हाँ ये मोहब्बत है – 1
Haan Ye Mohabbat Hai – 1
शाम के 7 बज रहे थे। इंदौर हाई-वे पर चलने वाली उस कार की स्पीड सामान्य से कई गुना ज्यादा तेज थी। उसे देखकर ही लग रहा था जैसे इसे चलाने वाला मरने या मारने के इरादे से घर से निकला है। वह कार किसी और की नहीं बल्कि “एडवोकेट अक्षत व्यास” की थी। आँखों में गुस्सा और चेहरे पर दर्द के भाव थे। उसका एक हाथ स्टेयरिंग पर था और दूसरा गाडी के गेयर पर था। अक्षत के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे सिवाय दर्द और तकलीफ के। उसकी आँखों में गुस्से के साथ साथ नमी भी थी जिस वजह से आंखे लाल हो चुकी थी।
आकाश में लालिमा लिए सूरज धीरे धीरे ढल रहा था। हल्का अन्धेरा हो चुका था और हाई वे पर लगे लाइट्स जल उठे पर अक्षत की गाड़ी में अभी भी अन्धेरा था। कुछ वक्त पहले घटी सभी बातें उसके जहन में आने लगी और सब उलझता सा नजर आया। उसे नहीं पता था वह कहा जा रहा है। कार खाली सड़क पर दौड़े जा रही थी और शहर से काफी दूर निकल आयी थी। रात अब गहराने लगी थी कुछ दूर जाकर उसने गाडी को एकदम से ब्रेक मारा। गाड़ी की स्पीड तेज होने की वजह से गाड़ी ने एकदम से एक गोल चक्कर खाया और उसके टायर घसीटने लगे।
घसीटते हुए गाड़ी कुछ दूर जाकर एक डिवाइडर से टकराई और रुक गयी। गाड़ी के आगे का हिस्सा जरा सा टूट गया हालाँकि अक्षत को कुछ नहीं हुआ वह ठीक था। अक्षत गाड़ी से बाहर निकल आया।
रात के 11 बज रहे थे आसमान काले बादलों से घिरा हुआ था और बिजली कड़क रही थी। गाड़ी इस वक्त एक सुनसान ब्रिज पर थी जिसके नीचे एक नदी बह रही थी। अक्षत ब्रिज की दिवार के पास आकर खड़े हो गया और नीचे बहते पानी को देखने लगा।
अक्षत की आँखों के सामने बीते वक्त की सारी घटनाये किसी फिल्म की तरह चलने लगी , हर घटना के साथ ही उसके चेहरे के पर दर्द भी बढ़ता गया और आँखों से आँसू बहने लगे।
आंसुओ के साथ ही आसमान से बारिश की बुँदे भी गिरने लगी। अक्षत को इस वक्त कुछ समझ नहीं आ रहा था गुस्से में आकर उसने एक बहुत बड़ा फैसला ले लिया था जिसका अंजाम क्या होगा वो खुद भी नहीं जानता था। उसे बस याद था तो अपनी वकालत का वो काला कोट ,
छवि के आँसू , अपनी प्रिंसेज अमायरा और अपनी जिंदगी मीरा,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन अगले ही पल मीरा के ख्याल मात्र से ही अक्षत के चेहरे के भाव बदल गए और आँखों में फिर गुस्सा और नफरत के भाव तैर गए,,,,,,वह जोर से चिल्लाया “मीरा”
अक्षत घुटनी के बल सड़क पर गिर पड़ा और अपना चेहरा अपने हाथो में छुपाकर जोर जोर से रोने लगा। चंद दिनों में ही उसने सब खो दिया , इस वक्त वह जिस तकलीफ से गुजर रहा था उसे कोई दुसरा नहीं समझ सकता था।
बारिश अब तेज हो चुकी थी लेकिन अक्षत को इस से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था वह अब भी वही बैठा रोये जा रहा था। उसकी आँखे लाल हो चुकी थी और ठण्ड की वजह से होंठ काँप रहे थे। बगल से इक्का दुक्का गुजरती गाड़ियों ने भी बारिश की वजह से अक्षत पर कोई ध्यान नहीं दिया और आगे बढ़ गयी। रोते हुए भी अक्षत को मीरा का ख्याल आ रहा था। उसका रोना अब सिसकियों में बदल चुका था , वह सिसकते हुए खुद से कहने लगा,”मैंने सब खो दिया,,,,,,,,,,,,,,
सब खो दिया मैंने , मैंने अपनी जिंदगी की सबसे कीमती चीज खो दी अपनी वकालत , मैंने अपनी जिंदगी का सबसे खास इंसान खो दिया ‘मेरी अमायरा’ , और आखिर में मैंने अपनी जिंदगी ही खो दी ‘मीरा’,,,,,,,,,,,,,,मैंने मीरा को खो दिया , मैं उसे क्यों नहीं रोक पाया जब वो मुझसे दूर जा रही थी। सब मुझे गलत समझते मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन मीरा,,,,,,,,,,,,,,मीरा ने भी मुझे गलत ही समझा वो समझ ही नहीं पायी कि मैं कितना बेबस और लाचार था। वो क्यों नहीं समझी कि ये सब मैंने नहीं किया , मैं अपनी बेटी को , अपनी प्रिंसेज को कैसे मरने दे सकता था ?
मैंने हर कोशिश की लेकिन मैं उसे नहीं बचा पाया,,,,,,,,वो चली गयी , हमेशा हमेशा के लिए पर तुम्हे नहीं जाना था मीरा , तुम मुझे छोड़कर कैसे जा सकती हो ? तुम इतना स्वार्थी कैसे हो सकती हो ? क्या तुम्हे मेरा दर्द दिखाई नहीं दिया ? क्या तुम्हे मेरे आँसू दिखाई नहीं दिए ? क्या तुम्हे हमारा प्यार दिखाई नहीं दिया जिसके लिए हमने कितनी परीक्षाए दी थी ? काश ! काश तुम समझती मीरा,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते कहते अक्षत फिर रो पड़ा और इस बार उसका रोना काफी तकलीफदेह था।
अगले ही पल अक्षत को जब मीरा से आखरी मुलाकात याद आयी तो वह गुस्से में उठा और ब्रिज की दिवार के पास आकर खड़े हो गया और कहने लगा,”तुम्हे लगता है चंद कागज के टुकड़ो से तुम इस रिश्ते को खत्म कर दोगी , हमारी मोहब्बत को खत्म कर दोगी तो तुम गलत हो मीरा,,,,,,,,,,,,,,,,इस जन्म में तो मैं तुम्हे ये हरगिज करने नहीं दूंगा।
तुम इस शादी को ऐसे खत्म नहीं कर सकती मीरा , तुम्हे कोई हक़ नहीं है मेरे दिल से , मेरे जज्बातो से खेलने का,,,,,,,,,,,,,,,मोहब्बत की बातें करती थी न तुम , अब तुम सिर्फ मेरी नफरत देखोगी मीरा,,,,,,,,,,,,,,,सिर्फ नफरत !”
कहकर अक्षत ने अपने गीले शर्ट की बाजु से अपने आंसुओ को पोछा और गाड़ी की तरफ बढ़ गया। अक्षत गाड़ी में आ बैठा उसने देखा बगल वाली सीट पर रखा उसका फोन लगातार बज रहा है।
स्क्रीन पर जीजू का नंबर देखकर अक्षत ने फोन को उठाया और उसे बंद करके सामने गाड़ी के डेशबोर्ड पर डाल दिया। अक्षत ने गाड़ी स्टार्ट की और यू टर्न लेकर वापस शहर जाने वाले रास्ते की तरफ बढ़ा दी। इस बार गाड़ी की स्पीड सामान्य थी और अक्षत की धड़कनो का शोर भी,,,,,,,,,,,,,,!!!
“ये आशु फोन क्यों नहीं उठा ? मैं कब से इसे फोन कर रहा हूँ,,,,,,,,,,,,,,आई हॉप की सब ठीक हो ?”,सोमित जीजू ने फोन कान से लगाए हॉल में यहाँ वहा घूमते हुए परेशानी भरे स्वर में कहा
“जीजू एक मिनिट मैं ट्राय करता हूँ।”,कहकर अर्जुन ने अपने फोन से अक्षत का नंबर डॉयल किया
“आशु का फोन तो बंद आ रहा है।”,अर्जुन ने जीजू की तरफ देखकर हैरानी से कहा
“हम्म्म उसने शायद जान बुझकर अपना फोन बंद किया है , अर्जुन हमे अभी मीरा के घर जाना होगा जरूर वहा कुछ हुआ है। देख मेरा मन बहुत घबरा रहा है कही वो दोनों किसी ग़लतफ़हमी का शिकार ना हो जाये , तुम चल मेरे साथ,,,,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने कहा
“जीजू याद है ना आशु ने क्या कहा था ? अगर हम लोग वहा गए तो बात और बिगड़ सकती है,,,,,,,,,,,,,,हमे थोड़ा इंतजार करना चाहिए।”,अर्जुन ने कहा
“अर्जुन ठीक कह रहा है सोमित जी , हमे थोड़ी देर और इंतजार करना चाहिए हो सकता है अक्षत का फोन बंद हो गया हो ,, और फिर मीरा समझदार है वो अक्षत को सम्हाल लेगी,,,,!!”,विजय जी ने उन दोनों के पास आकर कहा जो काफी देर से दोनों की बाते सुन रहे थे।
“क्या सम्हाल लेगी मीरा ? अगर मीरा समझदार होती तो क्या वो ऐसे तलाक के पेपर यहा भेजती ? पता नहीं इस घर की खुशियों को किस की नजर लग गयी है ?”,कहते हुए राधा रो पड़ी
“कैसी बाते कर रही हो राधा ? तुम घर में बड़ी हो समझदार हो तुम्हे तो अपने दोनों बच्चो को समझना चाहिए ना ,, ये जो कुछ भी हो रहा है वो बस एक ग़लतफ़हमी की वजह से हो रहा है और कुछ नहीं,,,,,,,,,,,,,,नीता , राधा को लेकर अंदर जाओ।”,विजय जी ने कहा
“जी पापा , माँ आप मेरे साथ आईये,,,,,,,,,,,आप चलिए आपकी तबियत ठीक नहीं है , आप आईये”,कहते हुए नीता राधा को अपने साथ लेकर वहा से चली गयी।
विजय जी ने राधा को तो वहा से भेज दिया लेकिन राधा की बातो ने उन्हें भी परेशानी में डाल दिया। वे सोफे पर आ बैठे मीरा का तलाक के पेपर भेजना उन्हें भी अजीब लग रहा था। अर्जुन और सोमित जीजू भी पास पड़े सोफों पर आ बैठे और मन ही मन सब ठीक होने की दुआ करने लगे।
बिस्तर पर लेटी मीरा को डॉक्टर ने इजेक्शन लगाया और सौंदर्या जी की तरफ पलटकर कहा,”मैंने इंजेक्शन लगा दिया है उम्मीद है इन्हे सुबह तक होश आ जाएगा , इन्हे गहरा सदमा लगा है क्या कुछ हुआ है जिसकी वजह से ये बहुत ज्यादा परेशान हो गयी हो ?”
“हाँ डॉक्टर मैडम वो मीरा,,,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या के पति राजकमल जी ने जैसे ही कहना चाहा
सौंदर्या ने उनका हाथ पकड़कर उन्हें पीछे खींचा और डॉक्टर से कहा,”हाँ वो कुछ दिन पहले ही मीरा ने अपनी 3 साल की बेटी को खोया है , उसके जाने के बाद से ही मीरा काफी बीमार और परेशान रहने लगी थी , आज शाम भी यही हुआ वह अपनी बेटी को याद करके बहुत रो रही थी और फिर एकदम से बेहोश होकर गिर गयी,,,,,,,,,,,,,,,पता नहीं हमारी मीरा को किस की नजर लग गयी है।”
कहते हुए सौंदर्या भुआ ने अपनी आँखों में आये आँसुओ को पोछने का दिखावा किया
सौंदर्या की बातें सुनकर राजकमल जी जहा हैरान थी वही डॉक्टर ने सौंदर्या के कंधे पर हाथ रखकर कहा,”हिम्मत रखिये अभी वो ठीक है बस सदमे की वजह से बेहोश है , उसे आराम करने दीजिये सुबह तक उसे होश आ जाएगा। ये मैंने कुछ मेडिसीन लिखे है इन्हे वक्त पर देते रहिएगा और इन्हे अकेला बिल्कुल नहीं छोड़ना है। मैं अब चलती हूँ काफी देर हो चुकी है।”
“ड्राइवर इन्हे घर तक छोड़ दो,,,,,,,,,,,,,,!”,सौंदर्या ने दरवाजे के बाहर खड़े ड्राइवर से कहा तो वह डॉक्टर के साथ बाहर चला गया
“तुम सब यहाँ क्या कर रहे हो ? जाओ जाकर अपना काम करो !”,सौंदर्या ने बाकी नौकरो को घुड़कते हुए कहा तो सभी सर झुकाकर वहा से चले गए।
“तुमने झूठ क्यों कहा कि मीरा रोने की वजह से बेहोश हुयी वो तो,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,राजकमल जी ने सौंदर्या के पास आकर कहा लेकिन वे आगे कुछ कहते इस से पहले ही सौंदर्या ने उनका हाथ पकड़ा और उन्हें लेकर साइड में चली आयी। सौंदर्या ने राजकमल जी को खा जाने वाली नजरो से देखा और कहा,”तो आप क्या चाहते हो मैं अपने भाईसाहब की इज्जत का जनाजा निकाल दू , सबको ये बता दू कि वो अक्षत यहाँ आया था और उसकी वजह से मीरा बेहोश हो गयी।”
“सौंदर्या ! वो इस घर का दामाद है तुम उसके लिए इतनी नफरत से बात कैसे कर सकती हो ?”,राजकमल जी ने हैरानी से कहा क्योकि वे अक्षत को बहुत मानते थे और आज भी सिर्फ उन्हें ही अक्षत का दर्द दिखाई दिया था।
“हुंह दामाद और वो ! देखा नहीं आपने उसने हमारी फूल जैसी मीरा का क्या हाल कर दिया है ? उसकी हिम्मत कैसे हुई आज घर आकर मीरा पर इस तरह से चिल्लाने की , मीरा की इस हालत का जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ वो अक्षत व्यास है।”,सौंदर्या ने नफरत भरे स्वर में कहा
“क्या तुम वही हो सौंदर्या जिसने कभी अक्षत और मीरा के साथ की दुआए मांगी थी ? तुम ऐसा कैसे सोच सकती हो ? दामाद जी और मीरा ने अपनी तीन साल की बेटी को खोया है अभी तक वो दोनों इस दर्द से निकले भी नहीं है और तुमने इन दोनों के मन में एक दूसरे के लिए जहर भरना शुरू कर दिया। मुझे विश्वास नहीं होता सौंदर्या की तुम ऐसा कह सकती हो,,,,,,,,,,,,,!!”,राजकमल जी ने अफ़सोस भरे स्वर में कहा
“बाहर जाने से पहले भाईसाहब ने मीरा की जिम्मेदारी मुझे दी थी मैं बस अपना फर्ज निभा रही हूँ , रात बहुत हो चुकी है जाकर खाना खा लीजिये मैं आज रात मीरा के पास ही रुकूंगी। नौकर से कहकर मेरा खाना यही भिजवा देना”,सौंदर्या ने कहा
“ऐसे हालातों में खाना तुम्हारे हलक से नीचे कैसे उतर सकता है ? तुम्हारा खाना भिजवा दूंगा मुझे भूख नहीं है।”,कहकर राजकमल जी तेज कदमो से कमरे से बाहर निकल गए।
सौंदर्या ने राज कमल जी को देखकर मुँह बनाया और फिर मीरा के सिरहाने आकर बैठ गयी। वे धीरे धीरे मीरा का सर सहलाने लगी और कहा,”चचचचचच क्या हालत हो गयी है मीरा तुम्हारी आज अगर मेरी भाभी जिन्दा होती तो तुम्हे इस हाल में देखकर फिर मर जाती , पर तुम चिंता मत करो मैं तुम्हे ऐसे मरने नहीं दूंगी। अभी तो तुम्हे बहुत कुछ देखना है और कोई जरूरत नहीं है तुम्हे वापस उस घर में जाने की , मैं हूँ ना , मैं तुम्हारा ख्याल रखूंगी। उस व्यास फॅमिली ने तुम से तुम्हारी बच्ची छीन ली , तुम्हारी हंसती खेलती जिंदगी को बर्बाद कर दिया ,
तुम्हे इन हालातो में ला दिया तुम्हे तो हमेशा के लिए उस घर को न, उन लोगो को और उन रिश्तो को छोड़ देना चाहिए और अपनी शाही जिंदगी में लौट जाना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,राजमहल की राजकुमारी की तरह,,,,,,,,,,,,,!!!”
ये सब कहते हुए सौंदर्या के चेहरे पर अजीबो गरीब भाव थे जिनसे लालच और जलन साफ टपक रही थी। वह देर तक मीरा के सिरहाने बैठकर उसका सर सहलाती रही।
Haan Ye Mohabbat Hai – 1 Haan Ye Mohabbat Hai – 1 Haan Ye Mohabbat Hai – 1 Haan Ye Mohabbat Hai – 1 Haan Ye Mohabbat Hai – 1 Haan Ye Mohabbat Hai – 1 Haan Ye Mohabbat Hai – 1 Haan Ye Mohabbat Hai – 1 Haan Ye Mohabbat Hai – 1 Haan Ye Mohabbat Hai – 1 Haan Ye Mohabbat Hai – 1 Haan Ye Mohabbat Hai – 1 Haan Ye Mohabbat Hai – 1 Haan Ye Mohabbat Hai – 1
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संजना किरोड़ीवाल
Amarya ko kya hua vo kese sb ko chod k chali gyi sbki zindagi me kushi ka karan thi vo 😌😌 pr uska jana bhut dukhad hh … Kisne kra yee 😡😡😡😡
Saundarya bhua k mann me ab lalch aa gya h jiski wajah se vo meera or akshat k beech me drar daal ri hh or akshat meera pe iska asar bhi h 😢😢
Akshat ko Meera se yeah Umeedh nahi thi ki voh usse samajh ne bajay Divorce papers bejegi isliye usne Meera se kaha ki ab tak usne uska pyaar dekha hai ab nafrat dekegi…Akshat abhi jis takleef se gurjar raha uske siwa koi uska dard nahi samajh sakta…aur yeah Soudarya Bhuva kyu ki Meera aur Akshat ke bich misunderstanding create karne per tuli hue hai aur unke pati ke samajh ne per bi nahi samajh rahi hai akhir yeah karna kya chahati hai…Akshat ke ghar wale bi pareshan ho rahe hai..
Akshat ko Meera se yeah Umeedh nahi thi ki voh usse samajh ne bajay Divorce papers bejegi isliye usne Meera se kaha ki ab tak usne uska pyaar dekha hai ab nafrat dekegi…Akshat abhi jis takleef se gurjar raha uske siwa koi uska dard nahi samajh sakta…aur yeah Soundarya Bhuva kyu Meera aur Akshat ke bich misunderstanding create karne per tuli hue hai aur unke pati ke samajh ne per bi nahi samajh rahi hai akhir yeah karna kya chahati hai…Akshat ke ghar wale bi pareshan ho rahe hai..
Ye dono ese alag ni ho sakte….kbhi nahi….
Yeh sari bua ek jaise hoti hai…. Ghar m aag lagane wali aur yeh Saundarya ji bhi esi hee niklee….dikha diya inhone apna asli rang…apni aukaat….yr Akshat aur Meera ko iss waqt ek dusre ki jarurat hai, lakin Bua ki sab kaam bigad rhi hai….
Finally waiting is over
I m sooo happy to meet again akshat and meera
Lv u sanjan mam
Dono ko ase nhi dekh skte hm log