Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

गीतांजलि

Table of Contents

Geetanjali

Geetanjali

Geetanjali by Sanjana Kirodiwal

heart a brokenbroken heart a

Geetanjali

पिछले 2 घंटे से मैं ट्रेन का इन्तजार कर रहा था, पर ट्रेन आज कुछ ज्यादा ही लेट थी ,, शाम के 4 बज रहे थे और गर्मी के कारण मुझे उबासियाँ आ रही थी , उठकर नल की तरफ गया मुँह धोया पानी पिया तब जब जाकर थोड़ा अच्छा महसूस हुआ ! इतने में चाय वाला आया मैंने एक चाय ली और इत्मीनान से पीने लगा,

चाय ख़तम होते ही मैं पास के बुक स्टाल गया और कुछ किताबे खरीदी , क्युकी सफर बहुत लम्बा था उसे काटने के लिए किताब से अच्छा साथी भला और कौन हो सकता है …

जैसे ही किताब लेकर वापस आया ट्रेन भी आ चुकी थी , मैंने जल्दी से सामान उठाया और ट्रेन में चढ़कर खिड़की वाली सीट अपने नाम कर ली l सफर करते वक्त ट्रेन या बस की खिड़की मेरी पहली पसंद रही है .. जिस बर्थ में मैं था वो खाली थी , मैंने अपने पैर पसार लिए और आराम करने लगा कुछ ही देर में मेरे सामने वाली सीट पर एक बुजुर्ग दम्पति आ पहुंचे …

मैंने बैग से मोबाइल और इयर फोन निकाले और कान में लगा गाने सुनने लगा ताकि उस दम्पति की बात मुझे ना सुननी पड़े ..

मेरा नाम जयंत शर्मा था पर घर बाहर हर कोई मुझे “जय” नाम से बुलाता था ..

अपने माँ पापा का इकलौता बेटा था पापा का खुद का बिजनेस था और उन्होंने मुझे कई बार कहा भी काम सम्हालने को पर मुझे कुछ अलग करना था मैं राइटर बनना चाहता था ,

और इसलिए घर से दूर बैंगलोर जा रहा था जॉब के लिए ताकि अपना सपना पूरा कर सकू !! गाने सुनते सुनते जब थक गया तो मैंने फोन वापस बैग में रख लिए इतने में चाय वाला अा गया , मैंने चाय ली , और साथ बैठे अंकल आंटी के लिए भी दो कप बोल दी पहले उन्होंने ना नुकर की बाद में ले ली ,,

चाय पिते पिते उन्होंने बताया की दो दिन बाद उनकी शादी की 50वी वर्षगाठ है और वो अपना सेकंड हनीमून मनाने जा रहे है ,,

मुझे बहुत ख़ुशी हुयी इस उम्र में भी उनका प्यार बरकरार था ,, कुछ देर इधर उधर की बाते हुयी और उनका स्टेशन अा गया उन्होंने मुझसे विदा लेते हुए कहा – “अरे !! बेटा तुमने बताया नहीं तुम क्या करते हो ?

मैं अभी एक अपूर्ण लेखक हु अंकल जिस दिन पूरा लेखक बना आप दोनों की लव स्टोरी पर बुक जरूर लिखूंगा – मैंने हसते हुए कहा

ट्रेन चल पड़ी और वो दोनों तब तक हाथ हिलाकर मुझे अलविदा करते रहे जब तक मैं उनकी आँखों से ओझल नहीं हो गया कुछ देर दरवाजे पर खड़े रहने के बाद में वापस अपनी सीट पर आ गया , और एक बार फिर मैं अकेला हो चूका था .. रात के 9 बज रहे थे , गाड़ी स्टेशन पर 20 मिनिट के लिए रुकने वाली थी सोचा बाहर चलकर थोड़ा कुछ खा लू …

बाहर आकर खाना खाया और फिर एक सिगरेट जला ली , मुझे बस एक यही बुरी आदत थी लेकिन माँ पापा के सामने कभी नहीं पि !! सिगरेट ख़तम कर वापस ट्रेन में आ बैठा सोचा अब इत्मीनान से बैठकर किताबे पढूंगा ..

मैंने खरीदी हुयी किताबो में से एक किताब निकाली और उसके पन्ने पलटने लगा तभी अचानक मेरी नजर सामने ऊपर की सीट पर गयी वहा एक किताब पड़ी थी . मैंने उसे उठाया उलट पलट कर देखा वो एक डायरी जैसी लग रही थी , पर किसकी थी और यहाँ कैसे ? सवाल मेरे मन में एक एक कर आने जाने लगे ,,

कुछ देर मैं उसको हाथ में लिए बैठा रहा , फिर धीरे धीरे मेरे मन में उस डायरी को खोलने की जिज्ञाषा होने लगी .. पर इस तरह बिना किसी की इजाजत के उसकी डायरी पढ़ना भी गलत है लेकिन मैं खुद को रोक नहीं पाया और मैंने डायरी खोली खोलते ही पहले पन्ने पर मेरी नजर कुछ देर के लिए जैसे ठहर सी गयी ,,

कोई इतना खूबसूरत कैसे हो सकता है उसकी बड़ी बड़ी आँखे , गुलाबी होठ जो एक प्यारी सी मुस्कान लिए हुए थे उसके गालो पर आते बालो की लटे उसकी खुबसुरती पर चार चाँद लगा रही थी . मैं अपलक उसे देखता रहा , तभी मेरी नजर उसकी तस्वीर के निचे लिखे उसके नाम पर गयी

“गीता माथुर”

कितना खूबसूरत नाम था उसका #गीता ,

आजकल के नामो से कई ज्यादा सुन्दर और शांत … मैं पहली ही नजर में उसके नाम और तस्वीर से प्यार कर बैठा !!

मेरी जिज्ञाषा अब चरम सीमा पर थी मुझे बस वो डायरी पढ़नी ही थी मैंने फिर पन्ना पलटा जिस पर बहुत कुछ लिखा हुआ था …. मैंने पढ़ना शुरू किया लेकिन पहली लाइन पढते ही मेरा दिल टूट गया

” आज मैं बहुत खुश हु आज मेरी विश्वास से शादी है !!

बस इतना काफी था मुझे ऊपर से निचे गिराने के लिए , मेरी प्रेम कहानी दुनिया की सबसे छोटी प्रेम कहानी थी ,,, मैंने एक गहरी सास ली और पढ़ना शुरू किया क्योकि मेरी जिज्ञाषा अभी भी कम नहीं हुयी थी

” आज मैं बहुत खुश हु आज मेरी विश्वास से शादी है , हां ये एक अरेंज मैरिज है पर मुझे उनसे शादी से पहले ही प्यार हो चूका था , जब हमारी सगाई हुई थी ,घर में सब मेरे नसीब की तारीफ करते नहीं थक रहे थे ,

माँ तो ख़ुशी से फूली नहीं समाँ रही थी बस बार बार सबसे कहती – बहुत अच्छा घर मिला है ,

जमाई जी बैंक में नौकरी करते है , सब लोग खुले विचारो वाले है , गीता के तो भाग ही खुल गए .. और मैं उनकी बाते सुन शर्मा जाती थी ,, और आज वो दिन आ गया जब मुझे दुल्हन बन कर विशवास के घर जाना है ,, I

विदाई के समय माँ सबसे ज्यादा रोई , विश्वास के घर सब ने मेरा स्वागत किया पर विश्वास की माँ की आँखों में वो प्यार नहीं था जो मैं देखना चाहती थी सोचा शायद शादी की भागदौड़ में थक गयी है … सुबह से लेकर शाम तक रस्मे निभाते निभाते मैं बुरी तरह थक चुकी थी .. शाम तक अधिकांश रिश्तेदार जा चुके थे बस इक्के दुक्के लोग ही बचे थे ,, घर की माँ पापा की बहुत याद अा रही थी , माँ पापा से बात की तो मन कुछ हल्का हुआ …

रात के 11 बज चुके थे पर अभी तक विश्वास नहीं आये , थकान और गर्मी के वजह से मुझे नींद आ गयी देर रात जब विश्वाश आये तो आँख खुली पर उनका अलग ही रूप देखने को मिला उस रात मुझे एक गन्दी बदबू उनके मुँह से कपड़ो से आ रही थी , हां वो शराब पीकर आये थे …

और ये सब मेरी सोच से परे था , मैंने कभी सोचा नहीं था विश्वास ये रूप भी देखने को मिलेगा l शादी से पहले विश्वाश ने मुझसे झूठ कहा की वो शराब नहीं पिता , पर सच्चाई कुछ और ही थी मेरी आँखों से आंसू छलक आये विश्वाश को इस बात का मलाल नहीं था ,

उसने आगे बढ़कर मुझे अपनी बांहो में भर लिया मेरे मना करने के बाद भी वो मेरे बदन को नोचता रहा , कहने को मेरा हमसफ़र था पर उसे कोईरहम कोई दया नहीं थी , न ही मेरे इंकार का ख्याल बस उसे अपनी मर्दानगी दिखानी थी …

उस रात मेरा “बलात्कार” हुआ था ??

हां ये सच है

आप सोच रहे होंगे कैसे , ये बलात्कार कैसे हो सकता है ,

एक शादीशुदा लड़की का पति उसको प्यार करे , उसे छुए , तो ये बलात्कार कैसे हो सकता है भला ,

ये तो उसका हक़ है

पर मैं नहीं मानती ऐसे हक़ ,

ऐसे समाज को जहा एक औरत की “ना” का कोई महत्व नहीं हो चाहे वो मेरा हमसफ़र ही क्यों ना हो अगर मेरे मना करने के बाद भी वो मेरे साथ जबरदस्ती करता है तो वो प्यार नहीं “बलात्कार” ही है और उस रात मेरा बलात्कार हुआ था , और उसके बाद ना जाने कितनी बार हुआ पर मैं उस चीज का विरोध नहीं कर पायी क्युकी मर्यादा और इज्जत नाम की बेड़ियों में मैं बंधी हुयी थी !!

और फिर मैंने खुद को उसके अनुसार बना लिया प्यार जैसा कुछ नहीं था हम दोनों में बस शारीरिक जरूरते थी वो भी सिर्फ उनकी जो पूरी हो जाया करती थी ,, बेटी बनाकर लाने वाले सास ससुर को भी कोई खास फर्क नहीं पड़ता ,,

उल्टा उनकी गलतियों पर पर्दा डालने के लिए उनकी माँ हमेशा आगे रहती , अपने ही हाथो अपने बेटे की बसी बसाई दुनिया उजाड़ने में उनका खास योगदान भी रहा !! वो लोग मुझे पसंद नहीं करते थे कई दिनों तक समझ नहीं आया की ऐसा क्यों आखिर क्या कमी है मुझमे ??

पर मेरे पास सिर्फ सवाल थे उनका जवाब नहीं और फिर कुछ दिनो बाद जवाब भी मिल गया जब विश्वास की माँ ने किसी से फोन पर कहा – अरे !! हम तो फस गए ये शादी करके , सोचा था नौकरी करती है तो कुछ न कुछ तो लाएगी ही घर में, पर इसकी माँ ने तो कपड़ो और चंद सामान के अलावा कुछ नहीं दिया हमे l और मुझे तो ये पसंद भी नहीं थी विश्वास की वजह से ही इसे अपने घर में ले आयी , वरना इसकी क्या औकात मेरे बेटे से शादी करने की …

टूट सी गयी ये सुनकर , अगर पसंद नहीं तो फिर शादी क्यों की ?

पर सहन करना पड़ा ,

अपने लिए नहीं अपने माँ पापा के लिए ताकि उनको कभी मेरी वजह से शर्मिंदा न होना पडे बस ढाल लिया खुद को उनके हिसाब से , जैसा वो लोग चाहते थे वैसा बना लिया खुद को , विश्वास को मैं पसंद भी थी तो सिर्फ जरुरत के हिसाब से , उन्होंने कभी मेरा दुःख मेरा सुख जानने की कोशिश नहीं की !!

कभी नहीं जाना मैं क्या चाहती हु , मेरी जरूरते क्या है मैं बस कोल्हू का बैल बन चुकी थी जो चक्कर घिनि की तरह चक्कर पे चक्कर काट ती रहती बहुत बार समझाया , जताया पर कभी उनको अहसास ही नहीं हुआ की वो गलत है ,

बहुत बार जब सहा नहीं गया तब घर छोड़ माँ के घर आयी उनसे मदद मांगी पर हर बार उन्होंने समझा कर भेज दिया !!

विश्वास की तरह वो भी मेरे जज्बातो को समझ नहीं पायी या शायद समझना नहीं चाहती थी ,

माँ जो थी समझ सब रही थी पर मजबूर थी , बेटी की माँ जो थी बसा बसाया घर कैसे उजाड़ देती !!

पर मुझे शिकायत नही थी उनसे ,,

फिर एक ख़ुशी का पल आया , मैं सारा दर्द भूल चुकी थी ,

वो सब कुछ जो अब तक गलत हो रहा था मेरे साथ !! मेरे पेट में एक नन्ही सी जान पल रही थी .. .

मुस्कुराना भूल चुकी थी पर जब उसे महसूस किया तब वापस मुस्कुराने लगी थी .. पर वो पल सिर्फ कुछ पल के लिए था , ठहरा ही नहीं जिंदगी में अंधविश्वास के चलते उसकी जान ले ली उन लोगो ने !!

मैं कभी माफ़ नहीं कर सकती , शायद कभी कर भी ना पाउ ,, एक आखरी उम्मीद थी जो मैं अब खो चुकी थी !! उसके जाने का किसी को दुःख नहीं था , उसे इस दुनिया में आने ही नहीं दिया उन लोगो ने दुःख कैसे होता >?? वक्त हर जख्म भर देता है , हर याद मिटा देता है ,,, पर कुछ यादो को मिटा पाना वक्त के वश की बात नहीं ,,

मैं भूल नहीं पायी वो हादसा , कैसे भूल सकता है भला कोइ .. उसके बाद तो इल्जाम भी मुझपर ही लगे , उंगलिया भी मुझपर उठी , और गुनहगार भी मैं बन गयी … पर चुप क्युकी मुझे सजा देने वालो को ये समाज मेरा अपना बताता है l

और जब एक औरत सहना शुरू कर देती है तो हर कोई उसे आजमाना शुरू कर देता है , उसके अपने , पराये , घर की हर एक चीज और जब नहीं सह पाती तो ख़तम कर लेती है अपनी कहानी पर मैं इतनी कमजोर नहीं थी , सहती रही तब तक जब तक हिम्मत थी , जब नहीं सहां गया छोड़ आयी वो घर जहा मेरी कोई जरुरत नहीं थी , छोड़ दिया रिश्ता जो मज़बूरी के धागे से बंधा था , छोड दिया उस हमसफ़र को जो मेरी हिफाजत नहीं कर सकता …..

अपने घर लौट आयी माँ के पास इस बार माँ ने मुझे अपना लिया ,,

इस बार उन्होंने मेरे जज्बात समझ लिए थे ..

मेरे हालत देख कुछ नहीं बोली वो बस सीने से लगा लिए .. और उस वक्त उसी की जरुरत थी मुझे सारा दर्द आंसूऔ के जरिये बह गया .. विश्वाश और घरवालो ने मेरी कोई खबर नहीं ली …. लेते भी क्यों उनके रस्ते का कांटा जो निकल चूका था टूट चुकी थी अंदर ही अंदर !! सुनने वाले बहुत थे समझने वाला कोई नहीं था !! कहना चाहती भी नहीं थी …. Iजिंदगी को एक नया मोड़ देने की कोशिश की ,

फिर से नौकरी शुरू की लेकिन लोग इतनी जल्दी भूलने नहीं देते , एक हाथ में मरहम और एक हाथ में नमक लेकर घूमते है , हर कोई बस जिस्म पाने की नजरो से देखने लगा !! अकेली लड़की बहती नदी है जहा हर कोई हाथ धोना चाहता है … सोचा नहीं था जिंदगी में ये दौर भी आएगा , अपनों और गैरो के बिच का फर्क समझने लगी थी छ महीने निकले ..

दोनों पक्षों में खुब बहस हुयी एक दूसरे पर कीचड़ उछाला जाने लगा .. इलजाम लगे , दलीले पेश हुयी और फिर राय मशवरा होकर सुलह हो गयी – हमेशा की तरह हर बार की तरह मेरी राय इस बार भी नहीं पूछी किसी ने हर किसी को बस अपनी इज्जत की परवाह थी ,

समाज के उन ठेकेदारों का कहना था – औरत हो , सहना सिखो !!

मैं नहीं जाना चाहती थी पर जाना पड़ा ,

कुछ नहीं बदला था सब वैसा ही था , यु कहो पहले से ज्यादा अकेली पड़ गयी … खामोश हो चुकी थी , जैसा वो लोग चाहते थे खुद को वैसा ही बना लिया था ,, पर जिंदगी इतनी आसान नहीं थी मेरे लिए ,, जिस भरोसे के साथ घरवालों ने वापस भेजा था वो भरोसा मेरी हड्डियों के साथ साथ टूट चूका था

कभी गालिया , कभी ताने कभी मजाक उड़ाना – सब कुछ हो रहा था मेरे साथ और उस रात जब मैंने बिस्तर पर उसका साथ नहीं दिया चमड़े की बेल्ट से उधड़ चूका था सारा शरीर ,, मुँह पर ना जाने कितने ही घुसे मारे गए जिनका कोई हिसाब किताब नहीं था ..

जब कमरे से बाहर जाते वक्त मेरे बेजान चेहरे पर उसने थूका और बाहर निकल गया

तब मर चूका था मेरा आत्मसम्मान !!

कुछ बाकि नहीं बचा था ! मैं जी तो रही थी पर सिर्फ एक जिन्दा लाश बनकर कुछ महसूस नहीं कर सकती थी , कुछ महसूस होता ही नहीं था ,, ख़ुशी अब ख़ुशी नहीं लगती थी गम अब गम नहीं लगता था !! शादी , प्यार , पति , इन सबका कोई महत्व नहीं रह गया था अब !! हार चुकी थी जिंदगी से , खुद से , समाज के इन खोखले रिवाजो से जहां पति का घर ही औरत का सबकुछ होता है !!

आंसू अब आँखों में जम चुके थे मैं अपना जिस्म उसे सौंप चुकी थी हर रोज मेरा शरीर नोचा जाता प्यार के नाम पर , मैं उसे प्यार नहीं मानती थी मेरी आत्मा तो कबका मर चुकी थी ,, पत्नी होने का दर्जा मुझे दोबारा नहीं मिला उस घर में , चाहकर भी अब किसी से अपना दर्द नहीं बाँट सकती थी !! बस सह रही थी ना जाने क्यों …

दुखो की धुप में छांव का एक झोंका आया जब एक बार फिर मेरी कोख में नन्ही सी जान पल रही थी 9 महीने बाद मैंने एक बहुत ही प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया , पर उसे देखकर कोई खुश नहीं था ! उन सबको लड़का चाहिए था !! वो बिलकुल मेरे बगल में लेटी थी , एकदम मासूम सी अपनी बड़ी बड़ी आँखों से मेरी तरफ देख रही थी !! उसका नाम मैने “अंजलि” रखा था … वो बिलकुल मेरे जैसी थी !! मेरी दुखभरी जिंदगी में वो ख़ुशी बनकर आयी थी ,,

पर अगले ही दिन वो अस्पताल से गायब थी … पूछने पर किसी ने कोई जवाब नहीं दिया

मैं अपनी बच्ची के लिए रोती, चिल्लाती रही सबसे रहम की भीख मांगती रही पर किसी ने कुछ नहीं बताया … मुझे तब होश था नहीं वो लोग मुझे घर ले आये मेरे माँ पापा को इस बारे में कोई खबर नहीं थी ….

होश में आने पर मैंने फिर पूछा – मेरी बेटी कहा है ?

एक जोरदार तमाचा मेरे गाल पर रसीद कर दिया उसने ,, मुँह के बल गिर पड़ी मैं मुँह से खून आने लगा …

मुझे मेरी बच्ची लौटा दो , मैं आप लोगो के हाथ जोड़ती हु मेरी बच्ची कहा है बता दीजिये !!

मर गयी तेरी बच्ची !!

जैसे ही ये शब्द मेरे कानो में पड़े , धड़ाम से निचे गिर पड़ी मैं ….. कुछ समझ नहीं आया ,, दिमाग फटने लगा था मेरा , दिमाग में जैसे सेकड़ो लाउड स्पीकर बज रहे हो ,, ट्रेन की तेज आवाज , कभी जोर जोर से हसने की आवाजे कभी रोने की आवाजे … एक साथ कानो में गूंजने लगी ,, मैं रोना चाहती थी मैंने अपना आखरी सहारा भी खो दिया था चिल्लाना चाह रही थी पर आवाज जैसे हलक में जम गयी हो जैसे …

उसने मेरी बाह पकड़ी और घसीटते हुए कमरे में ले जाने लगा ना जाने कहा से मुझमे इतनी ताकत आ गयी मैंने उसे जोर का धक्का मारा उसका सर दिवार से जा लगा ,,

मैं वहां से बाहर की तरफ भागी ,

इस बार मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा तेज ,

और तेज मैं बस भागे जा रही थी बेतहासा ,,

रास्ता कोनसा था नहीं मालूम बस इन सब से बहुत दूर जाना था ,,,

भागते भागते ठोकर खाकर गिर पड़ी ,,, सिने में जो दर्द का सैलाब था वो आंसू बनकर बह गया …

क्या करू ?

कहा जाऊ ?

कहा ढूँढू

अपनी बच्ची को ,,

हर मंदिर , मस्जिद , स्कूल , सब जगह ढूंढा उसे , पर उसका कोई पता नहीं ….

अगर वो इस दुनिया में है तो मैं उसे ढूंढ कर रहूंगी – 24-12-2012

इसके आगे कुछ नहीं लिखा था उसमे आगे के सारे पन्ने खाली थे उनमे कुछ नहीं लिखा था ..

मैंने पन्ने पलट कर देखे पर सब के सब खाली थे !!

इसके बाद क्या हुआ कुछ नहीं लिखा था मैंने महसूस किया गालो पर आंसुओ की लकीरे उभर आयी थी मेरे , गला सुख गया था ,, उसके साथ जो हुआ वो अब आँखों के सामने घूम रहा था … उसका दर्द महसूस हो रहा था या यु मानो उसके दर्द से जुड़ चूका था ..

मैंने घडी में टाइम देखा सुबह के 5 बज रहे थे ,

उस डायरी को पढ़ने में इतना डूब चूका था वक्त का पता ही नहीं चला , मैंने डायरी बंद की और बैग मे रख ली !! कुछ ही देर बाद मेरा स्टेशन आ गया … मैंने अपना सामान उठाया और सीधा अपने फ्लैट पर आ गया ,, फ्रेश होकर सबसे पहले अपनी नींद पूरी करने की सोची, सारी रात सो नहीं पाया था ,

पर जैसे ही आँखे बंद की गीता का चेहरा आँखों के सामने आ गया , जैसे वो मुझसे इंसाफ मांग रही हो मैं उठ के बैठ गया , कुछ समज नहीं आ रहा था , उन सवालो ने मुझे फिर से घेर लिया आखिर इस वक्त गीता कहा होगी ?

उसे उसकी बेटी मिली या नहीं ?

आखिर उसके साथ इतना सब क्यों हुआ ?

उसने वो डायरी 2 साल पहले लिखी थी , वो जिन्दा है भी या नहीं कुछ पता नहीं था

मुझे इन सवालों में मैं उलझ कर रह गया था ,, कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करू … आखिर कैसे इस अधूरी कहानी को पूरा करू !! सोचते सोचते नींद आ गयी … अगले दिन मुझे जॉब इंटरव्यू के लिए जाना था .. सुबह जल्दी उठकर तैयार होकर मैं इंटरव्यू देने पंहुचा , मेरी किस्मत ने मेरा साथ दिया और जॉब मुझे मिल गयी वापस लौटते वक्त मुझे एक मंदिर दिखा ,

मैं पूजा पाठ मे ज्यादा विश्वास नहीं रखता था , पर पता नहीं क्यों आज अचानक मेरे कदम उस मंदिर के सामने रुक गए , और मैं अंदर चला गया !! मेरे पास किसी चीज की कमी नहीं थी ,, फिर भी मैंने उसके सामने हाथ जोड़ लिए –

हे !! ईश्वर आपने मेरे मांगने से पहले मुझे सबकुछ दिया है ,, आज मैं आपसे सिर्फ एक चीज मांगना चाहता हु , मुझे गीता से मिला दो ! ताकि मैं उसके सब दुःख दर्द दूर कर सकू …

गीता के दर्द से मैं अब पूरी तरह जुड़ चूका था , मुझे उसे इस दर्द से अलग करना था पर कैसे कुछ समझ नहीं अा रहा था , चलते चलते मेरी नजर सड़क के दूसरी तरफ गयी , सड़क किनारे गंदे नाले के पास एक औरत कचरे के ढेर में ना जाने क्या ढूंढ रही थी , और कुछ बच्चे वहा खड़े खड़े पत्थर फेक रहे थे ,, यकायक ही मेरे कदम उसकी तरफ बढ़ गए !! मैंने पास जाकर उन बच्चो को वहा से भगा दिया ,

वो अब भी बिना मेरी तरफ देखे उस कचरे में कुछ ढूंढे जा रही थी !! मैंने उसे गौर से देखा उसके कपडे जगह जगह से फट चूक थे , हाथ पाँव गंदे हो रखे थे .. तभी उसे एक कागज का टुकड़ा मिला उसे उठाकर उसने सीने से लगा लिया ,

मैंने उस से वो कागज लिया और खोलकर देखा उसमे बड़े बड़े अक्षरों में “अंजलि” लिखा था !!

हां वो गीता थी ,,,

मेरी ख़ुशी को मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता था ,,

मुझे उम्मीद नहीं थी की वो मुझे इतनी जल्दी मिलेगी !! उसने झट से वो कागज छीन लिया और मुझे घूरने लगी मैंने धीरे से कहा – गीता ?

मेरे मुँह से अपना नाम सुनकर वो इधर उधर देखने लगी !! मेरे गीता बोलने से वो असहज हो गयी !! मै समझ गया इसलिए मैंने अपना सवाल बदल दिया भूख लगी है ? ,

खाना खाओगी ?

उसने कुछ नहीं कहा बस अपनी गर्दन हिला दी ,

मैं उसे घर ले आया मैंने सही किया या गलत पता नहीं पर इस वक्त मैं उसे अकेला नहीं छोड़ सकता था !! मैंने उसे बैठने को कहा और खुद खाना लेने किचन में चला गया !! वो जल्दी जल्दी खाना खाने लगी , ऐसा लग रहा था जैसे बहुत दिनों से उसने कुछ खाया नहीं हो !! खाना खाकर वो वही फर्श पर ही सो गयी ,,

मैं बहुत खुश था जैसे गीता मिली है अंजलि भी अब जल्दी ही मिल जाएगी ,,,

अगले दिन जब वो ऑफिस जाने से पहले मैंने उसे कहा

– गीता , देखो अभी तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है, और तुम बहुत कमजोर भी हो गयी हो ,, अगर तुम्हे मुझपर भरोसा हो तो तुम जब तक चाहो यहाँ रह सकती हो !! अभी मैं ऑफिस जा रहा हु शाम तक आऊंगा ,, खाना किचन में रखा है तुम खा लेना और अपना ख्याल रखना चलता हु bye !!

कहकर मैं बाहर निकल गया पता नहीं गीता नाम सुनकर उसे क्या हो जाता था ,, मैं जानता था वो गीता ही थी पर फिर भी मेरे मुह से गीता नाम सुनकर वो असहज हो जाती थी !! ऑफिस में पूरे दिन काम में मन नहीं लगा , पूरे दिन यही सोचता रहा कैसे ये सब ठीक करू , गीता भी कुछ बोलती नहीं थी कैसे पता करू !!

शाम को घर पंहुचा तो देखा घर में बहुत अँधेरा था , मैंने लाइट ऑन की गीता एक कोने में दुबक के बैठी थी ,, मैंने उसे वहा से उठाया और उसके रूम में छोड़ कर आया ,, अपने रूम में आकर बैठा ,, दिमाग अब भी काम नहीं कर रहा था ….

गीता की ख़ामोशी जैसे बहुत कुछ कह रही हो मुझसे पर मैं समझ ही नहीं पा रहा था !!

अगले दिन मैंने सारी मीटिंग्स कैंसिल की और गीता के साथ डॉकटर के पास गया . गीता का चेक-अप करने के बाद डॉ ने उसे केबिन के बाहर भेज दिया और मेरी तरफ मुखातिब होकर कहा

– देखिये जयंत जी , मामला बहुत गंभीर है !! गीता की हालात अभी बहुत ख़राब है वो अपने सोचने समझने की शक्ति एकदम खो चुकी है .. आपको हर हफ्ते इनको टेस्ट और चेक अप के लिए लाना होगा !! मैंने कुछ मेडिसिन लिखी है समय समय पर देते रहना , लेकिन दवा के साथ साथ उसको बहुत केयर की जरुरत भी है … i hope वो जल्दी ही ठीक हो जाएगी !!

थैंक्यू डॉक्टर – कहकर मैं वापस गीता के साथ घर आ गया !!

मुझे गीता को ठीक करना था मैंने ऑफिस छोड़ दिया और पुरी तरह से गीता की सेवा में लग गया मेरी मेहनत रंग ला रही थी डॉक्टर के सपोर्ट से और मेरी केयर से गीता की हालत में सुधार होने लगा था ,, 3 महीने की कोशिशों के बाद गीता पूरी तरह ठीक हो चूकी थी पर अभी भी एक प्रॉब्लम थी वो ठीक तो हो चुकी लेकिन हमेशा चुपचाप रहती थी ,,

मेरे लाख कोशिशों के बाद भी वो कुछ नही बोलती थी बस हर वक्त अपनी सुनी आँखों से ना जाने क्या तलाशती रहती थी मुझे उसकी ख़ामोशी बहुत खलती थी , उसकी सुनी आँखे न जाने कितने सवाल करती थी पर मैं उन सवालो के जवाब नहीं दे पा रहा था !!!

एक शाम मैं डॉक्टर से मिला – डॉक्टर !! thanyou so much लेकिन एक बात समझ नहीं आ रही ,, गीता कोई बात नहीं करती , ना हस्ती है , ना किसी सवाल का जवाब देती है , बस जब देखो तब चुपचाप देखती रहती है

डॉक्टर – जय !! मैं तुम्हारी परेशानी समझ सकता हु ,, गीता शारीरिक तौर पर बिलकुल ठीक है लेकिन मानसिक तौर पर नहीं ! कुछ है जो उसे बांधे हुए है , कोई बहुत बड़ा दुःख जो उसने अपने दिलो दिमाग में बसा रखा है ,, जब तक वो सब बाहर नहीं आएगा वो ऐसे ही रहेगी !! शायद उसके चलते वो अपना मानसिक संतुलन फिर खो दे !!

– इसका कोई इलाज है डॉक्टर ?

डॉक्टर – हां एक तरीका है अगर तूम कर पाओ ,,,

– क्या डॉक्टर ? plz बताईये उसे ठीक करने के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हु !!

डॉक्टर – हम्म्म !! उसके मन में जो डर , दुःख , दर्द , गुस्सा , नफरत और तकलीफ है वो तुम्हे बाहर निकालनी होगी !! उसे उसका अतीत या फिर ऐसे कोई घटना याद दिलाओ जिससे वो जुडी हुयी हो , उसे उसके सब दर्द याद दिलाओ की वो रोने के लिए मजबूर हो जाये ,,

चीखे चिल्लाये , तब तक रोने दो जब तक उसके अंदर का सारा दर्द आसुओ के जरिए न बह जाये बस यही एक आखरी तरीका है , गीता को बचाने का लेकिन सिर्फ एक धयान रखना ये सब करते वक्त गीता को हर्ट न हो वरना तुम उसे हमेशा के लिए खो दोगे …,,,>>>>>>>>>

– ठीक है डॉक्टर मैं पूरी कोशिश करूँगा ,,

डॉक्टर – विश यू बेस्ट ऑफ़ लक

डॉक्टर ने गीता को बचाने का रास्ता तो दिखा दिया था ,

पर ये रास्ता बहुत मुश्किल था मेरे लिए पर ये सब करना बहुत जरुरी था !! घर आते ही मैं गीता के पास गया वो दिवार के सहारे घुटनो पर अपना सर टिकाये बैठी थी और फर्श को देखे जा रही थी मैं उसके सामने जाकर बैठ गया , मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था मैं जो करने जा रहा था वो बहुत मुश्किल था लेकिन जरुरी था मैंने एक लम्बी साँस ली और बोलना शुरू किया

– गीता !! गीता तुम मुझे सुन रही हो …

गीता क्या हुआ है तुम्हारे साथ ?

कहा से आयी हो तुम ?

गीता तुम्हारी शादी >>

तुम विश्वाश की पत्नी हो विश्वाश माथुर –

गीता तुम्हारी सास, ननद पति ,

तुम्हारा पहला बच्चा जो इस दुनिया में नहीं है ,,

गीता याद करो कुछ ,,

गीता अंजलि

अंजलि नाम सुनते ही उसने मेरी तरफ देखा … ये ही सही वक्त था मेरे लिये .

मैंने बोलना जारी रखा – गीता अंजलि , अंजलि तुम्हारी बेटी अंजलि मर चुकी है , हां गीता वो मर चुकी है

मेरे इतना कहते ही वो चिल्ला पड़ी , उसकी चीखे इतनी दर्दभरी थी की किसी का भी दिल चिर के रख दे ,, वो जोर जोर से रोंने लगी , उसकी आवाज में इतना दर्द था की पत्थर भी पिघला दे मुझसे उसका इस तरह रोना नहीं देखा जा रहा था ,, वो रोती रही , बेतहाशा , बेहिसाब उसका अब तक का सारा दर्द , सारा गुस्सा सब आसुओ के जरिये बाहर आ रहा था और जब वो सब बह गया

उसने हाथ जोड़कर मुझसे रोते हुए कहा – प्लीज मुझे मेरी बेटी लौटा दो , मैं दो साल से उसे ढूंढ रही हु, एक बार > सिर्फ एक बार मुझे मेरी बेटी से मिलने दो !! मैं थक गयी हु उसे ढूंढते ढूंढ़ते !! प्लीज़ मेरी मदद करो , मुझे मेरी बच्ची से मिला दो .. वो जिन्दा है मेरा दिल नहीं मानता की वो मर चुकी है मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हु प्लीज़ मुझे मेरी बेटी चाहिए , 2 साल से मैंने उसे देखा तक नहीं है ….

मैं खुद को रोक नही पाया मैंने गीता को गले लगा लिया ,

वो रोती रही और एक ही बात बोलती रही – मुझे मेरी बच्ची लौटा दो !!

मैंने उस से वादा किया की मैं उसकी बच्ची को लाऊंगा ,, चाहे वो कही भी हो कितना दर्द , कितनी बेबसी थी उसकी आवाज में , उसका दर्द मुझसे नहीं देखा जा रहा था , अब मेरी जिंदगी का एक ही मकसद था गीता को उसकी बेटी से मिलाने का !!

अगले दिन मैंने गीता से विश्वास का पता लिया और पहुंच गया उसके घर , क्युकी सिर्फ वो लोग ही जानते थे अंजलि कहा है !! घर में घुसते ही मुझे विश्वाश और उसकी माँ दिख गयी जब मैंने उससे अंजलि के बारे में पुछा पर उसने नहीं बताया !! मैंने बहुत कोशिश की लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा …

मैं एक शरीफ लड़का था जिसने कभी किसी को बिना वजह परेशांन नहीं किया था लेकिन आज गीता के लिए मैं सारी हदे पार करने को तैयार था !!

मैंने बैग से गीता की डायरी निकाली और उन लोगो को दिखाकर कहा “ये गीता की डायरी है जिसमे गीता ने खुद अपने हाथ तुम लोगो के जुल्मो की कहानी लिखी है अगर ये डायरी मैं पुलिस में दे दू तो तुम लोग जिंदगीभर जेल में सड़ोगे ,, और अगर तुम चाहते हो मैं ऐसा ना करू तो चुपचाप बता दो की अंजलि कहा है , वरना मैं किसी को नही छोडूंगा !! ” याद रखना तुम लोग …

विशवास ने मेरी धमकी से डरकर कहा – प्लीज़ ऐसा मत करो मैं बताता हु अंजलि कहा है ,, मैंने गीता से सिर्फ पेसो के लिए शादी की थी , पर उसका बाप तो कंगाल निकला ,, उसके बाद उसे टॉर्चर किया ताकि वो या तो पैसे लाकर दे या फिर अपनी मर्जी से घर छोड़कर चली जाये ,,

लेकिन वो नहीं गयी , उसे मारा पिता यहां तक के उसके पेट में जो बच्चा पल रहा था उसे भी मार डाला लेकिन वो फिर भी नहीं गयी !! मुझे अपना वंश चलाने के लिए एक बेटा चाहिए था , लेकिन उसने उस बच्ची को जन्म दिया …. हमने वो बच्ची एक अनाथाश्रम में दे दी !!

उसने जो बताया वो सुनकर मन तो किया उस वह जमीं में जिन्दा गाड़ दू , पर मैं मजबूर था मैंने उससे पूछा – कोनसे आश्रम में कहा है वो ? मैं उसे पहचानुंगा केसे >>>

उसने कहा – वो बैंगलोर के किसी अनाथाश्रम में है , उसे वहा उसकी माँ की तस्वीर के साथ हमने छोड़ा था देख मैंने तुम्हे सब सच बता दिया है , अब तुम पुलिस को ये सब मत बताना …..

मैंने मुस्कुराते हुए कहा पुलिस को तो तुम खुद ही सब सच बता चुके हो !!

मेरे इतना कहते ही बाहर खड़ी पुलिस अंदर आ गयी , और विश्वास और उसकी माँ, बहन और पिता को गिरफ्तार कर लिया !! जैसे ही उन्हें ले जाने लगे

विश्वाश ने गुस्से में मेरी कॉलर पकड़ते हुए कहा – जिस औरत के लिए तू इतना कर रहा है , वो आखिर तेरी लगती क्या है ? क्या रिश्ता है तेरा उस से ?

मैंने अपनी कॉलर छुड़ाते हुए कहा – उस से मेरा जो रिश्ता है वो तुम इस जन्म में नहीं समझ पाओगे …

और मैं वापस बैंगलोर आ गया ,, कुछ हासिल करने से कुछ देर पहले जो ख़ुशी होती है बस वो ही महसूस कर रहा था ,,, अब बस अंजलि को ढूँढना था , बंगलौर के हर अनाथाश्रम गया पर वो नहीं मिली , लेकिन मेरी उम्मीद अभी ख़तम नहीं हुयी तह बैंगलोर के बाहर एक आखरी अनाथाश्रम बचा था ,,

और मेरी जान में जान आयी जब मैंने उसे वहा देखा ,,

2 साल की मासूम गुड़िया जैसी दिख रही थी , बगीचे में अपनी माँ की तसवीर के साथ ,मैं उसके नजदीक गया वो बिलकुल अपनी माँ जैसी थी , वो गीता से भी ज्यादा खूबसूरत थी मैंने उसे गोद में उठा लिया वो मुस्कुरा पड़ी जब उसकी आँखे देखि तो लगा जैसे उसे भी किसी का इन्तजार था , और ये इंतजार अब ख़तम होने वाला था !! मैंने वहा के अधिकारी से बात कर उस बच्ची को गोद ले लिया और दो दिन बाद वापस घर लौट आया ,,

मैं वो पल देखना चाहता था जिसमे गीता अपनी बच्ची से मिलेगी ..

मैंने गीता को आवाज दी जैसे ही वो आयी ,

पहली बार वो मुस्कुरायी मैंने बच्ची की तरफ इशारा करके कहा – अंजलि , तुम्हारी अंजलि !!

वो दौड़कर आयी उसकी आँखों में आँसू थे पर ख़ुशी के आंसू थे ,,

होठो पर हसी थी …

हसीं और आंसुओ का ये संगम मैंने पहली बार देखा था !!

ख़ुशी से आँखे भर आयी मैंने कर दिखाया ,, इतनी ख़ुशी कभी नहीं हुयी जितनी उन दोनों को मिलता देख हो रही थी !! गीता मुझसे कुछ नहीं कह पायी बस अपने दोनों हाथ जोड़ दिय मेरे सामने ….. मैंने दोनो को थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दिया । ओर अपने रूम में चला आया , आज मैं बहुत खुश था मैंने उन दोनों को मिला दिया एक अधूरी कहानी पूरी कर दी ।।

पर अभी कहानी खत्म नही हुई थी एक काम और करना था मुझे गीता की जिंदगी को एक नया मोड़ देना था मैंने अपना फोन देखा और माँ को फोन किया इतने महीनों में मैं उनसे बात ही नही कर पाया था माँ पापा से बात करके अच्छा लगा कई महीनों बाद उस रात मैं चैन से सोया था !! सुबह उठने में देर हो गयी मैंने ऑफिस फिर से जॉइन कर लिया था तैयार होकर जैसे ही जाने लगा टेबल पर रखी गीता की डायरी पर नजर पड़ी ।।

गीता की जिंदगी बदलने का वक्त आ गया था , मैने डायरी उठायी ओर आफिस आ गया मैं एक राइटर था इसलिए मैंने गीता के जीवन पर एक किताब लिखने की सोची , मैं जानता था इतना आसान नही होगा पर मुझे गीता की जिंदगी बदलनी थी , मैने उस किताब पर काम करना शुरू कर दिया ।।

कुछ दिन में वो किताब पूरी हो गयी मैंने किताब में गीता के जीवन का पूरा संघर्ष लिखा था मैने वो बुक मार्किट में पब्लिश कर दी वही हुआ जो मैंने सोचा था ,, गीता की बुक हजारो की तादात में बिकने लगी ।। देखते ही देखते लाखो में पहुच गयी स्टेट के हर शहर हर गांव हर गली में गीता की बुक बिकने लगी ।।

हर जबान पर गीता के चर्चे थे , सबकी आंखे भीग जाती थी उसकी कहानी पढ़ ओर गीता , उसे इसकी खबर ही नही थी , वो पगली अपनी बेटी के साथ खुश थी उसे दुनिया जहा से क्या मतलब ।।

एक शाम शहर में बहुत बड़ा बुक फ़ेस्टिवल हुआ , जिसमे बडे बडे राइटर्स मौजूद थे मैंने गीता से चलने को कहा ओर शाम को अंजलि ओर गीता के साथ वहा पहुचा ।।

कुछ देर बाद माइक में अनाउंसमेंट हुई – ओर इस साल का बेस्ट बुक का अवार्ड जाता है गीता माथुर को , उनकी लिखी किताब “गीतांजलि – एक संघर्ष इस साल की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब हैं । मैं गीता माथुर को यहां स्टेज पर आमंत्रित करना चाहता हु ।। plz स्टेज पर आईये ।।

गीता मेरी तरफ देखती है उसे कुछ समझ नही आता !!

मैंने अंजलि को अपनी गोद मे लिया और गीता से कहा – गीता यहा से तुम्हे अपनी जिंदगी की एक नई शुरुआत करनी है , जाओ और अपना अवार्ड लो

गीता – पर ये कहानी मैंने नही लिखी है

– हा जनता हु । ये कहानी मैने लिखी है पर है तो तुम्हारी ही /// अब जाओ और अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करो ।।।

गीता स्टेज पर जाती है ।। उसे माइक में बोलने के लिए कहा जाता है उसकी पलके भीग जाती है ओर वो बोलना शुरू करती है – समझ मे नही आ रहा कहा से शुरू करु , इस अवार्ड की असली हकदार मैं नही कोई और है , मेरी बेरंग जिंदगी में फिर से रंग भरने में उनका बहुत हाथ रहा है ।। उनका शुक्रिया मैं तहे दिल से करती हूं ज्यादा नही कहूंगी , बस उन्हें यहा बुलाना चाहती हु मिस्टर जय प्लीज कम

मैं स्टेज तक गया ।। गीता ने फिर बोलना शुरू किया – मैने आज तक भगवान को नही देखा पर मेरे लिए तो ये ही भगवान है ।। ओर वो बिल्कुल मेरे सामने खड़ी थी हाथ जोड़े ।।

ये कैसी विडंबना थी एक इंसान को उसने भगवान बना दिया ।। मेरी आँखें भीग चुकी थी अवार्ड के साथ साथ गीता को एक बड़ी राशि भी मिली ।। जो उसके आगे की जिन्दगी आसान बनाने के लिए काफी थी गीता और अंजलि के साथ मैं घर आ गया था ।। मैंने गीता के विदेश के टिकट्स बनवा दिए दो दिन बाद उसको जाना था ।।

पता नही क्यों पर मुझे अच्छा नही लग रहा था । अब तक मुझे गीता के साथ कि आदत हो चुकी थी उस से प्यार हो चुका था ।। पर मैं उसे कह नही पाया कहना भी नही चाहता था , प्यार के बंधन में बांध कर उसे कमजोर बनाना नही चाहता था

गीता ने अपना सामान पैक किया अगले दिन उसकी फ्लाइट थी ।

वो अपनी बेटी के साथ चैन से सो रही थी ।। मैं उनके पास गया कुछ देर उनको देखता रहा और फिर कम्बल ओढा दी ,, अंजलि को सर पर किस कर रूम की लाइट बंद की ओर अपने कमरे में आ गया ।।

ये उन दोनों के साथ मेरी आखरी रात थी ,, इसके बाद शायद मैं कभी उन दोनों से ना मिल पाउ ।। उस रात पहली बार मैं अपने आंसू नही रोक पाया ।। बहने दिया उन्हें , पर मेरे दिल मे गीता के लिए बहुत कुछ था ।

मैंने उस रात डायरी में अपनी सारी फीलिंग लिख दी , शुरू से लेकर अब तक गीता के साथ गुजरा हर पल उस डायरी में लिख दीया ।। जिसका नाम था अधूरी कहानी ओर कब नींद आयी पता ही नही चला ,

सुबह गीता और अंजलि को लेकर मैं भारी मन से एयरपोर्ट पहुचा , गीता को टिकट्स ओर पासपोर्ट देकर उनसे विदा ली

जैसे ही वो जाने लगी मैंने मुह दूसरी तरफ घुमा लिया क्योंकि मैं उसे जाते हुए नही देख सकता था न ही मैं चाहता था गीता मेरी भीगी हुई आंखे देखे तभी किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा , जैसे ही मुड़कर देखा गीता थी ।।

मेरे कुछ बोलने से पहले ही उसने मेरी डायरी मुझे देते हुए कहा ।। – इस अधूरी कहानी को पूरा नही करोगे

मैं कुछ नही बोल पाया उसे कस के गले लगा लिया ।।।

GeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjali

GeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjaliGeetanjali

! समाप्त !

Read More Intresting Story आ अब लौट चले – 1

Follow Me On facebook

Sanjana Kirodiwal

sanjana kirodiwal books sanjana kirodiwal ranjhana season 2 sanjana kirodiwal kitni mohabbat hai sanjana kirodiwal manmarjiyan season 3 sanjana kirodiwal manmarjiyan season 1

Geetanjali
Geetanjali by Sanjana Kirodiwal

5 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!