हाँ ये मोहब्बत है – 24
Haan Ye Mohabbat Hai – 24
राधा नहीं चाहती थी माधवी और छवि अक्षत से मिले लेकिन सोमित जीजू के कहने पर उन्होंने माधवी को इजाजत दे दी। सोमित जीजू ने राधा से अंदर जाने को कहा और खुद घर से बाहर चला आये। बाहर अर्जुन पहले से गाड़ी स्टार्ट किये खड़ा था। सोमित जीजू गाड़ी में आकर बैठे और अर्जुन से चलने को कहा। अर्जुन ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी।
सोमित जीजू को खामोश देखकर अर्जुन ने कहा,”वो लोग कौन थे जीजू ?”
“आशु से मिलने आये थे , तुम्हे छवि दीक्षित याद होगी,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने अर्जुन की तरफ पलटकर कहा
“छवि दीक्षित,,,,,जिसका केस आशु ने लड़ा था और,,,,,,,,,,,,!”,कहते कहते अर्जुन रुक गया
“हाँ वही छवि , छवि और उसकी माँ इस केस को फिर से रीओपन करना चाहती है और चाहती है अक्षत फिर से इस केस को लड़े और खुद को सही साबित करे।”,सोमित जीजू ने कहा
सोमित जीजू की बात सुनकर अर्जुन ने एकदम से गाड़ी को ब्रेक लगाया और कहा,”क्या ? ये लोग पागल हो गए है क्या जीजू ? वो केस जिसका फैसला अदालत
सुना चुकी है उस केस को ये लोग वापस रीओपन करना चाहते है। इस केस की वजह से पहले ही आशु की जिंदगी में इतनी सब परेशानिया आयी थी वो क्या कम है जो अब फिर से,,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं इस बार मैं आशु को ये केस रीओपन नहीं करने दूंगा भले ही इस बार मुझे उसे बड़े भाई होने का हक़ ही क्यों ना दिखाना पड़े।”
“अर्जुन ! तुम आजकल दिल से बहुत सोचने लगे हो,,,,,,,,,,,,,,जरा अपने दिमाग से सोचो , अगर अदालत में ये केस फिर से रीओपन होता है और अक्षत इसे लड़ता है तो इस से दो फायदे है।”,सोमित जीजू ने अर्जुन को समझाते हुए कहा
“मैं कुछ समझा नहीं जीजू,,,,,,!!”,अर्जुन ने असमझ की स्तिथि में कहा
“ज़रा सोचो अक्षत अगर इस केस को लड़ता है तो इसे जीतने के लिये वो इसमें अपनी पूरी जान लगा देगा और उसकी वकालत भी उस से दूर नहीं होगी।”,सोमित जीजू ने कहा
“और दुसरा ?”,अर्जुन ने दिलचस्पी दिखाते हुए कहा
“दुसरा इस केस के जरिये हम ये पता लगा सकते है कि हमारी अमायरा को किसने मारा ?”,कहते हुए सोमित जीजू की आँखों में नमी तैरने लगी।
सोमित जीजू की बात सुनकर अर्जुन की आँखों में भी नमी तैर गयी और उसने कहा,”एक बार वो इंसान मेरे हाथ लग जाये जिसने हमारी अमायरा के साथ ये किया उसे मैं जिन्दा नहीं छोडूंगा जीजू,,,,,!!”
“सब्र रखो बहुत जल्दी वो शख्स हमारे सामने होगा , गुनहगार कितना भी शातिर क्यों न हो उसके गुनाह एक न एक दिन सबके सामने आते जरूर है। अब बताओ अक्षत को ये केस लड़ना चाहिए या नहीं ?”,सोमित जीजू ने पूछा
“लड़ना चाहिए , जरूर लड़ना चाहिए और हम सब उसके साथ है।”,अर्जुन ने कहा
“हाँ,,,,,,,,,,बस उसकी ताकत को घर लाना बाकि है।”,सोमित जीजू ने कहा
“आप मीरा की बात कर रहे है ?”,अर्जुन ने पूछा
“हाँ अर्जुन ! मीरा के बिना अक्षत अधूरा है ,, बाहर से भले वो मीरा के लिए कितना भी गुस्सा और नफरत दिखाए लेकिन मैं जानता हूँ अंदर से आज भी वो मीरा के लिये रोता है , उसका साथ पाने के लिये तड़पता है। मीरा सिर्फ उसकी मोहब्बत ही नहीं बल्कि उसकी ताकत भी है,,,,,,,,,,,,,इस वक्त दोनों नदी के दो किनारो पर खड़े है लेकिन हमे उन किनारो को एक करना होगा। मीरा को अक्षत की जिंदगी में वापस लाना होगा।”,सोमित जीजू ने कहा
अर्जुन ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ाते हुए कहा,”हाँ जीजू लेकिन कैसे ? वो दोनों तो एक दूसरे की शक्ल तक देखना नहीं चाहते,,,,,,,,उन्हें पास कैसे लाएंगे ?”
सोमित जीजू हल्का सा मुस्कुराये और कहा,”भूल गए अर्जुन इन दोनों की शादी किसने करवाई थी ? जब घी सीधी ऊँगली से ना निकले तो ऊँगली टेढ़ी करनी पड़ती है।”
“मैं कुछ समझा नहीं जीजू,,,,,,!!”,अर्जुन ने कहा
“धीरे धीरे सब समझ आ जाएगा , अब ऑफिस चलो देर हो जाएगी,,,,!!”,कहते हुए सोमित ने अपने हाथो को अपने सर के पीछे लगाया और सीट से लगकर मुस्कुराते हुए सोच में डूब गए।
अर्जुन ने सोमित जीजू को मुस्कुराते देखा तो खुद भी मुस्कुरा उठा। उसे यकीन था सोमित जीजू अक्षत की जिंदगी में सब ठीक कर देंगे। अर्जुन ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी और आगे बढ़ गया।
सोमित जीजू के कहने पर राधा छवि और माधवी के साथ अंदर आयी उन्होंने उन दोनों को बैठने को कहा और नीता को आवाज दी। नीता हॉल में आयी। छवि को देखते ही नीता को सब याद आ गया। उसने माधवी को नमस्ते किया और फिर किचन की तरफ चली गयी। कुछ देर बाद नीता वापस आयी उसके हाथ में ट्रे थी जिसमे चाय के कप रखे थे।
नीता ने माधवी जी को चाय दी तो उन्होंने राधा से कहा,”इन सब की क्या जरूरत है बस आप अक्षत को बुला दीजिये”
“ये हमारे घर के संस्कार है माधवी जी , इस घर में अगर दुश्मन भी आ जाये तो उसका अपमान नहीं करते”,राधा ने कहा जिसे सुनकर माधवी ने ख़ामोशी से चाय का कप उठाया और पीने लगी
घर आकर माधवी ने राधा के भरे हुए जख्मो को फिर से हरा कर दिया था। राधा को वहा बैठकर घुटन होने लगी तो उन्होंने नीता से कहा,”नीता ! ज़रा देखना आशु उठ गया क्या ? अगर वो जगा हुआ है तो उसे इनके आने की खबर दे देना मैं अपने कमरे में जाती हूँ।”
“ठीक है माँ,,!!”,नीता ने कहा तो राधा वहा से चली गयी
“माँ , हमने यहाँ आकर शायद आंटी का दिल दुखा दिया , ऐसे वक्त में हमे यहाँ नहीं आना चाहिए था।”,छवि ने धीमे स्वर में माधवी से कहा
“इनका दर्द मैं समझ सकती हूँ बेटा , मैं भी तो एक माँ हूँ ना , बच्चे जब तकलीफ में होते है तो एक माँ पर क्या गुजरती है ये बहुत अच्छे से जानती हूँ बेटा , मैं बस एक बार अक्षत से माफ़ी मांग लू तो शायद मेरे दिल का बोझ हल्का हो जाये।”,माधवी जी ने कहा
“हम्म्म्म ठीक है माँ लेकिन उसके बाद हम यहाँ से चले जायेंगे,,,,,,,,,,,,मैं सर को अब और तकलीफ देना नहीं चाहती।”,छवि ने मायूस होकर कहा
नीता जो कि वही कुछ दूर खड़ी थी जब उसने छवि की बात सुनी तो उसके पास चली आयी और कहा,”नहीं छवि ! तुम्हे ऐसा क्यों लगता है यहाँ आकर तुमने गलत किया बल्कि मैं तो कहूँगी कि तुम्हारी तरह हिम्मत हर लड़की में नहीं होती।
तुम्हारे साथ जो हुआ और तुमने जो झेला वो दर्द तो मैं तुम से नहीं बाँट सकती लेकिन अगर देवर जी ने तुम्हारी मदद की तो मुझे ख़ुशी होगी। तुम उन्हें क्या तकलीफ दोगी , तकलीफ तो उपरवाले ने दी है उन्हें,,,,,,,,,,,,,,,आज तक उन्होंने किसी का बुरा नहीं चाहा लेकिन किस्मत ने बदले में उन से सब छीन लिया। मैं भी किस बारे में बात करने लगी आप लोग चाय पीजिये मैं उन्हें बुलाकर लाती हूँ।”
कहकर नीता वहा से चली गयी। माधवी ने महसूस किया इस घर के हर इंसान का एक अलग ही रूप था जो उन्हें बाहरी दुनिया से अलग बनाता था। कोई घमंड नहीं , कोई रंजिश नहीं ना ही कोई नफरत हर किसी की आँखों से बस मोहब्बत और बातो में उदासी झलकती थी। माधवी ने चाय ख़त्म की और कप टेबल पर
रखकर अक्षत का इंतजार करने लगी।
नीता ऊपर आयी और अक्षत के कमरे के सामने चली आयी जिसका दरवाजा बंद था। आज भी घर के लोगो को अक्षत के कमरे का बंद दरवाजा खटखटाने में डर लगता था। नीता ने एक गहरी साँस ली और हिम्मत करके दरवाजा खटखटाया। कुछ देर बाद अक्षत ने दरवाजा खोला , उसने जब नीता को देखा तो कहा,”आप यहाँ क्यों आयी है ?”
“आपसे मिलने नीचे कोई आया ?”,नीता ने कहा
“उनसे कह दीजिये मैं घर पर नहीं हूँ”,कहते हुए अक्षत ने दरवाजा वापस बंद करना चाहा लेकिन नीता ने हाथ बीच में करके दरवाजा बंद करने से रोक लिया और कहा,”नीचे आपसे मिलने छवि आयी है”
छवि का नाम सुनते ही अक्षत की आँखों के सामने सब किसी फिल्म की भांति घूमने लगा।
छवि से उसका पहली बार टकराना , उसका केस लड़ना , केस हारना और आखिर में माधवी जी का थप्पड़,,,,,,,,,,,,,,,,ये सब याद आते ही अक्षत की आँखों में गुस्से और निराशा के भाव तैरने लगे
उसने कहा,”उस से जाकर कह दीजिये मुझे किसी से नहीं मिलना,,,,,,!!”
“लेकिन देवर जी वो,,,,,,,,,,,,,,,!!”,नीता ने एक कोशिश की
“मैंने कहा ना मुझे किसी से नहीं मिलना,,,,,,,,,,,,,,,कह दीजिये उन से कि यहाँ से चले जाए”,कहकर अक्षत ने जोर से दरवाजा बंद किया और अपने कमरे में चला गया। अक्षत की आवाज इतनी तेज थी कि एक पल के लिये नीता भी सहम कर पीछे हट गयी। साथ ही नीचे बैठी छवि और माधवी जी तक भी उसकी बात पहुँच गयी।
निराश होकर नीता नीचे चली आयी और माधवी के सामने आकर कहा,”आपने शायद,,,,,,,!!”
“मैंने सब सुन लिया , अक्षत हम लोगो से मिलना नहीं चाहता,,,,,,,,,,,,कोई बात नहीं मैं बाहर बैठकर उसका इंतजार करुँगी”,कहते हुए माधवी ने नीता के सामने हाथ जोड़े और छवि को वहा से लेकर चली गयी। छवि ने पलटकर नीता को देखा उसकी आँख में ठहरा आँसू गाल पर बह गया। छवि को उम्मीद थी कि अक्षत उसकी मदद करेगा लेकिन अक्षत ने भी मना कर दिया।
घर से बाहर आकर माधवी जी सामने पड़ी बेंच पर आ बैठी।
अपनी माँ का उतरा हुया चेहरा देखकर छवि रोने लगी तो माधवी जी ने कहा,”तू क्यों रोती है छवि ? अक्षत हम से नहीं मिला ये सोचकर अरे पगली उसका दिल मोम है मोम देखना वो खुद आकर हम लोगो से मिलेगा,,,,,,,,,,,,,!!”
“मेरी वजह से आज आपको ये सब देखना पड़ रहा है ना माँ ? काश मैं पैदा होते ही मर जाती”,छवि ने सिसकते हुए कहा
“छवि,,,,,,,,,,,ख़बरदार जो दोबारा ऐसी बात की , तेरे सिवा मेरा इस दुनिया में है ही कौन ? तुम्हारी ख़ुशी के लिए मुझे जो करना पड़े मैं करुँगी,,,,,,,,,,,,,,,!!”,माधवी ने कहा तो छवि उनके गले आ लगी
बेंच पर बैठी दोनों अक्षत से मिलने का इंतजार करने लगी।
मीरा के पापा का एक्सीडेंट हुआ है ये बात जानने के बाद अखिलेश तुरंत jk लॉन हॉस्पिटल पहुंचा। हॉस्पिटल के बाहर इतनी मिडिया वालो और पुलिस वालो की इतनी भीड़ थी कि उसे किसी ने अंदर ही नहीं जाने दिया। थक-हारकर अखिलेश साइड में चला आया। पास ही खड़े कुछ लोग बाते कर रहे थे जो की अखिलेश के कानो में साफ साफ पड़ रही थी।
“सुना है किसी बड़े बिजनेसमैन का एक्सीडेंट हुआ है”,एक आदमी ने कहा
“अरे इंदौर के बड़े बिजनेसमैन है ,, मैंने तो ये भी सूना है कि राजघराने से है। अपने काम से शहर से बाहर गए थे किसी ने गाड़ी से बहुत बुरी तरह से टक्कर मार दी उनको,,,,,,,,,,,,,,,,अभी थोड़ी देर पहले किसी ने बताया कि बहुत नाजुक हालत में है।”,दूसरे आदमी ने कहा
“हमको नहीं लगता बचेगा,,,,,,,,,,,,,अरे भैया जितना ज्यादा पैसा उतने ज्यादा दुश्मन , अब कौन किसका दुश्मन बन जाए जे कौन जानता है ? परिवार में कोई है कि नहीं ? सूना कोई बाहरवाला ही लेकर आया और हॉस्पिटल के बाहर छोड़कर चला गया”,पहले आदमी ने कहा
“एक बेटी है बस उसकी भी शादी हो चुकी है,,,,,,,,,,,,,,,,,अगर मर भी गया तो कोई कंधा देने वाला भी नहीं है इनको”,आदमी ने जैसे ही कहा अखिलेश को गुस्सा आ गया और उसने आदमी की कॉलर पकड़ते हुए कहा,”ए ये क्या बकवास कर रहे हो उनके बारे में ? उनको कन्धा देने के लिये बहुत लोग है तुम अपनी ये बकवास बंद करो समझे”
कहते हुए अखिलेश ने आदमी को दूसरे आदमी की तरफ धकियाया और वहा से चला गया
“अरे ये कौन था भैया ?”,आदमी ने अपना कुर्ता सही करते हुए कहा
“हो सकता है उनका कोई रिश्तेदार हो,,,,,,,,,,,,,,चलो चलते है यहाँ से ये ड्रामा तो अब शाम तक ऐसे ही चलना है।”,कहकर दोनों आदमी वहा से चले गए।
अखिलेश वहा से हटकर भीड़ की तरफ आया और मन ही मन खुद से कहने लगा,”लगता है मीरा मैडम के पापा ज्यादा सीरियस है ,, वैसे भी उसके होते मीरा मैडम मेरी कभी नहीं होती , यही सही मौका है मीरा मैडम का दिल जीतने का और उन्हें भरोसा दिलाने का कि इस दुनिया में मुझसे ज्यादा प्यार उन से कोई नहीं कर सकता है।”
अपने नापाक इरादों के साथ अखिलेश भीड़ से होकर चुपचाप हॉस्पिटल के अंदर चला गया।
चित्रा तैयार होकर कोर्ट चली आयी। रोजाना के बदले आज चित्रा कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रही थी और अलग भी,,,,,,,,,,आज काफी दिनों बाद उसने गुलाबी फूलो वाली सफ़ेद रंग की साड़ी पहनी थी साथ ही बालों को गूंथकर चोटी बनायीं हुई थी जिनमे से छनकर एक दो लटे उसके गालो पर झूल रही थी। होंठो पर हलकी गुलाबी लिपस्टिक थी और हाथ में प्लेटिनम की घडी। एक हाथ में कानून की किताबे और दूसरे हाथ में अपना बैग सम्हाले चित्रा कॉरिडोर से गुजरी।
कोर्ट में काम करने वाले लोगो का आज भी चित्रा को देखकर वही हाल था। सब उसे देखकर दूर से ही आहे भरा करते थे लेकिन चित्रा ज्यादा किसी को भाव नहीं देती थी। चित्रा माथुर साहब के केबिन में आयी। चित्रा को खुश देखकर माथुर जी ने कहा,”क्या बात है चित्रा आज तुम बहुत खुश नजर आ रही हो ?”
“जी सर , पता नहीं क्यों पर लग रहा है जैसे अक्षत सर बहुत जल्द इस कोर्ट में वापस आएंगे,,,,,,,,,,!!”,चित्रा ने चहकते हुए कहा
“अभी कहा , अभी उसका लायसेंस फ्री होने में 5 महीने बाकि है , लेकिन मुझे पूरा यकीन है उसके वापस आने तक तुम और सचिन सब सम्हाल लोगे।”,माथुर जी ने कहा
“हाँ सर , उन्ही के नक़्शे कदम पर चलना है अब तो ताकि अक्षत सर जब वापस आये तो देखे कि उनका नाम अभी कायम है। अच्छा सर मुझे कुछ बुक्स चाहिए थी क्या मैं आपकी लायब्रेरी से ले लू ?”,चित्रा ने कहा
“बिल्कुल इसमें पूछने की क्या बात है , ले लो।”,माथुर जी ने कहा और अपने काम में लग गए
चित्रा ने कुछ किताबे ली और लेकर बाहर निकल गयी। चित्रा ऊपर अक्षत के केबिन में आयी और सामने से आते सचिन से टकरा गयी। टकराने से किताबे नीचे जा गिरी। चित्रा को आज कई दिनों बाद साड़ी में देखकर सचिन का दिल धड़क उठा लगा जैसे अभी बाहर आ गिरेगा। चित्रा के साथ ही वह नीचे बैठकर किताबे उठाने लगा और किताबे चित्रा की ओर बढ़ाते हुए कहा,”चित्रा,,,,,,,,,,,क्या तुम जानती हो ऐसे टकराने से अक्सर मोहब्बत हो जाय करती है।”
“मोहब्बत तो हो गयी है।”,चित्रा ने अदा के साथ मुस्कुराकर अंदर आते हुए कहा
“अच्छा किस से ?’,सचिन ने भी चित्रा की बातो में दिलचस्पी दिखाते हुए कहा
“सचिन अगर मैं सच कहु तो क्या तुम यकीन करोगे ?”,चित्रा ने अपनी आँखे चमकाते हुए कहा
” अरे हाँ बिल्कुल तुम बताओ ना किस से मोहब्बत हो गयी है तुम्हे ?’,सचिन ने धडकते दिल के साथ कहा जैसे उसे उम्मीद हो चित्रा उसका नाम लेगी।
चित्रा मुस्कुराई और पालते हुए कहा,”मुझे अक्षत सर से मोहब्बत हो गयी है सचिन”
सचिन ने जैसे ही सूना उसका दिल टूट गया लेकिन उसने अपने चेहरे पर झूठी हंसी को बरक़रार रखा जबकि अंदर ही अंदर उसका दिल टुटकर बिखर रहा था। चित्रा खुश होकर पलटी और कहा,”यस ! आई ऍम इन लव विथ अक्षत व्यास”
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