हाँ ये मोहब्बत है – 16
Haan Ye Mohabbat Hai – 16
चाइल्ड होम से निकलकर अखिलेश ने अपना फोन निकाला और उस में मीरा का नंबर डॉयल करते हुए एकदम से रुका और खुद में ही बड़बड़ाया,”नहीं , इस वक्त मैडम घर पर होंगी मैं उनसे डायरेक्ट घर जाकर ही मिलूंगा,,,,,,,,,,,लेकिन अगर उन्होंने पूछा इतनी सुबह मैं क्यों आया हूँ तो मैं उनसे कहूंगा क्या ? खैर जो भी हो मैं उन से मिले बिना रह भी तो नहीं सकता”
कहते हुए एक बड़ी सी मुस्कान अखिलेश के होंठो पर तैर गयी। उसने गाडी का दरवाजा खोला और उसमे आकर बैठ गया।
ये गाड़ी मीरा की थी जो कि पिछले कुछ महीनो से चाइल्ड होम में थी और अब अखिलेश इसे इस्तेमाल करता था। अखिलेश ने गाड़ी स्टार्ट की और वहा से निकल गया। सुबह का मौसम था और अखिलेश का मूड भी काफी अच्छा था उसने गाडी का म्यूजिक सिस्टम ऑन कर लिया और गुनगुनाते हुए गाडी चलाता रहा।
थोड़ी देर बाद गाड़ी ट्रेफिक में आकर रुकी। एक लड़की हाथो में बहुत सारे लाल और सफ़ेद गुलाब लिये गाड़ी के बगल में आयी और शीशा खटखटाया। अखिलेश ने शीशा नीचे किया और कहा,”नहीं चाहिए।”
“ले लीजिये ना भैया , देखिये कितने खिले खिले गुलाब है आपकी गर्लफ्रेंड खुश हो जाएगी,,,,,,,,,,,,,,ले लीजिये भैया।”,लड़की ने अखिलेश से रिक्वेस्ट करते हुए कहा
गर्लफ्रेंड का नाम सुनकर अखिलेश की आँखों के सामने एकदम से मीरा का चेहरा आ गया और उसने मन ही मन कहा,”ग्रलफ्रेंड नहीं आपको तो मैं अपनी वाइफ बनाऊंगा मैडम,,,,,,,,,,,,,,,लाल नहीं आपको सफ़ेद गुलाब पसंद है , मैं वही ले लेता हूँ।”
“क्या हुआ भैया ? ले लीजिये ना”,अखिलेश को खोया हुआ देखकर लड़की ने कहा
“अह्ह्ह हाँ कुछ नहीं , एक काम करो लाल रहने दो ये सफ़ेद वाले 8 गुलाब दे दो।”,अखिलेश ने कहा
लड़की खुश हो गयी और गुलाबों में से 8 सफ़ेद गुलाब छांटकर अखिलेश की तरफ बढ़ा दिये। अखिलेश ने लड़की को पैसे दिए तब तक ट्रेफिक भी क्लियर हो चुका था। उसने गुलाब अपनी बगल वाली सीट पर रखे और गाडी आगे बढ़ा दी।
अमर जी के घर की तरफ जाने वाली सड़क पर कंस्ट्रकशन का काम चल रहा था इसलिए अखिलेश को घूमकर दूसरे रुट से जाना पड़ा और इत्तेफाक से अखिलेश उसी तरफ चला आया जिधर अक्षत का घर था। अखिलेश की गाडी अक्षत के घर के बिल्कुल सामने से गुजरी तो ऑटोमैटिक धीरे हो गयी और अखिलेश घर की तरफ देखते हुए बड़बड़ाया,”बहुत रुलाया है तुमने मीरा को मिस्टर अक्षत व्यास लेकिन अब मैं उन्हें कभी रोने नहीं दूंगा ,, इतनी मोहब्बत दूंगा उन्हें कि वो तुम्हे तो क्या तुम्हारा नाम तक भूल जाएगी”
अखिलेश के शब्दों में अक्षत के लिये नफरत साफ झलक रही थी।
अक्षत ने मीरा के साथ जो किया उस से सब घरवाले अक्षत से बहुत नाराज थे। राधा तो बस रोये जा रही थी उसने कभी नहीं सोचा था उसके दोनों बच्चो की जिंदगी में ऐसा पल भी आएगा। अर्जुन तो गुस्से से लाल पीला हुआ जा रहा था और विजय जी उन्हें भी आज अक्षत पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन सब मीरा के लिये चुप थे। घर से जाते जाते मीरा ने उन्हें जो कहा उसके बाद किसी के पास कुछ बचा ही नहीं था कहने को लेकिन अर्जुन गुस्से से उबल रहा था।
जब उस से नहीं रहा गया तो उसने कहा,”आप लोग आशु से कुछ कहे ना कहे लेकिन मैं उस से सवाल जरूर करूंगा , आखिर वो इतना बड़ा फैसला कैसे कर सकता है ? वो मीरा को इस घर से जाने के लिये कैसे कह सकता है ?”
कहकर अर्जुन जैसे ही जाने को हुआ विजय जी ने उसकी बाँह पकड़कर उसे रोक लिया। विजय जी समझते थे इस वक्त अक्षत से बात करना आग में घी डालने जैसा है ,
उन्होंने अर्जुन को ही समझाना चाहा लेकिन अर्जुन ने उनका हाथ नीचे किया और कहा,”नहीं पापा ! हम में से किसी को तो उस से बात करनी होगी , उसका लिया हर फैसला गलत है , झगडे किसके बीच नहीं होते , गलतफहमियां किन के बीच नहीं होती है , तो क्या ऐसे झगड़ो और गलतफहमियों में लोग रिश्ते तोड़ देते है।
क्या आपके और माँ के बीच झगड़ा नहीं हुआ ? क्या मैं और नीता कभी नहीं झगड़ते ? लेकिन क्या आपने माँ को कभी घर से जाने को कहा ? क्या मैंने कभी नीता से रिश्ता तोड़ने की बात कही,,,,,,,,,,,,,,,तो फिर ये लड़का क्यों अपनी जिंदगी बर्बाद करने पर तुला है ,
इसे समझ क्यों नहीं आ रहा ऐसे तो ये अपना सब कुछ तबाह कर देगा पापा,,,,,,,,,,,,,,,आप लोगो ने भी मीरा का साथ नहीं दिया , मीरा को जाने दिया ,, आप सब घर के बड़े है उसके बाद भी इस घर के बच्चे सब बर्बाद कर रहे है और आप देख रहे है।”
कहते हुए अर्जुन की आँखों में आँसू भर आये।
मीरा के साथ अक्षत ने जो बर्ताव किया कही ना कही उस से अर्जुन बहुत दुखी था क्योकि मीरा सिर्फ उसके छोटे भाई की पत्नी ही नहीं बल्कि शुरू से उसकी अच्छी दोस्त भी रही है।
अर्जुन की बातें सुनकर विजय जी का दिल भी भर आया लेकिन वे कुछ बोल नहीं पाए बस ख़ामोशी से आँखों में नमी लिये अक्षत के कमरे की तरफ देखने लगे। विजय जी को खामोश देखकर दादू ने अर्जुन से कहा,”हम सब मजबुर है बेटा , अभी हालात ऐसे है जिन्हे कोई नहीं सम्हाल सकता , अपने पिता को समझने की कोशिश करो बेटा,,,,,,,,,,,,,,!!”
“कैसी मज़बूरी दादू ? आशु ने सबके सामने मीरा का हाथ पकड़कर उसे घर से बाहर निकाल दिया और हम सब बस देख रहे थे ,, किसी ने उसे रोका नहीं , गुस्सा सिर्फ उसे ही आता है क्या ? और गुस्सा करना ही है तो सही जगह करे ,, मीरा को तकलीफ पहुंचाकर क्या मिलेगा उसे ? ऐसे कैसे वो मीरा से अपना रिश्ता तोड़ सकता है ?”
“अरे बावला है क्या ? उसने कह दिया और रिश्ता टूट गया क्या ? अभी वो गुस्से में है इसलिये उसे खुद नहीं पता वो क्या बोल रहा है , क्या कर रहा है ?
जब गुस्सा शांत होगा तो उसे सब समझ आ जाएगा,,,,,,,,,,,,,और सिर्फ वो गुस्सा है मीरा से हम सब थोड़े है ,, हमारे लिए तो हमारी मीरा आज भी सबसे बढ़कर है ,, हमने तो उस से रिश्ता नहीं तोडा न”,दादी ने अगर आकर अर्जुन को समझाते हुए कहा
“नहीं दादी मैं उस से बात करके रहुगा”,कहकर अर्जुन जैसे ही सीढ़ियों की तरफ बढ़ा सामने से आते सोमित जीजू ने उसकी बाँह में अपना हाथ डालकर उसे पीछे धकेल दिया और थोड़ा कठोरता से कहा,”और तुम्हे लगता है इस से सब ठीक हो जाएगा”
सोमित जीजू जो कि हमेशा शांत , हसमुख और खुशमिजाज रहते थे आज उनके शब्दों में कठोरता देखकर हर कोई हैरान था। अर्जुन भी हैरानी से सोमित जीजू को देखने लगा तो उन्होंने आगे कहा,”इस वक्त उस से कुछ भी कहना सूरज को दिया दिखाने जैसा है , इस वक्त वो ऐसी आग में जल रहा है जिसमें वो सब जला सकता है। मैं आप सब लोगो से विनती करता हूँ उसे अकेला छोड़ दीजिये,,,,,,,,,,,,,,,,वो बुरा नहीं है हालातों ने उसे ऐसा बना दिया है।
उसे खुद नहीं पता वो क्या कर रहा है ? इस वक्त उसे कुछ भी कहकर हम लोग बस उसकी तकलीफ और दर्द को और ज्यादा बढ़ायेगे,,,,,,,,,,,,,!!”
निधि ने सोमित जीजू को दर्द में देखा तो आकर उनके गले लग गयी और रोते हुए कहा,”मीरा को इस घर में पहली बार मैं लेकिन आयी थी जीजू आज भाई ने मेरे सामने उसे इस घर से निकाल दिया और मैं कुछ नहीं कर पायी। मीरा मुझे कभी माफ़ नहीं करेगी जीजू , कभी माफ़ नहीं करेगी,,,,,,!!”
निधि सोमित के लिये काव्या की तरह ही थी इसलिये उन्होंने उसे चुप कराते हुए कहा,”नहीं निधि वो तुम से कभी नाराज नहीं होगी , अरे वो तो इतनी अच्छी है कि बिना किसी से शिकायत किये यहाँ से खामोश चली गयी और जाते जाते भी उसने सिर्फ आशु के बारे में ही सोचा,,,,,,,,,,,,लेकिन मैं ऐसा होने नहीं दूंगा , हम सब है ना हम सब एक साथ इन हालातों को सम्हाल लेंगे और देखना जिस ने उसे इस घर से निकाला है वो ही एक दिन उसका हाथ थामकर उसे वापस इस घर में लेकर आएगा,,,,,,,,,,,!!”
ये सब कहते कहते सोमित जीजू खुद भी रो पड़े
सोमित जीजू की बात सुनकर अर्जुन आकर उनके गले लगा और कहा,”आई ऍम सॉरी जीजू , मैंने गुस्से में,,,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी”
“पगले ! तुम्हे क्या लगता है सिर्फ आशु मेरा साला है , तुम सब मेरे बच्चे हो,,,,,,,,,,,,,मैं तुम में से किसी को भी दुखी नहीं देख सकता,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने कहा तो नीता , हनी भी उनके पास चले आये। सोमित जीजू को रोते देखकर तनु भी रोने लगी ,, नीता ने उन्हें सम्हाला।
घर के बच्चो को परेशान देखकर विजय जी और दादू का मन भी उदास हो गया। विजय जी राधा के पास आये और कहा,”राधा ! सम्हालो बच्चो को,,,,,,,,पापा आप आईये मेरे साथ,,,,,!!”
कहकर विजय जी दादू के साथ बालकनी की तरफ चले आये और उनसे बात करने लगे।
राधा ने सबको चुप करवाया। अर्जुन ऊपर अपने कमरे में चला गया। निधि , हनी , तनु और सोमित जीजू हॉल में पड़े सोफे पर आकर बैठ गए। राधा दादी माँ को लेकर उनके कमरे की तरफ चली गयी। ऐसे माहौल में भला भूख किसे लगती है लेकिन नक्ष को काफी देर से रोते देखकर नीता ने उसे हनी की गोद से लेते हुए कहा,”मैं इसे दूध पीला देती हूँ , ये शायद भूखा है।”
“हाँ भाभी,,,,,,,,!!”,हनी ने नक्ष को नीता की गोद में दे दिया। नीता नक्ष को लेकर वहा से चली गयी।
माधवी जी के सीने से लगी छवि बस रोये जा रही थी। वह किसी भी कीमत पर अपनी कोख में पल रहे बच्चे को हटाना नहीं चाहती थी। माधवी जी ने उसे खुद से दूर किया और उसका चेहरा अपने हाथो में लेकर उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”मेरी बात समझो छवि , हमारा यहाँ से जाना बहुत जरुरी है अगर लोगो को ये पता चला तो वो तुम्हारा जीना दुस्वार कर देंगे और मैं तुम्हे यू घुट घुट कर मरते देखना नहीं चाहती।
मेरे साथ गांव चलो छवि , वहा चलकर हम एक नयी जिंदगी शुरू करेंगे , ऐसी जगह चले जायेंगे जहा हमे कोई ना जानता हो ,,इस बच्चे का कोई अस्तित्व नहीं है कोई पहचान नहीं है , इसे इस दुनिया में नहीं आना चाहिए”
“इसकी पहचान मैं बनूँगी माँ , मैं इसे जन्म दूंगी , इसे पालपोसकर बड़ा करुँगी , इसके साथ नयी जिंदगी की शुरुआत करुँगी,,,,,,,,,,लेकिन मैं इसे खुद से दूर नहीं करुँगी माँ,,,,,,,,,,,,,,,!!”,छवि ने रोते हुए कहा
छवि की इस बात पर माधवी जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने छवि को पीछे करके कहा,”मत भूलो छवि ये एक रेपिस्ट का पाप है।”
छवि ने अपने कानों पर अपने दोनों हाथो को रख लिया और आँखे भींचकर कहा,”ऐसा मत कहिये माँ”
“यही सच है छवि , और यही सच तुम्हे पुरे समाज से , हर किसी से सुनने को मिलेगा ,, क्या ये सब सुन पाओगी ? क्या जवाब दे पाओगी सबको ?”,माधवी जी ने उसी लहजे में फिर कहा
छवि कुछ देर खामोश रही और फिर कहा,”हाँ सुनूंगी ! सब सुनूंगी अगर यही मेरी किस्मत है तो मैं सब सहूंगी माँ ,, जो कुछ हुआ और हो रहा है उन सब इस नन्ही सी जान का क्या कसूर ? लेकिन मत भूलो माँ कोर्ट के दरवाजे मेरे लिए बंद नहीं हुए है ,, मैं अपना केस रीओपन करवाउंगी माँ ,, मैं असली गुनहगार को सजा दिलवाकर रहूंगी”
कहते हुए छवि की आँखों के सामने विक्की का चेहरा घूमने लगा जिसे वह अपनी बर्बादी का कारण मानती थी।
छवि की बात सुनकर माधवी जी खामोश हो गयी उनके पास छवि की बात मानने के अलावा दुसरा कोई चारा नहीं था। वे वही जमीन पर घुटने पसारकर बैठ गयी और खाली आँखों से जमीन को देखने लगी। वही छवि के चेहरे पर कठोरता और आँखों में विक्की के लिये गुस्सा उबल रहा था।
अक्षत के केबिन में बैठे सचिन और चित्रा किसी नए केस पर स्टडी कर रहे थे तभी सचिन ने अपनी फाइल बंद की और चित्रा की तरफ देखते हुए कहा,”क्या छवि अपना केस फिर से रीओपन करेगी ? मुझे नहीं लगता वो फिर से ऐसा करेगी ,, पहले भी वकीलों और लोगो द्वारा उस पर कितना कीचड़ उछाला जा चुका है। गुनहगार सामने होने के बाद भी उसे इंसाफ नहीं मिला , वो दोबारा इस अदालत में इंसाफ मांगने क्यों आएगी ?”
सचिन की बात सुनकर चित्रा ने अपनी फाइल बंद की और उसकी तरफ देखकर कहने लगी,”छवि हार मानने वाली लड़की नहीं है सचिन , जिस दिन उसे अहसास होगा उसे इंसाफ दिलाने के लिये अक्षत सर ने क्या खोया है उस दिन वो अदालत जरूर आएगी। ये सच नहीं है कि अदालत ने उसे इंसाफ नहीं दिया बल्कि हम लोग उसे इंसाफ नहीं दिला पाये। अपने बेटे को बचाने के लिये सिंघानिया ने एक मासूम की जिंदगी दांव पर लगा दी लेकिन कब तक ? सच एक दिन सामने आ ही जाएगा और मैं छवि को इंसाफ दिलाकर ही रहूंगी”
चित्रा का विश्वास देखकर सचिन ने कहा,”मैं तुम्हारे साथ हूँ।”
“मैं अपने लिये चाय लेने केंटीन जा रही हूँ , तुम पिओगे ?”,चित्रा ने उठते हुए कहा
“अरे ! तुम बैठो मैं लेकर आता हूँ।”,सचिन ने चित्रा का हाथ पकड़कर उसे वापस बैठाते हुए कहा तो चित्रा मुस्कुरा उठी और सचिन वहा से चला गया। चित्रा ने अपनी फाइल खोली और एक बार फिर अपना ध्यान उस में लगा लिया।
अपने कमरे के सामने बालकनी में खड़ा अक्षत जाती हुई मीरा को देख रहा था ,जैसे जैसे मीरा आगे बढ़ रही थी उसका दिल धड़क रहा था और फिर एकदम से मीरा पलटी ये देखकर अक्षत भी जल्दी से पलट गया और मीरा की तरफ अपनी पीठ कर ली। वह नहीं चाहता था मीरा उसे देखे ,, बेचैनी और बढ़ती धड़कनो को काबू में करने के लिए उसने हाथ में पकड़ी सिगरेट को अपने होंठो के बीच रख लिया और जला ली।
मीरा के लिये उसने सिगरेट छोड़ी थी लेकिन अब तनहा रातो और बेचैनी के पलों में वही सिगरेट उसका सहारा थी। अक्षत एक के बाद एक कश लगाने लगा और फिर एकदम से उसका हाथ रुक गया वह सिगरेट को अपने होंठों के बीच वापस नहीं रख पाया। उसका दिल जोरो से धड़क रहा था। वह पलटना चाहता था लेकिन नहीं नहीं पलट पाया उसने खुद को सख्त दिखाने की कोशिश की लेकिन नहीं दिखा पाया और पलट गया लेकिन मीरा अब वहा नहीं थी। शायद वो जा चुकी थी , अक्षत खाली आँखों से घर के मेन गेट को देखता रहा और फिर वहा से अपने कमरे में चला आया।
कमरे में आकर वह बिस्तर पर आ बैठा लेकिन मीरा और उसका ख्याल उसके दिमाग से जा नहीं रहा था। बार बार उसकी आँखों के सामने वो पल आ रहा था जब उसने मीरा का हाथ पकड़कर उसे घर से बाहर निकाला था। अक्षत को धीरे धीरे अहसास हुआ कि उसने क्या किया है ? जैसे ही उसे समझ आया वह उठा और तेजी से कमरे से भागा , भागते हुए सीढ़ियों से नीचे उतरा और घर के दरवाजे की तरफ आया। अक्षत नंगे पैर ही घर से बाहर निकल गया उसे बस मीरा को रोकना था।
“मैं अभी आता हूँ,,,,,,!!”,अक्षत को बाहर जाते देखकर सोमित जीजू ने उठते हुए कहा
“जीजू मैं भी आता हूँ,,,,,,!!”,हनी ने भी साथ आना चाहा लेकिन सोमित जीजू ने मना कर दिया और वहा से निकल गए
मीरा पैदल ही बदहवास सी सड़क पर चली जा रही थी तभी पीछे से आती गाडी अचानक से रुकी। गाड़ी में कोई और नहीं बल्कि अखिलेश ही था। अचानक गाडी रुकने से मीरा पलटी लेकिन अखिलेश का चेहरा नहीं देख पायी पर अखिलेश ने जब मीरा को इस हाल में देखा तो तुरंत गाड़ी से नीचे उतरा और मीरा के पास आकर कहा,”मैडम आप ! आप इस हालत में यहाँ वो भी अकेले,,,,,,,,,,,,,,आप ठीक है ना मैडम ?”
मीरा अखिलेश की बातो का कुछ जवाब दे पाती इस से पहले ही उसे चक्कर आया और वह बेहोश होकर जैसे ही गिरने लगी अखिलेश ने उसे अपनी बाँहो में सम्हाल लिया। मीरा को होश नहीं था।
अखिलेश ने उसके गाल को थपथपाते हुए कहा,”मैडम , मैडम , मीरा मैडम , मैडम आँखे खोलिये ,, मै , मैं आपको हॉस्पिटल लेकर चलता हूँ।”
मीरा को ढूंढते हुए अक्षत भी उसी तरफ आया था लेकिन जैसे ही उसने मीरा को अखिलेश की बाँहो में देखा उसके कदम रुक गए। दूर खड़ा अक्षत ये समझ नहीं पाया कि मीरा बेहोश है ,, उसे लगा उसके बाद भी मीरा को सम्हालने वाले बहुत लोग है इस दुनिया में और ये सोचकर उसने अपने कदम पीछे ले लिये
Haan Ye Mohabbat Hai – 16Haan Ye Mohabbat Hai – 16Haan Ye Mohabbat Hai – 16Haan Ye Mohabbat Hai – 16Haan Ye Mohabbat Hai – 16Haan Ye Mohabbat Hai – 16Haan Ye Mohabbat Hai – 16Haan Ye Mohabbat Hai – 16Haan Ye Mohabbat Hai – 16Haan Ye Mohabbat Hai – 16Haan Ye Mohabbat Hai – 16Haan Ye Mohabbat Hai – 16Haan Ye Mohabbat Hai – 16
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संजना किरोड़ीवाल
Galatfehmi, galatfehmi aur galatfehmi… badhati hee ja rhi hai Akshat aur Meera k beach m…aur Akshat esa kaisa soch sakta hai ki Meera ko sabhalne wale log hai, lakin wo to nhi hai…bas ab akhilesh ko moka mil gaya hai aur jaise wo Meera ko ghar lekar pahuchega … Soundrya bua ji dimag m kuch aur hee aayega…