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मनमर्जियाँ – S39

Manmarjiyan – S39

Manmarjiyan - S39

Manmarjiyan – S39

गोलू अनगिनत परेशानियों में फंस चुका था उसका एक प्लान ने उसके जीवन में उथल पुथल मचा दी थी। गुड्डू शगुन उस से नाराज थे , पिंकिया के साथ शादी से पहले ही बड़का वाला कांड कर चुका था , मिश्रा जी उस से निराश थे , जिन लड़को को उसने बुलाया था उन्होंने कोई काम भी नहीं किया और गोलू से पैसे माँग रहे थे , उल्टा मिश्रा जी को बताने की धमकी और दे दी। गोलू गुड्डू के घर से निकला और सीधा पहुंचा उन लड़को के पास। चारो लड़के चाय की टपरी पर बैठे चाय पी रहे थे। गोलू आया एक के सर को धकियाते हुए कहा,”का है बे का बक रहे थे फोन पे की मिश्रा जी से कह दोगे , हमहू का डरते है का मिश्रा से”
“ए गोलू तुम का कहे थे की चार लौंडे लेकर आओ , हम लेकर आये अब तुमहू पैसे देने के बख्त नाटक कर रहे हो”,लड़के ने कहा
“अबे कौनसे लौंडे साले तुम्हाए लौंडो ने हमाये सारे प्लान का गुड़-गोबर कर दिया , पेले गए सो अलग और उसके बाद भी तुमहू पैसे मांग रहे हो साले जुतिया देंगे अभी यही पे”,गोलू ने बिफरते हुए कहा
“हां तो हमने भी कोई चुडिया नहीं पहन रखी है”,कहकर लड़का जैसे ही गोलू की तरफ लपका गोलू ने गले से पकड़ कर सर नीचे बेंच से लगाते हुए कहा,”का बे खुद को कानपूर का बड़ा गुंडा समझते हो , अभी दुई कंटाप देंगे ना धर के सारी रंगबाजी निकल जाएगी तुम्हायी समझे”
गोलू को गुस्से में देखकर बाकि के तीन लड़के वहा से निकल लिए चौथे वाले ने गोलू के हाथ के नीचें दबे हुए कहा,”अरे यार गोलू भैया बैठ कर बात करते है ना यार”
गोलू ने सूना तो छोड़ दिया और उसके सामने बैठते हुए कहा,”देखो बाबू ऐसा है प्लान तो हमारा हो चूका फ़ैल , रही बात पैसे की तो वो हम तुमको देंगे नहीं क्योकि तुम्हाये चक्कर में जो रायता फैला है उह समेटने में हमाये हजारो खर्च होने वाले है”
“यार खर्चा पानी तो दे दो”,लड़के ने ऊमीद भरे स्वर में कहा
“जे लो जे रखो”,गोलू ने 100 का नोट लड़के की जेब में रखते हुए कहा और वहा से चला गया। गोलू मिश्रा जी और अपने पिताजी से मार खा लेता था लेकिन कोई और उस पर हाथ उठाये ये उसे कहा मंजूर था। गोलू वहा से सीधा घर चला आया , दिमाग में पिंकी , गुड्डू , शगुन और मिश्रा जी साथ साथ चल रहे थे और इसी चक्कर में गोलू को ध्यान नहीं रहा और वह सामने से आते अपने पिताजी से टकरा गया
“अरे तो का हमाये ऊपर से गुजरोगे ?”,गुप्ता जी ने कहा
“माफ़ करना हम देखे नहीं”,कहकर गोलू साइड से जाने लगा तो गुप्ता जी उसके सामने आ गए और कहा,”तुमने का इह घर को धर्मशाला समझ रखा है की जब जी में आया आये , खाया और निकल लिए ,, हमहू पूछते है गोलू जे घर के लिए कोई जिम्मेदारी है की नहीं तुम्हायी ?”
“देखो पिताजी ऐसा है हमहू पहिले से बहुते परेशान है हम आपके सारे सवालो का जवाब दे देंगे पहिले हमे नहा लेन दयो”,गोलू ने शांत रहते हुए कहा
“आते ही नहाने जा रहे हो ऐसा का करके आये हो ?”,गुप्ता जी ने गोलू के सब्र का इम्तिहान लेते हुए कहा
“नाले में गिर गए थे वही से निकल कर आ रहे है , अब इजाजत दो तो नहा ले हम”,गोलू ने गुस्से से कहा
“छी छी छी छी बस यही सुनना बाकि रह गया था , गज्जू गुप्ता का लड़का शराब पी के अब नालियों में गिरने लगा है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कोई तुमहाओ पतो पूछी है तो हम कही है जे नुकक्कड़ वाली नाली में रहते है गोलू महाराज,,,,,,,,,,,,,,साबास बेटा साबास”,गुप्ता जी ने गोलू का मजाक उड़ाते हुए कहा
“अरे यार पिताजी का कुछो भी बोल रहे है आप , हम ना बाद में बात करते है आपसे”,कहते हुए गोलू अंदर चला गया। गुप्ता जी भी बाहर निकल गए

बनारस , उत्तर-प्रदेश
सुबह सुबह प्रिंसिपल सर सोनिया पर किसी बात को लेकर गुस्सा हो रहे थे। पारस जब कमरे के सामने से निकला तो उसे प्रिंसिपल सर की आवाज सुनाई दी पारस वही दरवाजे पर रुक गया। उसने ध्यान से सब सुना। कुछ देर बाद सोनिया हाथ में एक फाइल पकडे उदास सी कमरे से बाहर आयी उसने पारस पर ध्यान ही नहीं दिया और वहा से निकल गयी। पारस उसके पीछे आया और रोकते हुए कहा,”सोनिया जी”
“जी”,सोनिया ने रूककर पारस की तरफ देखते हुए कहा
“क्या हुआ आज आप बहुत परेशान दिखाई रही है ? सब ठीक है न ?”,पारस ने पूछा
“पारस जी पता नहीं कैसे मुझसे स्टूडेंट्स प्रेजेंस के डाटा गड़बड़ हो गए , शायद किसी ने ओरिजनल पेपर निकालकर डुबलीकेट मेरी फाइल में रख दिया बस इसी बात पर प्रिंसिपल सर नाराज हो रहे थे”,सोनिया ने मुंह लटकाकर कहा
पारस ने सूना तो उसे भी अजीब लगा की आखिर कोई ऐसा क्यों करेगा ? सोनिया को उदास देखकर उसे अच्छा नहीं लग रहा था उसने कहा,”आप परेशान मत होईये , फाइल मुझे दे दीजिये मैं देखता हूँ”
“नहीं पारस जी आप क्यों परेशान ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,सोनिया ने कहना चाहा तो पारस ने उसके हाथ से फाइल लेते हुए कहा,”परेशानी की कोई बात नहीं है , जरुर किसी ने आपको परेशान करने के लिए किया है”
पारस को अपनी परवाह करते देखकर सोनिया ने कहा,”पारस जी क्या आज शाम आप मेरे साथ घाट चलेंगे ? मैं अकेले नहीं जाना चाहती इसलिए कॉलेज के बाद शाम में अगर आप फ्री रहे तो”
पारस सोच में पड़ गया उसे सोच में डूबा देखकर सोनिया ने कहा,”अगर आप बिजी है तो कोई बात नहीं मैं फिर कभी चली जाउंगी”
“शाम 7 बजे चले दिन के बजाय शाम में वह ज्यादा अच्छा दिखता है”,पारस ने सोनिया की तरफ देखकर कहा तो सोनिया ने ख़ुशी ख़ुशी सर हिला दिया। दोनों अलग अलग दिशाओ में आगे बढ गए। पारस अपनी कुर्सी पर आकर बैठा और कम्प्यूटर में स्टाफ रूम का CCTV ऑन करके देखने लगा की आखिर फाइल में हेरा फेरी किसने की ? कुछ देर बाद पारस ने देखा की सोनिया की फाइल में हेर फेर करने वाला कोई और नहीं बल्कि उसी के साथ काम करने वाले तिवारी जी थे। पारस को बहुत बुरा लगा की उन्होंने ऐसा किया
पारस उठा और तिवारी जी के पास आकर कहा,”आपने ऐसा क्यों किया तिवारी जी ?”
“हमने क्या किया ?”,तिवारी जी ने पान चबाते हुए पूछा
“सोनिया की फाइल में हेर फेर करके क्या करना चाहते थे आप ? आपकी वजह से उन्हें प्रिंसिपल सर से कितना कुछ सुनना पड़ा।”,पारस ने अपने गुस्से को काबू में रखते हुए कहा
“आपको बड़ी फ़िक्र हो रही है उनकी , हमने तो बस ऐसे ही थोड़ा सा मजाक किया था”,तिवारी जी ने बेशर्मी से कहा
“मजाक ? आप जानते है वो उम्र में आपसे कितनी छोटी है और मजाक हमेशा अपने बराबर की उम्र वालो के साथ किया जाता है तिवारी जी , बेवजह उन्हें कितना कुछ सुनना पड़ा”,पारस ने गुस्से से कहा तो तिवारी जी को भी गुस्सा आ गया वे अपनी कुर्सी से उठे और कहा,”हां तो तुम क्यों उनके वकील बने घूम रहे हो ? और सुनो पारस हमे मत सिखाओ किस से मजाक करना है और किस से नहीं समझे ?”
“हमे कोई शौक नहीं है किसी का वकील बनने का , ये विद्या का मंदिर है यहाँ हर लड़की का सम्मान हो यही बेहतर है”,कहकर पारस जाने लगा तो तिवारी जी ने कहा,”और कॉलेज के बाहर तुम जो उनके साथ गुलछर्रे उड़ाते हो उनका क्या ?”
इतना सुनते ही पारस के सब्र का बांध टूट गया वह पलटकर तिवारी जी के पास आया और गुस्से से कहा,”जबान सम्हाल के तिवारी जी , आप सीनियर है और उम्र में हमसे बड़े है इसलिए हम कुछ कह नहीं रहे है”
“वरना क्या कर लोगे तुम ? अरे पूरा कॉलेज जानता है तुम्हारे और उसके चक्कर के बारे में,,,,,,,,,,,,,,,,!”,तिवारी जी इतना ही कह पाए थे की पारस ने खींचकर एक थप्पड़ उनके गाल पर रसीद कर दिया। तिवारी का गाल झनझना उठा और उन्होंने बौखलाते हुए कहा,”तुमने तुमने हम पर हाथ उठाया , तुम्हारी इतनी हिम्मत”
पारस ने गुस्से से उनकी तरफ देखा और कहा,”अगर एक शब्द और कहा ना तो यही पटक कर इतना मारेंगे जिँदगीभर भूल नहीं पाओगे ,, हमारी अच्छाई का फायदा मत उठाईये आप , आपने जो किया है वो कॉलेज के CCTV में देख चुके है और आप कहे तो प्रिंसिपल सर को भी दिखा देंगे”
पारस की बात सुनकर तिवारी जी थोड़ा नरम पड़ गए और कहा,”पारस हमने सिर्फ मजाक किया था उनके साथ हमारी ऐसी कोई मंशा नहीं थी , खामखा हमने तुम पर भी गुस्सा कर दिया”
“आगे से ध्यान रखियेगा ऐसी कोई गलती दोबारा ना हो , आपके घर में भी बहन बेटी होगी उनके बारे में कोई ऐसी बाते करे तो उन्हें कैसा लगेगा ?”,कहकर पारस वहा से चला गया। तिवारी जी अपना गाल सहलाते रह गए

कानपूर , उत्तर-प्रदेश दोपहर से शाम हो गयी वेदी दीपक को फोन लगाने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसका फोन नोट रिचेबल आ रहा था। पिछले दो दिन से ना दीपक उसके मैसेज के जवाब दे रहा था ना ही उसका फोन उठा रहा था और आज एकदम से उसका फोन नोट रिचेबल बताने लगा। वेदी को समझ नहीं आ रहा था की आखिर दीपक उसके साथ ऐसा क्यों कर रहा था ? वेदी परेशान सी कमरे में यहाँ से वहा घूम रही थी शगुन उसके लिए चाय लेकर आयी , शगुन ने वेदी को परेशान देखा तो चाय टेबल पर रखकर उसके पास चली आयी और कहा,”क्या हुआ वेदी तुम इतनी परेशान क्यों हो ?”
“भाभी पिछले दो दिन से दीपक ना मेरे मैसेज का जवाब दे रहा है ना ही फोन का और आज तो उसका फोन सुबह से बंद आ रहा है , हमे बहुत टेंशन हो रही कही उसके पापा को तो कुछ,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए वेदी ने परेशानी के भाव से शगुन को देखा
“नहीं वेदी ऐसा कुछ नहीं हुआ होगा , हो सकता है वो किसी काम में फंसा हो तुम वंदना आंटी से बात करो ना”,शगुन ने कहा तो वेदी ने शगुन के सामने ही वंदना को फोन लगाया लेकिन उसका फोन भी बंद आ रहा था। वेदी और परेशान हो गयी तो शगुन उसका हाथ पकड़कर उसे बिस्तर के पास लेकर आयी और बैठाते हुए कहा,”देखो वेदी ऐसे परेशान रहोगी तो घर में शक हो जाएगा। पापाजी पहले से हम सब से इतना नाराज है , तुम थोड़ी दिन इंतजार करो क्या पता दीपक खुद ही तुम्हे फोन कर ले”
“भाभी मुझे बहुत घबराहट हो रही है पता नहीं वो ऐसा क्यों कर रहा है ?”,वेदी ने उदास होकर कहा
“वेदी चिंता मत करो हम सब है ना तुम्हारे साथ , अच्छा ये बताओ प्रीति की सगाई में बनारस चलोगी ना तुम इस बार ?”,शगुन ने पूछा
“हाँ भाभी बिल्कुल चलूंगी , प्रीति ने मुझे कहा है आने को वैसे भी वो और मैं अब दोस्त बन चुके है , अच्छा आप बताओ ना मैं उसके लिए क्या गिफ्ट लेकर जाऊ ?”,वेदी ने पूछा
“तुम्हारी दोस्त है तुम डिसाइड करो , उस से पहले ना ये चाय पि लो ठंडी हो रही है”,शगुन ने उठते हुए कहा तो वेदी मुस्कुरायी और चाय पीने लगी। शगुन कमरे से बाहर चली आयी मिश्राइन ने देखा तो शगुन से कहा,”शगुन बिटिया जरा जे कपडे छत पर सूखा आओगी , हमाये से सीढ़ियों पर बाल्टी लेकर चढ़ा नहीं जाएगा”
“मैं कर दूंगी”,शगुन ने कहा और बाल्टी उठाकर ऊपर छत पर चली आयी। गुड्डू उस वक्त अपने कमरे में था लेकिन शगुन ने ध्यान नहीं दिया। शगुन एक एक करके कपडे सुखाने लगी। कुछ देर बाद गुड्डू वहा से गुजरा तो नजर शगुन पर चली गयी। कपडे झटकने से उसके बालों की लटे चेहरे पर आ रही थी और पानी की बुँदे भी चेहरे पर जम सी गयी। शगुन अपने हाथ से उन्हें साइड कर रही थी। उस वक्त वह गुड्डू को कुछ ज्यादा ही मासूम और प्यारी लग रही थी। गुड्डू वहा दिवार से पीठ लगाकर शगुन को देखने लगा ये सब क्यों हो रहा था गुड्डू नहीं जानता था बस उसे शगुन को देखना अच्छा लग रहा था। वह बड़े प्यार से शगुन को निहार रहा था जैसे ही शगुन ने गुड्डू की तरफ देखा गुड्डू ने नजरे घुमा ली और पास ही पड़ी किताब उठाकर उसे पढ़ने का नाटक करने लगा। शगुन ने एक नजर गुड्डू को देखा और वापस कपडे सुखाने लगी। गुड्डू ने किताब को थोड़ा नीचे किया और फिर शगुन को देखने लगा , किताब से उसका चेहरा ढका हुआ था बस आँखे नजर आ रही थी। गुड्डू शगुन को देखते हुए मन ही मन कहने लगा,”जे ना बोलती हुई ही अच्छी लगती है , चुप चुप रहती है तो लगता है जैसे कुछो गायब है। वैसे हमने भी आज सुबह इन पर कुछो जियादा ही गुस्सा कर दिया था , सॉरी बोल दे का,,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं सॉरी बोलेंगे तो खामखा इनको लगेगा हम इम्प्रेस हो रहे है। पर हमायी वजह से पिताजी ने भी इनको डाट दिया जे गलत हुआ , सारा किया धरा ना गोलू का है वो ना पार्टी में लेकर जाता ना जे सब होता,,,,,,,,,,,,,,,,यार जे तो हमायी तरफ देख तक नहीं रही है लगता है कुछो जियादा ही नाराज है , पर हम काहे इतना परेशान हो रहे है ?,,,,,,,,,,लगता है जल्दी ही पगला जायेंगे इन सब में”
सोचते हुए गुड्डू ने जैसे ही सामने देखा शगुन बिल्कुल उसके सामने खड़ी उसे देख रही थी। गुड्डू कुछ कहता इस से पहले ही शगुन ने उसके हाथ में पकड़ी किताब को सीधा करके गुड्डू के हाथो में वापस दे दिया और चली गयी। शगुन के जाने के बाद गुड्डू ने किताब को बंद किया और अपने ही सर पर मार ली। सीढ़ियों से नीचे जाते हुए शगुन ने अपनी गर्दन घुमाई और गुड्डू को देखा जब वो किताब को अपने सर पर मार रहा था। शगुन मुस्कुराई और नीचे चली गयी

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संजना किरोड़ीवाल

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