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“मैं तेरी हीर” – 83

Main Teri Heer – 83

Main Teri Heer
Main Teri Heer

काशी शक्ति के साथ मॉल के किसी रेस्त्रो में बैठी थी। जब उसने पुलिसवालों को लेकर एक छोटा सा स्टेटमेंट दिया तो शक्ति ने उसे गलत साबित करने के लिए अचानक से काशी के होंठो को अपने होंठो से छू लिया। शक्ति वापस अपनी जगह आ बैठा तो काशी ने कहा,”अब ये क्या था ?”
“कभी कभी बातें करते हुए तुम बड़ी प्यारी लगती हो , ये हमारे प्यार जताने का तरिका था”,शक्ति ने काशी की आँखो में झाँकते हुए कहा
“वैसे हमने सोचा नहीं था तुम ये सब भी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,खैर क्या खाओगे ?”,काशी ने पूछा
“जो तुम्हे अच्छा लगे तुम आर्डर करो हम खा लेंगे”,शक्ति ने कहा
काशी ने दो बाउल नूडल्स आर्डर किये। कुछ देर बाद ही नूडल्स आये और दोनों खाने लगे। खाते हुए काशी की नजर बार बार शक्ति पर चली जाती। वह आज कुछ ज्यादा ही प्यारा लग रहा था। काशी ने देखा खाते हुए थोड़ा सा खाना शक्ति के गाल पर लग गया है तो उसने अपना हाथ आगे करके उसे हटा दिया। शक्ति ने काशी को देखा तो काशी मुस्कुरा दी। खाना खाकर दोनों वहा से निकल गए।
“अब कहा चलना है ?”,शक्ति के बगल में बैठी काशी ने पूछा
“हमे तुम्हे कुछ बताना है काशी,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने काशी की तरफ देखकर कहा
“हाँ बताओ ना , हम तो कब से तुम्हे सुनना चाहते है लेकिन तुम बहुत कम बातें करते हो। कहो क्या कहना है ?”,काशी ने भी शक्ति की तरफ पलटकर बैठते हुये कहा
“यहाँ नहीं कही और चलते है”,शक्ति ने गाड़ी स्टार्ट कर आगे बढ़ाते हुए कहा
2 घंटे बाद शक्ति काशी को लेकर एक बहुत ही खूबसूरत जगह पहुंचा जिसका नाम था “चिड़िया भड़क वॉटरफॉल”
शक्ति ने गाड़ी को एक तरफ लगाया और काशी के साथ नीचे उतर गया। काशी ने उस जगह को देखा तो उसकी आँखे चमक उठी और उसने उस खूबसूरत नज़ारे को देखते हुए कहा,”तुम्हे इस जगह के बारे में कैसे पता ?”
“बस पता है , चलो वहा बैठते है”,कहते हुए शक्ति काशी का हाथ थामे आगे बढ़ गया। कुछ दूर चलकर दोनों पानी के पास पड़े पत्थरो पर आकर बैठ गए। शक्ति ने अपने जूते निकाले और पैरो को पानी में डूबो लिए , उसकी देखादेखी में काशी ने भी वही किया। शक्ति ने देखा तो मुस्कुरा उठा। काशी अपनी चूड़ीदार पेंट को ऊपर कर रही थी ताकि पानी में भीगे नहीं और ऐसा करने से उसके बालों की लटे बार बार गाल पर आ रही थी। शक्ति ने देखा तो उसने अपने हाथ से काशी के बालों की लट को साइड कर दिया।
“तुम्हे पता है ये जगह हमारी फेवरेट है”,काशी ने चारो और फैली खूबसूरती को अपनी आँखों में भरते हुए कहा
“हाँ हमे पता है”,शक्ति ने कहा
“तुम्हे सब पता होता है न ?”,काशी ने शक्ति की तरफ पलटकर कहा
“शायद नही,,,,,लेकिन तुमसे जुडी हर बात पता है हमे”,शक्ति ने की आँखों में देखते हुए कहा
“क्या तुम हमारी जासूसी कर रहे हो ?”,काशी ने अपनी आँखों को सिकोड़कर कहा तो शक्ति मुस्कुराने लगा। उसने काशी का हाथ अपने दोनों हाथ में लिया और कहा,”हमे तुम्हे कुछ बताना है”
“हाँ बताओ”,काशी ने कहा तो शक्ति ने उसे बचपन से लेकर अब तक की हर बात बता दी , जिसमे शक्ति का बचपन , उसके माँ-बाप की मौत , उसका बनारस आना , शिवम् को लेकर उसकी ग़लतफ़हमी और काशी के लिए उसका प्यार सब शामिल था। काशी ख़ामोशी से सब सुनते रही। इन सबके बारे में बताते हुए शक्ति कई बार उदास हुआ तो कभी बार मुस्कुराया भी। उसने काशी को सब सच बता दिया और फिर उसकी तरफ देखकर कहा,”काशी क्या तुम हम पर भरोसा करती हो ?”
“ऐसा क्यों पूछ रहे हो ? भरोसा नहीं होता तो हम यहाँ आते ही क्यों ? बचपन में हम मिले थे लेकिन हमे वो याद नहीं पर वो अहसास हम दोनों में ही रह गए थे इसलिए जब तुमसे मिले तो लगा जैसे हम तुम्हे पहले से जानते है,,,,,,,,,,,,,तुमने इतने साल सिर्फ हमारा इंतजार किया , हमसे पहले क्यों नहीं कहा ?”,काशी ने पूछा
“हम आये थे काशी लेकिन पता चला की तुम पढाई के लिए इंदौर चली गयी हो तो हमने बस तुम्हारे लौटने का इंतजार किया। उसके बाद चीजों में इतना उलझे की तुमसे मिल ही नहीं पाए पर हम कभी तुम्हे भूले नहीं थे,,,,,,,,,,,,,,,,,हम हमेशा तुम्हारे बारे में सोचते थे , तुम्हे याद करते थे,,,,,,,,,,,,,एक मिनिट”,कहते हुए शक्ति ने अपनी जेब से अपना पर्स निकाला और खोलकर काशी की तरफ बढ़ा दिया। काशी ने शक्ति का पर्स लिया और देखा उसमें सफ़ेद शर्ट , नीला स्कर्ट पहने , दो चोटी बनाये एक स्कूल गर्ल की फोटो थी , काशी ने उसे देखा तो खुश होकर कहा,”ये तो हम है , तुम्हारे पास हमारी इतनी पुरानी तस्वीर कहा से आयी ?”
“तुम्हे याद है 10वी बोर्ड के एग्जाम्स के वक्त तुम साईकिल से जल्दबाजी में स्कूल जा रही थी और तुम्हारा सामान गिर गया था। तब एक लड़का भागकर तुम्हारे पास आया था तुम्हारा सामान देने,,,,,,,,,,,,,,,,,वो हम थे”,शक्ति ने कहा
“क्या वो तुम थे ? लेकिन हमने तुम्हे पहचाना क्यों नहीं ?”,काशी ने हैरानी से कहा
“क्योकि उस वक्त हमारे मुंह और कपड़ो पर कीचड़ लगा था जो तुमने अपनी साईकिल से हम पर उछाला था”,शक्ति ने मासूमियत से कहा
“ओह्ह्ह्ह माफ़ करना,,,,,,,,,,!!”,काशी ने अफ़सोस जताते हुए कहा
“हम्म्म तभी ये फोटो हमे नीचे गिरी मिली और हमने इसे अपने पास रख लिया”,शक्ति ने काशी के हाथ को थपथपाते हुए कहा
काशी ने शक्ति के गाल को अपने होंठो से छुआ और कहा,”शुक्रिया , हमे इतना पसंद करने के लिए”
काशी ने अपना सर शक्ति के कंधे पर टिका लिया शक्ति ने अपना हाथ काशी के कंधो पर रखा और धीरे धीरे उसकी बांह को थपथपाने लगा। शक्ति के साथ बैठकर काशी को बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। वह अपना सर उसके कंधे से लगाए उन खूबसूरत नजारो को देखते रही।
“क्या अब भी तुम हमारे पापा से नफरत करते हो ?”,काशी ने शक्ति के कंधे पर सर रखे हुए पूछा
“नहीं हम उनसे नफरत नहीं करते है , उन्हें लेकर हमे सिर्फ गलतफहमी थी जो के अब दूर हो चुकी है। हम उनकी बहुत इज्जत करते है”,शक्ति ने सामने देखते हुए कहा
“तो फिर तुम पापा के साथ काम क्यों नहीं करते ? उन्होंने तुम्हे सामने से कहा है ना , हमारे पापा बहुत अच्छे है वो तुम्हे निराश नहीं करेंगे”,काशी ने अपना सर उसके कंधे से हटाकर उसकी ओर देखते हुए कहा
“हमसे जुड़ा एक आखरी सच और है काशी जो हम तुम्हे अभी नहीं बता सकते , बस यू समझ लो की हम अभी कुछ वक्त के लिए पाबंद है”,शक्ति ने काशी की आँखों में देखते हुए कहा
“हम्म्म हम तुम्हे फ़ोर्स नहीं करेंगे तुम्हारा जब मन हो तब हमे बताना , तुम हमे पसंद करते हो , हमसे प्यार करते हो , अभी के लिए इतना ही काफी है,,,,,,,,,,,,,इन अहसासो के साथ हम फ़िलहाल गहरी नींद में है तो अपना कोई भी सच बताकर हमे मत जगाओ,,,,,,,,,,,,,हमे खुश रहने दो और कुछ वक्त के लिए इस ख़ुशी को महसूस करने दो”,काशी ने एक बार फिर अपना सर शक्ति के कंधे पर रखकर आँखे मूंदते हुए कहा।
शक्ति ने कुछ नहीं कहा बस काशी के हाथ पर अपने हाथो की पकड़ मजबूत कर ली। काशी को सब बताकर शक्ति काफी हल्का महसूस कर रहा था। वह आज खुश था और सुकून से भरा हुआ था।
कहते है की जब हम अपने पसंदीदा इंसान के साथ होते है तो वक्त बहुत जल्दी गुजरता है। यही शक्ति और काशी के साथ हुआ। शाम होने लगी थी शक्ति ने काशी से चलने को कहा। दोनों वापस इंदौर के लिए निकल गए रास्तेभर काशी अपनी उटपटांग बातो से शक्ति को हँसाती रही। दोनों इंदौर पहुंचे , सूरज ढल चुका था गाड़ी काशी के घर से कुछ देर पहले आकर रुकी। काशी बैठी रही , उसका बिल्कुल मन नहीं कर रहा था की वह शक्ति को छोड़कर जाए। काशी को खामोश बैठे देखकर शक्ति ने कहा,”अब हमे जाना होगा काशी”
“हम्म,,,,,,,,,,,,,,हम जानते है”,कहकर काशी गाड़ी से उतर गयी उसका मन भारी हो चला था वह जाने के लिए आगे बढ़ गयी।
काशी को जाते देखकर शक्ति ने उसे आवाज दी,”काशी”
काशी रुकी और शक्ति की तरफ पलट गयी। शक्ति काशी के पास आया और आगे बढ़कर उसे गले लगाते हुए कहा,”हम बनारस तुम्हारा इंतजार करेंगे”
काशी शक्ति के सीने से लगी रही इस वक्त उसके चेहरे से सुकून टपक रहा था। कुछ देर बाद वह शक्ति से दूर हुई और उसके चेहरे को अपने हाथो में थामकर कहा,”एग्जाम्स के बाद हम जल्दी ही बनारस आएंगे”
“अपना ख्याल रखना और ये हमारा नंबर जब भी जरूरत लगे फोन करना”,शक्ति ने अपना नंबर काशी को देकर कहा
“तुम भी अपना ख्याल रखना और हमारे भाई से दूर रहना ,, उन्हें अभी इस बारे में कुछ नहीं पता है। देखना जब वो तुम्हारा सच जानेंगे तब वो भी तुम्हे पसंद करने लगेंगे”,काशी ने कहा
“हम्म्म ठीक है अब तुम घर जाओ,,,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने प्यार से काशी के गाल को छूकर कहा। काशी मुस्कुराई और वहा से चली गयी। शक्ति भी उसी रात वापस बनारस के लिए निकल गया।

एग्जाम्स के दिन नजदीक आने लगे। सभी अपनी अपनी पढाई में लगे हुए थे। एग्जाम्स के बाद मुन्ना को गौरी से मिलना था तो वही वंश को भी एग्जाम्स के बाद इंदौर आकर गौरी से अपनी फीलिंग शेयर करनी थी। गौरी पढाई के साथ साथ काशी से मुन्ना की पसंद नापसंद के बारे में पूछती रहती थी। उसका ध्यान पढाई में कम और मुन्ना में ज्यादा था। वही ऋतू प्रिया को भी ट्विन्स ब्रदर मिल चुके थे। काशी खुश थी की वह बनारस जाकर शक्ति से मिलेगी तो शक्ति खुश था की कुछ वक्त बाद वह फिर से अपनी वही पुरानी जिंदगी जी पायेगा जो पिछले दो साल से उसने छोड़ रखी थी,,,,,,,,,,,,,,,,उसे कोई सजा मिली थी या फिर अभी भी उसका कोई मकसद बाकि था,,,,,,,,,,,ये तो अब शक्ति ही जानता था

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क्या एग्जाम्स के बाद बदलने वाली है इन सबकी किस्मत ? मुन्ना और वंश में से कौन पहले आएगा इंदौर ? आखिर क्या है शक्ति का आखरी सच जो उसे काशी को बताना है ? जानने के लिए सुनते रहिये “मैं तेरी हीर”

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क्रमश – Main Teri Heer – 84

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