साक़ीनामा – 20
Sakinama – 20
Sakinama – 20
वो अजीब बिहेव कर रही थी और डॉक्टर के पास भी नहीं जाना चाह रही थी। मैं हैरान परेशान सी बस उन्हें देख रही थी। कुछ देर बाद उन्होंने सोफे पर बैठते हुए कहा,”रघु को फोन करके घर बुलाओ , आज ये रोज रोज का नाटक ही खत्म कर देते है”
“अभी फोन मत कीजिये वो शाम में घर आये तब बात कर लेना”,मैंने कहा
“नहीं तुम उसे अभी फोन करो”,उन्होंने गुस्से से कहा तो मैंने राघव का नंबर डॉयल करके उन्हें दे दिया। उन्होंने रघु से सीधी बात कहने के बजाय गलत और झूठी बाते कही और घर आने को कहा। उनके ऐसे बिहेव से मैं और ज्यादा हैरान थी। मैंने उन्हें अपना समझ कर सब बताया और उन्होंने मुझ पर ही गलत इल्जाम लगाना शुरू कर दिया। राघव से बात करने के बाद उन्होंने अपनी बड़ी बेटी को फोन लगाया और फोन पर ही रोना धोना करने लगी।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था वो ये सब क्यों कर रही है ? कुछ देर बाद राघव का फोन आया और वह मुझे उलटा सीधा बोलने लगा , मैंने जब उसे समझाने की कोशिश की तो उसने मुझे एक बहुत ही गन्दी गाली दी और फोन काट दिया। उसके बाद दीदी से लेकर बड़े भैया तक ने फोन पर फोन किये और मुझे ही उलटा सीधा कहा। मैंने उन्हें समझाने की कोशिश भी की लेकिन उस से पहले मम्मी उन सबको मेरे बारे में गलत बाते बोल चुकी थी।
जिस तकलीफ से मैं निकलने का सोच रही थी उस तकलीफ में मैंने खुद को और ज्यादा फंसा लिया।
भैया के धमकाने पर राघव घर चला आया। वह आकर हॉल में बैठा और भैया को फोन करके कहा,”आपको घर आने की जरूरत नहीं है , घर का मामला है हमने सब शॉट आउट कर लिया है”
राघव ने उनसे झूठ बोला था और फिर वह हॉल में अपनी मम्मी के साथ आ बैठा। राघव की मम्मी ने उसे कुछ नहीं कहा बल्कि मुझसे आकर जमीन पर बैठने को कहा और फिर जितना गलत वो दोनों मेरे बारे में बोल सकते थे उन्होंने कहा ,
मुझ पर झूठे इल्जाम लगाए , ऐसी बातें कही जिन से उनकी घटिया सोच साफ झलक रही थी जिन्हे शायद मैं कभी लिख भी ना पाऊ , उन्होंने मुझे अपनी बात बोलने का मौका तक नहीं दिया और आखिर में अपने फैसले मुझ पर थोप दिए। हाँ वो जो हो रहा था वो गलत हो रहा था लेकिन मैं उसका विरोध नहीं कर पायी बस आँसू बहाती रही।
“इसे समझा दे अगर इसने ये सब दोबारा किया और घर का माहौल ख़राब किया तो इस बार सच में इसका बोरिया बिस्तर उठाकर बाहर फेंक दूंगा”,राघव ने नफरत भरे स्वर में कहा
मैं कमजोर पड़ चुकी थी , मेरे पास अब अपनी सफाई में कहने के लिए कुछ भी नहीं बचा था। मेरे पास वो शब्द नहीं थे जिन से मैं अपना दर्द बंया कर पाऊ। मैं एक मुजरिम की तरह उनके सामने बैठी थी और फिर राघव की मम्मी ने कहा,”उठो और जाकर खाना बनाओ”
मैं उठी और किचन की तरफ चली आयी कोई इंसान इतना निर्दयी कैसे हो सकता है ? मैं पहले से ज्यादा कमजोर हो चुकी थी मुझमे इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं घर का काम कर सकू लेकिन मैं उन्हें ना नहीं कह पायी।
खाना बनाकर मैं ऊपर अपने कमरे में चली आयी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था मैं आकर बिस्तर पर के पास नीचे जमीन पर ही बैठ गयी और कुछ देर पहले जो हुआ उसके बारे में सोचने लगी। मैं सोचती रही कि आखिर मेरी गलती क्या थी ? क्या मैंने उन्हें सच बताकर गलत किया ? मुझ पर झूठे इल्जाम क्यों लगे जबकि मेरी कोई गलती नहीं थी ? मेरी आँखों से आँसू बहने लगे।
राघव का सच उसकी मम्मी जानती थी लेकिन फिर भी उसे सही बताकर वो सबके सामने मुझे गलत साबित कर रही थी। राघव की बहनो ने भी मम्मी की बात सुनकर मुझे ही गलत समझा। कोई नहीं था जिस से मैं ये सब कह पाती। मैंने महसूस किया कि जब पति अपनी पत्नी की इज्जत नहीं करता तब उस घर का जानवर भी आपको दुत्कार कर चला जाता है। राघव की वजह से या यू समझ लो कि उसके लिए मैं सबकी नजरो में गिरते जा रही थी।
मेरा आत्मसम्मान खो चुका था , मेरा विश्वास खो चुका था यहाँ तक कि मै खुद को खो चुकी थी। राघव को अपनी गलतियों का ना अहसास था और ना ही अपने किये पर पछतावा,,,,,,,,,,,,उसके हिसाब से अब तक जो हुआ वो सब मेरी गलती थी उसकी नहीं,,,,,,,,,,,,,,!!
मैंने आज के बाद राघव की मम्मी से कुछ भी ना बताने का फैसला लिया। अपने और राघव के रिश्ते की सच्चाई मेरे सामने थी मुझे बस उसे स्वीकार करना था।
रातभर मैं बस इसी बारे में सोचते रही और अगली सुबह तैयार होकर नीचे चली आयी। तबियत फिर खराब होने लगी थी लेकिन मेरी परवाह यहाँ किसी को नहीं थी , मैंने भी किसी से ज्यादा उम्मीद नहीं कि और अपने कामो में लगी रही। खाना बनाते हुए ध्यान मम्मी पर चला गया वे हॉल में बैठकर फोन पर किसी से मेरे बारे में गलत बातें बोले जा रही थी। मैं सब बर्दास्त कर सकती हूँ लेकिन झूठ नहीं,,,,,,,उन्हें झूठ बोलते देखकर मैंने उन्हें एकदम से टोक दिया और कहा,”झूठ मत बोलिये मम्मी”
“हाँ इस घर में सच बोलने वाली ही तू है”,उन्होंने गुस्से से मेरी तरफ देखकर कहा
“मैं झूठ नहीं बोलती हूँ , आप क्यों सबको मेरे बारे में झूठ बोलकर मुझे बदनाम कर रही है?”,मुझे पहली बार उन पर गुस्सा आया
मुझे जवाब देते देखकर वो भड़क गयी और कहा,”तेरी माँ ने तुझे यही सिखाया है क्या ? ये मेरा घर है यहाँ वही होगा जो मैं चाहूंगी ,, मैं कहूँगी तो मेरा बेटा तुझसे बात करेगा , मैं कहूँगी तो तुझे बाहर लेकर जाएगा वरना नहीं। इस घर में रहना है तो जैसा मैं रखूंगी वैसे रहना होगा वरना जा सकती हो अपने माँ बाप के घर”
उनकी बात मुझे बहुत बुरी लगी एक औरत होकर वो दूसरी औरत के लिए ऐसा कैसे बोल सकती है ? औरत होने के साथ साथ वो एक माँ भी थी तो क्या उन्हें मेरा दर्द मेरी तकलीफ नहीं दिखी ? उनकी बातो में मेरे लिए नफरत साफ झलक रही थी। अब तक राघव मुझे इस घर से निकल जाने की बात करता था और आज मम्मी ने भी कह दी। क्या मैं उस घर की सदस्य नहीं थी ? क्या वो घर मेरा नहीं था ? वो सब एकदम से क्यों बदल गए या फिर वो सब ऐसे ही थे।
मैं क्यों उन्हें समझ नहीं पायी मैंने आगे उनसे कोई बात नहीं की और अपना काम ख़त्म कर ऊपर कमरे में चली आयी। सबने मिलकर मुझे गुनहगार बना दिया , राघव और उसकी मम्मी मेरे साथ इस तरह पेश आएंगे मैंने कभी सोचा नहीं था। मैं ये सब सोच ही रही थी कि जिया का फोन आ गया।
“हेलो”,मैंने कहा
“हेलो दी ! कैसी हो ? वो मम्मी तुमसे बात करना चाहती है”,जिया ने कहा
“हम्म्म करवा दो”,मैंने बुझे स्वर में कहा
“हेलो मृणाल कैसी हो ? तुम्हारी तबियत कैसी है ?”,मम्मी ने पूछा
मम्मी की आवाज सुनकर मेरी आँखों में आँसू भर आये मैं कुछ बोल ही नहीं पायी। मुझे खामोश देखकर उन्होंने कहा,”मृणाल ! क्या हुआ तुम ठीक हो ना ? इन दिनों तुम से बात नहीं हो पायी , तुम ठीक तो हो ना ?”
“क्या आप मुझसे मिलने यहाँ आ सकती है ?”,मैंने लगभग रोते हुए कहा
“हाँ हाँ क्यों नहीं ? पर तुम रो क्यों रही हो ? क्या हुआ है तुम्हे मुझे बताओ ?”,मम्मी ने पूछा
अब तक मैं टूट चुकी थी मैंने आज पहली बार अपनी मम्मी को सब बता दिया। उन्होंने सूना तो उनका दिल टूट गया , जो भरोसा वो राघव पर करती थी वो भरोसा टूट गया। उन्होंने काफी देर मुझसे बात की , मुझे समझाया और कहा कि वो जल्दी ही मुझसे मिलने आएँगी। मैंने फोन साइड में रख दिया। मैंने महसूस किया कि धीरे धीरे मैं अंदर ही अंदर खत्म होते जा रही हूँ।
जब कुछ समझ नहीं आता था तब मैं अपने महादेव से बात किया करती थी। मैं बिस्तर से उतर कर नीचे जमीन पर चली आयी। मैंने अपने हाथ जोड़े और महादेव को याद करते हुए अपने हाथो को अपने होंठो से लगा लिया और रो पड़ी। मेरे पास अपने दर्द का कोई इलाज नहीं था मैं बस रो सकती थी। मैं रोते हुए अपने महादेव से कहने लगी,”मेरा मान बचा लीजिये महादेव मेरा मान बचा लीजिये,,,,,,,,,,,
आपको तो सब पता है ना मैंने कुछ नहीं किया , मैंने कुछ गलत नहीं किया है। मैं कैसा महसूस करती हूँ मै ये किसी को नहीं समझा सकती कोई मेरी बात सुनेगा भी नहीं,,,,,,,,,,,,,,इस घर में कोई मेरा यकीन नहीं करता सबको लगता है मैं झूठी हूँ,,,,,,,,,,,,,,मैं झूठी नहीं हूँ महादेव , मैंने झूठ नहीं बोला है आप तो,,,,,,,,,,,आप तो मुझे जानते है ना , आप तो अपने हर बच्चे को जानते है ना महादेव , आपको तो सब पता है न फिर क्यों सब मुझे इतना दर्द दे रहे है ? आप कुछ कीजिये ना महादेव ,
आप सब कर सकते है आप सब सही कर दीजिये,,,,,,,,,,मैं इस से ज्यादा और नहीं सह सकती , मुझे घुटन होती है यहा मुझसे बात करने वाला कोई नहीं है , कोई मुझे नहीं समझता है , मैं किसी से अपना दर्द नहीं बाँट सकती,,,,,,,,,,आप तो जानते है ना मेरा यहाँ कोई नहीं है”
कहते कहते मेरा रोना सिसकियों में बदल चुका था। मुझे साँस लेने में भी तकलीफ हो रही थी और फिर मैं बोलते बोलते अचानक से गिर गयी। मैं बेसुध हो चुकी थी।
होश तब आया जब भाभी ने आकर मेरा कंधा थपथपाया। मैंने देखा कमरे में भाभी थी उन्हें देखकर मैं उठी अपना दुप्पटा उठाकर सर ढक लिया। मैं ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। भाभी ने मुझसे बिस्तर पर बैठने को कहा और खुद भी मेरे सामने आ बैठी। मैंने महसूस किया कि मेरे कपडे कुछ ख़राब हो चुके है मैंने उन्हें वही बैठने को कहा और खुद बाथरूम चली आयी। मुझे फिर अचानक से ब्लीडिंग की समस्या होने लगी ,
उसी वजह से मेरा शरीर गिर रहा था। मैंने खुद को साफ किया कपडे बदले और बाहर चली आयी। भाभी ने मुझसे बैठने को कहा। मैं उनके सामने आ बैठी उन्होंने बताया कि मेरी मम्मी के फ़ोन करने की वजह से वो यहाँ आये है। उन्होंने प्यार से पूछा,”क्या बात हो गयी मुझे बताओ ? तुम्हारे भैया तो ऊपर आकर तुमसे पूछ नहीं सकते इसलिए मैं चली आयी , वो नीचे है”
भाभी की बात सुनकर मुझे राघव की मम्मी याद आ गयी जैसे उन्होंने मुझे समझा वैसे ही कही भाभी भी गलत ना समझ ले सोचकर मैं चुप रही।
उन्होंने मुझे चुप देखा तो कहा,”देखो मुझे कुछ कुछ बाते पता है लेकिन पूरी बात नहीं , तुम बताओ क्या बात है ? तुम मुझे अपनी बड़ी बहन मानकर सब कह सकती हो”
उनका अपनापन देखकर मैंने उन्हें सब बता दिया इस बीच ना जाने कितनी ही बार मेरी आँखों से आँसू बहे मुझे याद नहीं। वो मेरी बात सुनती रही और काफी समझाने के बाद कहा,”पता नहीं इन लोगो को अब क्या दिक्कत है ? इनके चक्कर में तुम अपना शरीर खराब मत करो।
जरा अपनी हालत देखो कितनी कमजोर हो गयी , मेरे साथ डॉक्टर के पास चलो पहले अपनी हेल्थ सुधारो। सब ठीक हो जायेगा,,,,,,,,,,,,,,मैं नीचे तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ तुम आ जाना”
भाभी की बातो से थोड़ी सी हिम्मत मिली और मैं उनके साथ नीचे चली आयी। मम्मी गुस्से में थी। भैया हॉल में बैठे थे इसलिए भाभी मुझे लेकर कमरे में चली आयी उन्होंने मम्मी से कुछ कहना चाहा तो मम्मी ने फिर झूठ बोलना शुरू कर दिया। भाभी शायद उन्हें अच्छे से जानती थी इसलिए कहा,”मैं उनके साथ इसे लेकर हॉस्पिटल जा रही हूँ”
“थोड़ी देर में राघव आ जाएगा उसी के साथ चली जाएगी , तुम चाहो तो तुम भी साथ चली जाना”,मम्मी ने कहा और मुझे घूरने लगी
भाभी ने मुझे राघव ने मुझे शाम में राघव के साथ घर आने को कहा और भैया के साथ वापस घर चली गयी। शाम में राघव आया और मुझे लेकर भाभी के घर चला आया। भाभी गाड़ी में आ बैठी और तीनो हॉस्पिटल चले आये।
डॉक्टर ने मुझे 5 दिन बाद बुलाया था लेकिन बीते दिनों हुयी बातों के कारण मैं आज 10 दिन बाद हॉस्पिटल आयी थी।
डॉक्टर ने आते ही डांटना शुरू कर दिया उन्होंने मेरा चेकअप किया इस बार फिर मेरा वजह 3kg और कम था उन्होंने भाभी से कहा,”आप लोग इस पर ध्यान क्यों नहीं देते ? पिछले डेढ़ महीने में इसका 15 kg वजन कम हो चुका है। जरा इसकी हालत देखिये क्या नयी दुल्हन ऐसी दिखती है ? इनके खाने पीने पर ध्यान दीजिये। ये काफी कमजोर हो चुकी है इसके लिए मैं कुछ विटामिन और आयरन की दवाये लिख रही हूँ उन्हें कंटीन्यू रखना है”
“जी मैं ध्यान रखूंगी”,भाभी ने कहा और फाइल लेकर मेरे साथ केबिन से बाहर चली आयी।
राघव दवा लेने चला गया और भाभी मेरे बगल में आकर बैठ गयी। मैं खामोश बैठी सामने खाली पड़ी बेंच को देखते रही। मुझमे अब कुछ भी सोचने की हिम्मत नहीं बची थी। राघव कब वहा आया पता ही नहीं चला। भाभी की आवाज से मेरी तंद्रा टूटी मैं उठी और उनके साथ चल पड़ी।
रास्ते में राघव ने भाभी से पूछा,”क्या कहा डॉक्टर ने ?”
“इसका वजन फिर कम हो गया है , ख्याल रखने को कहा है”,भाभी ने कहा हालाँकि उन्हें राघव पर गुस्सा था
“अपने खाने पीने का ख्याल तो यही रखेगी , घर में किसी चीज की कमी तो नहीं है”,राघव ने बेपरवाही से कहा
भाभी जो अब तक शांत बैठी थी एकदम से बोल उठी,”खाना पीना ही सब कुछ नहीं होता है। अब क्या दिक्कत है आपको , अब तो शादी भी आपकी पसंद से हुई है फिर क्यों आराम से नहीं रहते हो ? खुद पंसद करके लाये हो ना इसे तो अच्छे से रखो”
भाभी की बात सुनकर राघव खामोश हो गया , भाभी ने कम शब्दों में ही कुछ ऐसा कह दिया जो उसे चुभ गया। मैं खामोश बैठी खिड़की से बाहर देखते रही।
मैं जब भी उस शहर की सड़को को देखती खुद को किसी पिंजरे में कैद महसूस करती। भाभी किसी काम से सोसायटी से बाहर उतर गयी। गाड़ी घर की तरफ जाने लगी मैं अभी भी खिड़की से बाहर देख रही थी कि राघव की आवाज से मेरी तंद्रा टूटी,”तुमने सूना भाभी ने कैसे मुझे टोंट मारा ? अब तो खुश हो ना तुम”
“उन्हें टोंट मारने का मौका आपने दिया है मैंने नहीं”,मैंने खिड़की से बाहर देखते हुए दार्शनिक अंदाज में कहा
मेरा जवाब सुनकर राघव ने कहा,”ऐसे तो हमारी कभी नहीं बनेगी”
मैंने कुछ नहीं कहा बस घर आने का इंतजार करने लगी। कुछ ही देर में गाड़ी के सामने थी मैं गाड़ी से उतरकर अंदर चली आयी। मैं नीचे ना रूककर सीधा अपने कमरे में चली आयी। मैंने खिड़की में पड़ी बोतल उठायी और दवा लेकर बिस्तर पर लेट गयी। दवा का असर था शायद कि मैं सो गयी।
काफी देर बाद मेरी आँख खुली नीचे हॉल से राघव की तेज आवाज आ रही थी वह शायद फोन पर किसी से बहस कर रहा था। मेरे पुरे बदन में दर्द था और इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं उठकर नीचे जा सकू।
मैं वही बिस्तर पर लेटे रही और आँखे मूंद ली। कुछ देर बाद मम्मी की आवाज मेरे कानो में पड़ी,”मृणाल , मृणाल , नीचे आओ”
रात के 8 बज रहे थे मैं जैसे तैसे उठकर नीचे चली आयी।
“जाओ जाकर सबके लिए खाना बनाओ”,उन्होंने लगभग आर्डर देते हुए कहा उन्हें मुझ पर जरा भी दया नहीं आयी। मैं किचन की तरफ चली आयी।
मेरे हाथो में बिल्कुल भी ताकत नहीं बची थी ना ही वहा खड़े होने की हिम्मत थी। मैं वापस उनके पास चली आयी और कहा,”मुझसे खाना नहीं बनेगा आप बना लीजिये”
उन्होंने मेरी बात सुनी और वहा से चली गई। ऊपर अपने कमरे में जाने की हिम्मत मुझमे नहीं थी इसलिए मैं नीचे मम्मी के कमरे में आकर ही लेट गयी और एक बार फिर मेरी आँख लग गयी।
पापा जिन्हे मेरी परवाह थी वो ख़ामोशी से सब देखते थे कभी मेरे लिए कुछ बोलते भी तो राघव और उसकी मम्मी के जरिए उन्हें चुप करवा दिया जाता।
रात 10 बजे टीवी के शोर से मेरी आँखे खुली। मैं उठी मैंने घडी में वक्त देखा मुझे खाने के बाद और दवा खानी थी। मैं उठकर कमरे से बाहर आयी और किचन एरिया की तरफ चली आयी। मम्मी बाहर गैलरी में बर्तन धो रही थी। मुझे भूख लगी थी सुबह से कुछ नहीं खाया था इसलिए मैंने प्लेटफॉर्म पर रखे बर्तन उठाकर देखे सब खाली थे। फ्रीज खोलकर देखा वहा भी खाना नहीं था। छबड़े में सिर्फ अख़बार था रोटी नहीं। मैंने मम्मी की तरफ देखकर पूछा,”मेरा खाना नहीं बनाया आपने ?”
उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और बर्तन धोते रही। मैंने इधर उधर देखा फ्रीज पर हॉट-पॉट रखा था। मैंने उसे उठाया और खोलकर देखा तो उसमे एक सुबह की रोटी पड़ी थी। मैंने उसे निकाला रूखी ही खाने लगी। उसे खाते हुए सहसा ही अपने घर की याद आ गयी जब भूख ना होने पर भी मम्मी जबरदस्ती एक रोटी एक्स्ट्रा खिला दिया करती थी। मेरी आँखों से आँसू बहकर प्ल्टेफोर्म पर जा गिरे और उस रात मैंने महसूस किया कि “भूख जलील भी करवाती है”
Sakinama – 20 Sakinama – 20 Sakinama – 20 Sakinama – 20 Sakinama – 20 Sakinama – 20 Sakinama – 20 Sakinama – 20 Sakinama – 20 Sakinama – 20 Sakinama – 20 Sakinama – 20 Sakinama – 20 Sakinama – 20 Sakinama – 20 Sakinama – 20 Sakinama – 20 Sakinama – 20
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संजना किरोड़ीवाल
Arey yr kya halat bana dee hai inn logo ne ek Hasti khelti ladki ki… Mrinal k andar ki ladki ko hee Raghav aur uske ghar walo ne maar Diya…pta nhi kyu Mrinal inn logo ko jhel rhi hai… Raghav ko talaq de aur apne ghar par wapas aaye…
Shi kha bhukh bahut Jalil kraati h, jo kabhi nhi kiya vo krne par majbur kar deti h
She should leave them she is a capable person she can live without these heartless people
Mrunal ko ab yeah rista tod dena chahiye kyu ki sirf vahi effort kar rahi hai iss bachane ke liye jabki Raghav rathi bar fark nahi pad raha hai usse Mrunal usse ghar naukar se badar zindagi ji rahi hai..Jab Raghav bi usse nahi samajh tha kisi aur se umeedh hi kya ki jaye…
Muje bhut rona aa ra hh esa nhi hua mere sath pr kuch kuch chijo k sath m rabta rakhti hu 😢😢😢😢