“मैं तेरी हीर” – 19
Main Teri Heer – 19
Main Teri Heer – 19
सुबह मुन्ना देर तक सोया हुआ था। आज पहली बार ऐसा हुआ की मुन्ना को उठने में देर हो गयी थी। अनु उसके कमरे में आयी और उसकी बगल में बैठकर प्यार से उसका सर सहलाते हुए कहा,”मुन्ना , आज बड़ी देर तक सोये तुम क्या बात है ?”
मुन्ना का सर सहलाते हुए अनु ने महसूस किया की मुन्ना का सर तप रहा है , उसने मुन्ना के गाल और हाथ छूकर देखे ,, अनु के स्पर्श से मुन्ना की नींद खुल गयी और वह उठकर बैठ गया।
“तुम्हे तो बुखार है , चलो डॉक्टर के पास चलते है”,अनु ने कहा
“माँ हम ठीक है , थकान की वजह से बदन तप रहा है बस”,मुन्ना ने कहा
“ऐसे कैसे तप रहा है ? तुम चलो मेरे साथ ,, पहले चलकर थोड़ा कुछ खा लो उसके बाद डॉक्टर के पास जायेंगे”,कहते हुए अनु उठी और मुन्ना को अपने साथ नीचे ले आयी। मुरारी से मिलने कुछ लोग आये हुए थे इसलिए वह उनके साथ बैठक में था। मुन्ना ने आकर वाशबेसिन में मुंह धोया और डायनिंग टेबल के पास आ बैठा। अनु ने उसे मुंह पोछने के लिए छोटा तौलिया दिया और किशना से मुन्ना के लिए चाय बनाने को कहकर वही बैठ गयी। वह एक बार फिर मुन्ना के हाथ और गाल को छूकर देखने लगी। उसे अपनी परवाह करते देखकर मुन्ना ने कहा,”माँ आप खामखा परेशान हो रही है , हम ठीक है”
“मुन्ना तुम ना अपना ख्याल नहीं रखते , जरूर इंदौर में बिना गर्म कपड़ो के घूमे होंगे”,अनु ने कहा
“गुड मॉर्निंग”,सामने दरवाजे से काशी ने अंदर आते हुए कहा
अनु और मुन्ना ने काशी को आते देखा तो दोनों मुस्कुरा उठे। अनु का तो ख़ुशी से चेहरा ही खिल उठा। उसने काशी को देखकर कहा,”अरे वाह सुबह सुबह तुम्हारे दर्शन हो गए अब तो दिन अच्छा जाने वाला है”
“बिल्कुल मौसी आप भूल गयी आज धनतेरस है और हमे दिवाली की खरीदारी करने जाना है”,कहते हुए काशी हाथ में पकडे बैग को टेबल पर रखती है और फिर मुन्ना के बगल में पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए कहती है,”और आपका मुंह क्यों उतरा हुआ है भाईसाहब ?”
“मुन्ना की तबियत खराब है काशी , कल रात से शायद इसे बुखार है और इसने मुझे बताया तक नहीं”,अनु ने कहा
“क्या सच में ? देखे ज़रा”,कहते हुए काशी ने मुन्ना के सर को छूकर देखा और कहा,”मौसी आप ना खामखा परेशान हो रही है हम अभी मुन्ना भैया के लिए एक स्पेशल काढ़ा बनाकर आते है देखना दो मिनिट में ठीक हो जायेंगे ये”
“काशी तुम भी माँ की तरह बात कर रही हो , हम बिल्कुल ठीक है बस थकान की वजह से ये सब,,,,,,,,,,,,,,खैर ये बताओ इन बैग्स में क्या है ?”,मुन्ना ने कहा
“पहले हम काढ़ा लेकर आते है फिर बताएँगे , मौसी तब तक इनको जाने मत देना”,काशी ने कहा और उठकर किचन की तरफ चली गयी। काशी के साथ अंजलि भी आयी थी जो की बाहर ही रुक गयी। घर के बाहर जो गार्डन था वहा ढेर सारे खूबसूरत पौधे लगे थे अंजलि उन्ही के फोटोज ले रही थी। कुछ देर बाद अंजलि अंदर आयी तो अनु ने कहा,”अरे तुम कहा रह गयी थी ?”
“छोटी मामी हम ना बाहर आपके गार्डन की फोटो ले रहे थे , कितने प्यारे प्यारे पौधे है”,अंजलि ने खुश होकर कहा
“हां बिल्कुल तुम्हारी तरह”,कहते हुए मुन्ना ने अंजलि के गाल को खींच दिया लेकिन अंजलि ने बुरा नहीं माना , वह तो बस बेचारे वंश की दुशमन थी। काशी मुन्ना के लिए काढ़ा ले आयी और उसके सामने रखते हुए कहा,”लीजिये मुन्ना भैया इसे पीकर आपकी सारी सुस्ती भाग जाएगी और आपके बदन का तपना भी कम हो जाएगा”
“ये कहा से सीखा तुमने ?”,मुन्ना ने एक घूंठ भरते हुए कहा साथ ही महसूस किया की वह काढ़ा पीने में वाकई बहुत अच्छा था
“नानी माँ से , जब भी हमे सर्दी होती थी तो नानी माँ ये काढ़ा बनाकर हमे पीला देती थी”,काशी ने कहा।
मुन्ना ने काढ़ा खत्म किया और कहा,”अब तो बता दो इन बैग्स में क्या है ?”
आदमियों को भेजकर मुरारी ने हॉल की तरफ आते हुए कहा,”अरे वाह सुबह सुबह लक्ष्मी खुद हमारे घर चली आई का बात है ?”
“विधायक जी जल्दी आईये आपके लिए इंदौर से कुछ लाये है हम”,काशी ने बैग से एक छोटा बॉक्स निकालते हुए कहा और मुरारी की तरफ बढ़ा दिया। मुरारी ने बॉक्स खोला उसमे ग्रे रंग के शीशे का धुप वाला चश्मा था जो की दिखने में बहुत ही प्यारा लग रहा था। मुरारी ने देखा तो खुश हो गया और कहा,”अरे वाह काशी जे तो बहुत बढ़िया है यार , मतलब एकदम ही गजब”
“लगाकर देखते है”,कहते हुए काशी ने डिब्बे से चश्मा उठाया और मुरारी की आँखों पर लगाते हुए कहा,”अब लग रहे है एकदम जहर , है ना मौसी”
“ए अनु बताओ कैसे लग रहे है हम ?”,मुरारी ने थोड़ा स्टाइल मारते हुए कहा
“क्या बात है मिश्रा जी जच रहे हो”,अनु ने कहा तो मुरारी ने चश्मा आँखों से हटाकर अपने कुर्ते की जेब में टाँग लिया और कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा,”काशी बताओ दिवाली पर का चाहिए तुमको ?”
“हमे सिर्फ ये चाहिए की आप हमेशा ऐसे ही रहे मस्त मौला , पता है आपसे मिलने के बाद ना सारी टेंशन दूर हो जाती है”,काशी ने मुरारी के बालो को सही करते हुए कहा तो मुरारी मुस्कुरा उठा और कहा,”बिल्कुल अपने पापा पर गयी हो काशी , शिवम् भैया भी हमेशा यही कहते थे”
“अब हम उनकी बेटी है तो उन पर ही जायेंगे ना , वैसे थोड़ा थोड़ा आप पर और मौसी पर भी गए है क्यों मौसी ?”,काशी ने कहा
“बिल्कुल हमारे गुण तुम में आने बहुत जरुरी है काशी वरना कल को तुम्हारे चाचा जैसा लड़का मिल गया तो उसे सीधा कौन करेगा ?”,अनु ने मुरारी को छेड़ते हुए कहा
“का मतलब हम बिगड़े हुए है ?”,मुरारी ने अपनी भँवे चढ़ाते हुए कहा
“ये बात तुमसे बेहतर कौन जान सकता है मुरारी”,अनु ने मस्कुराते हुए कहा
“तुमको ना हमारी कदर ही नहीं है”,मुरारी ने कहा
“अरे अरे आप दोनों बाद में झगड़ना पहले ये देखो हम सबके लिए क्या लाये है ?”,कहते हुए काशी ने दूसरे बैग से एक बहुत ही प्यारा लेदर का बैग निकाला , जो की ब्रांडेड था। अनु ने देखा तो खुश होकर कहा,”ये तुम्हे कहा से मिला ?”
“बस मिल गया कैसा है ?”,काशी ने कहा
“बहुत अच्छा है , इन्फेक्ट बहुत खूबसूरत है ,, थैंक्यू सो मच”,अनु ने काशी को साइड हग करते हुए कहा
मुन्ना के लिए काशी पहले ही वंश के साथ मिलकर शॉपिंग कर चुकी थी इसलिए उसके लिए कुछ नहीं लाइ। किशना ने सबके लिए नाश्ता लगा दिया सभी बैठकर नाश्ता करने लगे।
“अच्छा अनु तुम और काशी बाहर जाने वाली हो , एक काम करना हमारी तरफ से आई बाबा के लिए भी कुछो ले लेना”,मुरारी ने खाते हुए कहा
“आप साथ नहीं चलेंगे ?”,अनु ने पूछा
“अरे यार हमे ना किसी जरुरी मीटिंग में जाना है तो तुम चली जाओ बच्चो को ले जाओ साथ , एक काम करो किशना को ले जाना वह चला लेगा गाड़ी”,मुरारी ने कहा
“देखा काशी ये हमेशा ऐसे ही करते है”,अनु ने मुंह बनाते हुए कहा
“अरे यार हम जरूर चलते पर का करे काम पहले है ना , मुन्ना समझाओ अपनी माँ को यार”,मुरारी ने कहा
“कोई बात नहीं मौसी आप मैं और अंजलि चलेंगे ना , वैसे भी गर्ल्स टाइम इज बेटर देन मेनस कम्पनी , कुछ खरीदने भी नहीं देंगे और चलो चलो की रट लगा देंगे”,काशी ने कहा तो अनु झट से उसकी बात मान गयी। मुरारी ने काशी को देखा तो काशी ने बड़ी सी स्माइल के साथ धीरे से कहा,”सॉरी”
जवाब में मुरारी भी मुस्कुरा दिया और फिर सब नाश्ता करने लगे। काढ़ा पीने के बाद मुन्ना को थोड़ा आराम था। वह बाहर बगीचे में धूप सेकने चला आया। अनु , काशी और अंजलि मार्किट के लिए निकल गयी साथ में किशना को भी ले लिया ताकि वह गाड़ी चला सके। अंजलि आगे बैठकर अपने फोन से विडिओ बनाने में लगी थी और काशी अनु पीछे डिस्कस कर रही थी की उन्हें कहा से क्या लेना है ?
शिवम् सुबह से ही घर में डेकोरेशन करवा रहा था। दिवाली पर काशी घर आयी थी ऐसे में शिवम् सबके साथ धूमधाम से ये त्यौहार मनाना चाहता था। वह बाहर गार्डन एरिया में खड़ा , घर की दिवारो पर लड़को को रौशनी की लड़िया लगाने को बोल रहा था। सारिका चाय का को थामे शिवम् के पास आयी और कहा,”आपकी चाय”
शिवम् ने चाय का कप लिया और सारिका से कहा,”कैसी है तैयारियां ?”
“बहुत अच्छी है और आप कर रहे है तो बहुत ही ज्यादा अच्छी होगी”,सारिका ने प्यारी सी मुस्कराहट के साथ कहा
“इस बार की दिवाली कुछ यादगार होनी चाहिए , हम चाहते है सब इस जश्न में शामिल हो इसलिए हमने मुरारी से भी कह दिया है की इस बार की दिवाली अनु और मुन्ना के साथ हमारे यहाँ ही मनाये”,शिवम् ने चाय पीते हुए कहा
“ये तो बहुत अच्छी बात है वैसे भी अब अनु और मुरारी से इतना मिलना जुलना नहीं हो पाता , दिवाली के बहाने ही सही कम से कम कुछ वक्त उनके साथ बिताने का मौका मिल जायेगा”,सारिका ने कहा
“आपके लाड साहब उठ गए ?”,शिवम ने पूछा
“हाँ शायद , आज उसे हम अपने साथ ओल्डएज होम लेकर जा रहे है , उसके हाथ से उन सबको दिवाली पर कपडे और मिठाई दिलवाना चाहते है”,सारिका ने शिवम् की तरफ देखते हुए कहा
“अच्छा विचार है लेकिन वो जाएगा”,शिवम् ने कहा
“बेटे अपनी माँ की बात कभी नहीं टालते , क्यों सही कहा ना हमने ?”,सारिका ने सामने से आती आई को देखकर कहा
शिवम् मुस्कुराया और हाँ में गर्दन हिला दी। आई ने आकर शिवम् से कहा,”शिवा आज तुम घर में ही तो हम चाहते है तुम हमारे साथ चलो , तुम्हारी भुआ के यहाँ जल्दी ही वापस आ जायेंगे”
“ठीक है आई चलेंगे”,शिवम् ने कहा और वापस लड़को को काम समझाने लगा।
सारिका तैयार होकर आयी और वंश को आवाज दी। वंश तैयार होकर आ चुका था लेकिन उसे ये नहीं पता था की सारिका उसे कहा लेकर जा रही है। वह ख़ुशी ख़ुशी सारिका के साथ चल पड़ा। चलते हुए सारिका ने गाड़ी की चाबी वंश को दी और कहा,”तुम चला लोगे ना”
“ऑफकोर्स माँ”,वंश ने खुश होकर कहा। वह गाड़ी के पास आया और बड़े ही अदब से उसने सारिका के लिए दरवाजा खोला। सारिका ने उसे शुक्रिया कहा और अंदर आ बैठी। शिवम् आई को लेकर पहले ही जा चुका था। घर पर बाबा और दीना के साथ काम करने वाले लड़के थे। वंश ड्राइवर सीट पर आकर बैठा और गाड़ी स्टार्ट कर वहा से निकल गया। कई दिनों बाद वंश अपनी माँ के साथ बाहर आया था उसे बहुत अच्छा लग रहा था उसने सारिका से कहा,”माँ वैसे हम लोग कहा जा रहे है ?”
“ओल्डएज होम”,सारिका ने शांत भाव से कहा
“लेकिन आप मुझे वहा लेकर क्यों जा रही है ?”,वंश ने बुझे मन से कहा
“वहा चलो सब पता चल जाएगा”,सारिका ने कहा और फिर फोन आने पर बिजी हो गयी। वंश गाड़ी चलाते हुए मन ही मन कुढ़ने लगा और कहने लगा,”माँ भी ना , पता नहीं मुझे वहा क्यों लेकर जा रही है ? इस से अच्छा तो मैं काशी के साथ चला जाता कम से कम मुन्ना के घर रुक जाता”
कुछ देर बाद गाड़ी ओल्डएज होम के अंदर आकर रुकी। वंश और सारिका गाड़ी से उतरे , वहा का मैनेजर गुलशन आया और सारिका से कहा,”नमस्ते मेडम आपने जो जो कहा था वो सब तैयारियां हो चुकी है”
“बहुत बहुत शुक्रिया , वंश चलो आओ”,सारिका ने कहा तो वंश ने अपनी जेब से चश्मा निकालकर आँखों पर लगा लिया और सारिका के पीछे पीछे चल पड़ा। सारिका वंश को लेकर खुले हॉल नुमा जगह पर आयी जहा दो बड़े बड़े टेबल्स पर सामान और मिठाई के डिब्बे रखे थे। वही सामने ओल्डएज होम के सभी लोग वह मौजूद थे , जिनमे कुछ बच्चे और बड़े भी थे। सारिका वंश को लेकर सबके सामने आयी और हाथ जोड़कर कहने लगी,”
आप सभी को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाये , आप सब एक परिवार की तरह है इसलिए हम आप सभी को इस अवसर पर ये कुछ तोहफे देना चाहते है । हम चाहेंगे की आप इसे स्वीकार करे।”
सारिका ने बड़े ही प्यार से कहा जिसे सुनकर सबने मुस्कुराते हुए सहमति में अपना सर हिला दिया। सारिका ने कपड़े और मिठाई का डिब्बा उठाकर वंश की तरफ बढ़ा दिया , वंश को थोड़ा अजीब लग रहा था क्योकि इस तरह के कामो में उसे ज़रा भी दिलचस्पी नहीं थी फिर भी सारिका के लिए उसने सबको एक एक करके कपडे और मिठाई देना शुरू कर दिया। जब एक बुजुर्ग महिला वंश के सामने आयी और उसने वंश के सर पर अपने काँपते हुए हाथ रखकर उसे आशीर्वाद दिया। उस बुजुर्ग महिला का स्पर्श वंश के मन को अंदर तक छू गया। अब तक जिस वंश को यहाँ आकर खीज हो रही थी अब वही बड़े प्यार से उन सबको कपडे और मिठाई दे रहा रहा था। सारिका वहा से किसी दूसरे काम के लिए चली गयी। उसने गुलशन को एक चेक दिया और,”इन पैसो से आप यहाँ की सजावट करवा दीजियेगा और सबके लिए अच्छे खाने का इंतजाम भी करवा दीजियेगा। बचे हुए पैसो से बच्चो के लिए पटाखे और रौशनी ला दीजियेगा”
“मैडम आप इन सबके लिए इतना सब कर रही है , आपकी तारीफ करने के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं है”,गुलशन ने चेक हाथ में थामे हुए कहा
“हमने जो किया वो कुछ भी नहीं है गुलशन”,सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा
“मैं कुछ समझा नहीं मैडम”,गुलशन ने उलझन भरे स्वर में कहा
“उधर देखिये”,कहते हुए सारिका ने गुलशन को कुछ दूर खड़े वंश को देखकर कहा जो की सबके साथ अपने फोन में सेल्फी ले रहा था , हंस रहा था , खुश हो रहा था। गुलशन भी उसे देखकर मुस्कुरा उठा तो सारिका ने कहा,”आज पहली बार वंश को इतना खुश देखा है , वह जल्दी किसी के साथ घुलता मिलता नहीं है लेकिन यहाँ रहने वाले इन सब लोगो ने उसे इतना प्यार दिया की वह उनके बीच हंस खेल रहा है। अब आप बताओ हम इनके लिए ज्यादा कर रहे है ये हमारे लिए”
गुलशन मुस्कुराया और कहा,”आप बहुत अच्छी है मैडम महादेव आपकी हर इच्छा पूरी करे,,,,,,,,,,,,,,हैप्पी दिवाली मैडम”
“हैप्पी दिवाली गुलशन , अब हमे निकलना होगा घर पर भी बहुत सारे काम है”,सारिका ने कहा और फिर वंश की तरफ चली आयी। जैसे ही सारिका और वंश जाने लगे एक छोटी से बच्ची ने वंश की पेंट खींचते हुए नीचे झुकने का इशारा किया। वंश घुटनो पर उसके सामने आ बैठा तो बच्ची ने अपनी ऐड़िया उठाकर वंश के गाल पर एक किस किया और कहा,”आप बहुत क्यूट हो भैया”
वंश मुस्कुराया और बच्ची के गाल खींचते हुए कहा,”तुम भी बहुत क्यूट हो”
“वापस कब आओगे ?”,बच्ची ने पूछा
“बहुत जल्द , इन्फेक्ट इस बार एक नहीं दो दो भैया और दीदी भी आएंगे”,वंश ने खुश होकर कहा और फिर बच्ची की तरफ हाथ हिलाते हुए सारिका के साथ गाड़ी की तरफ बढ़ गया। इस बार ड्राइविंग सीट पर सारिका थी। वंश ने बड़े प्यार से सारिका को साइड हग किया और कहा,”माँ !!! आई लव यू”
जवाब में सारिका मुस्कुरा दी जिस मकसद से सारिका वंश को वहा लेकर आयी थी वो पूरा होता नजर आया।
क्या इस बार की दिवाली इन सबके लिए यादगार होगी ? वंश का ओल्डएज होम में खुश होना क्या वह बदल रहा है ? क्या है मुन्ना की उदासी की वजह जानने के लिए सुने “मैं तेरी हीर”
Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 19Main Teri Heer – 1
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क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 20
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संजना किरोड़ीवाल
Vansh ka badla hua roop dekhkar bahut acha laga, vansh dil ka acha h bas thoda shararti h, or ye anu or murari ki nokjhok ka mazaa hi alag hai.
I think ab vansh me bhi achhe changes aayenge
इस बार वंश की दीपावली यादगार होगी…जिसकी शुरूआत ओल्ड ऐज होम से शुरू हो गई…
Katai jeher💞💞💓💓♥️♥️
Aj vansh ka ek alag hi roop dekhne ko mila mazaa aa gya wse aj munna ko udaas dekhkr a ha nhi lg rha tha
Happy वनसोमवार sanjana ji
har har mahadev
Very beautiful
Beautiful part
Awesome mam aur shakti ki bhi entry ho gai superb mam 😊😊😊😊😊
nice part mam word nahi h kehne ko superb
Chlo vansh ko sarika ko smjhana chah ri thi ya mehsus krana chahti thii bo mhsus ho gyaa❤️❤️❤️
Chalo vansh ne kuch acha kiya Sarika ke sath ake part acha tha👏
Nice story
As always superb superb superb superb superb superb superb superb superb part 👌👌👌👌👌👌 eagrly waiting for the next 👌👌👌👌👌👌 beautiful story 👌👌👌👌👌
Beautiful part 😍🙂😍😍🙂