Sanjana Kirodiwal

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पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 50

Pakizah – 50

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

पाकीजा का खत पढ़कर रूद्र की आँखों से आंसू बहने लगे l खत में लिखा था

“प्रिय रूद्र जी !!
आज जो कुछ भी हुआ उसकी वजह सिर्फ और सिर्फ हम है l अगर हम आपकी जिंदगी में ना आये होते तो ये सब नहीं होता l भले आप भावना से प्यार नहीं करते लेकिन वो तो आपसे प्यार करती है l हमने झूठ कहा था की हम आपसे प्यार नहीं करते l पहले ही हमारी वजह से आप इतनी मुसीबतो में फस चुके थे हम नहीं चाहते थे

आप पर फिर से कोई परेशानी आये और आपके पापा आपसे दूर हो जाये l हम आपसे बहुत प्यार करते है रूद्र जी सच कह रहे है l ये कब ? कैसे ? हो गया हम नहीं जानते पर हम आपको चाहने लगे थे l जब आपने अपने प्यार का इजहार किया उसी पल हम आपके हो गए थे लेकिन अपने दिल की बात आपसे कह नहीं सके l भावना को दुःख पहुंचाकर हम आपके साथ अपना घर नहीं बसा सकते है रूद्र जी l


हमे माफ़ कर दीजिये !! आप भावना जी से शादी कर लीजिये , आप मेरा अतीत जानते है मैं आपके लायक नहीं हु सर , आपके पहले ही बहुत अहसान है मुझपर अब और आपकी खुशियों के बिच नहीं आना चाहती मैं !! आपसे इतना प्यार करती हु की आपके बाद अब इस जिंदगी में कोई नहीं आएगा l मैं आपको कभी भूल नहीं पाऊँगी पर आप मुझ भूल जाना और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना l खुदा आपको सारी खुशियो से नवाजे !! मैं अपने घर जा रही हु सर ! फ़िक्र मत कीजिए आपने जो हिम्मत दी है उसके सहारे अब मैं ये सफर अकेले तय कर सकती हु l अपना ख्याल रखियेगा

आपकी नापाक पाकीजा

रूद्र उठा और घडी में देखा l 5.45 हो रहे थे गाड़ी का समय 6 बजे का था l रूद्र पाकीजा को रोकने के लिए दौड़ पड़ा उसके पास सिर्फ 15 मिनिट थे l राजीव भी उसके साथ आ गया l दोनों गाड़ी से स्टेशन के लिए निकल गए l रूद्र जितनी तेजी से गाड़ी चला सकता था चलाई l कुछ देर बाद गाड़ी स्टेशन के बाहर थी l ट्रेन हार्न दे चुकी थी l रूद्र ने गाड़ी रोकी और गिरता पड़ता गाड़ी से उतरा और अंदर की तरफ भागा
“रूद्र ध्यान से !!”,पीछे से राजीव ने आवाज दी और गाड़ी को पार्किंग में लगाने लगा l


रूद्र अंदर आया तब तक ट्रेन चल चुकी थी l वह बदहवास सा भागता हुआ हर खिड़की दरवाजे पर पाकीजा को देखने लगा l ट्रेन ने स्पीड पकड़ ली रूद्र की बेचैनी और ज्यादा बढ़ गयी l वह ट्रेन के साथ साथ भागने लगा की अचानक उसकी नजर खिड़की के पास बैठी पाकीजा पर गयी रूद्र उस खिड़की की तरफ लपका और कहां,”पाकीजा , पाकीजा मत जाओ पाकीजा l
रूद्र को वहा देखकर पाकीजा ने जानबूझकर चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया l

रूद्र के चेहरे पर दर्द उभर आया ट्रेन के साथ साथ प्लेटफॉर्म पर भागते हुए रूद्र ने कहा,”प्लीज़ पाकीजा कमसे कम मेरी बात तो सुनो ! मैं बहुत चाहता हु तुम्हे मुझे छोडकर मत जाओ l मुझे तुम्हे कुछ और भी बताना है पाकीजा l बस एक बार मेरी बात सुन लो”
पाकीजा की आँखे आंसुओ से भर गयी l अगले ही पल रूद्र लड़खड़ा कर निचे गिर पड़ा l ट्रेन आगे निकल गयी देखते ही देखते ट्रेन और पाकीजा रूद्र की आँखों से ओझल हो गयी l


“पाकीजा आआआ “,रूद्र दर्द से तड़प कर चिल्ला उठा और फिर अपने हाथो में अपना चेहरा छुपाकर रोने लगा l राजीव आया उसने रूद्र के कंधे पर हाथ रखा रूद्र ने राजीव की तरफ देखा और दुखी स्वर में कहने लगा,”वो चली गयी राजीव , मैं उसे नहीं रोक पाया l मैं उसे कभी नहीं भूल पाऊंगा और वो भी मेर बिना कभी खुश नहीं रहेगी l मैं उसे बताना चाहता था इस सीने में धड़कने वाला जो दिल है वो किसी रूद्र का नहीं बल्कि शिवेन का है l

उस शिवेन का जिसे वो बहुत प्यार करती है l सिर्फ शक्ल बदली थी अहसास आज भी वही था मेरे अंदर l पर वो चली गयी l आखिर क्यों किया उसने ऐसा…………?”,रुद्र ने चिल्लाकर कहा l
राजीव ने उसे उठाया और कहा,”क्योकि वो सबको खुश देखना चाहती थी रूद्र ! वो जानती थी तेरे पापा उसे नहीं अपना पाएंगे l वो अपने अतीत को आज भी नहीं भूली है और शायद यही वजह है की वो यहाँ से चली गयी l “


“लेकिन मैं उसके बिना नहीं जी पाउँगा यार ! पहले सिर्फ शिवेन की फीलिंग्स थी अब ये रूद्र भी उसे चाहने लगा है l शिवेन के दिल में अगर पाकीजा है तो रूद्र के दिमाग में भी बस वो ही बसी है , मैं उसे नहीं भूल सकता राजीव नहीं भूल सकता”,कहते हुए रूद्र की आँखों में आंसू आ गए l
राजीव से रूद्र का दर्द देखा नहीं गया उसने उसे गले लगाते हुए कहा,”वो भी तुझसे उतना ही प्यार करती है ,

और इस वक्त वो भी इसी दर्द और तड़प से गुजर रही है l अभी मामला बहुत सीरियस है अंकल आंटी भी सच जान चुके है पता नहीं उनका क्या रिएक्शन होगा ? तू घर चल फिर सोचते है क्या करना है ?”
रूद्र को लेकर राजीव गाड़ी में आ बैठा l रूद्र ने आँखे मूंदकर सर सीट से लगा लिया पाकीजा के साथ बिताया वक्त उसकी आँखों के सामने आने लगा l राजीव ने गाड़ी स्टार्ट की और घर की तरफ बढ़ा दी l

घर पहुंचकर रूद्र सीधा अपने कमरे में चला गया न उसने किसी से बात की ना ही करना चाहता था l बिस्तर पर पड़ा वह वह पाकीजा के बारे में सोचता रहा सुबह से शाम हो गयी लेकिन रूद्र को कोई होश नहीं था l

उसी शाम , जौनपुर शहर

पाकीजा अपने घर के सामने खड़ी थी l उसने दरवाजा खटखटाया कुछ देर बाद उसकी बहन सलमा ने आकर दरवाजा खोला पाकीजा को अपने सामने देखकर वह हैरान रह गयी और फिर जोर से चिल्लाई,”अम्मी दीदी आ गयी अम्मी”
पाकीजा का दिल तेजी से धड़कने लगा l

अम्मी अब्बू उसे अपनाएंगे या नहीं ? पूछेंगे उसका पति कहा है ? वह अकेले कैसे आयी है ? इतने दिन कहा थी , कोई खोज खबर क्यों नहीं ली ? वह क्या जवाब देगी अम्मी के इन सवालो का ? पाकीजा दहलीज पर खड़ी अपने आप से उलझी हुई थी की छुटकी बहन अपनी अम्मी अब्बू के साथ पाकीजा के सामने आ खड़ी हुयी l शबनम ने जैसे ही पाकीजा को देखा उसकी रुलाई फुट पड़ी उसने पाकीजा को अपने सीने से लगा लिया l अपनी अम्मी के सीने से लगकर पाकीजा फूट फूट कर रोने लगी l


“हमे माफ़ कर दे बेटा ! बिना किसी जाँच पड़ताल के हमने तेरा निकाह उस आदमी से करवा दिया l तेरे अब्बू तुझसे मिलने भी गए थे लेकिन वो लड़का नहीं मिला l हम नहीं जानते थे मेरी बच्ची तू कहा है किस हाल में है l हर रोज एक एक पल तेरे इंतजार में बिताया है l तू ठीक तो है ना मेरी बच्ची”,शबनम ने रोते हुए कहा
“हम ठीक है अम्मी”,पाकीजा का गला रुंध गया उसकी आँखों से बस आंसू बहते रहे l शबनम को छोड़कर वह अपने अब्बू की तरफ बढ़ी और उनके सीने से लगकर रोने लगी l

पिता की आँखों से भी आंसू झरझर बहने लगे l पाकीजा ने अपनी बहनो को गले लगाया l शबनम ने दरवाजा बंद किया और सबको अंदर ले आयी l पाकीजा अपनी बहनो के साथ बैठकर बाते करने लगी बातो ही बातो में उसे बार बार रूद्र का ख्याल आ जाता और वो कही खो सी जाती l शाम हो चुकी थी शबनम ने खाना बनाया और सब साथ बैठकर खाने लगे l दोनों बहने सोने चली गयी पाकीजा सोच में डूबी बैठी थी तो शबनम और पाकीजा के अब्बू आकर उसके पास बैठ गए l


“क्या बात है पाकीजा सोइ नहीं अभी तक ?”,पाकीजा के अब्बू ने उसके सर पर प्यार से हाथ रखते हुए कहा
“अम्मी अब्बू हमे आपको कुछ बताना है “,पाकीजा ने धीरे से कहा
“हां पाकीजा बताओ क्या बात है ?”,शबनम ने उसका हाथ अपने हाथो में लेकर कहा l
पाकीजा ने दिल मजबूत करके अब तक की सारी कहानी दोनों को कह सुनाई बस रूद्र के घर रुकने वाली बात छुपा ली l

पाकीजा के अब्बु ने सुना तो उठकर वहा से चले गए उनका दिल टूट गया उनकी बेटी के साथ इतना कुछ हो गया और वह कुछ नहीं कर पाए l शबनम ने सुना तो उसकी आँखो से आंसू बहने लगे उसने पाकीजा को अपने सीने से लगा लिया l पाकीजा भी एक नन्हे बच्चे की तरह शबनम से चिपकी रही l उसके दिल का सारा बोझ उतर चूका था
सारी रात शबनम जागकर उसका सर सहलाती रही l पाकीजा नींद में हड़बड़ाकर उठ जाती तो शबनम उसे सीने से लगा लेती एक लम्बे वक्त के बाद पाकीजा गहरी नींद में चली जाती है l

ये उसके दर्द की आखरी रात थी l दिन गुजरने लगे अम्मी अब्बू की देखभाल और बहनो के प्यार से पाकीजा के जख्म भरने लगे l चाहकर भी वह रूद्र को भुला नहीं पा रही थी l गांव से बनी कुछ ही दूरी पर एक नदी बहती थी पाकीजा हर शाम जाकर वहा बैठी रूद्र के बारे में सोचती रहती थी l आंसू उसकी आँखों से बहते और वह उन्हें वापस पोछ लेती l

दूसरी तरफ यही हाल रूद्र का था l दिनभर वह पाकीजा के बारे में सोचता रहता था l एक हफ्ता गुजर गया ना वह किसी से बात करता ना ही किसी के सामने आता l राजीव जो की सिर्फ 2 दिन के लिए आया था रूद्र की हालत देखकर वह भी कुछ दिन के लिए रुक गया l पाकीजा का चेहरा हर वक्त रूद्र की आँखों के सामने आता रहता था एक सुबह रूद्र अपने कमरे में खड़ा उदास आँखों से खिड़की से बाहर देख रहा था तभी भावना वहा आयी l

भावना को वहा देखते ही रूद्र गुस्से से भर उठा और भावना से कहा,”प्लीज़ चली जाओ यहाँ से !”
“रूद्र मैं यहाँ तुमसे माफ़ी मांगने नहीं आयी हु , मैंने जो किया है उसके लिए शायद माफ़ी नहीं बनी है’,भावना ने कहा
“तो फिर क्यों आयी हो यहाँ ?”,रूद्र ने हैरानी से कहा
भावना रूद्र के पास आयी और कहने लगी,”मैंने तुम्हारे और पाकीजा के साथ बहुत गलत किया है रूद्र l

तुमने सच ही कहा था मैं तुम्हारे प्यार के काबिल नहीं हु ना ही तुम्हारी पत्नी बनने के लायक हु l मैंने तुम्हारे प्यार को कभी समझा ही नहीं लेकिन पाकीजा तुमसे बहुत प्यार करती है रूद्र l मैं हमेशा हमेशा के लिए ये शहर छोड़कर जा रही हु पर जाने से पहले तुम्हे और पाकीजा क साथ देखना चाहती हु l मुझे अब समझ आया है की प्यार में कोई जो जबरदस्ती नहीं होती है l तुम्हारा प्यार उसके लिए पाक है और पाक ही रहेगा l

बस इतना कहने आयी हु तुमसे पाकीजा को अपनी जिंदगी में वापस ले आओ रूद्र तुम दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हो l अपनी कहानी को इस तरह अधूरा मत छोडो जाओ ले आओ अपनी पाकीजा को l मैंने जो कुछ भी किया उसकी सजा इस जन्म में मुझे मिल ही चुकी है ना मैं अच्छी प्रेमिका बन पाई ना ही अच्छी पत्नी बनने का गुण मुझमे है ! अलविदा ! फिर शायद ना मिल पाऊ”,इतना कहकर भावना वहा से चली गयी l
रूद्र खामोश खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा l


भावना ने रूद्र के मम्मी पापा से माफ़ी मांगी और वहा से चली गयी l
रूद्र बिस्तर पर बैठ गया और चेहरा अपने हाथो मे छिपाकर सर झुका लिया l दरवाजे पर खड़ा वह सख्स उसके दर्द को बखूबी समझ सकता था l शाम को रूद्र छत पर उदास सा बैठा था कुछ देर बाद उसके पापा आये और आकर उसकी बगल में बैठ गए उन्हें देखते ही रूद्र ने जल्दी से अपनी आँखे पोछ ली लेकिन उसके पापा से वो आंसू छूप ना सके l

उन्होंने प्यार रूद्र की तरफ देखकर कहा,”जो गलती तुमने की ही नहीं उसकी सजा कब तक खुद को दोगे बेटा ?
रूद्र – मैं आपका गुनहगार हु पापा , सबके सामने मैंने आपको सम्मान को ठेस पहुंचाई है वो भी दो बार
पापा – नहीं बेटा तुमसे कुछ गलती नहीं हुई है बल्कि मैं ही तुम्हे समझ नहीं पाया था l इज्जत , मान , सम्मान के झूठे प्रपंचो में फसकर मैं मेरे बच्चो की ख़ुशी को ही भूल गया था l कितने ही दिन मैंने तुम्हे खुद से दूर रखा , दुःख पहुँचाया , तकलीफ दी पर तुमने कभी उफ़ तक नहीं की l

मुझे माफ़ कर दो बेटा
रूद्र – ये आप क्या कह रहे है पापा आप मुझसे माफ़ी मांगकर मुझे शर्मिन्दा कर रहे है l
पापा – भावना को तुम्हारे लिए चुनना मेरी सबसे बड़ी भूल थी बेटा
रूद्र – पापा उसे उसकी गलती का अहसास हो चूका है
पापा – लेकिन पाकीजा ? उसके साथ कहा न्याय हुआ ?


पाकीजा का नाम सुनकर रूद्र खामोश हो जाता है l पापा उसके कंधे पर हाथ रखकर धीरे से कहते है,”प्यार करता है न उस से ?”
रूद्र सहमति में अपनी गर्दन हिला देता है l
पापा – कितना ?
रूद्र उनके चेहरे की तरफ देखने लगता है तो वे फिर से अपना सवाल दोहराते है,”कितना ?
“इतना जितना मैं खुद से भी नही करता”,रूद्र एक गहरी साँस लेकर कहता है


“और मुझसे कितना प्यार करता है ?”,पापा फिर कहते है
“आपकी ख़ुशी के लिए अपना प्यार भूल सकता हु पर उसके लिए आपको नहीं छोड़ सकता”,रूद्र ने उनकी आँखों में देखते हुए कहा
पापा कुछ देर के लिए खामोश हो गए l आज उन्होंने जाना की रूद्र सच में उनसे कितना प्यार करता है l उन्होंने रूद्र के कंधे पर हाथ रखा और कहा,”अगर इतना ही प्यार करता है अपने पापा से तो मेरी एक बात मानेगा ?


“कहिये !!”,रूद्र ने कहा l
“अपनी पाकीजा को वापस ले आ बेटा !”,पापा ने रूद्र की आँखो में देखते हुए प्यार से कहा l
रुद्र नम आंखों से पापा की तरफ देखने लगा
रुद्र को हैरान देखकर उसके पापा कहने लगें,”हा बेटा मैं सच कह रहा हू अपनी पकीजा को वापस ले आ l

याद है कैसे बचपन मे जब तुझे कोई चीज चाहिए होती थी तो तू मांग लेता था फिर आज अपना प्यार मांगने में इतनी देर क्यों कर दी मेरे बच्चे ! तेरी खुशी में ही मेरी खुशी है बेटा , तू उस से बहुत प्यार करता है और वो भी तुझसे उतना ही प्यार करती है l उस से अच्छी लड़की तुझे मिल ही नही सकती l

मुझे पाकिजा पसन्द है वो कौन है उसका अतीत क्या है इस बात से मुझे कोई फर्क नही पड़ता , बस मेरे बच्चे खुश रहने चाहिए उसके बाद लोगो को जो कहना है कहे कमसे कम मेरे बच्चे तो मेरे साथ रहेंगे !!”
रुद्र की आंखे आंसुओ से भर आयी उसने अपने पापा को गले लगा लिया l
पापा की भी आंखे भर आयी उन्होंने रुद्र को गले लगाए रखा और उसकी पीठ सहलाने लगे l

“तो कब चले भाभी को लेने ?”,पीछे खड़े राजीव ने कहा l

रुद्र ने देखा सामने राजीव खड़ा है l वो मुस्कुरा उठा तो उसके पापा ने कहा,”तुम लोग नही बल्कि हम सब पाकिजा को लेने जाएंगे , देखते है हमे कैसे मना करती है वो “
“हा अंकल ! फिर तो कल सुबह ही निकलते है “,राजीव ने पास बैठते हुए कहा
रुद्र के चेहरे पर प्यारी सी स्माइल आ गयी वह एक बार फिर अपने पापा के गले लग गया l

अगली सुबह रुद्र अपने पूरे परिवार के साथ जौनपुर के लिए निकल गया l रास्ते भर गाडी में खूबसूरत गाने बजते रहे और रुद्र पाकिजा के बारे में सोचता रहा l पूछते पाछते वे लोग पाकिजा के घर पहुँचे l पाकिजा उस वक्त घर पर नही थी l वह रोजाना की तरह उसी नदी किनारे गयी हुई थी l
रुद्र ने शबनम ओर उसके पति को अपना परिचय दिया l शबनम ने उन्हें बैठने को कहा और उनकी आव भगत में लग गयी l

रुद्र के पापा ने जब पाकिजा को अपने घर की बहू बनाने की बात कही तो शबनम तो जैसे खुशी से फूली नही समाई l उसकी बेटी की ज़िंदगी ने खुशियां फिर से दस्तक देने वाली थी वो भला खुश कैसे न होती l वह भागकर दुकान से मिठाई ले आयी ओर सबका मुंह मीठा करवाया l रुद्र को पाकिजा कही दिखाई नही दी उसे परेशान देखकर शबनम ने सलमा से कहा,”जा दिदिया को बुला ला , कहना बाबूजी आये है”


“रहने दीजिए मैं खुद जाकर उनसे मिलना चाहूंगा , इस वक्त वो कहा होगी ?”,रुद्र ने कहा
“वो गांव के बाहर नदी किनारे बैठी रहती है इस वक्त आईये हम आपको ले चलते है बाबूजी”,छोटी सलमा ने कहा
रुद्र सलमा के साथ घर से बाहर आ गया l राजीव भी रुद्र के साथ आ गया l सलमा ने जब रुद्र की बड़ी गाड़ी देखी तो आंखे फाडे उसे ही देखने लगी l
“अरे बाबा , इतनी बडी गाड़ी , ये आपकी है बाबूजी ?”,सलमा ने मसुमियत से पूछा l


“बाबूजी नही जीजाजी ! चलो बैठो तुम्हे घुमाकर लाते है”,राजीव ने कहा
सलमा आगे वाली सीट पर आकर बैठ गयी l उसे तो सब बहुत रोमांचक लग रहा था l रुद्र ओर राजीव भी गाड़ी में आ बैठे रुद्र ने गाड़ी स्टार्ट की ओर आगे बढ़ा दी l सलमा रास्तेभर अपने ओर अपनी बहनों के किस्से सुना सुना कर हँसाने लगी l नदी किनारे पहुंचकर रुद्र ने कुछ दूर पहले ही गाड़ी रोक दी l

राजीव ओर सलमा को उसने वही रुकने को कहा और खुद पाकीज़ा की ओर बढ़ गया l घुटनो पर सर रखे पाकिजा उदास आंखो से नदी को निहार रही थी l रुद्र उसके पास आया और कहा,”मेरे बिना खुश नही हो ना ?
रुद्र की आवाज जैसे ही पाकिजा के कानों में पड़ी उसने चोंककर देखा सामने रुद्र खड़ा था उसे अपनी आंखो पर विश्वास ही नही हो रहा था l वह उठी और रुद्र के सामने आकर खड़ी हो गयी और उदास आंखो से उसे देखने लगी ओर फिर कहा,” आप यहां ?


“मैं तुम्हे लेने आया हु पाकिजा “,रुद्र ने कहा
“मैं आपके साथ नही जा सकती रुद्र जी आप मेरा अतीत जानते है मैं आपके लायक नही हु”,पाकिजा ने कहा
“तुम मेरे लायक नही हो इसका फैसला करने वाली तुम कौन होती हो ?”,रुद्र ने गुस्से से कहा
“ओर हमे यहां से ले जाने का फैसला करने वाले आप कौन होते है ?”,पाकिजा ने दर्द से कहा


“क्या मैं तुम्हारा कुछ नही लगता ? एक बार अपने दिल से पूछ कर देखो पाकिजा तुम्हे तुम्हारे सवाल का जवाब मिल जाएगा l मैं कोई तरस खाकर तुम्हे यहां से नही ले जा रहा बल्कि प्यार करता हु तुमसे l “,रुद्र ने कहा
“ये सब बातें मत कहिये सर ! आपकी शादी भावना से होने वाली है l मुझ जैसी गेर लड़की के लिए किसी तरह की भावनाएं रखना गलत है”,पाकिजा ने कहा


रुद्र पाकिजा के पास आया ओर उसके कंधों को पकड़ते हुए कहा,”भावना मेरी जिंदगी से हमेशा हमेशा के लिए जा चुकी है और तुम्हारे सिवा न इस दिल मे कोई आएगा ना ही जिंदगी में l तुम आखिर समझती क्यो नही की तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नही हु प्यार करता हु तुमसे , शादी करना चाहता हु , तुम्हे दुनिया की सारी खुशियां देना चाहता हु संमझ नही आ रहा तुम्हे ? क्यों कर रही हो ऐसा पाकिजा ?”

“चले जाइये यहां से”,पाकिजा ने रुद्र को खुद से दूर धकेलते हुए कहा

“क्या ?

“मैने कहा चले जाइये यहां से ओर दोबारा कभी हमारे सामने मत आईयेगा l नही कर सकते आपसे प्यार , नही भूल सकते शिवेन जी को , आपकी जिंदगी में आकर आपकी बर्बादी नही बन सकते l जाईये सर चले जाइये यहां से आपको मेरी कसम “,कहकर पाकिजा पलट गयी उसकी आंखो में आंसू आ गए जिन्हें वह रुद्र से छुपाना चाहती थी
रुद्र का दिल एक बार फिर टूट गया l

उसने अपने कदम पीछे बढ़ा लिए ओर वहां से चला गया गाड़ी के पास पहुंचा राजीव उसी का इंतजार कर रहा था l जेई ही उसने रुद्र की आंखों में आंसू देखे सब समझ गया और पाकिजा की तरफ बढ़ा l पाकिजा के पास पहुंचकर उसने उसकी बाँह पकड़ी ओर खींचकर कहा,”तुम आखिर खुद को समझती क्या हो ?
लेकिन अगले ही पल राजीव चोंक गया पाकिजा की बड़ी बड़ी आंखे आंसुओ से भरी हुई थी l


“ये सब क्या है पाकिजा ? क्यो दर्द दे रही हो उसे ओर खुद को भी ? रुद्र तुमसे बहूत प्यार करता है आखिर क्यों तुम उसे इतना सता रही हो ? किस बात की सजा दे रही हो उसे”,राजीव ने कहा
“क्योंकि हम नही चाहते वो हमारी जिंदगी में आये ! शिवेन जी की जगह किसी ओर को नही दे सकते हम हा हम भी प्यार करते है उनसे लेकिन अपने दिल को कैसे समझाए ?”,कहते हुए पाकिजा रोने लगी


राजीव ने उसे सम्हाला ओर कहा ,”पाकिजा रुद्र को समझने में तुमसे बहुत बड़ी भूल हुई है l जिस रुद्र को तुम पराया समझती हो उसके सीने में धड़कने वाला दिल जानती हो किसका है ? वो दिल शिवेन का है तुम्हारे शिवेन का जिसमे तुम्हारे लिए बेइंतहा मोहब्बत थी “
इतना कहकर राजीव ने पाकिजा को रुद्र के साथ हुए हादसे से लेकर शिवेन के हार्ट ट्रांसप्लांट तक कि सारी बात बता दी l पाकिजा आंखे फाडे सब सुनती रही l


“पाकिजा उसके सीने में धड़कने वाला दिल शिवेन का है इसलिए वो तुम्हारे करीब आया l तुमसे प्यार करने लगा तुम्हारा दर्द महसूस करने लगा l आज अगर तुमने उसे नही रोका तो तुम शिवेन ओर रुद्र दोनो को खो दोगी l ओर ये तुम्हारी जिंदगी की सबसे बडी भूल होगी ‘”,कहकर राजीव वहां से चला गया l
पाकिजा घुटनो के बल गिर पडी ओर सर झुकाकर रोने लगी l रुद्र के साथ बिताया हर पल उसकी आंखो के सामने आने लगा l इसलिए रुद्र की छुअन उसे जानी पहचानी लगती थी l

इसलिए रुद्र उसके कहने से पहले ही उसकी हर बात जान लिया करता था शिवेन की तरह l पाकिजा की आंखों से आंसू बहने लगे तभी एक जाना पहचाना अहसास पाकिजा को अपने कंधों पर महसूस हुआ पाकिजा ने पलके उठाकर देखा सामने शिवेन का साया बैठा था और प्यार से उसी को देख रहा था l पाकिजा नम आंखों से उस साये को देखे जा रही थी तभी उसने कहा
“क्या हुआ इतनी जल्दी हार मान ली ? रुद्र को जाने दिया l

पाकिजा रुद्र तुम्हारा आज है मैं तुम्हारा कल था जो अब गुजर चुका है मैं लौटकर वापस नही आ सकता l अपनी जिंदगी में आगे बढ़ो रुद्र को अपना लो उसके सीने में भले मेरा दिल धड़कता हो पर उसकी आत्मा में सिर्फ तुम बसी हो l पाकिजा वक्त कभी किसी के लिए नही रुकता है हमे ही उसके साथ आगे बढ़ना पड़ता है l मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा रुद्र के सीने में l उसे रोक लो पाकिजा !'”,कहता हुआ साया हवा में कही गायब हो गया l


पाकिजा को अहसास हो चुका था वह तेजी से उठी और गाड़ी की तरफ दौड़ी लेकिन न तो वहां रुद्र था ना ही राजीव बस गाड़ी थी और उसमें सलमा बैठी थी
“सलमा सर कहा गए ?”,पाकिजा ने घबराई हुई आवाज में पूछा l
“उ दोनो तो उधर पूल की तरफ गए”,सलमा ने बेफिक्री से कहा


“लेकिन वहां का पानी तो बहुत गहरा है”,पाकिजा ने जैसे ही सोचा पानी मे कुछ गिरने की आवाज आई l पाकिजा का दिल बैठ गया वह तेजी से उस तरफ भागी ओर चिल्ल्लायी ,”रुद्र !”
ये पहली बार था जब पाकिजा ने रुद्र को उसके नाम से पुकारा था l पाकिजा पूल की तरफ आयी लेकिन उसने बहुत देर कर दी पानी मे वो डूब रहा रहा l पाकिजा की आँखों से आंसू बहने लगे l रुद्र ऐसा करेगा उसने सोचा नही था l


पाकिजा रो रही थी कि तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा पाकिजा पलटी तो सामने रुद्र खड़ा था रुद्र को सामने देखकर पाकिजा ने हकलाते हुए कहा,”आप य यहा है त तो फि फिर पानी मे कौन है ?”
“वो वो राजीव है तुम्हारे लिए कुछ कह रहा था तो गुस्से में आकर उसे धक्का दे दिया”,रुद्र ने कहा
“लेकिन पानी बहुत गहरा है”,पाकिजा ने परेशानी से कहा l


“डोंट वरी उसे तैरना आता है l गहरा पानी दिखता है , भावना की खुशी दिखती है , पापा की इज्ज़त भी दिखती है लेकिन मेरा प्यार नही दिखता ? गिरने की आवाज से तुम्हारा यहां दोड़कर आना साबित करता है कि तुम मुझसे कितना प्यार करती हो लेकिन कहोगी नही l क्यों आयी अब ? अब बताओ मैं तुम्हारा क्या लगता हूँ”,रुद्र ने नाराजगी से कहा

पाकिजा ने कुछ नही कहा बस दोड़कर रुद्र के सीने से लग गयी और कहा,”आप मेरे जिंदा रहने की वजह है रुद्र !
“ओरो का पता नही पर तुम्हारे मुंह से मेरा नाम बहुत अच्छा लगता है”,कहकर रुद्र ने पाकिजा को अपनी बांहो में भर लिया l

राजीव पानी से बाहर आया और फिर चारो घर आ गए l रुद्र के मम्मी पापा ने दोनों का रिश्ता पक्का किया और अगले दिन दोनों की वही शादी कर वापस मेरठ आ गए l
रुद्र के घर मे पाकिजा को पूरा मान सम्मान और रुद्र का ढेर सारा प्यार मिलने लगा l पाकिजा धीरे धीरे अपने सारे दर्द सारी बुरी यादें भूल गयी l युवान के फोन से रुद्र ने उस अधेड़ आदमी को भी पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया l भावना ने अपने उसी बॉयफ्रेंड से शादी कर की ओर अपनी जिंदगी में खुश थी l


रुद्र ने पाकिजा की बहनों के लिए वही अच्छी स्कूल में पढ़ने लिखने की सारी व्यवस्था करवा दी l उसने पाकिजा के अब्बू को घर के बाहर एक किराने की दुकान खोलकर दे दी जो कि धीरे धीरे अच्छी चल पड़ी l शबनम की आर्थिक स्तिथि सुधर गयी और अब सब खुश रहने लगे l साल में एक बार रुद्र एक हफ्ते के लिए शबनम के घर जरूर आता और वही रहता था l सलमा तो बस आते ही उसकी गाड़ी में चढ़ जाती और वह भी पाकीजा की दोनों बहनों को खूब घुमाता l

ओर कुछ साल बाद पाकिजा ओर रुद्र की जिंदगी में एक ख़ूबसूरत पल आया जब पाकिजा ने एक बहुत ही खूबसूरत बेटे को जन्म दिया l रुद्र ने उसका नाम शिवेन रखा l पाकिजा की जिंदगी अब खुशियों से भर गई रुद्र हर वक्त उसके साथ उसका हमदम बनकर खड़ा रहता l कुछ समय बाद वह अपने ट्रांसफर के चलते पाकिजा ओर अपने बेटे के साथ मुम्बई शिफ्ट हो गया पाकिजा की नापाक जिंदगी को रुद्र ने आखिर पाक बना ही दिया l

कहानी खत्म हो चुकी है l
पर कुछ सवाल अभी भी आपके दिमाग मे घुम रहे होंगे तो आइए चलते हैं 10 साल आगे

मुम्बई का इंटरनैशनल स्कूल

रुद्र ओर पाकिजा अपने 10 साल के बेटे का हाथ पकड़े एडमिशन हॉल से बाहर आ रहे थे l तभी सामने से एक बच्चा भागता हुआ आया और रुद्र से टकरा गया
“सॉरी अंकल “,बच्चे ने मासूमियत से कहा l
“इट्स ओके बेटा , क्या नाम है आपका ?”,रुद्र ने पूछा
“रुद्र “,बच्चे ने कहा


पाकिजा ओर रुद्र एक दूसरे की तरफ देखने लगे l
“अच्छा तुम्हारे साथ कौन आया है ?”,रुद्र ने पूछा
“मेरे पेरेंट्स , वो रहे सामने”,कहते हुए लड़के ने उंगली से सामने से आते हुए उस कपल की ओर इशारा कर दिया
रुद्र ने जैसे ही पलटकर देखा हैरान हो गया बच्चे के पेरेंट्स कोई और नही बल्कि रागिनी ओर असलम ही थे l जैसे ही रागिनी ओर असलम रुद्र के पास आये खुद भी हैरान हो गये l


“रागिनी , असलम ये सब कब कैसे ?”,रुद्र ने हैरानी से पूछा l
असलम ओर रागिनी ने एक दूसरे की तरफ देखा ओर मुस्कुराने लगे फिर असलम ने कहा ,”सर आपके जाने के बाद मैं अकेला पड़ गया था l फिर एक शाम ट्रेन से सफर ल दौरान रागिनी से मेरी मुलाकात हुई और मैने इसे अपने दिल की बात कह दी l घंटो कन्विंस करने के बाद आखिर इसने हाँ कर ही दी l इसके दिल मे आप थे तो सोचा क्यों ना इसके दिमाग में जगह बना लू ओर नतीजा आपके सामने है “छोटा रुद्र”

असलम की बात सुनकर रुद्र हँसने लगा और उसे गले लगा लिया l फिर रागिनी की तरफ बढा ओर कहा,”i m sorry रागिनी !
“इट्स ओके सर जरूरी तो नही प्यार दोनो तरफ से हो प्यार एक तरफा भी तो हो सकता है और मेरा प्यार मुक्कमल हो चुका है मेरे बेटे के रूप में इसका नाम मैंने रुद्र रखा है l इतना हक तो दे सकते है ना आप मुझे”,रागिनी ने मुस्कुराते हुए कहा


रुद्र ने रागिनी के सर पर हाथ रखा और मुस्कुरा दिया
रुद्र ने रागिनी ओर असलम को अपनी पत्नी और बेटे से मिलवाया l
“सर रुद्र ओर शिवेन तो है लेकिन इनकी पाकिजा कहा होगी ?”,असलम ने कहा l

“पाकिजा यहां है”,एक दमदार आवाज चारो के कानो में पड़ी l

चारो ने पलटकर देखा सूट बुट पहने एक आदमी एक छोटी सी प्यारी सी बच्ची का हाथ पकड़े खड़ा था l रुद्र , असलम ओर रागिनी उसे नही जानते थे लेकिन पाकिजा ने जैसे ही उस सख्स को देखा मुस्कुरा उठी और आगे बढ़कर कहा,”मैंने सोचा नही था आपसे कभी मुलाकात होगी !
“सच्चे दिल से मांगो तो सब मिलता है पाकिजा “,आदमी ने कहा ओर मुस्कुराने लगा l

“रुद्र जी ये मयंक है ! कहानी में पढ़ा था ना आपने “,पाकिजा ने कहा l

मयंक नाम सुनते ही रुद्र को सब याद आ गया l उसने गर्मजोशी से मयंक से हाथ मिलाया ओर कहा,”इतने दिनों बाद आप यहां कैसे ?

मयंक मुस्कुराया ओर कहा,” आपके बच्चों का जिस स्कूल में एडमिशन हुआ है मैं उस स्कूल का डायरेक्टर हु l ये मेरी बेटी है और इसका नाम मैंने पाकिजा रखा है l पाकिजा के चले जाने के बाद मुझे हमेशा इसकी याद आती रही , फिक्र होती रही लेकिन इसने मुझे ओर राघव को मिलने से मना कर दिया और फिर कुछ समय बाद खबर आई कि राघव हमारे बीच नही रहा l

उसके बाद मैं पाकिजा से नही मिला लेकिन एक शाम जब मैं मिलने पहुंचा तो पता चला कि पकीजा को इंसाफ मिल चुका है l मैं बहुत खुश था लेकिन एक कसक थी इस से न मिल पाने की फिर कल मैने एडमिशन फॉर्म में पाकिजा का नाम मदर कॉलम में देखा मुझे लगा ये पाकिजा ही होगी l ओर देखो आज तुमसे मुलाकात हो ही गयी l तुम साथ न होकर भी हमेशा मेरे साथ रही मेरी बेटी के रूप में”

पाकिजा की आँखों में नमी तैर गयी उसने देखा उसे प्यार करने वाले , उसकी परवाह करने वाले कितने लोग उसके आस पास थे l

सभी वहां बैठकर बीते वक्त की बाते करने लगे तभी सबकी नजर सामने जाते हुए अपने बच्चों पर गयी l पाकिजा बीच में ओर रुद्र शिवेन उसके दांये बांये चल रहे थे l दोनो ने पाकिजा का एक एक हाथ पकड़ा हुआ था l तीनो नन्हे नन्हे पांवो से चले जा रहे थे

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“एक नई दास्तान लिखने”

समाप्त !!

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संजना किरोड़ीवाल

Sakinama
Sakinama by Sanjana Kirodiwal
pakizah - ak napak jindagi
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