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मनमर्जियाँ – S7

Manmarjiyan – S7

Manmarjiyan S2 - 7

मनमर्जियाँ – S7

गोलू ने गुड्डू से एक दो बार शगुन के बारे में पूछा लेकिन गुड्डू को कुछ याद नहीं था। दिनभर गोलू गुड्डू के साथ ही रहा। लोग गुड्डू के सामने कही उसकी शादी या शगुन का जिक्र ना कर दे सोचकर मिश्रा जी ने सबको गुड्डू से मिलने से मना कर दिया। गुड्डू गोलू से बात करते करते सो गया। शाम में गोलू को पिंकी से मिलने जाना था इसलिए उसने गुड्डू से कुछ देर बाहर जाकर आने को कहा।
गुड्डू अब ठीक था इसलिए उसने जाने को कह दिया जल्दी आने का कहकर गोलू वहा से निकल गया। गोलू मोती झील पहुंचा वहा पर उसे पिंकी बैठी मिल गयी गोलू उसके पास चला आया और कहा,”काहे बुलाया हमे ?”
पिंकी ने गोलू को देखा तो मुस्कुरा उठी और कहने लगी,”जबसे गुड्डू का एक्सीडेंट हुआ है कितना बदल गए हो तुम गोलू , तुम्हे ख्याल भी है खुद का , क्या हालत बना रखी है खुद की ,, कल तुम्हारी अम्मा मिली थी हमे बाजार में बता रही थी तुम्हारे बारे में ना तुम ठीक से सोते हो ना खाते हो , दिनभर हॉस्पिटल में रहते हो ऐसे तो तुम खुद बीमार पड़ जाओगे गोलू”
पिंकी की बातो में अपने लिए परवाह देखकर गोलू को अच्छा लगा उसने कहा,”का करे पिंकिया एक गुड्डू भैया ही है जो हमाये सबसे खास है और हमाये दोस्त है , उनको ऐसी हालत में देखकर अच्छा नहीं लग रहा”
“समझ सकती हूँ गोलू , मुझे भी बहुत बुरा लगा गुड्डू की ये हालत देखकर पर वो जल्दी ही ठीक हो जाएगा”,पिंकी ने कहा
“एक ठो बात बताओ पिंकिया पहले तुमहू हमेशा गुड्डू भैया के खिलाफ बोलती थी आज उनकी परवाह जता रही हो , माजरा का है ?”,गोलू ने कहा
पिंकी की आँखो में एक चमक उभरी और उसने कहा,”प्यार सब बदल देता है गोलू”
“प्यार ?,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने हैरानी से कहा तो पिंकी ने बात बदलते हुए कहा,”हमारा मतलब आओ ना बैठो हम तुम्हारे लिए कुछ लाये है”
“का ?”,गोलू ने पानी से कुछ दूर बैठते हुए कहा , पिंकी उसकी बगल में आ बैठी और अपने साथ लाया टिफिन का ढक्कन खोलकर गोलू के सामने करके कहा,”लो खाओ”
“पोहा,,,,,,,,,,,,,तुम्हे कैसे पता हमे पोहा पसंद है ?”,गोलू ने टिफिन लेकर कहा
“कल तुम्हायी अम्मा ने बताया तो आज मैंने बनाया”,पिंकी ने कहा
“का तुमहू हमाये लिए बनायीं हो ?”,गोलू ने हैरानी से पिंकी की और देखकर कहा
“हां गोलू हमने तुम्हारे लिए ही बनाया है , खाओ ना”,पिंकी ने बड़े प्यार से कहा।
“जे तो कमाल हो गया पिंकिया , तुम्हाये जैसी लड़की बदल सकती है हमे यकीन नहीं हो रहा”,गोलू ने कहा तो पिंकी ने चिढ़ते हुए कहा,”हमारे जैसी से तुम्हारा क्या मतलब है गोलू , का मतलब हम कुछो बना नहीं सकते”
“अरे मजाक कर रहे है रुको चखकर देखते है”,कहते हुए गोलू ने एक निवाला खाया पोहा सच में बहुत टेस्टी बना था , एक दो निवाले खाकर गोलू ने कहा,”बहुते अच्छा बना है ल्यो तुमहू भी खाओ , रुको हम ही खिला देते है” कहते हुए गोलू ने अपने हाथ से एक निवाला पिंकी को खिला दिया। पिंकी तो बस गोलू को देखते ही रह गयी। हमेशा उसे परेशान करने वाला , चिढ़ाने वाला गोलु आज उसे इतने प्यार से खिला रहा था। ये देखकर ना जाने क्यों पिंकी की आँखों में नमी आ गयी , आँखों की नमी देखकर गोलू ने कहा,”अरे तुम्हायी आँखे काहे नम है ?”
“आज से पहले किसी ने भी इतने प्यार से नहीं खिलाया”,पिंकी ने कहा
“हम जिंदगीभर खिलाने को तैयार है”,गोलू ने धीरे से कहा तो पिंकी का दिल धड़कने लगा और वह दूसरी और देखने लगी। प्यार दोनों को था बस दोनों में कोई भी कह नहीं पा रहा था। गोलू ने पोहा खत्म किया और टिफिन पिंकी की और बढ़ाते हुए कहा,”जिंदगी भी ना कितने इम्तिहान लेती है , जब गुड्डू भैया की जिंदगी में प्यार नहीं तब खुश थे वो साला कोई टेंशन ही नहीं थी , पर जब उन्हें प्यार हुआ प्यार का अहसास हुआ जे सब हो गया (पिंकी की और पलटते हुए) पता है पिंकिया जॉन लड़की से भैया बहुते प्यार करते है आज उसी को नहीं पहचान पा रहे है ,,,,,,,,,,,,,,,,साला कितना दुःख हो रहा है हमे उनके मुंह से जे सुनकर की कौन शगुन ?,,,,,,,,,,,,यार वहा भाभी दुःख में है यहाँ साला हम दुःख में है की इनको मिलाये तो कैसे मिलाये ?,,,,,,,,,,,,,,,भैया को तो कुछो याद ही नहीं है”
गोलू को परेशान देखकर पिंकी ने अपना नाजुक हाथ उसके हाथ पर रखा तो गोलू को अच्छा लगा उसने पिंकी के हाथ को अपने हाथ में थाम लिया और कहने लगा,”हम सब पहले जैसा करना चाहते है पिंकीया , वही पहले वाले हँसते मुस्कुराते गुड्डू भैया , वही दिनभर उनके साथ घूमते हम , वही घर में सबकी परवाह करने वाली भाभी , वही मिश्रा जी की डांट लेकिन सब बदल गया है , उस एक हादसे ने सब बदल दिया है पिंकी”
“गोलू कुछ ऐसा जिसे देखकर गुड्डू को अपनी शादी याद आ जाये या फिर शगुन के लिए अपना प्यार,,,,,,,,,,,,हमारा मतलब कभी ना कभी तो गुड्डू ने तुमसे कहा होगा की वो शगुन से प्यार करता है , याद करो ऐसा कोई सामान जो शगुन और गुड्डू से जुड़ा हो , या ऐसी कोई बात”,गोलू को परेशान देखकर पिंकी ने आईडिया देते हुए कहा
गोलू सोचने लगा अचानक से उसे उस शाम बनाया वो विडिओ याद आया जिसमे गुड्डू शगुन के लिए अपनी फीलिंग्स बयां कर रहा था। उसने खुश होकर कहा,”अरे हां हमाये फोन में एक विडिओ है जिसमे गुड्डू भैया शगुन भाभी के लिए अपनी भावनाये बता रहे थे”
“फिर तो सही है गोलू गुड्डू को वो विडिओ दिखाते है क्या पता उसे सब याद आ जाये”,पिंकी ने कहा
“तुमहू ना बहुते सही हो यार पिंकी मतलब हमायी परेशानी का एक झटके में हल निकाल दी”,गोलू ने खुश होकर कहा
“हम बस तुम्हे खुश देखना चाहते है गोलू”,पिंकी ने गोलू की आँखों में झांकते हुए कहा तो गोलू एक पल के लिए खामोश हो गया और फिर उठते हुए कहा,”हम पहले जाकर गुड्डू भैया को वो विडिओ दिखाते है उसके बाद आकर तुमसे मिलेंगे”
“ऑल द बेस्ट गोलू हम महादेव से दुआ करेंगे शगुन और गुड्डू मिल जाये”,पिंकी ने कहा तो गोलू जाने लगा जाते जाते गोलू रुका और पिंकी के सामने आकर कहा,”बुरा ना मानो तो तुम्हे एक बार गले लगाए”
“हम्म्म्म”,पिंकी ने मुस्कुराते हुए हामी भर दी तो गोलू ने उसे गले लगाया और कहने लगा,”हमे माफ़ कर देना पिंकिया हमने तुम्हे बहुते परेशान किया है , बहुत उलटा सीधा बोला है लेकिन आज तुम्हारी आँखों में अपने और गुड्डू भैया के लिए परवाह देखकर हमे अच्छा लगा , हम जल्दी ही तुमसे मिलेंगे बहुत कुछ है जो हमे तुमसे कहना है”
कहते हुए गोलू पिंकी से दूर हटा तो पिंकी ने उसका हाथ अपने हाथो में लेकर कहा,”तुमने हमे बदल दिया है गोलू , अब हम वो पिंकी नहीं रहे ,, हम तुम्हारा इंतजार करेंगे”
गोलू ने सूना तो ख़ुशी से उसका दिल झूम उठा पिंकी की आँखों में भी वही प्यार नजर आ रहा था जो वह अक्सर अपनी आँखों में देखता था। दो प्यार करने वाले (शगुन-गुड्डू) जुदा जरूर हुए लेकिन गोलू पिंकी के दिलो में एक दूसरे के लिए प्यार जगा दिया। गोलू पिंकी को बाय बोलकर वहा से निकल गया और सीधा घर चला आया अपना फोन लेने।

बनारस , उत्तर-प्रदेश
पारस ने शगुन और उसके घरवालों की काफी मदद की थी। शगुन को उसके घर सही सलामत छोड़कर वह अपने घर चला आया। घर में आते ही उसने देखा की उसकी बड़ी बहन आयी हुई है पारस उनसे मिला घरवालों से पारस ने झूठ बोल दिया था की वह टूर पर था लेकिन उसके झूठ को उसकी बहन ने भांप लिया। कुछ देर बाद वह पारस के कमरे में आयी और कहा,”पारस तीन-चार दिन से कहा था तू ?”
“बताया था ना दीदी टूर से बाहर गया था”,पारस ने अपनी बहन से नजरे चुराते हुए कहा
“मैंने आज सुबह तुम्हे सिटी हॉस्पिटल के बाहर देखा था (पारस की बहन ने जैसे ही कहा पारस ने उनकी और हैरानी से देखा तो उन्होंने आगे कहा) शगुन के साथ,,,,,,,,,,,,,,,,,,पारस मैं जानना चाहती हूँ आखिर तू कर क्या रहा है ?”,पारस की बहन शिवानी ने कहा
शिवानी को सब पता चल चुका है ये जानकर पारस ने उन्हें बैठने का इशारा किया और फिर खुद उनके सामने बैठकर सब बताने लगा। सारी बाते सुनने के बाद शिवानी ने कहा,”बेचारी शगुन उसके साथ ये अच्छा नहीं हुआ पारस , अपनी शादी से वो कितना खुश थी और अचानक ये सब”
“अभी वो ठीक है लेकिन गुड्डू,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते पारस रुक गया
“गुड्डू क्या पारस ?”,शिवानी ने पूछा
“गुड्डू की यादास्त चली गयी है दी , उसे कुछ याद नहीं ना शगुन ना अपनी शादी , और इस वजह से शगुन बहुत टेंशन में है”,पारस ने कहा
“ये तो और भी बुरा हुआ पारस , लेकिन विनोद अंकल को शगुन के घरवालों के साथ ये सब नहीं करना चाहिए था , मास्टर साहब कितने अच्छे और सच्चे आदमी है यार”,शिवानी ने दुःख जताते हुए कहा
“वो सब परेशानी ठीक हो चुकी है दी मुझे बस शगुन की परवाह हो रही है”,पारस ने खोये हुए स्वर में कहा
“विनोद अंकल को देने के लिए तेरे पास इतने पैसे कहा से आये ?”,शिवानी ने अचानक पूछ लिया तो पारस उठा और खिड़की के पास चला आया बाहर देखते हुए जवाब दिया,”जमा पैसो में से दे दिए”
“पारस तू पागल हो गया है क्या वो पैसे तूने अपनी शादी के लिए जमा किये थे”,शिवानी ने एकदम से कहा
“शादी से ज्यादा जरुरी था शगुन का घर बचाना”,पारस ने कहा
“और शगुन के लिए तूने इतना बड़ा कदम उठा लिया एक बार भी नहीं सोचा की वो तेरी अब तक सारी कमाई थी , उसके बिना अपने सपने पुरे नहीं कर पायेगा तू,,,,,,,,,,,,,पारस तू सुन रहा है ना मैं क्या कह रही हूँ”,कहते हुए शिवानी ने पारस के कंधे पर हाथ रखकर उसे अपनी और किया तो देखा उसकी आँखों में नमी थी। शिवानी ने बेचैनी से पारस को देखते हुए कहा,”तू अब भी शगुन से प्यार करता है ?”
पारस ने सूना तो शिवानी से नजरे चुराई और जाते हुए कहा,”मैं किसी काम से बाहर जा रहा हूँ दी , शाम में मिलता हूँ”
पारस शिवानी के सवाल का जवाब दिए ही वहा से चला गया। शिवानी भी वहा से चली गयी

अपने कमरे में गुड्डू की तस्वीर हाथो में लिए शगुन उदास सी गुड्डू की तस्वीर को निहार रही थी। गुड्डू के साथ बिताया एक एक पल उसकी आँखों के सामने किसी फिल्म सा चल रहा था। गुड्डू का मुस्कुराना , उसका मुंह बनाना , खुलकर हसना , उसका बार बार अपने बालो में हाथ घुमाना , शगुन को परेशान करना सब बाते उसके दिमाग में चल रही थी। गुड्डू के बिना उसे बनारस भी अब फीका सा लगने लगा था। उसे याद करते करते शगुन की आँख से एक बून्द आंसू निकलकर तस्वीर पर आ गिरा। उसी वक्त गुप्ता जी शगुन के कमरे में आये शगुन को उदास देखा तो उसके पास चले आये और कहा,”दामाद जी के बारे मे सोचकर उदास हो रही हो ?”
“पापा आप,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने गुड्डू की तस्वीर किताब में वापस रखते हुए कहा
गुप्ता जी उसकी बगल में आ बैठे और कहने लगे,”पता है शगुन जब तुम्हारी माँ और मेरी शादी हुई थी तब तुम्हारी माँ की बीमारी की वजह से वो 2 साल तुम्हारे नाना के घर में रही थी , उन दो सालो में मैं तुम्हारी माँ से शायद 2-3 बार मिलने गया होगा। तुम्हारी माँ और मैं दो साल एक दूसरे से दूर रहे लेकिन हमारा प्यार कम नहीं हुआ वो हमेशा उतना ही था,,,,,,,,,,,,,,,दूरिया दो लोगो के बीच को कम नहीं करती है बेटा बल्कि उस प्रेम को और मजबूत कर देती है। दामाद जी ने अग्नि के सामने तुमसे 7 फेरे लिए है तुम दोनों का रिश्ता अटूट है , हर इंसान की जिंदगी में उतार चढाव आते है , तुम्हारी जिंदगी में भी आया है लेकिन देखना ये दूरियां तुम्हे उनके करीब ले आएगी”
शगुन ने नम आँखों के साथ गुप्ता जी की और देखा तो उन्होंने शगुन के गाल को छुआ और कहने लगे,”ऐसे उदास रहना , दिनभर खुद को परेशान रखना कहा है सही बेटा , गुड्डू जी यहाँ होते और तुम्हे इस हाल में देखते तो उन्हें भी अच्छा नहीं लगता। तुम्हारी ताकत तुम्हारी मुस्कान में है शगुन , महादेव जल्दी ही तुम दोनों की जिंदगी में सब सही कर देंगे बस उन पर भरोसा रखो”
शगुन गुप्ता जी के सीने से आ लगी और कहने लगी,”मैं उन्हें पहले जैसा देखना चाहती हूँ पापा”
“महादेव तुम्हारी जरूर सुनेंगे”,गुप्ता जी ने शगुन का सर सहलाते हुए कहा
“मैं कानपूर जाना चाहती हूँ पापा”,शगुन ने उनके सीने से सर हटाकर उनकी और देखते हुए कहा
“लेकिन बेटा ऐसे अचानक,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा
शगुन ने उनके हाथो को अपने हाथो में लिया और कहने लगी,”मुझे जाने दीजिये पापा , वो मेरे सामने रहेंगे तो मुझे हिम्मत मिलेगी। मैं मैं उनके सामने नहीं जाउंगी दूर से ही उन्हें देख लिया करुँगी। प्लीज पापा मुझे जाने दीजिये उन्हें मेरी जरूरत है पापा”
शगुन की बाते सुनकर गुप्ता जी सोच में पड़ गए और फिर कहा,”ठीक है मैं कल मिश्रा जी से बात करके देखता हूँ”
“थैंक्यू पापा , थैंक्यू सो मच”,कहते हुए शगुन ने अपना सर उनके कंधो पर टिका लिया। कुछ देर बाद प्रीति वहा आयी और कहा,”लो आप लोग यहाँ हो और मैं पुरे घर में चक्कर लगा आयी”
“क्या हुआ प्रीति ?”,गुप्ता जी ने कहा तो प्रीति ने उनके सामने आकर एक कागज उनकी और बढाकर कहा,”पापा मुझे जॉब मिल गया है”
“जॉब ? तुम्हे जॉब की क्या जरूरत है ?”, गुप्ता जी ने कहा तो प्रीति उनके दूसरी तरफ बैठी और कहने लगी,”जरूरत है पापा , आप अकेले कब तक घर की उठाएंगे इसलिए मैंने कुछ दिन पहले ही जॉब के लिए अप्लाई किया था।”
“लेकिन तुम्हारी क्लासेज ?”,शगुन ने कहा
“दी वो सब मैं एडजस्ट कर लुंगी पहले ये लो प्रशाद”,प्रीति ने हाथ में पकड़ा दोना शगुन की और बढ़ाकर कहा
“तुम्हारी जॉब की ख़ुशी में ?”,शगुन ने पूछा
“नहीं दी मैंने जीजू के लिए मन्नत मांगी है की और वो जल्दी से ठीक हो जाये और आप दोनों फिर से एक हो जाये”,प्रीति ने कहा तो शगुन मुस्कुरा दी। अपने पापा और बहन के दिल में गुड्डू के लिए प्यार देखकर शगुन को बहुत अच्छा लगा। गुप्ता जी कुछ देर वही रुके और फिर नीचे चले गए
कानपूर , उत्तर-प्रदेश
पिंकी से मिलने के बाद गोलू सीधा घर आया उसने अपने घर का कोना कोना छान मारा लेकिन उसे कही अपना फोन नहीं मिला। गोलू परेशान हो गया वो फोन ही एक उम्मीद था जिस से वह गुड्डू के सामने सच्चाई ला सकता था लेकिन वह फोन भी अब गायब था गोलू ने अपने उस नंबर पर फोन भी किया लेकिन फोन बंद , गोलू की परेशानी और बढ़ गयी। बुझे मन से वह वापस हॉस्पिटल चला आया , रूम में आकर उसने देखा गुड्डू आराम से सोया हुआ है और मिश्राइन और मिश्रा जी वहा बैठे है। अपने चेहरे की उदासी उसने किसी के समाने जाहिर नहीं होने दी
उधर शर्मा जी को जब पता चला पिंकी फिर गोलू से मिलने गयी है तो शर्मा जी ने अपनी पत्नी को बुलाया और कहा,”आज से इस लड़की का घर से बाहर निकलना बंद और अगर वो बाहर गयी तो तुम्हारी खैर नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,मेरी इज्जत मिटटी में मिलाने में लगी है ये लड़की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं कल ही जाकर पंडित जी से इसके रिश्ते की बात करता हूँ”
कहते हुए शर्मा जी गुस्से में वहा से चले गए

क्रमश – मनमर्जियाँ – S8

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संजना किरोड़ीवाल

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