Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 2

Main Teri Heer – 2

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Main Teri Heer – 2

वंश की वजह से मुन्ना और वंश को बाहर सोना पड़ा। सुबह मुरारी उठा घर से बाहर आया देखा दोनों सो रहे है तो माली से पानी की बाल्टी ली और दोनों पर उड़ेल दी। मुन्ना हड़बड़ा कर उठा , वंश को देर से उठने की आदत थी ऐसे अचानक पानी गिरने की वजह से वह उठा और कहा,”कौन है बे ?”
“बेटा हम है अगर आँखे खुल गयी हो हमे देख लो वरना दो चार बाल्टी और डाले”
मुरारी की आवाज सुनकर वंश एकदम से उठ खड़ा हुआ और कहा,”सॉरी चाचू वो मुझे लगा,,,,,,,,,,!!”
“तुमको लगा तुम अपने घर में हो , बेटा अभी 22-23 के भी नहीं हुई हो तुम दोनों और अभी से जे सब कलाकारी करने लगे। शिवम् भैया ने कुछो ज्यादा ही छूट दे रखी है तुम्हे”,मुरारी ने कहा
“सॉरी पापा वो हमारी वजह से देर हो गयी थी। हमें प्रिंसिपल सर ने रोक लिया था और इसी वजह से वंश को भी हमारे साथ रुकना पड़ा”,मुन्ना ने कहा
“ठीक है दोनों अंदर जाओ और चाय नाश्ता कर लो”,मुरारी ने कहा और वहा से चला गया
“थैंक्स यार तूने बचा लिया”,वंश ने मुन्ना के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
“हां तेरा रोज का है ये अब चल अंदर”,मुन्ना ने कहा
“अरे नहीं मैं घर जा रहा हूँ माँ को भी तो मनाना है , चल बाय कॉलेज में मिलता हूँ”,कहकर वंश वहा से चला गया और मुन्ना अंदर चला आया। मुन्ना अंदर आया तो देखा उसकी माँ अनु मंदिर में दीपक जला रही है। मुन्ना ने वाशबेसिन के सामने आकर हाथ मुंह धोये और वापस आया तब तक अनु भी पूजा करके वापस आ चुकी थी। मुरारी बाहर से जैसे ही अंदर आया अनु उसके सामने आ धमकी और घूरते हुए कहा,”मेरे बेटे को बाहर सोने के लिए बोलने वाले आप होते कौन हो ? सारी रात मेरा बच्चा बाहर सो रहा था और आप मजे से अपने कमरे में,,,,,,,,,,,,,,,मैं पूछती हूँ चाहते क्या है आप मेरे बेटे को चैन से जीने देंगे या नहीं ?”
“अरे मैग्गी पहले अपने बेटे से पूछ लो कल रात देर से क्यों आये थे ?”,मुरारी ने कहा
“वो देर से आये जल्दी आये आपने उसको बाहर क्यों रखा ?”,अनु ने तुनक कर कहा
“अरे बाप है हम उसके हमे हक़ नहीं है का उसे पूछने का ?”,मुरारी भी थोड़ा गुस्से में आ गया
“हां तो मैं उसकी माँ हूँ और आपको कोई हक़ नहीं मेरे बेटे को ऐसे घर से बाहर निकालने का”,अनु ने मुरारी को घूरते हुए कहा
“ए मैग्गी थोड़ा तमीज से विधायक है हम यहाँ के,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,मुरारी ने कहा
“विधायक होंगे आप बनारस के , ये मेरा घर है और यहाँ सिर्फ एक ही सरकार चलेगी वो भी मेरी,,,,,,,,,,समझे”, अनु ने मुरारी को घूरते हुए कहा
अनु और मुरारी की बातें झगडे का रूप ले इस से पहले ही मुन्ना उन दोनों के बीच आया और कहा,”माँ पापा प्लीज शांत हो जाईये”
“मुरारी भैया दरोगा जी आपसे मिलने आये है”,मुरारी के यहाँ काम करने वाले लड़के ने आकर कहा
“उन्हें बैठाओ हम आते है”,मुरारी ने कहा तो लड़का चला गया जिसका नाम किशन था। मुरारी अनु के पास आया और कहा,”अपने दिमाग को ना थोड़ा शांत रखा करो मैग्गी हम वो मुरारी नहीं रहे , जो पहिले तुम्हारी हर बात पर दांत दिखाते थे अब हम हो गए बड़े विधायक तो थोड़ा ना तमीज में”
“आज आप खाना बाहर खाने वाले है ?”,अनु ने एकदम से सवाल किया
“काहे पूछ रही हो तुम ? और बाहर क्यों खाएंगे ?”,मुरारी ने हैरानी से पूछा
“क्योकि मैं तो देने वाली हूँ नहीं , जिस विधायकी का घमंड दिखा रहे हो ना खाना भी इसी से खा लेना”,कहकर अनु वहा से चली गयी। मुरारी ने मुन्ना को देखा और कहा,”देखा तुमने , अपनी माँ को कुछ समझाओ”
“मुरारी भैया वो दरोगा जी,,,,,,,,,,,!!”,किशन ने इतना ही कहा की मुरारी ने चिढ़ते हुए कहा,”अरे आ रहे है यार पहले सुबह सुबह उनका प्रवचन सुनो , अब तुम्हारा ,, जल्दी किसे है तुम्हे या उनको ?”
“दरोगा जी को ,, नए आये है ना बनारस में तो आपसे मिलना चाहते है,,,,,,,,,,,,कह रहे है फिर उन्हें थाने भी जाना है”,किशन ने डरते डरते कहा
” चलो हम आते है”,कहकर मुरारी मुन्ना की तरफ पलटा और कहा,”कॉलेज जाने से पहले हमसे मिलते हुए जाना”
“ठीक है”,कहकर मुन्ना वहा से चला गया। मुरारी बाहर आया देखा लॉन में दरोगा जी बैठे है तो मुरारी उनकी तरफ चला आया। दरोगा जी की नजर मुरारी पर पड़ी। सफ़ेद रंग का कुरता पजामा , पहले से शरीर थोड़ा भर गया था। चेहरा क्लीन शेव बस मुछे रखने लगा था मुरारी , और उस पर जचती भी थी। गले में सोने की चैन जो शादी के वक्त अपने ससुर जी से मिली थी और हाथ की ऊँगली में सोने की अंगूठी। पैरो में चप्पल थे , आँखों पर धुप वाला चश्मा लगा था। मुरारी दरोगा जी के सामने आया तो दरोगा जी ने उठते हुए कहा,”जय हिन्द सर”
“जय हिन्द , कहो कैसे आना हुआ दरोगा जी ?”, मुरारी अपनी कुर्सी पर आ बैठा और उन्हें भी बैठने का इशारा किया।
“कुछ खास नहीं विधायक जी कल ही कानपूर में ज्वाइन किया है। आपका बहुत नाम सूना है तो सोचा एक बार आपसे आकर मिल लू”,दरोगा जी ने कहा
“तो कैसे लगे हम आपको ?”,मुरारी ने कहा
“पर्सनालिटी तो आपकी जबर है ही विधायक जी , इंसान भी अच्छे ही होंगे यकीन है हमे”,दरोगा जी ने थोड़ी चापलूसी करते हुए कहा तो मुरारी मुस्कुराने लगा और कहा,”जे पर्सनालिटी और जे चेहरा देखकर बनारस में हर कोई धोखा खा जाता है दरोगा जी। हम विधायक जरूर है लेकिन काम सिस्टम के हिसाब से नहीं बल्कि अपने हिसाब से करते है। गुंडों से गुंडों की तरह और शरीफो से शराफत की तरह पेश आते है,,,,,,,,,,,,,,,,,,आपको हम मक्खन लग रहे होंगे पर जब गर्म मक्खन चमड़ी पर गिरता है ना तो चमड़ी निकाल देता है। बनारस में आपका स्वागत है ईमानदारी से अपना काम करेंगे तो आपके और इस शहर दोनों के लिए अच्छा है बाकि आप खुद समझदार है,,,,,,,,,,,,,,,,,चाय पिएंगे ?”
“है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हाँ हाँ”,दरोगा ने कहा जैसे वह कोई नींद से जगा हो।
“ए किशना भाभी से कहना ज़रा चाय भिजवाए”,मुरारी ने किशन से कहा तो किशन तुरंत चाय ले आया। मुरारी ने चाय का कप दरोगा जी की तरफ बढ़ाया और कहा,”लीजिये चाय पीजिये”
“शुक्रिया”,दरोगा जी ने चाय लेते हुए कहा। उनकी शक्ल देखकर साफ पता चल रहा था की वह मुरारी की बातो से थोड़ा अपसेट हो चुके थे। चाय पीने के बाद दरोगा जी उठे और कहा,”अच्छा सर मुझे अब चलना चाहिए”
“हम्म्म्म”,मुरारी ने कहा तो दरोगा जी वहा से निकल गए। गेट से बाहर निकल कर अपनी बाइक पर बैठे तो नजर सामने खड़ी मुरारी की गाड़ी पर चली गयी जिस पर लिखा था “चाचा विधायक है हमारे”
“हुंह्ह तुम्हारी ये अकड़ तो मैं बहुत जल्द निकलूंगा मुरारी मिश्रा”,कहकर दरोगा वहा से चला गया। मुन्ना कॉलेज जाने के लिए तैयार होकर आया और नाश्ता करने लगा। कुछ देर बाद मुरारी भी आया। अनु ने मुरारी को देखा तो मुंह बना लिया मुन्ना नाश्ता कर चुका था इसलिए उठा और हाथ धोने वाशबेसिन चला गया। मुरारी अनु की तरफ आया और कहा,”ए मैग्गी गुस्स्सा थूक दो यार तुम भी जानती हो हम तुमसे बात किये बिना रह नहीं सकते”
“इतनी जल्दी अक्ल आ गयी आपको”,अनु ने कहा
“अरे यार देखो तुम हमारी पत्नी हो तो विधायकी हुई हमारी दोस्त,,,,,,,,,,,,,अब बीवी और दोस्त दोनों में तो फर्क होता है ना , ऐसा करो गुस्सा छोडो और नाश्ता दो बहुते भूख लगी है उसके बाद हमे कुछ लोगो से मिलना है नहर के काम के लिए”,मुरारी ने बड़े ही प्यार से अनु को मनाते हुए कहा
“अच्छा पर मुझे तो तुम्हारी ये विधायकी दोस्त कम और सौतन ज्यादा लगती है”,अनु ने कहा
“अरे तो तुम सौतन को छोड़ हम से काहे लड़ रही हो ? ए मैग्गी सुनो ना यार शाम को ना घूमाने ले चलेंगे तुम्हे पक्का”,मुरारी ने अनु को बहलाते हुए कहा
“सच कह रहे है ?”,अनु भी घूमने के नाम पर पिघल गयी क्योकि जब से मुरारी इस विधायक वाले काम मे आया था तबसे बहुत व्यस्त रहने लगा था।
“पक्का”,मुरारी ने कहा तो अनु मुस्कुरा उठी और मुरारी की प्लेट में नाश्ता परोसने लगी ये सब देखकर मुन्ना मुस्कुरा उठा और मन ही मन कहा,”आप दोनों का झगड़ा ही आप दोनों का असली प्यार है माँ पापा जिस दिन ये झगड़ा कम हो गया प्यार भी कम हो जाएगा”
“ए मुन्ना यहाँ आओ”,मुरारी ने आवाज लगाईं तो मुन्ना आकर उसके सामने खड़ा हो गया। मुरारी ने मुन्ना को ऊपर से लेकर नीचे तक देखा। बढ़ी हुई दाढ़ी मुछे , शर्ट की बाजू चढ़ी हुई , हाथ पर महादेव वाला टेटू , कान में बाली , बालो को सीधा बना रखा था। मुन्ना स्टूडेंट कम और किसी पार्टी का लीडर ज्यादा लग रहा था।
“जे दाढ़ी काहे नहीं कटवाते हो ? कोई मन्नत मांगे हो ?”,मुरारी ने कहा
“नहीं , बस हमे अच्छी लगती है”,मुन्ना ने धीरे से कहा
“बेटा तुम कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के हो , कोई राजनीती में नहीं जो ऐसा हुलिया बना रखा है। का कहेंगे लोग की जे विधायक मुरारी मिश्रा का लड़का हैं। थोड़ा स्टाइल में रहो यार हमारे जैसे , क्यों मैग्गी ?”,मुरारी ने कहते हुए अनु की तरफ देखा
“अब इसे जैसे रहना पसंद है रहने दीजिये ना”,अनु ने कहा
“ठीक है हम कुछ नहीं कहेंगे , अच्छा मुन्ना हम कह रहे थे शिवम् भैया ने तुम्हे घर बुलाया है तो आज शाम कॉलेज के बाद जाकर मिल लेना उनसे”,मुरारी ने लग भग आदेश देते हुए कहा
“ठीक है हम मिल लेंगे , अभी कॉलेज जाये हम ?”,मुन्ना ने कहा
“हां बेटा तुम जाओ”,मुरारी से पहले अनु ने कहा तो मुन्ना वहा से निकल गया।

मुरारी के घर से निकलकर वंश अपने घर के सामने पहुंचा मेन गेट से ना जाकर वह पीछे दिवार से कूदकर घर में आया और पिछले दरवाजे से दबे पाँव अंदर चला आया। वंश ने खिड़की से झांककर देखा बाबा बाहर थे , आई पंछियो को दाना डाल रही थी। सारिका (वंश की माँ) घर में बने मंदिर में सुबह की पूजा आरती कर रही थी और शिवम् (वंश के पापा) अपने कमरे में था। ये देखकर वंश ने राहत की साँस ली और दबे पाँव सीढिया चढ़कर ऊपर चला आया। फटाफट आकर उसने जूते निकाले शर्ट निकालकर फेंका। अपनी स्टडी टेबल की किताबो को खोलकर रख दिया। अपने बालो को थोड़ा सा खराब किया और आकर बिस्तर पर लेट गया जिस से देखने वाले को ये लगे की वह अभी तक सो रहा है।
कुछ देर बाद पूजा की थाली लिए सारिका उसके कमरे में आयी उसने जब वंश को सोये हुए देखा तो मुस्कुरा उठी। कमरे में धूप (पूजन सामग्री) करने के बाद उसने थाली को टेबल पर रखा। पहले स्टडी टेबल पर बिखरी किताबो को सही करके रखा। उसके बाद वंश के कपडे जो यहाँ वहा बिखरे थे उन्हें उठाकर बाथरूम में रखा और वंश के सिरहाने बैठकर उसका सर सहलाते हुए कहा,”वंश,,,,,,,,,,,,उठो बेटा सुबह हो गयी है”
सारिका की आवाज सुनकर वंश उबासी लेते हुए उठा और कहा,”माँ,,,,,,,,,,सुबह सुबह इतनी अच्छी नींद आती है और आप उठा देते हो”
“वो इसलिए बेटा क्योकि सुबह जो बच्चे देर तक सोते है ना , भाग्य उन्हें सोता देखकर वापस चला जाता है”,सारिका ने वंश के बालो को सही करते हुए कहा
“माँ आप कब तक मुझे ऐसे बच्चो की तरह उठाएंगी ?”,वंश ने बिस्तर से उठकर शीशे के सामने आकर अपने बालो को सवारते हुए कहा
“बच्चे कितने भी बड़े हो जाये माँ-बाप के लिए बच्चे ही रहते है , अब नहाकर नीचे आ जाओ हम आपके लिए नाश्ता तैयार कर देते है”,सारिका ने उठकर थाली से आरती पर अपने हाथो को वारकर वंश के गालो से लगाते हुए कहा।
“ठीक है माँ लेकिन आज मैं नाश्ते में पराठे खाऊंगा”,वंश ने कुर्सी से अपना तौलिया उठाकर बाथरूम की तरफ जाते हुए कहा
“ठीक है”,कहकर सारिका नीचे चली आयी। आरती लेकर पुरे घर में घूमने के बाद सारिका ने उसे मंदिर में रख दिया और सबके लिए चाय बनायीं। चाय लेकर सारिका बाहर आयी और बाबा की तरफ कप बढ़ाते हुए कहा,”बाबा आपकी चाय”
“सारिका बेटा घर में दो दो नौकर है फिर ये सब काम तुम क्यों करती हो ? इन कामो के अलावा तुम हमारे साथ ओल्डएज होम भी सम्हालती हो घर भी,,,,,,,!!”,बाबा ने कहा
“बाबा हमे आपके और आई के लिए ये सब करना अच्छा लगता है”,सारिका ने प्यार से कहा
“कोई कुछ भी कहे हमे तो तुम्हारे हाथ की चाय और खाना ही पंसद है”,आयी ने आकर बैठते हुए कहा तो सारिका ने मुस्कुराते हुए उन्हें भी चाय का कप थमा दिया और कहा,”हम शिवम् जी को देखकर आते है”
सारिका अंदर चली आयी शिवम् के लिए चाय ली और अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी। शिवम् नहा चुका था। सफ़ेद रंग का कुरता पजामा , हाथ में कड़ा , दूसरे हाथ में घड़ी , गले में सोने की चैन जिसमे “S” नाम का लॉकेट था। दाढ़ी मुछे। बालो आज भी शिवम् वैसे ही रखता था लम्बे और घने बस उन काळे घने बालो में एक सफ़ेद लट थी जिस से शिवम् का लुक काफी अच्छा लग रहा था। अपने कमरे में खड़ा शिवम् कुर्ते का बटन बंद करने की कोशिश कर रहा था पर लगा नहीं पा रहा था। सारिका ने देखा तो चाय का कप टेबल पर रखा और मुस्कुराते हुए शिवम् की तरफ आयी। उसने शिवम् के सामने आकर उसके हाथो को साइड करके कहा,”25 साल हो चुके है हमारी शादी को लेकिन आपसे ये बटन आज भी नहीं लगता है”
शिवम् ने अपने दोनों हाथो को सारिका के गले में डालते हुए बड़े ही प्यार से कहा,”ये बटन सिर्फ बहाना है ताकि आप हमारे पास आये और इसे अपने हाथो से सही करे और उस पल में हम आपको यू ही प्यार से निहारते रहे”
“इतना वक्त हो चुका है लेकिन आपकी आदत अभी तक नहीं सुधरी है , दो बच्चो के पिता है आप”,सारिका ने शिवम् की तरफ देखते हुए कहा
“सरु उम्र के साथ प्यार बढ़ता है घटता नहीं”,कहते हुए शिवम् ने जैसे ही सारिका के क़रीब आना चाहा घर के नौकर दीना ने आकर बाहर से ही कहा,”शिवम् भैया बाहर आपसे कोई मिलने आया है”
“जाईये”,सारिका ने शरारत से कहा तो शिवम ने कहा,”बच गयी आप”
सारिका ने सूना तो मुस्कुरा उठी और शिवम् वहा से चला गया। शिवम् बाहर बैठक में आता तो देखा दरोगा जी वहा बैठे थे। शिवम् को देखते ही उन्होंने कहा,”जय हिन्द सर”
“जय हिन्द बैठिये , कहिये कैसे आना हुआ ?”,शिवम् ने वहा पड़े सोफे पर बैठते हुए कहा
“कुछ खास नहीं सर बस बनारस में आपका बहुत नाम सूना था तो आपसे मिलने चला आया”,दरोगा जी ने कहा
“आपका शुभ नाम ?”,शिवम् ने पूछा
“किशोर दत्त सर , बनारस थाने में दरोगा हूँ कल ही पोस्टिंग हुई है। आपसे एक बार मिलने का मन था इसलिए चला आया”,किशोर ने कहा
“आपसे मिलकर अच्छा लगा , बनारस को अपना ही शहर समझे और यहा के लोगो को भी। उम्मीद करता हूँ बनारस की कानून व्यवस्था का आप सम्मान करेंगे”,शिवम् ने कहा तो किशोर के चेहरे के भाव बदल गए।
कुछ देर वह वहा रुका शिवम ने चाय का पूछा लेकिन किशोर ने मना कर दिया और वहा से निकल गया। घर से बाहर आकर उसने अपनी बाइक स्टार्ट की और वहा से निकल गया।

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