Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 17

Main Teri Heer – 17

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Main Teri Heer – 17

काशी से मिलकर मुरारी और अनु वापस घर के लिए निकल गए। सारिका ने अंजलि को कुछ दिन के लिए वही रोक लिया। अंजलि का मन देखते हुए राधिका ने भी हां कह दी और काशी से घर आने का बोलकर चली गयी। शिवम् भी किसी काम से बाहर निकल गया। सारिका अपना काम खत्म करके अपने कमरे में आयी देखा काशी सो रही है , उसने कम्बल उठाया और उसे ओढ़ाकर उसके सर पर प्यार से हाथ फेरकर चली गयी। सारिका ने देखा वंश कही नजर नहीं आ रहा तो वह ऊपर कमरे में चली आयी। कमरे में आकर सारिका ने देखा वंश का लेपटॉप बिस्तर पर ही पड़ा है और वंश वही पास में सो रहा है। सारिका ने लेपटॉप उठाकर बंध करते हुए कहा,”पता नहीं इस लड़के का क्या होगा ?”
वंश नींद में था सारिका ने उसे भी कम्बल ओढ़ाया और उसका सर चूमकर बाहर चली आयी। काशी के आने से सारिका बहुत खुश थी दोनों बच्चे और सब घरवाले साथ थे लेकिन इन सब में सारिका अपने पापा को बहुत याद कर रही थी , काफी वक्त हो गया था उनसे मिले हुए। अगले दिन धनतेरस था इसलिए सारिका आई के पास बैठकर दिवाली पूजा की तैयारियों के बारे में बात करने लगी। सारिका ने जब सारी तैयारियां खुद करने की बात कही तो आई ने कहा,”पगला गयी हो बिटिया , कितना काम करोगी ? अरे घर में दो दो लड़के रखे है , और कोई काम बचे तो मैं हूँ तेरे बाबा है शिवा है ,, हम सब भी तो इन सब कामो में तेरा हाथ बटा सकते है ना”
“आई आप और बाबा बस आराम कीजिये और हम अकेले नहीं करेंगे शिवम् जी की मदद से ही करेंगे सब”,सारिका ने बड़े प्यार से कहा
“अच्छा कल धनतेरस है चलो चलकर उसकी तैयारियां कर लेते है”,आई ने कहा और सारिका को अपने सथलेकर चली गयी।

शाम में काशी और अंजलि तैयार होकर कमरे से बाहर आयी। अंजलि ने जींस और कुरता पहना था , बालो की पोनी टेल बना रखी थी सिम्पल लुक में वह काफी अच्छी लग रही थी। वही काशी ने चूड़ीदार हलके गुलाबी रंग का सूट पहना था जिसके साथ गहरा गुलाबी बनारसी दुपट्टा था। बालो को गूंथकर चोटी बना रखी थी। दो बारीक़ लटे उसके गालों पर झूल रही थी। ललाट पर छोटी सी काली बिंदी , आँखों में काजल , होंठो पर हल्की लिपस्टिक , कानो में झुमके और कंधे के एक साइड पर पिन अप किया दुपट्टा। काशी बहुत प्यारी लग रही थी सारिका और आई ने देखा तो सारिका ने काशी को अपनी तरफ आने का इशारा किया। काशी सारिका के पास आयी तो सारिका ने अपनी आँख से काजल लेकर काशी के कान के पीछे लगाते हुए कहा,”बहुत सुन्दर लग रही हो किसी की नजर ना लग जाये”
“माँ हमे किसी की नजर नहीं लगेगी इन्फेक्ट हम से ज्यादा खूबसूरत तो आप और आई है”,काशी ने कहा
“जे बात तो तुमने सही कही काशी जबी पहली बार सारिका हमारे घर आयी थी हम तो इसे देखते ही रह गए , पहली नजर में ही जे हमरे मन को भा गयी”‘,आई ने सारिका की तरफ देखकर प्यार से कहा
“है ना आई , तभी हमारे पापा को इनसे प्यार हो गया”,काशी ने शरारत से कहा
“धत बेशर्म , अच्छा सुनो ध्यान से जाना ,, और हां वंश को साथ ले जाओ या फिर दीना को भेज देते है”,सारिका ने कहा
“माँ हम दोनों बच्चे थोड़ी है जो खो जायेंगे , हम दोनों चली जाएँगी आप दीना भैया को परेशान मत कीजिये”,काशी ने कहा
“हां हां बिल्कुल अपना ही बनारस है यहाँ कैसा डर ? जाओ बिटिया आराम से घूमकर आओ और हां आते हुए महादेव के दर्शन करना न भूलना”,आई ने कहा तो काशी अंजलि को लेकर वहा से चल पड़ी।
घर में दो दो गाड़ियां थी लेकिन काशी ने पैदल जाना सही समझा ताकि बनारस की संकरी गलियों में आराम से घूम सके। अंजलि और काशी दोनों बातें करते हुए बनारस घूमने लगी। काशी ने देखा पहले से बनारस काफी बढ़ल चुका था। डेवलपमेंट हुआ था लेकिन उस डेवलप्मेंट ने बनारस की खूबसूरती छीन ली। गलियों से होते हुए काशी मैन रोड पर पहुंची। चलते चलते अंजलि ने कहा,”अच्छा काशी दिवाली पर क्या पहनने वाली हो तुम ? हमने तो इस बार पापा से कहकर लहंगा मंगवाया है”
“हम , हम कुछ भी पहन लेंगे”,काशी ने चलते हुए कहा
“तुम तो इतनी सुंदर हो कुछ भी पहनो अच्छी ही लगोगी”,अंजलि ने थोड़ा अपसेट होकर कहा। हालाँकि नैन नक्श में अंजलि भी बहुत खूबसूरत थी लेकिन जिस उम्र में वो थी उस उम्र में अक्सर लड़किया अपने लुक्स और कपड़ो को लेकर चिंतित रहती है। अंजलि की बात सुनकर काशी एकदम से उसके सामने आ गयी
“अंजलि !! बाहरी खूबसूरती सिर्फ कुछ वक्त के लिए होती है आज है कल नहीं लेकिन हमारे मन की जो खूबसूरती होती हैं ना वो हमेशा बरक़रार रहती है। हर इंसान खुबसुरत है बस हमे अपना नजरिया बदलने की जरूरत है। दूसरी बात हम कैसे भी हो अगर हमे खुद से प्यार है तो लोग हमारे बारे में क्या सोचते है इस से फर्क नहीं पड़ना चाहिए”,काशी ने अंजलि के सामने उलटे कदम चलते हुए कहा
“तुम और तुम्हारी बातें , तुम्हारे और मुन्ना भैया के पास तो ज्ञान का भंडार भरा है , है ना”,अंजलि ने मुस्कुराते हुए कहा
“नहीं मुन्ना भैया हमसे ज्यादा समझदार है”,काशी ने कहा और दोनों शाहीद गोलगप्पे वाले के पास चली आयी। काशी को देखते ही आदमी ने कहा,”अरे कैसी हो काशी बिटिया ?”
“हम ठीक है चचा आप बताईये”,काशी ने मुस्कुराते हुए कहा
“बस महादेव की कृपा है बिटिया , बताओ का खाओगी ?”,आदमी ने पानी में बड़ा चम्मच घुमाते हुए कहा
“इसे नार्मल खिला दीजिये और हमे हमारा फेवरेट जलजीरा खट्टा , लेकिन थोड़ा तीखा बनाना हमे बहुत पसंद है”,काशी ने चटखारे लेते हुए कहा
“हमे नार्मल क्यों हम भी तुम्हारे वाला खाएंगे”,अंजलि ने कहा
“ठीक है चाचा दोनों को ही हमारे वाला खिलाईये”,काशी ने कहा। आदमी ने दोनों को कागज के दोने दिए और गोलगप्पे बनाकर खिलाने लगा। एक दो खाने के बाद ही अंजलि ने कहा,”बाप रे ये तो बहुत तीखा है हम नहीं खाएंगे ,, भैया हमे तो मीठे पानी वाले खिला दो”
अंजलि की हालत देखकर काशी हंसने लगी और कहा,”इसलिए हमने तुम्हारे लिए नार्मल लगाने को कहा”
कुछ ही दूर अपनी जीप की सीट पर बैठा राजन अपने दोस्तों के सामने गप्पे हाँक रहा था की अचानक उसकी नजर काशी पर पड़ी। उसने काशी को देखा तो बस देखता ही रह गया। राजन की नजरे कभी उसकी कजरारी आँखों पर जाती तो कभी उसके सुर्ख होंठो पर। राजन ने अपनी आँखों पर लगे चश्मे को हटाया और बड़े प्यार से काशी को देखने लगा। वह जीभरकर काशी को देखता इस से पहले ही साथ खड़े लड़को में से एक की नजर काशी पर जा पड़ी और उसने कहा,”भाई क्या माल है यार ?”
राजन ने सूना तो लड़के के गाल पर एक थप्पड़ रसीद करते हुए कहा,”साले तमीज से,,,,,,,,,,,,,!!”
“का राजन भैया कही तुम्हारा दिल तो ना आ गया लड़की पर”,दूसरे लड़के ने कहा
राजन मुस्कुराया और जीप से उतरते हुए कहा,”हम ज़रा जान-पहचान करके आते है”
“बेस्ट ऑफ़ लक भैया”,थप्पड़ खाये हुए लड़के ने गाल सहलाते हुए कहा
राजन गोलगप्पे वाले की ओर बढ़ गया तब तक काशी और अंजलि गोलगप्पे खा चुकी थी !
राजन बड़े ऐटिटूड में वहा आया और एकदम से काशी के सामने आकर गोलगप्पे वाले से कहा,”सुनो बे पैसे मत लेना इनसे”
काशी ने सूना , उसने एक नजर राजन को देखा और कहा,”क्यों ना ले ?”
“अरे हम है ना हम दे देंगे , तुम काहे परेशान होती हो”,राजन ने काशी देखते हुए कहा
“जहा तक हम जानते है ना तो आप हमारे भाई है ना ही हमारे बाप है जो हमारे पैसे चुकाएंगे”,काशी ने सख्त स्वर में कहा
“बाप भाई हमे बनना भी नहीं है हमे तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,खैर हमारा नाम है राजन , यही से है बनारस से”,राजन ने अपना हाथ काशी की तरफ बढाकर कहा
काशी ने राजन को इग्नोर किया और आदमी की तरफ पलटकर उसे पैसे पकड़ाते हुए कहा,”चाचा ये पैसे रखिये और हां बनारस में आज भी कुछ लोगो को ये सिखने की सख्त जरूरत है की ये बनारस है , इनके पिताजी का घर नहीं,,,,,,,,,,,,,,चलो अंजलि”
कहते हुए काशी अंजलि का हाथ थामे वहा से चली गयी। राजन को काशी पहली नजर में ही भा गई उसने ठेले पर रखी हरी मिर्च उठाकर एक टुकड़ा खाया और जाती हुई काशी को देखते हुए कहा,”बहुते तीखी है”
“का हुआ भैया कुछ बातो बनी ?”,राजन के लड़को में से एक ने आकर कहा
“हमको इसकी पूरी जन्म कुंडली चाहिए बे , निकलवाओ”,कहकर राजन वहा से चला गया

शाम हो चुकी थी काशी अंजलि का हाथ थामे अस्सी घाट की ओर बढ़ गयी। चलते हुए अंजलि ने कहा,”कौन था वो बद्तमीज लड़का ?”
“हम नहीं जानते लेकिन बहुत ही बकवास था।”,काशी ने कहा
“लेकिन तुमने उसकी क्या मस्त उतारी ना काशी बेचारा जिंदगीभर याद रखेगा”,अंजलि ने हँसते हुए कहा तो काशी के चेहरे पर भी मुस्कराहट तैर गयी।
दोनों एक दूसरे का हाथ थामे घाट चली आयी। घाट पर मौजूद लोगो को देखकर काशी की आँखों में चमक उभर आयी। कितना सुकून और भव्य नजारा था। सीढिया उतरते हुए दोनों नीचे चली आयी। सूरज ढलने जा रहा था और उसके बाद संध्या आरती होने वाली थी। काशी और अंजलि वही एक सीढ़ी पर बैठ गए। कुछ देर बाद काशी ने कहा,”हम दीपक और फूल लाना तो भूल ही गए , तुम यही बैठो हम लेकर आते है”
“ठीक है लेकिन जल्दी आना”,अंजलि ने कहा तो काशी उठी और वहा से कुछ सीढिया ऊपर जाकर फूल वाले के पास चली आयी। वहा से काशी ने एक दोना , दीपक और कुछ फूल लिए और वापस जाने के लिए चल पड़ी। अपनी धुन में मस्त काशी चली आ रही थी। सामने से ही एक आदमी बेतहाशा भागा चला आ रहा था और उसके पीछे एक 24-25 साल का लड़का भाग रहा था। वह लड़का जैसे ही आदमी को पकड़ने लगा गलती से काशी बीच में आ गयी और उस लड़के से जा टकराई आदमी भाग गया। काशी के हाथ से दोना , दीपक और फूल नीचे जा गिरे। उसने गुस्से से सामने देखा लेकिन जैसे ही उसकी नजर सामने खड़े लड़के पर पड़ी उसका गुस्सा एकदम से गायब हो गया। वह प्यार से उस लड़के को एकटक देखने लगी। सांवला रंग , काले बाल , काली गहरी आँखे , सुर्ख होंठ , हल्की दाढ़ी मुछे , गले में काले धागे में बंधा कोई ताबीज पहना हुआ था , गहरे लाल रंग का चेक्स वाला शर्ट जिस से उसके बाजुओं की कसावट साफ झलक रही थी। लड़का अभी भी वहा खड़ा भीड़ में उस आदमी को देखने की कोशिश कर रहा था। जब उसने काशी की तरफ देखा तो पाया की काशी उसे ही देख रही है। लड़के ने कुछ नहीं कहा और वहा से आगे बढ़ गया और अगले ही पल भीड़ में गायब भी हो गया। काशी को होश आया तो देखा लड़का वहा नहीं है। उसका मन बैचैन हो उठा , आखिर कौन था वो शख्स जिसे देखकर काशी उसकी आँखों में खोकर रह गयी। सिर्फ सवाल थे जवाब नहीं था। काशी ने नीचे गिरे सामान को उठाया और वही पास पड़े छबड़े में डाल दिया क्योकि गिरा हुआ सामान वह महादेव् को अर्पित नहीं कर सकती थी।

भीड़ में खड़े उस लड़के ने जब काशी को सामान उठाते देखा। कुछ देर बाद एक छोटा लड़का आया और काशी की तरफ एक टोकरी बढ़ा दी जिसमे , दीपक , फूल और दोना था।
“ये किसने भेजा है ?”,काशी ने लड़के से कहा
“उह भैया ने,,,,,,,,,,,,,!!”,लड़के ने सीढ़ियों से ऊपर जाते उसी लड़के की तरफ इशारा करते हुए कहा जो कुछ देर पहले काशी से टकराया था। काशी ने जैसे ही जाने का सोचा पीछे से अंजलि ने आवाज देकर कहा,”काशी चलो ना आरती शुरू होने वाली है”
काशी वापस अंजलि के पास चली आई , उसने मुड़कर देखा लेकिन लड़का जा चुका था।

एक ही दिन में काशी दो लड़को से मिली एक राजन जिससे पहली ही मुलाकात में काशी की झड़प हो गयी और दुसरा ये लड़का जो कौन था ? कहा से आया था कोई नहीं जानता था ? काशी से टकराने वाला लड़का कौन है ? क्या राजन काशी का दिल जीत पायेगा जानने के लिए पढ़ते रहे मैं तेरी हीर………………..मेरे साथ !

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संजना किरोड़ीवाल

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