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मनमर्जियाँ – S77

Manmarjiyan – S77

Manmarjiyan

Manmarjiyan – S77

गुड्डू के बुलाने पर गोलू दौड़ा चला आया। गुड्डू ने जब बताया की उसने गोलू को शर्ट का कलर पूछने के लिए बुलाया है तो गोलू का मुंह उतर गया। उसने गुड्डू को साइड करके बैठते हुए कहा,”का यार भैया हम सोचे बहुते जरुरी बात होगी”
“अबे तो बात तो जरुरी है ही और सिर्फ शर्ट नहीं,,,,,,,,,,,,शगुन से भी तो पूछना है ना किसके लिए व्रत रखा है उन्होंने”,गुड्डू ने कहा
“यार खुद काहे नहीं पूछ लेते”,गोलू ने झुंझलाते हुए कहा
“हम नहीं पूछ सकते”,गुड्डू ने धीरे से कहा
“काहे ?”,गोलू ने पूछा
“वो हमे शर्म आती है”,गुड्डू ने शरमाते हुए कहा
“चुम्मी लिए तब तो नहीं आयी शर्म”,गोलू ने एकदम से कहा तो गुड्डू चौंका और उसके पास आकर कहा,”तुमको कैसे पता ?”
“वो वो हम,,,,,,,,,,,,अरे यार ये सब छोडो इह बताओ शगुन है कहा ?”
“वो ऊपर छत पर है , वो का सब ही छत पर है तुम चलो हम कपडे बदलकर आते है”,गुड्डू ने कहा तो गोलू उठा और छत पर चला आया। चाँद अभी निकला नहीं था। शगुन और वेदी वही खड़ी आसमान की तरफ देख रही थी। मिश्राइन भी वही पास ही झूले पर बैठी पूजा का सामान जमा रही थी। गोलू शगुन और वेदी के पास आया और कहा,”जे आज मिश्रा खानदान के दोनों चाँद किसके इंतजार में है ?”
“अरे गोलू भैया आप ? जबसे आपकी शादी फिक्स हुई है आप तो गायब ही हो गए हो”,वेदी ने कहा
“अरे यार वेदिया का बताये कितना फंस गए है शादी के नाम पर हम , घर के काम सम्हालो बाहर के भी”,गोलू ने कहा
“गोलू जी आज तो पिंकी ने भी आपके लिए व्रत रखा होगा , फिर उसे छोड़कर आप यहाँ क्या कर रहे है ?”,शगुन ने पूछा
“आपके वो है ना मिस्टर गुड्डू उन्होंने ही फोन करके हमे फोन करके यहाँ बुलाया है , वरना कहा हम मीठा खा रहे होते”,गोलू पिंकी के बारे में सोचते हुए कहता है
“मीठा ?”,वेदी ने कहा तो गोलू ने उसे साइड करते हुए कहा,”बाबू तुम ना जियादा दिमाग ना लगाओ , हमे भाभी से कुछो जरुरी बात करनी है”
“जी गोलू जी कहिये”,शगुन ने कहा
गोलू शगुन के थोड़ा करीब आया और फुसफुसाते हुए कहा,”काहे तडपाय रही हो ?”
“किसे ?”,शगुन ने हैरानी से कहा
“अरे हमारे गुड्डू भैया को , बताय काहे नहीं देती की आपने जे व्रत उन्ही के लिए रखा है”,गोलू ने कहां
“अच्छा तो इसलिए उन्होंने आपको यहाँ बुलाया है , गोलू जी आप तो जानते ही है आज का ये व्रत गुड्डू और मेरे रिश्ते के लिए कितना इम्पोर्टेन्ट है। आज भला मैं किसी और के लिए व्रत क्यों रखूंगी ,, बिल्कुल मैंने उन्ही के लिए रखा है।”,शगुन ने प्यार से कहा तो गोलू ने शगुन की बलाये लेते हुए कहा,”हाय बस जे ही सुनना था हमे , हमाये गुड्डू भैया कितने किस्मत वाले है ना”
“हां लेकिन शायद आपको पिंकी की परवाह नहीं है , वो बेचारी भूखी प्यासी आपकी राह देख रही होगी और आप यहाँ है ,, आपको पिंकी के पास होना चाहिए”,शगुन ने कहा
“हां गोलू भैया भाभी सही कह रही है कही ऐसा ना हो पिंकी आपकी जगह किसी और ही चाँद को छलनी से देख ले”,वेदी ने गोलू को चिढ़ाते हुए कहा
“अरे ऐसे कैसे हम मर गए है क्या ? हम अभी जाते है”,कहते हुए गोलू छत से दिवार फांदकर जाने लगा तो शगुन ने रोकते हुए कहा,”अरे गोलू जी यहाँ कहा से जा रहे है दरवाजे से जाईये ना”
“अरे भाभी ऐसे जल्दी पहुंचेंगे”,कहते हुए गोलू दिवार फांदकर बगल वाली छत पर कूद गया और वहा से पिंकी के घर की तरफ चला आया।

गोलू के जाने के कुछ देर बाद ही गुड्डू ऊपर चला आया अब उसे छत पर आने का कोई बहाना नहीं मिला तो उसने फोन कान से लगा लिया और झूठ मुठ ही बात करते हुए आए पहुंचा शगुन के बगल में। गुड्डू को वहा देखकर वेदी मिश्राइन के पास चली आयी। शगुन ने एक नजर गुड्डू को देखा और फिर दिवार के पास खड़ी होकर आसमान में देखने लगी। गुड्डू ने देखा शगुन उसे इग्नोर कर रही है तो शगुन का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए गुड्डू ने फोन पर कहा,”अरे हमाये लिए तो मोहल्ले की आधी लड़कियों ने व्रत रखा है आज , पर हम तो उसे मिलेंगे ना जो सच्चे दिल से हमे चाहेगा”
गुड्डू की बात सुनकर शगुन ने उसकी तरफ देखा तो गुड्डू में थोड़ा कॉन्फिडेंस और आ गया और उसने कहा,”अब जिन्होंने हमाये लिए व्रत रखा है उह अगर हमे बता देती तो हम भी उन्हें कुछ न कुछ 18तो गिफ्ट दे ही देते”
गुड्डू की बात सुनकर शगुन की भँवे चढ़ गयी वह गुड्डू की तरफ पलटी और हाथो को बांधे उसे देखने लगी। गुड्डू ने शगुन को अपनी और देखता पाया तो बेचारे के लिए नाटक करना थोड़ा मुश्किल हो गया। गुड्डू हाँ हूँ में जवाब देने लगा। शगुन ने उसके हाथ से फोन लिया और स्क्रीन गुड्डू को दिखाते हुए कहा,”बंद है”
“ओह्ह्ह वो शायद कट गया”,गुड्डू ने कहा
“हाँ शायद , तो क्या कह रहे थे आप मोहल्ले की आधी से ज्यादा लड़किया आपके लिए व्रत रखती है”,शगुन ने गुड्डू को घूरते हुए कहा
“हां रखती तो है , उह का है काफी चर्चित है ना हम कन्याओ के बीच”,गुड्डू ने अपने शर्ट के कॉलर को उठाते हुए कहा। शगुन ने सूना तो उसके पास आयी और उसकी कॉलर को वापस नीचे करते हुए प्यार से कहा,”आपके मोहल्ले की लड़कियों को शायद अपनी टाँगो से प्यार नहीं है होता तो वो आपके लिए व्रत रखने का नहीं सोचती”
“अच्छा,,,,,,,,,,,तो इसे का समझे हम अपने लिए खुशखबरी या फिर मोहल्ले की लड़कियों के लिए धमकी”,गुड्डू ने शगुन की आँखों में देखते हुए
“आप बस इतना समझ लीजिये की कृष्ण-कन्हैया के पीछे चाहे जितनी गोपिया हो , एक अकेली राधा की बराबरी नहीं कर पायेगी”,कहते हुए शगुन वहा से मिश्राइन की तरफ चली गयी। गुड्डू ने सूना तो उसके होंठो पर मुस्कराहट तैर गयी , अपनी गर्दन के पीछे हाथ लगाऐ मुस्कुराते हुए चाँद का इंतजार करने लगा। शगुन से भी ज्यादा चाँद देखने की जल्दी गुड्डू को थी।

गिरते पड़ते गोलू फिर पहुंचा पिंकी के घर। पिंकी छत पर पड़ी कुर्सी पर बैठी चाँद के निकलने का इंतज कर रही थी गोलू हांफते हुए आकर पिंकी की बगल में बैठा और कहा,”कब निकलेगा चाँद ?”
“गोलू क्या हुआ इतना हांफ क्यों रहे हो ?”,कहते हुए पिंकी अपने दुप्पटे से गोलू के माथे का पसीना पोछने लगी।
“इतना प्यार देखकर तो हम वैसे ही मर जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने जैसे ही कहा पिंकी ने अपना हाथ उसके मुंह पर रखते हुए कहा,”छी छी कैसी बाते कर रहे हो गोलू हमने यहाँ तुम्हारी लम्बी उम्र के लिए व्रत रखा है और तुम हो की मरने की बाते कर रहे हो”
“तुम्हाये लिए तो हम सौ बार मर सकते है”,गोलू ने पिंकी के हाथ को थामकर उस की आँखों में देखते हुए कहा। पिंकी भी उतने ही प्यार से गोलू को देखने लगी। दोनों खुशनुमा माहौल में बैठे थे , ठंडी हवा चल रही थी , आसमान बिल्कुल खाली , आस पास की छतो पर भी लोग घूम रहे थे कुछ चाँद का इंतजार कर रहे थे इन सबसे बेखबर पिंकी और गोलू एक दूसरे के हाथो को थामे कंधे पर सर टिकाये , चाँद की राह देख रहे थे।
“अच्छा पिंकिया एक बात बताओ शादी के बाद हमारा जो बच्चा हुआ उसका नाम का रखेंगे ?”,गोलू ने कहा
“तुम ही बताओ का रखे ?”,पिंकी ने कहा
“हम तो सोच रहे है “कांडी” रख ले”,गोलू ने एकदम से कहा
“का ? जे कैसा नाम है ?”,पिंकी ने अपना सर गोलू के कंधे से हटाते हुए पूछा
“अरे इतने बड़े कांड के बाद पैदा होगा हमारा बच्चा इसलिए कांडी नाम रखेंगे”,गोलू ने कहा
“छी ये कैसा नाम है ? गोलू तुम भी ना,,,,,,,,,,,,!!”,कहकर पिंकी उठी और जाने लगी तो गोलू ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचकर कहा,”अरे मजाक कर रहे है बाबू , अब का अपने होने वाले बच्चो की अम्मा से मजाक भी ना करे,,,,,,,,,,,,,,चले जे नाम ना रख्नेगे “प्रेम” तो रख सकते है ना , का है की हमाये पहले और आखरी प्रेम की निशानी होंगे वो”
“गोलू सब देख रहे है”,पिंकी ने धीरे से कहा
“देखने दो और देख का रहे है उन सालो की जल रही है , की तुम हम जैसे लड़के को कैसे मिल गयी ?”,गोलू ने कहा तो पिंकी शर्माने लगी और कहा,”कंट्रोल योर फीलिंग्स गुप्ता जी वरना फिर से कोई कांड हो जाएगा”
“अरे हम तो चाहते है कांड हो”,कहते हुए गोलू ने जैसे ही अपने होंठो को पिंकी के गाल की तरफ बढ़ाया उसका फोन फिर बजा। पिंकी ने गोलू को पीछे धकियाया और मुस्कुरा कर कहा,”पहले इसे सम्हालो तब तक हम नीचे जाकर पानी का लोटा लेकर आते है , उसी से तो व्रत खुलेगा हमारा।”
गोलू के रंग में फिर भंग पड़ गया उसने फोन देखा गुड्डू का था। गोलू ने रोनी सी सूरत बनायीं और अपना फोन अपने सर पर दे मारा और फिर सर सहलाते हुए फोन उठाकर कहा,”हाँ भैया”
“गोलू लगता है तुमको तुम्हायी जिंदगी से प्यार नहीं है , साले हम कहे थे ऊपर छत पर चलो हम आते है तुमहू हमे चकमा देके भाग गए”,दूसरी तरफ से गुड्डू ने कहा
“अरे भैया वो एक जरुरी फोन आ गया था तो आना पड़ा , हम आते है ना वापस परेशान काहे हो रहे हो आप ?”,गोलू ने कहा
“वापस तो तुमहू आओगे बेटा क्योकि तुम्हाये घर के बाहर ही खड़े है , दो मिनिट में बाहर आओ वरना हम अंदर आ रहे है”,गुड्डू ने कहा
गोलू ने जैसे ही सूना उसकी हालत खराब , वह अपने घर में नहीं था और अगर गलती से भी गुड्डू घर के अंदर गया और उसे गोलू वहा नहीं मिला तो मुसीबत , अगर गलती से गुप्ता जी ने बता दिया की पिंकी के घर है तो प्रॉब्लम।
“का हुआ मौत आ गयी तुमको ? ठीक है हम अंदर ही आ रहे है”,गुड्डू ने कहा
“अरे भैया भैया भैया रुको , तुम रहने दो हम आते है”,गोलू ने कहा
“ठीक है जल्दी आओ”,कहकर गुड्डू ने फोन काट दिया और गोलू का इंतजार करने लगा। उधर गोलू को कुछ समझ नहीं आ रहा था बेचारा बुरी तरह फंस गया था हालाँकि पिंकी की गली से आगे वाली गली में ही गोलू का घर था। गोलू ने फोन जेब में रखा और पिंकी की छत की बालकनी से लटककर जैसे ही नीचे कूदा शर्मा जी को लगा चोर है उन्होंने गोलू को धर लिया। गोलू उनके चंगुल से निकला और कहा,”अरे यार ससुर जी हम है”
“तो आप बालकनी से क्यों आ रहे है घर में सीढिया भी है ?”,शर्मा जी ने हैरत से कहा
“वो सब ना बहुते लम्बी कहानी है हम आकर बताते है आपको”,कहते हुए गोलू अपनी स्कूटी के पास आया उसे उठाया चाबी घुमाई लेकिन स्कूटी जस की तस पड़ी थी। गुड्डू का गुस्सा गोलू ने अपनी स्कूटी पर निकाला और एक लात मारकर उसे फिर से गिराते हुए कहा,”एक बार हमायी शादी हो जाने दो सबसे पहिले तुम्हे ही बेचेंगे , मनहूस कही की”

जैसे तैसे गोलू अपने घर के पीछे पहुंचा वही से दिवार फांदकर अंदर आया। गोलू के अम्मा और पिताजी इस वक्त छत पर थे। घूमते घामते उन्होंने जब गली की तरफ देखा तो गुड्डू को खड़े देखकर कहा,”अरे गुड्डू हिया का कर रहे हो इति रात में ?”
“चचा वो गोलू से कुछो काम था”,गुड्डू ने कहा
“पर गोलू तो हिया है ही नहीं उह तो,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने इतना ही कहा तभी घर का दरवाजा खुला और गोलू ने आते हुए कहा,”हम यही है , हम कहा जायेंगे ?”
गुप्ता जी ने देखा तो हैरानी से आँखे फ़ैल गयी ,कुछ देर पहले ही गोलू उन्हें बताकर गया था की पिंकी के घर जा रहा है और अब अचानक से घर से निकला है।
“पर तुम तो बाहर गए थे”,गुप्ता जी ने कहा
“हां तो वापस भी तो आये , गुड्डू भैया चलो यार इनके सवालो का जवाब देने के लिए रुके तो सुबह हो जाएगी”,गोलू ने कहा
“उह सब तो ठीक है पर जे तुम्हाये अंदर से लेडीज परफ्यूम की खुशबु काहे आ रही है ?”,गुड्डू ने गोलू को सूंघते हुए कहा
“वो हम,,,,,,,,,,,,,,,,हम लगाए है ना , हमाये वाला खत्म हो गया तो अम्मा का लगाय लिए”,गोलू ने झूठ कह दिया जबकि वो परफ्यूम पिंकी का था जिस से कुछ देर पहले ही गोलू चिपक रहा था।
“तुम्हायी अम्मा परफ्यूम भी लगाती है ?”,गुड्डू ने हैरानी से कहा
“अरे ,हमायी अम्मा लाली , पोडर सब लगाती है ,, आप हमे लेने आये हो या जे सब पूछने”,गोलू ने भड़कते हुए कहा
“अच्छा ठीक है हम तो बस ऐसे ही पूछ रहे थे बैठो”,गुड्डू ने कहा तो गोलू उसके पीछे आ बैठा और दोनों वहा से निकल गए। रास्ता गुड्डू के घर जाने वाला नहीं है देखकर गोलू ने पूछा,”अब इति रात में कहा जा रहे है हम ?”
“अरे वो मोहन शर्मा है ना तुम्हायी होने वाली बीवी के पिताजी उन्ही से कुछो जरुरी काम था हमे इसलिए जा रहे है तो सोचा आज करवाचौथ है , शर्मा जी की बिटिया भी तुम्हाये लिए व्रत रखी होगी ,, तो मिलवा लाते है तुमको”,गुड्डू ने जैसे ही कहा गोलू का गला सुख गया क्योकि गुड्डू जिस शर्मा जी के घर जा रहा था उस घर से गोलू का दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं था। गुड्डू ने घर के सामने आकर बाइक रोकी और उतरकर दरवाजा खटखटाया। मोहन शर्मा ने दरवाजा खोला और कहा,”मिश्रा जी का फोन आया था कुछ देर पहले उन्होंने कहा की तुम आ रहे हो , आओ अंदर आओ”
गुड्डू आगे बढ़ गया लेकिन गोलू के पैर तो वही जमीन से ही चिपक गए उस से आगे बढ़ा नहीं गया कही गुड्डू उनके सामने शादी की बात का कह दे। गुड्डू ने पलटकर देखा गोलू दरवाजे पर ही है तो उसके पास आया और कहा,”का हुआ हिया काहे खड़े हो चलो अंदर ?”
“भैया वो शादी से पहले ससुराल नहीं जाते ना इसलिए हम बाहर ही ठीक है”,गोलू ने कहा
“तुम जे सब कबसे मानने लगे चलो आओ”,कहते हुए गुड्डू उसे भी अंदर खिंच लाया। गोलू बस मन ही मन भगवान का नाम जप रहा था। मोहन जी ने गुड्डू को लिस्ट और पैसे दिए और कहा,”मिश्रा जी से कहना बाकि हम जल्दी ही भिजवा देंगे”
“अरे कैसी बाते कर रहे है आप ? आराम से दे दीजियेगा। अब हम लोग चलते है”,गुड्डू ने कहा
“गुड्डू ने जैसे ही कहा गोलू की जान में जान आयी। वह गुड्डू से भी पहले निकल गया। गुड्डू बाहर आया और कहा,”यार भाभी तो दिखी ही नहीं , मिलती तो तुम्हे भी दिखा देते”
“हमने बहुत करीब से देखी है अब घर चलते है”,गोलू ने कहा
“हाँ लेकिन मोहन शर्मा है एक नंबर के कंजूस अपनी बिटिया की शादी तुमसे करने वाले है लेकिन तुमको एक ग्लास पानी तक नहीं पूछा”,गुड्डू ने बाइक स्टार्ट करते हुए कहा।
“अरे छोडो ना भैया ससुरा खुन्नस खाके बैठा है , लब मैरिज जो कर रहे है।”,गोलू ने कहा तो गुड्डू ने बाइक आगे बढ़ा दी। गुड्डू के पीछे बैठे गोलू का फोन बजने लगा देखा पिंकी का फोन है। गोलू की हालत इस वक्त वैसे थी आगे कुआ पीछे खाई वाली। ना वह गुड्डू के साथ जा सकता था ना पिंकी के पास। उसका फोन बजते देखकर गुड्डू ने कहा,”अरे गोलू फोन बज रहा है तुम्हारा उठा लो”
“फोन से अच्छा है महादेव हमको उठा ले साला इतनी भसड़ उह भी हमाये अकेले की जिंदगी में,,,,,,,,,,,!!!”,गोलू ने रोआँसा होकर मन ही मन कहा और फोन काटकर जेब में रख लिया !

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