Sanjana Kirodiwal

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हाँ ये मोहब्बत है – 13

Haan Ye Mohabbat Hai – 13

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

निधि मीरा के सामने खड़ी थी और मीरा आँखों में आंसू भरे बस एकटक निधि को देखे जा रही थी। मीरा को खामोश देखकर निधि ने कहा,”बोलो मीरा ! तुम चुप क्यों हो ? मैं तुम्हे लेने आयी हूँ अपने घर चलो , वो घर तुम्हारे बिना सूना है मीरा , उस घर के लोग आज भी तुम से उतना ही प्यार करते है , अक्षत भैया तुम्हारे बिना अधूरे है,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए निधि की आँखों में भी आँसू भर आये ये देखकर मीरा एकदम से पलट गयी और दुखी स्वर में कहा,”हम उस घर में नहीं जा सकते निधि,,,,,,,,,!!”


“क्यों मीरा ? क्यों नहीं जा सकती ? वो तुम्हारा ससुराल है तुम्हारा अपना घर और झगडे किस के बीच नहीं होते मीरा , तुम्हारे और भाई के बीच जो भी गलतफहमी हुई है उसे दूर करना जरुरी है मीरा,,,,,,,,,,,,,यहाँ तुम इस हाल में हो वहा भाई ने अपना क्या हाल बना लिया है। आखिर तुम दोनों खुद को किस बात की सजा दे रहे हो। मेरे साथ घर चलो मीरा ,, तुम्हारे वहा जाने से सब ठीक हो जाएगा मेरा यकीन करो।”,निधि ने अपने आँसू पोछते हुए कहा
“क्या सच में निधि ? क्या हमारे वहा जाने से सच में सब सही हो जाएगा ?”,मीरा ने पलटकर निधि से सवाल किया


“हाँ मीरा घर में सब तुम्हारा इंतजार कर रहे है।”,निधि ने ख़ुशी भरे स्वर में कहा लेकिन निधि की बात सुनकर मीरा का चेहरा दुःख और तकलीफ से घिर गया और उसने तड़पकर कहा,”अगर सच में ऐसा है निधि तो फिर इतने दिनों में उस घर से कोई हम से मिलने क्यों नहीं आया ? क्यों माँ ने एक बार भी हमारी खबर नहीं ली , क्यों अर्जुन भैया और भाभी ने हम से बात तक नहीं की , दादू दादी , जीजू दी , यहाँ तक के पापा भी हम से मिलने नहीं आये और अक्षत जी,,,,,,,,,,,,,,,,,जानती हो उन्होंने क्या कहा ? उन्होंने कहा है कि वो हम से तलाक चाहते है।”\


निधि ने सूना तो उसे अपने कानो पर विश्वास ही नहीं हुआ वह मीरा के पास आयी और उसकी बाँहे पकड़कर उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”क्या कहा तुमने ? ज़रा फिर से कहना”
“तुमने सही सूना निधि , अक्षत जी हम से तलाक लेना चाहते है।”,मीरा ने रोते हुए कहा
निधि ने एकदम से मीरा की बांहे छोड़ दी और बड़बड़ाने लगी,”नहीं नहीं नहीं , अक्षत भैया ऐसा नहीं कर सकते , मीरा वो कभी सपने में भी तुम से दूर जाने के बारे में नहीं सोच सकते तुम्हे जरूर कोई ग़लतफ़हमी हुई है।”


“ये सच है निधि , सौंदर्या भुआजी गयी थी घर अक्षत जी से बात करने लेकिन उन्होंने सबके सामने कहा कि वो हम से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,निधि हमे कुछ समझ नहीं आ रहा है हम क्या करे ?”,कहते हुए मीरा फूटफूट कर रोने लगी। निधि ने मीरा को सम्हाला और कहा,”अक्षत भाई ने क्या शादी को मजाक समझ रखा है जब मन किया शादी की जब मन किया छोड़ दिया। तुम मेरे साथ अभी और इसी वक्त घर चलोगी मैं देखती हूँ कौन तुम्हे उस घर में आने से रोकता है।”
“नहीं , नहीं निधि हम अगर वहा गए तो अक्षत जी और गुस्सा हो जायेंगे।”,मीरा ने घबराकर कहा क्योकि अक्षत के गुस्से से वह अनजान तो बिल्कुल नहीं थी।


“भाई के गुस्से के लिये क्या तुम अपनी जिंदगी बर्बाद कर दोगी मीरा , उठो और चलो यहाँ से,,,,,,,,,,,,!!”,निधि पुरे हक़ से मीरा की कलाई पकड़कर कहा तो मीरा उसे मना नहीं कर पायी। मीरा की आँखों में आँसू देखकर निधि ने उसके आँसुओ को पोछा और उसके चेहरे को अपने हाथो में थामकर कहा,”पहली बार उस घर में तुम्हे मैं लेकर गयी थी मीरा तुम्हे उस घर से कोई नहीं निकाल सकता,,,,,,,,,,,,,,,,,अक्षत भैया भी नहीं।”


निधि को अपनी परवाह करते देखकर मीरा ने उसे आगे बढ़कर गले से लगा लिया और फफक पड़ी। निधि कुछ देर उसका सर सहलाती रही और फिर मीरा को साथ लेकर कमरे से बाहर निकल गयी।

मीरा का हाथ थामे निधि जैसे ही दरवाजे की तरफ जाने लगी पीछे से आते वरुण ने आवाज दी,”रुको ! तुम दी को लेकर कहा जा रही हो ?”
निधि पलटी और कहा,”मीरा अपने घर जा रही है , और उसे अपने घर जाने से कोई नहीं रोक सकता,,,,,,,,,,,,,,तुम भी नहीं,,,,,,,,,,,,,!!”
कहकर निधि जैसे ही जाने लगी वरुण ने कहा,”सुनो !”


वरुण की आवाज सुनकर निधि पलटी तो वरुण ने उसकी तरफ आकर कहा,”यहाँ से नहीं पीछे वाले दरवाजे से जाओ , सौंदर्या भुआ और पापा किसी भी वक्त वापस आते होंगे। मैं नहीं जानता दी की लाइफ में इस वक्त क्या चल रहा है बट आई विश कि सब ठीक हो जाये।”
वरुण की बात सुनकर मीरा का दिल भर आया उसके पापा के बाद इस घर में वरुण था जिसने मीरा के बारे में इतना सोचा। मीरा ने आगे बढ़कर वरुण को गले लगाया और निधि के साथ पिछले दरवाजे से बाहर निकल गयी।

उन दोनों के जाने के बाद वरुण फटाफट मीरा के कमरे में आया उसने बिस्तर पर दो-तीन तकिये रखे और उन्हें कम्बल ओढ़ा दी जिस से सबको लगे मीरा अपने कमरे में सो रही है। ये सब करते वरुण को अजीब सी ख़ुशी का अहसास हो रहा था। वह मीरा के कमरे से बाहर चला आया और जैसे ही हॉल में आया सामने से आती सौंदर्या ने पूछ लिया,”क्या बात है वरुण बड़ा मुस्कुरा रहे हों ?”


“आप लोग , आप लोग कब आये ?”,सौंदर्या और अपने पापा को सामने देखकर वरुण थोड़ा सा घबरा गया भी गया। उसने मन ही मन खुद से कहा,”आई हॉप कि इन्होने मीरा को बाहर जाते नहीं देखा होगा।”
“वरुण अपना सामान पैक कर लो आज शाम हम अपने शहर वापस जा रहे है।”,विवान सिंह ने आकर सोफे पर बैठते हुए कहा
“अगर मैं पापा के साथ वापस चला गया तो ये कभी पता नहीं लगा पाऊंगा दी के साथ क्या हुआ है ?”,वरुण ने मन ही मन सोचा और विवान सिंह की तरफ चला आया।


सौंदर्या भुआ ने एकदम से विवान सिंह के जाने की बात सुनी तो उनके पास आकर कहा,”आप ऐसे अचानक क्यों जा रहे है ? अभी तो हमारा काम,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
सौंदर्या इतना ही कह पायी कि विवान सिंह ने उसकी बात काटते हुए कहा,”सौंदर्या तुम क्या चाहती हो तुम्हारे काम के चक्कर में मैं अपना लाखो का नुकसान करवा कर यहाँ बैठा रहू। मेरी कम्पनी पहले ही काफी लॉस में जा चुकी है मुझे उसके लिये जाना होगा और जो मैंने तुम्हे समझाया वो याद रहे।”


विवान सिंह के झड़पे जाने से सौंदर्या खामोश हो गयी।
वरुण जो कि पास में ही खड़ा था उसने अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा,”पापा मैं कुछ दिन यही रुकना चाहता हूँ।”
“तुम यहाँ रुक कर क्या करोगे ? और कल तक तो तुम यहाँ रुकना ही नहीं चाहते थे फिर आज एकदम से,,,,,,,,,,,,खैर तुम्हे जो ठीक लगे , लेकिन यहाँ रुकने के नाम पर पैसो की उम्मीद तो मुझसे बिल्कुल मत करना।”,विवान सिंह ने उठते हुए कहा और वहा से चले गए। उनकी इस बात पर वरुण का मुँह बन गया।

“मैं ज़रा मीरा को देख आती हूँ , वो अभी तक उठी नहीं।”,सौंदर्या ने कहते हुए जैसे ही जाना चाहा वरुण ने उन्हें रोक दिया और कहा,”दी अपने कमरे में सो रही है , उन्होंने अभी अभी दवा खाई है उन्हें आराम की सख्त जरूरत है।”
वरुण सफ़ेद झूठ बोल गया जबकि मीरा तो वहा से कब का जा चुकी थी।  

सौंदर्या को वरुण की बात से थोड़ा अजीब लगा तो उसने अपनी भंव चढ़ाकर कहा,”कैसी दवा ?”
“अह्ह्ह वो दी का सर दर्द कर रहा था तो मैंने ही उन्हें पैन किलर दिया। अभी ठीक है वो और सो रही है,,,,,,,,,,,,,!!”,वरुण ने कहा
सौंदर्या मीरा को देखने जाती इस से पहले ही उसका फोन बजा। फोन सौंदर्या की छोटी बेटी का था इसलिए उस से बात करते हुए सौंदर्या वहा से चली गयी। वरुण चैन की साँस ली और वहा से चला गया।

सिंघानिया हॉउस , इंदौर
विक्की के कमरे में उसकी तस्वीर के सामने खड़े सिंघानिया जी एकटक उस तस्वीर को देखे जा रहे थे। विक्की ले जेल जाने के बाद से ही VS Groups को काफी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था। इंदौर में हमेशा नंबर वन रहने वाली कम्पनी आज नीचे जा चुकी थी। कम्पनी के शेयर्स गिर चुके थे और कम्पनी से जुड़े लोग भी एक एक करके कम्पनी को छोड़कर जा चुके थे बस कुछ लोग बचे थे जो सिंघानिया जी के वफादार थे।

विक्की की तस्वीर को देखते हुए सिंघानिया जी एकदम से भावुक हो गए और कहने लगे,”तुम्हारी माँ के बाद सिर्फ तुम ही थे जिसे देखकर मुझमे जीने की उम्मीद बाकी थी। मैंने तुम्हे सब दिया जो तुम्हारे लिए सही था वो भी और जो सही नहीं था वो भी फिर ऐसी क्या कमी रखी मैंने जो आज तुम इन हालातो में हो विक्की,,,,,,,,,,,,,,,,,,उस लड़की की वजह से आज तुम जेल में हो , पता है कैसी कैसी बाते कर रहे है लोग तुम्हारे बारे में , मैं उस लड़की को कभी माफ़ नहीं करूंगा विक्की ,, मैं उसकी जिंदगी नर्क बना दूंगा।”


“बहुत बढ़िया ! कैसे बनाओगे नर्क ? वैसे ही जैसे मेरी जिंदगी को बना दिया था।”,एक जानी पहचानी आवाज मिस्टर सिंघानिया के कानो में पड़ी
सिंघानिया जी ने पलटकर देखा दरवाजे पर विक्की की माँ खड़ी थी जो बचपन में ही विक्की को छोड़कर चली गयी थी। तब से सिंघानिया जी ने ही विक्की को सम्हाला। विक्की की माँ जिनका नाम “अर्चना” था को वहा देखकर उनका गुस्सा एकदम से नफरत में बदल गया। वे गुस्से से अर्चना के पास आये और कहा,”तुम यहाँ क्या कर रही हो ? तुम्हे अंदर किसने आने दिया ? रॉबिन कहा है ? रॉबिन रॉबिन,,,,,,,,,,,,,,,!!”


“भूल गए ! तुमने ही तो अपने बेटे को बचाने के लिये रॉबिन को बलि का बकरा बनाया था , भूल गए क्या ?”,अर्चना ने सिंघानिया जी आँखों में देखते हुए कहा  
“ओह्ह तो तुम मेरे जख्मों पर नमक छिड़कने आयी हो। तुम से मैं और उम्मीद भी क्या कर सकता हूँ ? जो औरत अपने बेटे और अपने पति को छोड़कर अपने प्रेमी के साथ जा सकती है उस से और उम्मीद की भी क्या जा सकती है ?”,सिंघानिया जी ने नफरत भरे स्वर में कहा


अर्चना ने सूना तो हसने लगी। उसकी हंसी ने सिंघानिया जी के सीने पर जैसे खंजर चला दिया हो। उन्होंने एक नजर अर्चना को देखा और कमरे से बाहर निकल गए। सुबह का समय था लेकिन फिर भी सिंघानिया जी हॉल में बने बार काउंटर की तरफ चले आये और ग्लास में शराब लेकर एक साँस में पी गए।


अर्चना भी नीचे चली आयी उसे देखकर सिंघानिया जी ने कहा,”तुम यहाँ मुझे सिम्पथी देने तो बिल्कुल नहीं आयी हो , तुम बस देखने आयी हो अपना सबकुछ खोने के बाद मुझे बर्बाद होते देख पाओ।”
“मैं यहाँ अपने बेटे के लिये आयी हूँ।”,अर्चना ने इस बार नरमाई से कहा

”बेटा ? किस बेटे की बात कर रही ही तुम ? जिसे तुम उसके बचपन में ही छोड़कर चली गयी थी उस बेटे से मिलने आयी हो पर वो तो यहाँ है ही नहीं ,, उसकी रगो में दौड़ते तुम्हारे गंदे खून का नतीजा है कि आज वो जेल की सलाखों के पीछे है।”,सिंघानिया जी ने गुस्से और नफरत भरे स्वर में कहा
“मेरा खून गंदा हो सकता है लेकिन तुम्हारी परवरिश तो अच्छी थी ना फिर भी विक्की जेल में है,,,,,,,,,,,,,,,!”,अर्चना ने सधी हुई आवाज में कहा तो सिंघानिया जी उनकी तरफ देखने लगे।


अर्चना सिंघानिया जी के सामने आयी और कहा,”इंसान जब खुद रिश्तो को नहीं सम्हाल पाता तब वह दुसरो को दोष देता है। विक्की की इस हालत के जिम्मेदार तुम हो मिस्टर सिंघानिया , एक बाप अपने बच्चो को कितनी भी ऐशो आराम की जिंदगी दे लेकिन उन्हें संस्कार नहीं दे सकता,,,,,,,,,,,,,,!!”
मिस्टर सिंघानिया ने कुछ नहीं कहा बस ख़ामोशी से अर्चना को देखते रहे और फिर हाथ में पकड़ा शराब का गिलास बार काउंटर की तरफ फेंककर वहा से चले गए।


अर्चना कुछ देर उन्हें जाते हुए देखते रही और फिर घर से बाहर आकर अपने ड्राइवर से कहा,”गाड़ी सेंट्रल जेल की तरफ ले लो।”
“जी मैडम,,,,,,,,,,,!”,ड्राइवर ने अर्चना के लिये दरवाजा खोलते हुए कहा और फिर दोनों वहा से निकल गए।

 जेल की चार दीवारों के बीच नीचे जमीन पर लेटा विक्की किसी सोच में डूबा था। जब से इस केस का फैसला हुआ था तब से ही विक्की का मन अजीब सी बेचैनी से घिरा हुआ था। बार बार छवि का चेहरा उसकी आँखों के सामने आता और वह उसके बारे में सोचने लगता। छवि से जुड़ा हर पल उसे याद आता,,,,,,,,,,,,,,बीतते वक्त के साथ विक्की को ये अहसास होने लगा था कि उसने छवि के साथ गलत किया। छवि का ख्याल बार बार उसे परेशान कर रहा था।

विक्की ने करवट ली और आँखे मूँद ली। जेल की इन चार दीवारों में उसके पास करने को था भी क्या ? सिंघानिया जी कहने पर जेलर विक्की को ज्यादा परेशान भी नहीं करता था और उसे अच्छी सुविधा भी मिल जाती लेकिन विक्की को इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता वह बस अपनी सजा खत्म होने का इंतजार कर रहा था।
काफी देर तक जब छवि का ख्याल उसके दिमाग से नहीं निकला तो वह उठा और पानी पीने मटके की तरफ आया।

विक्की ने गिलास में पानी लिया और जैसे ही पीने लगा किसी की आवाज उसके कानो में पड़ी
“विक्की,,,,,!!”,सलाखों के उस पार खड़ी अचर्ना ने कहा
अपनी माँ को वहा देखकर विक्की हैरान रह गया

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