“बदलते अहसास” – 11
Badalte Ahasas – 11
ऋषभ अपार्टमेंट पहुंचा तब तक रचना किसी की मदद से माही को लेकर हॉस्पिटल जा चुकी थी ! ऋषभ ने जेबे टटोली लेकिन फोन नरारद था
“शायद फोन वही छूट गया !”,ऋषभ ने मन ही मन कहा और परेशान सा इधर उधर देख रहा था ! वह गार्ड के पास आया और उस से रचना के बारे में पूछा तो गार्ड ने बताया की कुछ देर पहले ही वो यहाँ से किसी के साथ निकली थी ! ऋषभ तुरंत वहा से निकला और पास ही के अस्पताल पहुंचा बाहर एंट्रेस में उसे अपर्टमेंट में रहने वाला आहूजा जी का लड़का श्रेयस मिल गया ! ऋषभ को देखते ही वह उनके पास आया और कहा,”अंकल आप यहाँ ?”
“हां वो रचना से बात हुयी थी मेरी , माही कहा है ?”,ऋषभ ने डरे हुए स्वर में कहा
“वो दोनों अंदर है , चलिए !”,कहकर श्रेयस ऋषभ को लेकर अंदर चला आया ! दोनों ग्राउंड फ्लोर पर बने इमर्जेंसी वार्ड के सामने आये जहा रचना घबराई हुयी सी एक कोने में खड़ी थी ! ऋषभ ने आकर उसके कंधे पर धीरे से हाथ रखा रचना पलटी सामने ऋषभ को देखकर वह उनके सीने से लगकर रो पड़ी ! ऋषभ ने उसे सम्हाला और शांत किया तो वह सुबकते हुए कहने लगी,”अंकल माही ने अपने हाथ की नस काट ली अपार्टमेंट के सारे लोग ऊपर पार्टी में थे इसलिए मैंने आपको फोन किया ! खून बहुत बह रहा था मुझे कुछ समझ नहीं आया मैं क्या करू ? फिर मैंने श्रेयस को ऊपर आते देखा और इसकी मदद से माही को यहाँ ले आई ! “
“तुमने अच्छा किया रचना ! घबराओ मत उसे कुछ नहीं होगा ! “,ऋषभ ने रचना को कहा !
ऋषभ रचना और श्रेयस वही बैठकर डॉक्टर के आने का इंतजार करने लगे ! कुछ देर बाद डॉक्टर बाहर आया और कहा,”वह खतरे से बाहर है , कट बहुत गहरा लगने की वजह से खून बहुत बह गया है जिस से शारीरिक कमजोरी हो सकती है ! अभी उसे इंजेक्शन लगाया है सुबह तक होश आ जाएगा !”
“थैंक्यू डॉक्टर !”,ऋषभ ने डॉक्टर से हाथ मिलाते हुए कहा
“मिस्टर ऋषभ क्या ये कोई सुसाइड केस है ? आई मीन पेशेंट ने अपनी जान लेने की कोशिश की है”,डॉक्टर जो की ऋषभ को पहले से जानता !
“नहीं डॉक्टर ऐसी कोई बात नहीं है !”,ऋषभ ने कहा
“ओके , टेके केयर हर , मैं सुबह मिलता हु”,कहकर डॉक्टर वहा से चला गया !
डॉक्टर के जाने के बाद ऋषभ रचना की और पलटा और कहा,”रचना तुम्हे इस वक्त घर जाना चाहिए , तुम्हारी मम्मी परेशान हो रही होगी !”
“लेकिन माही ?”,रचना ने कहा !
“उसके पास मैं हु ! तुम घर जाओ श्रेयस तुम्हे ले जाएगा ! प्लीज़ यहाँ रुकोगी तो अपार्टमेंट में सबको इस बारे में पता चलेगा और मैं ये नहीं चाहता !”,ऋषभ ने गंभीरता से कहा
“ठीक है अंकल !”,रचना ने कहा और श्रेयस के साथ वहा से निकल गयी ! रचना और श्रेयस पिछले 1 साल से रिलेशनशिप में थे लेकिन इस बात की खबर किसी को नहीं थी ! रचना ने माही को भी कभी इस बारे में नहीं बताया था ! उनके जाने के बाद ऋषभ माही के पास आया माही बेड पर बेहोशी की हालत में लेटी हुयी थी ! एक हाथ में ड्रिप लगी हुई थी और दूसरे हाथ पर पट्टी बंधी थी ! चेहरा उतरा हुआ था जिस पर कभी कभी दर्द महसूस होने का अहसास उभर आता ! ऋषभ वही पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गया और माही के हाथ की और देखने लगा ऋषभ को बहुत बुरा लग रहा था और साथ माही की इस नादानी पर गुस्सा भी आ रहा था ! उसने माही की और देखा और मन ही मन कहा,”आखिर तुमने ऐसा किया माही ? ऐसा करके ना तुमने खुद को बल्कि मुझे भी चोट पहुंचाई है !”
ऋषभ की आँखों में आंसू भर आये उसने माही की नाजुक हथेली को अपनी सख्त हथेलियों के बिच लिया और माही की और देखता रहा ! वह एक पल के लिए भी अब उसे अपनी आँखों से दूर करना नहीं चाहता था ! उसकी आँखे आंसुओ से भर आई , भीगी आँखों से देखते हुए ऋषभ ने मन ही मन कहना शुरू किया,”तुम जितनी जिद्दी और पागल लड़की मैंने आज तक नहीं देखी है माही ! पर एक अच्छी बात है तुम में जो मुझे हमेशा तुम्हारी और आकर्षित करती है वो है तुम्हारी बेबाकी , तुम्हारा साफ मन और तुम्हारी आँखे ! हां ये सच है की मेरे मन में तुम्हारे लिए भावनाये है लेकिन मैं उन्हें तुमसे कह नहीं सकता , इसकी सिर्फ एक वजह नहीं है माही बहुत सी वजह है जो तुम नहीं समझोगी ! तुम हर चीज को अपने नजरिये से देखती हो और बाकि लोग अपने नजरिये से ! हर बार हमारा नजरिया सही हो ये जरुरी नहीं है ,, मेरे जीवन में आने वाली तुम पहली लड़की हो जिसके बारे में मैंने इतना सोचा है और आगे भी सोचना चाहता हु ! मैं तुम्हारी यादो को अपनी जिंदगी का हिस्सा तो बना सकता हु पर तुम्हारी जिंदगी का हिस्सा नहीं बनना चाहता माही ! मेरी जिंदगी हमेशा मुझसे रूठी रही है , मुझे वो कभी नहीं मिला जो मैंने चाहा मैं नहीं चाहता मेरी वजह से तुम्हारी जिंदगी में कोई परेशानी आये ! और देखो आज मेरी वजह से ही तुम इस हाल में हो ! काश की मैं कभी तुम्हारे इतना करीब ना आता ! “
ऋषभ की आँखों में भरे आंसू बहने लगे वह खुद को माही की इस हालत का जिम्मेदार समझ रहा था ! सारी रात वह माही का हाथ थामे बैठा रहा ! सुबह ऋषभ की आँख लग गयी तो वह माही थामे वही माही के पास सर टिकाकर सो गया ! माही को होश आया तो ऋषभ को वहा देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान तैर गयी ! वह मुस्कुराते हुए ऋषभ को देखती रही उसने देखा उसका हाथ ऋषभ के हाथ में है तो उसने अपनी उंगलियों को उसकी उंगलियों से कस लिया ! उंगलियों पर कसाव महसूस हुआ तो ऋषभ की आँख खुल गयी उसने देखा माही उसे ही देख रही है तो उसने उसका हाथ छोड़ दिया और कहा,”अब कैसी तबियत है तुम्हारी ?”
“तुम्हे देख लिया ना अब ठीक है”,माही ने ऋषभ की और देखते हुए कहा
“मरते मरते बची हो और अब भी तुम्हे ये सब बाते सूझ रही है !”,ऋषभ ने कहा
“ये सब बाते मरने के,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,माही कुछ कह पाती इस से पहले ही ऋषभ ने उसके मुंह पर अपना हाथ रखा और कहा,”दोबारा ऐसी बात मुंह से मत निकालना !”
माही ने पलके झपका दी तो ऋषभ ने उसके मुंह से अपना हाथ हटा लिया और नजरे झुकाकर गंभीरता से कहा,”ये सब क्या है माही ? क्यों किया ऐसा ? तुम्हे कुछ हो जाता तो ?”
ऋषभ के शब्दों में अपने लिए परवाह देखकर माही को अच्छा लगा उसने कहा,”क्योकि मैं तुमसे प्यार करती हु री !”
“माही ये बचपना छोडो !”,ऋषभ ने कठोर शब्दों में कहा !
“ये बचपना नहीं है री”,माही ने सर्द आवाज में कहा
“अगर बचपना नहीं है तो फिर तुमने ऐसा कदम क्यों उठाया ? तुम्हारी इम्मेच्यॉरिटी तुम पर हावी थी इसलिए तो तुमने खुद को हर्ट किया , बिल्कुल वैसे ही तुम इन जज्बातो को प्यार समझ रही हो माही ! अपने इन जज्बातो से बाहर निकलो और उस सपने पर ध्यान दो जिसके लिए तुम यहाँ आयी हो !”,ऋषभ ने समझाते हुए कहा !
“तुम अपनी हदो से बाहर निकलो री ! तुम जितना इंकार करोगे मेरा प्यार तुम्हारे लिए उतना ही बढ़ता जाएगा री ! आई कांट स्टॉप माय सेल्फ , माय फीलिंग्स फॉर यू ! और अगर प्यार नहीं है , फीलिंग्स नहीं है तो क्यों आये हो यहाँ ? मर रही थी ना तो मर जाने दिया होता क्यों बचाया मुझे ?”,माही ने आँखों में आंसू भरकर कहा
माही के शब्दों के आगे ऋषभ कमजोर पड गया और ख़ामोशी से माही की और देखने लगा ! माही ने आँखों के किनारे आये आंसुओ को पोछकर खुद को नार्मल करते हुए कहा,”ओके री टेल मी , तुम डर गए थे ना ?”
माही के सवाल पर ऋषभ उसे देखता रहा तो माही ने फिर से अपना सवाल दोहराया पर इस बार उसने थोड़ा प्यार से कहा,”बोलो ना री , तुम डर गए थे ना ?”
ऋषभ ने हां में अपनी गर्दन हिला दी ! “जानती थी तुम जरूर आओगे ! मेरी फीलिंग्स अब इतनी भी बकवास नहीं हो सकती !”,माही ने मुस्कुराते हुए कहा
“तुम बहुत बुरी हो माही !”,ऋषभ ने नम आँखों से उसकी और देखते हुए कहा
“हां जानती हु , पर तुम्हे प्यार करने के मामले में मैं बहुत अच्छी हु री !”,माही ने कहा
ऋषभ कुछ कहता इस से पहले ही दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई दोनों ने सामने देखा माही के मम्मी पापा आये थे ! माही को बिस्तर पर देखकर दोनों ही उसके पास दौड़े चले आये और उसे गले लगा लिया ! ऋषभ उन्हें अकेला छोड़कर बाहर निकल गया ! इंद्राज जी ने खुद को सम्हाला और माही के पास बैठते हुए कहा,”ये सब क्या है बेटा ?”
“पहले ये बताईये आप लोग यहाँ कैसे ?”,माही ने सामने से सवाल किया !
“मैं और तेरी माँ आज सुबह ही ऊटी आये थे सोचा तुम्हे सरपराइज देंगे ,लेकिन तुमने तो हमे ही,,,!”,इंद्राज जी ने रुआँसा होकर कहा
“रिलेक्स डेड आई ऍम फाइन , टेक इट इजी”,माही ने बेपरवाही से कहा !
“टेक इट इजी , हमारी जान निकल गयी जब सूना की तुम हॉस्पिटल में हो ! माही क्यों किया तुमने ऐसा ? कोई परेशानी है तो हमे बताओ बेटा पर इस तरह ये सब !”,अमिता ने आंसू बहाते हुए कहा !
“मम्मा पापा आई ऍम सॉरी ! ये सब गुस्से और डिप्रेशन में हो गया !”,माही ने कहा
“तुम मेरे सर पर हाथ रखकर कसम खाओ आज के बाद ऐसा ख्याल भी अपने दिमाग में नहीं लाओगी !”,अमिता ने माही का हाथ अपने सर पर रखते हुए कहा !
“आई प्रॉमिस !”,माही ने कहा !
“अच्छा तुम्हे यहाँ लेकर कौन आया ?”,इंद्राज ने कहा
“री !”,माही ने छोटा सा जवाब दिया !
“री ?,,,,,,”,इंद्राज जी ने हैरानी से पूछा
“ऋषभ पापा ! वो मेरे सामने वाले फ्लेट में ही रहते है , आई थिंक वही लेकर आये थे मुझे”,माही ने कमरे में ऋषभ को ढूंढते हुए कहा !
“तुम अपनी मम्मा से बात करो मैं उनसे मिलकर आता हु !”,इंद्राज जी ने कहा और उठकर बाहर चले गए ! अमिता माही से बाते करने लगी और साथ ही साथ ये जानने की कोशिश भी करने लगी की आखिर माही ने ऐसा क्यों किया ?
इंद्राज जी बाहर आये ऋषभ उन्हें गेलेरी में डॉक्टर के पास खड़ा मिल गया ! डॉक्टर के जाने के बाद इंद्राज जी ऋषभ के पास आये और उसकी और अपना हाथ बढाकर कहा,”हेलो मैं इंद्राज माहेश्वरी माही का फादर !”
“ऋषभ बहल”,ऋषभ ने हाथ मिलाते हुए कहा
“थैंक्यू सो मच आप वक्त पर माही को यहाँ ले आये ! वरना कोई अनहोनी हो जाती इसलिए लिए मैं आपको जितनी बार थैंक्यू कहु कम होगा ! माही में थोड़ा बचपना है जिसकी वजह से उसने ऐसा कदम उठाया !”,इद्राज जी ने बेबसी से कहा
“थैंक्यू बोलकर शर्मिंदा मत कीजिये ! मैं जिस अपार्टमेंट में रहता हु माही भी वही रहती है ! वह बहुत अच्छी लड़की है और बहदुर भी बस थोड़ा परेशान होकर उसने ऐसा कदम उठा लिया ! उम्मीद है की आपका साथ और प्यार उसे ये सब भूलने में मदद करेगा”,ऋषभ ने कहा
“आपसे मिलकर अच्छा लगा ! कॉफी ?”,इंद्राज जी ने केंटीन की और इशारा करते हुए कहा
“फिर कभी सर 9 बजे मुझे ऑफिस के लिए निकलना होता है , इस वक्त 8 बज रहे है आई ऍम गेटिंग लेट !”,ऋषभ ने घडी देखते हुए कहा
“कोई बात नहीं ! फिर कभी सही , पर आप पर ये कॉफी उधार रहेगी”,इंद्राज जी ने मुस्कुराते हुए कहा ! जवाब में ऋषभ भी मुस्कुरा दिया !इंद्राज जी का व्यवहार ऋषभ को काफी सुलझा हुआ लगा उसने हाथ में पकड़ी फाइल उनकी और बढाकर कहा,”यहाँ के डॉक्टर मेरे जानकर ही है सो मैंने सभी फॉर्मेलिटी पूरी कर दी है ! दो घंटे बाद आप माही को घर ले जा सकते है”
“थैंक्यू आप सच में हमारे लिए बहुत कर रहे है”,इंद्राज जी ने कहा
“टेक इट इजी सर’,कहकर ऋषभ वहा से चला गया ! इंद्राज जी ने जब ऋषभ के मुंह से ये तीन शब्द सुने तो मुस्कुराये बिना ना रह सके और फिर वापस माही के पास चले आये ! ऋषभ अपनी जीप लेकर हॉस्पिटल से बाहर आया उसके दिमाग में माही तो थी अब साथ साथ उसके पापा भी चलने लगे थे !
माही के पिता की उम्र ऋषभ से कुछ 4-5 साल ही अधिक थी ! इंद्राज जी का व्यवहार अच्छा था लेकिन ऋषभ माही के पिता की उम्र का होकर माही की और आकर्षित है ये अहसास उसके मन को कचोटने लगा था ! ऋषभ उलझता ही जा रहा था ! इस से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था ऋषभ अपार्टमेन्र्ट पहुंचा और फ्रेश होकर ऑफिस के लिए तैयार होने लगा ! शीशे के सामने खड़े होकर उसने खुद को देखा वह किसी भी एंगल से 47 का नहीं लगता है ! वह कभी अपने चेहरे को देखता कभी अपने बालो को ! ऋषभ एक ऐसे द्वंद्व से घिरा था जिससे बाहर निकलना भी मुश्किल था और उस से उलझना भी ! घडी में देखा 9 बज चुके थे ऋषभ ने जल्दी से कपडे पहने और बैग उठाकर फ्लेट से निकल गया ! ऑफिस आया आज रोजाना से भी ज्यादा काम था ऋषभ आते ही काम में लग गया उसे याद भी नहीं रहा की उसने कल रात से कुछ नहीं खाया है ! जब अहसास हुआ तो वह चाय लेकर बालकनी में आ खड़ा हुआ ! चाय पिते हुए वह सामने चाय के बागान में पत्तिया तोड़ते हुए उन लोगो को देख रहा था जो की बड़े ही इत्मीनान से अपने काम में लगे हुए थे ! उन्हें अपने आस पास के माहौल से कोई मतलब नहीं था ! वे लोग पूरी तल्लीनता से पत्तियों को तोड़ते और अपने टोकरे में रखते जाते ! हल्की धुप थी जिसमे उनका रंग और भी चमक रहा था ! उन्हें देखकर ऋषभ मन ही मन सोचने लगा कुछ ऐसे ही थी माही की भावनाये ! वह अपने एक एक अहसास को बड़े प्यार से सहेज कर यादो की टोकरी में रखती जा रही थी ! उसे फर्क नहीं पड़ता था उसके आस पास के लोग क्या सोचते है ? उसे किस नजर से देखते है ? उसे बस अपने अहसास रूपी उन पत्तियों को सहेजना था ! समाज की खोखली बातो और नियमो को परे रखते हुए वह आगे बढ़ती जा रही थी ! उसकी नजर सटीक थी अगर कुछ लड़खड़ा रहा था तो वो था ऋषभ का मन , वह खुद को एक बार फिर माही की और खींचता पा रहा था ! ऋषभ ने जल्दी जल्दी अपनी चाय ख़त्म की और आकर वापस अपने केबिन में बैठ गया ! काम में खुद को बिजी कर लिया लेकिन माही का ख्याल अब भी उसका पीछा कर रहा था ! ऋषभ ने सर सीट से लगाकर आँखे मुंद ली आँखों के आगे वही हसती खेलती माहि !
शाम को ऋषभ जब घर आया तो माही के फ्लेट से कुछ आवाजे सुनी ! दरवाजा आधा खुला हुआ था ऋषभ अंदर आया तो इंद्राज जी उसके पास आये और कहा,”ऋषभ जी आप ही समझाइये इसे , इस हालत में क्या इसका यहाँ रहना सही है ! ?”
“आई डोंट केयर डेड , मुझे नहीं जाना”,माही ने कहा
“पर बेटा तुम्हारी तबियत ख़राब है ! तुम्हे आराम की जरूरत है”,अमिता ने समझाना चाहा !
“आई ऍम फाइन मॉम , एंड प्लीज़ डोंट फ़ोर्स मी लाईक देट !”,माही ने गुस्से से कहा
“क्या मैं माही से अकेले में बात कर सकता हु ! ?”,ऋषभ ने कहा जो की अभी तक चुप था !
“या स्योर , शायद तुम्हारी बात सुन ले ये”,कहकर इंद्राज जी थोड़ा सा नाराज होकर बाहर निकल गए ! अमिता भी उनके पीछे पीछे चली गयी ! ऋषभ माही के पास आया जो की गुस्से में बेड के कोने पर बैठी थी ऋषभ उसके सामने घुटनो के बल बैठ गया ! उसने माही के हाथो को अपने हाथ में लिया और कहा,”माही मेरी तरफ देखो !”
माही ने अपनी पलके उठायी और ऋषभ की और देखा ! ऋषभ ने कहा,”क्यों नहीं जाना मम्मी पापा के साथ ?”
“तुम्हे छोड़कर नहीं जाना !”,माही ने सटीक जवाब दिया !
“हम्म लेकिन इस वक्त तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है और यहाँ अकेले तुम कैसे रहोगी ?”,ऋषभ ने प्यार से कहा
“तुम हो ना री मेरा ख्याल रखने के लिए !”,माही ने प्यार से कहा
“माही समझने की कोशिश करो !”,ऋषभ ने
“मैं समझ रही हु री , अब तुम समझो मुझे तुम्हारी जरूरत है !”,माही ने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा ! माही की नजरे सीधा ऋषभ के दिल पर जा लगी ! वह उठा और बाहर आया बाहर इंद्राज जी और अमिता जैसे उसी का इंतजार कर रहे थे ऋषभ ने उनके पास आकर कहा,”मैंने माही से बात की अभी वो अपने कोर्स को लेकर काफी सीरियस है इसलिए वो आपके साथ दिल्ली नहीं जाना चाहती है ! उसे कुछ दिन यही रुकने दीजिये इस हफ्ते मैं खुद उसे घर लेकर आऊंगा !”
“हां लेकिन यहाँ उसका ख्याल , आप जानते नहीं वो बहुत लापरवाह है खुद के मामले में”,अमिता ने परेशानी से भरे शब्दों में कहा
“जानता हु , पर आप चिंता मत कीजिये यहाँ हम सब है , रचना है और अल्का जी भी है ! इस वक्त उसे ज्यादा फ़ोर्स करेंगे तो वो ज्यादा परेशान होगी और ऐसे में आप तो जानते ही है !”,ऋषभ ने गंभीरता से कहा !
“ये ठीक कह रहे है , माही को ज्यादा फ़ोर्स नहीं करना चाहिए !”,अमिता ने इंद्राज जी से कहा !
इंद्राज जी ऋषभ के करीब आये और उनके हाथो को अपने हाथो में लेकर कहा,”अकेली बच्ची है उसे यहाँ छोड़ने का मन तो नहीं है लेकिन मज़बूरी है ! आप उसका ख्याल रखियेगा !”
“मैं जल्द ही उसे लेकर दिल्ली आऊंगा !”,ऋषभ ने विश्वास के साथ कहा
ऋषभ पर भरोसा जताकर वे उसी रात वापस दिल्ली के लिए निकल गए , ऋषभ उन्हें स्टेशन तक छोड़ने खुद गया था ! रास्तेभर इंद्राज जी उस से कुछ ना कुछ बात करते रहे उन्हें छोड़कर ऋषभ वापस अपार्टमेंट में आया ! उसने अल्का जी और रचना से माही का ख्याल रखने को कहा ! खाना खाकर ऋषभ ऊपर टेरेस पर आ गया !! मन उलझनों से घिरा हुआ था ! क्या सही है क्या गलत कुछ समझ नहीं आ रहा था ! उसने जेब से सिगरेट निकाल कर मुंह में रख ली और जैसे ही जलाई पीछे से माही की आवाज कानो में पड़ी,”यु दूर भागने से अहसास बदल नहीं जायेंगे री !”
ऋषभ ने सिगरेट फेंक दी और पलटकर कहा,”तुम यहाँ क्यों आयी हो माही ? यहाँ ठण्ड है निचे जाओ !”
“नहीं जाना , आज मुझे सच जानना ही है री की आखिर तुम्हारे दिल में क्या है ?”,माही ने थोड़ा तेज आवाज में कहा
“कुछ भी नहीं है माही !”,ऋषभ ने बिना किसी भाव के कहा
“खुद पर तरस खाना बंद करो री ! आखिर कब तक भागते रहोगे इन अहसासों से , फॉर गॉड सेक री अब तो सच बोल दो ! “,माही ने तड़पकर कहा
“माही जाओ यहाँ से !”,ऋषभ ने माही से नजरे चुराते हुए कहा !
“अपनी हदो से एक बार बाहर निकलकर देखो री , तुम्हे मेरी फीलिंग्स समझ आएगी !”,माही ने कहा
“ये सब गलत है माही !”,ऋषभ ने माही को समझाना चाहा
“गलत तब होता जब तुम्हारी या मेरी जिंदगी में कोई और होता ! ये सच है री की हम दोनों को एक दूसरे की जरूरत है फिर ये सब बाते क्यों ?”,माही की आँखों में नमी तैरने लगी थी
“माही लोग क्या कहेंगे ?”,ऋषभ की आँखो में भी हल्की नमी तैर गयी थी !
“मुझे फर्क नहीं पड़ता री , और तुम्हे भी नहीं पड़ना इसलिए क्योकि जब तुम अकेले थे तब कोई तुम्हे सहारा देने नहीं आया था ! तब कोई पूछने नहीं आया था ! फिर आज तुम्हे इन लोगो की परवाह क्यों है ?”,माही ने गुस्से से कहा
“माही !”,ऋषभ कहते कहते रुक गया उस से आगे बोला ही नहीं गया !
“लिस्टन री , मुझे तुम्हारी तरह बड़ी बड़ी बाते करना नहीं आता मैं बस इतना जानती हु देन आई लव यू ! मुझे नहीं पता तुम्हारे दिल में क्या है लेकिन मैं मैं तुम्हे लेकर बहुत कुछ महसूस करती हु ! ये सिर्फ अट्रेक्शन नहीं है री अगर होता तो शायद तुमसे कभी ना होता ! लड़को की कमी नहीं है पर मुझे कोई ऐसा चाहिए अपनी जिंदगी में जो मुझे समझ सके और वो तुम हो ! तुम हां कहोगे तो मैं ये जिंदगी ख़ुशी ख़ुशी तुम्हारे नाम कर दूंगी और ना कहोगे तो
हमेशा हमेशा के लिए चली जाउंगी पर ये अहसास कभी कम नहीं होगा री ! नहीं भूल पा रही हु तुम्हे हर वक्त तुम मेरे दिमाग में घूमते हो ! तुम्हारी आवाज मेरे कानो में गूंजती है ! हर वक्त तुम्हारी छुअन का अहसास मैं महसूस करती हु ! जब ये सब फीलिंग्स बर्दास्त नहीं हुई तो खुद को खत्म करने का सोचा लेकिन तुमने मुझे बचा लिया ! अब तुम ही बताओ री क्या करू मैं ? ऐसे तो नहीं जी पाऊँगी ना मैं ! मैं तुम्हे नहीं भूल सकती और ना ही तुम्हारा अहसास मुझे तुम्हे कभी भूलने देगा !” ,कहते हुए माही रो पड़ी !
ऋषभ की आँखों में भी नमी उतर आयी उसने कहा,”एक बार फिर सोच लो माही मेरा प्यार तुम्हारे लिए जिंदगीभर का सबक बन जाएगा !
“मंजूर है !”,माही ने भीगी पलके उठाते हुए कहा !
“लोगो के बिच मजाक बनकर रह जाओगी तुम”,ऋषभ ने फिर कहा
“मंजूर है !”,माही ने कहा !
“लोग ताने मारेंगे , गालिया देंगे , सुन सकोगी”,ऋषभ ने कहा
“मंजूर है !”,माही ने कहा !
“ये समाज कभी नहीं अपनाएगा !”,ऋषभ ने कहा
“मुझे अपना समाज तुम में दिखता है तुम ने अपना लिया तो किसी और की जरूरत नहीं है री !”,माही ने विश्वास से भरकर कहा !
“साथ दे पाओगी मेरा !”,ऋषभ ने कहा !
“आजमा कर देख लो !”,माही ने कहा
ऋषभ मुस्कुराया और अपने दोनों हाथ फैला दिये ! माही की आँखो में आंसू भर आये वह दौड़कर ऋषभ के सीने से लग गयी ! ऋषभ ने भी उसे अपने आलिंगन में समेट लिया ! ठंडी हवाएं दोनों की मोहब्बत का स्वागत कर रही थी ! माही ने अपनी आँखे बंद कर ली और ऋषभ माही को सीने से लगाए सामने फैले चाय के बागानों को देखता रहा ! ऊटी की सारी खूबसूरती उसकी बांहो में समाई थी !
Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11 Badalte Ahasas – 11
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संजना किरोड़ीवाल