Love You जिंदगी – 3
Love You जिंदगी – 3
आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
मिसेज आहूजा ने आज अपार्टमेंट के चेयरमेंन को अपने घर खाने पर इन्वाइट किया ताकि सोसायटी में होने वाले इलेक्शन में इस बार उन्हें सोसायटी की लीडर बनाया जाये। मिसेज आहूजा ने खूब मसालेदार और चटपटा कढ़ाई पनीर बनाया और साथ में खीर और गरमा गर्म पुरिया भी। उन्होंने अच्छी गुलाबी साड़ी पहनी थी और थोड़ा मेकअप भी किया था। मिस्टर आहूजा ऑफिस से घर आये तो खाने की खुशबु से उनका चेहरा खिल उठा उन्होंने अपना बैग रखा और सीधा किचन की तरफ ही चले आये।
मिसेज आहूजा उस वक्त गैस के सामने खड़ी कचौड़िया तल रही थी। मिस्टर आहूजा ने देखा तो उनके पास आये और एक कचौड़ी उठाकर जैसे ही खाने को हुए मिसेज आहूजा ने उनके हाथ पर हलके से चपत मारकर कहा,”क्या कर रहे हो ये तुम्हारे लिए नहीं है,,,,,,!!”
“मेरे लिए नहीं है तो फिर किसके लिए है ?”,मिस्टर आहूजा ने हैरानी से पूछा
मिसेज आहूजा उनकी तरफ पलटी और ख़ुशी से चहकते हुए कहा,”आज खाने पर सोसायटी के चेयरमेन मिस्टर कुमार नंदन आ रहे है , ये सब खाना उन्ही के लिए है ,, तुम खड़े क्या हो डायनिंग पर खाना लगाओ मैं ज़रा ये बची हुई कचौड़िया तल दू”
मिस्टर आहूजा ने सुना तो उनका माथा ठनका और उन्होंने कहा,”वो साला ठरकी नंदू यहाँ आ रहा है , उसे यहाँ आने के लिए किसने इन्वाइट किया ? तुम्हारा दिमाग तो सही है न चन्दा,,,,,,,,,,!!”
“मेरा दिमाग बिल्कुल सही है अरे एक प्लेट कढ़ाई पनीर खिलाकर बदले में अगर मैं सोसायटी की लीडर बनती हूँ तो इसमें क्या बुराई है ? बस एक बार मैं सोसायटी की लीडर बन जाऊ फिर यू , सब यू मेरे इशारो पर नाचेंगे,,,,,,,,,,,,,!!”,मिसेज आहूजा ने चुटकी बजाकर कहा
“पिछले 7 साल से मिसेज नीलिमा ही सोसायटी की लीडर रही है , और सब जानते है उन्होंने कितनी ईमानदारी से अपना काम किया है। और तुम पर कब से ये लीडर वाला भूत सवार हो गया,,,,,,,,,,,,,ये सब छोडो और खाना लगाओ मुझे बहुत भूख लगी है।”,मिस्टर आहूजा ने नाराज होकर कहा
“आपको तो बस जब देखो तब खाने की पड़ी रहती है,,,,,,,,!!”,मिसेज आहूजा ने अपने पति को घुड़कते हुए कहा , वे आगे कुछ कहती इस से पहले घर की डोरबेल बजी
“लगता है वो आ गए है , मैं जाकर दरवाजा खोलती हूँ तब तक तुम ये कचौड़िया देखो कही जल ना जाये”,कहते हुए मिसेज आहूजा किचन से बाहर चली गयी और बेचारे मिस्टर आहूजा गैस के सामने आकर कचौड़िया बनाने लगे ,, मिसेज आहूजा का गुस्सा उन्होंने कचौड़ियो पर निकाला और तली हुई कचौड़ियो में से एक उठाकर मजे से खाने लगे।
मिसेज आहूजा ने आकर दरवाजा खोला सामने कुमार नंदन खड़े थे उन्हें देखकर मिसेज आहूजा ने कहा,”अरे आईये आईये मैं बस आपका ही इंतजार कर रही थी।”
“नमस्ते चन्दा जी , क्या बात है घर तो बड़ा सुंदर सजा रखा है आपने,,,,,,,,,लगता है सब इम्पोर्टेन्ट सामान है”,कुमार नंदन ने अंदर झांकते हुए कहा
“बस सब आपकी दया से , आप बाहर क्यों खड़े है अंदर आईये ना,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए मिसेज आहूजा कुमार नंदन को अपने साथ अंदर ले आयी और उन्हें सोफे पर बैठने को कहा।
कुमार नंदन सोफे पर आ बैठे , उनकी आँखों की चमक और होंठो की मुस्कराहट बता रही थी कि आज खाने पर आकर वे बहुत खुश थे।
“बिट्टू , ज़रा पानी ले आना,,,,,,,,!!”,मिसेज आहूजा ने अपनी 23 साला बेटी को आवाज दी
बिट्टू अपने कमरे से किचन में आयी और पानी के गिलास ट्रे में रखने लगी तो मिस्टर आहूजा ने उसे रोकते हुए कहा,”तुम्हारी माँ का तो दिमाग खराब हो गया है , तुम अंदर जाकर अपनी पढाई करो और कोई जरूरत नहीं है उस कुमार नंदन के सामने आने की,,,,,,,,!!”
“ठीक है पापा,,,,,,,,,,!!”,कहकर बिट्टू वहा से चली गयी। मिस्टर आहूजा ने कढ़ाई से कचौड़ियो को बाहर निकाला और गैस बंद करके ट्रे लेकर बाहर चले आये।
“अरे आहूजा जी आपने क्यों तकलीफ की बिट्टू ले आती ना,,,,,,,,,,,!!”,कुमार नंदन ने कहा
“बिट्टू को और भी काम है वो यहाँ किसी की मेहमान नवाजी के लिए नहीं है,,,,,,,,,!!”,मिस्टर आहूजा ने थोड़ा रूखे स्वर में कहा तो मिसेज आहूजा ने पानी का गिलास उठाकर नंदन की तरफ बढ़ा दिया और कहा,”अरे आप पानी लीजिये ना , इनकी तो आदत है मजाक करने की,,,,,,,,,,!!”
“हम्म्म,,,,,,,,,!!”,नंदन ने कहा और पानी पीने लगा। मिस्टर आहूजा भी वही दोनों के पास बैठ गए।
कुछ देर इधर उधर की बातो के बाद मिसेज आहूजा ने अपने पति से कहा,”आप कपडे बदल लीजिए मैं तब तक सबके लिए खाना लगा देती हूँ,,,,,,,!!”
मिस्टर आहूजा ने सुना तो उठकर अपने कमरे की ओर चले गए और मिसेज आहूजा डायनिंग टेबल पर खाना लगाने लगी। उन्होंने कुमार नंदन को आने को कहा। नंदन कुर्सी पर आ बैठा तो मिसेज आहूजा उनके बगल वाली कुर्सी पर आ बैठी और धीमे स्वर में कहा,”कुमार जी ,, इस बार सोसायटी की इलेक्शन लिस्ट में मैं अपना नाम पक्का समझू ना ?”
“अरे चन्दा जी ! मेरा बस चलता तो मैं इस बार सीधा आपको ही लीडर बना देता पर क्या करू पिछले 7 सालो से नीलिमा जी इस अपार्टमेंट की लीडर बनकर इसे सम्हाल रही है तो इस बार मेरी धर्म पत्नी ने फैसला किया है कि नयी लीडर के लिए लिस्ट बनायीं जाये , उनमे से जो सबसे काबिल होगा उसी को लीडर बना देंगे,,,,,,,,,,,!!”,कुमार नंदन ने अपने शब्दों में चाशनी लपेटते हुए कहा
मिसेज आहूजा ने सुना तो उनका मुंह ही उतर गया कहा वो नंदन को कढ़ाई पनीर खिलाकर डायरेक्ट लीडर बनने के सपने देख रही थी और कहा नंदन ने उसके सपने को एक पल में तोड़ दिया।
“कुमार जी ! अगर ऐसा है तो फिर आप किसलिए है ? क्या आप कुछ नहीं कर सकते हाँ,,,,,,,,,!!”,मिसेज आहूजा ने इतने प्यार से कहा कि नंदन पिघल गया और कहा,”चन्दा जी ! बस आपकी इन्ही प्यारी प्यारी बातो से मैं पिघल जाता हूँ,,,,,,,
मैं आपको डायरेक्ट सोसायटी लीडर तो बना सकता क्योकि इस बार ये काम मेरी बीवी देख रही है पर लीडर बनने के लिए जो 4 नाम आये है उनके साथ मैं आपका नाम भी लिस्ट में डाल सकता हूँ,,,,,,,,,,,बस उसके बाद आपको सोसायटी वालो का ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट लेकर जीतना होगा,,,,,,,,,,!!”
“अरे आप लिस्ट में नाम तो डलवाइए , जीत तो मैं यू चुटकी में जाउंगी,,,,,,,,!!”,मिसेज आहूजा ने इतराते हुए कहा
मिस्टर आहूजा कपडे बदलकर आ चुके थे इसलिए मिसेज आहूजा ने बात बदल दी और फिर तीनो बैठकर खाना खाने लगे। मिस्टर आहूजा के कहने पर बिट्टू का खाना अंदर ही भिजवा दिया जिस से उसे ठरकी नंदन के सामने ना आना पड़े,,,,,,,,,,,,,,,!!
खाना खाने के बाद कुमार नंदन कुछ देर और वहा रुका और फिर मिसेज आहूजा उसे दरवाजे तक छोड़ने चली आयी। दरवाजे के बाहर आकर नंदन ने कहा,”ठीक है चन्दा जी अब मैं चलता हूँ”
“कुमार जी ! वो लिस्ट में बाकि नाम कौन कौन से जान सकती हूँ ?”,मिसेज आहूजा ने उम्मीद भरे स्वर में कहा
“हाँ क्यों नहीं ! एक तो अपनी सविता जी है 3rd फ्लोर वाली , एक मिसेज तिवारी है , मिसेज टंडन भी है और चौथी , हाँ चौथी वो 2nd फ्लोर वाली मिसेज शर्मा है ,, उनका नाम आज ही मेरे पास आया था,,,,,,,,,,!!”,नंदन ने कहा
मिसेज शर्मा का नाम सुनते ही मिसेज आहूजा के सीने में आग लग गयी। मिसेज शर्मा को शीतल के खिलाफ भड़काते भड़काते मिसेज आहूजा खुद उनसे नफरत करने लगी जब मिसेज शर्मा ने उनकी बात ना मानकर अपनी बहू और शीतल का साथ दिया और फिर मिसेज शर्मा ने जो सबके बीच उसे थप्पड़ मारा था वो मिसेज आहूजा भला कैसे भूल सकती थी ? अब तो मिसेज आहूजा के लिए जीतना और भी ज्यादा जरुरी हो गया था ,, मिसेज शर्मा को हराकर वे अपनी बेइज्जती का बदला ले सकती थी।
मिसेज आहूजा को खोया देखकर नंदन वहा से चला गया। कुछ देर बाद मिस्टर आहूजा की आवाज कानों में पड़ी तो मिसेज आहूजा दरवाजा बंद कर अंदर चली गयी।
बीकानेर , रेलवे स्टेशन
दोपहर का चला मोंटी शाम में बीकानेर पहुंचा। वह रेलवे स्टेशन से बाहर आया उसने अपनी जेब से फोन निकाला और देखा लेकिन रुचिका का कोई फोन और मैसेज नहीं था। मोंटी मायूस हो गया और सामने से गुजरते ऑटो को रोककर उसमे आ बैठा। उसने ऑटोवाले को अपने अपार्टमेंट का पता बताया और चलने को कहा।
कुछ देर बाद मोंटी घर पहुंचा। उसने दरवाजा खोला और अंदर आया। लाइट ऑन की और अपना बैग सोफे पर रखकर शर्ट की बाजु को फोल्ड करते हुए किचन की तरफ आया और गिलास में पानी लेकर पीने लगा। रुचिका के बिना मोंटी को ये घर सूना सूना लग रहा था। उसने देखा फ्रीज में कुछ सब्जिया और फल रखे थे। मोंटी ने खाना आर्डर करने के लिए अपना फोन निकाला और टेबल पर रखा सेब उठाकर खाते हुए आर्डर करने लगा।
ऑप्शन में जैसे ही मोंटी की नजर “वडा पाव” पर पड़ी। मोंटी की उंगलिया उस पर ठहर गयी और वह बड़बड़ाया,”ये आर्डर करके देखु क्या ? अह्ह्ह्ह मुझे नहीं लगता यहाँ ये अच्छा मिलता होगा,,,,,,,,,,,,,क्यों ना मैं बाहर जाकर ट्राय करू हाँ वो गर्म और थोड़ा ज्यादा फ्रेश मिलेगा,,,,,,,,,!!”
मोंटी ने अपनी बाइक की चाबी उठायी और बाहर निकल गया।
जयपुर , रुचिका का घर
अपने कमरे में बिस्तर पर उलटा लेटी रुचिका बार बार अपना फोन देखती और उसे वापस रख देती। गुस्से में आकर रुचिका ने ये फैसला तो कर लिया कि वह मोंटी के साथ वापस बीकानेर नहीं जाएगी लेकिन अब रुचिका मोंटी को मिस कर रही थी। उसे वह सभी अच्छे पल याद आ रहे थे जो उसने मोंटी के साथ बिताये थे। नैना और अवि ने कितना समझाया था रुचिका और मोंटी को लेकिन दोनों ने अपने गुस्से और ईगो के चलते एक दूसरे को ऐसे हालातो में अकेला छोड़ दिया।
रुचिका अपनी जगह सही थी वह चाहती थी मोंटी चित्रकूट चलकर खुद का कोई काम करे या बिजनेस में अपने पापा की हेल्प करे लेकिन मोंटी को अपने पापा के बिजनेस में कोई इंट्रेस्ट नहीं था वह खुद का कुछ करना चाहता था लेकिन बीकानेर में,,,,,,,,,,,,,,कितने साल बिताये थे उसने इस शहर में अब इस शहर से ऐसे खाली हाथ लौट जाना मोंटी को मंजूर नहीं था।
मोंटी के बारे में सोचते हुए रुचिका ने एक बार फिर अपना फोन उठाकर देखा , मोंटी का कोई फोन मैसेज नहीं था।
मायूस होकर रुचिका ने फोन वापस रख दिया उसी वक्त कुकू कमरे में आयी और कहा,”अगर आप जीजू को इतना ही मिस कर रही हो तो उन्हें कॉल क्यों नहीं कर लेती ?”
रुचिका ने सुना तो उठकर बैठ गयी , कुकू उसके पास आकर बैठी और कहा,”दी आपको जीजू के साथ जाना चाहिए था,,,,,,,इस से तो आप दोनों के बीच मिसअंडरस्टेंडिंग और बढ़ जाएगी,,,,,,,,!!”
कुकू की ये सलाह ना जाने क्यों रुचिका को अच्छी नहीं लगी और उसने थोड़ा रूखे स्वर में कहा,”कुकू , तुम मुझसे छोटी हो तो अपनी लिमिट में रहो तुम अभी इतनी बड़ी नहीं हुई हो कि इन सब मामलो में अपनी एडवाइज दो,,,,,,,,,,!!”
“लेकिन मैं तो बस,,,,,,,,,,,,!!”,कुकू ने मायूस होकर कहा
रुचिका उठी और कमरे से जाते हुए कहा,”इट्स नन ऑफ़ योर बिजनेस”
रुचिका वहा से चली गयी और कुकू मायूस होकर खुद में बड़बड़ाई,”पता नहीं दी को क्या हो गया है ? ये पहले ऐसी बिल्कुल नहीं थी ,, हे ठाकुर जी प्लीज मेरी दी और जीजू को फिर से मिला दो,,,,,,,,,,उन्हें अलग मत करना”
नैना अनुराग के लिए खुद अपने हाथो से चाय बना रही थी इस से भी ज्यादा हैरानी की बात अवि के लिए ये थी कि नैना आज बिल्कुल शांत थी , उसने अनुराग को सामने न गुस्सा किया ना ही उसे कुछ कहा उलटा सौंदर्या और अवि से पहले उसने अनुराग और निबेदिता की शादी को एक्सेप्ट कर लिया।
चाय बन चुकी थी नैना ने चाय को कप में छाना और उन्हें ट्रे में जमाकर बाहर चली आयी। अवि भी नैना के साथ एक बार फिर हॉल में चला आया।
“बेबी ये तुम्हारा भाई क्या हर वक्त नैना के पीछे घुमता रहता है , हमारे घर में ऐसे मर्दो को “जोरू का गुलाम” कहा जाता है,,,,,,,,!!”,अनुराग ने जान बूझकर अवि को सुनाते हुए निबेदिता से कहा
अवि ने सुना तो उसने गुस्से से अनुराग को देखा तो निबेदिता ने कहा,”भाई,,,,,,,,,,,नैना भाभी से बहुत प्यार से बहुत प्यार करते है,,,,,,,है ना भाई”
निबेदिता ने अनुराग की बात को कवर करने के लिए कहा तो अवि ने कहा,”हाँ और अगर वाइफ नैना जैसी हो तो उसकी गुलामी करने में कैसी शर्म,,,,,,,,,!!”
“पडोसी,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने हैरानी से दबी आवाज में कहा , वह समझ रही थी अवि अनुराग के सामने ये सब कहकर ये बताना चाहता है कि वह नैना के लिए बेहतर पार्टनर है।
“नैना , बेटा अनुराग को चाय दो,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने कहा तो नैना की तंद्रा टूटी उसने कहा,”ओह्ह्ह हाँ , चाय”
नैना ने ट्रे अनुराग की तरफ करके कहा लेकिन जैसे ही अनुराग ने कप उठाया नैना ने जान बुझकर ट्रे में रखे दूसरे कप की चाय को अनुराग पर गिरा दिया जिस से थोड़ी सी चाय अनुराग के सफ़ेद शर्ट पर गिर गयी।
“भाभी ये क्या किया आपने ? ऐनी तुम ठीक हो बेबी ?”,निबी ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“हाँ हाँ मैं ठीक हूँ,,,,,,,,,,!”,अनुराग ने चाय को झटकते हुए कहा
“ओह्ह्ह आई ऍम सो सॉरी , आप मेरे साथ आईये वहा वाशरूम है इसे साफ कर लीजिये वरना ये चाय का दाग रह जायेगा”,नैना ने मासूम बनते हुए कहा
“हाँ हाँ बेटा इसे साफ कर लो,,,,,,,,,,नैना अनुराग को लेकर जाओ प्लीज,,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने कहा
“हाँ , प्लीज कम”,नैना ने कहा तो अनुराग उठकर उसके साथ चला गया। निबी ने देखा तो वह भी उठकर जाने को हुई लेकिन सौंदर्या जी ने उसका हाथ पकड़कर उसे बैठा लिया और कहा,”तुम कहा जा रही हो बैठो और मुझे अनुराग के बारे में सब बताओ,,,,,,,,,,!!”
निबी को रुकना पड़ा वह सौंदर्या को अनुराग के बारे में बताने लगी ,, विहान का कॉल आने की वजह से अवि साइड में चला गया और उस से बात करने लगा
विहान को तो आप सब जानते ही होंगे , विहान अवि का दोस्त और नैना का डॉटर जो उसका इलाज करने वाला है और इसी सिलसिले में उसने अवि को फोन किया था क्योकि आज नैना का उसके साथ अपॉइंटमेंट जो था पर विहान को क्या पता नैना एक नयी बीमारी से लड़ रही थी जो अचानक उसकी जिंदगी में आ चुकी थी
नैना अनुराग को लेकर वाशरूम में आयी , जितना बड़ा और खूबसूरत अवि का घर था उस से भी ज्यादा खूबूसरत ये वाशरूम था। शीशे के सामने खड़ा अनुराग वाशबेसिन में हाथ धोते हुए नैना से बोला,”कमाल की एक्टिंग करती हो ना तुम नैना , तुमने सोचा भी नहीं होगा कि हमारी मुलाकात इतनी जल्दी और ऐसे होगी ,, तुम मुझे अपन पास्ट बनाना चाहती थी ना पर देखो मैं पास्ट के साथ साथ तुम्हारा प्रेजेंट और फ्यूचर बनकर तुम्हारे सामने खड़ा हूँ , मैंने पहले ही कहा था मुझसे दूर जाना इतना आसान नहीं है।”
नैना ने अपने पैर से वाशरूम का दरवाजा बंद किया और अनुराग की गर्दन पकड़कर उसका सर बहते नल के नीचे लगाकर कहा,”अबे भूतनी के ! तुझे क्या लगता है मैं इतनी देर से तेरे सामने चुप क्यों थी मैं बस देख रही थी तेरे अंदर का कीड़ा कितने देर में फड़फड़ाता है और देख तूने आते ही हग दिया”
नैना के हाथ की पकड़ इतनी मजबूत थी कि अनुराग अपना सर वहा से नहीं हटा पाया लेकिन नैना ने उसे छोड़ दिया। अनुराग ने अपना सर हटाया वह गुस्से से नैना को घूरे जा रहा था।
नैना उसके पास आयी और कहा,”बेटा लगा जितना जोर लगाना है , इस घर में जिन इरादों के साथ तू आया है ना तेरे उन इरादों की बत्ती बना के तेरी,,,,,,,,,,,,,मैंने सिर्फ शहर बदला है तेवर नहीं”
नैना ने इतना कहा और वहा से चली गयी , गुस्साए अनुराग ने अपने हाथ को जोर से प्लेटफॉर्म पर घुमाया जिस से वहा रखा सामान नीचे गिर गया।
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संजना किरोड़ीवाल
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Sanjana Kirodiwal
मैं कोई Writer नहीं , बल्कि एक चोर हु जो लोगो का समय चुराती है !
Wha….ab jakar thoda sukoon mila… Naina ne finally Anurag ki thodi se hekdi kam ki…ab Anurag ko samaj aayega aur wo Naina se soch samaj kar pange lenga…lakin yeh Ruchika ko kya ho gaya hai…itni ego ki apni hee choti behan ki advice usse bekar lag rhi hai…khar waqt aane par usse samaj aayegi Monti ki importance…bas iss baar k apartment k election m Mrs. Aahuja na jeete…nhi to sabka bedagark kar degi
same thank u so so much sanjana ji iss season 3 ko lane ke liye i am biggest fan of your all novels i am really thankful to u
Very nice …Naina to Naina hai..
Next part kab aaega?