एक दर्द अपना सा – 1
Ak Dard Apna Sa – 1
Ak Dard Apna Sa – 1
“अश्विन तुम्हारा ट्रांसफर हो गया है , तमिलनाडु में”,बॉस ने लगभग आदेश देते हुए कड़े शब्दों में कहा और मेरे हाथ में लिफाफा पकड़ा कर चले गए …मैं मुंह लटकाये अपनी चेयर पर आकर बैठ गया , मैंने बैग उठाया और ऑफिस से बाहर आ गया ,, 6 महीनो में ये मेरा तीसरा ट्रांसफर था … पर तमिलनाडु का मैंने सोचा नहीं था … अभी मैं दिल्ली में रहकर एक प्राइवेट कम्पनी में काम कर रहा था .. घर आकर मम्मी पापा को फोन करके बताया और अपना बैग पैक करने लगा … आज शाम को ही तमिलनाडु के लिए निकलना था … स्टेशन आकर गाड़ी के बारे में पता किया गाड़ी आने में अभी एक घंटे की देर थी ,,, वेटिंग रूम में बैठकर मैं इन्तजार करने लगा मेरे अलावा वहा और भी लोग मौजूद थे सब अपनी धुन में मस्त !!
बैग से लिफाफा निकालकर खोलकर देखने लगा नया ऑफिस तमिलनाडु के नीलगिरि जिले के ऊटी शहर में था … ऊटी नाम पढ़ते ही मेरे दिमाग में सबसे पहले हरियाली और पहाड़ो का ख्याल आया ,, मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी अब मुझे अपने ट्रांसफर का जरा भी अफ़सोस नहीं था ..
“अब मैं अपनी किताब वहा आराम से लिख पाऊंगा , वहां डिस्टर्ब करने वाला कोई नहीं होगा ,,वैसे भी पहाड़ और हरियाली एक लेखक की पहली पसंद होती है .. एक नया उपन्यास लिखने के लिए भला इस से खूबसूरत जगह और क्या होगी”
मैं अपने ही ख्यालो में डूबा था की तभी ट्रैन के आने की घोषणा हुयी और मै वेटिंग रूम से बाहर आ गया ,, अपनी सीट ढूंढ़ने लगा ,, आज भीड़ बहुत थी ,, गर्मी के कारण चिपचिपाहट भी महसूस हो रही थी …
खैर अपनी सीट देखकर मैं वहा बैठ गया , उस बर्थ में मेरे साथ एक फॅमिली और थी , सभी अच्छे घर से थे खैर मैंने बैग से एक किताब निकाली और पढ़ने में बिजी हो गया ,, ट्रेन चल पड़ी और उसी के साथ खिड़की से आते ठण्डी हवा के झोंको में मुझे राहत पहुंचाई ..
सामने बैठे महाशय ने मुझसे बात करने की कोशिश की लेकिन कुछ औपचारिक बातो के बाद मैं फिर किताब पढ़ने में लग गया किताब पढ़ते पढ़ते कब नींद आयी पता ही नहीं चला सुबह उन्ही महाशय ने मुझे उठाते हुए चाय ऑफर की , वो इतने भी बुरे नहीं थे जितना पिछली रात मैंने सोचा था .. चाय पीकर मैंने उन्हे धन्यवाद कहा और थोड़ी देर उनसे बातें करने लगा .. कुछ ही देर में वो मुझसे बहुत घुल मिल गए .. मेरा स्टेशन आ चूका था उन्हें अलविदा कहकर मैं ट्रैन से उतर गया
फ्रेश होकर मैं फिर ट्रैन का इन्तजार करने लगा ,, लगभग पुरे दो दिन बाद मैं ऊटी पहुंचा ..
ऊटी में पापा के दोस्त माथुर अंकल का घर था वो अपनी पत्नी के साथ वहा कई सालो से रह रहे थे दो लड़के थे और दोनों ही अपनी अपनी फॅमिली के साथ विदेशो में सेटल हो गए .. पर माथुर अंकल और आंटी उनके साथ नहीं गए उसकी वजह थी ये शहर दरअसल इसी शहर में पहली बार आंटी से मिले थे और शादी के बाद से यही रहने लगे . छुट्टियों में अक्सर वे दोनों हमारे घर आया करते थे पापा के दिए पते के हिसाब से मुझे उनका घर ढूंढ़ने में ज्यादा परेशानी नहीं हुयी .. घर पहुंचकर मैंने जैसे ही दरवाजा खटखटाया सामने माथुर अंकल और रेखा आंटी खड़े थे .. उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा – अंदर आओ बेटा
अंदर आकर मैंने उनके पैर छुए और बैग साइड में रख दिया मुझे बैठने को कहकर आंटी अंदर चली गयी
माथुर अंकल – आपके पापा ने हमे पहले ही आपक आने की जानकारी दे दी थी उस हिसाब से हमने ऊपर का कमरा आपके लिए तैयार करवा दिया है ,, आने मे कोई परेशानी तो नहीं हुयी आपको ?
“जी नहीं अंकल , आप और आंटी कैसे है ,, पापा ने आपको और आंटी को इस दिवाली घर बुलाया है”
माथुर अंकल – मैं और रेखा ठीक है बेटा ,, हमारा भी उनसे मिलने का बहुत मन है लेकिन घर की जिम्मेदारियों से बाहर निकल ही नहीं पाते
मैं चुपचाप आँखों से घर का निरिक्षण करने लगा , घर बहुत ही सलीके से सजाया हुआ था ,घर के बाहर एक छोटा गार्डन बना हुआ था जिसमे अंकल ने बहुत से पौधे लगा रखे थे , घर में एक सुकून सा महसूस हो रहा था तभी आंटी चाय की ट्रे लिए आकर हमारे पास बैठ गयी और चाय पीते हुए मुझसे बातें करने लगी ..
मैंने अपने साथ लाये तोहफे उन्हें दिए तो वो बहुत खुश हो गए कुछ देर बाद माथुर अंकल ने कहा – बेटा आ थक गए होंगे ऊपर अपने कमरे में जाकर नहा लीजिये उसके बाद निचे आ जाईयेगा , आपके खाने पिने का सारा बंदोबस्त यही है .. किसी भी चीज की जरुरत हो तो निसंकोच कह देना ..
थैंक्यू अंकल कहकर अपना बैग लेकर मैं ऊपर कमरे में आ गया .. कमरा बहुत खूबसूरत था रूम में एक बड़ी सी खिड़की थी जिसपर हल्के नीले रंग के परदे लगे थे ,साथ ही एक बालकनी थी जिसमे बहुत सारे फूलो के गमले लगे थे ,, मैंने बैग रखा और कपडे लेकर नहाने चला गया
नहाने के बाद बहुत अच्छा महसूस हो रहा था .. कुछ देर लेटने के बाद आंटी आयी और खाना खाने के लिए निचे आने को कहकर चली गयी
निचे आया तो खाने की खुशबू से पूरा घर महक रहा था ,, आंटी ने मुझे बहुत प्यार से खाना खिलाया मैंने भी उनके खाने की बहुत तारीफ की और फिर ऊपर कमरे में आ गया ,, घडी में देखा दोपहर के 3 बज रहे थे मैं बिस्तर पर लेट गया सफर की थकान की वजह से मुझे नींद आ गयी … मैं देर तक सोता रहा /// रात का खाना मैंने अपने कमरे में ही खाया और वापस लेट गया .. तभी आंटी पानी की बोतल और कम्बल लिए मेरे रूम में आयी ,, पानी की बोतल टेबल पर रखी और कम्बल मुझे देते हुए कहा,”यहाँ रात में ठण्ड अक्सर बढ़ जाती है
“थैंक्यू आंटी” कहकर मैं उनकी तरफ मुस्कुरा दिया , उनमे मुझे अपनी माँ नजर आ रही थी वो भी मेरा ऐसे ही ख्याल रखती है जब मैं उनके पास होता हु
गुड़ नाईट बेटा – कहकर वो कमरे से बाहर चली गयी और जाते जाते मेरे कमरे का दरवाजा बंद कर दिया .. नींद ने फिर मुझे अपने आगोश में ले लिया ठंडी हवा के झोंको से मुझे गहरी नींद आ गयी
लगभग आधी रात के आस पास मुझे पियानो की आवाज सुनी , मैंने नींद में वहम समझ कर उसे नजरअंदाज कर दिया और फिर सो गया लेकिन धीरे धीरे वो आवाज तेज होती गयी और मेरी नींद खुल गयी ,घडी में देखा तो रात के 2 बज रहे थे , वो धुन बहुत दर्दभरी थी मैं बिस्तर से उठकर बाहर बालकनी में आ गया ,, माथुर अंकल के घर के ठीक सामने सड़क के उस पार एक बहुत बड़ा आलीशान घर था घर की ऊपरी मंजिल के एक कमरे की लाइट अभी भी चालू थी , और उसी कमरे से पियानो की आवाज भी आ रही थी ..
उस कमरे की खिड़की आधी खुली थी जो की बिलकुल मेरी खिडकी के ठीक सामने थी , मैंने उस खिड़की की तरफ देखा को लड़की मेरी तरफ पीठ किये पियानो बजा रही थी ,, मैंने बहुत कोशिश की पर मैं उसका चेहरा नहीं देख पाया ,, वो धुन इतनी दर्दभरी थी की किसी का भी दिल चिर के रख दे .. मैं अपनी आँखे बंद किये उस धुन में खोता चला गया अचनाक वो धुन बंद हो गयी
मैंने जैसे ही खिड़की की तरफ देखा किसी ने तेजी से खिड़की बंद कर दी ,, कमरे की लाइट अभी भी वैसे ही जल रही थी अचनाक उस कमरे से दर्दभरी चींखे सुनाई देने लगी ,, मैंने हाथो से अपने दोनों कान बंद कर लिय .. पर वो चींखे अब भी वैसे ही थी .. सुनसान रात में मेरे अलावा वहा कोई नहीं था जो उन चीखो को सुन सके …
मैं कमरे के अंदर आ गया ,, वो चीखे अब भी जारी थी … मैंने टेबल पर रखी पानी की बोतल उठायी और एक साँस में उसे पि गया , मैं पसीने से भीग चुका था मैंने ठंड में भी पंखा चालू कर दिया कुछ देर बाद वो चींखे बंद हो गयी और सिसकियों में बदल गयी मैंने खिड़की की तरफ देखा तो पाया खिड़की अब भी बंद थी लेकिन उस कमरे की लाइट अब बंद हो चुकी थी
मेंरा सर चकराने लगा कुछ समझ नहीं आया ..
मैं बिस्तर पर लेट गया नींद मेरी आँखों से कोसो दूर थी बार बार जहन में अनगिनत सवाल आ जा रहे थे
आखिर कौन थी वो लड़की ?
वो धुन ?
वो चींखे ?
आखिर क्या रहस्य था इन सबका ?….. कुछ समझ नहीं आ रहा था इतना तो मैं जान चूका था की वो चीखे किसी लड़की की थी ,, ऐस चींखे जो किसी दर्द मे तड़प कर बाहर आती है लेकिन उनका रहस्य मेरे सामने एक राज बन चुका था …मैं भूत प्रेत में विश्वास नहीं करता था और वो चींखे डरावनी न होकर दर्दभरी थी ….
सोचते सोचते मैं कब नींद के आगोश में चला गया मुझे पता नहीं चला सुबह कमरे का दरवाजा खटखटाने से मेरी आँख खुली ठीक से ना सो पाने के कारण सर भी दर्द का रहा था , मैंने दरवाजा खोला तो आंटी चाय का कप लिए मेरे सामने खड़ी थी ,, मैंने उन्हें अंदर आने को कहा , वो अंदर आयी चाय मुझे देकर मेरा बिखरा सामान समेटने लगी ,,
“अरे !! आंटी आप रहने दीजिये मैं कर लूंगा – मैंने उन्हे रोकते हुए कहा
आंटी – कोई बात नहीं बेटा , तुम मेरे बेटे जैसे ही हो मैं कर देती हु , अच्छा तुम्हे यहाँ कोई परेशानी तो नहीं हुयी ?
मैंने आंटी को पास रखी कुर्सी पर बैठने का इशारा करते हुए कहा – नहीं आंटी सब बहुत अच्छा है , आप अंकल दोनों मुझे बहुत अच्छे लगे लेकिन एक बात है जिससे मैं थोड़ा परेशान हु
आंटी – क्या हुआ बेटा सब ठीक तो है – उनके चेहरे पर चिंता की लकीरे उभर आयी
“आंटी वो जो सामने घर है , कल रात वहा से पियानो की आवाज आ रही थी , और कुछ देर बाद वो आवाजे दर्दभरी चीखो में तब्दील हो गयी , मुझे कुछ समझ नहीं आया आंटी ?
आंटी ने मेरी परेशानी को समझते हुए मुझसे कहा – घबराओ मत !! तुम जैसा सोच रहे हो वैसा कुछ नहीं है उस घर में … वो घर मिस्टर संजय मित्तल का है जो की ऊटी के सबसे रईश लोगो में से एक है , पिछले कई सालो से वो यही रह रहे है अपनी पहली पत्नी के देहांत के बाद उन्होंने एक ईसाई धर्म की औरत से शादी कर ली और उसके साथ यही रहने लगे , दूसरी पत्नी को एक 21 साल की बेटी भी थी अवनि , लेकिन अपनी माँ की शादी के बाद से ही वो अपनी नानी के पास रहने लगी ,, मिस्टर मित्तल , मिस्टर मित्तल की दूसरी पत्नी , मिस्टर मित्तल की मैड ग्रेनी और कुछ नौकर इस घर में रहते थे लेकिन 2 महीने बाद ही उनकी दूसरी पत्नी की भी मौत हो गयी ,, लोगो का कहना है उन्होंने सुसाइड कर लिया …
लेकिन अवनि – मैंने आंटी से पूछा
आंटी – माँ की मौत की खबर मिलते ही अवनि तुरंत यहाँ आ गयी ,, उस दिन लोगो ने उसे पहली बार देखा था वो बहुत खूबसूरत थी , जैसे कोई परी हो , मिसेज मित्तल की मौत के बाद वो कुछ दिन यही रुक गयी और उसके बाद मिस्टर मित्तल ने उसे अपनी वारिश के तौर पर हमेशा के लिए उसे अपने पास रख लिया ,, लेकिन उसके बाद किसी ने भी अवनि को नहीं देखा उसने खुद को उस घर में जैसे कैद कर लिया , उसे म्यूजिक का बहुत शौक था इसलिए मिस्टर मित्तल ने उसे घर में ही सारी सुविधा उपलब्ध करवा दी .. हर रात वो अपनी माँ की याद में पियानो पर वो दर्दभरी धुन बजाया करती है
लेकिन वो चीखे ? – मैंने अपनी जिज्ञाषा को दबाते हुए पूछा
उन चीखो का राज तो आजतक हम भी नहीं जान पाए है – ऑन्टी ने उदास स्वर मे कहा और कुछ देर रुककर कहने लगी – पहले हमे भी उन चीखो से बहुत तकलीफ होती थी लेकिन धीरे धीरे इनकी आदत हो गयी , लोगो ने कई बार मिस्टर मित्तल के घर जाकर पता लगाने की कोशिश की लेकिन वहा कुछ नहीं था .. और उसके बाद सब उन चीखो को भूल गए …
मैं खामोश सा बैठा रहा तो आंटी ने उठते हुए कहा – अच्छा बेटा मैं चलती हु , तुम तैयार होकर निचे नाश्ते के लिए आ जाना कहकर वो चली गयी
मैं उनके जाने के बाद भी उन्ही बातो के बारे में सोच रहा था , धुन वाला किस्सा मुझे समझ आ चूका था लेकिन वो चींखे अब भी एक राज बनी हुई थी ,, आंटी ने जैसा बताया उस हिंसाब से मुझे भुत प्रेत का को चक्कर नजर नहीं आया ,,,
नहाकर मैं निचे आ गया संडे के कारण आज ऑफिस की छुट्टी थी सोचा अपने कमरे में बैठकर सारा पेंडिंग काम निपटा लूंगा नाश्ता करने के बाद मैं अपने कमरे में आ गया और लैपटॉप खोल अपना काम करने लगा मौसम अच्छा था ठंडी हवाओ से मुझे थोड़ी सिहरन महसूस होने लगी तो मैं बालकनी में आकर बैठ गया ,, हलकी गुनगुनी धुप थी जिससे मुझे अच्छा महसूस हुआ ,, काम करते करते बरबस ही मेरी नजर उस खिड़की की तरफ चली गयी खिड़की आधी खुली थी उसके दोनों तरफ सफ़ेद मखमली परदे लगे हुए थे , मैं काफी देर उधर ही देखता रहा लेकिन खिड़की के अलावा वहां कुछ दिखाई नहीं दिया मैं फिर अपने काम में लग गया … काम करते हुए मुझे महसूस हुआ जैसे उस खिड़की पर कोई था मैंने देखा तो कुछ नहीं था .. मैं एक बार फिर अपने काम में लग गया लेकिन बार बार ऐसा लग रहा था जैसे कोई है जो उस खिड़की से मुझे देख रहा है
वहम समझकर मैं अपने कमरे में आया और लेट गया थकान की वजह से नींद आ गयी ,,,दोपहर का खाना खाने जब नीचे नहीं गया तो अंकल मुझे बुलाने आये मुझे सोते हुए देखकर उन्होंने मुझे नहीं जगाया और वापस चले गए
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क्रमश – Ak Dard Apna Sa – 2
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संजना किरोड़ीवाल
Humesa ki Tarah aapki ye story bhi lajvab hai Ty itni pyari pyari story’s ke liye
Superb story mam…..I read it already but want to read again……it’s very beautiful story….. waiting for the next part 👍💯💯💯💯😍😍😍😍😍😍😘😍😘
Yeh story bahut Achi lagi hai aap bahut Achi writer h bki story kb aayegi mam
Superb
Bhut hi interesting story h maam
I think aap ye story pehle bhi likh chuki h na
wow what a story, kaha se lati h aap itne ache topic aapki sabhi story se pyar ho jata hai, bahut hi achi shuruat h is story ki
Superb starting ma’am …maja aagyaa…
Nice 👍👍👍👍
Maine read ki hai ye story but I think name change tha aapki iss story ka
Story ki starting bhale hi dard bhari rhi ho lekin iska end pyar bhara hoga
बहुत बढ़िया शुरुआत
Very nice story
New story👏
Aapki ye story mene padhi huyi hai bahot hi achhi hai,,,,,aur coincidence dekhiye aaj subah se me soch rahi thi is story k bare me ki mene aisi story kaha padi hai aur yaha dekhkar yaad aaaya ki ye to aapki hi story hai
Humne yeh nahi padhi…. Aur aaj isse padhkar lag raha… Bahut gehrayi liye hogi…. So.waiting for its next part…😍😍😍😍😍
mam nice story but I think yr prtilip pe v update h mene shayd pdi h story title to yaad ni aa rha h but pd chuki hu
Nice story
Beautiful story
Acchi sotry hai maim
Dear madam ji
Aap ab tak jo bhi story pratilipi par Post kar chuke ho
Vah sab apne es side par Post kare
Jaise– ranjhna, Kalyani, badalte ahsaas and others
Yeh story bhaut acchi hai dii ♥️🤗🤗♥️💞♥️♥️🍫