मैं तेरी हीर – 33
Main Teri Heer – 33
Main Teri Heer – 33
काशी शक्ति से अच्छा खासा नाराज थी। सगाई के बाद ये पहली बार था जब काशी शक्ति से इस तरह से नाराज थी। एक महीने बाद गौरी की सगाई मुन्ना के साथ यहाँ इंदौर में होने वाली थी इसलिये काशी और गौरी दोनों सगाई की शॉपिंग करने मार्किट आयी हुई थी। दोनों मार्किट में खरीदारी कर रही थी। गौरी ने सगाई और उसे से पहले पहनने के लिये कुछ कपडे लिये और बैग्स काशी को थमा दिए।
“अरे ये क्या सब बैग्स हमे क्यों दे दिये ?”,काशी ने बैग उठाये गौरी के पीछे आते हुए कहा
“क्योकि मेरी सगाई है और मेरी होने वाली ननद साहिबा जब आपकी शादी होगी तब आपकी शॉपिंग्स के सारे बैग्स मैं उठा लुंगी। अब चलो मुझे बेंगल्स खरीदने है।”,गौरी ने कहा और आगे बढ़ गयी
“हाह ये लड़की कितनी सेल्फिश है , ए गौरी रुको ,, अच्छा मेरा पर्स तो पकड़ लो कम से कम,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने गौरी के पीछे आते हुए कहा लेकिन गौरी तो अभी से खुद को दुल्हन समझने लगी थी।
चलते चलते दोनों एक बेंगल्स वाले के पास पहुंची। गौरी ने अपने ड्रेस से मैचिंग की चुडिया खरीद ली साथ ही काशी , ऋतू और प्रिया के लिये भी कुछ मैचिंग चुडिया खरीद ली जिन्हे वे सब सगाई वाले दिन साथ पहनने वाली थी।
इस बार बेंगल बैग गौरी ने काशी को नहीं दिया और खुद ही उठाकर काशी के साथ चलने लगी। चलते चलते काशी ने कहा,”थैंक गॉड ये तो तुमने ले लिया वरना ये बैग उठाते उठाते हमारी तो जान ही निकल जाती।”
“ऐसी कैसे जान निकल जाती चलो थोड़ी देर में तुम्हे गोलगप्पे खिलाती हूँ लेकिन जेवेलरी खरीदने के बाद ठीक है।”,गौरी ने कहा और काशी का हाथ पकड़कर उसे जेवेलरी शॉप की तरफ ले गयी।
“गौरी क्या तुम हमे एक बात बताओगी ? तुम अभी से ये सब शॉपिंग क्यों कर रही हो ? सगाई तो एक महीने बाद होने वाली है ना।”,काशी ने सवाल किया
गौरी रुकी और काशी की तरफ पलटकर कहा,”ओहफ़ो काशी एक महीने में क्या क्या करुँगी मैं ?
घर में इतने सारे काम होंगे , मेहमानो को बुलाना होगा , उनको कार्ड भेजने होंगे , मॉम की भी शॉपिंग करनी होगी , मान और उसके घरवालों के लिये भी कुछ ना कुछ खरीदना ही पडेगा अब बताओ ये सब में मैं अपनी शॉपिंग कब करुँगी ? इसलिए मैंने सब से पहले अपनी शॉपिंग की है ताकि बाद में कोई प्रॉब्लम ना हो।”
“गौरी क्या तुम्हे लगता है मुन्ना भैया तुम्हारी फॅमिली से कुछ लेंगे ?”,काशी ने कहा
“क्यों नहीं लेगा ? ऑफकोर्स लेगा वो मेरे घर का होने वाला दामाद है उसका हक़ बनता है। वैसे भी मॉम तो उसे अपना बेटा मानने लगी है इतना प्यार तो वो मुझसे नहीं करती जितना मान से करने लगी है,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह क्या होगा मेरा ?”,गौरी ने कहा
“डोंट वरी अनु मौसी भी तुम्हे उतना ही प्यार करेगी,,,,,,,,,,,,,,बल्कि तुम और अनु मौसी तो हमे कॉपी लगते हो , आई ऍम डेम स्योर हमारी उम्र में अनु मौसी भी तुम्हारी तरह ही रही होंगी ,
और हमे विश्वास है वे तुम्हे मुन्ना भैया से ज्यादा प्यार करेंगी। अब चलो जल्दी शॉपिंग खत्म करो हमे भूख भी लगी है।”,काशी ने बच्चो की तरह मचलते हुए कहा
“हाँ हाँ चलो तुम ही ने मुझे बातो में लगा लिया था।”,गौरी ने कहा और काशी के साथ शोरूम में चली आयी। काशी ने सारे बैग्स रखे और कहा,”तुम देखो तब तक हम वाशरूम होकर आते है।”
“हाँ ठीक है।”,गौरी ने कहा और अपने लिये जेवेलरी देखने लगी। गौरी देख ही रही थी तभी काशी का फोन बजा। गौरी ने देखा फोन बजे ही जा रहा है तो उसने फोन उठाया और कान से लगा लिया।
“काशी क्या हुआ है तुम्हे ? तुम हमारा फोन क्यों नहीं उठा रही ?”,दूसरी तरफ से शक्ति की आवाज उभरी
“हे शक्ति ! मैं काशी नहीं गौरी बोल रही हूँ।”,गौरी ने शक्ति की गलतफहमी दूर करते हुए कहा
“ओह्ह्ह हाय गौरी ! काशी कहा है ?”,शक्ति ने पूछा
“वो वाशरूम गयी है।”,गौरी ने कहा
“वाशरूम ? अह्ह्ह तुम दोनों घर से बाहर हो क्या ?”,शक्ति ने अंदाजा लगाया
“हाँ वो एक महीने बाद मेरी और मान की सगाई है न इसलिए हम लोग शॉपिंग करने आये है।”,गौरी ने चहकते हुए कहा
“कोन्ग्रेचुलेशन , वैसे तुम दोनों अभी हो कहा हमे बताओगी ?”,शक्ति ने पूछा
“हाँ , हनुमान मार्किट में जो रिद्धि सिद्धि जेवेलरी शॉप है ना हम दोनों वही है , और यहाँ से फ्री होकर हम दोनों गोलगप्पे खाने जायेंगे ,, वो क्या है ना हम दोनों को ही बहुत जोर से भूख लगी है।”,गौरी ने बच्चो की तरह शक्ति को हर बात बताते हुए कहा
“हम्म्म ठीक है हम रखते है।”,कहकर शक्ति ने फोन काट दिया और गौरी की बात पर मुस्कुरा उठा।
“अरे उसने फोन क्यों काट दिया मैं तो उस से पूछने वाली थी क्या वो भी हम लोगो के साथ गोलगप्पे खायेगा,,,,,,,,,,,,,,
अह्ह्ह्ह लेकिन उसने तो उस से पहले ही फोन काट दिया।”,गौरी फोन देखते हुए बड़बड़ाई
“तुम्हे कुछ पसंद आया ?”,काशी की आवाज से गौरी की तंद्रा टूटी और उसने जल्दी से काशी का फोन साइड में रख दिया और कहा,”नहीं तुम्हारे बिना मैं कुछ कैसे पसंद कर सकती हूँ , तुम बैठो और देखो इनमे से कौनसा अच्छा है ?”
काशी गौरी के पास आ बैठी और उसके लिए जेवेलरी देखने लगी।
जेवेलरी खरीदने के बाद गौरी और काशी गोलगप्पे खाने सामने ठेले पर पहुंची। दोनों ने ठेले वाले से तीखे गोलगप्पे बनाने को कहा और खाने लगी। काशी ने अभी 1 ही खाया था तभी शक्ति वहा आ पहुंचा। शक्ति ने काशी के हाथ से प्लेट लेकर नीचे रखी और उसका हाथ पकड़कर गौरी से कहा,”एक मिनिट हां,,,,,,,,,,!”
“हाँ हाँ आराम से आपकी ही प्रॉपर्टी है,,,,,,,,,,,,,,अरे भैया आप खिलाईये ना।”,गौरी ने खाते हुए कहा
“ये क्या है शक्ति तुम ऐसे सबके सामने हमारा हाथ नहीं पकड़ सकते ?”,काशी ने झूठ मुठ का गुस्सा दिखाते हुए कहा
“वो सब बाद में पहले ये बताओ तुम हमारा फोन क्यों नहीं उठा रही ? हम कब से तुम्हे फोन कर रहे है और तुम काट दे रही हो। तुमसे मिलने हम घर भी गए थे लेकिन तुम घर पर नहीं थी। क्या अब तुम बताओगी तुम्हे क्या हुआ है ?”,शक्ति ने काशी की आँखों में देखते हुए धीमे स्वर में कहा
“हमे,,,,,,,,,,,,हमे कुछ नहीं हुआ है शक्ति बल्कि इन दिनों तुम ही कुछ ज्यादा बिजी हो गए हो। ना हमारे फोन का जवाब देते हो , ना मैसेज का और तो और तुम्हारे पास हमसे मिलने का टाइम भी नहीं उस के बाद तुम यहाँ खड़े होकर हम से शिकायत कर रहे हो,,,,,,,,,,,,,,,,बाप रे कितने बेशर्म हो तुम।”,काशी ने शक्ति को घूरते हुए कहा
शक्ति ने देखा आस पास के लोग उन दोनों को ही देख रहे है तो शक्ति ने काशी से सीधा सवाल कर लिया,”विश्वास गर्ग कौन है ?”
शक्ति के मुंह से विश्वास का नाम सुनकर काशी को मन ही मन अजीब लगा लेकिन वो शक्ति से गुस्सा थी इसलिए कहा,”पुलिस वाले हो ना तुम तो खुद पता लगा लो,,,,,,,,,,!!”
कहकर काशी ने शक्ति को साइड किया और बगल से गुजरते ऑटो को रुकवाकर उसमे आ बैठी। गौरी भी दूसरी तरफ से काशी के बगल में आ बैठी तो काशी ने ऑटो वाले से चलने को कहा।
“काशी हमारी बात सुनो”,शक्ति ने काशी के पास आकर कहा
“वो क्या है ना शक्ति अभी हम बहुत बिजी है,,,,,,,,,,,,,,,चलो भैया,,,,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने शक्ति की तरफ देखकर कहा
ऑटोवाला आगे बढ़ गया शक्ति वह खड़ा जाते हुए ऑटो को देखता रहा वह समझ नहीं पा रहा था काशी ऐसा क्यों कर रही है ? जाते हुए ऑटो से काशी ने झांककर बाहर देखा और शक्ति को देखकर अपना हाथ हिलाते हुए कहा,”बायययययययय शक्ति !”
शक्ति ने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुरा कर अपना हाथ हिला दिया वह समझ गया काशी बस उसे परेशान कर रही थी।
बनारस , मुरारी का घर
मुन्ना नहाकर नीचे आया। मुन्ना को किसी काम से बाहर जाना था वह जैसे ही जाने लगा अनु ने उसे आवाज दी।
“हाँ माँ !”,मुन्ना ने अनु के सामने आकर कहा
“मुन्ना एक महीने बाद तुम्हारी और गौरी की सगाई है। सगाई में गौरी के लिये कुछ गहने बनवाने है तो तुम मेरे साथ मार्किट चलो।”,अनु ने कहा
मुन्ना जिसे इन सब कामो में कोई रूचि नहीं थी उसने कहा,”माँ आप पापा के साथ चली जाईये ना , और हम जाकर क्या करेंगे आपको जो ठीक लगे वो ले आईयेगा।”
“मुन्ना तुम्हे इतना सीधा भी नहीं होना चाहिए। मैं जो गहने लुंगी उन्हें तुम्हारी होने वाली पत्नी पहनने वाली है अब वो गहने तुम्हारी पसंद के होंगे तो गौरी को ज्यादा अच्छा लगेगा ना , चलो अब बहाने मत बनाओ और मेरे साथ चलो।”,अनु ने कहा
“आप पापा के साथ भी जा सकती है ना माँ और गौरी को सब पसंद आ जाता है उसकी परवाह मत कीजिये आप।”,मुन्ना ने कहा
“तुम्हारे पापा को बाहर जाने की फुर्सत कहा है ? मैंने आज सुबह ही उनसे कहा तो उन्होंने कहा उन्हें शिवम् जीजू के साथ सारनाथ जाना है फैक्ट्री के काम से,,,,,,,,,,,,,,कभी कभी तो लगता है मुरारी ने मुझसे नहीं शिवम् जीजू से शादी की है।”,अनु ने भुनभुनाते हुए कहा
अनु को गुस्से में देखकर मुन्ना ने कहा,”अच्छा अच्छा ठीक है हम लेकर चलते है आपको , आप गुस्सा मत होईये और पापा को माफ़ कर दीजिये इतने सालों बाद वो कुछ नया काम शुरू करने जा रहे है उन्हें व्यस्त रहने दीजिये।”
“क्या बात है मुन्ना आज मुरारी की बड़ी साइड ली जा रही है ?”,अनु ने कहा
“क्या माँ आप भी हमारी जिंदगी में 2 ही चीजे इम्पोर्टेन्ट है एक हमारा परिवार याने आप सब और दुसरी,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते मुन्ना रुक गया क्योकि अनु उसे बड़े प्यार से देख रही थी
मुन्ना को चुप देखकर अनु ने कहा,”और दुसरी ?”
“वो हम आपको वक्त आने पर बता देंगे अभी आप चलिए देर हो रही है , हम बड़ी माँ और आई को भी फोन कर देते है। आपके साथ साथ वे लोग भी शॉपिंग कर लेंगी।”,मुन्ना ने अनु को अपने साथ ले जाते हुए कहा
नाश्ता करने के बाद शिवम् ने मुरारी एक एड्रेस दिया और वहा से रूपये उठाने को कहा। शिवम् सारनाथ के लिये निकल गया और मुरारी अपनी जीप लेकर मार्किट की तरफ निकल गया। रास्ते में जो कोई मुरारी को देखता “नमस्ते विधायक जी” जरूर कहता भले मुरारी अब बनारस का विधायक ना रहा हो। अपने लिए विधायक शब्द सुनकर मुरारी को आज भी उतनी ही ख़ुशी होती जितनी पहले हुआ करती थी।
गाड़ी चलाते हुए मुरारी को अपने पुराने दिनों की याद आ गयी और वह गाने लगा
“कवना कवलेजिया में पढलु अंग्रेजिया अंग्रेजिया छाँटेला
हमसे रूस ना ए करेजा ई करेजावा फ़ाटेला”
ये एक भोजपुरी संगीत था जिसे मुरारी बहुत ही प्यार से गा रहा था लेकिन गया किस के लिये जा रहा था ये तो अब हमारे मुरारी भैया ही जानते थे।
मुरारी अपनी जीप लेकर घाट की तरफ से निकला कि सड़क किनारे खड़ी उर्वशी पर उसकी नजर पड़ी। मुरारी की जीप की स्पीड अपने आप धीमी हो गयी। उर्वशी ने मुरारी को देखा तो आँखों में चमक और होंठो पर एक बड़ी सी मुस्कराहट तैर गयी। वह मुरारी की गाड़ी की तरफ आयी और कहा,”अरे आप यहाँ ? आप मार्किट की तरफ जा रहे है क्या ?”
“हाँ जा तो उसी तरफ रहे है , आपको कही छोड़ दे ?”,मुरारी के मुंह से निकला
“हाँ बिल्कुल , वैसे भी यहाँ के मार्किट की ज्यादा जानकारी नहीं है मुझे आप साथ चलेंगे तो थोड़ी मदद हो जाएगी। आपको थैंक्यू कहने का मौका भी मिल जाएगा। “,उर्वशी ने मुरारी के बगल में बैठते हुए कहा
ये वही सीट थी जिस पर मुन्ना ने एक रोज उर्वशी को बैठने से मना किया था क्योकि ये सीट उसकी माँ के लिये थी। मुरारी ने जीप आगे बढ़ाते हुए कहा,”ठंकु काहे ?”
“हाहाहाहा ठंकु नहीं थैंक्यू , आपने मेरी इतनी मदद की है एक थैंक्यू तो बनता है ना , थैंक्यू सो मच आप नहीं होते तो आज पता नहीं मैं कहा होती,,,,,,,,,,,,!!”,उर्वशी ने अपने पल्लू से खुद को हवा करते हुए कहा। मुरारी ने सूना तो कुछ कहने के लिए उर्वशी की तरफ देखा लेकिन उसे पल्लू से हवा करते देखकर मुरारी ने वापस गर्दन घुमा ली क्योकि ऐसा करते हुए उर्वशी का पल्लू थोड़ा इधर उधर हो गया था।
“बस बस यही रोक दीजिये मुझे यहाँ से कुछ गहने लेने है अपने लिये,,,,,,,,,,,,!”,उर्वशी ने कहा तो मुरारी ने जीप साइड में रोक दी
उर्वशी जीप से उतरी और कहा,”आप अंदर नहीं आएंगे,,,,,,,!!”,उर्वशी ने इतनी अदा और मोहब्बत से भरकर कहा कि मुरारी उसे ना बोल ही नहीं पाया और उर्वशी के मोह में उसके पीछे पीछे चल पड़ा।
मुरारी को देखते ही शोरूम के ओनर ने उसे नमस्ते की तो मुरारी ने कहा,”जे बनारस में मेहमान है इनको जो चाहिए उह दिखाईये बढ़िया में,,,,,,,,,!!”
“जी मुरारी भैया , आपके लिये कुछो मंगवाए , कुछो चाय कॉफी ठंडा ?”,ओनर ने पूछा
“अरे नहीं इह सब की जरूरत ना है , आप उनको अटेंड कीजिये हम तब तक अपने लिये कुछो देख लेते है।”,कहते हुए मुरारी शोरूम के दूसरी तरफ चला गया।
मुन्ना ने सारिका को फोन कर दिया और आई के साथ मार्किट में मिलने को कहा। सारिका और आई पहले से मार्किट थे उन्होंने मुन्ना को एड्रेस मैसेज कर दिया और आने को कहा। सारिका खुश थी कि मुन्ना की सगाई की खरीदारी अब सब साथ साथ करेंगे।
मुन्ना अपनी बाइक से अनु को लेकर मार्किट की तरफ निकल गया। गलियों से होते हुए मुन्ना मार्किट पहुंचा अब इसे इत्तेफाक कहे या मुरारी की बुरी किस्मत अनु और मुन्ना भी उसी मार्किट में थे जिस में मुरारी आया था।
शोरूम में घूमते हुए मुरारी की नजर डायमंड के एक नेकलेस पर पड़ी जिसे देखकर मुरारी ने मन ही मन कहा,”बहुत दिन से अनु को कुछो तोहफा नहीं दिये है , विधायकी छोड़ने के बाद से तो कबो एक फूल लेजाकर नहीं दिये उनको ,, कही उह हमको फक्कड़ ही ना समझ ले,,,,,,,,,जे शीशे मा रखा डायमंड सेट तो बहुते बढ़िया लग रहा है जे ही दे दे का अनु को ? उह देखेगी तो खुश हो जाएगी और इह लगेगा भी बढ़िया उनके ऊपर,,,,,,,,,,,,,,एक काम करते है पैक करवा लेते है।”
“मुरारी जी , ज़रा सुनिए”,उर्वशी की आवाज से मुरारी की तंद्रा टूटी
मुरारी उर्वशी की तरफ आया और कहा,”हाँ कहिये का हुआ ? कुछो पसंद आया ?”
“ये पसंद आया ! क्या ये आप मुझे पहना देंगे प्लीज,,,,,,,,,,,,!!”,उर्वशी ने हार मुरारी की तरफ बढाकर कहा ये वैसा ही हार था जो कुछ देर पहले मुरारी ने अनु के लिये पसंद किया था।
मुरारी ने हार लिया और उर्वशी को पहनाने लगा लेकिन बेचारे की बुरी किस्मत उसी वक्त अनु किसी काम से उस शोरूम में आयी और जैसे ही उसने मुरारी को उर्वशी के गले में हार पहनाते देखा गुस्से से उसका चेहरा लाल हो गया और उसने कहा,”तो ये है तुम्हारी सारनाथ की सीमेंट फैक्ट्री ?”
मुरारी ने अनु की आवाज सुनी तो गिरते गिरते बचा बेचारा और हड़बड़ाहट में हार भी छूटकर गिर गया मुरारी की आवाज उसके हलक में ही अटक गयी वह कुछ बोल ही नहीं पाया।
मुरारी को खामोश देखकर अनु का गुस्सा और बढ़ गया और उसने कहा,”ऐसा कौनसा जोड़ है सीमेंट का मुरारी जो छूट ही नहीं रहा है ?”
मुरारी बेचारा क्या कहता अनु के रूप में उसे साक्षात् अपनी मौत नजर आ रही थी।
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संजना किरोड़ीवाल
मुरारी तो गया अब… क्या वो सच में इतना बेवकूफ है कि उसे उर्वशी समझ नहीं आती है… मुरारी की बढ़िया वाली क्लास लगाए अनु…बेड फील फोर अनु… यार जब शक्ति ने सीधे पूछ ही लिया काशी से विश्वास के बारे में तो उसको बता देना चाहिए…अब आगे और ज्यादा प्रोब्लम होगी…ये विश्वास सीधा नहीं खतरनाक है…और जब तक कुछ बड़ा कांड नहीं होगा, जब तक काशी को अक्ल नहीं आएंगी…
Bechara murari gya barah k bhaav m
Is Bar Murari buri tarah fasa aur yeah Urvasi ko koi aur kaam nahi hai kya jab dekhe tab Murari aur Munna ko pareshan karne lagi rehti hai aur Anu ne samne bichara Murari kya explanation dekha aur upper Aye aur Sarika ki yahi hai ab Murari ko mahadev hi bachaye…Shakti Kashi se baat karna chahata per Kashi hai ki usse baat nahi kar rahi…nice part Maam♥♥♥
Wah kya baat hai….khud budhape me ayyashiyan karo aur phir jab biwi pakar le to victim card khelo…..murari ko koi phansaya wasaya nhi ja ra wo khud maze le raha hai …sirf urwashi ko blame nhi kar sakte kyunki murari koi baccha nhi hai …..usne anu ke baare me ek baar bhi nhi socha is urwashi ko sath le jaane se pehle… cheapster!
Har aurat Munna jaisa beta deserve karti hai par murari jaisa tharki husband koi deserve nhi karta.
Proud of Munna jisne apni maa ki jagah is urwashi ko nhi bithaya … Aise hi log innocent play karte karte apni wife pe cheat bhi kar dete hai ….cheating is not cool
Mr. Murari…..imagine kitni takleef Hui hogi Anu ko, aur kitni embarras
se Hui hogi wo jab aise market me usne murari koi kisi aur ko haar pehnate Deka hoga. Ranjhana me Murari was my favourite charector , ek masoom ladka Jo apni maggi ke liye kuchh bhi kar sakta tha …but hi just went worst from best .
Anu bichari. Karne do is murari ko jo karna hai but jab maafi mangte hue wapis aayega to kabhi maaf mat karna.
Murari to gya aj or ye uarvshi chahti kya hai kabhi Munna to kabhi murari
Ab to Murari ko ķoi nhi bacha skta h anu k kahar se