Sanjana Kirodiwal

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हाँ ये मोहब्बत है – 17

Haan Ye Mohabbat Hai – 17

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

मीरा को बेहोशी की हालत में देखकर अखिलेश ने उसे सम्हाला लेकिन अक्षत एक बार फिर ग़लतफ़हमी का शिकार हो गया और वहा से चला गया। अखिलेश मीरा को लेकर गाडी के पास आया और उसे पीछे सीट पर लेटा दिया। उसने जल्दी से गाड़ी स्टार्ट की सिटी हॉस्पिटल की तरफ जाने वाले रास्ते की ओर मोड़ दी। गाड़ी चलाते हुए अखिलेश बेचैनी से बार बार पलटकर मीरा को देख रहा था। वह समझ नहीं पा रहा था आखिर मीरा ऐसे बीच रास्ते में अकेले क्या कर रही थी ? मीरा बेसुध थी बस उसकी सांसे चल रही थी। अखिलेश ने गाड़ी की स्पीड थोड़ी बढ़ा दी।

अपनी बेटी से बात करते हुए सौंदर्या ने पलटकर वरुण को देखा। वरुण के चेहरे पर ख़ुशी और आँखों में चमक ने सौंदर्या के मन में शक पैदा किया उसने अपनी बेटी से कहा,”मैं तुम्हे थोड़ी देर में फोन करती हूँ।”
सौंदर्या वरुण की तरफ आयी लेकिन वह उसे रोकती इस से पहले ही वरुण वहा से चला गया। घर से बाहर आकर वरुण ने गाड़ी स्टार्ट की और निकल गया। सौंदर्या चाहकर भी उसे रोक नहीं पायी और वापस अंदर चली आयी। अंदर आकर वह सीधा मीरा के कमरे की तरफ गयी और दरवाजा खोलकर अंदर आयी।


मीरा को कम्बल ओढ़े सोया देखकर सौंदर्या को तसल्ली हुई और वह ख़ुशी ख़ुशी वापस जाने के लिये मुड़ गयी लेकिन अगले ही पल सौंदर्या के कदम ठिठके और उसने खुद से कहा,”इस गर्मी के मौसम में मीरा कम्बल ओढ़कर क्यों सो रही है ?”
ये ख्याल आते ही सौंदर्या ने जल्दी से कम्बल को हटाया तो देखा वहा मीरा नहीं थी बल्कि दो तकिये रखे थे जिन्हे कम्बल से ढका हुआ था। मीरा को वहा ना पाकर सौंदर्या को धक्का सा लगा और उसका दिल तेजी से धड़कने लगा।

वह गुस्से से बाहर आयी और घर के सभी नोकरो को बुलाया। सभी सौंदर्या के सामने चले आये। डर और घबराहट से सबके सर झुके हुए थे और सबने अपने हाथो को बांध रखा था।
“मीरा कहा है ?”,सौंदर्या ने गुस्से से पूछा
“मीरा मैडम तो अपने कमरे में ही है मेम,,,,,,,,,,,,,!!”,एक नौकर ने हिम्मत करके कहा जो अक्सर मीरा के लिये खाना लेकर जाता था


सौंदर्या उसके पास आयी और खींचकर उसे एक तमाचा मारते हुए कहा,”इस घर से भागने में उसकी मदद तुमने की है ?”
“नहीं , नहीं मैडम मैंने ऐसा कुछ नहीं किया ,, मैं तो आज सुबह से उनके कमरे में नहीं गया ,, उनकी तबियत खराब थी इसलिए उन्होंने नाश्ता भी नहीं किया। मेरा यकीन कीजिये मैडम मुझे कुछ नहीं पता है।”,कहते हुए नौकर रोने लगा


“मीरा घर में नहीं है। तुम में से ही किसी ने उसकी यहाँ से भागने में मदद की है।”,सौंदर्या ने चिल्लाकर कहा
“नहीं मैडम हम में से किसी को नहीं पता मीरा मैडम कहा है ?”,दूसरे नौकर ने कहा
“तुम्हे नहीं पता तो किसे पता है ? आखिर तुम सब कर क्या रहे थे जब वो यहाँ से गयी थी ?”,सौंदर्या ने कहा
“मैडम आपके जाने के बाद एक लड़की आयी थी ,, मैंने उसे मैडम से मिलने से मना भी किया लेकिन वो नहीं मानी और वरुण बाबा ने उसे अंदर आने दिया,,,,,,,,,,,,!!”,घर के गार्ड ने सर झुकाकर सौंदर्या से कहा


“लड़की ? कौन लड़की ? और तुमने उसे अंदर क्यों आने दिया ? जब भाईसाहब का हुकुम है इस घर में कोई नहीं आ सकता तो वो लड़की अंदर कैसे आयी ? तुमने उसे रोका क्यों नहीं ?”,सौंदर्या ने जलती आँखों से गार्ड को देखा तो बेचारा गार्ड सहम कर पीछे हट गया।
मीरा से मिलने कौन लड़की आयी है सोचकर सौंदर्या का सर फटने लगा। उसने अपना सर पकड़ा और सोफे पर आ बैठी ,,

उसने देखा गार्ड और सभी नौकर अब भी वही खड़े है तो उसने सबको घुड़कते हुए कहा,”अब यहाँ खड़े खड़े मेरी शक्ल क्या देख रहे हो ? जाओ यहाँ से,,,,,!!”  
सौंदर्य को गुस्से में देखकर सभी वहा से चले गए।
सौंदर्या अपना सर पकडे बड़बड़ाने लगी,”मैं कितना भी उस मीरा को सबकी नजरो से बचाने की कोशिश कर लू कोई ना कोई आकर मेरा बना बनाया खेल बिगाड़ ही देता है।

आखिर कौन हो सकती है वो लड़की जो मीरा से मिलने आयी यहाँ आयी थी हो न हो मीरा उसी के साथ गयी है। अगर मीरा को सच्चाई का पता चल गया तो सब खत्म हो जाएगा,,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं मैं ये होने नहीं दूंगी। मीरा और उसकी दौलत पर सिर्फ मेरा हक़ है,,,,,!!”
सौंदर्या उठी और गाड़ी की चाबी लेकर वहा से बाहर निकल गयी। उसके शैतानी दिमाग में अब खिचड़ी पक रही थी ये तो सिर्फ वही जानती थी।  

सेंट्रल जेल की सलाखों के पीछे परेशान बैठा विक्की किसी सोच में डूबा था तभी प्रहरी वहा आया और जेल की सलाखे बजाते हुए कहा,”ए उठो खाने का टाइम हो गया है , चलो”
“मुझे नहीं खाना जाओ यहाँ से,,,,,,,,,,,,!!”,विक्की ने कहा
“अरे उठो बाद में खाने को नहीं मिलेगा,,,,,,,,,तुम्हारा घर नहीं है ये जो इतने नखरे दिखा रहे हो।

जेल है उठो और जाकर खाना खाओ अपना,,,,,,,,,,,,,,जेल में रहकर भी इन सालों की अकड़ नहीं जाती”,कहते हुए प्रहरी वहा से चला गया
“अरे चल भाई , वैसे भी खाना ख़त्म हो इस से पहले चलकर खा लेते है”,विक्की के साथ वाले कैदी ने कहा तो विक्की उठा और कोठरी से बाहर चला आया। खुली हवा में आकर उसे थोड़ा अच्छा भी लग रहा था। हमेशा की तरह खाने की लम्बी लाइन लगी थी

विक्की जेल से बाहर खाना खाने के लिये नहीं आया था बल्कि कुछ देर बाहर खुली हवा में बैठना चाहता था इसलिए खाने की लाइन में ना लगकर वह पानी की टंकी के पास चला आया। उसने ठन्डे पानी से अपना मुँह धोया और हाथ की बाजु से पोछते हुए आकर पेड़ के नीचे पड़ी बेंच पर आकर बैठ गया।
साथी कैदी अपना अपना खाना लेकर यहाँ वहा बैठ गए और खाने लगे।

दो कैदी विक्की से कुछ ही दूर बैठकर खाना खा रहे थे उनमे से एक ने विक्की को देखा और अपने साथ बैठे कैदी से कहा,”ए ये तो वही है ना जो रेप केस में अंदर आया है,,,,,!!”
“हाँ,,,,,,,,पर देख क्या किस्मत है साले की , मजे भी मार लिये और सजा से भी बच गया।”,दूसरे कैदी ने खाते हुए कहा
“कैसे ?”,पहले कैदी ने पूछा


“अबे सिर्फ 6 महीने की सजा हुई है इस,,,,,,,,,,इसका बाप शहर का बड़ा बिजनेसमैन है तो जज और वकील को पैसे खिलाकर बचा लिया अपने बेटे को,,,,,,,,,,,!!”,दूसरे कैदी ने कहा
“क्या सही किस्मत है इसकी यार , रेप करके भी आजाद घूम रहा है,,,!!”,पहले कैदी ने विक्की की तरफ देखकर कहा  
अब तक विक्की उन दोनों की बातो को ख़ामोशी से सुन रहा था

लेकिन उसकी ये बात सुनकर विक्की को गुस्सा आया वह उठा और आदमी के पास आकर खाने की थाली और जोर से हाथ मारकर हवा में उछालते हुए गुस्से से कहा,”मैंने किसी का रेप नहीं किया है समझे,,,,!!”
“अरे इतना भड़क क्यों रहे हो ? और ये क्या पूरा शहर तुम्हारे बारे में बात कर रहा है कि तुमने उस लड़की के साथ,,,,,,,,,,,,,वैसे क्या दिखती है वो लड़की तुमने तो खूब मजे,,,,,,,,,,,!”,कैदी ने विक्की से बस इतना ही कहा था

कि विक्की ने उसकी कॉलर पकड़ ली और गुस्से से दाँत पीसते हुए कहा,”एक और बार अगर तुमने उसके बारे में कुछ गलत कहा तो मैं तुम्हारी जान ले लूंगा”
“क्यों ? तेरी कुछ लगती है क्या वो ?”,आदमी ने बेशर्मी से मुस्कुराते हुए कहा
विक्की के पास उसके इस सवाल का जवाब नहीं था लेकिन उसने गुस्से में आकर एक घुसा आदमी के मुँह पर जरूर दे मारा और उसके बाद दोनों के बीच हाथापाई शुरू हो गयी


झगडे की वजह से वहा भीड़ जमा हो गयी। कुछ उनकी लड़ाई देखकर लुफ्त उठा रहे थे तो कुछ उन्हें और लड़ने के लिये चीयर अप कर रहे थे। जेलर ने देखा तो तुरंत उनकी तरफ आया और उन्हें अलग किया। कैदी से अलग होते हुए विक्की ने उसे जोर का धक्का दिया जिस से वह नीचे जा गिरा। विक्की का चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था और होंठ पर लगी चोट की वजह से खून भी आने लगा था। जेलर सिंघानिया जी को अच्छे से जानता था इसलिये उसने विक्की की बांह पकड़ी और उसे वहा से ले जाने लगा  


“ए साला रेपिस्ट ! पहले लड़की का रेप करता है और अब उसके लिये हमदर्दी दिखा रहा है। बाहर जाएगा न तो वो लड़की मुँह तक नहीं लगाएगी तेरे को,,,,,,,,,,!”,पहले कैदी ने जमीन पर पड़े पड़े कहा
विक्की ने सूना तो उसके कदम रुक गए और वह जैसे ही वापस जाने के लिये मुड़ने को हुआ जेलर उसे वहा से ले गया। जेलर विक्की को उसकी सेल के सामने लेकर आये और बांह छोड़कर कहा,”पागल हो गए हो , तुम्हारी सजा ख़त्म होने में अभी बहुत टाइम बाकि है। तुम्हे इन लोगो से ऐसे झगड़ा नहीं करना चाहिए।”


“आपने सूना ना उसने क्या कहा ?”,विक्की ने गुस्से से लेकिन दबी आवाज में कहा
“क्या गलत कहा उसने ? सही तो कहा , जिस लड़की की तुमने जिंदगी बर्बाद की अब उस लड़की के लिए तुम हमदर्दी क्यों दिखा रहे हों ? तुम्हे उसके लिए हमदर्दी दिखाने की जरूरत तब थी अब नहीं,,,,,,,,,,,,,,,आई हॉप आगे से तुम इन सब झगड़ो से दूर रहोगे।”,कहकर जेलर वहा से चला गया  

विक्की के कानो में जेलर की कही बात गूंजने लगी और एकदम से उसकी आँखों के सामने छवि का रोता गिड़गिड़ाता चेहरा आ गया जब वो उसके सामने रोते हुए कह रही थी,”मुझे जाने दो प्लीज , मुझे यहाँ से जाने दो। तुम जो कहोगे मैं वो सब करुँगी , मैं तुम से माफ़ी मांगूंगी बस मुझे यहाँ से जाने दो,,,,,,,,!!”
जैसे ही विक्की को ये सब याद आया उसे खुद पर ही गुस्सा आने लगा और उसने अपने हाथ का घुसा जेल की दिवार पर दे मारा।

उसके हाथ से खून बहने लगा लेकिन विक्की को ज़रा भी दर्द का अहसास नहीं हुआ बल्कि अपने हाथ पर लगी चोट से ज्यादा दर्द उसे छवि के लिये गलत शब्द सुनकर हो रहा था। वह वही दिवार से अपनी पीठ लगाकर बैठ गया। आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि विक्की किसी लड़की के बारे में सोचे या उसे इतनी अहमियत दे लेकिन छवि के बारे में सोचते ही ना जाने उसे क्यों उस से एक हमदर्दी सी होने लगी थी।

विक्की की कई लड़किया दोस्त थी लेकिन वह हमेशा उनके साथ दोस्ती तक ही सिमित रहा , साथ घूमना , खाना-पीना और पार्टी करना इसके अलावा उसने कभी लड़कियों को मुंह नहीं लगाया लेकिन छवि को वह अपने दिमाग से निकाल नहीं पा रहा था। ये छवि के लिये उसकी बदलती भावनाये थी या कुछ और ये तो अभी विक्की भी नहीं जान पाया था लेकिन आज पहली बार उसने छवि के लिए गलत सूना तो बर्दास्त नहीं कर पाया। 

मीरा को अखिलेश के साथ देखकर अक्षत का दिल फिर टूट गया। उसने अपने कदम वापस लिये और वहा से चला गया।अक्षत थके कदमों से घर आया उसने किसी से बात नहीं की और सीधा अपने कमरे में चला आया। सोमित जीजू के कहने पर घर के किसी सदस्य ने अक्षत से बात नहीं की। अक्षत के बर्ताव से निधि काफी हर्ट थी उसे मीरा के आँसू और उसका दर्द महसूस हो रहा था 

राधा ने निधि से कुछ दिन रुकने को कहा लेकिन निधि ने रुकने से साफ मना कर दिया। निधि हनी और नक्ष के साथ वहा से निकल गयी। सुबह सुबह घर में हुए इस क्लेश की वजह से विजय जी और सोमित जीजू का भी ऑफिस जाने का मन नहीं हुआ और दोनों घर पर ही रुक गए। अर्जुन भी ऑफिस नहीं गया और घर पर था इसलिए काव्या और चीकू को छोड़ने उनके स्कूल चला गया। दादी माँ का मन काफी उदास था इसलिए वह अपने कमरे में बैठी बीते अच्छे वक्त के बारे में सोचने लगी। उनकी आँखों से आँसू बहने लगे।

दादू ने जब उन्हें देखा तो उनके पास आये और उनका हाथ अपने हाथो में थामकर बड़े प्यार से कहने लगे,”उदास मत होईये सुरेखा जी , बुरा वक्त है बीत जाएगा,,,,,,,,,,,,,,अभी वक्त और हालात दोनों ही सही नहीं है लेकिन मेरा विश्वास कीजिये एक दिन सब सही होगा और ये घर फिर से खुशियों से भर जाएगा।”
“इस घर को किसी की नजर लग गयी है ,, देखिये ना हमारे बच्चो पर ये कैसी मुसीबत आयी है जो हटने का नाम ही नहीं ले रही।

राधा को जब रोते तड़पते देखती हूँ तो दिल कट सा जाता है। वो किसी से अपना दर्द नहीं कहती है अंदर ही अंदर घुटते रहती है। अक्षत ये कैसी जिद ले बैठा है ? कोई उसे समझाता क्यों नहीं ? अपने गुस्से की वजह से वो पहले अपना सब कुछ खो चुका है ऐसे तो वो बच्चा खुद को बर्बाद कर लेगा,,,,,,,,,,,,,,,!!”,दादी माँ ने रोते हुए कहा


दादू ने देखा तो उन्हें अपने सीने से लगा लिया और उनकी पीठ थपथपाते हुए कहा,”चिंता क्यों करती हो , हम सब मिलकर उसे समझायेंगे ना और अभी हम सब है उसके साथ ऐसे ही उसे बर्बाद होने नहीं देंगे”
दादी माँ ने कुछ नहीं कहा बस हाथ जोड़कर अपने भगवान से सब ठीक हो जाने की दुआ करने लगी।

किचन से निकलकर तनु विजय जी के लिये चाय ले जाने लगी तो राधा ने कहा,”लाओ मुझे मैं लेकर जाती हूँ , तुम भी कुछ खा लो और सोमित जी को भी खिला देना।”
“मुझे भूख नहीं है मौसी , मैं बाद में खा लुंगी”,कहकर तनु वहा से चली गयी।
राधा की आँखों में नमी उभर आयी। क्या हो गया था व्यास हॉउस में रहने वाले लोगो को , सबके चेहरे उदासी से घिरे रहते थे , कितने दिनों से कोई खुलकर हँसना तो दूर मुस्कुराया तक नहीं था।

राधा विजय जी की चाय लेकर कमरे की ओर बढ़ गयी। कमरे में आकर राधा ने देखा कुर्सी पर बैठे विजय जी किसी गहरी सोच में डूबे थे। राधा उनके पास आयी और उनके कंधे पर हाथ रखकर कहा,”आपकी चाय ?”
“हाँ,,,,,,,,,हा , नहीं राधा मेरा मन नहीं है।”,विजय जी ने चौंककर कहा जैसे वो एकदम से गहरी नींद से उठे हो  
राधा ने सूना तो चाय का कप टेबल पर रख दिया और आकर विजय जी के पास पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए कहा,”ये सब कब तक चलेगा जी ?

हमारा हँसता खेलता परिवार एकदम से उजड़ गया , हमारे बच्चे हमारी आँखों के सामने नहीं है , मैं चाहते हुए भी मीरा को इस घर से जाने से नहीं रोक पायी , आशु इतना कठोर कैसे हो सकता है ? क्या सच में मेरे दिये संस्कार इतने बुरे थे। वो लड़का जिद पकड़ कर बैठा है आखिर वो क्यों नहीं समझ रहा कि वो जो कुछ कर रहा है उस से सब बर्बाद हो जाएगा,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते कहते राधा का गला भर आया और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।

विजय जी ने देखा तो अपना हाथ राधा के हाथ पर रखा और कहा,”शांत हो जाओ राधा , मैं तुम्हारी बात समझ सकता हूँ लेकिन अभी हालात ऐसे नहीं है कि अक्षत को कुछ समझाया जा सके वो इस वक्त किसी की नहीं सुनेगा , अगर वो मीरा को इस घर से जाने के लिये कह सकता है तो याद रखो वो लड़का खुद के साथ कुछ भी कर सकता है। उसकी जिद और गुस्से से हम सब अनजान नहीं है , ये घर पहले ही अपनी एक बच्ची खो चुका है अब मैं अपना बेटा खोना नहीं चाहता।

तुम्हारे संस्कारो में कोई कमी नहीं है राधा , कमी भगवान ने अक्षत और मीरा की जिंदगी में की है जिसकी सजा आज वो दोनों भुगत रहे है,,,,,,,,,,,,,,और हम इतने मजबूर है कि ये सब होते ख़ामोशी से देख रहे है।”
कहते हुए विजय जी की भी आँखे नम होने लगी। राधा ने विजय जी को उदास देखा तो उनके दोनों हाथो को अपने हाथो में थाम लिया और कहने लगी,”आप , आप एक बार आशु से बात कीजिये ना


वो , वो आपकी बात कभी नहीं टालेगा। एक बार उस से बात कीजिये उसे समझाइये ,, मीरा इस घर की बहु है क्या उसे ऐसे घर से निकाल देना सही है। आप उसे समझाइये वो जो कर रहा है बहुत गलत कर रहा है। मैंने सावित्री से वादा किया था मैं मीरा का ख्याल रखूंगी , हमेशा उसकी माँ बनकर उसे प्यार दूंगी ,, पर मैं कैसी माँ हूँ ? मेरी ही आँखों के सामने आशु ने उसे,,,,,,,,,,,,,,,,सावित्री मुझे कभी माफ़ नहीं करेगी और मीरा , मीरा शायद इसके बाद कभी मुझसे बात ही ना करे। ये सब क्यों हो रहा है ?

ये सब मत होने दीजिये ,, मुझे मेरी मीरा इस घर में वापस चाहिए। मुझे मेरा परिवार वापस चाहिए,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए राधा बच्चो की तरह फफक कर रो पड़ी और विजय जी के हाथो को कसकर पकड़ लिया।
राधा को ऐसे रोते देखकर विजय जी भी कमजोर पड़ गए उन्होंने राधा को सीने से लगा लिया और उसका सर सहलाते हुए कहा,”सब ठीक हो जाएगा राधा , अपने महादेव पर भरोसा रखो सब ठीक हो जाएगा।”
लेकिन राधा के पास विजय जी की बात का कोई जवाब नहीं था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!

अखिलेश मीरा को लेकर हॉस्पिटल पहुंचा। मीरा को देखते ही डॉक्टर उसे पहचान गयी और बेहोश देखकर नर्स से तुरंत इमरजेंसी वार्ड में लेकर चलने को कहा। अखिलेश ने साथ आना चाहा तो नर्स ने उसे बाहर ही रोक दिया और रिसेप्शन पर जाकर फॉर्म भरने को कहा। अखिलेश रिसेप्शन पर चला आया। वहा आकर उसने मीरा के बारे में जानकारी दी।
“पेशेंट के हस्बेंड का नाम बताईये ?”,रिसेप्शन पर बैठी लड़की ने कहा


हस्बेंड नाम सुनकर अखिलेश की आँखों के सामने अक्षत का चेहरा आ गया और गुस्से से उसके नथुने फूल गए। अखिलेश का मानना था अक्षत की वजह से ही मीरा आज इस हालत में है। उसने लड़की की तरफ देखा और थोड़ा गुस्से से कहा,”हस्बेंड नहीं पेशेंट के फादर का नाम लिखिए। मिस्टर अमर प्रताप सिंह,,,,,,,,,,!!”
“लेकिन पेशेंट शादीशुदा है उनके हस,,,,,,,,,!!”,लड़की ने कहना चाहा लेकिन अखिलेश ने उसकी बात काटते हुए कहा,”मैंने आपसे जितना कहा है उतना कीजिये ,

वो अभी बीमार है और उन्हें ट्रीटमेंट की बहुत जरूरत है। आप ये बाते हम बाद में भी डिस्कस कर सकते है।”
“ओह्ह ओहके सर , यहाँ साइन कर दीजिये”,लड़की ने फाइल अखिलेश की तरफ बढ़ाकर कहा। अखिलेश ने साइन किया और फाइल वापस लड़की की तरफ बढाकर वहा से चला गया।

चलते चलते अखिलेश ने पलटकर रिसेप्शन को देखा और मन ही मन कहा,”इस जन्म में तो क्या अगले सात जन्म तक मैं तुम्हारी परछाई भी मीरा मैडम पर नहीं पड़ने दूंगा , मिस्टर अक्षत व्यास”

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संजना किरोड़ीवाल  

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