हाँ ये मोहब्बत है – 9
Haan Ye Mohabbat Hai – 9
व्यास हॉउस
लॉन में बैठा अक्षत सिगरेट के कश लगा रहा था। जितनी आग सिगरेट में थी उस से कई ज्यादा इस वक्त अक्षत के सीने में थी। कुछ देर बाद अक्षत ने आधी बची हुई सिगरेट सोमित जीजू की तरफ बढ़ा दी। सोमित जीजू ने सिगरेट ली और अक्षत के बगल में झूले पर आ बैठे। बची हुई सिगरेट से सोमित जीजू ने एक दो कश लगाए और उसे बुझाकर फेंक दिया। अक्षत खामोश बैठा था सोमित जीजू ने अपना हाथ अक्षत के हाथ पर रखा और कहा,”तुम ठीक हो ?”
“मुझे देखकर क्या लगता है जीजू मैं इस वक्त कैसा हो सकता हूँ ?”,अक्षत ने सामने देखते हुए उदासी भरे स्वर में कहा
“मैं समझ सकता हूँ इस वक्त तुम पर जो बीत रही है उसे शब्दों में बया करना मुश्किल बहुत मुश्किल है पर इस तरह खुद को तकलीफ देकर तुम्हे कुछ हासिल नहीं होगा आशु। हाँ ये थोड़ा मुश्किल समय है और तुम्हे इस से गुजरना ही होगा। मैंने तुम्हे हमेशा बुरी परिस्तिथियों से लड़ते देखा है फिर आज तुम कैसे हार मान सकते हो ?
तुम्हे कमजोर नहीं पड़ना है , यू समझ लो महादेव ने एक बार फिर तुम्हारी परीक्षा ली है और इस परीक्षा में कोई तुम्हारे साथ हो या न हो तुम्हारा ये जीजा हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा तुम्हारी ढाल बनकर। किसी भी परेशानी को तुम तक आने से पहले मुझसे लड़ना पडेगा और मैं ये झूठ नहीं कह रहा हूँ।”,कहते कहते सोमित जीजू का गला भर आया और आँखे नम हो गयी।
अक्षत ने अपने हाथ से जीजू का हाथ हटाया और अपना हाथ जीजू के हाथ पर रखकर कहा,”मैं जानता हूँ कि आप हमेशा मेरे साथ है , आप मुझसे कभी वजह नहीं पूछेंगे बस साथ चल देंगे शायद इसलिए हमारा ये रिश्ता एक जीजा साले के रिश्ते स भी बढ़कर है पर मैं क्या करू जीजू , इस बार मैं सच में टूट गया हूँ। कही भी जाता हूँ तो अमायरा की याद आती है , उसका ख्याल आते ही दिल जोरो से धड़कने लगता है , मन बैचैन हो जाता है बार बार ये अहसास होता है कि मैं उसे बचा सकता था लेकिन नहीं बचा पाया।
मेरी वजह से अमायरा चली गयी , मीरा चली गयी , मेरी वकालत,,,,,,,,,,,,,,मेरी वकालत भी मुझसे दूर हो गयी , कुछ नहीं बचा है मेरे पास जिसके लिये मैं खुश रहु , कही भी जाता हूँ तो एक घुटन का अहसास होता है ,, अमायरा की यादे हर वक्त मुझे उसके आस पास होने का अहसास दिलाती है और मैं एक बेबस बाप की तरह बस उसे छूने को तरसता हूँ।”
अक्षत का एक एक शब्द दिल चीरने के लिये काफी था। अब तक जिन आंसुओ को जीजू ने अपनी आँखों में रोक रखा था। अक्षत की बातें सुनकर वो गालों पर लुढ़क आये।
अमायरा सिर्फ अक्षत की बेटी नहीं थी बल्कि पुरे व्यास परिवार की जान थी। हर किसी की यादे उस के साथ जुडी थी।
शाम हो चुकी थी और सूरज भी ढलने की तैयारी करने लगा। अक्षत को भावुक देखकर सोमित ने उसके सामने मीरा की बात करना सही नहीं समझा। दोनों खामोश बेंच पर बैठे रहे। कुछ देर बाद राधा एक प्लेट में एक पराठा और 2 कप चाय के लेकर उन दोनों के पास आयी।
राधा को आते देखकर अक्षत ने अपने आँसू पोछ लिये और जीजू ने भी अपने गाल साफ कर राधा से कहा,”अरे मौसीजी आपने क्यों तकलीफ की ? तनु को भेज देते।”
“बच्चे जब खाना ना खाये तो सबसे ज्यादा तकलीफ एक माँ को ही होती है सोमित जी , कल से इसने कुछ नहीं खाया है ये दो निवाले खा लेगा तो मेरी तकलीफ भी कम हो जाएगी।”,राधा ने नम आँखों के साथ कहा
“माँ मुझे भूख नहीं है,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने बिना राधा की तरफ देखे कहा
“जानती हूँ ऐसे हालातो में किसी को भूख नहीं लगती लेकिन इस शरीर को ज़िंदा रखने के लिये ही सही थोड़ा सा खा ले , क्या तुम अपनी माँ की बात नहीं सुनेगा आशु ,, सिर्फ तुमने ही नहीं बल्कि हम सब ने अपनी अमायरा को खोया है जरा सोच अगर आज वो तेरे सामने होती तो क्या तुझे इस हाल में देख पाती। वो जहा भी है सुकून में है बेटा पर खुद को तकलीफ देकर तू उसे भी तकलीफ पहुंचा रहा है। थोड़ा सा खा ले आशु तुझे अमायरा का वास्ता,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते राधा रो पड़ी।
अक्षत ने देखा वह उठा और राधा के पास आकर उसके हाथ से ट्रे लेकर बेंच पर रख दी और खुद उनके गले लगते हुए कहने लगा,”बस माँ ! बस कीजिये मैं आपको ऐसे रोते हुए नहीं देख सकता।”
अक्षत की बात सुनकर राधा फुट फुट कर रो पड़ी ये देखकर सोमित जीजू भी उनके पास चले आये और कहा,”नहीं मौसीजी बिल्कुल नहीं आप घर में बड़ी है अब आप ही ऐसा करेंगी तो हम सबको कौन सम्हालेगा , हटिये और अपने हाथ से खिलाईये दो निवाले इसे मैं भी देखता हूँ कैसे नहीं खाता है ये खिलाईये।”
राधा ने साड़ी के पल्लू से अपने आँसू पोछे और बेंच की तरफ चली आयी। उसने एक निवाला तोड़ा और अक्षत की तरफ बढ़ा दिया।
अक्षत ने राधा के हाथ से निवाला लिया और उनकी तरफ करके कहा,”पहले आप खाइये , मेरी वजह से आपने भी कुछ नहीं खाया होगा।”
राधा ने सूना तो उसका दिल भर आया उसका बेटा उसे कितने अच्छे से जानता था , उसने नम आँखों के साथ निवाला खा लिया और फिर खुद अपने हाथ से अक्षत को खिलाने लगी।
अक्षत भी अब राधा का दिल और नहीं दुखाना चाहता था इसलिए चुपचाप खा लिया। सोमित जीजू मुस्कुराते हुए उन दोनों को देखते हुए अपनी चाय पीने लगे। अक्षत ने देखा तो एक निवाला तोड़कर सोमित जीजू को भी खिला दिया।
सोमित जीजू ने अपना हाथ अक्षत के सर पर फेरा जैसे एक पिता अपने बच्चे को दुलार करते है।
मीरा के कहने पर वरुण उसे लेकर दूसरी साइड चला आया। जैसे ही गाड़ी व्यास हॉउस से कुछ पहले पहुंची मीरा ने वरुण से गाडी रोकने को कहा। वरुण ने गाड़ी रोक दी और दोनों बाहर चले आये। गाड़ी से उतर कर मीरा ने व्यास हॉउस की तरफ देखा जहा लॉन में बैठे अक्षत , राधा और सोमित जीजू दिखाई दिए। गाड़ी जहा खड़ी थी वहा से मीरा आसानी से उन्हें देख सकती थी। गाड़ी के बाहर खड़ी वह एकटक अक्षत को देखते रही।
“दी ये तो शायद आपका ससुराल है न ?”,वरुण ने मीरा के पास आकर कहा
“हम्म्म !”,मीरा ने बिना वरुण की तरफ देखे कहा।
“आपको अंदर जाना चाहिए आप यहाँ क्यों खड़ी है ?”,वरुण ने कहा जिसे हालातों की जानकारी नहीं थी।
वरुण की बात सुनकर मीरा ने उसकी ओर देखा और उदासी भरे स्वर में कहा,”अभी हम वहा नहीं जा सकते वरुण,,,,,,,,,,,बस दूर खड़े होकर उन्हें देख सकते है।”
मीरा ने ऐसा क्यों कहा वरुण को समझ नहीं आया।
वह कुछ देर मीरा को देखता रहा और फिर सामने लॉन में खड़े अपने जीजाजी यानि अक्षत को देखने लगा। अक्षत को देखकर मीरा का मन उदास हो गया। क्या से क्या हो गया था अक्षत , दर्द और तकलीफ उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी। अक्षत को ऐसे देखकर मीरा की आँखों में आँसू भर आये।
राधा के हाथ से निवाले खाते हुए एकदम से अक्षत को महसूस हुआ जैसे कोई उसे देख रहा है। उसका दिल धड़कने लगा और बेचैनी बढ़ने लगी। अक्षत ने इधर उधर देखा लेकिन वहा उन तीनो के अलावा कोई नहीं था। राधा ने जैसे ही निवाला खिलाना चाहा अक्षत ने कहा,”माँ एक मिनिट,,,,,,,,,!!”
कहकर अक्षत घर की दिवार की तरफ आया और घर के बाहर देखा लेकिन बाहर भी कोई नहीं था। मीरा की गाड़ी साइड में खड़ी थी जिसके पास खड़ी मीरा को अक्षत नहीं देख पाया।
दिवार के पास खड़े होकर अक्षत मन ही मन सोचने लगा,”मुझे ऐसा क्यों लगा जैसे मीरा यहाँ थी और मुझे देख रही थी। बार बार उसका ख्याल क्यों आ रहा है ? वो यहाँ कैसे आ सकती है ?”
“क्या हुआ आशु , तुम यहाँ क्यों चले आये ?”,सोमित जीजू ने आकर अक्षत के कंधे पर हाथ रखा तो उसकी तंद्रा टूटी
“अह्ह्ह कुछ नहीं जीजू बस ऐसे ही,,,,,,,,,,,,आप और माँ अंदर चलिये मैं थोड़ी देर अकेले रहना चाहता हूँ।”,अक्षत ने मायूस होकर कहा
“आर यू स्योर ?”,जीजू ने अक्षत की आँखों में झांकते हुए पूछा
“हम्म्म !”,अक्षत ने कहा और वहा से चला गया।
सोमित जीजू राधा को लेकर अंदर चले गए और अक्षत एक बार फिर लॉन में पड़े झूले पर आकर बैठ गया।
अक्षत जैसे ही घर की दिवार की तरफ आया , वह उसे देख ना ले सोचकर मीरा भीगी आँखों के साथ एकदम से पलट गयी उसकी आँखों में ठहरे आँसू बह गए और दिल तेजी से धड़कने लगा। मीरा ने गाड़ी का दरवाजा खोला और वरुण से कहा,”वरुण प्लीज चलो यहाँ से,,,,,,,,,,!”
मीरा को रोते देखकर वरुण ने इस वक्त कुछ पूछना सही नहीं समझा। वह ड्राइवर सीट पर आ बैठा और गाड़ी स्टार्ट कर वहा से निकल गया।
माधवी जी छवि के साथ अपने उसी पुराने घर पहुंची। दोनों ऑटो से उतरी और घर की तरफ बढ़ी तो आस पास के घरो के बाहर खड़े लोग उन्हें अजीब नजरो से देखने लगे। उन्हें देखकर छवि के कदम ठिठके तो माधवी ने उसका हाथ थामा और कहा,”ज्यादा मत सोचो”
“हम्म्म्म !”,छवि ने कहा और माधवी के साथ आगे बढ़ गयी।
उन्हें वापस आया देखकर आस पास के लोगो आपस में खुसर फुसर करने लगे।
“मोहल्ले में अब इन जैसे लोग रहने लगे तो हमारे घर की लड़कियों का क्या होगा ? कही इसके चक्कर में लोग उन्हें गलत ना समझने लगे।”,माधवी की एक पड़ोसन ने कहा जो माधवी से हमेशा से जलती थी।
माधवी ने जलती नजर से उसे देखा तो उसने मुँह बनाकर गर्दन घुमा ली।
“बिना मर्द के घर की औरते है , इनको क्या फर्क पड़ता है इज्जत से,,,,,,,,,,,,देखो इज्जत लुटवा के भी कैसे शान से चली आ रही है ?”,दूसरी पड़ोसन ने कहा
दो ओरतो ने कहा तो एक आदमी की भी हिम्मत बढ़ गयी और उसने कहा,”अरे किसे पता कौन आता है घर में और कौन जाता है ?”
“कौन बोला ? कौन बोला सामने आओ ? अगर हिम्मत है तो मेरे सामने आकर बात करो , मेरी बेटी के चरित्र पर ऊँगली उठाने वाले का अगर मैंने हाथ ना तोड़ दिया तो मेरा नाम माधवी नहीं,,,,,,,,,,,,,,,अरे तुम जैसे नामर्द क्या जाने एक औरत का दर्द , अब अगर एक शब्द भी किसी ने मुँह से निकाला तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा ?,,,,,,,,,,,,!!”,माधवी ने गुस्से से कहा तो सब अपने अपने घरो में चले गए।
गुस्से की वजह से उसकी धड़कन तेज हो गयी थी और वह चिल्लाते हुए हांफ रही थी। छवि ने माधवी को सम्हाला और कहा,”माँ माँ सम्हालिए आपने आप को , आप चलिए यहाँ से आपको इन लोगो को जवाब देने की जरूरत नहीं है।”
“नहीं छवि जवाब देना होगा क्योकि इन जैसे लोगो को ये कभी समझ नहीं आएगा तुमने क्या झेला है , लेकिन मुझे ये सोचकर ही अफ़सोस होता है कि ऐसी सोच रखने वाले लोगो के घरो की बेटिया क्या वहा सुरक्षित है
जहा इनके जैसे छोटी सोच वाले लोग रहते है।”,माधवी ने अफ़सोस भरे स्वर में हाँफते हुए कहा
“माधवी बहन छोडो इन लोगो को , ये लोग किसी का दुःख क्या जाने ? छवि बिटिया अंदर लेकर जाओ अपनी माँ को ,, जाओ बहन अंदर जाओ,,,,,,,,,अरे इन मोहल्ले वालो का तो रोज का है अपने घर में लगी आग दिखती नहीं और दुसरो के घर की चिंगारी बुझाने चले है।”,वहा से गुजरते सलीम भाई ने कहा जी उसी मोहल्ले में रहते थे।
माधवी ने कुछ नहीं कहा उसने छवि का हाथ पकड़ा और वहा से चली गयी। सलीम भाई भी अपना ठेला लेकर आगे बढ़ गए हालाँकि कुछ घरो की खिड़कियों से झांकते लोग अभी भी छवि और माधवी के बारे में बाते कर रहे थे।
माधवी से चाबी लेकर छवि ने घर का दरवाजा खोला और उन्हें लेकर अंदर आयी। छवि ने अंदर से दरवाजा बंद किया और माधवी के लिए पानी ले आयी।
“माँ पानी पि लीजिये,,,,,,,,,,,!!”,छवि ने गिलास माधवी को देकर कहा
माधवी ने 2 घूंठ पानी पीया और ग्लास टेबल पर रख दिया।
गुस्सा और बेचैनी उनके चेहरे से अब भी झलक रहा था।
छवि ने देखा तो वह माधवी के सामने आ बैठी उनके हाथो को अपने हाथो में लेकर कहा,”बस करो माँ , गुस्सा होकर आप खुद को ही तकलीफ दें रही है। लोगो का काम है उलटा सीधा बोलना और वो बोलेंगे ही उसके लिये आप किन किन से लड़ेंगी ?”
“सबसे , जिस ने भी तुम्हे लेकर कुछ गलत कहा मैं उन से सब से लड़ूंगी ,, किसी को हक़ नहीं है तुम्हारे लिये इतनी गलत बातें बोलने का।”,माधवी ने तड़पकर कहा।
छवि ने उनके गालों पर आये आंसुओ को पोछा और कहा,”माँ आप जानती है ना आपकी बेटी गलत नहीं है मेरे लिये इतना काफी है मुझे लोगो की बातो से फर्क नहीं पड़ता है। इन हालातो में हमे मजबूत रहना होगा माँ हमे शांत रहकर ये लड़ाई लड़नी है लोगो की बातो का जवाब देकर नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,इन्हे जवाब वक्त देगा।”
माधवी ने देखा इन दिनों उसकी बेटी कितनी समझदार हो गयी है।
सही तो कह रही थी छवि माधवी ने वापस आने का फैसला खुद किया था और अब उसे समाज और समाज में रहने वाले लोगो की जली कटी बातो को फेस करना ही होगा। माधवी ने छवि को देखा और कहा,”आई ऍम सॉरी बेटा कुछ पल के लिये मैं भावुक हो गयी थी। तुम्हारी माँ हमेशा तुम्हारे साथ है बेटा,,,,,,,,,,,,!!”
छवि ने सूना तो मुस्कुराई और माधवी के गले आ लगी।
जेल की चार दीवारी में जमीन पर लेटा विक्की अपने हाथो को सर के नीचे लगाए छवि के बारे में सोच रहा था। वो हर पल जब छवि विक्की के सामने थी वह किसी फिल्म की तरह विक्की की आँखों के सामने चल रहा था। विक्की चाहकर भी इन ख्यालो को अपने दिमाग से निकाल नहीं पा रहा था। विक्की उठकर बैठ गया। वह खुद नहीं समझ पा रहा था कि आखिर क्यों वह छवि के बारे में इतना सोच रहा है ? विक्की उठा और यहाँ से वहा चक्कर काटने लगा।
विक्की ने जो छवि के साथ बदतमीजिया की वो सब एक एक करके विक्की को याद आ रही थी और आखिर में याद आया उसे छवि का रोना और गिड़गड़ाना जब वो फार्म हॉउस पर विक्की को बार बार जाने देने के लिये रिक्वेस्ट कर रही थी। ये सब याद आते ही विक्की ने अपना हाथ गुस्से से दिवार पर मारा और सोचने लगा,”कैसे ? मै इतना घटिया कैसे हो सकता हूँ ? मैंने उस छवि को जाने दिया होता तो शायद उसके साथ इतना बुरा नहीं होता,,,,,,,,,,,,,,
उसने कितनी बार मुझसे माफ़ी मांगी लेकिन मैंने उसे माफ़ नहीं किया पर क्या अब मैं खुद को माफ़ कर पाऊंगा। वो आदमी , वो आदमी जिसने इन सब में मेरा साथ दिया वो अगर मुझे मिल जाए तो सब सच सामने आ जाएगा। रॉबिन भी बच जाएगा और छवि , छवि को भी इंसाफ मिल जाएगा और मुझ पर जो रेपिस्ट का टैग लगा है वो भी हट जाएगा,,,,,,,,,,,,लेकिन मैं उसे कहा तलाश करू मैं तो उसका नाम तक नहीं जानता,,,,,,,,,,,,,,,!!”
विक्की आकर जमीन पर बैठ गया और एक बार फिर छवि के बारे में सोचने लगा लेकिन इस बार उसकी आँखों के सामने छवि का मासूम और हँसता मुस्कुराता चेहरा आने लगा। विक्की अपने ही ख्यालो में उलझता चला गया ना वह सो पाया और ना ही छवि का ख्याल अपने जहन से निकाल पाया। ये ख्याल छवि के लिये कौनसे हालात लेकर आने वाले थे ये तो वक्त ही जानता था।
Haan Ye Mohabbat Hai – 9 Haan Ye Mohabbat Hai – 9 Haan Ye Mohabbat Hai – 9 Haan Ye Mohabbat Hai – 9 Haan Ye Mohabbat Hai – 9 Haan Ye Mohabbat Hai – 9 Haan Ye Mohabbat Hai – 9 Haan Ye Mohabbat Hai – 9 Haan Ye Mohabbat Hai – 9 Haan Ye Mohabbat Hai – 9 Haan Ye Mohabbat Hai – 9 Haan Ye Mohabbat Hai – 9 Haan Ye Mohabbat Hai – 9
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संजना किरोड़ीवाल
Vickey ko to Chavi se pyar ho gya hai…aur ab Chavi ki madat karega…pta lagayega ki uski help kisne ki thi … shayad ese Amayra k kidnapar ka pta chal jaye…lakin Meera ko Akshat se milna chahiye tha…ab Varun ghar par bta dega ki Meera ne akshat ko dur se dekha tha …to Vivan aur soundrya bua ji Meera par thodi sakti barte…usse Vyas house na jane de….
Vicky ko reverse Stockholm syndrome hua hai
Stockholm syndrome mai usually victim kidnapper ke pyar mai padta aur yaha ulta ho Raha hai