Sanjana Kirodiwal

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रांझणा – 6

Ranjhana – 6

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

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Ranjhana – 6

सारिका स्टूडियो में अंजना के साथ बैठी थी l स्टूडियो से बाहर बने हॉल में हजारो लोग जमा थे अपनी उस बेनाम लेखिका की एक झलक देखने के लिए l जबसे सारिका ने ये कहा की अब तक की पब्लिश की गयी रचनाये उसकी नहीं है तबसे सभी बैचैन थे ये जानने के लिए की आखिर वो कौन था ? जिसने ये सब लिखा l कहानी सुलझने के बजाय और उलझने लगी थी l शिवम् तो बस दिल थामे बैठा सारिका के आगे बोलने का इंतजार कर रहा था l

उसे कोई फर्क नहीं पड़ा ये जानकर की वो सब नज्मे उसकी मैडम जी ने नहीं लिखी बल्कि वो तो ये जानकर खुश था की उसकी मैडम जी ही घाट वाली लड़की है जिसका उसे इतने सालो से इंतजार था l एक की नज्मो से दूसरी प्रति मोहब्बत को महसूस किया था शिवम् ने l मुस्कराहट उसके होंठो से हटने का नाम नहीं ले रही थी l वह बेसब्री से सारिका के आगे बोलने का इंतजार करने लगा l

अंजना – आप अपना नाम नहीं बताना चाहती l अपनी पहचान छुपाना चाहती है क्यों ?
सारिका – सालो से हमे किसी की तलाश है जब तक वो मिल नहीं जाते हम बेनाम ही ठीक है , उनके बिना इस नाम का कोई महत्व नहीं है
अंजना – क्या वो इतने खास है ?
सारिका – जी , हमारी माँ के बाद वो दूसरे इंसान है जिन्हे हमने अपने दिल में जगह दी है l


अंजना – इंट्रेस्टिंग !! क्या उनके बारे में आप कुछ बताना पसंद करेंगी
सारिका – जी बिल्कुल , वो हमे बनारस में मिले थे जब हम 13-14 साल के थे l उन्होंने हमारी जान बचाई थी l कुछ वक्त साथ बिताया तो अहसास हुआ की वो बहुत अच्छे इंसान है l वो हमारे पहले दोस्त थे और शायद आखरी भी वही थे क्योंकी उसके बाद कही और दिल नहीं लगा l जब उनसे बिछड़ने का समय आया तो उन्होंने एक बहुत ही खूबसूरत बात कही थी


अंजना – क्या वो आप हमे बताना चाहेंगी ?
सारिका – उन्होंने कहा था “बनारस की हवा में भी इश्क़ बहता है , इस हवा को कैसे रोकोगी ?”
(शिवम के कानो में जब ये बात पड़ी तो उसकी आँखों में नमी तैर गयी , वह लड़की उसे भूली नहीं थी शिवम् का दिल किया अपनी कुर्सी पर खड़े होकर ख़ुशी के मारे जोर जोर से चिल्लाये लेकिन खुद पर काबू पाया और ऊँगली से आँखों के किनारो को साफ करके आगे सुनने लगा)


अंजना – वॉव ! इस एक लाइन में ही उन्होंने बहुत कुछ कह दिया था शायद ,, क्या मैं उनका नाम जान सकती हु ?
सारिका – मुझे उनका नाम नहीं पता ! (उदास होकर)
अंजना – स्ट्रेंज ! आप किसी को इतना चाहती है और नाम तक नहीं पता ,, अपनी यादास्त के लिए कोई तो नाम रखा होगा आपने ?
सारिका – जी अपनी डायरी में हम उन्हें “रांझणा” नाम से सम्बोधित करते है l


अंजना – बहुत खूबसूरत नाम रखा है आपने उनका और इससे पता चलता है की आप भी लिखने का शौक रखती है l
सारिका – जी हां , पर मैं सिर्फ उनके लिए लिखना पसंद करती हु , वो साथ नहीं है इसलिए उनके नाम को ही उनका अस्तित्व बनाकर अपना दिल उनके सामने खोलकर रख देती हु और फिर उन सारी यादो को समेटकर उसी डायरी में बंद कर देती हु l


अंजना – आप इतनी अच्छी तरह अपनी फीलिंग शेयर कर रही है तो लिखती तो इस से भी अच्छा होंगी , फिर आपने ये क्यों कहा की वो रचनाये किसी और की अमानत है ?
सारिका – क्योकि यही सच है ! (सहजता से)
अंजना – हम ये जानना चाहते है की ये किसकी अमानत है और ये सफर कैसे शुरू हुआ ?


सारिका – हमारे माँ पापा की लव मैरिज थी l माँ को हमेशा से लिखने का बहुत शौक था वो हर रोज कुछ न कुछ लिखा करती थी और हमसे भी कहती थी की ‘सारिका आप भी लिखा करो’ लेकिन हमे इन सब का कोई शौक नहीं था l हम माँ का लिखा कभी पढ़ते भी नहीं थे और कभी वो जिद करती तो हम साफ साफ कह देते की ‘इतने बड़े बड़े शब्द हमे समझ नही आते’ उस वक्त हम नहीं जानते थे की ये ही बड़े बड़े शब्द हमारे जीने की वजह बन जायेंगे l

वे हमेशा कहती थी ‘जिस दिन आपको कीसी से मोहब्बत होगी आपको ये नज्मे समझ आने लगेगी’ वे सब जानती थी इसलिए तो हमारे कहने से पहले ही हमारी हर बात समझ जाया करती थी l l वो हमेशा हमारे साथ खड़ी रहती थी पर हम नहीं जानते थे ये सफर हमे अकेले तय करना होगा एक हादसे ने उन्हें हमसे छीन लिया l (कहते कहते सारिका भावुक हो गयी

अंजना ने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और आँखे झपकाकर अपने साथ होने का अहसास दिलाया l लेकिन उसके बाद सारिका कुछ देर के लिए खामोश हो गयी , अंजना ने पास रखा पानी का ग्लास सारिका की तारा बढ़ा दिया सारिका ने पानी पीया अपना गला साफ किया और आगे कहने लगी) ये सभी नज्मे जिसे आज लोग इतना पसंद कर रहे है वो सब हमारी माँ ने लिखी थी l जाते जाते उन्होंने हमे वो आखरी तोहफा दिया था l

उनकी याद में हम उन नज्मो को दिन रात पढ़ते रहते थे , इस कदर की वो हमे मुंह जबानी याद हो चुकी थी l वो डायरी हमे अपनी जान से भी ज्यादा प्यारी थी हम हमेशा उसे अपने पास रखते थे अपने दिल के करीब ………. पर माँ की तरह कुछ वक्त बाद उस डायरी ने भी हमारा साथ छोड़ दिया l वो हमसे खो गयी और उस दिन एक बार फिर हमने उन्हें खो दिया”


अंजना – आपका सफर बहुत दुखद रहा l मैं आपकी माँ से कभी मिली तो नहीं ना ही मैंने उन्हें कभी देखा है लेकिन उनकी लिखी नज्मे पढ़ने के बाद मैं ये जरूर कहूँगी की वो बहुत खूबसूरत रही होंगी l उनके हाथो में जादू रहा होगा तभी तो आज भी कोई पढ़ने के बाद उनकी नज्मे भूल नहीं पाता , उनकी नज्मो में अपना इश्क़ ढूंढने लगता है l जिंदगी से जुडी हुई महसूस होती है उनकी नज्मे !


शिवम् ने सूना तो एक बार फिर उसकी आँखों में नमी तैर गयी l उसकी मैडम जी ने इतना कुछ अकेले सहा ये जानकर उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था
सारिका – जी हां वे बहुत खूबसूरत थी l मेरी जिद और अल्हड़पन को देखते हुए वे हमेशा मुझसे कहती थी की जिंदगी को जीने के लिए एक वजह तलाश करो
अंजना – और वो वजह आपको आपके “रांझणा” में दिखी , ऍम आई राईट ? ( मुस्कुराते हुए )


सारिका – जी हा माँ के जाने के बाद वही थे जो दिल के इतना करीब थे l
अंजना – वो बहुत खुशनसीब है जिन्हे इतना प्यार करने वाली लड़की मिली है लेकिन एक बात अभी भी जहन में घूम रही है
सारिका – वो क्या ?
अंजना – जब आपको उनसे इतना प्यार था तो फिर आपने उनसे मिलने की कोशिश क्यों नहीं की ?

अंजना के इस सवाल पर शिवम् का दिल एक पल के लिए ठहर गया वह भी जानना चाहता था आखिर क्या वजह थी की उसकी मैडम जी ने 14 साल निकाल दिए l

सारिका – कौन कम्बख्त इंतजार करना चाहता है l जितना इंतजार मैंने उनका किया है उतना शायद किसी ने ना किया हो एक एक पल एक एक लम्हा वो मेरे जहन में रहे है l उनसे बिछड़ने के बाद जब अहसास हुआ की हम उन्हें चाहने लगे है तब एक बार पापा से कहा था बनारस जाकर उनसे मिलने को लेकिन कसमो और बंदिशों में ऐसा बंधे की उनसे कभी आजाद हो ही नहीं पाए l

13 साल की लड़की जब कहे की वह किसी से बेपनाह मोहब्बत करने लगी है तो उसे उसकी नादानी कहा जाता है पापा ने भी यही किया और हर कोशिश की हमे समझाने की पर हम मजबूर थे अपने दिल के हाथो l हम उन्हें अपने जीने की वजह बना चुके थे l और आखिरकार पापा को मानना पड़ा और उन्होंने हमारे सामने रख दिया एक लंबा इंतजार l उनका कहना था अगर सच में ऐसा है तो फिर इंतजार करो l कच्ची उम्र में भी हमे अग्नि परीक्षा देनी पड़ी ,,14 साल पुरे 14 साल उनका इंतजार किया है !”


इस बार शिवम् अपनी आँख में आये आंसुओ को रोक नहीं पाया और वो बहकर उसके गालो को भीगा गए l उसने अपना सर झुका लिया इस से आगे सुनने की हिम्मत उसमे नहीं थी l शिवम ने चेहरा अपने हाथो में छुपा लिया और सोचने लगा “उस लड़की ने भी इंतजार के वो ही 14 साल देखे थे जो उसने देखे थे l उसने भी उतना ही दर्द सहा था जितना शिवम् ने l पल पल वो भी घुटती रही जैसे शिवम् l इतने लम्बे इंतजार का सिला ये मिला की आज उसके सामने होकर भी वह उसे देख नहीं पा रहा है ,

बोल नहीं पा रहा है , उसे बता नहीं पा रहा है की जिस रांझणा का वो पिछले 14 साल से इंतजार कर रही है वो आज उसके सामने बैठा है l सच्ची मोहब्बत शिवम की नहीं उसकी थी जो अपनों से बगावत करके उसके लिए इतना लम्बा इंतजार किया l ये 14 साल एक नर्क की तरह थे जिसमे से उन दोनों को गुजरना पड़ा l अपनों के अहम् के कारण वो एक दूसरे से दूर रहे – ”पर तुमने क्या किया शिवम् तुमने भी तो कभी ये जानने की कोशिश नहीं की के वो कहा है ? वो नहीं आ सकी क्योकि वो मजबूर थी पर तुम ,

तुम तो जा सकते थे लेकिन तुमने सिर्फ इंतजार किया l पर आज नहीं आज तू उसे सब बता देगा उसे बता देगा की वो नर्क उसके साथ साथ तुमने भी देखा है , घाट किनारे बैठकर उतने ही आंसू तुमने भी बहाये है , अपनों से बगावत करके उसका इंतजार तुमने भी किया है और सबसे जरुरी बात उसकी तरह उस से भी ज्यादा उसे तुमने भी चाहा है”
अंजना – ओह्ह माय गॉड ! 14 साल , मतलब एक पूरा का पूरा बनवास वो भी इस कलियुग में (अंजना ने हैरानी से कहा)


सारिका – अगर मोहब्बत सच्ची हो तो 14 साल बहुत कम लगते है (मुस्कुराते हुए)
अंजना – सीरियसली मैं आपकी फैन हो गयी हु l आजकल जहा फोन ना उठाने पर ब्रेक अप हो जाते है , वहा आप जैसी सख्सियत बिना मिले , बिना देखे , यहाँ तक के उनका नाम तक नहीं जानती फिर भी 14 साल से उनका इंतजार कर रही है सेल्यूट टू यू मेम !! आप कितने ही लवर्स के लिए उनकी आइडियल बन सकती है मेम !!
सारिका – इस प्यार के लिए बहुत बहुत शुक्रिया अंजना जी !!


अंजना – थैंक्यू तो मुझे कहना चाहिए l आज आपसे मिलकर सच में मैंने मोहब्बत के मायने समझ लिए l
सारिका – अंजना जी जिंदगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा ये तो है बाकि सब तो स्वार्थ के रिश्ते है l
अंजना – जी बिल्कुल , हम जानना चाहेंगे आपकी पसंद नापसंद के बारे में आप कुछ बताये
सारिका – हमे सिर्फ दो चीजे पसंद है एक वो और दुसरा बनारस (मुस्कुराते हुए)


अंजना – ब्यूटीफुल ! मैं और आपके सारे फेन्स मिलकर ये दुआ करेगे की आपके रांझणा आपको जल्दी से मिल जाये और फिर आप दोनों अपने फेन्स के सामने आकर उन्हें सरप्राइज दे l
सारिका – जरूर
अंजना – भले ही ये सब नज्मे आपकी न हो लेकिन हम इन्हे अब आपका ही समझेंगे l ये सभी फीलिंग्स आपमें थी तभी तो आप इन्हे हमारे सामने ला पाई l आपकी नज्मो से भी ज्यादा हमे आपकी कहानी ने आकर्षित किया l इस कहानी की हैप्पी एंडिंग होनी चाहिए वो भी आपके रांझणा के साथ l


सारिका – मैं बहुत खुश हु ये जानकर की आप सब उन नज्मो को इतना प्यार देते है
अंजना – मेम मैंने सूना है दो ही लोग अच्छा लिखते है एक वो जो इश्क़ में होते है और दूसरे वो जो दर्द में होते है ,, आप तो इश्क़ और दर्द दोनों में है आपने भी अपने रांझणा के लिए कुछ तो लिखा होगा ना …………. कुछ खास !!
सारिका – जी हां लिखा है (होंठो पर एक प्यारी सी मुस्कान आ जाती है)


अंजना – प्लीज़ मेम सुनाईये ना (अंजना ने बड़े प्यार से कहा तो सारिका मना नहीं कर पाई , कुछ समय में ही अंजना ने उसके साथ काफी अच्छा बांड बना लिया था)

सारा हॉल एक बार फिर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा इस बार तालियों के साथ साथ माहौल में एक आवाज और गूंज रही थी वो थी “रांझणा , रांझणा , रांझणा , रांझणा” सारिका की कहानी सुनने के बाद सबको नज्मो के साथ साथ रांझणा से भी प्यार हो गया था l शिवमं ने सूना तो आंसुओ से भरा चेहरा ऊपर उठाया और आंसू पोछकर मुस्कुराते हुए “रांझणा” के नारे लगाने लगा l

ये जानते हुए भी की वो रांझणा कोई और नहीं बल्कि वह खुद ही है कुछ पल का इंतजार और उसके बाद हमेशा हमेशा के लिए वो उसे पा लेगा सोचकर शिवम् के होंठो पर प्यारी सी मुस्कान आ गयी l कुछ देर बाद हॉल में एक ख़ामोशी छा गयी l अंजना के रिवेस्ट करने पर सारिका ने वह नज्म पढ़नी शुरू की जो उसने कभी अपने रांझणा के लिए लिखी थी

” रांझणा ……………………….. !!
कितनी खुशनसीब हु मैं जिसे अपने महबूब का नाम रखने का मौका मिला !
हजारो किताबे खंगाल के , कितने ही शब्दों को तोड़ मोड़ के ,, मैंने ढूंढ ही लिया वो एक नाम
जिसमे महसूस कर सकूँ मैं तुम्हारी मौजूदगी
तुम्हारा मेरे पास होने का अहसास …………!!
मैंने तुम्हारा नाम रांझणा रखा , इश्क़ से सराबोर ये लफ्ज जब भी मेरे होंठो पर आता है


दर्द में भी मुस्कुराने की वजह दे जाता है !!
भूली नहीं हु मैं बनारस की उन गलियों को जिनमे हाथ थामे मेरा , तुमने मुझे घाट दर घाट दिखाए थे
अपने ख्यालो में घूमती नजर आती हु खुद को मैं और साथ होता है तेरा साया वैसे ही
धुप की किरणे जब तंग करती है तो तुम्हारे ख्वाबगाह की छांव में बैठकर पोछ लिया करती हु पसीना
सर्दी में कई बार ओढ़ा है मैंने तुम्हारी यादो को , शॉल समझकर l


बारिश की बूंदो में महसुस किया है कई बार तुम्हारी आँखों की नमी को
ये सारे मौसम तो बस बहाने है l तुमसे जुड़कर तुम में घुलने का अवसर ढूंढती हु मैं
मेरी ही तरह कही न कही बैचैन तो होंगे तुम भी
मेरे नैनो की तरह तकते होंगे तेरे नैन भी
तेरे होंठो से छूटी हंसी मेरे होंठो पर जब ठहरती है


तेरे उस पार की हवा जब हौले से मुझे छूकर गुजरती है
मैं फैलाकर अपने हाथो को उस अहसास को उनमे समेट लेती हु l
मेरे इस पल से लेकर मेरे उस पल तक अगर कोई है तो वो तुम हो , तुम्हारा इश्क़ है और तुम्हारा ख्याल है
जितने भी सावन बिताये है बिन तुम्हारे ना जाने क्यों वो सब बेकार है
मुझे कोई रंग नहीं भाता , तुम्हारे बिना सब बेरंग से नजर आते है


कोई उम्मीद नजर नहीं आती बस ऐतबार है
मुझे आज भी तेरे लौट आने का इंतजार है
तुम बस ढूंढ लेना मुझे , तुम बस ढूंढ लेना मुझे
मैं हर मंदिर हर मस्जिद में तुम्हे पाने की दुआ मांगती रहूंगी


मैं उन्ही बनारस की गलियों में अपने इश्क़ की खाक छानती मिलूंगी l
तुम घुल जाना मुझमे मेरा लहू बनकर
कुछ बनु ना बनु पर मैं तेरी पहचान बनूँगी l

सारिका खामोश हो गयी l शिवम् की आँखों से आंसू एक बार फिर टपकने लगे , उसने कभी नहीं सोचा था कोई उस से इतना प्यार करेगी l अंजना के साथ साथ बाकी लोग भी अवाक् रह गए l हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से फिर गूंज उठा l अब तो सब के सब इस बेनाम लेखिका से मिलने के लिए बैचैन हो उठे l


अंजना – मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूँगी मेम , सिर्फ एक शब्द “wow” !! आपको सुनकर लगा जैसे मैं बनारस की सैर पर हु , मतलब इतना गहराई से आपने अपने शब्दों में अपनी सारी मोहब्बत बयां कर दी l आप सच में काबिल-ए-तारीफ है मेम”
सारिका बस मुस्कुरा दी तो अंजना ने आगे कहा,”आप बिल्कुल अपनी माँ की तरह लिखती है मेम ! वो आज जहा कही भी है आपको सुनकर उन्हें खुद पर आप पर गर्व महसूस होगा !!


“अंजना जी , अब मुझे चलना चाहिए”,सारिका ने उठते हुए कहा l
“मेम ! अगर आप इजाजत दे तो मैं आपसे कुछ मांग सकती हु”,अंजना ने आसभरी नजरो से सारिका को देखते हुए कहा
“जी कहिये”,सारिका ने कहा


“मेम बाहर आपके हजारो फेन्स आपकी राह देख रहे है , सिर्फ आपकी एक झलक पाने के लिए सुबह से यहाँ मौजूद है अगर आप एक बार कैमरे की तरफ देखकर उनके लिए कोई एक छोटा सा मेसेज दे दे तो , प्लीज़ मेम इट्स अ हम्बल रिक्वेस्ट”,अंजना ने कहा
“ठीक है”,सारिका ने कहा


अंजना ख़ुशी से फूली नहीं समाई और सीधा सारिका के गले आ लगी और कहा,”आप सच में बहुत अच्छी है मेम , अगर आज मैं यहाँ नहीं होती तो डेफिनेटली उस भीड़ में शामिल होकर आपके लिए तालिया बजाती”

सारिका को वही छोड़कर अंजना स्टेज पर आयी और अनाउंस करते हुए कहा,”आप सभी का अपने लिए प्यार देखते हुए आपकी बेनाम लेखिका चंद पलो के लिए सामने स्क्रीन पर आएँगी और आपके लिए प्यारा सा मेसेज देंगी l सो रेडी फॉर दिस क्योकि जितना खुबसुरत ये लिखती है उतनी ही खूबसूरत ये सख्शियत है l वेलकम टू मिस “बेनाम लेखिका” !!


अंजना वहा से साइड हो गयी सारा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा l शिवम् ने नम आँखों के साथ अपना दिल थाम लिया उसकी नजर सिर्फ स्क्रीन पर थी की तभी भीड़ में धक्का मुक्की होंने लगी और शिवम् के हाथ में पकड़ा तोहफा निचे गिर गया l शिवमं उसे ढूंढने में बिजी हो गया तब तक सारिका स्क्रीन पर आ चुकी थी l उसने सबको इतने प्यार और सम्मान के लिए शुक्रिया कहा और अंत में कहा

“मोहब्बत दुनिया की सबसे खूबसूरत भावना है , इसे जरूर महसूस करे !! जिंदगी जीने के असली मायने तब समझ आएंगे जब आप पूरी तरह किसी की मोहब्बत में होंगे !!’

सारिका वहा से चली गयी l शिवम् तोहफा उठाकर जैसे ही उठा उसकी मैडम जी जा चुकी थी वह उसे नही देख पाया l उसने ये मौका खो दिया था l अपने अंदर वह कुछ टूटता सा महसुस करने लगा l ये कुछ और नहीं उसका दिल था l स्टूडियो से निकलकर सारिका वहा से वापस होटल के लिए चली गयी l भीड़ को पीछे धकेलता हुआ शिवम् आगे आया और अंजना से कहा,”प्लीज़ हमे एक बार उनसे मिलने दीजिये , देखिये हमारा उनसे मिलना बहुत जरूरी है”


“पर वो यहाँ से जा चूकी है”,अंजना ने कहा
“ऐसे कैसे जा सकती है वो , हम यहाँ उन्ही के लिए तो आये थे , प्लीज़ हम हाथ जोड़ते है हमे उनसे मिलने दीजिये”,शिवम् ने अपने हाथ जोड़ते हुए कहा
“ये सब भी यहाँ उन्ही के लिए आये है”,अंजना ने कहा और जाने लगी


शिवम् ने उन्हें रोकते हुए कहा,”इन सब में और हम में बहुत फर्क है ! जिस रांझणा की वो बात कर रही है वो हम ही है , शिवम् हम बनारस से आये है उनसे मिलने”
“यहाँ उनके हजारो आशिक़ है और सब कहेंगे वो उनके रांझणा है तो क्या हम मान लेंगे”,मैनेजर ने शिवम् को फटकार लगाते हुए कहा.


सारिका के लिए ये शब्द सुनकर उसे गुस्सा आया तो उसने मैनेजर की कॉलर पकड़कर गुस्से से कहा,”भले ही कितने भी लोग खुद को उनका आशिक़ बताते होंगे पर उनकी मोहब्बत सिर्फ हम है l “
शिवम् की बात सुनकर मैनेजर बोखला गया और गुस्से से कोलर छुड़ाते हुए कहां,”तुम जैसे बहुत है यहां , गार्ड्स उठाकर बाहर फेंक दो इसे”

दो हट्टे कट्टे लड़के आये और शिवम् को घसीटते हुए बाहर ले जाने लगे वह कहता रहा , चिल्लाता रहा पर किसी ने उसकी एक ना सुनी l गार्ड्स ने उसे स्टूडियो के बाहर ला पटका कुछ देर बाद मैनेजर हाथ में उसके तोहफे को लिए आया और उसे शिवम् की और फेंककर चला गया l शिवम् की नजर तोहफे पर लगे स्टिकर पर गयी जिस पर लिखा था

शिवम् गुप्ता बनारस वाले

Continue With Part Ranjhana – 7

Read Previous Part Here रांझणा – 5

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संजना किरोड़ीवाल

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