंदर बहुत तकलीफ पहुंचा रही थी।

कुमार ने सिंघानिया जी के हाथ पर अपना हाथ रखकर उन्हें दिलासा देते हुए कहा,”परेशान मत होईये अंकल सब ठीक हो जाएगा , विक्की जल्दी वापस आ जाएगा,,,,,,और मैं भी आपके बेटे जैसा ही हूँ आपको जब भी कोई जरूरत हो आप मुझसे कह सकते है।”
“हम्म्म,,,,,,,,,,,थैंक्यू कुमार ! काश के विक्की ने छवि के साथ ये सब ना किया होता तो आज हम सब इन हालातों में नहीं होते,,,,,,,,,,,,,!”,सिंघानिया जी ने अपनी आँखों के किनारे साफ करते हुए कहा


कुमार ने सूना तो सिंघानिया जी की तरफ देखा और हैरानी से कहा,”सीरियसली अंकल ? क्या आपको भी यही लगता है कि विक्की ने ये रेप,,,,,,,,,,,,,,अंकल विक्की सब कर सकता है लेकिन किसी लड़की की इज्जत से,,,,,,,,,,,,,,सबकी तरह आपको भी ग़लतफ़हमी हुई है ! कोई कुछ भी कहे लेकिन मैं नहीं मान सकता कि विक्की ने छवि के साथ ये सब किया है। हाँ मानता हूँ विक्की छवि को पसंद नहीं करता था और उसे सबक सिखाना चाहता था लेकिन उसे सबक सिखाने के लिये विक्की इतना नहीं गिर सकता”


कुमार की बात सुनकर सिंघानिया जी को अदालत की याद आयी जहा विक्की बार बार अपने स्टेटमेंट में एक ही बात कहता था कि उसने छवि का रेप नहीं किया। सिंघानिया जी ने कुमार की तरफ देखा और कहा,”तुम ये बात इतने विश्वास के साथ कैसे कह सकते हो ?”
“क्योकि मैं विक्की को बचपन से जानता हूँ अंकल और आई थिंक आपसे भी ज्यादा वक्त मैंने विक्की के साथ बिताया है। विक्की पार्टी करता था , क्लब जाता था , उसके ग्रुप में लड़किया भी होती थी लेकिन विक्की हमेशा अपनी हद में रहता था उसने कभी अपनी लिमिट्स क्रॉस नहीं की ,

यहाँ तक कितनी ही लड़कियों ने उसे प्रपोज किया लेकिन उसने किसी को भाव नहीं दिया वह बस अपनी लाइफ एन्जॉय करना चाहता था। आखरी बार जब मैं विक्की से मिला था तब मैंने उसे रोका भी था लेकिन उसने मेरी बात नहीं सुनी ,, वो जब से उस आदमी से मिला था बिजी रहने लगा था।”,आखिर लाइन कुमार ने खोये हुए स्वर में कही
“कौन आदमी ?”,सिंघानिया जी ने पूछा


“वो विक्की को क्लब में मिला था , उसने विक्की से कुछ बाते की और उसे अपना कार्ड दिया था मैंने जब विक्की से पूछा तो उसने मुझे इन सब से दूर रहने को कहा और उसके बाद मैं कुछ दिन शहर से बाहर अपने अंकल के यहाँ चला गया लेकिन जब वापस आया तो पता चला विक्की,,,,,,,,,,,,,,,अंकल हो ना हो ये सब में कही न कही उस आदमी का ही हाथ है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कुमार ने अपने दिमाग पर जोर डालते हुए कहा
“लेकिन वो विक्की से क्या चाहता है ? विक्की से उसकी क्या दुश्मनी हो सकती है ?”,सिंघानिया जी ने चिंतित स्वर में कहा  


“अंकल विक्की नहीं हो सकता है उसकी दुश्मनी आपसे हो और उसका बदला वो विक्की से लेना चाहता हो”,कुमार ने गंभीरता से कहा जिस के बाद सिंघानिया जी सोच में पड़ गए उनकी आँखों के सामने वो हर घटना एक एक करके आने लगी जिस से उनके दुश्मन बढ़ने की गुंजाइश हो। कुमार कुछ देर वहा रुका और सिंघानिया जो को अपना ख्याल रखने का कहकर वहा से चला गया।

भोपाल से 70 किलोमीटर दूर सुनसान जगह पर बने फार्म हॉउस के अँधेरे कमरे में कुर्सी पर बंधा वह सख्स काफी देर से कुछ बोलने की कोशिश कर रहा था लेकिन मुंह में ठुसे कपडे की वजह से बोल नहीं पा रहा था। कमरे में इतना अन्धेरा था कि हाथ को हाथ ना सूझे बस दरवाजे के दरार से आती हलकी रोशनी की एक किरण उस शख्स की आँखों पर पड़ रही थी। कुछ देर बाद दरवाजा खुला और एक लड़का अंदर आया। उसने कमरे की लाइट जलाई जिस से पूरा कमरा रौशनी से भर गया।

लाइट जलते ही कुर्सी पर बंधे आदमी ने अपनी आँखे मूंद ले।
“तेरे लिए खाना लेकर आया हूँ , ले खा ले,,,,,,,,,,,,,,,अरे कैसे खायेगा तेरे तो हाथ-मुंह बंधे है रुक पहले मैं तुझे खोल देता हूँ उसके बाद खाना खा”,कहते हुए लड़के ने खाने की प्लेट साइड में रखी और कुर्सी के पास आया और आदमी के मुंह से कपड़ा निकालकर उसकी रस्सी खोलने लगा।
“तुमने हमे यहाँ कैद करके क्यों रखा है ?”,आदमी की रोबदार आवाज कमरे में गुंजी


“अरे बाबा ! रोज रोज एक सवाल काईको पूछता है रे ? तेरे को एक बार बोला ना जब काम हो जायेगा अपन तेरे को छोड़ देगा”,लड़के ने रस्सिया खोलकर आदमी को आजाद करते हुए हुए कहा  
कुर्सी पर बंधा आदमी कोई और नहीं बल्कि मीरा के पिता “अमर प्रताप सिंह” थे।

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