हाँ ये मोहब्बत है – 3
Haan Ye Mohabbat Hai – 3
शाम के 7 बज रहे थे। नीता और तनु किचन में साथ मिलकर खाना बना रही थी। सोमित जीजू हॉल में बैठकर चीकू को बहलाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे आज चीकू दोपहर से ही अमायरा को याद कर काफी रो रहा था। काव्या अमायरा के इस दुनिया में ना होने का सच जानती थी इसलिए अपने पापा के साथ मिलकर वह भी चीकू को बहला रही थी। राधा घर के मंदिर में बैठी अपने घर की ये दशा देखकर आँसू बहा रही थी। उसके पास अपने भगवान से करने के लिए सेंकडो शिकायते थी और वो सा शिकायतें आँसू बनकर आँखों से बह रहे थे।
“अमू कहा चली गयी है फूफाजी वो घर क्यों नहीं आती है ? मुझे उसकी बहुत याद आती है , उसने मुझसे कहा था उसे मेरे साथ स्कूल जाना है। उसे वापस लेकर आईये ना फूफाजी”,चीकू ने रोआँसा होकर कहा
चीकू की बातें सुनकर सोमित जीजू का मन भी उदास हो गया लेकिन वे भला उस छोटे से बच्चे को क्या समझाते कि अमायरा अब वापस क्यों नहीं आ सकती ? चीकू से इस वक्त झूठ बोलना उन्हें अच्छा तो नहीं लग रहा था लेकिन फिर भी उन्होंने उसके गाल को छूकर प्यार से कहा,”अमायरा भगवान के घर गयी है चीकू , जब वो उनसे मिल लेगी तो वापस आ जाएगी।”
“पापा,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,काव्या ने हैरानी से अपने पापा की तरफ देखकर कहा जैसे वो जानती हो कि भगवान के घर जाने वाले लोग कभी लौटकर नहीं आते।
सोमित जीजू ने अपने होंठो पर ऊँगली रखी और काव्या से आगे ना बोलने का इशारा किया। काव्या उतरा हुआ चेहरा लेकर वहा से चली गयी। हॉल से निकलकर काव्या किचन की तरफ चली आयी जहा नीता और तनु ख़ामोशी से काम कर रही थी।
काव्या को किचन के दरवाजे पर खड़े देखकर नीता ने कहा,”काव्या ! कुछ चाहिए बेटा ? क्या हुआ तुम बाहर क्यों खड़ी हो अंदर आओ ?”
काव्या धीमे कदमो से अंदर चली आयी तो नीता ने उसके पास आकर उसके गाल को छूकर कहा,”क्या बात है काव्या तुम इतनी उदास क्यों हो ?”
“मुझे अमू की बहुत याद आती है बड़ी मामी वो हमे छोड़कर क्यों चली गयी ?”,काव्या ने अपनी आँखों में आँसू भरकर दुखभरे स्वर में कहा
नीता ने छोटी सी बच्ची की आँखों में आँसू देखे तो उसे अपने सीने से लगा लिया। तनु उस वक्त कटलरी जमा रही थी उसके भी हाथ रुक गए और आँखों में नमी उभर आयी। उसने हाथ में पकड़ी प्लेट को रखा और काव्या के पास आकर उसकी पीठ सहलाते हुए कहा,”अमु कही नहीं गयी है काव्या , वो हम सब के दिलो में है वो हमेशा इस घर का हिस्सा रहेगी। वो इतनी प्यारी और मासूम थी कि हम में से उसे कोई भूल नहीं पायेगा”
काव्या नीता से हटकर अपनी मम्मी की तरफ आयी और आँखों में आँसू भरकर कहा,”मैं जानती हूँ मम्मा अमु हम सब से बहुत दूर चली गयी है वो कभी वापस नहीं आएगी पर छोटी मामी,,,,,,,,,,,,,,वो क्यों यहाँ से चले गए ? क्या अमु की तरह वो भी कभी वापस नहीं आएँगी ?”
“नहीं बेटा ! किसने कहा मीरा वापस नहीं आएगी ? वो वापस जरूर आएगी अभी वो तुम्हारे मामू से थोड़ा गुस्सा है ना बस इसलिए उस से दूर है देखना जैसे ही गुस्सा खत्म होगा वो दौड़ी चली आएगी,,,,,,,,,,,,,हम्म्म्म !”,तनु दी ने काव्या के आँसू पोछते हुए कहा
“हाँ काव्या दी सही कह रही है , अच्छा चलो ये बताओ क्या खाओगी मैं अभी तुम्हारे लिए कुछ अच्छा सा बना देती हूँ , हम्म्म एक काम करती हूँ मैं तुम्हारी पसंद का पास्ता बनाती हूँ चीकू को भी पसंद है तो तुम दोनों मिलकर खाना ठीक है।”,नीता ने काव्या के सर को सहलाते हुए कहा
बच्चे भला घर-गृहस्थी की बाते क्या समझे ? नीता ने कहा तो भोली काव्या मान गयी और हाँ में अपना सर हिलाकर बाहर डायनिंग के पास पड़ी कुर्सी पर आकर बैठ गयी।
सोमित जीजू की झूठी बात से चीकू को एक उम्मीद हो गयी कि उसकी छोटी बहन अमु वापस आ जाएगी। वह खुश होकर राधा को बताने उसके पास आया लेकिन राधा को रोते देखकर चीकू की ख़ुशी गायब हो गयी। उसने अपने नन्हे नन्हे हाथो से राधा के आँसुओ को पोछते हुए कहा,”दादी माँ मत रोईए , अमु वापस आ जाएगी ,, वो भगवान जी के घर गयी है ना तो उसको आने में थोड़ा टाइम तो लगेगा,,,,,,,,,,,,,,पर वो आ जाएगी। आप रोईए मत दादी माँ !!”
राधा ने सूना तो उसकी आँखो में फिर आँसू भर आये वह विस्मित भाव से चीकू को देखने लगी
“आपको मेरी बात का विश्वास ना हो तो आप फूफाजी से पूछ लीजिये,,,,,,,,,,,,,,!!”,चीकू ने हॉल में बैठे सोमित जीजू की तरफ इशारा करके कहा
राधा ने कुछ नहीं कहा वे समझ गयी कि चीकू को बहलाने के लिए सोमित जी ने झूठ कहा है। उन्होंने अपने आँसू पोछे और चीकू को अपने पास बुलाकर उसके हाथो कहा,”काश भगवान तुम्हारी बात सुन ले और हमारी अमायरा वापस लौट आये।”
नीता काव्या और चीकू के लिए सेंडविच लेकर आयी तो राधा को मंदिर की सीढ़ियों पर बैठे देखा। उसने प्लेट काव्या के सामने रखी और उसका सर सहलाकर राधा की तरफ चली आयी।
“चीकू ! तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? जाओ मैंने तुम्हारे और काव्या दीदी के लिए सेंडविच बनाया है जाकर खा लो ,, चलो जाओ !!”,नीता ने कहा तो चीकू दौड़कर काव्या के पास चला गया वह काव्या के बगल में पड़ी कुर्सी पर बैठा और सेंडविच का टुकड़ा उठा लिया। वह अब लगभग अमायरा को भूल चुका था।
“माँ ! आप फिर रो रही है ना ?”,नीता ने राधा के सामने मंदिर की सीधी पर बैठते हुए कहा
“मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है नीता , आखिर ये सब क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है ? मेरे दोनों बच्चो पर और इस घर पर जैसे मुसीबतो का पहाड़ टूट पड़ा है। क्या ईश्वर को जरा भी रहम नहीं आता ? क्या उन्हें हम सबकी तकलीफे दिखाई नहीं देती ? वे इतने कठोर कैसे हो सकते है नीता ?”,कहते हुए राधा फिर सुबकने लगी
राधा को इस तरह दुखी देखकर नीता को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन इस वक्त घर के हालात वह समझती थी उसने राधा के हाथो को अपने हाथो में लिया और धीमे स्वर में कहने लगी,”माँ ! दादी माँ के बाद आप इस घर की बड़ी है। हम सब में आपको देखकर हिम्मत आती है और अब आप ही अपनी हिम्मत तोड़ रही है। आप ही तो कहती है न माँ कि बुरा वक्त कुछ वक्त के लिए आता है और फिर चला जाता है। ये बुरा वक्त भी गुजर जाएगा माँ,,,,,,,,,,,,मैं आपको इस हाल में नहीं देख पा रही हूँ ,
आपको ऐसे देखकर हम में से किसी को अच्छा नहीं लगता है माँ,,,,,,,,,,,,,चलिए उठिये , अपने कमरे में चलिए और आराम कीजिये ,, सब ठीक हो जाएगा।”
नीता ने जबरदस्ती राधा को रिक्वेस्ट करते हुए वहा से उठाया और उन्हें लेकर उनके कमरे में चली गयी। सीढ़ियों से आते हुए अर्जुन ने नीता की सारी बाते सुन ली थी वह सीधा हॉल में चला आया और आकर जीजू के बगल में मुंह लटका कर बैठ गया। सोमित जीजू ने अर्जुन को मुंह लटकाये देखा तो पूछा,”क्या हुआ ? मुंह क्यों उतरा हुआ है तुम्हारा ?”
“आशु तो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं है जीजू , मीरा को लेकर वो इतना बड़ा फैसला कैसे कर सकता है ? वो ऐसी बेवकूफी कैसे कर सकता है जीजू ? उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया है और बस रोये जा रहा है।”,अर्जुन ने उदासी भरे स्वर में लेकिन गुस्से से कहा
“रोने दो उसे,,,,,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने निराशा भरे भाव के साथ कहा
“ये आप क्या कह रहे है ?”,अर्जुन ने हैरानी से पूछा
“सही कह रहा हूँ अर्जुन रोने दो उसे,,,,,,,,,,,,,,,बीते दिनों में उसने जो कुछ खोया है उसका सारा गुस्सा और दर्द उसके सीने में भर चुका है वो गुस्सा किसी के नफरत बनकर बाहर निकले इस से बेहतर है वो रोये,,,,,,,,,इस वक्त हम में से कोई भी उसे समझ नहीं पायेगा ना ही समझा पायेगा। वो अकेला रहना चाहता है उसे अकेले रहने दो , जब नार्मल हो जाये तब उस से बात करना सही रहेगा,,,,,,,,,,,,,,वो थोड़ा गुस्से वाला है कोई भी फैसला करने से पहले ज्यादा सोच विचार नहीं करता शायद इसलिए उसने अपने और मीरा के रिश्ते को लेकर इतनी बड़ी बात कह दी पर तुम चिंता मत करो हम सब है ना,,,,,,,,,,,,,,,
हम ये नहीं होने देंगे। अक्षत और मीरा कभी अलग नहीं होंगे,,,,,,,,,,,,,,अभी परिस्तिथिया ठीक नहीं है अर्जुन हमे थोड़ा इंतजार करना होगा बस।”,सोमित जीजू ने अर्जुन को समझाते हुए कहा
“कभी नहीं सोचा था कि ऐसा पल भी आएगा,,,,,,,उसे ऐसे देखकर बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है जीजू।”,अर्जुन ने अपनी नम आँखों को उंगलियों से मसलते हुए कहा। जीजू ने अर्जुन को भावुक देखा तो उसे अपने सीने से लगाकर उसकी बाजू सहलाते हुए कहा,”बुरा वक्त कभी बताकर नहीं आता , ये वक्त भी गुजर जाएगा अर्जुन देखना सब ठीक हो जाएगा।”
“हम्म्म्म !!”,अर्जुन ने कहा क्योकि इस से ज्यादा कुछ कहने की हालत में वो बिल्कुल नहीं था।
“जीजू , अर्जुन आप दोनों भी आकर थोड़ा खाना खा लीजिये”,नीता ने हॉल में आकर कहा
“मुझे भूख नहीं है नीता तुम बच्चो को खिला दो , और माँ ने कुछ खाया या नहीं वो सुबह से बस रो रही है,,,,,,,,,,,,,मैं उनसे मिलकर आता हूँ।”,अर्जुन ने उठने की कोशिश करते हुए कहा लेकिन जीजू ने उसे वापस बैठा लिया और कहा,”मौसीजी को आराम करने दो अर्जुन , तुम्हे देखकर वे फिर से भावुक हो जाएगी,,,,,,,,,,,,,नीता तुम इसे लेकर जाओ और थोड़ा खाना खिला दो सुबह से किसी ने कुछ नहीं खाया है।
दादू और मौसाजी कहा है उनसे भी खाने के लिए कह देना प्लीज,,,!!”
“दादू और दादी माँ का खाना रघु भैया लेकर गए है उनके कमरे में , दादू की तबियत थोड़ी खराब थी इसलिए मैंने उनका खाना वही भिजवा दिया।”,नीता ने कहा
“दादू की तबियत को क्या हुआ वो ठीक है ना ?”,सोमित जीजू ने चिंता भरे स्वर में कहा
“शायद इन दिनों उन्होंने अपनी दवाईया वक्त से नहीं ली , पापा ने कल डॉक्टर अंकल से घर आने को कहा वे आकर दादू को चेक कर लेंगे,,,,,,,,,,,!!”,नीता ने कहा तो अर्जुन सर झुकाकर बैठ गया।
जीजू ने अर्जुन को हताश देखकर कहा,”जाओ खाना खा लो !”
“जीजू आप भी चलिए !”,नीता ने कहा
“मैं जरा बाहर होकर आता हूँ , तुम सब खाओ,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए जीजू उठे और वहा से चले गए।
दुःख कितना भी बड़ा हो लेकिन पेट की भूख के सामने हमेशा छोटा ही प्रतीत होता है। नीता के बार बार कहने पर अर्जुन उठा और डायनिंग टेबल की तरफ चला आया। काव्या और चीकू अपना सेंडविच खा चुके थे इसलिए दोनों वहा से उठे और ऊपर अपने कमरे में चले गए। नीता ने अर्जुन के लिए खाना परोस दिया।
“तुमने खाया नीता ?”,अर्जुन ने पहला निवाला तोड़ते हुए कहा
“ऐसे हालातों में भूख किसे लगती है अर्जुन , मैं माँ को खिलाकर आती हूँ तुम शुरू करो,,,,,,,,,,,,,!!”,नीता ने दूसरी प्लेट में खाना रखते हुए कहा और फिर राधा के कमरे की तरफ चली गयी।
अर्जुन ने देखा बाकि दिनों के बजाय आज खाना बिल्कुल सादा बना था उसने बुझे मन से खाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद विजय जी भी आकर कुर्सी पर बैठे और अपनी प्लेट में अपने लिए खुद ही खाना परोसने लगे। तनु किचन से पानी का जग लेकर आयी विजय जी को खाना परोसते देखकर कहा,”मौसाजी लाईये मैं कर देती हूँ।”
“तनु तुमने और नीता ने खाना खाया ?”,विजय जी ने पूछा
“हम लोग बाद में खा लेंगे मौसाजी,,,,,,,,,!!”,तनु ने विजय जी प्लेट में खाना परोसते हुए कहा।
विजय जी ने तनु का हाथ पकड़कर उसे बैठाते हुए कहा,”बैठो और खाना खाओ , तुम और नीता भी इस घर के बच्चे हो ,, अभी हालत बुरे है और हम सबको मिलकर इन्हे सही करना है अब उसके लिए ताकत तो चाहिए होगी न बेटा , और ताकत के लिए खाना भी जरुरी है,,,,,,,,,,,,!!”
तनु ने सूना तो उसकी आँखों से झर झर आँसू बहने लगे , उसे जरा भी भूख नहीं थी सिर्फ अक्षत मीरा ही नहीं बल्कि इस घर के हर सदस्य ने कुछ ना कुछ खोया था।
तनु को रोते देखकर विजय जी ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा,”तनु तुम मेरी बड़ी बेटी हो मैंने निधि और तुम में कभी कोई फर्क नहीं किया , तुम्हारी आँखों में मैं ये आँसू बिल्कुल नहीं देख सकता बेटा , रोना बंद करो और खाना खाओ। हम सब है ना , हम सबकी एकता ही इस घर की असली ताकत है जब तक हम सब साथ है इस घर का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता !”
“हम्म्म्म , सोमित कहा गए है ? उन्होंने भी सुबह से कुछ नहीं खाया वो भी थोड़ा कुछ खा लेते तो,,,,,,,,,,,,!”,तनु ने अपने आँसू पोछते हुए कहा
“जीजू शायद किसी काम से बाहर गए है दी , आप खा लीजिये वो जब वापस आ जाये तब उन्हें खिला देना।”,इस बार अर्जुन ने अपनी ख़ामोशी तोड़ते हुए कहा
अर्जुन की बात सुनकर नीता ने खाना शुरू कर दिया हालाँकि ऐसे हालातो में खाना उसके हलक से नीचे नहीं उतर रहा था पर भूख शांत करने के लिए खाना जरुरी था।
“अर्जुन !”,खाते हुए विजय जी ने एकदम से कहा
“जी पापा !”,अर्जुन ने कहा
“मैं सोच रहा हु कल मैं जाकर अमर जी से मिळू , उन्हें सब हालातों के बारे में बताऊ और उनसे कहुँ कि वे मीरा को समझा बुझाकर वापस घर भेज दे। आशु ने अगर वहा जाकर कुछ गलत बात भी कही है तो उसके लिए मैं उनसे माफ़ी मांग लूंगा पर ये सब सही करना बहुत जरुरी है बेटा,,,,,,,,,,,,,,,अक्षत मीरा की जिंदगी के साथ साथ इस घर की इज्जत का भी सवाल है।”,विजय जी ने गंभीरता से कहा
“आप ठीक कह रहे है पापा लेकिन अमर अंकल इस वक्त शहर से बाहर है और मीरा हम में से किसी मिलना नहीं चाहती,,,,,,,,,,,,,,!!”,अर्जुन ने उदास होकर कहा तो विजय जी हैरानी से देखने लगे और कहा,”मीरा को ऐसे वक्त में अकेला छोड़कर अमर जी शहर से बाहर कैसे जा सकते है ? अर्जुन मुझे तो कुछ गड़बड़ लग रही है , अमर जी इस शहर में नहीं है और मीरा ने सबसे मिलने से इंकार कर दिया क्या तुम्हे ये कुछ अजीब नहीं लगा ?”,विजय जी ने जिज्ञासा भरे स्वर में कहा
“हाँ पापा वही तो मैं नहीं समझ पा रहा कि आखिर मीरा हम सब से क्यों नहीं मिलना चाहती ?”,अर्जुन ने कहा
“इसका पता तो मीरा के घर जाकर ही चलेगा , कल सुबह मैं और सोमित जी मीरा के घर जायेंगे,,,,,,,,!!”,विजय जी ने विश्वास से भरकर कहा
“पापा ! मैं भी आपके साथ चलूँगा,,,,,,,!!”,अर्जुन ने कहा तो विजय जी ने सहमति में अपनी पलकें झपका दी।
अमर जी के घर के बाहर सड़क के उस पार खड़े सोमित जीजू काफी देर से घर की खिड़की की तरफ देख रहे थे। ये खिड़की मीरा के कमरे की थी शायद और जीजू काफी वक्त से मीरा का ही इंतजार कर रहे थे। उन्होंने घर पर किसी को नहीं बताया कि वे यहाँ आये है। जीजू इंतजार करते रहे लेकिन मीरा खिड़की पर नहीं आयी। उन्होंने मीरा का नंबर डॉयल किया लेकिन वो भी बंद था। हताश होकर जीजू ने फोन वापस जेब में रख लिया।
उन्हें कैसे भी करके एक बार मीरा से मिलना था , उस से बात करनी थी और जानना था कि आखिर अक्षत और उसके बीच में बात क्या हुई ?
“अब मुझे ये करना ही होगा,,,,,,,,,,,,!!!”,जीजू ने थके हुए स्वर में खुद से कहा और घर की बगल वाली दिवार के पास जा पहुंचे दिवार काफी ऊँची थी सोमित जीजू जैसे तैसे करके दिवार पर चढ़े और दूसरी तरफ घर के अंदर कूद गए। भारी शरीर होने के कारण उन्हें चोट भी लग गयी लेकिन उन्हें इसकी परवाह ना थी।
अँधेरे का फायदा उठाकर वे घर की तरफ जाने लगे। सोमित जीजू जैसे ही घर की खिड़की के पास पहुंचे घर के एक नौकर ने उन्हें देख लिए और चोर चोर कहके हल्ला कर दिया। घर की सभी लाइट्स जल उठी। उजालें में सबने देखा खिड़की के पास मिलने वाला वह आदमी कोई चोर नहीं बल्कि इस घर के दामाद के जीजाजी थे,,,,,,,,,,,,,,,,गार्ड ने सोमित जीजू पर जरा भी दया नहीं की और एक बार फिर उन्हें घर से बाहर धक्का दे दिया।
धक्के से लड़खड़ाए जीजू सामने सड़क पर पड़े कीचड़ में जा गिरे , कुछ चोट लगी , कपडे भी गंदे हो गए। उन्होंने सर उठाकर आसभरी नजरो से मीरा के कमरे कि खिड़की की तरफ देखा तो पाया “सौंदर्या” वहा खड़ी मंद मंद मुस्कुरा रही थी।
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संजना किरोड़ीवाल
Yrr bhut rona aa ra h pura part rote rote padha hh 🥺🥺🥺🥺
अब तो दिमाग लगाओ सोमित जीजू कि मीरा-अक्षत के बीच जो भी हो रहा है वो सौंदर्य बुआ करवा रही हैं… प्लीज़ कोई तो समझो यार…