हाँ ये मोहब्बत है – 15
Haan Ye Mohabbat Hai – 15
व्यास हॉउस के दरवाजे हमेशा हमेशा के लिये बंद हो चुके थे और उन्हें बंद करने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद अक्षत था। वो अक्षत जो मीरा पर जान लुटाता था , वो अक्षत जो मीरा की एक आह पर दौड़ा चला आता था , वो अक्षत जो मीरा से बेइंतहा मोहब्बत करता था। आज वही अक्षत मीरा की शक्ल तक देखना नहीं चाहता था और वजह थी अपनों की फैलाई गलतफहमियां,,,,,,,,,,,,बंद दरवाजे के सामने नीचे जमीन पर घुटनो के बल बैठी मीरा रोये जा रही थी उसने कभी सोचा नहीं था ऐसा दौर भी उसकी जिंदगी में आएगा।
पास ही खड़ा रघु आँखों में आँसू और उदास चेहरा लिये मीरा को देख रहा था। जब उस से मीरा का रोना देखा नहीं गया तो वह मीरा के पास आया और कहा,”मत रोईए मीरा दी , अक्षत बाबा ने जो किया वो ठीक नहीं किया ,, अरे ! ऐसे कैसे वो आपको इस घर से जाने को कह सकते है ? आप इस घर की सदस्य है,,,,,,,,,,,,पर आप रोईए मत , अक्षत बाबा का गुस्सा तो जानती है ना आप उन्होंने गुस्से में आपसे जाने को कह दिया लेकिन आप मत जाईये,,,,,,,,,,,,,,,अक्षत बाबा को और इस घर को आपकी बहुत जरूरत है मीरा दीदी,,,,,,,,,,,,!!”
“इस घर के दरवाजे हमारे लिये हमेशा हमेशा के लिये बंद कर दिए गए है रघु भैया , इस घर के दरवाजे शायद कभी खुल भी जाए लेकिन उनके दिल के दरवाजे हमारे लिये कभी नहीं खुलेंगे,,,,,,,,,,,,सबको उनका गुस्सा दिखाई दे रहा है लेकिन उस गुस्से के पीछे की तकलीफ दिखाई नहीं दे रही जो हमने उन्हें दी है। उन्होंने हमारे साथ सही किया रघु भैया , उनके सबसे बुरे वक्त में हम उनके साथ नहीं थे। हम इतने स्वार्थी हो गए कि हमे हमारे सिवा किसी और का दर्द नजर ही नहीं आया।”,कहते हुए मीरा फफक फफक कर रोने लगी
“नहीं दीदी ऐसा मत कहिये , अक्षत बाबा आज भी बहुत प्यार करते है आपसे , जब से आप इस घर से गयी थी तब से एक बार भी उनको मुस्कुराते नहीं देखा , पूरा पूरा दिन वो अपने कमरे में रहते थे। किस से बात नहीं करते थे बस आपको और बिटिया को याद करते रहते थे। इस घर से सिर्फ आप नहीं गयी थी मीरा दीदी बल्कि अक्षत बाबा की हंसी और इस घर की आत्मा भी आपके साथ ही चली गयी,,,,,,,,,,,,,,,,इस घर में अब लोग रहते तो है लेकिन ज़िंदा लाशे बनकर,,,,,,,,,,,,
हम क्या बताये ये सब देखकर हमे कितना दुःख होता है , लेकिन आप दुःख मत कीजिये ,, आप बिल्कुल दुःख मत कीजिये अक्षत बाबा अभी गुस्से में है , जैसे ही उनका गुस्सा शांत होगा वो खुद आपको लेने आएंगे,,,,,,,,,,,,,!!”,रघु ने मीरा को हिम्मत देते हुए कहा
मीरा ने खुद को सम्हाला और उठते हुए कहा,”आज के बाद हम इसी उम्मीद के साथ जियेंगे रघु भैया कि वो हमे लेने आएंगे।”
“आप कहा जा रही है ?”,मीरा को जाते देखकर रघु ने पूछा
“यहाँ रहकर हम उनका दर्द बढ़ाना नहीं चाहते रघु भैया,,,,,,,,,,हम सब देख सकते है लेकिन उनकी आँखों में अपने लिये नफरत नहीं,,,,,,,,,!!”,मीरा ने आँखों में आँसू भरकर कहा जिन्होंने रघु को भी उदास कर दिया
“मैं आपके लिये गाड़ी मंगवा दू ?”,रघु ने कहा
“नहीं रघु भैया ! हम चले जायेंगे,,,,,,,,,,,,,घरवालों का ख्याल रखियेगा”,कहकर मीरा वहा से चल पड़ी।
थके कदमो से मीरा घर के मेन गेट की तरफ चल पड़ी। मीरा को जाते देखकर रघु की भी रुलाई फूट पड़ी और वह वहा से चला गया।
चलते चलते मीरा के दिल की धड़कने एकदम से तेज हो गयी और वह रुक गयी। उसने अपना हाथ अपने सीने पर रख लिया दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था। मीरा को महसूस हुआ जैसे अक्षत उसे देख रहा है। मीरा एकदम से पलटी घर की बालकनी में अक्षत उसकी और पीठ किये खड़ा था। मीरा की आँखों से एक बार फिर आँसू बहने लगे। जाने से पहले वह एक बार अक्षत को देखना चाहती थी।
अगले ही पल अक्षत पलटा , उसके होंठो के बीच सिगरेट रखी थी जिसे वह जला रहा था और ये देखकर मीरा का दिल टूट गया। मीरा को लगने लगा उसकी वजह से अक्षत अब खुद को तकलीफ पहुँचाने लगा हैं। मीरा वहा से चली गयी।
घर से बाहर आकर मीरा बदहवास सी पैदल ही चल पड़ी। साड़ी का पल्लू कांधे से लगकर नीचे सड़क पर घसीटता जा रहा था। चेहरा लाल और उदासी से घिरा हुआ , आँखों में भरे आँसू और बिखरी लटे उसके चेहरे पर झूल रही थी। मीरा बस चले जा रही थी उसे कोई होश नहीं था कहा जाना है बस उसकी आँखों के सामने चल रहा था अक्षत का गुस्सा और उसकी नफरत,,,,,,,,,,,,,,!!छवि के प्रेग्नेंट होने की बात सुनकर माधवी जी का सर चकराने लगा। वे वही पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी।
उनकी उखड़ती सांसो को देखकर डॉक्टर ने पानी का गिलास उनकी तरफ बढ़ाया और कहा,”रिलेक्स ! लीजिये पानी पीजिये , आप पेशेंट के प्रेग्नेंट होने की बात सुनकर इतना घबरा क्यों गयी ? वो माँ बनने वाली है ये तो अच्छी खबर है।”
माधवी ने गिलास एक नजर देखा और उठते हुए कहा,”हर खबर अच्छी नहीं होती है डॉक्टर”
डॉक्टर माधवी से आगे बात कर पाती या उन्हें कुछ पूछ पाती इस से पहले ही माधवी तेजी से वहा से निकल गयी।
उन्होंने बाहर आकर जल्दी जल्दी हॉस्पिटल का बिल भरा और इमर्जेन्सी वार्ड में चली आयी जहा छवि बिस्तर पर लेटी थी और उसके हाथ में अभी भी ग्लूकोज लगा था। माधवी ने आकर छवि के हाथ से ग्लूकोज निकाला और उसे उठाते हुए कहा,”चलो यहाँ से , अभी घर चलो।”
“अरे ये आप क्या कर रही है ? इनकी ड्रिप पूरी होने दीजिये अभी इन्हे आराम की जरुरत है।”,नर्स ने आकर कहा
“आराम ये घर जाकर कर लेगी मैंने आपका बिल भर दिया है , अब हम लोगो को यहाँ से जाने
दीजिये,,,,,,,,,,,,!!”,कहकर माधवी ने छवि का हाथ पकड़ा और उसे वहा से लेकर निकल गयी।
“अरे लेकिन,,,,,,,,,,,!!”,नर्स ने कहा लेकिन तब तक माधवी वहा से जा चुकी थी।
“माँ क्या हुआ है ? आप मुझे वहा से ऐसे क्यों ले आयी ?”,छवि ने हैरानी से पूछा लेकिन माधवी ने कोई जवाब नहीं दिया और सामने से आते ऑटो को रुकवाकर छवि से कहा,”बैठो,,!!”
माधवी का ये बर्ताव छवि को भी समझ नहीं आ रहा था। वह चुपचाप ऑटो में आ बैठी और माधवी भी उसके बगल में बैठ गयी। ऑटो आगे बढ़ गया। माधवी के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे।
छवि एकटक उन्हें देखते रही और फिर कहा,”माँ ! क्या बात है आप कुछ परेशान दिख रही है ,, डॉक्टर ने कुछ कहा क्या ?”
“छवि घर चलकर बात करेंगे।”,माधवी ने कहा और मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया जिस छवि उनकी आँखों में आयी नमी को ना देख पाये।
कुछ देर बाद ऑटो घर के सामने आकर रुका तो छवि ने उन्हें उतरने को कहा जिस से माधवी जी की तन्द्रा टूटी। वे छवि के साथ ऑटो से उतरी और ऑटोवाले को पैसे देकर घर की तरफ बढ़ गयी। उन्होंने मजबूती से छवि का हाथ थाम रखा था। छवि भी उनके साथ धीरे धीरे चल रही थी क्योकि उसे अभी तक कमजोरी महसूस हो रही थी।
माधवी जी छवि को लेकर घर आयी उन्होंने छवि को सोफे पर बैठाया और खुद बाथरूम की तरफ चली गयी। छवि का सर भारी हो रहा था इसलिये उसने अपना सर सोफे के लगा लिया और आँखे मूंद ली।
बाथरूम में शीशे के सामने खड़ी माधवी जी खुद को देखे जा रही थी। उनका चेहरा लाल पड़ चुका था। उनकी आँखों में भरे आँसू किसी भी वक्त बाहर आने को बेताब थे। माधवी ने नल चालू किया और फफक कर रो पड़ी। आवाज बाहर ना जाये सोचकर उन्होंने अपनी साड़ी के पल्लू को मुँह में खोंस लिया। छवि प्रेग्नेंट है ये बात जानकर उन्हें छवि के साथ हुई दुर्घटना याद आ गयी। माधवी जी समझ नहीं पा रही थी वो छवि को इस बारे में कैसे बताये ?
कुछ देर बार उन्होंने अपने आँसू पोछे और शीशे में देखते हुए मन ही मन कहने लगी,”नहीं माधवी तुम्हे कमजोर नहीं पढ़ना है , छवि के साथ जो हुआ उसमे छवि का क्या दोष ? वो बेचारी तो किसी और के किये गुनाह की सजा भुगत रही है। आज भले मैं छवि को ये बात ना बताऊ लेकिन एक वक्त के बाद तो ये सब उसके सामने आएगा ही तब क्या गुजरेगी उस पर कही,,,,,,,,,,,,,,,,कही वो खुद से ही नफरत ना करने लग जाए।
इस शहर के लोगो ने पहले ही बहुत दिल दुखाया है उसका , उस पर कीचड़ उछाला है , अगर लोगो को पता चला कि छवि प्रेगनेंट है तो ये लोग उसे जीने नहीं देंगे। मेरी छवि ये सब बर्दास्त नहीं कर पायेगी। नहीं ! मैं ऐसा हरगिज नहीं होने दूंगी मैं छवि को फिर से इस दर्द से गुजरने नहीं दूंगी,,,,,,,,,,,,,,!!”
माधवी जी ने एक बड़ा फैसला लिया और बाथरूम से बाहर चली आयी। उन्होंने देखा सोफे पर बैठी छवि सो गयी है। माधवी जी चुपचाप कमरे में गयी उन्होंने कबर्ड पर रखा सूटकेस उतारा और उसमे अपने और छवि के कपडे रखने लगी। खटपट की आवाज से छवि की नींद टूटी उसने देखा माधवी जी बैग में सामान रख रही है तो छवि उठकर उनके पास आयी और कहा,”माँ ! आप बैग क्यों पैक कर रही है ? हम लोग कही जा रहे है क्या ?”
“हाँ ! हम हमेशा के लिये इस शहर से जा रहे है , तुम्हारा जो भी जरुरी सामान और कपडे हो वो मुझे बता दो मैं रख देती हूँ।”,माधवी जी ने बिना छवि की ओर देखे बैग जमाते हुए कहा
“लेकिन क्यों माँ ? , अभी तो मेरा केस रीओपन होना बाकि है। मैं इस शहर से नहीं जा सकती माँ”,छवि ने कहा
“कोई केस रीओपन नहीं करना , कोर्ट की तरफ से फैसला आ चुका है तुम यहाँ सिर्फ अपना वक्त बर्बाद कर रही हो। अपना बैग पैक करो और मेरे साथ चलो यहाँ से,,,,,,,,,,!!”,माधवी ने थोड़ा गुस्से से कहा
“नहीं माँ ! मैं कही नहीं जाउंगी , कोई तो बात है जो आप मुझसे छुपा रही है। मुझे बताईये माँ क्या बात है ? ,, आप मुझे लेकर हॉस्पिटल गयी थी ना , क्या कहा डॉक्टर ने आपसे ?”,छवि ने बेचैनी भरे स्वर में कहा
“मुझे इस वक्त तुम्हारे किसी सवाल का जवाब नहीं देना है छवि , आज शाम ही हम यहाँ से हमेशा हमेशा के लिए चले जायेंगे।”,माधवी ने कहा और एक बार फिर सामान ज़माने लगी
माधवी जी की बाते छवि को बहुत अजीब लग रही थी आखिर ऐसा क्या था जो वो छवि से छुपा रही थी ?
छवि उनके पास आयी और उनका हाथ पकड़कर एकदम से अपने सर पर रखते हुए कहा,”आपको मेरी कसम है माँ बताईये आखिर बात क्या है ? आप क्यों ये शहर छोड़कर जाने की बात कर रही है ?”
छवि की बात सुनकर माधवी जी का दिल धड़क उठा , वे नम आँखों से छवि को देखने लगी और फिर धड़ाम से बिस्तर पर बैठ गयी।
“माँ , माँ क्या हुआ आपको ? आप ठीक है ना ?”,छवि ने उन्हें सम्हालते हुए कहा
“मैं ठीक हूँ लेकिन जो हो रहा है वो ठीक नहीं हो रहा , मेरी बात मानो छवि चलो यहाँ से,,,,,,,,,,!!”,माधवी ने रोते हुए कहा
“लेकिन क्यों माँ ? आखिर कोई तो वजह होगी यहाँ से जाने की ?”,छवि का सब्र अब जवाब दे चुका था इसलिए उसने तेज आवाज और गुस्से से पूछा
“क्योकि तुम माँ बनने वाली हो छवि , तुम्हारी कोख में उस घटिया आदमी का बच्चा पल रहा है।”,माधवी जी ने तेश में आकर छवि के सामने सच बोल दिया।
छवि ने सूना तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी और धड़कने एकदम से बढ़ गयी। वह प्रेगनेंट है जाकर ही उसका दिल टूट गया और उसकी आँखों के सामने वो मनहूस शाम घूम गयी। विक्की का चेहरा उसकी आँखों के सामने आया और उसकी आँखों में ठहरे आँसू गालों पर लुढ़क आये।
माधवी जी ने छवि को इस हाल में देखा तो वे जल्दी से उठकर उसके पास आयी और उसे सम्हालते हुए कहा,”छवि , छवि कुछ नहीं हुआ है , ज्यादा देर नहीं हुई हैं। हम यहाँ से बहुत दूर चले जायेंगे और इस बच्चे को गिरा देंगे,,,,,,,,,,,,,,!!”
“माँ,,,,,,,,,!!”,छवि ने तड़पकर एकदम से कहा
“अब यही रास्ता है छवि मैं इस शहर में लोगो के बीच तुम्हे और जलील होते नहीं देख सकती। मेरी बात मानो बेटा और चलो यहाँ से,,,,,,,,,,,,हम इस बच्चे को हटा देंगे,,,,,,,,,,!!”,माधवी जी ने बदहवास हालत में कहा
छवि ने उनकी और देखा और कहा,”नहीं माँ ! मै ऐसा नहीं कर सकती , मैं इस बच्चे को नहीं हटा सकती,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“पागलों जैसी बात मत करो छवि , इसे हटाने के सिवा और कोई रास्ता नहीं है। तुम्हारे साथ जो हुआ उसे मैं नहीं बदल सकती लेकिन आगे तुम्हारी जिंदगी खराब होने से बचा सकती हु।
हटा दो इस बच्चे को,,,,,,,,,!!”,माधवी जी ने कहा
“नहीं माँ , मैं ऐसा हरगिज नहीं करुँगी ,, आप ही बताईये मेरे साथ जो हुआ उसमे इस नन्ही सी जान का क्या कुसूर ? इसे क्यों इस दुनिया में आने से पहले ही मार दे ,, ये पाप मैं कभी नहीं करुँगी माँ,,,,,,,,,,,,,,कभी नहीं,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए छवि घुटनो के बल बैठ अपना चेहरा अपने हाथो में छुपाकर रोने लगी।
माधवी जी ने देखा तो उन्होंने छवि को अपने सीने से लगा लिया और खुद भी उसके साथ रो पड़ी।
चाइल्ड होम की लॉबी में खड़े अखिलेश ने लड़के से कहा,”बच्चो का नाश्ता तैयार हो जाये तो उन्हें नाश्ता करवा देना , मैं किसी जरुरी काम से बाहर जा रहा हूँ लौटने में वक्त लग जाएगा।”
“लेकिन आप कहा जा रहे है ? यहाँ किसी चीज की जरूरत हुई तो ?”,लड़के ने पूछा
लड़के का टोकना अखिलेश को पसंद नहीं आया तो उसने जलती आँखों से लड़के को देखा और गुस्से से दबी आवाज में कहा,”मैं कहा जा रहा हूँ ये मुझे तुम्हे बताने की जरूरत नहीं है ,
और फोन है न तुम्हारे पास और मेरा नंबर भी होगा,,,,,,,,,,,कोई काम हो तो मुझे फोन करना,,,,,,,,,,,अब मैं जाऊ ? पता नहीं सुबह किस का मुँह देखा था,,,,,,,,,,,!!”
बड़बड़ाते हुए अखिलेश वहा से चला गया। अखिलेश के इस बदले व्यवहार से पूरा चाइल्ड होम हैरान था और इसके पीछे की वजह क्या थी ये कोई नहीं जानता था ?
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संजना किरोड़ीवाल
Yeh bahut galat hua… Meera ka ese Ghar se jana… Akshat ka usse dikha kar cigarette Pina…. galat tha…dono dard m hai…lakin galatfehmiyone ne innn dono k beach m ghar bana liya hai…pta nhi ab Akshat kya karega
Akshat Misunderstanding ke chalte Meera ko apne se dur kar raha hai aur Meera ko lag raha ki yeah sab voh deserve karti hai kyu ki usne Akshat ko nahi samjha..Kya Akhilesh bi Soundarya ji se mila hua hai jo aise bartav kar raha hai…Madhvi ji ne Chavi ko bataya ki voh pregnant hai toh Chavi ne kaha ki voh kisi aur ki saza is nanni si jaan ko nahi degi aur Chavi yeah baat jankar khud sambhal nahi payi….I hope Akshat ki misunderstanding jaldi clear ho..aur Meera bi apni Soundarya ki asliyaat janne ki voh kaise hai…
Miss sanjana
M apki bht badi fan hu or mjhe akshat or Meera ki story bht psand h lekin aapne aaj ka chapter story m upload nhi kiya hai 16 ka audio book aayi h lekin story nhi aayi h pls story bhi upload kr dijiye 😊♥️