Main Teri Heer – 76
Main Teri Heer – 76

इंस्पेक्टर उर्वशी को लेकर विक्रम के घर से बाहर आया और नीलिमा भी उन दोनों के पीछे चली आयी। इंस्पेक्टर ने उर्वशी को जीप में बैठने को कहा तो नीलिमा ने कहा,”मुझे भी इनके साथ जाना है”
“ठीक है बैठो,,,,,,,,,,,!!”,इंस्पेक्टर ने कहा और दोनों को जीप में बैठकर दरवाजा बंद कर दिया।
जीप से कुछ दूर साइड में आकर उसने जेब से सिगरेट निकाली और उसे जलाकर जैसे ही होंठो के बीच रखने को हुआ शक्ति वहा आया और उसके हाथ से सिगरेट लेकर अपने होंठो के बीच रखकर एक कश मारा और धुँआ हवा में छोड़ते हुए कहा,”काम हुआ ?”
“वो दोनों अंदर है,,,,,,,,!!”,इंस्पेक्टर ने जीप की चाबी शक्ति की ओर बढ़ाकर कहा
शक्ति ने इंस्पेकटर का कंधा थपथपाया और जीप की तरफ बढ़ गया। दरअसल इंस्पेक्टर पुलिस स्टेशन से नहीं बल्कि शक्ति के कहने पर आया था ताकि वह बिना किसी को शक हुए उर्वशी को इन लोगो के चंगुल से निकाल सके। शक्ति ने जीप का दरवाजा खोला और ड्राइवर सीट पर आ बैठा।
नीलिमा ने देखा इंस्पेक्टर की जगह कोई और आया है तो उसने घबराहट भरे स्वर में कहा,”तुम कौन हो ? और इंस्पेक्टर कहा है ?”
शक्ति ने कुछ नहीं कहा बस पलटकर नीलिमा को देखा तो हैरानी से उसकी आँखे फ़ैल गयी। उर्वशी को शक्ति याद नहीं था क्योकि उस रात वह नशे में थी और शक्ति का चेहरा ठीक से देख नहीं पायी थी।
“सर आप ?”,नीलिमा ने कहा
शक्ति ने जीप स्टार्ट की और आगे बढ़ाते हुए कहा,”इस शहर में सिर्फ हम ही है जो उर्वशी को इन सब से बचा सकते है,,,,,,,,,,,,!!”
“लेकिन आप हमारी मदद क्यों कर रहे है ?”,नीलिमा ने बेचैनी भरे स्वर में कहा
“हम तुम्हारी नहीं अपनी मदद कर रहे है”,शक्ति ने कहा और सामने देखते हुए गाडी चलाने लगा।
“नीलिमा कौन है ये ?”,उर्वशी ने धीमे स्वर में पूछा
“ये इस शहर के DCP सर है माँ लेकिन ये हमारी मदद क्यों कर रहे है मैं नहीं जानती,,,,,,,,,,!!”,नीलिमा ने कहा
एक पुलिसवाला उसकी मदद कर रहा है जानकर उर्वशी भी उलझन में पड़ गयी। आगे उसके साथ क्या होने वाला था ये तो वह नहीं जानती थी लेकिन इतना जान चुकी थी कि ये खेल अब अपने आखरी पड़ाव पर था। उसने आँखे मुंदी और सर सीट से लगा लिया।
नवीन , मेघना और निशि अपने अपने सामान के साथ स्टेशन जाने के लिए तैयार खड़े थे। अधिराज जी और अम्बिका ने उन्हें कुछ तोहफे और मिठाई के डिब्बे दिए तो नवीन ने कहा,”अरे सर ! इन सब की क्या जरूरत थी”
” जरूरत क्यों नहीं है नवीन ? क्या तुम हम लोगो को अपना नहीं समझते या अपने बराबर नहीं समझते हम्म्म्म ?”,सारिका ने बड़े प्यार से कहा
“कैसी बाते कर रही है मैडम ? मैं कभी आप लोगो की बराबरी नहीं कर सकता , आपने मुझे और मेरे परिवार को इतना प्यार और मान सम्मान दिया यही मेरे लिए बहुत बड़ा तोहफा है मैडम,,,,,,,,,,,,!!”,नवीन ने आत्मीयता से कहा
मेघना और निशि सबसे मिली। निशि जैसे ही सारिका के सामने आयी सारिका बड़े प्यार से उसे देखने लगी और उसके गाल को छूकर एकदम से कहा,”हमेशा के लिए बनारस आना चाहोगी निशि ?”
निशि ने सुना तो उसका दिल धड़कने लगा , लगा जैसे सारिका ने उसकी आँखों में उसके दिल का हाल पढ़ लिया हो,,,,,,,,,,निशि को खामोश देखकर सारिका ने कहा,”जब पहली बार तुम से मिले तब तुम हमे अच्छी लगी पर इस बार थोड़ी ज्यादा अच्छी लगी , हम चाहते है तुम एक बार फिर बनारस आओ , तुम्हारे मन में जो सवाल चल रहे है उनका जवाब ढूंढने,,,,,,,,,,क्या पता तुम्हारे सवालो का जवाब तुम्हे बनारस में मिल जाये,,,,,,,,,,!!”
निशि अब भी ख़ामोशी से सारिका को देखे जा रही थी , वह बहुत कुछ कहना चाहती थी पर शब्द जैसे उसके गले में अटक से गए वह कुछ बोल ही नहीं पायी। नवीन निशि के पास आया और धीरे से उसकी बांह छूकर कहा,”निशि गाडी आ गयी है , चलो आओ”
निशि जैसे ही जाने लगी सारिका ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”मुन्ना और गौरी की शादी में तुम बनारस आओगी ना निशि ?”
निशि ने हामी में सर हिला दिया और वहा से चली गयी उसका दिल अब भी धड़क रहा था। सभी नवीन मेघना और निशि को बाय बोलने बाहर चले आये बस सारिका वही आँगन में रुक गयी उसकी आँखों के सामने सालों पहले की घटनाये चलने लगी जब वह अपने सवालो का जवाब तलाश करने बनारस गयी थी और जवाब में उसे शिवम् मिला हमेशा के लिए,,,,,,,,,,,,,!!
सारिका के पास से गुजरती अनु ने जब सारिका को वही खड़े देखा तो कहा,”क्या हुआ दी चलो ना ? नवीन और उसकी फॅमिली को बाय बोलकर आते है,,,,,,,,,,,,,,!!”
सारिका अनु के साथ बाहर चली आयी। भोला ने सामान रखवाने में नवीन की मदद की और फिर नवीन सबको नमस्ते कर वहा से चला गया। निशि ने पलटकर मुन्ना के कमरे की बंद खिड़की को देखा वह जाने से पहले वंश को एक बार देखना चाहती थी लेकिन वंश ना उसे बाय बोलने आया ना ही उसके मैसेज का जवाब दिया , आज वंश के साथ साथ मुन्ना भी वहा मौजूद नहीं था। भारी मन के साथ निशि वहा से चली गई साथ ही उसे वंश पर गुस्सा भी आ रहा था।
“ये यादव कहा मर गया , मेरा फोन क्यों नहीं उठा रहा ?”,अपनी गाड़ी में बैठे चौहान साहब ने फोन कान से लगाए हुए गुस्से से कहा
चौहान साहब ने एक बार और नंबर डॉयल किया लेकिन इस बार भी यादव ने फोन नहीं उठाया। चौहान साहब ने अपना फोन साइड में फेंक दिया और ड्राइवर से चलने को कहा। कुछ देर बाद गाडी आकर एक गेस्ट हॉउस के सामने रुकी। चौहान साहब गाड़ी से उतरे और अंदर चले गए। अंदर आकर चौहान साहब एक गैलेरी की तरफ बढ़ गए और आगे बढ़ने लगे। गैलरी के आखिर में एक दरवाजा था जिसे खोलकर चौहान साहब अंदर आये।
कमरे में DIG सर पहले से मौजूद थे। चौहान साहब आकर सोफे पर बैठे और गुस्से से दबी आवाज में कहा,”ये सब क्या हो रहा है DIG ? तुम एक DCP को नहीं सम्हाल पा रहे,,,,,,,,,,,,,,मैं यहाँ सिर्फ दो दिन के लिए आया था लेकिन तुम लोगो ने मुझे फंसा कर रख दिया है। मत भूलो DIG मैं कौन हूँ ? मैं चाहु तो एक मिनिट में तुम सबको रास्ते पर ला सकता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“तो तुम से किसने कहा था जॉर्डन को मार दो,,,,,,,,,,,,तुम पागल हो क्या चौहान ? ये सब तुम्हे मजाक लगता है तुम्हे पता है ऊपर से मुझे कितना प्रेशर आ रहा है,,,,,,,,,,,,,,!!”,DIG सर ने भी गुस्से से कहा
“तो और मैं क्या करता ? आशिफ की कोई खबर नहीं थी और वो जॉर्डन वो उस उर्वशी से हाथ मिला चुका था,,,,,,,,,,,,,जख्म नासूर बने उस से पहले उसका इलाज हो जाना जरुरी है DIG,,,,,,,,,,,,,ये सब मैं सम्हाल लूंगा तुम ये बताओ उस DCP का कुछ पता चला ? क्या चाहता है वो ?”,चौहान साहब ने कहा
“वो हाथ धोकर हम सबके पीछे पड़ गया है , मैंने कहा था विक्रम से उस DCP से मत उलझो पर उसने मेरी बात नहीं सुनी,,,,,,,,,,,,,,,हम सब फसने वाले है चौहान,,,,,!!”,DIG सर ने कहा
चौहान साहब ने सिगरेट निकालकर होंठो के बीच रखी और जलाते हुए कहा,”रिलेक्स DIG ! वो DCP मुझ तक नहीं पहुँच सकता,,,,,,,,,,,विक्रम कहा है ?”
“मैंने उसे फोन किया है वो बस आता ही होगा,,,,,,,,,,!!”,DIG सर ने कहा
कुछ देर बाद विक्रम कमरे में दाखिल हुआ उसने DIG और चौहान साहब को वहा एक साथ देखा और कहा,”DIG इस वक्त तुमने मुझे यहाँ क्यों बुलाया है ?”
“DIG ने नहीं तुम्हे मैंने बुलवाया है , उर्वशी कहा है ?”,चौहान साहब ने गंभीरता से कहा
“हवालात में और कहा ? DIG बताओ इसे अभी कुछ देर पहले ही तुम्हारा इंस्पेक्टर मेरे घर से उर्वशी को अरेस्ट करके लेकर गया है”,विक्रम ने बेपरवाही से कहा
“उर्वशी तुम्हारे घर पर क्या कर रही थी ? क्या तुमने शालू को सच,,,,,,,,,,,,,!!”,चौहान साहब ने चौंकते हुए कहा
चौहान साहब की बात सुनकर विक्रम के चेहरे से गुस्से के भाव झलकने लगे और उसने कहा,”वो खुद को बहुत बड़ी प्लेयर समझती है चौहान , सच बताने आयी थी कबीर को लेकिन उस से पहले मैंने ही उसकी धज्जिया उड़ा दी और रही सही कसर DIG ने पूरी कर दी , उसे जॉर्डन के क़त्ल के इल्जाम में अरेस्ट करके,,,,,,,,,,,,,!!”
“लेकिन मैंने किसी को नहीं भेजा , जॉर्डन का कत्ल हो चुका ये बात मुझे यहाँ आने के बाद पता चली है,,,,,,,,,,,,,मैं किसी को क्यों भेजूंगा ?”,DIG सर ने कहा
“क्या तुमने नहीं भेजा ? तो फिर वो पुलिसवाला कौन था ?”,विक्रम ने कहा
चौहान साहब ने सूना तो मुस्कुराने लगे और कहा,”बहुत बढ़िया उर्वशी ! उसने तुम सबको बेवकूफ बनाया है ,, तुम्हारे ही मुंह से शालू के सामने तुम्हारा सच कहलवा दिया और बहाना बनाकर वहा से निकल गयी ,, वो पुलिस वाला भी उसका ही आदमी होगा,,,,,,,,,,,,!!”
“कही वो शक्ति तो,,,,,,,,,,,!!”,विक्रम ने कहा
“नहीं शक्ति उर्वशी को नहीं जानता ना ही वो उर्वशी के बारे में कुछ जानता है,,,,,,,,,!!”,DIG सर ने कहा
“तो क्या कोई और भी है जो हमारा दुश्मन हो सकता है,,,,,,,,,,?”,विक्रम ने कहा
“मैं नहीं जानता मैं बस इतना जानता हूँ कि कुछ दिनों के लिए अब हमे एक दूसरे से नहीं मिलना चाहिए,,,,,,,,,,,,,चौहान तुम्हारा वो आखरी आर्डर कब है ?”,DIG सर ने गंभीरता से पूछा
“आज रात उसके बाद मैं दिल्ली निकल जाऊंगा,,,,,,,,,,!!”,चौहान साहब ने कहा
“मैं भी कल सुबह शालू के साथ कही वेकेशन पर चला जाता हूँ,,,,,,,,,,,!!”,विक्रम ने कहा
“जब तक ये मामला शांत नहीं हो जाता तुम दोनों का इस शहर से बाहर रहना ही सही रहेगा,,,,,,,,,कुछ वक्त बाद शक्ति भी अपनी ड्यूटी फिर से ज्वाइन कर लेगा और उसके बाद मैं किसी को नहीं बचा पाऊंगा,,,,,,,,तब तक मैं सब सम्हाल लूंगा,,,,,!”,DIG सर ने कहा
“ठीक है,,,,,,,,!!”,चौहान साहब ने कहा और उसके बाद तीनो वहा बैठकर शराब पीने लगे।
शक्ति उर्वशी और नीलिमा को लेकर अपने घर चला आया। शक्ति ने उन्हें अंदर लेकर आया और कहा,”हम जानते है इस वक्त आप लोगो के मन में बहुत से सवाल चल रहे है , लेकिन इस वक्त हम उन सवालो के जवाब नहीं दे सकते,,,,,,,,,जब तक इन लोगो का सच सबके सामने नहीं आ जाता तब तक आप दोनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है , इसे अपना ही घर समझिये,,,,,,,,,!!”
उर्वशी ने सुना तो शक्ति के सामने आयी और कहा,”तुम हमारी मदद क्यों कर रहे हो ? तुम उन लोगो को नहीं जानते वो तुम्हे भी बर्बाद कर देंगे”
शक्ति ने कुछ नहीं कहा और वहा से चला गया। शक्ति के जाने के बाद उर्वशी ने कहा,”नीलिमा चलो यहाँ से , मुझे ये DCP सरफिरा लग रहा है , ये हमारी क्या मदद करेगा ?”
नीलिमा ने उर्वशी को रोका और कहा,”माँ अब तक आपने अपनों पर भरोसा किया और उन सबने धोखा दिया इस बार गैर पर सही,,,,,,,,,,,DCP सर शुरू से कबीर के साथ थे लेकिन हम लोग ही ये समझ नहीं पाये,,,,,,,,,,!!”
नीलिमा की बात सुनकर उर्वशी सोच में पड़ गयी वह समझ नहीं पा रही थी क्या सही है और क्या गलत ? वह थकी हुई सी वहा रखे सोफे पर आ बैठी और नीलिमा उसके बगल में बैठकर शक्ति के वापस आने का इंतजार करने लगी।
नवीन , मेघना और निशि रेलवे स्टेशन पहुंचे। नवीन ने दोनों को वेटिंग एरिया में बैठने को कहा और खुद टिकट कन्फर्म करने चला गया। ट्रैन आने में अभी पुरे 40 मिनिट का समय था। नवीन वापस आया और तीनो बाहर चले आये क्योकि अंदर बहुत भीड़ थी। बाहर एक खाली पड़ी बेंच पर आकर नवीन , निशि और मेघना बैठ गए। मेघना और नवीन मुन्ना और गौरी की सगाई के बारे में बात करने लगे कि सब कितना अच्छे से हो गया लेकिन निशि अपनी ही सोच में डूबी थी। उसने मायूसी से अपना फोन देखा लेकिन वंश का कोई मैसेज नहीं था।
“डेड मैं पानी लेकर आती हूँ,,,,,,,,!!”,निशि ने उठते हुए कहा और कुछ ही दूर बने स्टोर की तरफ बढ़ गयी। निशि ने एक बोतल पानी लिया और धीमे कदमो से वापस बेंच की तरफ बढ़ गयी। चलते चलत निशि मन ही मन खुद से कहने लगी,”वो हमेशा ऐसा ही करता है , वो सच में मुझे पसंद करता भी या नहीं , मैंने उसे कितने मैसेज किये लेकिन उसने एक का भी जवाब नहीं दिया और तो और वो हम लोगो के साथ वापस मुंबई भी नहीं जा रहा,,,,,,,,,,,,,लेकिन ये सब से मुझे इतना बुरा क्यों लग रहा है ? पर उसे आना चाहिए था ,
स्टेशन नहीं तो कम से कम वो मुझे बाय बोलने भी आ सकता था लेकिन वो नहीं आया ,, क्या वो किसी बात पर मुझसे नाराज है ? पर मैंने उसके साथ ऐसा कुछ नहीं किया वो ही बार बार मुझे परेशान करता है,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह मैं पागल हो जाउंगी”
“निशि ! क्या हुआ कहा जा रही हो ?”,नवीन की आवाज निशि के कानों में पड़ी तो निशि को होश आया और उसने देखा वंश के ख्यालो में खोयी निशि बेंच से आगे निकल गयी है।
निशि नवीन के पास आयी और कहा,”कुछ नहीं डेड,,,,,,,,,,पानी”
नवीन ने बोतल लिया और पानी पीकर कहा,”निशि तुम्हारी क्लासेज कब खत्म होगी ?”
“अगले हफ्ते तक हो जाएगी डेड”,निशि ने कहा
“मैं सोच रहा हूँ इसके बाद तुम्हे अपनी बहन के यहाँ बैंगलोर भेज दू ताकि तुम अपनी आगे की पढाई कर सको , मुंबई रहोगी तो इधर उधर की चीजों में डिस्टर्ब रहोगी”,नवीन ने कहा निशि और वंश को एक दूसरे से दूर रखने का यही एक अच्छा तरिका था
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संजना किरोड़ीवाल


Yaar yeh Naveen ji kya kar rhe hai…kyu Nishi aur Vansh ko alag krne pr tule huye hai yeh….parai hokar Sarika Nishi ki aankho ko padhkar uske dil k haal ka pta sakti hai to yeh Naveen ji aur Meghna ji k liye kya itna muskil kaam hai, apni hee beti k dil ka haal na jana pana…khar ab to Nishi ko benglore jana padega… Vansh ne bhi usse apne pyar ka iqrar nhi kiya hai…udhar Shakti ne Urvashi aur Nilima ko Chauhan, Vikram aur dig sir se bacha liya hai…lakin wo inn sabka sach kaise samne layega….quki uski rejoining m kuch hee ghante ka waqt baki hai…case solve nhi hua hai
Ye naveen ji to n pagal ho gye hai ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Aur shakti in sab kahi uljh n jaye ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️