Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 34

Main Teri Heer – 34

Main Teri Heer
Main Teri Heer

वंश मुन्ना के साथ था वह रातभर जागकर उसका ख्याल रखने लगा। सुबह होते होते वंश को नींद आ गयी वह वही मुन्ना के बगल में सो गया। रातभर गौरी सोई नहीं , वह सो ही नहीं पायी क्योकि वह रातभर मुन्ना के बारे में सोचकर रोते रही और परेशान होती रही। अगली सुबह गौरी उठी और ऊपर छत पर चली आयी। गौरी का मन बहुत बैचैन था और उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था वह वंश और मुन्ना को कैसे फेस करे ? उसे दोनों भाईयो में से किसी एक को चुनना था और गौरी ये नहीं करना चाहती थी। उसे महसूस हो रहा था जैसे वो एक खिलौना बन चुकी है , छोटे भाई को पसंद आया तो बड़े भाई ने उसे सौंप दिया। गौरी की आँखों के सामने मुन्ना के साथ बिताये पल आने लगे। वो पल जिनमे प्यार था , परवाह थी , रूठना मनाना और मुस्कुराता मान था,,,,,,,,,,,गौरी की आँखों में आँसू झिलमिलाने लगे। वह बनारस आने के लिए खुद को कोस रही थी। कुछ देर बाद गौरी को ढूंढते हुए प्रिया वहा चली आयी। उसने गौरी को अकेले खड़े देखा तो कहा ,”हे गौरी तुम सुबह सुबह यहाँ क्या कर रही हो ? और वैसे कल रात तुम कहा थी ? तुम्हारी मुन्ना से बात हुई ना , तुम दोनों के बीच सब सही हो गया न,,,,,,,,,,,,मैं तुमसे कुछ पूछ रही हूँ जवाब तो दो”
“मुझे यहाँ से जाना है प्रिया , मुझे यहाँ से ले चलो प्लीज”,गौरी ने लगभग रोते हुए कहा। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे वह अपनी भावनाओ को रोक पाने में असमर्थ थी। प्रिया ने देखा तो गौरी से कहा,”क्या हुआ गौरी सब ठीक है ना ? तुम तुम रोना बंद करो प्लीज”
कहते हुए प्रिया ने उसे गले लगाया और चुप कराने लगी। गौरी को तकलीफ में देखकर प्रिया को अच्छा नहीं लगा वह गौरी की पीठ सहलाते हुए कहने लगी,”मुझे तुम्हे यहाँ आने के लिए फ़ोर्स नहीं करना चाहिए था। मेरे प्लान की वजह से तुम्हे और ज्यादा हर्ट होगा मैंने सोचा नहीं था गौरी , आई ऍम रियली सॉरी,,,,,,,,,!!”
“प्लीज मुझे यहाँ से ले चलो प्रिया , मैं अब यहाँ और नहीं रुक सकती,,,,,,,,,,,,,,,,ये जो कुछ हो रहा है मेरे साथ मैं नहीं सह पा रही हूँ , मुझे बस यहाँ से जाना है कही दूर प्लीज”,गौरी ने दर्दभरे स्वर में कहा। प्रिया उसकी तकलीफ समझ रही थी इसलिए उसने उसे थोड़ी देर उसे गले लगाए रखा और फिर नीचे ले आयी। निचे आकर प्रिया ने ऋतू से अपना बैग पैक करने को कहा और खुद अपना और गौरी का बैग पैक करने लगी। काशी उस वक्त बाहर थी राधिका , अंजलि और उसके मम्मी पापा वापस जा रहे थे काशी उन्हें ही बाय बोलने आयी थी।
उनके जाने के बाद काशी अपने कमरे में आयी तो देखा ऋतू प्रिया बैग पैक कर रही है और गौरी खामोश बिस्तर पर बैठी है
“तुम लोग इतनी जल्दी पैकिंग कर रही हो , हम लोग तो शाम में निकलने वाले है ना,,,,,,,,,,,,,,और तुम्हे क्या हुआ है मैडम ? वैसे कल रात तुम कहा थी ? क्या मुन्ना भैया के साथ थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारी बात हुयी उनसे ?”,काशी ने पूछा
“उसे मुन्ना के नाम से टॉर्चर करना बंद करो काशी”,प्रिया ने थोड़ा गुस्से से कहा
“क्या हुआ तुम इतना गुस्से में क्यों हो ? गाइज हुआ क्या है कोई बताएगा ?”,काशी ने हैरानी से पूछा प्रिया ने जैसे ही बोलना चाहा गौरी ने उसे रोक दिया और खुद काशी के सामने चली आयी। काशी हैरानी से गौरी को देखने लगी। गौरी ने अपना मन शांत किया और कहा,”हाँ कल रात मैं उस से मिली एंड आई रियलाइज की मान और मैं एक दूसरे से बहुत अलग है , हम दोनों साथ नहीं रह पाएंगे। अब तक हमारे बीच जो भी था बहुत अच्छा था एंड आगे भी हम अच्छे दोस्त रहेंगे बट ये प्यार व्यार मेरे बस का नहीं है काशी,,,,,,,,,,,,,,तुम तो जानती हो मुझे घूमना फिरना पार्टीज करना पसंद है और मान थोड़ा बोरिंग टाइप,,,,,,,प्लीज तुम बुरा मत मानना ये सब बोलकर मैं उसकी इंसल्ट नहीं कर रही , उसे और लड़की मिल जाएगी शायद कोई ऐसी जो उसके साथ परफेक्ट हो”
काशी ने सूना तो उसे एक झटका सा लगा मुन्ना और गौरी को साथ में खुश उसने खुद देखा था फिर वो कैसे मान सकती थी की गौरी और मुन्ना एक दूसरे के लिए परफेक्ट नहीं है उसने जैसे ही कुछ कहना चाहा तो गौरी ने कहा,”और तुम सुबह सुबह कहा घुम रही हो ? तुम शायद भूल रही हो की तुम भी हम सबके साथ इंदौर जाने वाली हो चलो जल्दी से अपना बैग पैक करो तब तक मैं आई बाबा और अंकल आंटी से मिलकर आती हूँ”
काशी उसे रोकती इस से पहले ही गौरी वहा से चली गयी। काशी प्रिया के पास आयी और कहा,”उसे क्या हुआ है उसने ऐसा क्यों कहा ?”
“शायद उसके सर से प्यार का भूत उतर चुका है , ऋतू ये अपना टॉप रखो बैग में”,प्रिया ने ऋतू की तरफ जाते हुए कहा। काशी समझ नहीं पा रही थी वह भी ऋतू और प्रिया के साथ मिलकर अपना बैग पैक करने लगी।

गौरी आई , बाबा और शिवम् से मिली और किचन में सारिका के पास चली आयी। सारिका उस वक्त चाय बना रही थी गौरी ने गैस के पास आकर चाय की खुशबु लेते हुए कहा,”इंदौर जाकर पता है मैं सबसे ज्यादा क्या मिस करुँगी ?”
“क्या ?”,सारिका ने मुस्कुरा कर पूछा
“आपके हाथो से बनी ये चाय , पता है आंटी आप जितनी खूबसूरत है मतलब मुझसे भी ज्यादा उतना ही अच्छा टेस्ट आपके हाथ से बनी चाय और खाने में है,,,,,,,,,,,मतलब परफेक्ट वुमन”,गौरी ने सारिका की तारीफ करते हुए कहा
“अच्छा ऐसा है तो फिर कुछ दिन और रुक जाओ,,,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने कहा
“मैं तो रुक जाती आंटी लेकिन ये शहर मुझे कुछ रास नहीं आया”,गौरी ने फीकी सी मुस्कान के साथ कहा
“फिर तो शायद तुमने इस शहर को समझा ही नहीं , इस शहर की एक खास बात बताऊ तुम्हे ये शहर हमसे जितना लेता है ना बदले में उसे कई ज्यादा वापस भी देता है। इस शहर में आने वाला हर शख्स यहाँ से चला जाता है लेकिन अपना मन यही छोड़ जाता है। इस शहर की हवा ऐसी है की नफरत को भी प्यार में बदल दे , वैसे जाने से पहले तुम्हे इस शहर की सबसे ख़ास जगह जरूर जाना चाहिए हो सकता है वहा जाने के बाद ये शहर तुम्हे वापस जाने ही ना दे”,सारिका ने अपने बनारस की तारीफ में कहा
“ऐसी कौनसी जगह है आंटी ?”,गौरी ने पूछा
“बाबा विश्वनाथ मंदिर , सभी घरवाले काशी और शक्ति के साथ बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने जा रहे है , तुम सब भी चलो वैसे भी इंदौर तो आज रात में निकलना है ना,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे वहा जाकर अच्छा लगेगा”,सारिका ने प्यार से कहा
सारिका ने इतने प्यार से कहा की गौरी मना नहीं कर पायी। गौरी ने हाँ में गर्दन हिला दी तो सारिका ने उसे एक कप चाय दी और वहा से चली गयी।

निशि वंश के कमरे में आराम से सो रही थी। उसे अहसास भी नहीं था की अंजलि जा चुकी है। कुछ देर बाद उसकी आँख खुली वह अंगड़ाई लेते हुए उठी और देखा अंजलि उसके बगल में नहीं है बल्कि वहा एक पेपर रखा है। निशि ने उस पेपर को उठाया और पढ़ने लगी “मैं मम्मी पापा के साथ वापस जा रही हूँ , सॉरी मैं आपको बाय भी नहीं बोल पायी। आप बहुत गहरी नींद में थी और मुझे आपको उठाना अच्छा नहीं लगा इसलिए मैंने आपको नहीं उठाया। आप बहुत प्यारे हो मैं घर जाकर आपको बहुत मिस करने वाली हूँ। मैंने अपना नंबर नीचे लिखा है मुझे फोन करना और हाँ मेरे वंश भैया को ज्यादा तंग मत करना,,,,,,,,,,,,,अंजलि”
निशि ने पढ़ा तो सुबह सुबह मुस्कुरा उठी। उसने कागज़ मुड़कर अपने ट्राउजर की जेब में रख लिया और अंगड़ाई लेते हुए वंश के कमरे में घूमने लगी। वंश का कमरा काफी अलग और मजेदार था निशि घूमकर पूरा कमरा देखने लगी। दिवार पर एक तरफ वंश की कुछ तस्वीरें लगी हुई थी। निशि उन्हें देखते हुए खुद भी पोज बनाने लगी और फिर हंस पड़ी। वह शीशे के सामने आयी और वंश की एक्टिंग करते हुए कहा,”अगर तुम बनारस आयी तो मैं तुम्हारा मुंह तोड़ दूंगा,,,,,,,,,,,,,हाहाहाहाहा चिरकुट”
निशि मुस्कुराने लगी , आज ये मुस्कराहट रोजाना से कुछ अलग थी। अगले ही पल निशि को वो पल याद आया जब वंश उसके करीब आकर झुमके को उसके बालों से आजाद कर रहा था। निशि फिर मुस्कुराने लगी उसके गाल गुलाबी होने लगे। उसने वही पास में टेबल पर कलर को उठाया और शीशे पर लिखा “आई थिंक यू आर क्यूट,,,,,,,,,,,,,,चिरकुट”
“निशि बेटा,,,,,,,,,,!”,सारिका ने कमरे में आते हुए कहा
सारिका की आवाज सुनकर निशि हड़बड़ाई और जल्दी से पलट गयी वह शीशे के सामने खड़ी रही ताकि सारिका वहा लिखा देख ना पाए।
“हम तुम्हे उठाने के लिए ही आये थे , ये तुम्हारी चाय और इसे पीने के बाद तैयार हो जाओ , सभी घरवाले बाबा विश्वनाथ मंदिर जा रहे है तुम भी हमारे साथ चलो”,सारिका ने चाय का कप टेबल पर रखते हुए कहा
“थैंक्यू आंटी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आंटी आई ऍम सॉरी वो कल रात मैं यही सो गयी थी”,निशि ने कहा
“इट्स ओके बेटा वैसे भी वंश कल रात से घर नहीं आया है , शायद मुन्ना के घर रुक गया होगा। तुम चाय पीकर नीचे आ जाना”,कहते हुए सारिका चली गयी
निशि ने चैन की साँस ली की सारिका ने शीशे पर लिखे शब्द नहीं देखे। वह जल्दी से उन्हें मिटाने को पीछे पलटी लेकिन नहीं मिटा पायी और फिर आकर चाय का कप उठाते हुए बड़बड़ाई,”ये चिरकुट है कहा ? कल से गायब है ,, वैसे भी मैं उसके बारे में क्यों सोच रही हूँ ?”
निशि ने चाय पी और नीचे चली आयी। सभी घरवाले तैयार होकर बाबा विश्वनाथ मंदिर के लिए निकल गए। काशी को उदास देखकर शक्ति ने पूछा,”क्या हुआ तुम्हारा चेहरा इतना उतरा हुआ क्यों है ?”
“कुछ नहीं थकान की वजह से”,काशी ने मुस्कुरा कर कहा वह सकती को परेशान करना नहीं चाहती थी।
सभी मंदिर के बाहर पहुंचे। शिवम् , मुरारी , आई , बाबा , सारिका , अनु , काशी , शक्ति , ऋतू , प्रिया , निशि और गौरी। आज भीड़ रोजाना से ज्यादा थी इसलिए मुरारी ने कहा,”बाबा VIP दर्शन कर लेते है”
“देखो मुरारी VIP दर्शन से हमको कोनो परहेज नहीं है पर बाबा के दर्शन इतनी आसानी से मिल जाये तो मजा नहीं आएगा,,,,,,,,,,,,,,,,इहलिये लाइन में लगकर जायेंगे,,,,,,,,,,,का समझे ?”,बाबा ने मुरारी की तरह कहा
“अरे बाबा दिल की बात कह दिए आप तो , अब का है के बिधायक थे तो VIP से दर्शन की आदत थी , बहुते दिन बाद लाइन में लगकर दर्शन करेंगे मजा आ जाएगा”,मुरारी ने कहा तो शिवम् मुस्कुरा उठा और सब लाइन में लगकर आगे बढ़ गए। सबसे आगे आई बाबा थे , उसके बाद शिवम् मुरारी अनु , फिर शक्ति काशी और उनके दोस्त बातें करते हुए आगे बढ़ गयी। सारिका रुकी हुई थी क्योकि निशि गाड़ी से अभी तक आयी नहीं थी।
“माँ इतनी जल्दी में मुझे यहाँ क्यों बुलाया आपने ?”,वंश ने दूसरी तरफ से आकर सारिका से कहा
“आ गए तुम , सभी घरवाले बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने आये है तुम भी चलो और ये मुन्ना कहा है ?”,सारिका ने देखा वंश अकेला है
“मुन्ना की तबियत खराब है तो वो घर पर रेस्ट कर रहा है , चलिए चलते है”,वंश ने कहा
“हाँ एक मिनिट निशि आ जाये वो गाड़ी से अपना फोन लेने गयी है”,सारिका ने दूर नजर दौड़ाते हुए कहा
“माँ आप चलिए मैं उसे लेकर आता हूँ”,वंश ने लाइन में बढ़ती भीड़ देखकर कहा
“पक्का ना ? कही भाग मत जाना ,, दर्शन करने जरुरी है,,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने कहा और चली गयी। अगर जाकर सारिका भी अनु के साथ लाइन में लगकर आगे बढ़ गयी। वंश वही रुककर निशि का इंतजार करने लगा , रात में ना सोने की वजह से उसे उबासियाँ आ रही थी दुसरा जल्दी जल्दी में नहाकर आया था इसलिए उसके बाल भी थोड़े गीले थे। कुछ देर बाद निशि आयी वंश को मंदिर के बाहर देखकर उसका मन ख़ुशी से खिल उठा लेकिन अपनी ख़ुशी को उसने अपने चेहरे पर नहीं आने दिया और कहा,”सब कहा गए ?”
“सब आगे चले गए है , चलो लगो लाइन में”,कहते हुए वंश पलट गया। निशि उसके आगे चलने लगी तो वंश ने कहा,”तुम्हे पता है आगे कहा जाना है ?”
निशि ने ना में गर्दन हिला दी तो वंश ने कहा,”देन फॉलो मी”
निशि वंश के पीछे चली आयी और दोनों साथ साथ चलने लगे। निशि तो संकरी गलियों में बनी चमचमाती दुकानों को देखे जा रही थी। वह पहली बार बनारस आयी थी और ये सब उसने पहली बार देखा था। नए लोग , नयी भाषा , नए चेहरे सब निशि को आकर्षित कर रहा था। वंश ख़ामोशी से आगे बढ़ रहा था लाइन काफी लम्बी थी और मंदिर तक पहुँचते पहुँचते आधा घंटा लगने वाला था। वंश चुपचाप चल रहा था की पीछे से धक्का लगने की वजह से निशि वंश से टकराई। वंश पलटा उसके कुछ कहने से पहले ही निशि ने कहा,”वो पीछे से किसी ने धक्का मारा”
“ओह्ह चचा जरा देख के आहिस्ता से चलो यार इतनी घई काहे ?”,वंश ने अपनी लोकल टोन में कहा निशि ने सूना तो उसकी तरफ प्यार से देखने लगी।
“देख के ही चल रहे है , ज्यादा दिक्कत है तो VIP दर्शन करा”,आदमी ने कहा तो वंश उसे घूरने लगा। उसने देखा निशि के पीछे कुछ लड़के है जो उसे देख रहे है , बहुत हंस रहे है और बातें कर रहे है। उसने निशि को अपने आगे आने को कहा और खुद उसके पीछे आ गया ताकि फिर से ऐसा कुछ ना हो। निशि को अच्छा लगा दोनों आगे बढ़ गए।
मंदिर के कॉरिडोर में पहुंचकर वंश रुका और अपने गीले बालो में से हाथ घुमाने लगा तो निशि ने कहा,”ये तुम क्या कर रहे हो ?”
“वो मैं जल्दी जल्दी में नहाकर आया तो बाल सुखाना भूल गया , अब ये गीले है और मैं नहीं चाहता नहाये हुए पानी के छींटे मंदिर के आँगन में पड़े इसलिए इन्हे सूखा रहा हूँ”,वंश ने कहा
वंश के मुंह से ऐसी बात सुनकर निशि ख़ामोशी से उसे देखने लगी। जैसा वंश था निशि को लगा नहीं था वो मंदिर का इतना सम्मान करता है। आज खुशकिस्मती से निशि ने जींस और टॉप पर गले में स्कार्फ डाल रखा था। उसने उसे निकाला और उस से वंश के बाल पोछने लगी। निशि इतनी लग्न से ये कर रही थी की वंश उसे रोक भी नहीं पाया और ख़ामोशी से उसके चेहरे की ओर देखने लगा। वंश के बाल लगभग थोड़े सुख चुके थे। निशि ने उन्हें अपने हाथो से सही करते हुए कहा,”हो गया अब चले ?”
“उस से पहले तुम्हे हाथ धोने की जरूरत है”,कहते हुए वंश उसका हाथ पकड़कर उसे साइड में लगे नल के पास ले गया और अपने हाथो में उसके हाथ लेकर धोने लगा। निशि बस प्यारभरी नजरो से उसे देखे जा रही थी। वंश ने निशि से स्कार्फ लिया और उसे भी मंदिर से बाहर छोड़ दिया और उसके साथ मंदिर की ओर बढ़ गया। निशि के लिए आज का दिन बहुत खास बन गया। दोनों ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किये और जैसे ही बाहर आये निशि का पैर उलझा वह गिरती इस से पहले वंश ने अपना हाथ उसकी ओर कर दिया ताकि वह उसे थाम सके। निशि गिरने से बच गयी और दोनों बाकि घरवालों के पास चले आये।
वंश मंदिर आया ये देखकर आई तो उसकी बलाये लेने से खुद को रोक नहीं पायी क्योकि वंश मंदिर में कम ही आया करता था। सभी घूमकर मंदिर देखने लगे। मुरारी सभी लड़कियों को वहा की विशेषता बताते हुए मंदिर दिखाने लगा , सारिका , आई , अनु वंश के साथ घूमने लगी निशि पलटकर बार बार वंश को देखती और उसे सारिका के साथ हँसते मुस्कुराते देखकर खुद भी मुस्कुरा उठती।
जैसा की सारिका ने कहा था मंदिर आकर गौरी का मन काफी शांत था कॉरिडोर में खड़े होकर उसने मंदिर की तरफ देखते हुए हाथ जोड़ आँखे मूंदकर कहा,”महादेव सूना है आप के घर से कोई खाली हाथ नहीं चाहता , इस शहर से जाने से पहले मैं मान की सारी परेशानिया अपने साथ ले जाना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ वो हमेशा खुश रहे , उसके दर्द और तकलीफ कम कर दीजिये”

सभी मंदिर से बाहर चले आये संकरी गलियों में चलते हुए सभी अलग अलग ग्रुप में बंट गए। काशी और शक्ति साथ साथ चल रहे थे। शक्ति एक दुकान पर रुका और काशी के लिए कुछ कंगन खरीदने लगा। उन्हें साथ देखकर गौरी , ऋतू और प्रिया ने भी उन्हें अकेला छोड़ दिया और आगे बढ़ गयी। एक दुकान पर आकर तीनो अपने लिए कुछ देखने लगी। सारिका और आई साथ साथ चल रहे थे। बाबा मुरारी से बनारस की राजनीती चर्चा करते हुए चल रहे थे तो वही अनु अपने जीजू यानि शिवम् के साथ बातें कम और मुरारी की शिकायतें ज्यादा करते हुए चल रही थी। बचे निशि और वंश वो एक बार फिर सबसे आखिर में चले जा रहे थे साथ साथ लेकिन खामोश। वंश ने निशि को एक नजर देखा और मन ही मन खुद से कहा,”पता नहीं ये घरवालों ने हम दोनों को एक दूसरे के साथ अकेले क्यों छोड़ा है ? वैसे आज ये इतनी शांत कैसे है ? हमेशा तो मुझे काटने को दौड़ती है,,,,,,,,,,,,,,,लगता है बनारस आकर थोड़ा सुधर गयी है वैसे अच्छा है मुझे परेशान नहीं करेगी”
निशि ने भी अपनी बगल में चलते हुए वंश को देखा और मन ही मन कहने लगी,”सही कहा था अंजलि ने तुम इतने बुरे भी नहीं हो जितना मैं सोचती थी। लेकिन अकड़ देखो अभी भी वही है सब कुछ ना कुछ खरीद रहे है लेकिन ये नहीं की तुम भी कुछ ले लो,,,,,,,,,,,,,,,डरता होगा न कही पैसे ना देने पड़ जाए,,,,,,,,,,,,,और ये क्या ये तो मेरी तरफ देख तक नहीं रहा”
“तुम्हे गौरी के साथ जाना चाहिए उनके साथ तुम भी कुछ खरीद सकती हो”,वंश ने एकदम से कहा
“हाँ,,,,,,,,,,,,,,नहीं मुझे कुछ नहीं चाहिए”,निशि ने कहा
“चलो वो देखते है अच्छा लग रहा है”,कहते हुए वंश निशि को बगल वही दुकान पर ले गया वह कुछ रंग बिरंगे कंगन रखे थे।
वंश ने दुकानवाले को कंगन दिखाने को कहा निशि के लिए अब वंश को समझना थोड़ा मुश्किल होता जा रहा था। वंश ने एक कंगन लिया और निशि को पहनने को दिया लेकिन निशि ने ये सब पहले कभी नहीं पहना था इसलिए वह जैसे तैसे उसे हाथ में फ़साने की कोशिश करने लगी। वंश ने देखा तो उसके हाथ से कंगन लेकर उसे खुद पहनाते हुए कहा,”जितनी जबान चलती है तुम्हारी काश उतना दिमाग भी चलता”
वंश की बात सुनकर निशि ने उसे घूरते हुए देखा लगा जैसे वह अभी उसका खून कर देगी,,,,,,,,,,,,,,,!!

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