मनमर्जियाँ – S18
Manmarjiyan – S18
मनमर्जियाँ – S18
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गुड्डू पिंकी से मिलना चाहता था लेकिन गोलू ने झूठी कहानी बताकर गुड्डू को रोक दिया। एक तो गोलू पिंकी से प्यार करता था और दुसरा वह नहीं चाहता था गुड्डू के मन में पिंकी को लेकर भावनाये फिर से पनपे। गोलू गाना गाता हुआ नाश्ता करने चला गया और गुड्डू वही सोफे पर बैठा रहा। शगुन गोलू को नाश्ता देने आयी तो गोलू न कहा,”भाभी बइठो ना हमे आपसे कुछो बात करनी है”
“जी गोलू जी कहिये सब ठीक तो है ना ?”,शगुन को लगा कोई गड़बड़ हुई है इसलिए घबराते हुए पूछा
“अरे भाभी हमायी जिंदगी का तो पूछो ही मत , जे काण्ड और हम साथ साथ चलेंगे , हम जे कह रहे थे की जे डेस्टिनेशन वेडिंग का होती है ? मतलब कैसे होती है ?”,गोलू ने सवाल किया तो शगुन ने कहा,”पहले आप नाश्ता कर लीजिये फिर बैठकर बातें करते है”
“ठीक है भाभी जल्दी से कुछो खाने को देओ”,गोलू ने कहा तो शगुन ने उसकी प्लेट में परोसा और खुद उठकर किचन की और चली आयी। उसने मिश्राइन से नजरे बचाकर गुड्डू के लिए एक पराठा रखा और बाहर चली आयी। उसने गुड्डू के सामने प्लेट रखते हए कहा,”अंकल जी नहाने गए है वो देखे इस से पहले ये खा लीजिये”
गुड्डू ने देखा प्लेट में आज ओट्स नहीं पराठा है तो उसने शगुन की और देखकर हैरानी से कहा,”तुमहू ना हमायी समझ से बाहिर हो , कल खुद खिलाया , रात में मना किया , अभी खुद ही खिलाय रही हो , बाद में खुद ही मना करोगी,,,,,,,,,,,,,का माता वाता आती है का तुम पे ?”
शगुन मुस्कुरायी और कहा,”रात में ज्यादा तीखा खाएंगे तो आपको एसीडिटी प्रॉब्लम हो जाएगी। दिन में खाना जल्दी पच जाता है , खा लीजिये वरना ये भी नहीं मिलेगा”
कहकर शगुन वहा से चली गयी। गुड्डू ने प्लेट उठायी और एक निवाला तोड़कर खाते हुए कहा,”हम पर हक तो ऐसे जताय रही है जैसे हमायी बीवी हो”
उधर गुड्डू ने नाश्ता किया और फिर शगुन के साथ ऊपर चला आया। शगुन ने उसे डेस्टिनेशन वेडिंग के बारे में सारी बाते बतायी तो गोलू को समझ आया की अनजाने में उसने कितनी बड़ी मुसीबत अपने सर ले ली क्योकि आज से पहले उसने ऐसी कोई शादी नहीं करवाई थी। गोलू ने सब बाते सुनने के बाद कहा,”भाभी इह तो बहुते मुश्किल काम लग रहा है , हमहू अकेले नहीं सम्हाल पाएंगे”
“शादी कब है गोलू जी ?”,शगुन ने पूछा
“10 दिन बाद है भाभी और कानपूर में तो ऐसी कोई जगह नहीं है जिसे डेस्टिनेशन वेडिंग का नाम दिया जाये”,गोलू ने कहा
“गोलू जी उनका बजट कितना होगा ?”,शगुन ने पूछा
“बहुते पैसे वाले है भाभी 10-20 लाख तो नार्मल है उनके लिए , दिक्कत बजट में नहीं आ रही दिक्कत आ रही है अरेजमेंट में उह कैसे करेंगे ,, गुड्डू भैया होते तो सब कर देते”,गोलू ने उदास होकर कहा
“गोलू जी अगर आप पापा जी से बात कर ले तो हम इस आर्डर में आपके साथ काम कर सकते है”,शगुन ने कहा
“का सच में भाभी ? अरे हमहू अभी जाकर मिश्रा जी से पूछ लेते उह ना नहीं कहेंगे”,गोलू ने उठने की कोशिश की तो शगुन ने उसे वापस बैठाते हुए कहा,”गोलू जी अभी नहीं पहले मैं पापाजी से बात कर लू उसके बाद। तब तक आप बाकि अरेजमेंट देख लीजिये ना”
“ठीक है भाभी जे समस्या तो हल हुई गयी अब एक ठो और समस्या है”,गोलू ने कहा
“वो क्या है ?”,शगुन ने पूछा
“गुड्डू भैया पिंकिया से मिलना चाहते है ? अभी के लिए तो हमने उनको फुसला दिया है पर जैसे ही ठीक होंगे उह पिंकी से मिलेंगे जरूर , कही उस से मिलकर गुड्डू भैया के मन में फिर से भावनाये ना उमड़ने लगे,,,,,,,,,,,,,बस एक जे बात का डर है”,गोलू ने कहा
शगुन ने सूना तो वह भी थोड़ा सोच में पड़ गयी। हालाँकि गोलू ने शगुन को ये नहीं बताया था की वह खुद पिंकी के चक्कर में है। शगुन ने गोलू को देखा और कहा,”अब क्या करेंगे गोलू जी ?”
“भैया पिंकिया के प्यार में पड़े इस से पहिले आप उनसे नजदीकियां बढ़ाय ल्यो”,गोलू ने कहा
“मतलब ?”,शगुन ने एकदम से पूछा
“अब यार हमहू कैसे बताये आपको ? हमारा मतलब गुड्डू भैया के दिल में फीलिंग्स जगाईये आपके लिए ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अब इस से ज्यादा डिटेल में हमहू नहीं बता सकते”,कहते हुए गोलू उठा और चला गया
“फीलिंग्स जगाये मतलब ? गुड्डू जी सीधे मुंह बात नहीं करते है मुझसे फीलिंग्स कहा से आएगी उनके मन में ? वो उस शगुन को पसंद करते थे जो उनकी पत्नी थी मैं तो उनकी नजर में एक अनजान लड़की हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,पर पिंकी से उन्हें बचाने के लिए मुझे गुड्डू जी के करीब जाना होगा”,शगुन अपने ही खयालो में खोयी हुई थी
नाश्ता करने के बाद गोलू घर चला गया। मिश्रा जी भी शोरूम के लिए निकल गए। शालू के आने पर वेदी उसके साथ क्लास के लिए चली गयी। घर में बची मिश्राइन , शगुन , लाजो , अम्मा और गुड्डू। कुछ देर बाद मिश्राइन के फोन पर लाजो के घर से उसके चाचा का फोन आया , उनकी तबियत खराब थी और इसलिए लाजो को तुरंत गांव बुलाया गया था। मिश्राइन ने उसे जाने को कहा और साथ ही कुछ कपडे और रूपये भी दे दिए ,, कानपूर में ही बगल में उसका गाँव था लाजो चली गयी। गुड्डू पड़ा पड़ा ऊंघ रहा था , नहाने के नाम पर गुड्डू के सिर्फ कपडे बदले जाते और गीले कपडे से बस उसका बदन पोछा जाता। गुड्डू सोफे पर बैठा बैठा ऊँघने लगा तो मिश्राइन को आवाज दी,”अम्मा , अम्मा”
मिश्राइन भी ना आजकल गुड्डू की बातो को जानबूझकर इग्नोर करती थी। गुड्डू के आवाज देने पर वे नहीं आयी तो शगुन चली आयी और कहा,”हां कहिये”
“तुम हमायी अम्मा हो ?”,गुड्डू ने चिढ़ते हुए कहा
“जी नहीं आपने आवाज लगाईं इसलिए चली आयी और माजी,,,,,,,,,,,,मतलब आंटी बाथरूम में है”,शगुन की जबान फिसली
“हमे हमाये कमरे तक जाना है”,गुड्डू ने कहा तो शगुन ने अपना हाथ गुड्डू की और बढ़ा दिया। गुड्डू पहले कुछ सेकेंड्स तो शगुन को देखता रहा और फिर उसका हाथ थामकर खड़े हो गया। पैर में टखने से लेकर अंगूठे तक प्लास्टर था तो चलने में दिक्कत आ रही थी , दूसरे हाथ की कलाई पर भी प्लास्टर। गुड्डू को तकलीफ में देखकर शगुन ने कहा,”अगर आप सहज हो तो अपना हाथ मेरे कंधे पर रख लीजिये इस से आपको चलने में आसानी होगी”
शगुन ने इतने प्यार से कहा की गुड्डू ना नहीं कह पाया और अपना हाथ उसके कंधे पर रख लिया ,गुड्डू के लिए हैरानी की बात ये थी की एक अनजान लड़की (गुड्डू के लिए बाकि सच तो हमे पता है) के करीब आकर भी वह सहज था बस उसकी धड़कने कभी उसका साथ नहीं देती थी। दोनों अभी चार कदम ही चले थे की गली में खेल रहे बच्चो को बॉल सीधी शगुन की तरफ आयी गुड्डू ने देखा तो शगुन के कंधे पर रखे हाथ से उसे अपनी ओर धकेला और बॉल को कैच करके चिल्लाया,”अबे ध्यान से किसी को लग वग जाएगी”
शगुन जो की गुड्डू के इतना करीब थी अपनी धड़कनो को नॉर्मल करने में लगी हुई थी। शगुन को चुप देखकर गुड्डू ने कहा,”ठीक हो ?”
“हां हां हां मैं ठीक हूँ , चलिए”,कहते हुए शगुन गुड्डू के साथ आगे बढ़ गयी
गुड्डू शगुन के साथ अपने कमरे में आया। शगुन ने उसे उसके बिस्तर पर बैठाया और जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”सुनिए”
शगुन मुस्कुरा उठी और पलटकर कहा,”जी कहिये”
“पिताजी तो कह रहे थे की तुमहू बनारस से हिया पढाई के लिए आयी हो पर ना तो तुमहू कही नहीं जाती घर में ही रहती हो”,गुड्डू ने कहा
“अभी जून चल रहा है कॉलेज जुलाई में खुलेंगे तब जायेंगे ना”,शगुन ने बहाना बनाते हुए कहा
“हम्म जे भी सही वैसे कोनसे ईयर में हो तुमहू ?”,गुड्डू ने पूछा
“मैं मैं फर्स्ट ईयर से एडमिशन लुंगी”,शगुन ने फंसते हुए कहा
“हम्म्म हमाई कोई हेल्प चाहिए तो कहना , हमहू टॉपर रहे है हमाये कॉलेज के”,गुड्डू ने अनजाने में शगुन के सामने फेंकते हुए कहा जबकि शगुन को सच पता था।
“सच में ?”,शगुन ने जान बुझकर अनजान बनते हुए कहा।
“और नहीं तो का , अरे जलवा है हमारा कानपूर में ,, रामभरोसे मास्टर जी तो इतनी इज्जत देते है की हमही शरमा जाते है , अब का कर सकते है प्यार है कॉलेज वालो का और फिर हमाये अलावा किसी ने टॉप भी ना किया 5 साल से हमही टॉप कर रहे है”,गुड्डू को लगा शगुन उसकी बातो में आ गयी है इसलिए उसने और लम्बी फेंकते हुए कहा
“5 साल क्यों ? कॉलेज तो 3 साल का ही होता है”,शगुन ने कहा
“अरे उह का है 3 साल टॉप किये , अब 3 नंबर का है की अशुभ होता है तो हमहू सोचे दुई बार और टॉप कर लेते है तो कर लिया 5 बार”,गुड्डू ने कुछ भी उटपटांग बोलते हुए कहा
मन ही मन शगुन को खूब हंसी आ रही थी क्योकि गुड्डू अब भी नहीं बदला था उसे आज भी खुद को तारीफ करना उतना ही पसंद था जितना पहले। गुड्डू वही बैठकर शगुन को अपने कॉलेज के बारे में बताने लगा और शगुन मुस्कुराते हुए सुनने लगी। ये सब बाते वह गुड्डे से पहले भी सुन चुकी थी लेकिन फिर सुनने में भी उसे वही ख़ुशी मिल रही थी। शगुन को ऐसे मुस्कुराते देखकर गुड्डू ने कहा,”तुम का चिकाई तो नहीं कर रही हो हमायी ?”
“नहीं नहीं मैं क्यों करुँगी ? मुझे तो आपकी महानता जानकर ख़ुशी हो रही , सच में कितने महान है ना आप ,, आपके कॉलेज वालो को ना आपकी फोटो लगानी चाहिए कॉलेज की दिवार पर”,शगुन ने गुड्डू की तारीफ में कुछ ज्यादा ही कह दिया
“अरे बस बस हमे शर्म आ रही है , हमायी इतनी भी तारीफ ना करो यार”,गुड्डू ने शरमाते हुए कहा
“क्यों ?”,शगुन ने पूछा
“का है की नजर लग जाती है ?”,गुड्डू ने कहा
“ये तो सही कहा आपने गुड्डू जी”,शगुन ने कहा
“देखो बाबू ऐसा है हमाये साथ ना जियादा फ्रेंक होने की जरूरत नहीं है , हमहू है तुम्हाये सीनियर का समझे ?”,गुड्डू का रवैया से बदल गया लेकिन शगुन को इस से फर्क नहीं पड़ा वह तो चाहती थी बस गुड्डू ऐसे ही उस से दिनभर बात करता रहे। वह बड़े प्यार से गुड्डू को देखते रही तो गुड्डू ने कहा,”का कहा खोयी हो ? चलो जाओ हमे आराम करना है”
कहते हुए गुड्डू ने अपना पैर ऊपर बिस्तर पर रखा और लेट गया। शगुन वहा से बाहर चली आयी लेकिन बाहर आते ही जोर जोर से हसने लगी। गुड्डू ने जो भर भर के झूठ बोला था उसके बाद तो किसी को भी हंसी आएगी।
बनारस , उत्तर-प्रदेश
प्रीति ऑफिस में अपनी डेस्क पर बैठी काम कर रही थी। किसी काम से प्रिंट आउट निकालने वह ऑफिस में रखी मशीन की तरफ गयी तो बगल वाले केबिन से एक जानी पहचानी आवाज उसके कानो में पड़ी। प्रीति ने थोड़ा सा झांककर देखा रोहन और ऑफिस के तीन लोग और बैठे थे। तभी उनमे से किसी एक ने कहा,”यार रोहन मजे है तेरे जिस लड़की को तू पसंद करता था उसी के घर में पेइंग गेस्ट बनकर रह रहा है और अब उसे अपने ही ऑफिस में जॉब भी दिला दी , भई मानना पडेगा”
“अरे नहीं यार ऐसा कुछ भी नहीं है मेरे अंकल प्रीति के पापा के दोस्त है”,रोहन ने कहा
“रहने दे भाई उसके घर में रहकर उसको पटाना तेरे लिए बांये हाथ का खेल है”,एक लड़के ने कहा तो बाकि सब हंस पड़े। प्रीति से ये बर्दास्त नहीं हुआ तो उसने गेट खोला और अंदर आकर रोहन से कहा,”ओह तो ये तुम्हारा प्लान था , बहुत सही किया रोहन तो अब तुम्ही बता दो कैसे पटाना पसंद करोगे मुझे ?”
प्रीति को वहा देखकर सब हैरान रह गए बेचारे रोहन के चेहरे पर तो हवईया उड़ने लगी उसने कहा,”प्रीति वो ये लोग बस मजाक कर रहे थे”
“बस रोहन मैं कोई दूध पीती बच्ची नहीं हूँ जो मजाक और कमेंट्स में फर्क ना कर पाऊ”,कहकर प्रीति वहा से जाने लगी तो रोहन ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए कहा,”प्रीति ऐसा नही है”
“आईन्दा से मेरा हाथ पकड़ने की कोशिश भी की तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा”,कहते हुए पिंकी ने अपना हाथ छुड़ाया और वहा से चली गयी। ऑफिस खत्म होने में अभी एक घंटा बाकि था लेकिन प्रीति के लिए दो मिनिट भी वहा बैठना मुश्किल हो रहा था। उसने अपना बैग उठाया और वहा से निकल गयी। प्रीति पैदल ही घर के लिए चल पड़ी। वह रोहन को पसंद करती थी लेकिन रोहन उसे लेकर ऐसी सोच रखता है प्रीति को जानकर बुरा लगा। चलते चलते वह अस्सी घाट के सामने से गुजरी। प्रीति जिसे बनारस पसंद नहीं था आज सहसा ही उसके कदम घाट की सीढ़ियों की और बढ़ गये। वह नीचे चली आयी और सीढ़ी पर आकर बैठ गयी। शाम होने लगी प्रीति उदास सी घाट के पानी को देखते रही। उसका मन बहुत दुखी था और ऐसे में वह शगुन को बहुत मिस कर रही थी। प्रीति ने बैग से फोन निकाला और शगुन को फोन लगाया पर काम में बिजी शगुन फोन नहीं उठा पायी। प्रीति ने फोन वापस जेब में डाल दिया और कहा,”आप सच कहती थी दी जब मन उदास हो तब इस जगह का महत्व समझ आता है”
क्रमश – मनमर्जियाँ – S19
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संजना किरोड़ीवाल
Nice part
यार मतलब पुराने गुड्डू के दर्शन से पेट हंस हंस कर लोटपोट हो गया…और 5 साल में कौन ग्रेजुएशन पूरी करता है भई😂😂😂😂 हमारे गुड्डू भैया भी एकदम लाजवाब है…पर रोहन के लिए दुख हो रहा गया.।.महादेव प्रीति-रोहन के बीच सब जल्दी ठीक कर दे😢😥
मैम गुड्डू भईया तो बहुत उंची फेंकने के चक्कर में अपनी सच्चाई जाहिर कर रहें थे😂शगुन भाभी को भी बहुत मजा आ रहा था…प्रीति रोहन का रिश्ता अभी बढ़ने से रूक गया…लेकिन रोहन की अच्छाई प्रीति को उसके सच्चे प्यार का अहसास करा देंगी😊 behtreen part👌👌👌👌👌
nice part
Bhut hi pyaara part tha yh guddu bhi kamaal 5 saal m graduation complete kiya hahaha mazaa aa gya
Hahaha chlo kl jo socha tha vo hi hua…shagun golu k sath mil k is desnation wedding ko plan kregii 🤩🤩🤩🤩
Aj to purane wale feku golu k drshan kr k bdaa mjaa aa gya hs hs k lot pot ho gyee🤣🤣🤣
Rohan or uske dosto ki bat chit se priti ka dil tut gya😐😐😐☹️☹️☹️
Yaar ye golu aur shagun ki dosti se guddu shagun ke liye jan bhun jaye to maja aajayega isko kyu kabhi dar nhi laga shagun ko khone ka jab isko dar lagega tabhi to samjhega shagun ke liye apna pya…isko bhi apne pyar ke ahsas ki pahli sidhi pata lag jayegi..
Very beautiful ye gudu ke liye😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
Guddu bhaiya fhek lo abhi tmhre din hain
Jab jaanoge to khud hi sharma jaoge.
Aur hmre golu bhaiye ke kya kehne kuch maloom nahi bs panga lena hai.😂😂😂😂
Very nice 😂😂😂😂😂😂😂💖
Superb awesome part❤❤❤❤👌👌👌👌
Superb awesome part❤❤❤❤❤👌👌👌👌
Kamaal
Bahut Sundar mem..aap bahut hi accha likhti hai mene aapki saaari stories padhi hai pratilipi par 💛💫
Nice
Nice part
Nice
Suoer
Aapki kahani me romance ke sath sath masti majak bhi itna jayada hota hai ki apani hansi rok nahi pate hai ham agar imotions hai to masti bhi hai ek dusre ki parwah bhi hai me to bese hi aap ki fan hoon