Main Teri Heer – 72
Main Teri Heer – 72

शक्ति आँखे फाड़े आशिफ के निर्जीव शरीर को देख रहा था की तभी किसी के आने की आवाज उसके कानों में पड़ी और उसकी तंद्रा टूटी , शक्ति ने पलटकर देखा तो पाया इंस्पेक्टर पंकज वहा आ रहा था। शक्ति अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ। पंकज शक्ति के पास आया और जैसे ही उसने आशिफ की लाश देखी उसके चेहरे का रंग उड़ गया , उसने शक्ति की तरफ देखा और कहा,”सर ! सर ये क्या किया आपने ? आपने आसिफ को मार दिया,,,,,,,,,,,,,,!!”
“हमने इसे नहीं मारा है,,,,,,,,,,,,,हमारा यकीन करो पंकज हमने इसे नहीं मारा है,,,,,,,,,,,,,,आज सुबह सुबह हम पर हमला हुआ और जब हम घर से बाहर आये तो हमने आसिफ को मरा हुआ पाया,,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने अपनी सफाई में कहा
“क्या ? आप पर हमला हुआ था ? सर मुझे तो लगता है ये जरूर आसिफ के गैंग की कोई चाल है , आपका यहाँ रुकना किसी खतरे से कम नहीं है,,,,,,,,,,,,आपको यहाँ से कही और चले जाना चाहिए”,पंकज ने जल्दी जल्दी में कहा शक्ति ने महसूस किया जैसे पंकज उस से कुछ छुपा रहा है लेकिन उसने पंकज के सामने में कुछ नहीं कहा वह बस समझने की कोशिश कर रहा था कि उसके साथ ये सब क्यों हो रहा है।
पंकज आशिफ की तरफ आया और उसे देखने लगा। वह ऐसे दिखा रहा था जैसे वह कुछ ढूंढ रहा हो। शक्ति ने देखा तो कहा,”हमने इसे नहीं मारा है”
पंकज पलटा और कहा,”लेकिन इस वक्त लाश आपके घर में है और पहला शक भी आप पर ही जाता है ,, उस दिन जब आप आशिफ को लेकर पुलिस स्टेशन आ रहे थे तब आसिफ ने आप पर हमला किया और भाग निकला,,,,,,,,,,,,,,,,आपको कुछ दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया लेकिन आज से आप वापस अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने वाले थे और आपके साथ ये हो गया , अगर डिपार्टमेंट को पता चला तो आपकी नौकरी खतरे में आ जाएगी सर,,,,,,,,,,,,,आप खुद को बेगुनाह साबित भी नहीं कर पाओगे”
पंकज ने सब बाते बहुत ही गंभीरता से कही और फिर शक्ति के सामने आकर एकदम से हंस पड़ा। पंकज की हंसी शक्ति को अपने सीने में चुभती सी महसूस हो रही थी। पंकज उसका जूनियर था और हमेशा उसकी इज्जत किया करता था लेकिन आज पंकज की बातो में शक्ति के लिए ना परवाह थी और ना ही सम्मान,,,,,,,,,,,,,!!”
“पंकज ! तुम होश में तो हो हम कह रहे है कि हमने इसे नहीं मारा , क्या तुम्हारे पास इसका कोई सबूत है ? लाश का हमारे घर के लॉन में मिलने का मतलब ये नहीं है कि खून हमने किया है।
हम तुम्हे पहले ही बता चुके है कि आज सुबह ही हम पर हमला हुआ है और हो सकता है वो हमलावर आसिफ ही हो जो किसी के कहने पर हमे मारने यहाँ आया हो और खुद किसी का शिकार हो गया। ये खून हमने नहीं किया ये साबित करने में हमे सिर्फ 24 घंटे लगेंगे लेकिन ये खून हमने किया है तुम ये साबित करके दिखाओ,,,,,,,,,,,,,,हम डिपार्टमेंट में फोन करने जा रहे है।”,शक्ति ने कड़कदार आवाज में कहा तो पंकज खामोश हो गया
पंकज को लगा वह शक्ति को डरा देगा और शक्ति उस से बचाने के लिए मदद मांगेगा लेकिन यहाँ तो उलटा हो गया। शक्ति ने डिपार्मेंट में फ़ोन किया और कुछ ही वक्त बाद पुलिस की गाड़ी के साथ एक एम्बुलेंस वहा आ पहुंची। शक्ति ने सब जानकारी दी और आशिफ की बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। शक्ति पंकज के पास आया और कहा,”बेईमानी की दौलत का स्वाद जब जबान पर लगता है तो सच्चाई से भरी जबान भी झूठ को मखमल में लपेट कर पेश करती है।”
पंकज ने सुना तो नफरत से शक्ति को देखने लगा पर शक्ति अभी भी उसका सीनियर था इसलिए वह आगे उस से कुछ कह नहीं पाया
“चलो !”,शक्ति ने गुस्से से तेज आवाज में कहा तो पंकज के साथ साथ सब वहा से चल पड़े और आकर जीप में बैठ गए। शक्ति अपनी गाड़ी में आकर बैठा और वहा से निकल गया।
हॉस्टल के दरवाजे पर खड़ी नीलिमा अपनी माँ के आने का इंतजार कर रही थी काफी देर इंतजार करने के बाद भी जब कोई नहीं आया तो नीलिमा मायूस होकर अंदर चली गयी। कुछ देर बाद एक गाड़ी आकर गेट के सामने रुकी और उसमे से उर्वशी उतरी और हॉस्टल के दरवाजे की तरफ बढ़ गयी। उर्वशी ने साड़ी के पल्लू से अपना चेहरा ढका हुआ था जिस से किसी की नजर उस पर ना पड़े। गार्ड इसे पहचानता था इसलिए अंदर आने से नहीं रोका। उर्वशी वार्डन से मिली और नीलिमा से मिलने उसके कमरे के सामने चली आयी।
दरवाजा बंद था उर्वशी ने एक गहरी साँस ली और दरवाजा खटखटा दिया। अगले ही पल दरवाजा खुला और सामने नीलिमा खड़ी थी उसने उर्वशी को देखा तो ख़ुशी से उसकी आँखे चमक उठी उसने चहकते हुए कहा,”माँ ! पता है मैं कब से आपका इंतजार कर रही थी , आप बाहर क्यों खड़ी हो अंदर आओ ना,,,,,,,,,,,,,,,!!”
नीलिमा उर्वशी का हाथ पकड़कर उसे अंदर ले आयी। नीलिमा के साथ उसकी रूम पार्टनर स्नेहा भी थी जिसे नीलिमा ने कुछ देर बाहर जाने को कहा।
स्नेहा ख़ुशी ख़ुशी बाहर चली गयी। नीलिमा ने दरवाजा बंद किया और जैसे ही पलटी उर्वशी के चेहरे पर चोट के निशान देखकर हैरानी से कहा,”माँ ! ये क्या हुआ , ये चोट कैसे लगी आपको ?”
“ये एक लम्बी कहानी है मैं तुम्हे फिर कभी बताउंगी , तुम यहाँ बैठो मुझे तुमसे कुछ बात करनी है”,उर्वशी ने नीलिमा का हाथ पकड़कर उसे अपने सामने बैठाते हुए कहा।
नीलिमा उर्वशी के साथ बिस्तर पर आ बैठी तो उर्वशी ने उसकी आंखो में देखा और कहने लगी,”मेरी बात ध्यान से सुनो नीलिमा , मैं जानती हूँ कि मैं तुम्हे एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी देने जा रही हूँ पर मैं मजबूर हूँ और नहीं चाहती तुम्हे मेरी तरह दर दर भटकना पड़े और लोगो की बदनीयती का शिकार होना पड़े”
“मैं कुछ समझी नहीं माँ”,नीलिमा ने असमझ की स्तिथि में कहा
उर्वशी ने नीलिमा के हाथो को थामकर उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”मैं चाहती हूँ कि तुम शादी कर लो,,,,,,,,,,!”
नीलिमा ने सुना तो उसे एक धक्का सा लगा , अभी वह कॉलेज में थी और उसकी इतनी उम्र भी नहीं हुई थी वह महज 20 साल की लड़की थी। उसने हैरानी से कहा,”ये आप क्या कह रही है माँ ? शादी वो भी इतनी जल्दी , अभी तो मेरी पढाई भी पूरी नहीं हुई है माँ,,,,,,,,,,,,,आप क्यों चाहती है मैं इतनी जल्दी शादी कर लू ?”
उर्वशी नीलिमा का हाथ छोड़कर उठी और कहा,”ओह्ह्ह नीलिमा तुम समझ नहीं रही हो , ये दुनिया अकेली औरतो के लिए नहीं बनी है , हर औरत को मर्द के साथ की जरूरत है इसलिए नहीं कि औरत कमजोर है पर इसलिए ताकि बाहर घूम रहे भेडियो की नजरे उन पर ना पड़े और वे उन्हें अकेला समझ अपना शिकार ना बनाये,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए उर्वशी नीलिमा के सामने आ बैठी और कहने लगी,”तुम्हारी जिंदगी में कोई मर्द होगा तो तुम और मजबूत हो जाओगी , कोई तुम्हे नुकसान नहीं पहुंचा पायेगा और ना तुम्हारा फायदा उठा पायेगा,,,,,,,,,,!!”
उर्वशी को बदहवास हाल में देखकर नीलिमा ने कहा,”माँ , माँ कुछ हुआ है क्या , आप , आप मुझसे क्या छुपा रही है प्लीज मुझे बताईये माँ ,, आज से पहले मैंने आपको ऐसे नहीं देखा कुछ तो है जो आपको परेशान कर रहा है , प्लीज माँ मुझे बताईये , मुझे बताईये क्या हुआ है ?
अपनी बेटी को परेशान देखकर उर्वशी का दिल भर आया और वह कहने लगी,”मैं आज जो तुम्हे बताने जा रही हूँ उसे ध्यान से सुनना नीलिमा,,,,,,,मैं तुम्हारी माँ नहीं हूँ नीलिमा,,,,,,,,,,तुम मेरी दोस्त की बेटी हो , तुम्हारे पिता की मौत के बाद तुम्हारी माँ मेरे साथ बार में एक डांसर का काम करने लगी , वहा तुम्हारी माँ की मुलाकात “जॉर्डन” से हुई , जॉर्डन तुम्हारी माँ को बहुत पसंद करता और चाहता था कि वह ये सब काम छोड़ दे,,,,,,,,,,,धीरे धीरे तुम्हारी माँ भी जॉर्डन को पसंद करने लगी और एक दिन पता चला कि उसे एक गभीर बीमारी है जिसके चलते वह कुछ महीनो बाद ही इस दुनिया को अलविदा कह गई ,
उस वक्त तुम 6 साल की थी,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारी माँ ने बार मालिक से कर्जा लिया था इसलिए उसने तुम्हे तुम्हारी माँ की जगह इस काम में उतारने की मांग की,,,,,,,,,,,,,जॉर्डन को जब ये बात पता चली तो तुम्हे इस नरक से बचाने के लिए उसने कहा कि तुम उसकी बेटी हो,,,,,,,,,, जॉर्डन तुम्हे अपने घर नहीं ले जा सकता था इसलिए मैंने तुम्हे अपना नाम दिया और मैं उसी बार में सालों काम करती रही,,,,,,,,,,,,,मैं जिन लोगो के साथ थी उनके लिए औरत बस जिस्म की भूख मिटाने का एक जरिया मात्र थी,,,,,,,,,,,,मैं नहीं चाहती थी तुम मेरी इस दुनिया का हिस्सा बनो इसलिए मैंने हमेशा खुद से दूर यहाँ हॉस्टल में रखा ताकि तुम अपनी पढाई और अपने सपने पुरे करो,,,,,,,,,,,
तुम्हारी माँ चाहती थी तुम पढ़ लिखकर एक बड़ी इंसान बनो,,,,,,,,,,,,,,पर कल जब उसने तुम्हारा नाम लिया तो मेरे तन बदन में आग लग गयी , उसकी गन्दी नजरे अब तुम पर है नीलिमा,,,,,,,,,,,,,,इसलिए मेरी बात मानों और अपने लिए कोई सहारा ढूंढ लो,,,,,,,,,,,,मैंने और तुम्हारी माँ ने मर्दो का जो रूप देखा है मैं नहीं चाहती तुम भी वही रूप देखो,,,,,,,,,,,,तुम्हे एक मजबूत हाथ को थामना होगा नीलिमा जो इन इंसानी भेडियो से तुम्हे बचा सके,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए उर्वशी घुटनो के बल गिरकर रोने लगी।
नीलिमा ने सुना तो उसे एक बहुत बड़ा धक्का लगा , अब तक वह उर्वशी को अपनी माँ मानते आ रही थी पर उर्वशी ने तो कभी शादी की ही नहीं ना उसका अपना कोई परिवार था ना ही उसका कोई पति , उसने अपनी पूरी जिंदगी सिर्फ नीलिमा की जिंदगी बनाने में गुजार दी। नीलिमा की आँखों से आँसू बहने लगे वह उर्वशी के सामने बैठी और रोते हुए कहा,”मुझे तो याद भी नहीं है मेरी माँ दिखती कैसी थी ? मैंने हमेशा आपको ही अपनी माँ माना है ,,, आपने कहा किसी ने मेरा नाम लिया , क्या वो जॉर्डन था ?”
उर्वशी ने नीलिमा की तरफ देखा और कहा,”उसका नाम विराज चौहान है,,,,,,,,,,,,,वो राजनीती का एक बड़ा चेहरा है और उसका हम कुछ नहीं बिगाड़ सकते , ये शहर उसके इशारो पर नाचता है नीलिमा,,,,,,,,,,,,वो तुम तक पहुंचे इस से पहले मुझे तुम्हे किसी मजबूत हाथो में सौंपना होगा”
“अगर ऐसा है तो आप जॉर्डन अंकल की मदद क्यों नहीं लेती ? क्या वो हमारे लिए कुछ नहीं कर सकते ?”,नीलिमा ने तड़पकर कहा
उर्वशी ने सुना तो फफक कर रो पड़ी और नीलिमा के हाथो को थामकर अपनी आँखों से लगाकर रोते हुए कहा,”उसने जॉर्डन को मार दिया है नीलिमा,,,,,,,,,,,,वो इंसान नहीं एक शैतान है जिसके लिए इंसानो की जान का कोई महत्व नहीं है , और मैं जानती हूँ वो मुझे भी मार देगा,,,,,,,,,,,,,!!!”
नीलिमा ने उर्वशी को अपने सीने से लगा लिया। उसके जहन में “विराज चौहान” नाम घूमने लगा। नीलिमा पहले भी ये नाम कबीर के मुंह से सुन चुकी थी। इस शहर में बस एक ही इंसान था जो उसे बचा सकता था। मन ही मन कुछ सोचकर नीलिमा ने एक बहुत बड़ा फैसला किया और उर्वशी का सर सहलाने लगी।
नंदिता ने मुन्ना के घरवालों के लिए आज दोपहर के खाने का इंतजाम अपने यहाँ रखा था। सगाई के वक्त तो मुन्ना के घरवालों से ज्यादा बात-चीत नहीं हो सकी थी इसलिए सोचा लंच के बहाने थोड़ी बाते भी हो जाएगी। शादी की तारीख तय हो चुकी थी और इस से गौरी बहुत खुश थी , खुश मुन्ना भी था वह बस घरवालों के सामने अपनी भावनाये जाहिर नहीं कर सकता था।
नंदिता के भाई ने सबको खाना खाने के लिए गेस्ट रूम में आने को कहा जहा पारम्परिक रूप से सबके लिए जमीन पर चौकी रखी गयी थी और बैठने के लिए आरामदेह गद्दिया लगवाई थी। सभी आकर बैठे , शिवम् और मुरारी ने गौरी के मामाजी को भी साथ में खाने के लिए बैठा लिया। खाना परोसने के लिए दूसरे लोग थे। मुन्ना वंश साथ साथ बैठे थे वंश के बगल में अंजलि , अनु , सारिका बैठी थी वही दूसरी तरफ सामने मुरारी , शिवम् , गौरी के मामाजी और एक रिश्तेदार और था।
नंदिता जी ने अधिराज जी , अम्बिका और आई बाबा से भी आने को कहा लेकिन वे लोग काफी थके हुए थे इसलिए उन्होंने आने से मना कर दिया। वही नवीन और मेघना को आज रात की ट्रेन से मुंबई के लिए निकलना था इसलिए वे अपनी पैकिंग में व्यस्त थे।
सब वहा मौजूद थे लेकिन वंश की निगाहे जिसे ढूंढ रही थी वो वहा नहीं था। घूमते घामते जय आया तो वंश ने उसका हाथ पकड़कर उसे बैठते हुए कहा,”अरे ! जय तुम कहा घूम रहे हो बैठो अपने होने वाले जीजाजी के साथ खाना खाओ,,,,,,,,,,!!”
“अरे आप लोग खाइये ना मैं आप सबको परोसता हूँ,,,,,,,,,,!!”,जय ने कहा
“अरे अरे नहीं तुम भी बैठो आखिर तुम हमारे मुन्ना के होने वाले साले जो हो,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा तो जय को बैठना पड़ा
दरअसल वंश नहीं चाहता था कि जय निशि में ज्यादा इंट्रेस्ट दिखाए या उसके आस पास भटके,,,,,,,,,,,,वैसे भी जय ने निशि के बारे में पूछकर आज सुबह वंश को उलझन में डाल ही दिया था।
वंश की नजरे निशि को ढूंढने लगी , अंजलि ने देखा तो धीरे से कहा,”वंश भैया ! सब्र रखो खाना आ जायेगा”
वंश ने पीछे से अंजलि के बाल खींचे और कहा,”मैं खाने का नहीं बल्कि खाना खिलाने वाली का इंतजार कर रहा हूँ,,,,,,,!!”
वंश की बात अंजलि के सर के ऊपर से गयी , तभी वंश की नजर सामने से आती निशि पर पड़ी और उसका चेहरा खिल उठा।
“अरे निशि बेटा ! तुम भी बैठो सबके साथ खाना खाओ”,नंदिता ने निशि का गाल छूकर बड़े प्यार से कहा
“आंटी जी ये क्या बात हुई ? क्या आपने बाकी सबकी तरह मुझे भी मेहमान समझ लिया , क्या मैं इस परिवार का हिस्सा नहीं हूँ,,,,,,,,,!!”,निशि ने मासूमियत से पूछा
“नहीं नहीं बेटा ऐसा क्यों कह रही हो ? काशी और गौरी की तरह तुम भी इस घर की बच्ची हो , और मुझे तो तुम बहुत प्यारी लगती हो”,नंदिता ने प्यार से निशि की ठुड्डी पकड़ कर कहा
“मुझे भी,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश प्यार भरी नजरो से निशि को देखते हुए बड़बड़ाया जिसे पास बैठे मुन्ना ने सुन लिया।
“तो फिर ये मिठाई का डिब्बा मुझे दीजिये और आप सारिका आंटी और अनु आंटी के साथ बैठिये,,,,,,,,,,,,आप सब को खाना बाकि लोग परोस देंगे बल्कि मैं भी उनकी मदद कर दूंगी,,,,,,,,,,,क्यों शिवम् अंकल मैं ऐसा कर सकती हूँ ना ?”,निशि ने शिवम् से कहा
शिवम् ने सुना तो मुस्कुरा कर कहा,”हाँ बेटा बिल्कुल , अब तो आप भी हमारे परिवार का हिस्सा बन चुकी है,,,,,,,,,,,!!”
निशि ने सुना तो ख़ुशी ख़ुशी शिवम् की तरफ बढ़ी उसने एक एक करके सबकी थालियों में लड्डू रखा और सबसे आखिर में पहुंची वंश के सामने निशि ने जैसे ही लड्डू वंश की थाली में रखना चाहा वंश ने हाथ आगे करके कहा,”आहा ! मैं लड्डू नहीं खाता”
निशि ने सुना तो वंश की बात पर ध्यान नहीं दिया और उसका हाथ साइड करके उसकी थाली में लड्डू रखा और वहा से चली गयी। वंश उसे देखता ही रह गया लेकिन निशि की इस हरकत पर आज वंश को गुस्सा नहीं आया।
मुन्ना ने देखा तो अपनी थाली में रखा लड्डू उठाया और खाकर कहा,”खा लो वंश , अब पता नहीं शादी का लड्डू कब खाने को मिले तब तक यही लड्डू सही,,,,,,,,,,,आखिर निशि जी ने इतने प्यार से जो रखा है”
वंश ने सुना तो लड्डू उठाया और मुन्ना को खुन्नस भरा लुक देते हुए लड्डू खा लिया !
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संजना किरोड़ीवाल


Ab lagta hai ki Vansh jaldi hee Nishi se apne pyar ka izhar kar dega…quki Jai bhi Nishi m interested le rha hai…ese m Vansh bilkul nhi chahega ki uski Nishi ko koi le jaye…halaki esa hoga nhi…lakin fir bhi kuch bhi ho sakta hai…lakin Shakti ne Pankaj ko achcha sunaya….chalo shukr hai ki Shakti ne thoda hee sahi, lakin Pankaj ko pechan liya hai ki wo bik chuka hai…ab Shakti ko Pankaj se bach kar rahna hoga…udhar Nilima ko bhi Urvashi ne sab sach bta diya…lakin iski bilkul kalpana nhi ki thi ki Urvashi apni dost ki Amanat yani uski beti ko itne pyar se rakhegi …lakin ab Nilima par bhi Viraj chauhan ki buri nazar par chuki hai aur Urvashi ne Nilima ko sab sach bhi bta diya… umeed hai ki Nilima jaldi se Kabir se shadi kar le …lakin uske liye Kabir bhi to tyar hona chahiye…