“मैं तेरी हीर” – 29
Main Teri Heer – 29
Main Teri Heer – 29
रात में देर तक जागने की वजह से वंश , काशी और अंजलि देर तक सोते रहे। सारिका वंश के कमरे में आयी और देखा वंश किसी मासूम बच्चे सा तकिये में मुंह छुपाये सो रहा है। सारिका ने उसके कमरे की खिड़की खोल दी , सूरज की किरणे कमरे के अंदर तक आने लगी। सारिका ने देखा वंश का कमरा फैला पड़ा है तो वह एक एक करके वंश के कपडे उठाकर रखने लगी , जो सामान बिखरा पड़ा था उसे उठाकर सही जगह रखने के बाद सारिका वंश के पास आयी और उसके बगल में बैठकर प्यार से उसके सर पर हाथ घुमाते हुए कहा,”वंश,,,,,उठो बेटा , सुबह हो चुकी है”
सारिका की आवाज सुनकर वंश आँखे मसलते हुए उठा , सारिका की नजर उसके हाथ पर बंधी पट्टी पर गयी तो उसने घबरा कर पूछा,”ये क्या हुआ बेटा ? ये पट्टी कैसी बंधी है तुम्हारे हाथ में ?”
“क कुछ नहीं माँ वो रात में हम सब पटाखे जला रहे थे ना तो उसी से थोड़ा सा जल गया , मामूली सा घाव है ठीक हो जाएगा”,वंश ने अपना हाथ सारिका के सामने से हटाते हुए कहा
“दिखाओ हमे”,सारिका ने वंश का हाथ देखने की कोशिश करते हुए कहा
“अरे माँ आप खामखा परेशान हो रही है , मैं बिल्कुल ठीक हूँ,,,,,,,,,,,वैसे टाइम क्या हुआ है ? ओह्ह 8 बज गए,,,,,,,,,,,माँ आपने मुझे उठाया क्यों नहीं मुझे मैच खेलने जाना था”,कहते हुए वंश उठा और सीधा बाथरूम में घुस गया। सारिका उठी और वंश के कबर्ड से उसके लिए कपडे निकालकर बिस्तर पर रखे और चली गयी। नीचे आकर सारिका ने दीना से शिवम् के लिए चाय चढ़ा देने को कहा और खुद दूसरे काम देखने लगी। दीना ने चाय बनाकर रख दी सारिका चाय लेकर अपने कमरे में आयी तो देखा लेपटॉप के सामने बैठा शिवम् अपने आस पास कुछ फाइल और पन्ने फैलाकर बैठा है। सारिका ने देखा तो वह उसके पास आयी चाय का कप टेबल पर रखा और उन सब पन्नो को समेटते हुए कहने लगी,”आज के दिन भी आपको चैन नहीं है ना शिवम् जी , थोड़ा वक्त अपने और अपनों के लिए भी निकालिये”
“सरु कल सुबह नहर वाले प्रोजेक्ट को लेकर सी.ऍम. सर से मीटिंग है , उसी के लिए एक अच्छी प्रेजेंटेशन तैयार कर रहे है। बस कल महादेव सब सम्हाल ले , एक बार सी.ऍम. सर इस नहर वाले प्रोजेक्ट के लिए हाँ कह दे उसके बाद बनारस के सभी बेरोजगार लोगो को उस फैक्ट्री में काम मिल जाएगा”,शिवम् ने आँखों में चमक भरते हुए कहा
“चिंता मत कीजिये आप जरूर सफल होंगे , आपने हमेशा बनारस के हित में सोचा है शिवम् जी महादेव आपका जरूर देंगे”,सारिका ने चाय का कप शिवम् की और बढ़ाते हुए कहा
“हां सरु हमे पूरा भरोसा है , वैसे भी अगले साल वंश का कॉलेज पूरा हो रहा है तो हम सोच रहे है उसे सीमेंट गोदाम का काम सीखा दे जिस से हमारे बाद वो इस काम को आगे ले जा सके”,शिवम् ने कहा
“शिवम् जी हमे नहीं लगता वंश इन सब में दिलचस्पी रखता होगा , क्यों ना आप एक बार थोड़ा पोलाइट होकर उस से बात करे और जाने की वह अपनी जिंदगी में क्या करना चाहता है ? जब हमने अपना भविष्य अपनी मर्जी से चुना तो क्यों ना वंश को भी एक मौका दिया जाये और फिर आप और हम तो है ना उसके साथ”,सारिका ने बड़े प्यार से कहा
“सरु हमारी ओर से वंश पर कोई दबाव नहीं है , वंश तो क्या काशी और मुन्ना भी अपना भविष्य चुनने के लिए स्वतंत्र है।”,शिवम ने कहा
“आप चाय पीजिये हम आते है”,कहकर सारिका वहा से चली गयी। काशी और अंजलि सुबह सुबह तैयार होकर वंश के आने का इंतजार कर रही थी। वंश के आने के बाद तीनो मुरारी के घर चले गए।
प्रताप का घर -:
अपने घर के आँगन में बैठा प्रताप दातुन से अपने दांत घिस रहा था। बनारस में उसका बनारसी कपड़ो का व्यापार काफी अच्छा चल रहा था। आज प्रताप सुबह से कुछ ज्यादा ही खुश था , दाँत घिसते हुए वह गुनगुना भी रहा था। राजन उठकर बाहर आया अपने पापा को खुश देखकर सामने पड़ी मचिया पर बैठते हुए कहा,”का बात है पापा आज बहुत खुश नजर आ रहे है आप ?”
“अरे बिटवा बात ही कुछो ऐसी है , जे दिवाली इस बार बहुते खास हो गयी हमारे लिए”,प्रताप ने कुल्ला करते हुए कहा
“कैसे पापा ? इह बार बनारसी कपड़ो में कुछो ज्यादा फायदा हो गया का ?”,राजन ने पूछा
“फायदा बहुते बड़ा है , जे समझ लो के दुश्मन के घर में घुसकर कोहिनूर उठा लाये है”,प्रताप ने बैठते हुए कहा और पास खड़े नौकर से चाय लाने का इशारा किया। राजन ने देखा आज प्रताप का मूड अच्छा है तो उसने उठकर बैठते हुए कहा,”अच्छा पापा हमे ना कुछो पैसे चाहिए थे , उह का है दो दिन बाद कॉलेज में इलेक्शन के लिए फॉर्म भरा जाना है ,, अब फॉर्म तो भर देंगे लेकिन वोट के लिए स्टूडेंट्स को खिलाना पिलाना पड़ेगा ना उसी के लिए चाहिए”
प्रताप ने राजन को देखा और कहा,”तुमको ना राजनीती नहीं पता बेटा ,, जे इलेक्शन में ना सिर्फ लोगो के दिखना चाहिए की पैसा लगा है पर लगना नहीं चाहिए”
“हम कुछो समझे नहीं”,राजन ने असमझ की स्तिथि में कहा
“समझते तो आज हमारी जगह ना होते , खुद को ऊपर उठाने से अच्छा है अपने दुश्मन को नीचे गिराओ ,, उसके बाद जीत भी तुम्हारी और जीत का ताज भी तुम्हारा”,प्रताप ने कहा
“समझ गए पापा”,राजन ने कुटिल मुस्कान के साथ कहा
कुछ देर बाद भूषण आया तो राजन उसके साथ अंदर चला आया। चलते चलते राजन ने भूषण को एक चपत लगाई और कहा,”साले किसने कहा था तुमसे गुप्ता के घर में घुसकर वो हरकत करने को ?”
“आपसे किसने कहा ?”,भूषण ने हैरानी से पूछा
“तुमको का लगता है बे हमे कुछो पता नहीं होगा , तुमसे जियादा गुस्सा हमे है उस मुन्ना पर लेकिन हम ना सही मौके का इंतजार कर रहे है ,, दो दिन बाद इलेक्शन के फॉर्म भरे जाने है तब तक कुछो गड़बड़ नहीं चाहिए हमे”,राजन ने कहा
“ठीक है हम ध्यान रखेंगे लेकिन आपके लिए एक्को बुरी खबर है”,भूषण ने थूक निगलते हुए कहा
“देखो सुबह सुबह दिमाग तो खराब करो मत और सीधे सीधे बताओ बात का है ?”,राजन ने भूषण को घूरते हुए कहा
“जोन लड़की आप मार्किट में देखे रहे उह लड़की मुन्ना की बहन है”,भूषण ने कहा
राजन ने सूना तो पहले हैरान रहा और फिर हँसते हुये कहा,”अरे साला इह तो बवाल हो गवा मतलब जिस मुन्ना से हमारी दुश्मनी है उसी की बहन पर हमारे दिल का आना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इह का मतलब समझते हो भूषण ?”
भूषण ने ना में गर्दन हिला दी तो राजन ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा और उसे अपने करीब करके उसकी ओर देखते हुए कहा,”जे का मतलब है अब मुन्ना बनेगा हमारा साला,,,,,,,,,,,,,,,और उस साले की अकड़ निकालेंगे हम”
“जे तो बहुते बढ़िया बात कही आपने राजन भैया,,,,,,,,,,,,,है , लेकिन एक्को समस्या है”,भूषण ने कहा
“वो का है बे ?”,राजन ने कहा
“उह लड़की तो आपको उस दिन कोई भाव ही ना दी थी फिर बात आगे कैसे बढ़ेगी ?”,भूषण ने कहा
“वो सब बाद में करेंगे पहले हमको जीतना है कॉलेज इलेक्शन , जाकर उसकी प्लानिंग करो”, राजन ने कहा
“अरे आप चिंता मत करो भैया हम करते है”,भूषण ने कहा और फिर दोनों वहा से चले गए
वंश , काशी और अंजलि मुन्ना के घर पहुंचे। मुरारी तो सुबह सुबह ही बाहर चला गया था घर में अनु थी और घर के नौकर थे। तीनो अंदर चले आये काशी ने देखा मुन्ना कही नजर नहीं आ रहा तो उसने अंजलि से पूछा,”मौसी मुन्ना भैया कहा है ?”
“ऊपर अपने कमरे में , तुम सब वही चलो मैं सबके लिए चाय नाश्ता भिजवाती हूँ”,अनु कहते हुए किचन की तरफ चली गयी। तीनो ऊपर मुन्ना के कमरे में चले आये , काशी ने देखा मुन्ना अपने लेपटॉप के सामने बैठा कुछ काम कर रहा है उसे ध्यान भी नहीं रहा की वो तीनो उसके कमरे में चले आये है। काशी दबे पांव मुन्ना के पीछे आयी और अपनी नाजुक हथेलियों से उसकी आँखे बंद कर दी। मुन्ना मुस्कुराया और कहा,”काशी ये तुम हो ना”
“मुन्ना भैया हमेशा आपको कैसे पता चल जाता है की ये हम ही है ?”,मुन्ना की आँखों से अपने हाथो को हटाकर काशी ने पास ही बिस्तर के कोने पर बैठते हुए कहा। मुन्ना ने देखा काशी के साथ वंश और अंजलि भी आये है तो वह समझ गया की अब ये लोग उसे काम नहीं करने देंगे। मुन्ना ने अपना लेपटॉप बंद किया और कुर्सी को काशी की तरफ घुमाकर कहा,”सो कहा चलना है ?”
“आप तो एकदम से मुद्दे की बात पर आ गए मुन्ना भैया”,काशी ने मुस्कुराते हुए कहा
“अब वंश तुम्हारे साथ है तो हम समझ गए की कही बाहर जाने का प्रोग्राम है”,मुन्ना ने कहा
“ओह्ह हेलो मुझे खामखा बदनाम मत करो ठीक है , वैसे भी मैं तो इन दोनों को लेकर गोलगप्पे खिलाने ले जा रहा था , इन्होने कहा तुम्हे भी साथ लेकर चले ,, अब चलो ज्यादा भाव मत खाओ”,वंश ने शीशे के सामने आकर अपने बालो को सही करते हुए कहा
“हां मुन्ना भैया चलिए ना बहुत मजा आएगा और आज तो मौसम भी बहुत अच्छा है”,अंजलि ने खुश होकर कहा
“ठीक है तुम सब बैठो हम कपडे बदलकर आते है”,कहकर मुन्ना उठा और चला। गया किशना सबके लिए चाय नाश्ता ले आया , नाश्ते में गर्मागर्म पकोड़े और जलेबी थी काशी और अंजलि के मुंह में तो देखते ही पानी आ गया दोनों गोलगप्पे भूल गयी और पहले जलेबी पकोड़े पर हाथ साफ किया। मुन्ना ने जींस और चेक्स शर्ट पहना था , वह आया और कहा,”चले ?”
“हाँ”,अंजलि ने कहा और जाते जाते एक पकोड़ा हाथ में उठा लिया वंश ने देखा तो उस के हाथ से छीनकर खाते हुए कहा,”इतना खाओगी ना तो एक दिन फट जाओगी”
अंजलि ने मुंह बनाया और आगे बढ़ गयी , सबसे छोटी होने का उसे यही तो फायदा था की सब उसे दिनभर छेड़ते जरूर थे लेकिन उस से प्यार भी बहुत करते थे। चारो घर से बाहर आये , मुन्ना ने मुरारी से उसकी जीप की चाबी ली और चारो निकल पड़े बनारस की सैर करने। दिनभर घूमने के बाद दोपहर होने को आयी और सबको फिर से भूख लगने लगी तो मुन्ना जीप को बनारस के फेमस चाट वाले की दुकान ले आया। आज मौसम सच में बहुत अच्छा था , धुप का नामो-निशान नहीं और आसमान बादलो से घिरा हुआ था।
चारो जीप से नीचे उतरे और चाट वाले की तरफ चले आये , उस रेस्टोरेंट की एक खास बात ये थी जो टेबल थे वो इंसानो से आधी ऊंचाई पर थे जिस से खड़े होकर आराम से खाया जा सके , बैठने का बंदोबस्त अंदर था। सभी मौसम का लुफ्त उठाने के लिये बाहर ही रुक गए।
“मैं सबके लिए आर्डर देकर आता हूँ”,कहकर वंश चला गया
कुछ देर बाद चार प्लेट चाट आयी , साथ में 4 ग्लास कोल्ड ड्रिंक भी। काशी ने देखा वंश सबके लिए आलू चाट लेकर आया है , जो की देखने में काफी आकर्षक लग रहे थे। चारो बाते करते हुए खाने लगे , कुछ ही वक्त गुजरा था की तभी एक जानी पहचानी आवाज उन चारो के कानो में पड़ी,”नमस्ते सर”
चारो ने आवाज वाली दिशा में देखा तो वहा पूजा खड़ी थी , काशी और अंजलि ने देखा तो मुस्कुरा उठी लेकिन मुन्ना मन ही मन खुद से सवाल करने लगा की ये यहाँ क्यों आयी है ? पूजा की नजरे तो जैसे मुन्ना पर जम सी गयी , वंश ने देखा तो खांसने का नाटक किया। पूजा ने अपनी नज़रे मुन्ना से हटाई और कहा,”वो मैं यही से गुजर रही थी आप लोग दिखे तो इधर चली आयी ,, वैसे आप लोगो ने यहाँ की चाट खाई या नहीं ,, खाकर देखिये बहुत टेस्टी है”
“आप खाना चाहोगी ? अरे पूछना क्या मैं अभी ले आता हूँ ?”,कहकर वंश वहा से चला गया। बेचारा मुन्ना उसे रोक भी नहीं पाया उसने काशी और अंजलि की तरफ देखा तो दोनों उसे देखकर मुस्कुरा रही थी। वंश ने चाट की एक नई प्लेट रखते हुए कहा,”हम लोग तो खा चुके एक काम करो आप मुन्ना भैया को कम्पनी दो”
“तुम लोग कहा जा रहे हो ?”,मुन्ना ने अपनी चुप्पी तोड़ी
वंश उसकी और झुका और दबी आवाज में कहा,”हम लोग कबाब में हड्डी बनना नहीं चाहते” कहते हुए वंश काशी और अंजलि की तरफ आया और कहा,”काशी अंजलि चलो हम लोग चलते है”
“बाय मुन्ना भैया”,काशी ने मुस्कुरा कर कहा और तीनो मुन्ना को फसाकर वहा से चले गए। बेचारा मुन्ना ऐसे में क्या कहे और क्या सुने ? लड़कियों से उसकी कभी इतनी बातें हुई नहीं थी , उसने बाहर से खुद को शांत रखा और कहा,”खाओ”
पूजा तो इसी में खुश थी की उसे मुन्ना के साथ खड़े होकर चाट खाने का मौका मिल रहा है। वह चाट खाते हुए मुन्ना से बातें करने लगी और मुन्ना बस हम्म्म हां हम्म्म में जवाब दे रहा था।
उधर वंश काशी और अंजलि पैदल ही घूम रहे थे। चलते चलते अंजलि ने कहा,”वंश भैया जिस काम से हम लोग आये थे वो तो हुआ ही नहीं , गोलगप्पे कब खाएंगे ?”
वंश ने सूना तो कहा,”अंजलि तुम्हारा नाम अंजलि गुप्ता नहीं बल्कि भुक्कड़ अंजलि गुप्ता होना चाहिए था , अभी अभी तुमने इतना खाया है और उसके बाद भी गोलगप्पे खाने है”
“वंश भैया गोलगप्पे ना हम लड़कियों का पहला प्यार होता है , भले कितना भी , कुछ भी खा ले लेकिन गोलगप्पे के लिए जगह बच जाती है हमारे पेट में ,, अब चलो”,कहकर अंजलि वंश को कुछ ही दूर खड़ी गोलगप्पे वाले के पास लेकर चल पड़ी। काशी का पेट भरा हुआ था इसलिए उसने कहा,”वंश भैया आप दोनों खाओ हम ना अपने लिए दुपट्टा देखकर आते है”
वंश अंजलि के साथ गोलगप्पे खाने लगा। मुन्ना पूजा के साथ फंसा हुआ था और काशी वही मार्किट में घूमते हुए अपने दुप्पटे देखने लगी। काशी दुपट्टा देख ही रही थी की शक्ति उसके बिल्कुल करीब से गुजरा , एक अनजाने अहसास के साथ काशी का दिल धड़का उसने मुड़कर अपनी बांयी तरफ देखा ,, एक जाना पहचाना शख्स उसे जाते दिखा। काशी ने हाथ में पकड़ा दुपटटा वापस रखा और शक्ति के पीछे पीछे चल पड़ी। तंग गलियों से होते हुए शक्ति चला जा रहा था उसे नहीं पता था की काशी उसका पीछा कर रही है। वह घाट की सीढ़ियों की तरफ आया , भीड़ में खड़ा वह सामने घाट पर मौजूद भीड़ में किसी को ढूंढ रहा था की तभी काशी ने उसकी कलाई पकड़ी और उसे लेकर घाट से ही लगकर जाती संकरी गली में लेकर आयी। काशी ने शक्ति को अपने सामने करके उसकी कलाई छोड़ते हुए कहा,”कल रात आप हमारे घर क्यों आये थे ?”
शक्ति ने काशी को अपने सामने देखा तो उसका दिल धड़क उठा , वह एकटक काशी को देखता रहा उसकी आँखों में गुस्से के बजाय सुकून था और चेहरे से मासूमियत टपक रही थी। शक्ति को चुप देखकर काशी ने कहा,”हम आपसे बात कर रहे है ? आप कल रात चोरी छुपे हमारे घर क्यों आये थे ? कही आप चोर,,,,,,,,,,!!”
“हम चोर नहीं है”,शक्ति ने काशी से नजरे हटाते हुए कहा
“अच्छा तो फिर ऐसे चोरी छुपे हमारे कमरे में क्यों आये थे आप ? जवाब दीजिये ?”,काशी ने कहा
शक्ति कुछ कहता इस से पहले ही एक आदमी सर बड़ा सा टोकरा लिए उसी संकरी गली से गुजरते हुए शक्ति को काशी की तरफ किया और आगे बढ़ते हुए कहा,”अरे भाई जरा साइड में होकर बतियाओ , रास्ता काहे रोक के खड़े हो”
जैसे ही शक्ति काशी की तरफ आया उसने दिवार पर अपना हाथ लगाकर खुद को काशी के करीब जाने से रोक लिया। उसका चेहरा काशी के चेहरे के बिल्कुल सामने था , काशी ने अपनी आँखे मूंद रखी थी जब शक्ति की सांसो की गर्माहट उसे अपने चेहरे पर महसूस हुई तो उसने धीरे से अपनी आँखे खोली और शक्ति को बिल्कुल अपने सामने पाया , जैसे ही उसकी नज़रे शक्ति से मिली तो उसका दिल धड़क उठा। दोनों एक दूसरे की आँखों में देखते रहे। शक्ति काशी की आँखों के आकर्षण में खींचता चला जा रहा था। आसमान में घिरे बादलो ने बरसाना शुरू कर दिया
बनारस में मोहब्बत की ये पहली बारिश थी ,,,,,,,,,,,,,,!!
Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29 Main Teri Heer – 29
क्या काशी और शक्ति के बीच बढ़ने लगी है नजदीकियां ? क्या मुन्ना और पूजा में बनने लगा है एक अनजाना रिश्ता ? क्या राजन अपने पापा के नक़्शे कदम पर चलेगा ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे मैं तेरी हीर
क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 30
Read More – “मैं तेरी हीर” – 28
Follow Me On – facebook | instagram | youtube
संजना किरोड़ीवाल
आज शक्ति-काशी का लास्ट वाला पैराग्राफ पढ़ने में मजा आया…अब तो दोनों एक-दूसरे के नाम पता हो जाए…बस यही…वैसे अब कालेज इलेक्शन में मुन्ना की जीत हो, ये झटका मिले राजन को… पर उससे पहले सबक सिखाओ भूषण को… लेकिन मुन्ना को पूजा से कौन बचाएगा
शक्ति की काशी …आज तो पहली मोहब्बत की बारिश हुई और दोनो भीगे भी साथ में…बिचारे मुन्ना को फंसा ये लोग तो निकल लिए…शक्ति राजन के लिए काम करता है ये बात अभी काशी को भी मालूम नहीं है…गौरी तो पक्का वंश की ही होगी क्योंकि हमारे मुन्ना के लिए थोड़ी अलग ही आएगी लेकिन अभी तो एक ही के लिए दोनो के मन में कुछ कुछ चल रहा है आगे क्या होगा…
Awesome part
Awesome
Very nice part…pata nhi ab pratap kya karne bala hai
Nice story
Best part tha but Munna ka liye tho koi aur he Bani hai I hope uska Ka liye koi aur hoo. Jo uska dream main aati hai . Aur yeh Kashi aur Shakti ki love story Ban jay . But I hope Shakti Galt Kam nhi karta hoo
Shakti or kashi ki mulakaat sabse acchi lagi aaj ke part me, but darr bhi h ki aab rajan kya karne wala hai
Very beautiful
Very nice part 👌
Shakti pratap k liye kam krta h or usne shivem k ghr se kagaj churaye hh 🙄🙄
Shakti or kashi ki is mulakat ka kya asar hogaa… Pr bichare munna ko bchao koii fsaa k chlee gyee 🤣🤣🤣
Rajan ki najar Kashi pe hh so uska pitna to pkka hh or election me harna bhi😡
Wow pyar ki pehli story start ho gai ab dekho Munna aur vansh ka kya hota hai
beautiful part mam