Sanjana Kirodiwal

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“तेरे इश्क़ में” – 3

Tere Ishq Me – 3

Tere Ishq Me
Tere Ishq Me

पल्ल्वी के पापा की तबियत अचानक से खराब होने के कारण उसे सुबह सुबह आगरा के लिए निकलना पड़ा। रुबीना , प्रिया और साहिबा उसे बस स्टेण्ड तक छोड़ने आये थे। पल्ल्वी को अपने पापा की बहुत फ़िक्र हो रही थी साहिबा ने देखा तो प्रिया और रुबीना से उसका ख्याल रखने को कहा और खुद वहा से चली गयी कुछ देर बाद वापस आयी तो उसके हाथ में कुछ खाने का सामान और पानी की बोतल थी। पल्ल्वी बस में बैठ चुकी थी और बस रवाना होने वाली थी। साहिबा जल्दी से आयी और खिड़की से ही उसे सब सामान देते हुए कहा,”टेंशन मत ले अंकल को कुछ नहीं होगा और हां अपना ख्याल रखना पहुँचते ही फोन कर देना (बस चल पड़ती है साहिबा बस के साथ साथ भागने लगती है और कहती जाती है) जो सामान दिया है वो खा लेना भूल मत जाना और हाँ दो दिन बाद फाइनल पेपर है अपना वापस जरूर आना ठीक है”
बस ने स्पीड पकड़ ली और आगे निकल गयी साहिबा को रुकना पड़ा। पल्ल्वी ने खिड़की से सर बाहर निकाला और साहिबा की तरफ देखते हुए हाथ हिला दिया उदासी उसके चेहरे से साफ झलक रही थी। बस चली गयी तो रुबीना और प्रिया साहिबा के पास आयी और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”साहिबा वो वापस आ जाएगी चल चलते है”
रुबीना और प्रिया के साथ साहिबा वापस हॉस्टल चली आयी। पल्ल्वी के बिना उसे कुछ अच्छा नहीं रहा था। हॉस्टल आकर वह बिस्तर पर लेट गयी। कुछ देर बाद उसे नींद आ गयी। जब आँखे खुली तो दोपहर हो चुकी थी। रुबीना ने देखा साहिबा उठ चुकी है तो उस ने कहा,”साहिबा मुंह हाथ धो ले फिर खाना खाने मेस में चलते है”
साहिबा उठी और बाथरूम की तरफ बढ़ गयी हाथ मुंह धोकर वापस आयी तो नजर पल्ल्वी के बेड पर चली गयी जो की खाली था। साहिबा के चेहरे पर उदासी छा गयी ये देखकर प्रिया ने कहा,”अरे आ जाएगी वो ससुराल थोड़े गयी है”
साहिबा ने कुछ नहीं कहा और प्रिया , रुबीना के साथ मेस की ओर बढ़ गई। मेस में इन चारो दोस्तों की एक अलग ही टेबल थी जहा बैठकर चारो साथ में खाना खाया करती थी। साहिबा मेस में आयी तो देखा आज उसकी टेबल पर तनिशा और उसकी दोस्त बैठी है। रुबीना और प्रिया ने तनीशा को वहा देखा तो दोनों की भँवे तन गयी और प्रिया ने कहा,”ए तनीशा ये हमारी टेबल उठ यहाँ से”
“क्यों तेरे बाप का नाम लिखा है यहा ?”,तनीशा ने खाते हुए कहा
बाप के नाम पर प्रिया को बहुत गुस्सा आया वह जैसे ही तनीशा की तरफ बढ़ने को हुई साहिबा ने उसे रोक लिया और कहा,”चल वहा बैठते है”
“लेकिन ये,,,,,,,,,,,,,,!!”,प्रिया ने कहना चाहा तो साहिबा ने कहा,”चल ना”
साहिबा प्रिया और रुबीना को लेकर दूसरी टेबल की ओर बढ़ गयी तो तनीशा की दोस्त ने कहा,”आज ये शेरनी भीगी बिल्ली कैसे बन गयी ?”
“तुने उन लोगो को वहा क्यों बैठने दिया ?”,प्रिया ने गुस्से से कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा
“हां यार साहिबा वो टेबल हम चारो की है”,रुबीना ने भी प्रिया का साथ दिया
“हाँ मैं जानती हु वो टेबल हम चारो की है लेकिन आज पल्ल्वी साथ नहीं है और उसके बिना वो टेबल अधूरी है इसलिए तनीशा को बैठने दिया , अब तुम दोनों अपना मूड ख़राब मत करो मैं खाना लेकर आती हूँ”,कहते हुए साहिबा वहा से चली गयी।
चारो ने खाना खाया और वापस अपने कमरे में चली आयी। दो दिन बाद आखरी इम्तिहान था इसलिए तीनो बैठकर पढाई करने लगी। पल्ल्वी के जाने से साहिबा खामोश रहने लगी। आखरी इम्तिहान वाली सुबह रुबीना , प्रिया और साहिबा तीनो कॉलेज पहुंची। साहिबा ने देखा पल्ल्वी अभी तक नहीं आयी है उसने प्रिया से पूछा,”पल्ल्वी कहा है ?”
“उसका फोन नहीं लग रहा है , चल पेपर शुरू होने वाला है”,प्रिया ने कहा तो साहिबा बेमन से एग्जामिनेशन हॉल की तरफ बढ़ गयी। अपनी डेस्क पर बैठी साहिबा बस पल्ल्वी के बारे में ही सोच रही थी की तभी पल्ल्वी वहा पहुंची उसे वहा देखकर साहिबा की जान में जान आयी। पल्ल्वी ने जब साहिबा को देखा तो उस से इशारो में लेट होने का कारण पूछा और पल्ल्वी ने बाद में बताने का इशारा किया। पेपर शुरू हुआ सभी चुपचाप अपना पेपर लिखने लगे। आखरी पेपर सबका अच्छा गया। पेपर खत्म होने के बाद सभी बाहर चले आये। साहिबा , प्रिया और रुबीना बाहर खड़ी होकर पल्ल्वी का इंतजार कर रही थी कुछ देर बाद पल्ल्वी बाहर आयी तो साहिबा ने पूछा,”कैसा रहा पेपर ?”
“हम्म्म , ठीक था”,कहते हुए पल्ल्वी के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे जिन्हे सिर्फ साहिबा ने देखा था। चारो साथ साथ हॉस्टल जाने के लिए निकल गयी चलते चलते प्रिया ने कहा,”एग्जाम्स तो खत्म हुए चलो ना चलकर सब पिज्जा खाते है , वैसे भी बहुत दिन हो गए”
“हाँ मुझे मोमोज खाने है”,रुबीना ने कहा तो साहिबा ने एक मुक्का उसकी पीठ पर मारते हुए कहा,”कितना मोमोज खाती है तभी ऐसी हो गयी है”
“अरे तुम दोनों बाद में डिस्कस कर लेना ये सब पहले चलो”,कहते हुए प्रिया उन तीनो को लेकर सामने बने पिज्जा पार्लर में ले गयी। प्रिया ने रुबीना के लिए मोमोज आर्डर किये और बाकि सब के लिए 2 वेज पिज्जा।
साहिबा , प्रिया और रुबीना मजे से खा रही थी लेकिन पल्ल्वी का ध्यान कही और ही था। हाथ में पकड़ी पिज्जा स्लाइस को वह ना खा पा रही थी ना ही रख पा रही थी। साहिबा ने देखा तो कहा,”क्या हुआ तुझे ?”
पल्ल्वी ने हाथ में पकड़ा स्लाइस प्लेट में रखा और कहा,”गाईज मुझे तुम लोगो को कुछ बताना है”
“हम्म्म बता ना क्या हुआ ? और हाँ तेरे पापा कैसे है ?”,रुबीना ने कहा
“पापा ठीक है , मुझे कुछ और बताना है”,पल्ल्वी ने कहा तो साहिबा ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा,”बता क्या हुआ ?”
“अगले महीने मेरी शादी है”,पल्ल्वी ने एकदम से कहा तो रुबीना और प्रिया का चेहरा ख़ुशी से खिल उठा और दोनों ने पल्ल्वी को बधाई दी लेकिन साहिबा ने जैसे ही सूना वहा से उठकर चली गयी। पल्ल्वी जानती थी ऐसा ही होगा इसलिए उसने साहिबा को रोका नहीं , साहिबा को जाता देखकर प्रिया ने कहा,”अब इसे क्या हुआ ? मैं उसे लेकर आती हूँ”
“उसे जाने दो उस से मैं बाद में बात कर लुंगी”,पल्ल्वी ने कहा तो प्रिया वापस अपनी कुर्सी पर बैठ गयी और कहा,”अच्छा लेकिन ये सब कब कैसे हुआ ? लड़का कौन है ?”
“लड़का भोपाल से है पापा के फ्रेंड का बेटा है अश्विनी नाम है , किसी शादी में उसने मुझे देखा था और तबसे ही पसंद करता है और अब शादी करना चाहता है।”,पल्ल्वी ने बताया
“तो तूने क्या कहा ? वैसे मैंने सोचा नहीं था तू अरेंज मैरिज करेगी वो भी इतनी जल्दी”,रुबीना ने कहा
“चाहती तो मैं भी नहीं हूँ लेकिन पापा की तबियत और फिर वो चाहते है की उनके सामने मेरी शादी हो जाये। मैं अश्विनी से मिली थी , अच्छा लड़का है , सिंपल है समझदार है और रही बात लव मैरिज की तो मेरा तो ऐसा कोई सींन भी नहीं है।”,पल्ल्वी ने कहा
“कॉन्ग्रैचुलेशन मैं तुम्हारे लिए बहुत खुश हूँ”,प्रिया ने आकर पल्ल्वी को गले लगाते हुए कहा
“मैं भी खुश हूँ और मैं तेरी शादी में 4 दिन पहले आने वाली हूँ”,दूसरी ओर से रुबीना ने आकर पल्ल्वी के गले लगते हुए कहा
“चलो अब चलकर साहिबा को मनाते है”,पल्ल्वी ने उठते हुये कहा
“ए पल्ल्वी तेरी शादी की बात सुनकर साहिबा चली क्यों गयी ? कही तुम दोनों के बीच,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,रुबीना ने उसे छेड़ते हुए कहा
“हट कैसी बात करती है ?,,,,,,,,,,,,,,ऐसा कुछ भी नहीं है”,पल्ल्वी ने रुबीना को एक मुक्का जड़ते हुए कहा
“अरे बाबा मजाक कर रही हूँ,,,,,,,,,,,पुरे कॉलेज से लेकर हॉस्टल तक सब जानते है की तुम दोनों की दोस्ती कितनी मजबूत है,,,,,,,,!!”,रुबीना ने हँसते हुए कहा
तीनो हॉस्टल चली आयी। साहिबा को कमरे में ना पाकर तीनो ऊपर टेरेस पर चली आयी साहिबा टेरेस की दिवार पर बैठी थी। पल्ल्वी उसके पास आयी और कहा,”ए साहिबा यहाँ क्यों बैठी है ?”
साहिबा ने पल्ल्वी , प्रिया और रुबीना को एक नजर देखा और फिर सामने देखने लगी। पल्ल्वी उसकी बगल में आकर खड़ी हो गयी और कहा,”पता है पापा ने क्या कहा उन्होंने कहा है की शादी में कोई आये ना आये साहिबा जरूर आनी चाहिए”
“तू शादी कर रही है ?”,साहिबा ने सामने देखते हुए सवाल किया
“पापा की तबियत ख़राब है वो चाहते है अश्विनी से मेरी शादी हो जाये”,पल्ल्वी ने कहा
“और हमारे प्रॉमिस का क्या ? हमने वादा किया था की जब भी शादी करेंगे साथ करेंगे , हमारा अपना टी हॉउस होगा , तुम्हारे और मेरे बच्चे एक ही स्कूल में जायेंगे उन सब वादों का क्या ?”,साहिबा ने पल्ल्वी की तरफ देखते हुए कहा
“साहिबा वो सब मजाक की बाते है और एक ना दिन तो हम सब की शादी होनी है न , किसी की पहले बाद में होने से क्या फर्क पड़ता है ?”,पल्ल्वी ने कहा
“हम्म्म कोई फर्क नहीं पड़ता , शादी मुबारक हो”,कहकर साहिबा वहा से चली गयी पल्ल्वी का चेहरा उदासी से घिर आया तो रुबीना और प्रिया ने उसके पास आकर कहा,”अपसेट मत हो देखना वो जल्दी ही मान जाएगी और तेरी शादी में भी जरूर आएगी”
प्रिया और रुबीना की बातो से पल्ल्वी को थोड़ी राहत मिली।
पल्ल्वी गलत नहीं थी वह अपने घरवालों की ख़ुशी के लिए शादी करने को तैयार थी और उस पर अश्विनी भी पल्ल्वी के लिए परफेक्ट था। तीनो कुछ देर टेरेस पर रुकी और फिर नीचे चली आयी। रात के खाने के बाद रुबीना , प्रिया और पल्ल्वी अपना बैग पैक करने लगी। कॉलेज की छुट्टियां शुरू होने वाली थी और सब अपने अपने घर जाने की तैयारी कर रही थी लेकीन साहिबा बिस्तर पर बैठी शून्य में खोई थी , ना उसने अपना बैग जमाया ना ही किसी से कोई बात करने का उसका मन था। साहिबा के रिश्तेदार बहुत थे लेकिन ऐसा कोई भी नहीं था जिनके घर जाकर वह दो-तीन महीने रहे। उसे चुपचाप बैठा देखकर प्रिया ने कहा,”साहिबा ऐसे क्यों बैठी है घर नहीं जाना क्या ?”
“मेरे कौनसा घर है यही हॉस्टल मेरा घर है”,साहिबा ने एक मुस्कान के साथ कहा जिसमे उसका दर्द साफ झलक रहा था
“तू मेरे साथ चल मेरे घर”,रुबीना ने कहा
“नहीं यार मुझे किसी पर बोझ नहीं बनना मैं यही ठीक हूँ”,साहिबा ने कहा
“साहिबा मेरे साथ चलो”,पल्ल्वी ने कहा तो साहिबा ने उसकी तरफ देखा और कहा,”तुम्हारी शादी में आउंगी”
पल्ल्वी ने सूना तो एक कसक उसके मन में उठी। उसे अहसास हुआ की उसके अलावा साहिबा का इस दुनिया में इस वक्त कोई नही था और वह शादी करके उसे छोड़कर जा रही थी। पल्ल्वी साहिबा के पास आयी और उसके गले लगते हुए कहा,”सॉरी यार मैं अपना प्रॉमिस नहीं निभा पाई”
“प्रॉमिस इसलिए किये जाते है ताकि उन्हें तोड़ा जा सके , अब आंसू बहाना बंद कर विदाई में काम आएंगे”,साहिबा ने कहा तो रुबीना और प्रिया भी आकर उन दोनों के गले लग गयी
अगली सुबह प्रिया बरेली के लिए , रुबीना लखनऊ के लिए और पल्ल्वी अपना सामान लिए आगरा के लिए निकल गयी। अपनी दोस्तों के बिना साहिबा का मन नहीं लगा तो वह भी दिल्ली में ही अपने किसी अंकल के घर रहने चली गयी। एक महीने बाद पल्ल्वी की शादी थी इसलिए उसके घर में शादी की तैयारियां शुरू हो गयी जिनमे पल्ल्वी काफी बिजी भी हो चुकी थी। साहिबा जब भी उसे फोन करती या तो उसका फोन बिजी आता या फिर पल्ल्वी जल्दी में रहती ठीक से बात नहीं कर पाती थी। साहिबा दिनभर या तो किताबे पढ़ती या फिर सोती रहती।
शादी के दो दिन पहले पल्ल्वी का फोन आया और उसने साहिबा को आगरा आने को कहा। साहिबा ने प्रिया और रुबीना से बात की तो उन दोनों ने कहा की वे उसे डायरेक्ट पल्ल्वी के घर में ही मिलेंगे। साहिबा ने अपना बैग जमाया और अपने अंकल से आगरा के लिए टिकट बुक करवाने को कहा। तत्काल में साहिबा को आगरा के लिए उसी शाम ट्रेन की टिकट मिल गई। उसने जींस और उस पर सफेद कुरता पहना बालो को समेटकर पोनी टेल बना ली। शाम 4 बजे साहिबा घर से निकल गयी जाने से पहले आंटी ने कह दिया की वापस यहाँ ना आये अपना दूसरा ठिकाना ढूंढ ले ,, उनकी बातो के दुःख से ज्यादा ख़ुशी उसे आगरा जाने की थी। साहिबा और पल्ल्वी बहुत अच्छी दोस्त थी लेकिन साहिबा पहली बार उसके घर जा रही थी। साहिबा स्टेशन पहुंची देखा ट्रेन वहा है , ट्रेन के चलने में अभी वक्त है सोचकर साहिबा ने पास ही की दुकान से एक कप कॉफी ली और पीने लगी। अभी उसने आधी ही पी थी की तभी ट्रेन चलने लगी। साहिबा ने कप डस्टबिन में फेंका और अपना बैग सम्हाले ट्रेन की तरफ बढ़ी। वह जल्दी जल्दी चली जा रही थी और ट्रेन थी के रुकने का नाम नहीं ले रही थी। जल्दी जल्दी के चक्कर में उसे ध्यान नहीं रहा और वह सामने से आते लड़के से टकरा गयी। उसके हाथ से बैग छूटकर गिर गया तो उसने झल्लाते हुए कहा,”ए देखकर नहीं चल सकते”
साहिबा ने लड़के को देखा तक नहीं उसने अपना बैग उठाया तो लड़के ने कहा,”मैडम देख तो आप भी सकती है ना”
“बड़े बद्तमीज हो यार,,,,,,,,,,,,,,,,कहते हुए साहिबा ने एक नजर लड़के को देखा गोरा रंग , सलीके से कटी हलकी दाढ़ी , गहरी आँखे , सुर्ख होंठ , सफेद शर्ट , नेवई ब्लू जींस और गले में ॐ नाम का लॉकेट पतली सी चैन में लटक रहा था। लड़के को देखते हुए साहिबा को अपनी ट्रेन का ध्यान आया तो वह ट्रेन की तरफ भागी और जल्दी से अपना बैग रखकर ट्रेन में चढ़ गयी।
अगले ही पल एक लड़के ने साहिबा के बगल में आकर बाहर देखते हुए उस लड़के से कहा,”ओये पार्थ वहा क्या कर रहा है जल्दी आ सिगरेट अगले स्टेशन पर ले लेंगे”


बस को अचानक से ब्रेक लगा और साहिबा अपने अतीत से बाहर आयी। उसके जहन में बस वो आखरी शब्द “पार्थ” कौंधने लगा। साहिबा ने एक गहरी साँस ली और बस से नीचे उतरी। बस कोयंबतूर बस स्टेण्ड पर खड़ी थी। साहिबा अपना सामान सम्हाले स्टेण्ड से बाहर आ गयी। उसने कैब बुक की और फिर एयरपोर्ट के लिए निकल गयी 4 साल पहले वाली जल्दी उसे आज भी थी।

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क्रमश – Tere Ishq Me – 4

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संजना किरोड़ीवाल

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